रवि, मेरा सौतेला बेटा

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मैंने कहा- जब तूने मेरे इतने अच्छे से पैर दबाए तो मुझे अच्छी नींद कैसे ना आती भला! मैंने एक अर्थ-पूर्ण मुस्कान रवि को दी और वो खुश हो गया।

उसने सुनिश्चित करने के लिए कि वास्तव में मुझे कुछ पता है या नहीं, मुझसे पूछा- मम्मी, आपको पता है कि रात में क्या हुआ? मैंने भी कह दिया कि मुझे कैसे पता होगा भला ! मैंने रम जो पी रखी थी, जिससे मैं गहरी नींद में चैन से सो गई थी। तुम ही बताओ, क्या हुआ था?

‘ओह !’ रवि ने बात घुमाते हुए कहा- मम्मी रात की बिल्ली आई थी और मेरे गिलास का जो बचा हुआ दूध था, वो उसने पी लिया और मैं डर गया था। मैंने भी कहा- क्यूँ डरता है? तेरी मम्मी जो तेरे पास सो रही थी। जब भी कभी तुझे नींद ना आए या फिर तुझे डर लगे तो मुझे बुला लिया करना ! ठीक है?

रवि ने मुझसे कहा- आपको कोई परेशानी तो नहीं होगी?

मैंने कहा- नहीं बल्कि मुझे तो अपने बेटे के साथ सोने मैं बहुत अच्छा लगता है, क्योंकि तुम मेरे इतने अच्छे पैर जो 'दबाते' हो !

मैंने ‘दबाते’ शब्द को कहते हुए फिर एक आँख भी हल्के से दबा दी और जरा सी मुस्कराहट अपने होंठों पर बिखेरी।

रवि ने भी हाँ में हाँ मिला दी और रवि को जो मैं परोक्ष तरीके से जो समझाना चाहती थी। वो रवि भी समझ गया कि मुझे रात के बारे में सब पता है, और जो कुछ भी रात को हुआ, मुझे उसमें कोई आपत्ति नहीं है।

अब रवि अपने बेड से नंगा ही उठा क्योंकि अब उसे सब समझ आ गया कि मेरी तरफ से उसे ‘ग्रीन-सिग्नल’ है।

वो मेरी तरफ़ आया और मुझे गालों पर चूम लिया तो मैंने उसे होंठों पर लंबा चुम्बन किया और अपने दोनों हाथों से उसे जकड़ लिया, जिससे उसे अच्छी तरह से समझ आ जाए कि उसकी मम्मी को उसकी कितनी ज़रूरत है।

रवि ने मुझे ‘थैंक्यू’ बोला, मैंने भी उसे ‘वेलकम’ में जवाब दिया।

तभी रवि ने मुझसे कहा- मुझे नहाना है।

मैंने मुस्कुरा कर कहा- अभी नहलाते हैं तुम्हें।

तो वो बोला- जल्दी से नहला दो, वरना स्कूल के लिए देर हो जाएगी।

मैंने उससे कहा- आज तो इतवार है।

उसने कहा- अरे हाँ, आज तो रविवार है।

और दोनों मिलकर जोर से हंसने लगे !

~~~ समाप्त ~~~

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर) at raviram69atrediffmaildotcom

Written by: raviram69

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