Poonam

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Naukarani ki kokh hari ki
7.4k words
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ये कहानी 1997 में शुरू होती है. मैं दिल्ली की एक पॉश कॉलोनी में रहता था. शादी नही हुई है अबतक. ये कहानी है कैसे मैने अपनी नौकरानी की ख्वाहिश पूरी की.

मेरी नौकरानी, रमा, रोज़ सुबह झाड़ू-पोछा करने आती थी. सुबह वही मुझे जगाती थी. मेरी रात को नंगा सोने की आदत थी. सुबह जब रमा मुझे उठाने आती, तो या तो मैं नंगा अकेला ही सो रहा होता या दिल्ली की किसी हाई-क्लास रंडी के साथ या फिर मैं उस रंडी को चोद रहा होता. चुदाई के समय अगर रमा आती तो रंडी को चोद्ते हुए रमा को बताता क्या करना है.

ज़ाहिर सी बात है की रमा ने मेरा लंड देख रखा था. मेरा लंड आठ इंच लंबा है और बहुत ही काला है. एक सुबह रमा आकर साफ-सफाई कर रही थी. मैं रात को जो रंडी लाया था उसे चोद रहा था. तभी रमा आई और बोली "साहब, हो गई सॉफ-सफाई." मैं बोला "हाँ... ठीक है जाओ" रमा वहीं खड़ी रही.

मैं पूछा "क्या हुआ?"

रमा बोली, "साहिब, आपसे कुछ बात करनी थी."

"हाँ बोलो" मैने रांड़ को चोद्ते हुए बोला.

"नहीं साहिब... आप पहले ख़त्म कर लीजिए... अकेले में करनी है."

मैं रंडी को तेज़ी से चोद रहा था. जल्द ही मैं झड गया. मैने रंडी को उसके पैसे दिए और चलता किया.

मैं मुड़ा और रमा से बोला "क्या काम है?"

रमा मेरे लंड को देख कर अचंभित थी.

"साहेब... आप अभी चुदाई किए लेकिन आपका औज़ार अभी भी तना है."

"हाँ... जब तक तीन बार नही झड़ता साला बैठता नही है. लेकिन तुम्हे काम क्या है?"

"साहिब वो.... वो मुझे अपनी बहू के लिए आपका बीज चाहिए."

"मतलब?"

"साहिब, मेरी बहू पूनम... उसके लिए..."

"मेरा बीज? साफ-साफ बोलो रमा"

रमा थोड़ी ठहरी. फिर बोली- "साहिब, मेरा बेटा और बहू डेढ़ साल से बच्चा पैदा करने की कोशिश कर रहे थे. सारे मोहल्लेवाले भी अब पूछने लगे हैं. पिछले दिनो टेस्ट में पता लगा की मेरे बेटे के बीज में खराबी है. मेरी बहू को एक अच्छे बीज की ज़रूरत है"

"मतलब तुम चाहती हो की तुम्हारी बहू मेरे बच्चे को जने"

"हाँ, साहिब... आपको ये बात राज़ रखनी होगी... मेरा बेटा बाहर है शहर से और पूनम की माहवारी को भी २ हफ़्ता हो गया है... तो ये काम इस हफ्ते ही होना चाहिए"

"ठीक है,..... इस सोमवार छुट्टी है... बहू को शनिवार सुबह छोड़ देना और मंगलवार सुबह ले जाना"

"साहिब, इतना वक़्त क्यों लगेगा? कुछ घंटों का ही तो काम है."

"रमा, मैं तेरी बहू को अपना बीज दे रहा हूँ. उसकी कोख हरी कर रहा हूँ. वो मेरे बच्चे को जन्‍म देगी. मुझे ये जानना ज़रूरी है कि मेरे बच्चे की माँ कैसी है. अगर तुझे ये मंज़ूर नही तो तू किसी और को ढूँढ ले."

"नही साहिब, जैसा आप समझे... मैं उसे शनिवार सुबह आपके यहाँ छोड़ दूँगी. लेकिन आपको वादा करना होगा कि मेरी बहू के बच्चे के बाप आप हैं, ये बात आप किसी को नही बताएँगे."

"तू फ़िक्र मत कर रमा. ये राज़ केवल हम तीन ही जानते हैं. बस अपनी बहू का टेस्ट ज़रूर करवा लेना कि कहीं उसे कोई गुप्त रोग तो नही."

"बिल्कुल साहिब"

"तू चिंता मत कर. मेरे बीज में बहुत ताक़त है. अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड को ग़लती से पेट से कर चुका हूँ. तू जल्द ही दादी बन जाएगी."

"शुक्रिया साहिब"

और फिर वो चली गयी.

शनिवार सुबह नौ बजे रमा पूनम को लेकर आई. मैने पूनम को देखा तो वो खूबसूरत लगी. सुंदर नैन-नक्श थे उसके और रंग सांवला. मैने दोनो को सोफे पे बिठाया और बोला "रमा, तेरी बहू तो बड़ी सुंदर है."

पूनम मुस्कुरई. पूनम सिर्फ़ बीस साल की थी.

मैने रमा को जाने को कहा और बोला की वो मंगलवार सुबह से पहले ना आए. रमा चली गयी.

मैने पूनम से बोला "पूनम, तुझे पता हैं तू यहाँ क्यूँ आई है?"

"हाँ साहिब... आप मेरी कोख में अपना बीज बोएंगे"

"ठीक है... " सोफे के बगल में ज़मीन पर गद्दा बिछा हुआ था. मैने उसे गद्दे पर आने को कहा. वो शर्मा के आई और गद्दे पर बैठ गयी. मैने उसकी आँखों में देखा और उसके पास गया. फिर प्यार से उसका चेहरा पकड़ा और उसके होंठ चूम लिए.

उसने शर्मा के मुझसे आँखें चुरा ली. मैं उसके गाल चूमता हुआ उसके कान के पास गया और बोला "तो तेरी कोख में अपना बीज बोने के लिए मुझे क्या करना होगा?

वो शरमाई और नज़रें नीची कर ली.

"बोल ना".

तोड़ा हिचकिचा के बोली, "साहिब आपको अपना वो मेरे यहाँ डालना होगा".

उसने अपनी उंगली अपनी चूत की तरफ करते हुए बोला.

"मुझे मेरा क्या तेरे कहाँ डालना होगा?"

थोड़ा शरमाई और बोली "आपको अपना औज़ार डालना होगा.... मेरी.... मेरे अंदर"

"अंदर कहाँ?"

"साहिब... वो मेरी... मेरी बुर में..."

"तेरी बुर में अपना औज़ार डालकर क्या करना होगा?"

मुस्कुराकर बोली, "साहिब,... अंदर-बाहर"

ये सुनकर मैने उसकी कमीज़ उतार दी. उसने सिर्फ़ ब्रा पहें रखी थी. उसके सपाट पेट पर मैने अपने हाथ रख दिए. उसकी साँसें तेज़ हो गयी. मैने अपनी उंगली ली और उसकी नाभि के इर्द-गिर्द गोल-गोल घूमने लगा और थोड़ी देर बाद उसकी नाभि चूम ली.

उसने मेरा सिर उठाया. मेरी कमीज़ उतारी और मुझे चूम लिया. चूमते हुए मैं अपने हाथ पीछे ले गया और उसकी ब्रा खोल दी. फिर उसकी ब्रा को उसके जिस्म से अलग कर दिया. खूबसूरत, साँवली चूचियाँ मेरे सामने थी. पूनम ने शर्माकर अपने हाथों से अपनी चूचियाँ ढक ली. मैने उसे प्यार से चूम लिया. फिर उसके हाथ उसकी चूचियों से हटाकर उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसकी चूचियाँ अपने सीने पर महसूस करने लगा. मैने उसे फिर चूमा.

इतने में उसके चूचुक कड़े हो गये. मैने नीचे झुककर उसका एक चूचुक अपने मूह में लिया और चूसने लगा और दूसरे चूचुक को अपनी उंगलियों के बीच में लेकर खीचने-दबाने लगा. वो "सस्सस्स.... आह... सस्सस्स... आह" की आवाज़ें निकालने लगी. मैं अपना दूसरा हाथ उसके मुलायम पेट पर मल रहा था.

थोड़ी देर बाद मैने अपना हाथ नीचे कर के उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और सलवार नीचे कर दी. उसने नीले रंग की चड्डी पहन रखी थी. मैने उसकी चूत चड्डी के उपर से महसूस की. वो "उम्म...उम्म" की आवाज़ निकाल रही थी. चूत महसूस करते हुए मेरी उंगली उसकी छूट की घुंडी से गुज़री. उसके बदन में बिजली दौड़ गयी और वो "आह!" की आवाज़ के साथ उठ पड़ी.

मैने अपनी उंगली उसकी घुंडी पर धीरे-धीरे लगातार चलानी शुरू कर दी.

"हन साहिब.... बस वहीं पे.. आह... हाँ वहीं पे... प्लीज़ साहिब, रुकना मत"

उसने अपने हाथ अपनी चूचियों पर लाने चाहे पर मैने उन्हे झटक दिया. उसने मुझे देखा तो मैने कहा "जबतक तू मेरे पास है, तेरी चूचियों पर सिर्फ़ मेरा हक़ है... तेरा खुद का भी नहीं... इन्हे सिर्फ़ मैं छू सकता हूँ."

पूनम की चूत की घुंडी को मैं यूं ही छेड़ता रहा. वो बेचारी कसमसा रही थी. उसकी चूचियों में आग लगी थी. वो मेरी तरफ करुणा भाव से देख रही थी कि मैं उसकी चूचियों को मसलूं-दबाऊं. लेकिन मैने उसे कोई राहत नही दी. अभी तक मैं उसकी चड्डी के उपर से उसकी घुंडी छेड़ रहा था. मैने घुंडी छेड़नी बंद कर दी ताकि मैं उसकी चड्डी उतार सकूँ.

बेचारी पूनम रो पड़ी "साहिब, मेरी घुंडी छेड़नी बंद क्यों की? मैं छूटने ही वाली थी. साहिब इतना अत्याचार मत करो मुझ पर."

"सॉरी पूनम... मैं तेरी चड्डी उतार रहा था. मुझे नही पता था की तू छूटने वाली थी.... हम ये बच्चा पैदा करने के लिए कर रहे हैं... लेकिन एक-दूसरे की संतुष्टि बहुत ज़रूरी है."

फिर मैने उसकी चड्डी उतार के फेक दी. अब वो पूरी तरह से नंगी थी. मैं उसकी चूत के पास गया तो देखा की चूत बहुत गीली थी. मैं एक गहरी साँस अंदर ली और उसकी मादक खुश्बू मुझे भा गयी.

"तेरी चूत तो बड़ी खूबसूरत है रे पूनम"

"साहिब. आप प्लीज़ मुझे छूटने में मदद करो ना"

मैने बेचारी को बहुत तडपया था. मैने अपनी जीभ निकाली और उसकी चूत पर धावा बोल दिया. मैं उसकी चूत चाटने लगा.

कभी उपर से नीचे तक तो कभी चूत के इर्द-गिर्द. उसकी मादक खुश्बू और स्वादिष्ट पानी मुझे चाटने को और प्रेरित कर रहा था. उसकी चूत चाटते हुए दस मिनिट हो चुके थे. वो कामुक आवाज़ें निकाल कर आनंद ले रही थी. अचानक मैने देखा की वो अपनी चूचियाँ सहलाने की कोशिश कर रही थी. मैने उसके हाथ झटक दिए और बोला, "तुझे बताया था मैने, तेरी चूचियों को छूने का हक़ सिर्फ़ मुझे है" उसने फिर चादर पकड़ ली और मज़े से अपनी चूत चटवाने लगी.

मैने चूत चाटते हुए अपना अंगूठा लिया और उसकी घुंडी रगड़ने लगा. कुछ देर बाद उसके अंदर से एक "आआह" की आवाज़ निकली और वो छूटने लगी. मैने चूत चाटना बंद किया और उसके उपर आकर उसे चूम लिया. वो इतनी ज़ोर से छूटी की बेहोश हो गयी.

उसे जगाने के लिए मैने उसकी गाल पे हल्के-हल्के चपत लगाई. थोड़ी देर बाद वो उठी, मुझे देखकर मुस्कुराई और प्यार से मुझे चूम लिया.

"साहिब, जैसा आज आपने मुझे छूटाया है, वैसा मई पहले कभी नही छूटी."

"चल अब बदले में तू भी कुछ कर इसका". मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते बोला.

वो प्यार से मुस्कुराई और मेरा पयज़ामा और चड्डी एक साथ उतार दी.

मेरा लंड अब खुला था. मैने देखा पूनम अचंभित होकर मेरा लंड घूर रही थी.

"क्या हुआ पूनम?"

"साहिब, वो क्या है?... आपका इतना बड़ा कैसे हो सकता है. आपका तो ये एक कोई मूसल जैसा है"

मैने उसका हाथ लिया और अपने लंड पर रख दिया. पूनम शरमाई और लंड हिलाना शुरू कर दिया. जल्द ही मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया. आठ इंच का लंड खड़ा होकर उसे सलामी दे रहा था.

"साहिब, ये तो किसी घोड़े का लंड लगता है. पता नही मैं इसे अंदर ले पाऊँगी या नही"

"क्यों तेरे पति का कितना बड़ा है?"

"साहिब, उनका तो आपके आधे से भी छोटा है... मतलब आपकी तो लुल्ली उसके खड़े से बड़ी है."

"तो अच्छा है ना... तेरा अगर लड़का हुआ तो तू नही चाहेगी की उसे ऐसा मस्त लंड मिले?"

"हाँ साहिब, अच्छा हुआ की मेरा पति नामर्द है... कहीं उसने मुझे माँ बना दिया होता तो लड़के को उसकी जैसी लुल्ली मिलती... मैं नही चाहती की मेरे बच्चे में कोई कमी हो"

पूनम मेरा लंड हिलाने लगी. थोड़ी ही देर में मेरा लंड गीला होने लगा. लंड के टोपे पर पानी आ गया. पूनम बस मेरे लंड को ही देखे जा रही थी. लंड के टोपे पर जब पानी आ गया तो उससे रहा नही गया. उसने अपनी जीभ निकली और लंड का टोपा चाटने लगी. चाटते हुए अचानक उसकी जीभ मेरे मूतने वाले छेद पर लगी. मुझे अत्यंत आनंद मिला.

"पूनम, उधर ही चाट ना थोड़ा..."

पूनम उधर ही चाटने लगी. मैं अपने दोनो हाथ सर के नीचे लगाए आनंद का मज़ा ले रहा था.

"अजीब बात है साहिब"

"क्या?"

"मैं जब अपने पति का छेद चाट्ती हूँ तो वो फ़ौरन छूट जाता है. लेकिन आप तो बस मज़े ले रहे हैं"

"अरे पूनम आज तू रुक... तुझे असली मर्द का स्वाद चखाऊंगा. तुझे औरत होने का सुख दूँगा"

मैने एक उंगली उसकी चूत में डाली. मुझे यकीन नही हुआ की उसकी चूत इतनी टाइट थी.

"पूनम तेरी चूत तो बिल्कुल टाइट है... जैसे किसी कुँवारी लड़की की हो... तूने एक आदमी से ही शादी करी थी या किसी हिजड़े से... साला लगता है छुआ भी नही है"

"हाँ साहिब.... मेरा पति तो छक्का ही है.... साला मुश्किल से अपनी लुल्ली खड़ी करता है... मेरी बुर पे रखते ही साला छूट जाता है.... फिर मैं ही इस कामिनी चूत की प्यास बुझती हूँ अपनी उंगलियों से.... साहिब, अब मत तडपईए... मेरी कुँवारी चूत में डालिए ना अपना लंड... मुझे लड़की से औरत बना दीजिए".

मैने पूनम को लेटा दिया. उसकी चूत गीली थी. मैने झुक कर उसकी चूत सूँघी और चाटने लगा. फिर मैने अपना लंड लिया और उसकी चूत पर रगड़ कर उसे सताने लगा.

फिर अपने लंड का सुपारा उसकी चूत पर रखा और एक झटका मारा. लंड चूत के अंदर 3 इंच चला गया.

लेकिन पूनम चीख मार कर उठी "आआआआअ.... साहिब ये बहुत दर्द करता है... मैं नही सह सकती... आआआ... निकालो इसे"

मैने उसके नंगे बदन को थोड़ा सहलाया. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था. उसको थोड़ा प्यार किया और बोला "पूनम... याद रख हम ये तेरी कोख में बच्चा पैदा करने के लिए कर रहे हैं. थोड़ा दर्द सह ले."

"साहिब... बहुत दुखती है मेरी चूत"

मैने उसको ध्यान से लेटाया ताकि मेरा लंड उसकी चूत से बाहर ना निकले और फिर उसके उपर आ गया.

"पूनम... तू ठीक है अब"

"हाँ साहिब... अभी ठीक हूँ"

"देख पूनम... तुझे बच्चा देने के लिए मुझे अपना पूरा लंड तेरे अंदर डालना होगा... तू डर मत... 3 की गिनती पर मैं अंदर डालूँगा"

"ठीक है साहिब"

"एक....... दो....."

मैने तीन गिने बिना ही अपना लंड को धक्का मारा. लंड सब कुछ चीरता हुआ जड़ तक उसकी चूत में जा बसा. वो ज़ोर से चीख मारी पर मैने उसका मूह पकड़ लिया और कुछ देर ऐसे ही रहा. जब वो शांत हुई तो उसके चेहरे से अपना हाथ हटाया.

वो बोली, "साहिब आपने मुझे धोखा दिया... 3 के बजाए 2 पर ही डाल दिया"

मैने उसे प्यार से चूम लिया. फिर अपने हाथों से उसकी चूचियाँ सहलाने लगा. उसकी भूरी निप्पल कड़ी हो गयी थी.

मैने उसकी निप्पल मुँह में ली और चूसने लगा. मैने अभी चुदाई शुरू नही की थी, बस मेरा लंड पूरा उसके अंदर था.

"इस ही से मेरे बच्चे को दूध पिलाएगी तू".

उसने मेरा हाथ अपने पेट पर रखा और बोली.

"हाँ साहिब, अब मैं और नही रुक सकती... बो दीजिए अपना बीज मेरे अंदर... मैं आपके बच्चे को अपने इस पेट में पालूंगी. फिर उसे अपना दूध पिलऊंगी."

मैने उसकी कस कर चुदाई शुरू कर दी. मैं लंड पूरा बाहर निकलता और फिर जड़ तक पेलता. मैं उसको कसकर जकड़ा हुआ था और सटा-सॅट उसे चोद रहा था. उसकी कोख में अपना बीज बोना मेरा भी लक्ष्य हो गया था. उसकी चूत बेशर्मी से गीली हो रही थी. मैं और तेज़ी से उसे चोदने लगा. वो भी "आह.. आह.. आह.. आह" की आवाज़ निकल कर चुदाई का मज़ा ले रही थी. उसकी चूत से फ़च-फ़च की आवाज़ आ रही थी.

"साली... माँ बनने आई थी या चुदाई का मज़ा लेने?"

"साहिब... आई तो माँ बनने ही थी और वो मैं बनके जाऊंगी... आप बताओ... आपके लंड में इतनी औकात है की मुझे माँ बना सके?"

मुझे गुस्सा आ गया. मैने ज़ोर से एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीदा.

"साली कुतिया... रंडी... छिनाल... नामर्द से शादी करके एक गैर मर्द से चुदती है... मेरा बच्चा पेट में पालने की बात करती है और मुझे ललकार रही है... रुक साली तुझे अपनी मर्दानगी दिखाता हूँ"

अब मैं उसकी मस्त ठुकाई करने लगा. मेरा लंड उसकी बच्चेदानि को छू रहा था. अचानक वो जड़ने लगी और उसके साथ मैं भी झड़ने लगा.

मैं अपना लंड उसके पूरा अंदर ठूँस कर झड़ रहा था ताकि मेरा ज़्यादा से ज़्यादा माल उसकी बच्चेदानी में गिरे. खूब झड़ने के बाद मैने लंड उसकी चूत से बाहर निकाला.

मैने तोलिया ली और उससे अपना लंड पोछा. फिर उसका हाथ लिया और अपने लंड पे रख दिया.

"साहिब आपका झड़ने के बाद भी खड़ा है? मेरे पति का तो झड़ते ही बैठ जाता है"

"तेरा पति छक्का है साली... अभी तूने एक मर्द के लंड का स्वाद चखा है. अब बता... अगर तूने लड़का पैदा किया तो क्या चाहेगी तू उसके लिए... उस छक्के की लुल्ली या मेरा लंड?"

"साहिब... इसमे कोई शक... आपका काला लंड"

"तो चल प्यार कर इसे"

मैने उसके पिछवाड़े के नीचे तकिया लगाया और खुद उसके सीने पर बैठ गया. उसकी चूचियों के बीच में अपना लंड डाला और चूचियों से लंड की मालिश करने लगा.

वो बीच बीच में मेरा लंड चूस रही थी और मेरे टटटे सहला रही थी.

"सहला मेरे टटटे पूनम... और ज़्यादा माल दूँगा तुझे... मस्त होकर माँ बाएगी तू"

फिर मैने लंड उसकी चूत में डाला और चुदाई शुरू कर दी.

अभी बस 12 बाज रहे थे. शाम 6 बजे तक हम चुदाई ही करते रहे. हर बार मैं अपना माल उसके अंदर छोड़ता.

6 बजे तक हम इतने चूर हो गये थे की हम बस एक दूसरे की बाहों में सो गये.

करीब रात के ग्यारह बजे वो पानी पीने उठी.

मैं उसके तन को जकड़े हुए सो रहा था. मुझे उठाने के लिए उसने मेरी पीठ हल्के-हल्के सहलानी शुरू कर दी.

"साहिब... बहुत प्यास लगी है... पानी पीना है"

मैने उसको छोड़ दिया. वो एक प्यारी सी अदा से उठी और नंगी ही किचन में पानी पीने चली गयी. चलते समय उसके बलखते चूतड़ देख कर मेरा लंड फिर हरकत में आने लगा.

मैने प्रेग्नेन्सी किट का इंतेज़ाम पहले ही कर रखा था. मैं एक प्रेग्नेन्सी किट अंदर से ले आया. वो नंगी वापिस आई हाथ में एक ग्लास लेकर.

"साहिब... आप भी पानी पी लीजिए"

मैने उससे ग्लास लिया और पानी पीने लगा. उसके बलखते चूतड़ देख कर मेरा लंड पहले ही खड़ा था.

"साहिब... इतनी चुदाई के बाद भी आपका लंड खड़ा है... सच में, आपके जैसी मर्दानगी किसी और के पास नही है"

मैने उसे प्रेग्नेन्सी कीट तमाई और बोला... "पूनम ये ले... और इसके छेद में मूत कर आ"

"ये क्या है साहिब?"

"इससे पता चलेगा की तू माँ बन चुकी है या नही"

वो जल्दी से बाथरूम में गयी और मूत कर आई.

मुझे उसने किट थमाई तो जवाब सामने था: वो माँ बन चुकी है.

"साहिब क्या आया?"

वो नंगी मेरे सामने खड़ी थी. मैने उसकी कमर पर अपने हाथ रखे और प्यार से उसका पेट चूम लिया और फिर उसका पेट अपने चेहरे से लगाकर महसूस करने लगा. फिर उसकी तरफ देखा और बोला "बधाई हो पूनम, तू माँ बन गयी है"

"सच में साहिब?" उसकी खुशी का ठिकाना नही था.

"हाँ पूनम.... तेरे पेट में मेरा बच्चा पल रहा है"

उसके आँसू आ गये.

"साहिब..." वो आगे कुछ नही बोल पाई.

मैने उसे नीचे लिटाया और उसे बाहों में लेकर उसे चूम लिया.

उसका एक हाथ उसके पेट पर था. वो अपने बच्चे को महसूस कर रही थी.

मेरा खड़ा लंड मुझे परेशान कर रहा था. मैने अपना लंड उसकी चूत में सरका दिया.

"साहिब, ये आप क्या कर रहे हैं?"

"कुछ नही पूनम... बस अपनी तलवार को तेरी म्यान में रख रहा था"

मैने उसे फिर चूमा और फिर हम सो गये.

सुबह उठा तो वो सो रही थी. मेरा लंड उसके अंदर था. मैं धीरे-धीरे अपना लंड आगे-पीछे करके उसे चोदने लगा. जब मैने रफ़्तार तेज़ करी तो वो भी उठ गयी और मेरा साथ देने लगी.

वो मेरे उपर चढ़ गयी और अपने कूल्हे हिला-हिला कर मेरे लंड पर कूद-कूद कर खुद को मेरे लंड से चुदवा रही थी. मैने उसके कंधे पर हाथ रख दिए और फिर उनसे होता हुआ उसके स्तनों को थोड़ा मसलने के बाद उसके पेट पर अपने हाथ रख दिए. उसके पेट को सहला रहा था और उसकी नाभि से खेल रहा था.

वो बस मुझसे चुद रही थी. अचानक उसकी साँसे तेज़ हो गयी और वो और तेज़ी से मेरे लंड पे कूदने लगी.

"साहिब... मैं... मैं... मैं छूट रही हूँ... मैं छूट रही हूँ"

और वो मेरे लंड पर छूट गयी. मैने उसे अपने सीने से लगाया और पलट कर उसके ऊपर चढ़ कर चुदाई करने लगा. वो बस बेहोश पड़ी चुद रही थी.

15 मिनिट चुदाई के बाद मैं छूट गया और सारा माल उसकी चूत में.

मैं उसके उपर गिर गया और उसका चेहरा चूमने लगा. कुछ देर हम ऐसे ही पड़े रहे.

फिर मैं बोला "पूनम... देख माँ तो तुझे मैने बना दिया... तू चाहे तो जा सकती है.... लेकिन तेरी सास से मैने तुझे मंगलवार को ले जाने को बोला था. बता क्या चाहती है तू?"

"साहिब... एक चुदाई ने मुझे आपके लंड का दीवाना बना दिया है... मुझे नही पता आपके लंड के बगैर कैसे रह पाऊँगी. जबतक सासू माँ आपका दरवाज़ा ना खटखटायें, आप मुझे चोद्ते रहिए."

"ठीक है पूनम, लेकिन याद रहे तुझसे किसी सस्ती रंडी जैसा बरताव करूँगा"

"जो भी करो साहिब मेरी चूत का भोसड़ा बना दो साहिब"

"ठीक है पूनम, लेकिन अभी बहुत भूख लगी है... कुछ नाश्ता बना दे"

"ठीक है, साहिब" और वो उठकर कपड़े पहनने लगी.

"ये क्या कर रही है?"

"साहिब... वो कपड़े..."

"जबतक तू इधर है... तू कपड़े सिर्फ़ तब पहनेगी जब मैं तुझे बोलूं.... समझी... अब जा और नंगी ही खाना बना"

वो नंगी ही खाना बनाने लगी. मैं कुछ देर आराम किया और फिर उठकर किचन में चला गया. मैं भी नंगा था.

पीछे से जाकर मैने उसके कूल्हे पकड़कर अलग किया और उसकी गांद की छेद पर अपना लंड का टोपा मलने लगा.

"ये क्या कर रहे हो साहिब? खाना तो बनाने दो"

"तू खाना बना. याद रख बाकी के दो दिन तू मेरी रंडी है"

मैं उसकी चूतड़ सहलाने लगा. उसकी पीठ और गर्दन चूमने लगा. वो भी गरम होने लगी.

मैने अपनी जीभ ली और उसकी गर्दन से लेकर उसके चूतड़ तक चाट गया. वो ""सस्स... आह....सस्स... आह" की आवाज़ों के साथ सिसक रही थी.

"साहिब... आआह..."

"खाना बना, रंडी"

वो मसाले लेने के लिए नीचे झुकी. अब उसकी चूत मेरे खड़े लंड के बिल्कुल सामने थी. मैने देर नही की. अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और एक झटका दिया तो सारा 8 इंच एक ही बार में उसके अंदर चला गया.

वो चीख मार कर खड़ी हुई.

"साहिब खाना तो बनाने दो"

"तुझे रोक कौन रहा है."

वो खाना बनाने लगी. मेरा लंड उसके अंदर था. उसकी चूत बुरी तरह से रिस रही थी.. वो खाना बना रही थी और और मैं उसे धीरे-धीरे चोद रहा था. मैं उसके पेट को सहला रहा था.

"मेरा बच्चा अब तेरे अंदर पल रहा है, पूनम. 9 महीने बाद तेरी चूत से ही पैदा होगा मेरा बच्चा."

"साहिब मैं बता नही सकती माँ बनने की मुझे कितनी खुशी है. अगले 9 महीने मैं इसे अपने पेट में पालूंगी और खूब प्यार करूँगी."

थोड़ी देर में खाना बन कर तैयार हो गया. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था और उसकी चूत का रस अपनी उंगली में ले कर चाट रहा था. फिर मैं उससे अलग हो कर कुर्सी पर बैठ गया. वो खाना लेकर आई और उसे फिर से अपने लंड पर बिठाया और फिर हमने एक ही थाली में खाना खाया.

खाना ख़ाके मैने थाली अलग को रख दी और उसे उठा कर फिर बिस्तर पर ले गया और चुदाई चालू हो गयी. अगले दिन उसकी सास के आने तक हम नंगे ही रहे और चुदाई करते रहे. जब रमा आई तो हम आख़िरी चुदाई कर रहे थे.

"रमा... तू सफाई कर ले... मैं तब तक तेरी बहू के साथ हूँ"

रमा जब सफाई करके आई तो हुमारी चुदाई भी ख़त्म हो चुकी थी.

"चलो पूनम" रमा बोली.

पूनम जाने लगी. मैने उसका हाथ थामा. पूनम रूकी. मैने उसका कुर्ता उपर किया और उसके पेट को कई बार चूमा और अपने चेहरे से लगा लिय. उसके लिए मेरे मन में प्यार उमड़ रहा था और क्यूँ ना हो? आख़िर वो मेरे बच्चे की माँ बन चुकी थी.

फिर पूनम चली गयी. कुछ दिन बाद रमा जब घर आई तो मिठाई लेकर.

"बधाई हो... साहिब, पूनम माँ बन गयी है और मैं दादी"

रमा सिर्फ़ 42 साल की थी और पूनम 20 साल की थी. इस उम्र में दादी बनना बड़ा अटपटा लग रहा था. उसके पति की कई साल पहले मौत हो चुकी थी. मैने देखा की वो मेरे काले लंड को देख रही थी. मैं हर बार की तरह नंगा ही सो रहा था जब वो आई.

"क्या देख रही हो रमा?"

"कुछ नही साहब.... आप मिठाई खाइए"

मैने उससे मिठाई ली. और खाने लगा. रमा मेरे लंड को ही देखे जा रही थी. मैने हाथ बढ़ा कर उसका हाथ थामा और लंड पकड़ा दिया.

"शर्मा क्यों रही है रमा... ले महसूस कर ले... तेरा पोता हुआ तो ऐसा ही लंड विरासत में पाएगा"

वो चाव से मेरे लंड को निहार रही थी. वो अपने घुटनो पर बैठ गयी और मेरा लंड अपने हाथों में लेकर हिलाने लगी.

"साहिब, सच में... आपका औज़ार एक असली मर्द का औज़ार है... मैं खुश हूँ की मेरी बहू को इस मर्दाना औज़ार ने पेट से किया है.... साहिब... क्या मैं इसे एक बार..."

वो मेरा लंड चूसने को कह रही थी.

"चूस ले, रमा... मिटा ले अपनी प्यास"

फिर क्या था. रमा मेरे लंड पर टूट पड़ी. पूरा लंड मुँह में लेकर चूस्ती, कभी चाट्ती और कभी कभी हल्के से काटती. वो मेरे टटटे भी सहला रही थी. करीब 15 मिनिट की चूसाई के बाद मैं झड़ने वाला था. मैने उसका चेहरा पकड़ा और अपना लंड से उसका मुँह चोदने लगा. कुछ देर बाद मैं रमा के मुँह में ही छूट गया. वो मेरा मोटा लंड चूस्ते हुए मेरा सारा माल खा गयी.

"साहिब... बहुत ही स्वादिष्ट है आपका लंड... मुझे खुशी है की मेरा पोता इस लंड से और इन टट्टों को पाएगा"

मैं लेट गया और अपना लंड हिलाने लगा.

"साहिब आपसे एक और काम है"

"बोलो"

"साहिब, पूनम बड़ी दुखी रहती है आज कल"

"क्यों"

"साहब जब से आपके लंड का स्वाद चखा है तबसे पागल हो गयी है"

"अरे असली मर्द का स्वाद ही ऐसा होता है... माफ़ करना रमा, लेकिन अब तेरा बेटा तेरी बहू की प्यास अपनी लुल्ली से नही बुझा पाएगा"

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