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Click here"इसलिए मैं आज आपका लंड चूसा... सही में आप असली मर्द हो.... लेकिन मैं चाहती हूँ की आप पूनम को हफ्ते में एक बार.... उसके साथ... उसकी प्यास मिटा दीजिए"
"तू चाहती है की मैं पूनम को चोदू हफ्ते में एक बार"
"हाँ साहिब"
"रमा... पूनम माँ बन चुकी है.... अब ज़रूरी है की हम उसे खुश रखे. इसलिए मैं सिर्फ़ हफ्ते में 1 बार नही रोज़ चोदना पसंद करूँगा... कल सुबह उसे लेकर आजा"
"ठीक है... साहिब"
रमा अगले दिन सुबह पूनम को लेकर आ गयी. मुझे देखकर वो बेचारी मुझसे लिपट कर रोने लगी.
मैं नंगा ही था. उसने मेरे लंड को पकड़ा.
"साहिब... एक बार... बहुत प्यासी हूँ"
मैं हामी भर दी. वो नीचे बैठ गयी और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी. वो जैसे एक भूखी शेरनी थी. मेरे लंड पर धावा बोल दिया. मैं प्यार से उसके बाल सहला रहा था.
रमा वहीं खड़ी ये सब देख रही थी.
"रमा तू सफाई कर ले तब तक पूनम मेरे साथ है"
रमा अंदर चली गयी. पूनम लंड चूसे जा रही थी. कुछ देर बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया. मैं ज़मीन पर बिछे गद्दे पर लेट गया और पूनम को अपने चेहरे पर बिठा लिया और फिर उसकी .चूत चाटने लगा. वो कामुकता की आग में झुलस रही थी और "आह.... आह" की आवाज़ के साथ मज़े ले रही थी. कभी धीरे तो कभी तेज़, कभी उसकी भागनासा चाटता. 5 मिनिट की चूत चटाई के बाद ओ भी झड़ गयी.
2 मिनिट के आराम के बाद मैं पूनम के उपर चढ़ गया और अपना लंड उसकी चूत पर मलने लगा. वो गीली होने लगी.
"साहिब... डाल दो... और चोदो मुझे"
मैने लंड पर थूक मला और उसकी चूत पर टिकाया. फिर एक ज़ोर से झटका मारा. उसकी चूत इतनी गीली थी की मेरा लंड एक ही झटके में पूरा उसके अंदर समा गया. वो खुश हो गयी और मुझसे लिपट कर चुदने लगी.
मैं उसे मस्त चोद रहा था. लंड के साथ मेरे टटटे भी हिल रहे थे. टटटे हिल-हिल कर उसकी गांड पर तबला बजा रहे थे.
मैं उसे चूमने लगा. बदले में वो भी मुझे चूमती. आधे घंटे की चुदाई में वो 3 बार झड़ी. फिर मैं भी उसकी चूत में छूट गया.
हम दोनो चिपक कर सो गये. कुछ देर बाद रमा ने हमे उठाया.
"पूनम, उठ जा.... दूसरे घर में जाना है काम करने"
पूनम मुझे उठने को बोली तो मैं नही उठा.
"रमा, पूनम मेरा बच्चा अपने पेट में पाल रही है..... अब वो काम नही करेगी. ये सुबह सिर्फ़ मेरे पास आएगी. नंगे होके चुद्ने... पैसों की चिंता मत करना. मैं तुझे हर महीने 20,000 दूँगा... इतना ये बेचारी महीने में चार घर जाकर नही कमा पाती है"
"मगर साहिब..."
"अगर-मगर कुछ नही... अब जा"
रमा चली गयी और मैं पूनम के साथ चिपक कर सो गया.
घंटे भर बाद मैं उठा और पूनम को चूम लिया. मेरा मन उसके साथ जंगली सेक्स करने का किया. मैने लंड उसकी चूत में घुसेड़ा और फिर उसके गाल पर ज़ोरदार थप्पड़ रसीदा. वो घबराकर उठी.
"उठ... साली रान्ड... घोड़े बेच कर सो रही है... रंडी छिनाल"
ओ थोड़ा घबरा रही थी.
"छिनाल... साली... गैर मर्द का बच्चा अपने पेट में लेकर बेशर्मी से दुनिया भर में घूमती है... रुक तू... आज ऐसा चोदून्गा तेरी आने वाली 7 नसलें याद रखेंगी"
वो समझ गयी मैं किस मूड में था.
"चोद मुझे साले भड़वे.... घोड़े जैसा मूसल लेकर आया है दुनिया में... साले कितनी नाजायज़ औलदें है तेरी इस दुनिया में... एक तो मेरे अंदर ही पल रही हैं... चोद मुझे और दिखा अपनी मर्दानगी"
मैं उत्तेजित हो गया और सटा-सट चोदने लगा.
"साली... मेरे लंड की प्यासी थी तू... अब 20000 में मैने तेरी सास से खरीद लिया तुझे... अब रोज़ सिर्फ़ चुदने आना है तुझे... साली पति के लंड खुशी नही मिली तुझे और अपने बच्चे के बाप से बोलती है मर्दानगी दिखा"
मैने अब चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.
"हाँ... चोद... चोद... चोद मुझे... बना मेरी चूत का भोसड़ा"
"छिनाल.... जो एक से चुदे वो रानी... जो गैर से चुदे वो रंडी... बता जो गैर से चुदे कौन?... बता साली रान्ड जो गैर से चुदे वो कौन?"
और वो बोल पड़ी "रंडी... रंडी... भड़वे साले तूने मुझे रंडी बना दिया"
उसकी चूत अब इतनी गीली थी की चुदाई से फ़चफ़चफ़चफ़च की आवाज़ आ रही थी.
"पूनम कौन... पूनम कौन"
"पूनम है रंडी... पूनम है रंडी.... पूनम है तेरी रंडी"
मैने चुदाई और तेज़ कर दी. फिर वो और मैं एक साथ झड़ गये. उसके बाद पूनम घर चली गयी और मैं अपने दफ़्तर.
पूनम और मेरी चुदाई यूँ ही चलती रही. वो रोज़ सुबह मेरे पास आती, हम चुदाई करते, फिर वो मेरे लिए खाना बना देती और एक बार फिर हम चुदाई करते और फिर वो चली जाती.
ऐसे करते हफ्ते बीत गये. धीरे-धीरे उसका पेट भी फूलने लगा. मेरा बच्चा उसकी कोख में बड़ा हो रहा था. मैं चुदाई करते समय सतर्क हो गया की अपने बच्चे को नुकसान ना पहुँचाऊन. जब वो आती तो मैं उसका पेट अपने चेहरे से लगा कर उसे प्यार करता. कुछ देर उसका पेट सहलाता और फिर उसे चोदता.
हफ्ते ऐसे ही बीत गये. एक दिन वो नहीं आई और रमा भी नही. मेरा लंड पूनम को तरस रहा था. उस दिन मैने मूठ मार कर काम चलाया.
अगले दिन रमा आई तो मैने उससे पूछा
"रमा, पूनम कहाँ है... कल भी नही आई थी"
रमा मुस्कुराई
"साहिब, पूनम ने कल सुबह जन्म दिया एक लड़के को... आप बाप बन गये हो"
मेरी खुशी का ठिकाना ना रहा.
"सच रमा... मैं बाप बन गया"
"हाँ साहिब... लेकिन आपको ये राज़ रखना होगा"
"बिल्कुल"
"साहिब... मेरा पोता जब पैदा हुआ सब औरतों ने उसकी नुन्नि देख कर कहा की अपनी घरवाली को बहुत खुश रखेगा... आपका लंड ज़रूर विरासत में मिला है उसे.... लेकिन साहिब पूनम अभी माँ बनी है... तोड़ा वक़्त दीजिए उसे"
रमा काम करके चली गयी. अगले कई दिनो तक मैं पूनम के बारे में ही सोच रहा था. उसे सोचकर मूठ मारता रहा. मेरा मन रंडी चोदने का भी नही किया.
पूनम ने मेरे दिल में जगह बना ली थी. मैं उसी के बारे में सोचने लगा. ऐसा करते करीब एक महीना बीत गया. एक सुबह जब मैने दरवाज़ा खोला तो सामने रमा और पूनम खड़ी थी. पूनम अपने हाथों में हमारा बच्चा लिए थी. पूनम जैसे ही अंदर आई मैने बच्चे को देखा और उसे चूम लिया.
"बिल्कुल तुझ पर गया है पूनम"
"हाँ साहिब... लेकिन आप से जो उसे मिलना चाहिए था, वो मिला है."
हम दोनो मुस्कुराए.
"पूनम... बहुत मन हो रहा है..."
"साहिब, मैं तो झुलस रही हूँ... मुझे छोटू को ज़रा सासू माँ को देने दीजिए"
मैं तब तक चड्डी उतारकर नंगा हो गया. पूनम जब आई तो मेरे लंड पर टूट पड़ी.
पहले नीचे झुक के मेरे लंड को पकड़ कर चूम लिया. फिर मेरे मूतने वाले छेद को अपनी जीभ से छेड़ने लगी. मैं पूरे मज़े ले रहा था. पूनम के बाल सहला कर उसे और चूसने को प्रेरित कर रहा था.
"साहिब, आप नही जानते आपके इस शेर ने मुझे क्या दिया है. मुझे औरत होने का सुख दिया है. मुझे माँ बनाया है. मैं आज से सिर्फ़ इसकी पूजा करूँगी"
"वो तो तू कर रही है, मेरी जान. लेकिन तुझे भी ये जो प्रसाद तुझे देगा खाना पड़ेगा."
"हाँ साहिब, ज़रूर खाऊंगी"
मैने उसे उपर उठाकर चूम लिया. फिर प्यार से उसकी एक चूची मसल दी. चूची से दूध की धार बहने लगी.
"पूनम तू तो दूध देने लगी है रे"
"साहिब माँ बनी हूँ तो दूध तो दूँगी ही... आप ही लंड का सब कमाल है... आज सुबह ही छोटू को पिला के आई हूँ यहाँ"
"तो क्या मुझे पिलाएगी थोड़ा?"
"पीलीजिए साहिब.... आपको मैं कैसे कुछ भी मना कर सकती हूँ"
"आजा बैठ जा मेरे लंड पे"
पूनम आकर मेरे लंड पर बैठ गयी.
"साहिब... तरस गयी थी आपके लंड को अपनी चूत में लेने के लिए.... मेरा दूध पीने के बाद मुझे कस के चोद दीजिए"
मैने उसके होंठ चूमे फिर झुक कर उसकी एक चूचुक मुँह में ली और चूसने लगा. गरम दूध की धार मेरे मुँह में आने लगी और मैं उसका दूध पीने लगा. बड़ा ही स्वादिष्ट दूध था.
"पूनम तेरा दूध बड़ा ही स्वादिष्ट है.... मुझे रोज़ पिलाएगी?"
"साहिब आप जितना चाहो उतना पी लेना"
करीब 10 मिनिट तक मैने स्तनपान किया. फिर मैने उसको फिर से चूम लिया और फिर चुदाई चालू कर दी.
"हाँ साहिब, चोदो मुझे.... चोदो मुझे.... चोदो... चोदो... चोदो.... चोदो अपनी कुतिया को... चोदो अपनी रंडी को... गैर मर्द के बच्चे को जनम दिया है मैने... मैं रंडी हूँ... पूनम है रंडी... पूनम है रंडी"
पूनम की कामुक बातें सुन कर मैं कस के पेलने लगा. पूनम की आवाज़ आसमान छू रही थी. इतनी ज़ोर से चीखी की रमा कमरे में आ गयी.
"आराम से बहू... आस-पड़ोस वाले सब आ जाएँगे"
"सासू माँ... शुक्रिया... क्या मुस्टंडा ढूँढा आपने अपनी बहू के लिए... सास हो तो आपके जैसी... गर्व है मुझे की इस लंड ने मुझे माँ बनाया है"
पूनम की बात सुनकर मैं भी खुद को रोक नही पाया. मैने अपना लंड उसकी चूत से निकल कर उसके मुँह में दे दिया.
"ले पूनम... तेरा प्रसाद"
मैं उसके मुँह में छूट गया और मेरे वीर्य के घूँट पी गयी.
मैं आराम करने लगा और पूनम भी. रमा पूनम को सहलाने लगी.
"उठ पूनम, मुझे दूसरे घरों में भी जाना है"
"रमा रुक जा.... कुछ बात करनी है"
"क्या साहिब, कहिए"
मैने पूनम को उठाया.
"देख रमा... पूनम ने मेरे दिल में अपनी ख़ास जगह बना ली है... उसके लिए मेरे मन में लगाव है... उसे चोदे बिना मैं नही रह सकता... इसलिए मेरा प्लान सुनो... कुछ दिनो में मैं अपने पुरखों की हवेली में शिफ्ट करूँगा... मैं अकेला रहूँगा वहाँ... लेकिन नौकर-चाकर की ज़रूरत पड़ेगी मुझे... इसलिए तू, पूनम और तेरा बेटा मेरी हवेली में शिफ्ट हो जाओ.... तुम्हे तनख़्वा मैं अभी की टीन गुणी दूँगा... लेकिन सबसे ज़रूरी बात... पूनम मेरी रखैल बन कर रहेगी"
"साहिब ये आप क्या कह रहे हैं? ऐसे तो आपका और पूनम का रिश्ता राज़ नही रहेगा"
"हाँ... तो अपने नामर्द को बताओ की उसकी बीवी को कलि से फूल किसने बनाया है... कौन है उसके बच्चे का असली बाप"
"लेकिन साहिब..."
"रमा... मान जा नही तो ये राज़ सारी दुनिया को पता चल जाएगा... फिर पूनम मेरी हो ही जाएगी"
"साहिब, ये ग़लत है"
"ग़लत नही है रमा... मैं बस पूनम को अपना बनाना चाहता हूँ... मेरा लंड और पूनम की चूत एक दूजे के लिए बनी है.... और मैं पूनम को मुफ़्त में नही माँग रहा... पूनम के बदले एक अच्छी ज़िंदगी, अच्छा पैसा और घर मिल रहा है तुझे.... रही बात पूनम की, तो पूनम बता दे अपनी सास को तू क्या चाहती है"
पूनम शर्मा कर बोली.... "साहिब, आप जानते हो... सासू माँ मेरी तक़दीर यही है... आपकी बहू, साहिब की रखैल"
"साहिब मेरा बेटा बाहर है... 2 हफ्ते बाद आएगा... आप उससे बात कर लो"
"ठीक है, रमा.... तू जा अब... पूनम और मुझे कुछ अकेले पल बिताने दे"
रमा चली गयी और तभी छोटू के रोने की आवाज़ आई.
पूनम उसे लेकर मेरे पास आई.
"भूखा है छोटू... आय मेरा राजा... दूद्धू पीएगा माँ का"
उसने उसे अपने स्तन से लगाकर दूध पिलाया.
अगले २ हफ्ते ऐसे ही चला. एक दिन पूनम बोली.
"साहिब,मेरा पति आ गया वापस"
"तो कब बात करूँ उससे"
"कल.... चूतिया, रो रहा था जब बताया की वो हमारे बच्चे का बाप नही है... साला नामर्द"
"पूनम, तू कल भड़कीली लाल साड़ी पहन कर आना.... और छोटू को भी रमा के पास छोड़ आना"
"ठीक है साहिब"
अगले दिन पूनम लाल साड़ी पहन कर आई. साथ में पति राकेश को भी साथ लाई.
मैं सोफे पर बैठ गया और दोनो को बैठने को कहा. दोनो बैठ गये.
"पूनम मेरे पास आकर बैठ"
पूनम मेरे पास आकर बैठी. मैने उसका पल्लू सरकाया और उसके नंगे पेट को सहलाने लगा और उसकी टुंडी में उंगली डाल कर खेलने लगा.
"तुझे पता है मैने तुझे यहाँ क्यूँ बुलाया है?"
"हाँ साहिब"
"तो तू तैयर है?"
"साहिब, बहुत अजीब है ये प्रस्ताव"
"कुछ अजीब नही है, राकेश... तुझे पता है पूनम मेरे पास क्यों आई थी?"
"साहिब, वो मेरा बीज कमजोर है इसलिए वो आपके पास माँ बनने आई थी"
"बिल्कुल... लेकिन माँ बनने के बाद भी क्यों आती रही?"
"साहिब, वो...."
"पूनम, तू बताना चाहेगी"
पूनम मुस्कुराई.
"क्योंकि साहिब ने मुझे बच्चे के अलावा एक और चीज़ दी जो तुम ना दे सके.... औरत होने का सुख"
मैने पूनम को चूम लिया.
"राकेश... तू अब नंगा हो जा"
"क्या साहिब?"
"चूतिए... समझ नही आया जो साहिब ने बोला... कपड़े उतार के नंगा हो जा" पूनम बोली
वो कपड़े उतारकर खड़ा हो गया. उसका 2.5 इंच का लंड खड़ा देखकर मुझे हँसी आ गयी.
"साहिब, आपका लंड देखने, चखने, चूसने और अपनी चूत उससे चुदवाने के बाद अब इस लुल्ली पर मुझे भी हँसी आती है"
मैं पूनम का चेहरा पकड़ा और प्यार से उसके होंठ चूमने लगा. कुछ मिनिट चूमने के बाद अपनी जीभ से उसकी जीभ चाटने लगा. हमारी जीभों में घमासान युद्ध होने लगा. मैने देखा राकेश अपने 2.5 इंच के खड़े लंड को ज़ोर से हिला रहा है.
मैं पूनम के पेट को सहलाने लगा. फिर उसे गोद में उठा कर राकेश के पास ले गया.
"ये देख राकेश... तेरी बीवी का पेट... जिसमे मेरा बच्चा 9 महीने तक पला"
"देख चूतिए, तेरी नामर्दानगी का सबूत और मेरे और साहिब के प्यार की निशानी... मेरे इसी पेट में पली"
वो और ज़ोर से हिलाने लगा.
फिर मैने पूनम की साड़ी उतार कर अलग कर दी. फिर उसका ब्लाउस उतारा और पेटिकोट का नाड़ा खोल कर पेटिकोट नीचे सरकने दिया. फिर प्यार से उसकी ब्रा और पैंटी उतार के अलग कर दी.
पूनम राकेश से बोली, "देख मेरे बदन को... तेरे साथ थी तो लड़की थी... साहिब ने मुझे औरत बनाया... फिर माँ बनाया... और अब मुझे खुशी है ये मुझे अपनी रखैल बनाना चाहते हैं"
"पूनम, सोफे पे जाकर कुतिया बन जा"
वो सोफे की तरफ बढ़ने लगी. मैं जल्दी से रसोई से भगोना लेकर आ गया.
वो कुतिया बनी बैठी थी. मैने भगोना उसकी लटकती चूचियों के नीचे लगाया. फिर दोनो चूचियाँ पकड़ के दबा-दबा कर दूध निकालने लगा. उसका दूध भगोने में गिरने लगा.
"देख साले नामर्द... तेरी बीवी को गाय की तरह इस्तेमाल कर रहा हूँ... इसका दूध दूह रहा हूँ"
"हाँ साहिब, मसलो.... मसलो मेरी चूचियों को मसलो... निकाल लो मेरा सारा दूध"
जब काफ़ी दूध इकट्ठा हो गया तो मैने उसे दुहना बंद कर दिया. फिर भगोना मुँह से लगाकर उसका सारा दूध पी गया.
"राकेश... मैं तेरे सामने तेरी बीवी के पेट से खेला, उसको जी भर के चूमा, फिर तेरे सामने उसे नंगा किया और फिर उसे दूह के उसका सारा दूध पी गया... तुझे पता है मुझे वो ऐसा क्यों करने देती है?"
उसने न में सर हिलाया. मैने उसकी न देखते ही अपनी चड्डी उतार दी और पूनम ने मेरी लुल्ली पकड़ ली.
"देख इसे, चुतिये... साहिब की लुल्ली तेरे खड़े लंड से लंबी और मोटी है... अब समझ आया मैं क्यों साहिब की रंडी बन चुकी हूँ?... अब मैं इसे अपने मुँह में लेकर चूसूंगी और इसे मर्दाना लंड बनाऊँगी"
पूनम मेरी लुल्ली चूसने लगी. कुछ ही देर में मेरा औज़ार पूरे शबाब पर था. मैने पूनम का चेहरा पकड़ कर उसकी मुँह चुदाई चालू कर दी.
"देख... तेरी बीवी कैसी दीवानी है मेरे लौड़े की... कितने प्यार से मुझे चूस रही है"
पूनम मेरे लंड को चूस्ती रही. मैं राकेश को इस बात का एहसास दिलाता रहा.
अचानक पूनम बोली, "उधर क्या खड़ा है लल्लू जैसा... इधर आ"
राकेश हमारे पास आया.
"ये पास से देख साहिब के मर्दाना लंड को... कितना मोटा है और लंबा... साहिब के लंड की नसें देख... नदियों जैसी बह रही हैं"
फिर उसने उसका हाथ मेरे लंड पर रख दिया.
"यकीन हुआ... तेरी लुल्ली का कोई मायना नही मेरी ज़िंदगी में. यह लंड ही मेरी तक़दीर का फ़ैसला करेगा. इसलिए खूब चुदून्गी... ढेर सारे बच्चे पैदा करूँगी... और तुझे उनका बाप बताकर दुनिया को बेवकूफ़ बनाऊँगी... साहिब, अब और इंतज़ार नही कर सकती... चोदो मेरी शादी-शुदा चुदक्कड़ चूत को"
मैं पूनम को कस्के पकड़ लिया. उसको चूमा, फिर अपना लंड डाल दिया उसकी चूत में. और चुदाई चालू हो गयी.
पूनम "आह.... आह" की आवाज़ निकालने लगी. उसकी चूत बुरी तरह से गीली थी. जल्द जी फ़च-फ़च की आवाज़ हमारे मिलन से आने लगी.
"साहिब, आज अच्छा मौका है... मेरी माहवारी ख़त्म हुए 2 हफ़्ता हो गया है... जिस दिन छोटू को लेकर आपके पास पहली बार आई थी, उसी दिन ख़त्म हुई थी... इसकी नामर्दानगी के दूसरे सबूत का बीज बो दो मेरे अंदर, साहिब"
मैने चुदाई तेज़ कर दी.
मेरे झूलते टटटे अब उसके पौंदो पर तबला बजा रहे थे. उसे भी खूब आनंद आ रहा था. तभी उसने अपने नाख़ून मेरी पीठ पर गढ़ा दिए. उसकी चूत मेरे लंड को भींचने लगी. पूनम चीख पड़ी
"साहिब, मैं... मैं छूट रही हूँ.... मैं छूट रही हूँ... आआआह."
वो मुझसे चिपक कर छूटने लगी.
"देखा चूतिए... कैसे मैं छूटी हूँ साहिब के लंड पे... ये होता है असली मर्द... जो औरत को सुख दे सके... साहिब, अब आप मुझे चोदो और मेरे अंदर अपना माल निकाल कर फिर से माँ बना दो अपने बच्चे की... चोदो मुझे... चोदो अपनी घरेलू चुदक्कड़ रंडी को"
मैने उसे चूम लिया और चुदाई तेज़ कर दी.
"चोदो चोदो चोदो चोदो....चोदो मुझे... चोदो मुझे... अपनी रखैल को अपने महान लंड से आशीर्वाद दो साहिब"
मैं उसे चोदे जा रहा था. चुदाई से हमारे बदन पसीने से तर गये.
"राकेश... ज़रा मेरे टटटे सहला... तेरी बीवी को ढेर सारा माल दूँगा"
वो मेरे टटटे सहलाने लगा. पूनम इस बीच फिर से छूट गयी.
"चूतिए... हमारा बच्चा अभी साहिब के टट्टों में है... और अच्छे से सहला साहिब के टटटे... एक काम कर... दोनो टटटे बारी-बारी से चूस... साहिब से कोई शिकायात नही चाहिए"
उसने वैसे ही किया. मेरे टटटे चूसने लगा. मैं भी छूटने वाला था. मैने पूनम को जकड़ लिया और उसकी चूत में अपना सारा माल छोड़ दिया. फिर पूनम और मैं एक दूसरे से चिपक गये.
थोड़ी देर बाद हम उठे. राकेश वहीं बैठा था.
उठके मैने पूनम को चूमा. फिर राकेश को बोला...
"राकेश, तुझे मुझसे डरने की ज़रूरत नही है... मैं सिर्फ़ पूनम को चाहता हूँ अपनी रखैल के तौर पर. दुनिया के लिए वो तेरी बीवी है लेकिन मेरे घर में वो मेरी रखैल पहले है, फिर तेरी बीवी. मैं पूनम के साथ ढेर सारे बच्चे पैदा करूँगा. दुनिया के लिए उन बच्चों का बाप तू रहेगा. अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का खर्चा मैं उठाऊँगा. रहा सवाल तेरी चुदाई का तो महीने में 3 बार तेरे लिए एक रंडी का इंतेज़ाम हो जाएगा.... बोल... मंज़ूर है?"
"साहिब... मेरे पास और कोई चारा भी नही है"
"तो चल... आ और अपनी बीवी का पेट चूम... इसमे सिर्फ़ अब मेरे ही बच्चे पलेंगे"
वो आकर पूनम का पेट चूमने लगा. मैं तब तक कैमरा ले आया. स्टैंड पर फिक्स किया. 10 सेकेंड का टाइमर लगा कर मैं पूनम के पीछे आ गया. अपना लंड उसकी चूत में डाला और उसकी चूचियाँ पकड़ ली. उसके हाथ मेरे हाथों को पकड़े थे. राकेश उसका पेट चूम ही रहा था. इस ही अवस्था में फोटो खिच गयी.
उस फोटो में जो हमारी अवस्था थी, वही हमारे रिश्ते की पहचान बनी. कुछ दिनो में हम सब मेरी हवेली में चले गये. इन 20 सालों में पूनम मेरी रखैल बन कर रही है. हमारे 11 बच्चे हैं जिसमे एक बार पूनम ने जुड़वा बच्चे पैदा किए. 12वाँ बच्चा उसकी कोख में पल रहा है.
मेरे सबसे बड़े बेटे को पता चल चुका है की उसका और उसके भाई-बहनों का असली बाप मैं हूँ. राकेश के लिए महीने में तीन बार रंडी का इंतेज़ां आज भी करता हूँ. अपने सभी बच्चों की पढ़ाई का खर्चा मैं उठाता हूँ.
पूनम आज भी मेरे साथ रोज़ चुदाई करती है. उसकी आग कभी ना शांत होने वाली है. उसने इन 20 सालों में बखूबी एक रखैल का कर्तव्य निभाया है.
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