Rang Mahal

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dil1857
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एक उंगली घुसते हुए बोला.

विजय का हाथ पानी गंद पर महसूस कर शीला समझ गयी की उसका
भाई उसकी गंद भी मारना चाहता है, "क्या मेरी गंद मरने का इरादा
है?"

"तुम्हे गंद मरने के विषय मे किसने बताया?" विजय ने उससे पूछा,
वो मान ही मान सोचने लगा की कहीं शीला पहले सिर्फ़ गंद तो नही
मरवा चुकी.

"एक सहेली ने और सुनीता दीदी ने." शीला ने जवाब दिया.

"विजय पीछे से उसकी टाँगों के बीच आ गया और उसकी गंद को
चूमने लगा, और अपनी ज़ुबान उसकी गंद के छेड़ पर घूमने
लगा, "और क्या बताया मेरी जान?"

शीला को विजय के मुँह से निकलती गर्म साँसे उसे अपनी गंद पर
बहोट आक्ची लग रही थी. उत्तेजना मे उसने अपनी टॅंगो को और फैला
दिया जिससे विजय को आसानी हो सके.

"सुनीता दीदी ने मुझे बताया की एक तो गंद मरवाने से गार्ब रह जाने
का ख़तरा नही रहता. उन्होने ये भी बताया की शुरू मे दर्द तो बहोट
होता है पर बाद मे मज़ा भी उतना ही मिलता है." कहकर शीला ने
अपने कूल्हे तोड़ा उपर को उठा दिया.

"क्या गंद मरवाना चाहोगी?" विजय ने उसकी गंद मे उंगली घुसते हुए
पूछा.

शीला ने मूड कर अपने भाई की और देखा, "भैया आप आराम से
करेंगे ना मुझे ज़्यादा तकलीफ़ तो नही होगी ना."

"तुम इसकी बिल्कुल चिंता मत करो में बड़े प्यार से करूँगा," विजय
ने कहा.

विजय ने उसकी गंद का चूमा लिया और अपना हाथ उसकी छूट पर रख
दिया जो पहली चुदाई के कारण थोड़ी सूज गयी थी. वो चाहता था की
शीला अपने पूरे मान से गंद मरवाए और शायद यही सोच कर उसकी
छूट से खेलने लगा शायद गरम होने से वो खुद ही अपने आप कहे.

विजय ने देखा की शीला की कोई प्रतिक्रिया नही हो रही थी, "बोलो
ना मेरी जान गंद मर्वानी है या नही?"

"भैया एक दिन तो इसका भी मज़ा लेना ही है, आपसे या फिर अपने पति
से तो फिर आज ही क्यों ना गंद मरवाने का मज़ा लूट लूँ." थोड़ी देर
सोचने के बाद शीला ने कहा.
"पर भैया तोड़ा धीरे धीरे करना."

विजय ने शीला को बिस्तर के किनारे पर खड़ा कर उसे घोड़ी बना
दिया. उसके सिर के नीचे तकिया लगा दिया और उसकी टॅंगो को फैला
दिया. फिर उसकी गंद को सहलाते हुए छेड़ पर क्रीम लगाने लगा.
थोड़ी क्रीम अपनी उंगली मे ले उसने उंगली गंद के अंदर घुसा दी और
अंदर के हिस्से को चिकना करने लगा.

जैसे ही विजय की उंगली उसकी गंद मे घुसी शीला को हल्का सा दर्द
हुआ पर वैसा नही जैसा उसने सुना था. थोड़ी देर मे उसे विजय की
उंगली अपनी गंद मे आक्ची लगने लगी.

विजय ने भी महसूस किया की शीला को भी अब मज़ा आने लगा है.
जिस तरह से उसकी उंगली बड़ी मुश्किल से उसकी गंद मे गयी थी उसे
पक्का यकीन हो गया की आज तक इस उंगली के अलावा शीला की गंद मे
कुछ नही घुसा है.

उसने अपनी उंगली उसकी गंद से निकल ली और अपने लॉड को पकड़ कर
गंद के छेड़ पर रख दिया. उसने ज़ोर लगाकर अपना लंड अंदर घुसने
की कोशिश की पर छेड़ इतना तंग था की उसका सूपड़ा भी अंदर नही
घुस पाया.

विजय ने थोड़ी सी और क्रीम लेकर उसकी गंद पर अची तरह लगाने
लगा. अब वो साथ ही उसकी छूट मे भी उंगली घुसा अंदर बेर कर
रहा था.

विजय ने अब शीला के चुतताड को तोड़ा फैलाया और अपने लंड को और
ज़ोर लगाकर अंदर करने लगा.
शीला दर्द का मारे मारी जेया रही थी. बड़ी मुश्किल से वो अपनी
चीख को मुँह मे दबा पाई. विजय ने तोड़ा और ज़ोर लगाकर अपना
सूपड़ा अंदर घुसा दिया. विजय शीला के दर्द की परवाह ना करते हुए
अपने लंड को तोड़ा तोड़ा अंदर घुसने लगा.

जब करीद आधा लंड अंदर घुस गया तो विजय थोड़ी देर के लिए रुक
गया जिससे शीला की गंद उसके लंड को आक्ची तरह अड्जस्ट कर सके.
वो शीला को ज़्यादा तकलीफ़ नही देना चाहता था. वो उसकी पीठ और
चूतड़ शेला कर उसे आराम देने की कोशिश करने लगा.

थोड़ी देर मे ही शीला की साँसे शांत हो गयी और उसका बदन तोड़ा
ढीला पड़ने लगा. विजय ने शीला को शांत होते देखा तो दो टीन
छोटे ढके लगा अपने लंड को और अंदर घुसा दिया.

शीला के मुँह से एक दर्द भारी चीख नाइकल पड़ी. उसने बिस्तर की
चादर को जोरों से पकड़ लिया और चिल्ला उठी, `ऊऊऊऊओ
हाईईईईईईईईईई मार गाइिईईईईई."

"ऑश भाइईईईया चूओद दीजिए मेरी गंद फात गई है बाहर
निकाल लो अपनी लंड को��.." शीला रोते हुए बोल पड़ी, उसकी आँखों
से लगातार आँसू बह रहे थे.

विजय ने फिर भी उसकी चीख की परवाह नही की और ज़ोर का धक्का
मार अपने लंड को पूरा पूरा अंदर घुसा दिया. उसे याद है आंटी ने
उसे बताया था की अगर ऐसे वक़्त मे वो अपना लंड किसी की गंद से
बाहर निकाल लेगा तो डॉडरा वो उस गंद को नही मार पाएगा.

उसकी आंटी ने उसे समझाया था की कुँवारी लड़की की गंद मरते वक़्त
शुरू मे दर्द होता है और वो कितना भी चिल्लाए "निकालो निकालो" पर
तुम अपना लंड बाहर नही निकालना, कारण 3 4 मिनिट के बाद उन्हे
इतना मज़ा आएगा की वो रोज़ तुमसे गंद मरवाना खुद चली आएगी.

विजय ने आंटी की बातें याद कर शीला को बिस्तर पर दबा दिया
था और अपने लंड को सूकी गंद के अंदर घूमने लगा.

शीला से दर्द सहन नही हो रहा था, वो अपना सिर इधर उधर पटक
रही थी, फिर विजय की और देखते हुए बोली, "प्लीज़ छोड़ दो मुझे
तुमने तो कहा था की प्यार से करोगे पर तुमने अपना वादा तोड़ दिया."

"नही मेरी जान��..शुरू में तो हमेशा थोड़ी तकलीफ़ होती ही है,
तुम तोड़ा साबरा से काम लो." विजय धीरे से बोला और अपना हाथ उसके
बदन के नीचे से कर उसके ममो को सहलाने लगा, साथ ही उसके
निपल भी भींचने लगा.

विजय उसके छूतदों के बीच अपना लंड फँसे उसकी गंद को भी
सहला रहा था. वो इंतेज़ार कर रहा था की कब शीला का दर्द कम हो
और उसे भी मज़ा आने लगे.

आख़िर शीला का दर्द कम हुआ और उसने अपने शरीर को ढीला छोड़
दिया.

शीला ने महसूस किया की अब उसकी गंद मे दर्द नही हो रहा है, और
उसे लंड का एहसास भी अक्चा लगने लगा था. हल्का हल्का दर्द अब भी
हो रहा था पर उसे मज़ा भी आने लगा था.

विजय ने जाने के लिए थोड़े हल्के धक्के मरने शुरू किए. शीला
भी अब उत्तेजना मे आती जेया रही थी, उसके मुँह से हल्की से सिसकारी
नकली और उसने विजय के हहतों को अपने चुचि पर दबा दिया.

विजय उसकी इस हरकत को देख मुस्कुरा पड़ा और अपने लंड को उसकी गंद
के अंदर बाहर करने लगा.

उत्तेजना मे शीला ने अपनी आँखे बंद कर ली और खुद अपनी चुचियों
को मसालने लगी. उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारियाँ निकल रही थी.

विजय ने उसके चुतताड पकड़े और अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी.

"ओह बाऐिया ओह हाआँ," शीला सिसक पड़ी.

करीब 10 मिनिट के बाद विजय के अंडकोषों मे तणनव उठने लगा और
उसने अपना वीर्या शीला की गंद मे छोड़ दिया. जब उसके लंड वीर्या की
एक एक बूँद निकल गयी तो वो शीला की पीठ पर "माज़ा आ गया"
कहकर लुढ़क गया.

थोड़ी देर सुसताने के बाद विजय ने करवट बदली और अपने लंड को
शीला की गंद से बाहर निकल लिया. फिर बिस्तर की चादर से पहले
अपने लंड को पौंचा और फिर शीला की गंद भी साफ कर दी.

विजय ने धीरे से सहारा देते हुए शीला को बातरूम मे ले गया और
उसे आक्ची तरह से सॉफ किया जिससे चुदाई का कोई नामो नैशन बाकी
ना रह जाए.

बातरूम से बाहर आने के बाद विजय ने बिस्तर की चादर बदल डी
और शीला ने सॉफ स्लीपिंग गाउन पहन कर बिस्तर पर लेट गयी.
विजय ने उसके होठों को चूमा और अपने कमरे मे आ गया.

शायद संजोग ही था की जैसे ही नहाने के लिए बातरूम मे घूसा
उसने अपनी मा और सुनीता को घर मे घुसते सुना.

*******

अजय आज खुश नही था. बारिश की वजह से कोई धनदा नही हुआ
था. आज तो वो घर भी देरी से पहुँचा कारण रास्ते मे ट्रॅफिक
इतना जाम था और उपर से वो रह चलती वैश्या जिसे वो सुनीता
बुलाता था आ गयी थी.

मंगलवार की शाम को तो जैसे नियम ही बन गया था, वो एयेए जाती
थी अजय से छुड़वाने के लिए. अजय भी उसे अपनी बेटी सुनीता
समझता और अपने मान की चुदाई की हर कल्पना को पूरा करने की
कोशिश करता. वो भी उसका पूरा साथ देती थी पर उसने कभी अजय
को अपनी गंद मरने नही दी. सवाल था पैसों का.

"पिताजी अगर लंड गंद मे डालने का इतना शौक है तो मेरी कीमत
बदह दो?" उसने उसकी गंद मे उंगली करते विजय से कहा.

"तुम तो पहले भी कई बार गंद मरवा चुकी हो? में क्यों पैसे ज़्यादा
दो" विजय ने उससे कहा. दोनो बंद दुकान के अंदर ओर्ड बोर्ड के
डिब्बों पर लेते हुए थे.

"हन कई लोग मेरी गंद मरते है, पर उसके लिए वो ज़्यादा पैसा देते
हैं मेरी जान," कहकेर उसेन कॉंडम पहने उसके लंड को अपनी छूट के
मुँह से लगा दिया.

चुदाई का दौर मस्त गुज़रा था, वो उसे पिताजी बुलाती थी और वो उसे
सुनीता बेटी.

जब अजय वैश्या सुनीता की छूट मे अपना पानी छोड़ रहा था उसी
वक़्त उसका बड़ा बेटा विजय उसकी छोटी बेटी शीला की गंद मे अपना
पानी छोड़ रहा था.

और जब ये दोनो जगह चुदाई का दौर चल रहा था राज ट्रॅफिक मे
फँसा हुआ था. उसका लंड पूरी तरह से उसकी पंत के अंदर टन कर
खड़ा था और उसे उमीद थी की आज तो कम से कम सुनीता उसके लंड
को चूस कर उसका पानी छुड़ा देगी��.. उसी समय सुनीता अपनी मा
सीमा के साथ गोद मे अपनी बची को उठाए पानी भरे रास्तों से
गुज़र रही थी.

श्रीमती सीमा कौल, मिस्टर अजय कौल की धरम पत्नी जो हटते कटे चार
बाकचों की मा थी खुद को पता नही था की वो 46 साल की है या 48.
उसके घर वालों ने कभी इस बात पर ध्यान नही दिया था.

पर उमर जॉब ही दीखने मे वो आज भी काफ़ी जवान दिखाई देती थी.
चार बाकछे पैदा करने के बाद भी सीमा ने अपना फिगर 34-28-26 का
बना कर रखा था. लोग अक्सर धोका खा जाते थे और उसे सुनीता
और शीला की बड़ी बेहन समझ लेते थे.

आज भी कुछ ऐसा ही हुआ था, हॉस्पिटल मे एक जवान डॉक्टर उसके पास
से इस तरह निकाला की उसने उसके लंड को अपनी गंद पर साफ महसूस
किया. सीम इन साब बातों की आदि हो चुकी थी. उसे अपनी सुंदरता
और बदन पर गर्व होता था की आज भी वो मर्दों को रिझा सकती है.

वहीं उसे अपने पति से नफ़रत से होने लगी थी, जो बिस्तर मे घुसते
ही उसपर चढ़ जाता था और दो चार धक्के मार अपना पानी छोड़ देता
था. उसकी छूट प्यासी की प्यासी रह जाती थी. अब वो पहले जैसा नही
था जो किसीस जमाने मे घंटो उसकी छूट की चुदाई किया करता था.
जब वो गैर मर्दों को अपनी तरफ आकर्षित पति तो उसे रहट मिलती की
अजय उसके ढलती उमर की वजह से उसे पूरी तरह संतुष्ट नही करता
बल्कि उसकी खुद की जिस्मानी कमज़ोरी होगी.

घर पहुँचते ही सीमा ने बचो को बिस्तर पर लीटने मे मदद की
फिर अपने कमरे मे आ गयी. उसके कपड़े बारिश मे पूरी तरह से
भीग चुके थे, ठंड के मारे उसका पूरा बदन काँप रहा था.

सीमा ने राज को घर मे आते नही देखा क्यों की वो जल्दी मे थी.
कमरे मे आते ही वो अपने गीले कपड़े उत्तरने लगी. जब वो अपने बदन
को टवल से पॉंच रही थी तो उसे लगा की कोई उसे देख रहा है.
उसेन पलट कर दरवाज़े की और देखा तो पाया की राज उसे घूर रहा
था और उसका एक हाथ अपने लंड को सहला रहा था.

एक बार तो वो राज को देख कर चौंक पड़ी फिर जैसे ही उसने कुछ
कहने के लिए मुँह खोला, राज बोल पड़ा�� "मम्मी तुम बहोट खूबसूरत
हो."

सीमा को खुद को पता नही की क्या हुआ और क्यों हुआ और उसे टवल को
ज़मीन पर गिर जाने दिया, "राज दरवाज़ा बंद कर दो." कहकर उसने
अपना हाथ आयेज बढ़ा दिया.

सीमा चाहती थी की राज अंदर आ जाए पर वो ये देख कर चुआंक पड़ी
राज ने अंदर आते ही कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया था.

"राज?" उसने पूछा, "क्या हुआ है तुम्हे? तुम बीमार तो नही हो?"

राज आयेज बढ़ा और अपनी मा के गले लग गया जैसे एक छोटा बचा
अपनी मा के गले लगता है. सिर्फ़ फराक ये था की इस वक़्त उसकी मा
नंगी थी और वो चुदाई की भूक मे पागल हो रहा था, उसका लंड
उसकी पंत से बाहर आनए को बेताब था. वो अपनी मा की पीठ पर अपना
हाथ सहलाने लगा और बदन से उठती खुसबू का आनंद लेने लगा.

"राज, अपने गीले कपड़े उत्तरो नही तो बीमार पद जाओगे," सीमा ने
कहा और वो आक्ची तरह उसके लंड को अपनी छूट पर महसूस कर रही
थी.

जैसे ही राज ने अपनी गीली शर्ट उत्तरी सीमा उसकी गीले बलों और
छाती को टवल से पौंचने लगी. जैसे ही उसके हाथ उसकी गातीले
बदन पर फिरे उसकी साँसे तेज हो गयी.

सीमा राज को देख रही थी, उसने अपने जूते फैंके और अपनी पंत की
बेल्ट खोल उसे निकाल डी. उसका खड़ा लंड पूरी तरह से ताना हुआ था
और उसकी सेफ कॉटन की अंडरवेर को फाड़ कर बाहर आने के लिए
बेताब हो रहा था��..उसका बेटा अब जवान हो गया था�.. ठीक अपने
बाप की तरह.

सीमा के मान मे भी कई दीनो से दबी चुदाई की प्यास जाग उठी,
भारी सांसो से वो राज के लंड को घूरती रही. उसके मुँह मे पानी आ
गया था. बिना कुछ कहे वो आयेज बढ़ी और राज के सामने घुटनो के
बाल बैठ गयी. फिर उसने उसकी अंडरवेर को नीचे खिसका निकल दिया
और टवल से उसकी टॅंगो को, उसकी जाँघो को, उसके लंड को और उसके
छूतदों को पौंचने लगी.

राज अपनी मा को अपने बदन को पौंचते देखते रहा.

सीमा उसके बदन को पौंचती जेया रही थी, राज की उत्तेजना उससे छुपी
नही थी. वो ये भी समझ रही थी की उसकी नग्नता की वजह से ही
वो उत्तेजित हो रहा है.

सीमा ने टवल को ज़मीन पर गिर जाने दिया और उसके लंड को अपने
हाथों से पकड़ आयेज पीछे करने लगी.

"माआ��ओह�.हन मा��." राज सिसक पड़ा.

उसके लंड से छूटे वीर्या को बड़े प्यार से देखने लगी. फिर वो अपनी
जीब उसके वीर्या को चाटने लगी. उसका खरा और अटपटा स्वाद कई
दीनो से भूके उसके मुँह को बड़ा प्यारा लगा.

सीमा समझ चुकी थी की अब पीछे हटने की कोई गुंजाइश नही थी
इसलिए उसने इस बात पर सोचना दिया और अपना सारा ध्यान राज के लंड
और उसके वीर्या पर लगा दिया. उसने अपना मुँह खोला और उसके लंड को
अंदर ले लिया और चूसने लगी.

राज को विश्वास नही हो रहा था की उसकी अपनी मा उसके लंड को
चूसेगी. उसकी सग़ी और सनडर मा उसके लंड को कभी चूसेगी ये तो
उसने सपने मे भी नही सोचा था.

वो तो घर जल्दी आ गया था और उसे जोरों की भूक लगी थी. वो तो
अपनी मा के कमरे मे खाने के बारे मे पूछने के लिए आया था. मा
के कमरे का दरवाज़ा खुला देख वो चुआंक पड़ा था. उसने तोड़ा सा
दरवाज़ा धकेल अंदर झाँका तो उसने अपनी मा को नंगी अवस्था मे
देखा. उनेक बदन का हर कटाव सॉफ दिखाई दे रहा था. वो एक दम
उसकी बेहन सुनीता की तरह थी, वही भारी भारी छातियाँ, सुडौल
जिस्म और पतली कमर.

आज वो अपने नसीब पर खुश था. जो उसने सपने मे नही सोचा था
वही उसके साथ हो रहा था, उसकी अपनी मा उसके सामने घूटनो के बाल
बैठी उसके लंड को बड़े प्यार से चूस रही थी.

अब सुनीता अपनी माहवारी के समय उसके लंड को नही चूसेगी तो तेल
लेने जाए वो अब उसकी मा उसके पास है और ये बहोट बड़ी बात थी
उसके लिए.

उसे अपने दोस्त बॉब्बी की याद आ गयी जो अपनी मा को बराबर छोड़ता
था और उसने ही ये सब के लिए उसे उकसाया था. आज उसकी कही हर बात
पूरी हो रही थी.

राज ने अपनी मा के सिर को दोनो हाथों से पकड़ रखा था और उसके
मुँह मे धक्के मार रहा था. उसका लंड सीमा के थूक से पूरी तरह
गीला हो चुका था. सीमा बड़े प्यार से अपने बेटे के लंड को अपने
मुलायम हाथों से पकड़ उसके लंड को चूस रही थी साथ ही उसकी
गोलैईयों को भी सहला रही थी. उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी
और पूरा मज़ा ले रही थी.

राज ने अपना लंड सीमा के मुँह से बाहर निकाला और नीचे झुकता हुए
उसके होठों को चूम लिया. फिर उसने सीमा को घूमते हुए घोड़ी
बना दिया.

राज सीमा के पीछे आ गया, उसकी साँसे तेज हो चुकी थी. उसे दर
था की कहीं मा उसे माना ना कर दे, फिर भी हिम्मत कर उसने अपना
लंड अपनी मा की बलों रहित छूट पर रख दिया.

सीमा मुड़कर मादकता मे अपने बेटे को देख रही थी. राज ने एक धक्का
मारा और उसका लंड सीमा की छूट की दीवारों को चीरता हुआ अंदर
घुस गया.

जब लंड पूरी तरह उसकी छूट मे घुस गया तो राज ने सीमा के
चुतताड पकड़ लिया और धक्के लगाने लगा. हर धक्के के साथ वो
अपनी रफ़्तार तेज करता जेया रहा था. उसे दर लग रहा था की कब उसकी
मा का इरादा बदल जाए और वो पीछे हट जाए. उसके खुद के लंड
मे उबाल आता जेया रहा था और वो जल्दी से जल्दी अपना पानी छोड़ देना
चाहता था.

सीमा पहली बार अपने बेटे के लंड का मज़ा ले रही थी. आज कल उसका
पति अजय उसकी चुदाई नही करता था और ना ही उसकी छूट को चूस्टा
और ना ही अपना लंड चूस्वाता था. सीमा को लंड चूसने मे बड़ा
मज़ाअ आता था. शादी के बाद पहली बार जब अजय ने उसके मुँह मे
लंड डाला था तब से उसे लंड चूसना बहोट अक्चा लगता था. जब भी
अजय उसके मुँह मे अपना वीर्या छोड़ता तो वो बड़े प्यार से उसे पी जाती
थी.

राज के लंड का स्वाद भी उसे बहोट अक्चा लगा था. वो उसके लंड का
पानी भी पीना चाहती पर जब राज ने उसे घोड़ी बना उसके मुँह को
चूमा था वो समझ गयी थी राज के इरादे कुछ और है. जब राज ने
अपने लंड को उसकी छूट मे घुसाया तो उसे राज के लंड की गर्मी अपनी
छूट मे बड़ी अची लगी थी.

अब वो राज के हर धक्के का साथ अपने चुतताड आयेज पीछे कर दे रही
थी. कई दीनो से लंड को प्यासी उसकी छूट को आज पूरा मज़ा मिल
रहा था. जिस तरह से राज उसे छोड़ रहा था वो समझ गयी थी की
राज कोई अनाड़ी नही वो पहले भी कई बार चुदाई कर चुका है शायद
कॉलेज मे किसी लड़की की या फिर मोहल्ले मे किसी नौकरानी की या फिर
किसे अपने���.

राज के हर धक्के पर वो सिसक रही थी, "ह राज्ज्ज बेटा और ज़ोर
से ऑश हाआँ और ज़ोर से चूओड़ो फाड़ दो मेरी चूऊत को"

राज का लंड भी पूरी उबाल पर था पहले तो उसकी मा ने उसके लंड को
चूस चूस कर झड़ने के करीब ला दिया और अब उसकी छूट की गर्मी
उसके लंड को और गरमा रही थी. वो भी अब जल्दी ही अपना पानी छोड़ना
चाहता था, "ओह माआ तुम्हारी छूट कितनी गरम है ऑश मेरा तो
छूटने वाला है," राज सीमा के चुतताड पकड़ ज़ोर के धक्के मरते
बोला.

"हाआअँ बीता चूओद दो अपना पानी मेरी चूओत मे हाआँ" कहकर
सीमा ने अपने चुतताड ज़ोर से पीछे की और किए और तभी राज के
लंड ने अपना पानी छोड़ दिया.

जैसे ही राज के लंड का पानी सीमा ने अपनी छूट मे गिरते महसूस
किया उसने अपनी छूट मे उसके लंड को इस तरह जाकड़ लिया की राज के
लंड से एक एक बून नीचूड़ जाए और अपने चूतड़ को जोरों से आयेज
पीछे करने लगी.

"ओह हाआआं आाज मेरी चूओत की प्याअस बुझी है." सीमा
सिसकते हुए बोली और उसकी छूट भी झाड़ गयी.

दोनो ये काम कर तो चुके थे पर एक दूसरे से शरम के मारे आँख
नही मिला पाए. राज ने जल्दी से अपना लंड सीमा की छूट से बाहर
निकाला और अपने कपड़े पहन अपने कमरे मे चला गया और सीमा बिना
कुछ राज से कहे ये उसे देखे बातरूम मे नहाने चली गयी.

To be continued����ï¿

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GizmorGizmorover 10 years ago
I Can't Get A Grip On This

Is this code for a terroeist bombing?

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