सामूहिक सम्भोग का सुख 03

Story Info
Visiting relatives, we enjoy sex with a newly wed couple.
4.7k words
3.79
41.7k
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Part 3 of the 3 part series

Updated 06/09/2023
Created 06/01/2018
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इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. गोपनीयता के हेतु पात्रोंके नाम बदले हुए है. हम एक शादीशुदा भारतीय कपल हैं - राज (२८) और सुनीता (२४).

इस नयी श्रृंखला "सामूहिक सम्भोग का सुख " में हर एक कहानी नीचे दी हुई पार्श्वभूमी पर आधारित हैं.

हर कहानी एक स्वतंत्र कहानी है, जिसका अपने आप में पढ़कर आनंद लिया जा सकता हैं.

आशा हैं आपको हमारा यह नया प्रयास भी हमारी पहली कहानी की तरह पसंद आएगा.

पार्श्वभूमी: हमारी पहली कहानी "पत्नी, साली और पड़ोसन" में आपने पढ़ा - नए पडोसी दांपत्य नीरज (२६) और निकिता (२४) के साथ हमने अदलाबदली की चुदाई करने की असफल कोशिश की. बाद में सुनीता की छोटी बहन सारिका (२२) और उसका पति रूपेश (२५) हमारे साथ रहने लगे और हम चारोंने पार्टनर स्वैपिंग कर लिया. उसके बाद नीरज और निकिता को भी इस खेल में शामिल कर लिया.

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श्रृंखला - सामूहिक सम्भोग का सुख

कहानी ३ : शादी में धूम धाम

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सुनीता की जुबानी

जैसे की आपने हमारी पहली कहानी "पत्नी, साली और पड़ोसन" में आपने पढ़ा, मेरी छोटी बहन सारिका (२२) और उसका पति रूपेश (२५) हमारे साथ ही रहते हैं. एक बार रूपेश के चचेरी बहन की शादी के लिए हमें सोलापुर जाना था. चारोंके थ्री टायर ए.सी. के टिकट भी बनवा दिए गए थे. रूपेश के एक दोस्त को तीन-चार दिन के लिए दूकान सँभालनेका इंतज़ाम भी कर दिया था. मैं और सारिका दोनों भी खुश थे की हमें शादी में बनने संवरने का मौका मिलेगा और घूमने का मज़ा भी आएगा. शुक्रवार की रात की ट्रेन से हम लोग निकलने वाले थे. जाने की तयारी अच्छे से चल रही थी. राज ने भी अपनी नौकरी से छुट्टी ले ली थी. हम चारों कई दोनोंके बाद एक साथ शहर से बाहर जा रहे थे.

गुरुवार की सुबह अचानक कोई हेल्थ इंस्पेक्टर रूपेश की दूकान पर आ गया. उसने रूपेश पर अवैध (गैरकानूनी) दवाइयां बेचने का आरोप लगाया और दूकान पर सील लगा दिया. रूपेश ने उसे काफी समझाने की कोशिश की मगर वो एक बात नहीं माना. जब घूस देने की कोशिश की, तब वो और भी ज्यादा गुसा हो गया. अब कोर्ट के दरवाज़े खटखटाये बगैर बात नहीं बननेवाली थी.

राज ने कहा, "रूपेश, हम चारोंके टिकट मैं रद्द कर देता हूँ. इस मुसीबत की घडी में तुम्हें यहां अकेला छोड़कर मैं नहीं जाऊंगा."

रूपेश ने कहा, "राज, अब जो भी करना हैं मुझे वकील के साथ मिलकर तय करना हैं. कम से कम आप तीनो तो शादी में जाकर हाजरी लगाकर आ जाओ."

दोनोंके बीच काफी देर तक बातचीत चलती रही. क्योंकि ट्रेन बोरीबन्दर से थी इसलिए शाम के सात बजे तक घर से निकलना जरूरी था. हां ना के बीच आखिर राज ने रूपेश की बात मान ली और हम तीनो टैक्सी में बैठकर बोरीबन्दर के लिए चल दिए. रस्ते में काफी भीड़ होने की वजह से मुश्किल से दस मिनट पहले बोरीबन्दर रेल स्टेशन पर पहुँच पाए. अब बोगी तक पहुँचने का ही समय बचा था, इसलिए रूपेश की टिकट रद्द (कैंसल) करने का मौका ही नहीं मिला.

जैसे तैसे सामान के साथ हम लोग हमारी बोगी में दाखिल हुए. थ्री टायर ए.सी. में जिस तरफ छह सीट होती हैं, उसीमे हमारे चार सीट थे. नीचे के दो और ऊपर के दो. पांचवी और छट्टी सीट पर एक दक्षिण भारतीय जोड़ा आकर बैठ गया. आदमीं ने अपना नाम राव बताया और उसकी पत्नी का नाम था रागिनी। दोनों भी हमसे कुछ साल बड़े लग रहे थे, शायद दोनों भी ३५-३६ की उम्र के होंगे.

दोनों भी पति पत्नी का रंग मुझसे भी ज्यादा डार्क था. मिस्टर राव देखने में ठीक थे, रागिनी का रंग डार्क होने के बावजूद उसके नाक नक़्शे सुन्दर थे. उसके तंग चोलीसे पता चल रहा था की चूचियाँ मध्यम आकार की मगर एकदम उभरी हुई होगी. हम तीनो उनसे यहाँ वहा की बाते करने लगे. उनको हिंदी ख़ास अच्छी आती नहीं थी, इस कारण ज्यादा बातचीत हुई नहीं.

क्योंकि हमने रूपेश का टिकट कैंसिल नहीं कराया था इसलिए उसका बर्थ खाली था. हम तीनोंके पास सामान काफी ज्यादा था और हम लोग नहीं चाहते थे की कोई और हमारे साथ बैठे. इसलिए जब टिकट चेकर आया तब उसे झूठ मूठ में बता दिया की हमारा चौथा साथी बाथरूम गया हैं. वो भी ज्यादा पूछताछ करे बगैर चला गया.

हमने थोड़ी देर तक राव और रागिनी से बातचीत की. उन्हें पता चल गया की मैं (सुनीता) और राज पति और पत्नी हैं और सारिका मेरी छोटी बहन. भोजन होने के बाद साढ़े दस बजे के करीब हम सब लोग सोने का इंतज़ाम करने लगे.

अब सोने का इंतज़ाम कुछ यूँ था: मैं और सारिका दोनों नीचे के बर्थ पर. मिस्टर राव और रागिनी बीच के बर्थ पर और राज ऊपर के बर्थ पर. दुसरे ऊपर के बर्थ पर सारा सामान रखा गया. बत्ती बुझाई गयी और सब एक दुसरे को शुभ रात्रि (गुड नाईट) कहकर अपने अपने बर्थ पर लेट गए.

अब राज को नीचे दो दो रसीली चूत के होते हुए नींद कहाँसे आती. पांच मिनट के बाद वो कूद कर नीचे आ गया और मेरे बदन से लिपट गया.

जैसे ही राज ने मुझे बाहोंमें लिया, राव और रागिनी की निगाहें हमारे बर्थ की तरफ हो गयी. राज ने मेरी नायटी ऊपर उठायी और मेरी मुलायम मांसल सांवली जांघोंको सहलाने लगा. वो नज़ारा देखकर राव और रागिनी हमें बेझिझक घूरने लगे. अब मैं और राज तो दोनों बेशर्म थे ही. राजने अपना टी-शर्ट और पैजामा उतार दिया और मेरी नायटी को सर के ऊपर से पूरा निकल दिया. अब हम दोनोंके शरीर पर सिर्फ अंडरवियर ही थी.

अब तो राव और रागिनी बिना किसी झिझक के अपने अपने बर्थ से मुंडी बाहर निकालकर हमें देखने लगे. शायद दोनों लाइव ब्लू फिल्म देखकर उत्तेजित भी हो रहे थे. मेरे भरपूर और कठोर वक्ष, नुकीले निप्पल्स और मांसल जाँघे उस बोगी के थोड़ी सी रौशनी में चमक रहे थे. जैसे ही राजने हम दोनोंके अंडरवियर निकाल दिये, राव और रागिनी से रहा नहीं गया. दोनों पति पत्नी अपने अपने बर्थ से नीचे उतर गए.

राव ने बिना कुछ कहे दोनों मिडिल बर्थ ऊपर उठा दिए. अब राज को मेरे ऊपर चढ़कर चोदना आसान हो गया. जैसे ही राज ने अपना सख्त हथियार मेरी योनि में घुसाया, रागिनी से रहा नहीं गया. उसने अपने पति की लुंगी ऊपर उठायी और उसके लंड को बाहर निकालकर सहलाने लगी. अब यह सब नज़ारा देखकर बाजू के बर्थ पर लेटी हुई सारिका भी दोनों कपल्स को देखने लग गयी.

अब राजने मेरे वक्ष सहलाते हुए राव की तरफ देखा. जैसे की कोई इशारा समझ में आ गया हो ऐसे राव ने अपनी पत्नी रागिनी की नायटी को सर के ऊपर से उठा दिया और अब रागिनी भी सिर्फ पैंटी में थी. उसके वक्ष मेरे वक्षोंसे आकार में थोड़े छोटे थे मगर अमरुद के जैसे सख्त थे. वहा रागिनी ने भी जोश में आकर राव की लुंगी खोल दी. उसका लिंग लगभग छे इंच लम्बा और कड़क था. सारिका अपने बर्थ पर से उठ गयी और राव और रागिनी को उस खाली बर्थ की तरफ इशारा किया. अब रात के समय उस ट्रैन में बाकी के सभी लोग सोये हुए थे, इसलिए यह सारा मामला बिना कोई आवाज़ या बातचीत किये सिर्फ ईशारोंमें हो रहा था.

राव ने रागिनी को मेरे बाजू के बर्थ पर लिटा दिया और उसकी पैंटी खींचकर निकाल दी. अब ऐसा लग रहा था की रागिनी भी पूरी तरह गरम हो गयी थी. उसने अपनी गांड उठाकर पैंटी को निकालनेमें सहायता की. दोनों नीचे के बर्थ पर कायदे से चुदाई होने लग गयी. राव तो मुझे देखता जा रहा था और रागिनी को चोदता जा रहा था. राज भी बीच बीच में रागिनी की तरफ नजर डाल रहा था. एक दो बार तो मुझे लगा की रागिनी ने राज की तरफ मुस्कुराके भी देखा.

अब राज पलट कर सिक्सटी नाइन की पोजमें आ गया और मेरी गीली चुत चाटने लगा. जैसे की राव और रागिनी हमसे चुदाई की शिक्षा ले रहे थे, इसलिए अगले ही पल वो दोनों भी सिक्सटी नाइन की पोजमें आकर लंड चुसाई और चुत चाटने का आनंद लेने लगे. अब ये सब देखकर सारिका भी पूर्ण रूपसे एक्साइट हो गयी. उसने भी अपनी नाइटी उतार दी. सारिका का सुन्दर, गोरा और सेक्सी बदन देखने के बाद तो राव जैसे पागल हो गया. अब वो सिक्सटी नाइन से उठकर बैठ गया और रागिनी को घोड़ी बनाकर चोदने लगा. वो चोद तो अपनी पत्नी को था, मगर उसकी हवस से भरी निगाहें हम दोनों बहनोंको ही देख रही थी.

आधे घंटे तक यही चलता रहा, फिर राव ने अपना वीर्य रागिनी की चुत में छोड़ दिया. कुछ मिनट के बाद राज भी स्खलित होने वाला था, इसलिए हमेशा की तरह अपना लौड़ा मेरी योनिमें से निकालकर मेरे मुँह के पास ले आया. मैंने एक नज़र राव और रागिनी की तरफ फेंकी और राज का लंड चूसने लगी. अगले ही पल उसके लंड से नमकीन वीर्य निकलने लगा, जिसे मैं मुँह खोलकर पीती गयी. ये नज़ारा देखकर तो राव और रागिनी की अंदर की वासना फिर से भड़क उठी.

अब रागिनी अपने पति के लौडेको सहलाती और चूमती गयी, जिससे राव का लंड धीरे धीरे कड़क होने लगा. अब उनको और ज्यादा उत्तेजित करने के इरादे से मैं बर्थ पर से उठ गयी और सारिका का हाथ पकड़कर उसे राज के बाजू में लिटा दिया. जैसे ही राज ने सारिका को बाहोंमें लिया, वहा बाजू के बर्थ पर राव का लंड एकदम से उछल कर खड़ा हो गया. दोनों पति पत्नी हमारी इस हरकत को देखकर परेशान और उत्तेजित हो गए थे.

अब जैसे ही राज ने सारिका को चूमना और उसके गोरे गोरे वक्षोंको चूसना आरम्भ किया, राव और रागिनी फिर से आवेश में आ गए और एक दुसरे को सम्भोग सुख देने लग गए. मैं बीच में खड़ी होकर अपनी चुत में ऊँगली करते हुए मजे ले रही थी. दोनों बर्थ पर घमासान चुदाई चल रही थी. दोनों पुरुष बाजू के बर्थ की औरत को देखकर और भी जोश में आके चूतमें ठोकर मार रहे थे. अब सारे इतना ज्यादा उत्तेजित हो गए थे की ऐसा लगा बाजू की बर्थ से कोई उठकर आ न जाए.

आखिर राज ने अपना वीर्य सारिका की योनि में छोड़ दिया. इस बार रागिनी ने अपने पति का लौडा मुँह में लिया और उसका सारा वीर्य गटक गयी. फिर उसने राज और सारिका की तरफ देखा और अपने होठोंपर से जीभ फिरायी। कुछ समय के बाद, सभी थोड़ा नॉर्मल हो गए और फिर धीरे से उठकर राव ने दोनों बीच के बर्थ उठाये. सब लोग अपने अपने बर्थ पर जाकर सो गए, जैसे की पिछले दो घंटे कुछ हुआ ही नहीं.

मैं सोचती रह गयी की जबसे मैं और राज पार्टनर बदल कर चुदाई करने लगे हैं, हमने क्या क्या कर लिया. पहले मैंने अपनी खुद की बहन और बहनोई के साथ पार्टनर बदल कर सम्भोग किया. फिर पडोसी जोड़ा (नीरज और निकिता) के साथ वही खेल खेला. कई सालोंतक नीरज और निकिता के साथ जबरदस्त सेक्स का सुख पाया. आज चलती हुई ट्रेन में एक अनजान कपल के सामने मैंने राज के साथ और फिर राज ने सारिका के साथ सम्भोग कर लिया. हम जैसे की सेक्स के मामले में ज्यादा माहिर होते जा रहे थे.

सुबह हमारी नींद खुली और हम तीनो अपना सामान ठीकसे बांधकर सोलापुर स्टेशन पर उतरने के तैयारी में लग गए. जब मिस्टर राव बाथरूम की तरफ गए, तब रागिनी ने एक कागज़ का टुकड़ा मुझे थमाया और इशारों में छुपाने के लिए कह दिया. मैंने झट से उसे अपनी पर्स में रख दिया. स्टेशन आते ही हम लोग उतर गए और कुली की मदद से सामान नीचे उतार लिया. आगे जाकर मैंने जब वो पर्ची देखि तब उसमे रागिनी ने अपना फ़ोन नंबर और पता लिखा हुआ था. इसका मतलब वो हम तीनों (मैं, राज और सारिका) के साथ संपर्क बनाना चाहती थी.

शादी का स्थल सोलापुर से तीस किलोमीटर दूर एक छोटे से गाँव में था. वहाँ के लिए एक मैटाडोर में हमें सवारी मिल गयी. करीब घंटे भर के बाद शादी की जगह पहुँच गए. रूपेश के चाचा भी गरीब ही थे, इसलिए इंतज़ाम ठीक ठाक ही था. मई महीने के आखरी के दिन थे, इसलिए खुले मैदान में ही सारी व्यवस्था की गयी थी. जिस दिन हम लोग पहुंचे उस दिन कुछ शादी के पहले के विधि थे और शादी अगले दिन होनेवाली थी. वहां आये हुए लोगोंमें मेरे और राज के पहचान के कोई ख़ास लोग नहीं थे. रूपेश का एक दूर का भाई मनोज और उसकी नववधू पत्नी शालिनी से सारिका की थोड़ी जान पहचान थी. बाकी के ज्यादा तर लोग ज्यादा उम्र के होने के कारण, मनोज और शालिनी थोड़ी देर हमारे साथ ही बातचीत करते रहे. दोनों भी सांवले रंग के और दुबले थे. शालिनी मुश्किल से २० साल की होगी, मनोज शायद २३ साल का होगा.

दिन तो जैसे तैसे कट गया, शाम के भोजन के समय आंधी शुरू हो गयी. बड़ी मुश्किल से हम तीनो ने थोड़ा सा खाना खा लिया और तभी बिन मौसम की बरसात शुरू हो गयी. हम तीनो आसरा लेकर थोड़ी देर तक इंतज़ार करते रहे. हमने रात को सोने की सुविधा के बारे में पूछताछ की. पता चला की जिस धर्मशाला में सभी मेहमानोंको ठहराने वाले थे, वहाँ की छत से पानी गिर रहा था.

अब राज ने मुझसे कहा, " सुनीता रानी, लगता हैं अपना रात का सोने का इंतज़ाम हम को खुद ही करना पड़ेगा. सिर्फ जरूरी सामान साथ में लेकर कोई लॉज में कमरा ढूंढते हैं."

तभी मनोज ने कहा, "राज भैया, मैं और शालिनी भी यहाँपर बिलकुल नए हैं और किसी को नहीं जानते. अगर आप लोगोंके साथ हम भी लॉज में एक और कमरा लेकर रहेंगे तो आपको चलेगा क्या?"

"हाँ, हाँ. कोई बात नहीं, चलो पहले कोई गाडी का इंतज़ाम करते हैं ताकि आसपास लॉज ढूंढ सके."

फिर हम तीनो औरते सामान को समेटकर सिर्फ जरूरी चीजे लेने लगी. बाकी का सामान रूपेश के चाचा घर पर रखवा दिया. तब तक राज और मनोज किसी गाडी की तलाश में चल दिए. आधे घंटे बाद दोनों एक बड़ी सी पुरानी फियाट गाडी लेकर दोनों आ गए. ड्राइवर के बाजू में मनोज और उसकी गोद में शालिनी बैठ गए. पीछे हम तीनो बैठे थे. थोड़ी तलाश के बाद एक टूटा फूटा लॉज मिला. अंदर जाकर काफी देर तक इंतज़ार किया मगर शायद मालिक कहीं बाहर गया था.

फियाट के ड्राइवर ने और अधिक समय तक रुकने से मना कर दिया और पैसे लेकर चला गया. राज ने उसे अगले दिन सुबह दस बजे आने के लिए कह दिया.

बीस पचीस मिनट के बाद उस लॉज का मालिक आ गया. मौसम खराब होने के कारण उसके लॉज के लगभग सारे कमरे भरे हुए थे.

"साहब, लगता हैं आप सभी लोग एक ही परिवार के हैं. अगर आप चाहे तो मैं एक डबल बेड वाला कमरा आप लोगोंको दे सकता हूँ. दो कमरे कल रात को मिल जाएंगे," उसने राज से कहा.

अब मरता क्या न करता, उस तूफानी और बरसाती रात में कहीं और जाकर दो कमरे ढूंढना असंभव था. वैसे भी ड्राइवर गाडी लेकर चला भी गया था. अब किसी तरह एक कमरेमें ही गुज़ारा करना था. राज ने उस लॉज के मालिक को पैसे दिए और हम पांचो उस कमरे में दाखिल हुए. कमरे में दो पुराने बेड और एक बाथरूम था. हम लोग साथ में लाया हुआ थोड़ा सा सामान रख ही रहे थे की बिजली चली गयी. बरसाती हवा चलने के कारण हम सब को ठण्ड भी लग रही थी.

जब राज और मनोज ने जाकर मालिक को पूंछा तब उसका जवाब था, "जभी भी तेज़ बारिश होती हैं, तब बिजली काट देते हैं. मैं आप के कमरे में थोड़ा आग का बंदोबस्त कर देता हूँ जिससे आप लोगोंकी ठण्ड काम हो जाए."

मालिक ने तुरंत एक बड़ी कढ़ाई में कोयले और लकडिया और मिटटी का तेल लेकर आ गया. जल्द से कोयले जलाकर आग का प्रबंध हुआ. अब थोड़ी सी गर्मास आ रही थी. धुँआ बाहर जाए इसलिए खिड़किया खुली रखना जरूरी था. अब बाथरूम में जाकर सब फ्रेश होकर और कपडे बदलकर आ गए. मैं और सारिका हमेशा की तरह नाइटी में थी और राज ने कुरता और पैजामा पहना था.

मनोज ने कुरता और लुंगी पेहेन ली और शालिनी भी नाइटी में आ गयी. अब जाहिर था की हम तीनो (मैं, सारिका और राज) को एक बेड और दुसरे कपल को दूसरा बेड मिल गया. शायद मनोज और शालिनी सोच रहे थे की ये पति, पत्नी और साली कैसे एक बिस्तर पर सोयेंगे.

अब हम तीनो ट्रेन के अनुभव के बाद और भी बेशर्म और बिनधास्त हो गए थे. वहांपर जगह की कमी के कारण राज ने हम दोनों बहनोंको एक के बाद एक करके चोदा था. यहांपर एक ही बेड होनेके कारण अब उसे हम दोनों बहनोंको एक साथ चोदना पड़नेवाला था. बिचारा राज!

जैसे ही मैंने और सारिका ने अपनी अपनी नाइटी उतार कर राज को दोनों तरफ से आलिंगन किया, बाजू के बेड पर लेटे मनोज और शालिनी को जैसे ४४० वोल्ट का झटका लग गया.

"सारिका दीदी, आप," मनोज के मुँह से आगे के शब्द ही नहीं निकल पा रहे थे. शालिनी की तो आँखें फटी की फटी रह गयी थी.

"हां, हम तीनो एक साथ मिलकर सेक्स का आनंद लेते हैं. और जब रूपेश साथ में हो, तब मैं राज के साथ चुदती हूँ और सुनीता रूपेश के साथ!" सारिका ने एकदम बेबाकी से जवाब दिया और राज का कुरता और पैजामा उतार दिया. अब वो राज के खड़े लंड को सहलाने लगी. तब तक मैं अपने निप्पल्स राज के मुँह में देकर उन्हें चुसवाने का आनंद ले रही थी. अगले आधे घंटे तक मैं, राज और सारिका के बीच फोरप्ले और उसके बाद अलग अलग पोज में चुदाई का किस्सा चलता रहा. मनोज और शालिनी आँखें फाड़ फाड़ कर वह नजारा देखते रहे. शायद ज़िन्दगी में पहली बार वो दोनों किसी और को सम्भोग सुख लेते और देते हुए देख रहे थे.

जब मैं राज का कड़क लौड़ा चूस रही थी, तब राज बड़े प्यार से सारिका की मीठी चुत को चाट रहा था. यह सब नज़ारा देखकर स्वाभाविकतः मनोज और शालिनी भी उत्तेजित होकर आपस में सहलाना, चूमना और कपडे उतारने में लग गए. क्योंकि मैं और सारिका दोनों पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी इसलिए शालिनी को भी अपने कपडे उतारने में ज्यादा शर्म नहीं आयी. वैसे मनोज भी हम दोनों बहनोंकी नग्न और भरपूर जवानी देखकर पागल हुए जा रहा था. वो देखने में दुबला था मगर उसका भी हथियार लम्बा और कड़क था.

अब मनोज और शालिनी पूर्ण रूप से नंगे होकर एक दुसरे को सिक्सटी नाइन की पोज में सुख देने लग गए. शालिनी भी दुबली और सांवली थी मगर उसके भी वक्ष कठोर और नितम्ब मादक थे, जिन्हे देखकर राज भी उत्तेजित हो रहा था. आखिर शालिनी की दोनों टाँगे खोलकर मनोज उसको चोदने लग गया. यहाँ दुसरे बेड पर मैं टाँगे खोलकर अपनी छोटी बहन से चुत चटवा रही थी और राज सारिका को घोड़ी बनाकर उसको चोदे जा रहा था.

पूरा कमरा "आह चोदो और जोर से आह" ऐसी आवाजों से गूँज रहा था. अब हम पांचो पूरी तरह निढाल होकर लेटे हुए थे. हमारी देखादेखी शालिनी ने भी अपने पति के लौड़े को चूस कर उसकी सारी मलाई पी डाली थी. अब कोई शर्म बाकी नहीं रही थी. मनोज हिम्मत कर के बोला, "क्या हम पार्टनर बदल कर.." उसे आगे कुछ भी बोलने की जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि सारिका मुस्कुराते हुए हमारे बेड पर से उठकर उन दोनोंके बेड तक चली गयी. फिर शालिनी ने मनोज की तरफ देखा और उसकी आज्ञा आखों ही आखों में लेकर वह मेरे और राज के पास आ गयी. आखिर राज भी मर्द था, उसे भी एक नयी और जवान लड़की को पूर्ण नंगे बदन अपने करीब देखकर रहा नहीं गया. उसने शालिनी को बाहों में लिए और उसके होठोंपर अपने होंठ रख दिए.

वहाँ दुसरे बिस्तर पर, मनोज और सारिका चूमते और एक दुसरे के अंगोंको सहलाते हुए लेटकर मजे ले रहे थे. मनोज को इतनी गोरी और मदमस्त लड़की के शरीर से खेल ने का सौभाग्य पहली बार मिल रहा था. वो सारिका के उन्नत वक्षोंको सहलाकर चाटने लगा और फिर बारी बारी दोनों निप्पल्स मूंहमें लेकर चूसने लगा. सारिका ने मनोज के लौड़े से खेलना शुरू किया और कुछ ही पलोंमें वो एकदम सख्त हो गया. अब मनोज सारिका की दोनों टाँगे खोलकर उसकी गुलाबी चूत को चूमने और चाटने लगा. वहाँ की सुगंध लेकर वो पूरा उत्तेजित हुआ और दो उंगलियोंसे सारिका की चूत को चोदने लगा. बीच बीच में दोनों उँगलियाँ चाटकर सारिका के योनि रस का आस्वाद लेता रहा. फिर उससे रहा न गया और उसने सारिका की दोनों टाँगे पूरी खोलकर उसे चोदने लग गया. नया और सख्त लंड पाकर सारिका भी मजे लेने लगी.

इधर राज ने शालिनी के सख्त वक्ष काफी देर तक चूसे और उसकी मुलायम टांगोंको प्यार से सहलाया. उसी बीच मैं शालिनी की गर्दन पर चुम्बन जड़कर उसे और भी गर्म कर रही थी. अब उसने भी दोनों हाथोंसे मेरे बड़े बड़े चूचियोंको मसलना शुरू किया. फिर राज ने शालिनी को पीठ के बल लिटाकर उसपर उल्टा लेट गया. सिक्सटी नाइन की पोज में आकर शालिनी की चूत को चाटने लगा. जैसे ही राज ने शालिनी की योनि का दाना (क्लाइटोरिस) चाटना शुरू किया, वो भी एकदम मदमस्त हो गयी. बिना संकोच के उसने राज का कड़क और लम्बा लौड़ा अपने मुँह में लिया और उसे आइस्फ्रूट की तरह चूसने लगी. मैं बैठकर दोनोंके अंगोंको सेहला रही थी और खुद की चूत में दो ऊँगलीया डाल कर मस्त हो रही थी. राज और शालिनी का सिक्सटी नाइन कुछ देर तक चला, फिर राज ने शालिनी को घोड़ी बनाया और उसकी गीली और टाइट चूत में अपना लौड़ा घुसेड़ दिया. मैं अपने हाथ से राज के अण्डकोषोंको सेहला रही थी और राज को चूम रही थी. इतना कड़क और लम्बा लौड़ा उसकी चूत में घुसते ही शालिनी को तो अपनी नानी दादी सब याद आ गयी. वो जोर जोर से चिल्लाती रही, "उई माँ, मर गयी, बाहर निकालो इसे. आह, मर गयी, बस करो,आह." मगर राज ने उसकी एक न मानी और उसकी गांड को पकड़ कर उसे जोर जोर से चोदता ही गया. आखिर कुछ समय के बाद शालिनी की चूत आराम से लौड़े को निगलने लगी.

दोनों बेड पर धुँआधार चुदाई चल रही थी. अब मैं दुसरे बेड की तरफ गयी और झूट मूठ के गुस्से से सारिका से बोली, "क्यों री, क्या सारे मजे तू ही लूटेगी?"

फिर सारिका मुस्कुराते हुए मनोज से अलग हुई और मैंने मनोज को बाहों में ले लिया. "सुनीता जी, आप तो एकदम सेक्स बॉम्ब हो. मैं कितना लकी हूँ," उसने कहा.

"साले, बकबक करता ही रहेगा या मुझे चोदेगा भी?" मैं उसे हँसते हुए डाट दी और फिर उसने मेरे बड़े बड़े वक्षोंको मसलना शुरू किया. मेरी गांड पर हाथ फेरते हुए मेरे निप्पल्स चूसे और मेरी गीली चुत को प्यार से चाटा। फिर उसने मुझे चित लिटाकर मेरी दोनों टाँगे अपने कांधोंपर रक्खी. ऐसा करने से मेरी टाँगे कुछ ज्यादा ही खुल गयी और उसका थोड़ा पतला मगर कड़क लौड़ा मेरी चुत में घुस गया. अब तक मैं राज के अलावा रूपेश, नीरज, रोहित और न जाने कितने मरदोंसे चुद चुकी थी. इसलिए उसका लौड़ा मेरी चूतमें आसानी से घुस गया. फिर वो आवेश में आकर मुझे जमकर चोदने लगा. मनोज ने दोनों हाथोंसे मेरे वक्षोंको पकड़ा था, जिन्हे वो मसले जा रहा था.

इस दौरान सारिका बाजू वाले बिस्तर पर गयी और अपनी टाँगे खोलकर अपनी गुलाबी चुत को शालिनी के मुँह के पास ले गयी. आजतक शालिनी ने किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था, मगर आज वो भी सारे मजे लेना चाहती थी. उसने सारिका को अपनी तरफ और नजदीक खींचा और फिर बड़े प्यार से सारिका की गुलाबी चुत चाटने लगी. ये नज़ारा देखकर राज तो और भी पागल हो गया और पूरी ताकत के साथ शालिनी को चोदने में लग गया.

बीचमें आग जल रही थी और दोनों बिस्तरोंपर पांच लोग वासना की आग में जलकर जैसे जीवन का सर्वोच्च सम्भोग सुख पा रहे थे. आखिर मनोज मेरी चुत में झड़ गया. कुछ पल बाद राज ने भी शालिनी की चुत में अपना पानी छोड़ दिया.

पूरी रात में मैं और सारिका इस बिस्तर से उस बिस्तर पर जाते रहे और सेक्स का मजा लूटते रहे. अगली बारी में शालिनी ने राज के लौड़े से निकला पूरा गाढ़ा वीर्य निगल लिया। लगभग चार बार सेक्स करने के बाद हम पाँचों गहरी नींद में सो गए. सुबह देरी से उठे, नहा धोकर शादी में चले गए. शाम होते ही फिर से लॉज पर वापिस आये और सामूहिक सम्भोग का दरबार फिर से लग गया. अब बिनधास्त होकर राज ने शालिनी से पूंछा, "क्या दोनों लौड़े एक साथ झेलोगी?"

उसने भी झट से हाँ कर दी और फिर राज का लौड़ा चूसने लगी. उसी समय आवेश में आकर मनोज ने शालिनी को डॉगी पोज में सेट किया और उसकी चूत में अपना लंड पेलने लगा. वहाँ दूसरे बिस्तर पर हम दोनों बहने सिक्सटी नाइन की पोज में एक दुसरे को स्वर्ग की सैर कराने में लगी हुई थी. एक के बाद एक राज और मनोज ने अपना वीर्य शालिनी के मुँह में निकाल दिया, जिसे वो बड़े प्यार से पी गयी. वहाँ से उठकर मनोज दुसरे बिस्तर पर आ गया, उसकी शायद प्यास बुझी नहीं थी. वैसे भी मैं और सारिका इतनी जबरदस्त माल हैं की कोई भी मर्द हमें बार बार चोदे बगैर तृप्त नहीं होता. सारिका ने उसका लौड़ा चूसकर उसे पांच मिनट में कड़क कर दिया, तबतक वो मेरे निप्पल्स बारी बारी चूसता और चबाता रहा. फिर उसने पहले मुझे लम्बे समय तक चोदा। उसका वीर्य थोड़ी देर पहले ही निकला था, इसलिए वो जल्दी झड़ने वाला नहीं था. फिर उसने सारिका को घोड़ी बनाकर पंद्रह मिनट तक चोदा। आखिर जब उसका वीर्य उबलने लगा तब हम दोनों बहनोंके चेहरों पर बरसाया. मैं और सारिका एक दुसरे के चेहरे से चाट कर उसे निगल गयी.

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