समीर और उसकी माँ राधा - भाग 04

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Rashid tested Radha's limit
8.4k words
4.28
14.1k
2

Part 4 of the 4 part series

Updated 06/12/2023
Created 12/03/2018
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समीर और राधा के माँ बेटे के रिश्ते में नजदीकिया बहोत बढ़ी लेकिन वो नजदीकिया एक हदसे आगे बढ़ ना सखी क्योके माँ बेटे का पवित्र रिश्ता बीचमे कवाब में हड्डी बने हुवे था लेकिन इस हड्डी को निकालने का तरीका समीर को जल्द ही मिलने वाला था.

शनिवार के दोपहर के 9 बजे.

आज समीर को कॉलेज जाने केलिए लेट हुवा, तो राधा आज समीर को कॉलेज स्कूटी से लेजाने केलिए रेडी हुवी. राधा सिल्क सफेद साड़ी जिसपर काले रंग की नकाशी थी वो वाली सारी राधाने पहनी जिसपर ब्लैक टाइट ब्लाउज़ पहना, ब्लाउज़ इतना टाइट था के राधा के एक साइड से स्तन किसी हापुस आम की तरह दिख रहे थे. सारी नाभि के नीचे पहनी थी याने जरासे हवाके झौकेसे पल्लू के साइड में होते ही नाभि के साथ नंगे पेट का खुल्ला प्रदर्शन होजाये इस तरह सारी नाभि के नीचे बांधी थी. गले मे मंगलसूत्र,मांग में सिंदूर, हाथमे कंगन,पैर में पायल पहने हुवे राधा सती सावित्री लग रही थी.

*****

दूसरी ओर राशीद अपने दोस्त समीर की राह देखते हुवे कॉलेज के एंट्री गेट के नजदीक कॉलेज की नीली पैंट और सफेद शर्ट वाली यूनिफॉर्म में खड़ा था. वो पिछले 15 मिनट से अपने दोस्त समीर की राह देख रहा था के तभी हॉर्न की पी पी की आवाज की ओर राशीद ने देखा तो वो हक्का-बक्कासा रहे गया, क्योके किसी अफसरा के साथ समीर पीछे गाड़ी पर बैठ कर कॉलेज के गेट की ओर ही आरहा था. जैसे ही स्कूटी राशीद के पास आकर रुकी समीर झटसे गाड़ी से उतरकर राशीद के साथ खड़ा हुवा और बोला, "माँ ये राशीद है मेरा दोस्त."

समीर की बात से राशीद को समझ आया के ये मस्त पटाखा तो उसके दोस्त की माँ है. इतनी मस्त खूबसूरत औरत उसने टीवी से बाहर नजरोंके सामने पहली बार देखी थी तो उसकी जरासी हालत पतली थी लेकिन जैसे ही समीर की खुले विचारोंवाली खुशबूदार माँ ने बदसूरत काले कलूटे राशीद के साथ बोलना शुरू किया तब राशीद कम्फ़र्टेबल होगया और उसने भी अपने बारे में कुछ बाते समीर की माँ से शेयर की. राशीद की नाचाहते हुवे नजरे बार बार राधाने पहनी सारी के साइड से टाइट ब्लाउज़ से दिखते 33 साइज के हापुस आमोंपर जाकर रुकती. उन्ह गंदी नजरोंको राशीद ने जैसे तैसे अपने काबू में रखा.

कुछ समय बाद जब राधा वहांसे स्कूटी से घर वापस चली गयी तब पीछे राशीद समीर के साथ कॉलेज चला गया. राशीद ने पूरा दिन समीर को सताया क्योके वो बार बार किसी ना किसी बहाने समीर के घर आने की बात कर रहा था, कभी गेम खेलने का बहाना तो कभी पढ़ाई का बहाना बताकर वो कैसे भी समीर के घर आना चाहता था. राशीद ने जबसे समीर की मादक माँ को देखा था उस पल से वो उस कामदेवी के फिरसे दर्शन करने केलिए उतावला हुवे जारहा था. आखिरकार जब राशीद ने समीर को नई गेम की सीडी को देनेका लालच दिया तब जाकर समीर ने राशीद को घर आने केलिए हाँ कहा और अपना घर का पता समीर ने राशीद के साथ शेयर किया.

*****

राशीद अपने घर आने केलिए इतना उतावला क्यो होरहा है इसके बारे में समीर ने ज्यादा सोचा नही. लेकिन उसकी माँ राधा से मिलने के बाद जो बदलाव राशीद में आया था उसे समीर ने महसूस किया जिसे समीर ने ज्यादा तवज्जो नही दी. समीर ज्यादातर अपने दोस्तों को अपने घर से दूर ही रखता था क्योके कई दोस्तों की गंदी नजरे उसकी मादक माँ राधा पर उसने देखी थी. लेकिन वो वाला समीर पुराना था ये वाला नया है जो खुद ही अपनी माँ के कामुक गोरे बदनका दिवाना है.

*****

रविवार की सुबह के 12 बजे.

समीर नीली बरमूडा और सफेद टीशर्ट में नीचे जनरल स्टोर पर दूध की थैली लाने घरसे बाहर निकला, जब वो नीचे पार्किंग में पहुंचा तब उसे उसका दोस्त राशीद मिला जो उसीके घर ही आरहा था. उसे मिलते ही समीर ने उसे अपने घर पर रुकने केलिए कहा और खुद जनरल स्टोर पर दूध लाने चला गया.

(राशीद ने उस वक़्त काली ट्रैक पैंट और नीला टीशर्ट पहना था.)

जब समीर दूध की थैली एक हाथ मे पकड़कर घर के दरवाजे के पास पहुंचा तब उसे उसकी माँ के हसने की आवाज हॉल के दरवाजेके बाहर तक सुनाई दी, जब उसने दरवाजा खोला तो सामने उसका दोस्त राशीद फर्शपर फैलाये गद्दे पर बैठा था और उसकी माँ पिंक कलर के पतले गाउन में वही नजदीक खड़ी थी.

समीर की माँ राशीद के किसी मजाक पर हस्स रही थी, राधा का खुला स्वभाव राशीद को भाचुका था. उसी राधा के खुले स्वभाव के कारण राशीद को राधा के सामने खुलकर बोलने में आसानी हुवी.

जब राशीद ने समीर को बाहर से हॉल में आया हुवा देखा तब राशीद झटसे समीरसे बोला, "आंटी को घुमाने लेजाकर समीर, आंटी घरपर बोर होती है. अगले रविवार हम घूमने चलते है आंटी को लेकर क्या बोलते हो? आंटी ने इस बात पर कब की हा करदी है अब तेरी बारी है.तू नही आएगा तो आंटी भी नही आएगी."

सामने फर्शपर फैलाये गद्दे पर बैठे राशीद की बात सुन दूध की थैली एक हाथसे पकड़कर किचन में जाते हुवे समीर बोला, "अब माँ ने हा करदी है तो मेरी भी हा ही है."

राधा चाय बनाने केलिए किचन में समीर के साथ जाते हुवे समीर को ताना मारते हुवे बोली, "तुझे तो अपनी प्यारी माँ की शर्म आती है तू क्या लेजायेगा अपनी माँ को घुमाने कही."

अपनी माँ के ताने पर समीर मजाक में बोला, "माँ आप भीना, दोस्त के सामने तो आप मेरी इज्जत मत उतारो, आजसे आप जहा बोलोगी में आपको घुमाने लेजाऊँगा." ऐसी ही नोक झोंक और कुछ जनरल बाते माँ बेटे में शुरू हुवी.

कुछ 15 मिनट बाद.

समीर अपने दोस्त के साथ फर्शपर फैलाये गद्दे पर बैठा था और उसकी माँ दोनो केलिए चाय का कप लेके हॉल में आयी. जैसे ही राधा चाय देने केलिए राशीद और समीर के सामने झुकी अलादीन की गुफा खुली याने राधा ने पहने गाउन का बड़ा गला नीचे की ओर झुकनेसे इतना खुला के लटकते मंगलसूत्र के साथ काली ब्रा में कैद राधा के स्तन किसी पके हुवे आम की तरह लटके हुवे राशीद को दिखे उन्ह अमृत से भरे कलषोंको देख राशीद का लंड ट्रैक पैंट से टेंट बनाया हुवा दिख रहा था. जिसे राशीद ने जैसे तैसे हड़बड़ाहट में एक हाथसे छिपाया और दूसरे हाथ से राशीद ने चाय ली.

राशीद की उन्ह स्तनोंको देखती नजरें उसी के साइड में बैठे समीर ने देखी, तनकर खड़े लंड को छिपाने की हड़बड़ाहट भी समीर ने देखी जिसे देख समीर की किशोरी अवस्था मन ही मन बोली, "देख तो कैसे तेरी माँ की चुचिया देख तेरे दोस्त की हालत खराब होरही है. सोच अगर तेरी माँ की चुचिया उसे चूसने मिलजाए तो क्या होगा." ऐसी गंदी बाते सोचकर ही समीर का लंड तनकर खड़ा हुआ.आज कल दूसरोंके सामने अपनी मादक माँ के बदनका प्रदर्शन करने में समीर को बड़ा मजा आने लगा है.

कुछ देर बाद समीर राशीद के साथ कम्प्यूटर पर गेम खेलने अपने बेडरूम में गया जहा उन्ह दोनो ने जमके गेम खेला, जिसमे राशीद ने लायी गेम की नई सीडी वाला गेम याने फार क्राई 4 भी उन्ह दोनोने खेला जिसमे राशीद और समीर को बहोत मजा आया.

फिर होना क्या था, अगले दिन की श्याम को कॉलेज छूटते ही राशीद समीर के घर आया, उसे तो अब उस कामदेवी के दर्शन पाने की लत सी लग चुकी थी. उस खूबसूरत अफसरा याने राधा को देखे बिना अब राशीद का दिन पूरा नही होता. राशीद अपने घर कई बार राधा के कामुक बदनको इमेजिन कर लंड हिला चुका है. ऐसे ही 6 दिन बीत गए जिन्ह दिनों में राशीद की राधा से अछि खासी दोस्ती होचुकी थी.

आज महीने का दूसरा शनिवार था याने समीर और राशीद के कॉलेज को छुट्टी थी. आज भी राशीद समीर के घर आया था वो भी ठीक सुबह के 7 बजे जब समीर सोया हुवा होता है. जान बूझकर राशीद जल्दी समीर के घर आया था क्योके उसे समीर की मादक माँ के साथ कुछ अकेले पल चाहिए थे.

इस वक़्त राशीद किचन में है, जहाँ वो राधा के नजदीक गैस स्टोव के सामने खड़ा था. राधा से पुलाव बनानेकी रेसिपी जानने के बहाने वो राधा के नजदीक खड़ा था. जब पुलाव लगबग तैयार हुआ उसे देख राधा के मादक बदनसे आती मोगरे की खुशबू सूंघते हुवे वो राधा की तारीफ करते हुवे बोला, "आंटी आपका खाना भी आपके जैसा ही खूबसूरत है."

तब मुह फट खुले विचारोंवाली राधा मजाक में फट से बोली, "देख बेटा तुझसे में नही पटने वाली, इतनी भी अब तारीफ मत कर मेरी."

राधा की बात सुन राशीद भी मौका देख कर बोला, "आंटी मुझे अब आप चैलेंज मत दो, नही तो आपको पटाकर घरपर लेजाऊँगा."

(उस वक़्त राधा ने नीला पतला गाउन पहना था तो राशीद ने काली बरमूडा और नीला टीशर्ट पहना था.)

राशीद की बात सुन राधा सामने गैस स्टोव पर रखे पतिलेमे पक रहे पुलाव को एक चमच से धवलते हुवे बोली, "घर पर लेजाकर क्या करेगा मुझे, क्या मेरी पूजा करेगा?"

राधा के मजाक में कही बात को सुन राशीद भी अब फूल जोश में आचुका था वो भी झटसे बोला, "हनीमून करूँगा आपके साथ."

तभी खुले विचारोंवाली मुह फट राधा ने अपने जलवे बिखेरे और वो मजाक में बोली के, "अंग्रेजी नही आती मुझे, हनीमून मतलब क्या करेगा."

राशीद को अब यकीन नही होरहा था के वो राधा के साथ ऐसी गंदी डबल मीनिंग बाते खुल्लम खुल्ला कर सकता है. लेकिन उसे ये अंदाजा नही था के राधा किस हद तक खुलकर बोल सकती है, जिसका अंदाजा राशीद को जल्द ही होने वाला है जो राशीद के अंदर काम वासना का बेम फोड़ने वाला है.

राधा की बात पर राशीद बड़ी ही हिम्मत करके बोला, "आंटी आपके साथ सुहागरात करूँगा."

राधा राशीद की बात पर खुलकर झटसे बोली, "याने चोदेगा मुझे?"

राधा की बात पर राशीद को यकीन ही नही हुवा,राधा की चोदने वाली बात को सुन कबका राशीद का काला लंड तनकर बरमूडा से टेंट बनाये हुवे दिख रहा था, राधा ने कही बात से राशीद के लिए जैसे राधाने अपनी चूत के दरवाजे ही खोलदिए हो ऐसा राशीद को लगा और हिम्मत करके आगे वो बोला, "हाँ, सही कहा आपने."

राधा राशीद की बात पर खुलकर मजाक में हस्ते हुवे बोली, "फिर तो तू भुलजा, में तुझसे कभी पटने नही वाली."

राशीद अपने गालपर लगें चाकू के घाव के निशान को एक हाथसे खुजाते हुवे और आगे बढ़कर बोला, "आंटी एक बार मेरे घर तो चलिए, मजे करवाऊंगा आपके." ऐसा बोलकर राशीद मन ही मन बोला, "क्या मस्त टाइम पास आंटी है, हर बात खुलकर बोलती है वो चाहे गंदी भी क्यों ना हो. आज आंटी फूल मूड में लग रही है, आज मुझे आंटी के साथ आगे बढ़ना ही है. इससे अच्छा मौका मुझे नही मिलेगा." ऐसा सोचकर राशीद ने अपना एक हाथ थर थर कांपते हुवे राधा के कमर पर रखा. जैसे ही राधा की कमर को राशीद ने अपने हाथ से महसूस किया तभी उसके काले शरीर मे जैसे करंटसा दौड़ गया.

राधा ने जैसे ही राशीद का हाथ अपनी कमर पर महसूस किया वो बोली,"क्या में तेरी गर्लफ्रेंड हु जो तूने मेरी कमर पर हाथ रखा है."

राशीद अब फूल टशन में आचुका था, उसने अपना हाथ राधा के कमर से हटाया ही नही और किसी सड़क छाप रोमियो की तरह वो बोला, "तो आंटी बंजाओना गर्लफ्रैंड मेरी, किसने रोका है."

राधा बड़ी आरामसे सामने पुलाव गैस स्टोव पर बनाते हुवे बोली, "ऐसा क्या देखा मुझमे जो इतना मुझे पटाने केलिए पीछे पड़ा है?"

राशीद का अब कॉन्फिडेन्स और बढ़ा और उसने अपने एक हाथ से जहा राधा की कमर पकड़ी थी उस जगह को वो धीरे धीरे सहलाने लगा और बिना डरे बोला,"आप आगे पीछे से एकदम टन-टना-टन हो आंटी."

राधा राशीद की बात पर आगे बोली, "आगे पीछे मतलब तेरी नजरे मेरी गांड पर है."ऐसा जैसे ही मुह फट राधाने बोला राशीद के काले लंड ने तनकर झटके मारना शुरू किया. राशीद का लंड अब अकड़कर दर्द करने लगा था.

राधा की बात सुनते ही राशीद ने अपना राधा के कमर पर रखा हाथ नीचे सरकाकर गाउन से उभरी गांड पर रख दिया.पता नही राशीद में इतनी हिम्मत कैसे आगयी जो अब सीधा राशीद ने राधा की गांड पर हाथ रख दिया सिर्फ हाथ रखा नही बल्के वो राधा की गांड की दोनो फलकोंको वो सहेला रहा था.

जैसे ही राधा को राशीद का हाथ अपनी गांड की फलकोंपर महसूस हुवा वो झटसे पीछे की ओर घूमी और राशीद का एक कान एक हाथसे पकड़कर मरोड़ते हुवे मजाक में वो बोली, "अच्छा बचूं, पहले पटाने की जगह सीधा गांड से खेलना शुरू."

राशीद को तो लगा था गांड की फलकोंको छूने पर राधा घुस्सा होगी लेकिन यहां तो उल्टा राधा मजाक कर रही थी. उसपर राशीद दर्द से कराते हुवे बोला, "आंटी मेरा कान आह!,दर्द होरहा है आंटी."

तभी राधा राशीद का कान और जोरसे मरोड़ते हुवे बोली, "एक समीर भी है जो मुझे ऐसे छेडते रहता है और अब तुम भी उसके पीछे पीछे शुरू हुवे." ऐसा कहकर मुह फट राधाने राशीद का कान छोर दिया और वो राशीद की ओर देख बोली, "चल भाग यहांसे शैतान काम करने दे मुझे किचन का."ऐसा कहकर राधा फिरसे गैस स्टोव पर पुलाव बनाने में लग गयी.

राधा ने अनजाने में राशीद से समीर के छेड़ने वाली बात शेयर की, और उसके बाद ऐसे फिरसे काम मे लग गयी के जैसे कुछ हुवा ही ना हो. उसी के बारेमें राशीद हॉल में जाते हुवे मन ही मन सोच रहा था, "मुझे तो यकीन ही नही होरहा के मैने अभी अभी आंटी की गांड को हाथ लगाया, उपरसे आंटी ने गांड को छूने वाली बात मजाक में ली,अब इससे बढ़िया बात क्या होसकती है. वो छोरो लेकिन आंटी ने ऐसा क्यों कहा के समीर भी उसे छेड़ता है?" ऐसे ही सोचते हुवे राशीदने अपना लंड एक हाथसे बरमूडा के उपरसे मसला और हॉल में जाकर फर्शपर फैलाये गद्दे पर बैठा. जब कुछ देर बाद समीर सोकर उठा तब राशीद समीर के बेडरूम में कंप्यूटर पर गेम खेलने गया और दोपहर को वो वापस घर चला गया.

रविवार का दिन दोपहर के 4 बजे.

राशीद, समीर और राधा इस वक़्त अपार्टमेंट के पार्किंग लॉट में मौजूद थे, तिनोका आज भाटे बीच घूमने का प्लान था वही वे तीनों जारहे थे. तीनो के अलावा उस वक़्त अपार्टमेंट का वॉचमेन धोण्डु भी वही नजदीक कुर्सी पर वॉचमेन की यूनिफार्म में बैठा था जिसकी नजरे राधा के गोरे मादक बदन पर ही थी वो बूढा आज भी राधा के मादक बदनकी ओर देख थर थर कांप रहा था जिसे देख समीर ने राशीद को वॉचमेन के गिरने वाली बात शेयर की जिसपर राशीद हस्ते हुवे बोला, "हाहाहाहा साला देख तो कैसे आंटी को देख रहा है."

राशीद की बात बीचमे काटते हुवे राधा बोली, "बच्चो चाचा का कोई प्रोब्लेम होगा, उन्हका मजाक मत उड़ाव."ऐसा बोलकर राधा पार्किंग लॉट में अपनी स्कूटी के पास पहोंची और स्कूटी स्टार्ट कर राधा ने दोनोंको स्कूटी पर बैठने केलिए कहा.

(राधा उस वक़्त एटम बम लग रही थी, काली सिल्क सारी में राधा का गोरा बदन बेहद ही ज्यादा कामुक लग रहा था. एक इंच की सैंडल पहने हुवे राधा किसी भी बॉलीवुड की हिरोइन से कम नही लग रही थी. राधा ने पहना हुवा ब्लाउज़ बैकलेस था याने राधा की पीठ लगबग नंगी ही थी और सारी की खुली कमर की साइड से राधा के स्तन ब्लाउज़ से हापुस आम की तरह फुले हुवे दिख रहे थे और नीचे नंगा पेट तो नाभि के साथ अपना जलवा दिखा रहा था. पैर में पायल, हाथ मे कंगन,मांग में सिंदूर, गले में मंगल सूत्र में राधा साक्षात काम देवी ही लग रही थी.)

राधा के स्कूटी स्टार्ट करते ही पहले समीर गाड़ी पर बैठा फिर राशीद उसके पीछे बैठा फिर गाड़ी नजदीक भाटे बीच की ओर चल पड़ी.

तीनो कुछ 10 मिनट में भाटे बीच पर पहुंचे जहां पहुचते ही राधा ने अपनी गाड़ी किसी झाड़ के पास पार्क की और तीनों समंदर के पानी के नजदिक जाने लगे.

बिचपर ठंडी हवाएं बहे रही थी, समंदर का दृश्य बेहद ही खूबसूरत था वहां पहुंचते ही मादक राधा की मस्ती शुरू हुवी.

राधा समीर और राशीद के साथ जैसे ही समंदरके पानी तक पहुंची वो छोटी बच्ची बनगई और पाव से दोनोंपर पानी उड़ाने लगी. राशीद और समीर भी कहा कम थे उन्ह दोनो ने भी राधा के मादक बदनपर पाव से समंदर का पानी उड़ाना शुरू किया.

(समीर ने उस वक़्त नीली जीन्स और सफेद टीशर्ट पहनी थी तो राशीद सिर्फ बरमूडा और काले टीशर्ट में ही आया था.)

राधा पर जैसे ही दोनो भारी पड़ने लगे वो किसी छोटी बच्ची की तरह वहांसे भागने लगी लेकिन तभी राशीद ने राधा को पीछेसे बाहोंमे पकड़ा और बोला, "कहा भाग रही हो आंटी, पहले शुरुवात आपने की थी अब खत्म हम करेंगे." ऐसा बोलकर राशीद ने समीर को राधा पर पानी उड़ाने केलिए कहा.

अपनी माँ को राशीद की बाहोंमे देख एक अलगसी मस्ती समीर पर छाई और उसका लंड तनकर झटके मारने लगा. उसे ये अंदाजा नही था के उसका दोस्त ऐसे उसकी माँ को पिछेसे बाहोंमे लेसकता है. लेकिन राशीद ने राधा के खुले स्वभाव का अंदाजा लगाकर ही राधा को पिछेसे बाहोंमे लेलिया था.

राशीद के तो मजे थे, राधा की मस्त गांड और नंगी पीठसे वो पूरा पिछेसे चिपका हुवा था. और उसके दोनों हाथ कमर को कसकर पकड़े हुवे थे. इस पोजीशन में उसका लंड तो कबका तनकर खड़ा बरमूडा से टेंट बनाकर राधा को अपनी 34 साइज़ की गांड की फलकोंपर महसूस हो रहा था.

राधा राशीद की बाहोंसे निकलने की बहोत कोशिश कर रही थी लेकिन राशीद की मर्दानी बाहोंसे वो निकलना सकी. राधा को बाहोंसे निकालने केलिए झटपटाता देख राशीद राधा के कान में बोला, "आंटी ये बाहे मर्द की है, निकल नही पाओगी आप."

राशीद की बात सुनते ही राधा भी कहा कम थी वो भी बोली के,"अछा बचूं मुझे चैलेंज देरहे हो अभी तुम्हारा गुरुर चकना चूर करती हूं." ऐसा बोलकर राधा ने अपना एक हाथ पीछे की ओर राशीद के बरमूडा से तनकर खड़े टेंट बानाए उस लंड पर रखा और गोटियोंकी थैली को राधा ने एक हाथसे जोरसे मसल दिया. राधा की अचानक की हुवी इस हर्क़तसे राशीद दर्द से बिल बिलाते हुवे राधा को पकड़ना छोर अपने लंड की थैली को राधा के हाथसे छुड़ाकर अपने दर्द करते लंड को सहलाने लगा.

समीर ने भी अपनी माँ को राशीद की गोटियोंकी थैली मसलते हुवे देखा था, तो वो भी जरा शॉक था.

राशीद को भी यकीन नही हुवा के राधा जैसी हाई क्लास औरत भी कभी ऐसी हरकत कर सकती है. लेकिन अब दर्द करता लंड सहलाते हुवे वो मन ही मन बोला, "ये आंटी किसी चीज से डरती ही नही, बड़ी पहुंची हुवी चीज लग रही है, बिना डरे सीधा मेरी गोटिया मसली आंटी ने.अगर आंटी नही डर रही किसी चीज से तो में क्यों डर रहा हु." ऐसा सोचते हुवे वो सामने खड़ी राधा से बोला, "आंटी अब तो आप गयी." ऐसा जैसे ही राशीद ने कहा राधा छोटी बच्ची की तरह वहांसे राशीद से दूर भागी और राशीद फिर राधा के पीछे भागने लगा. जब वे दोनों समीर से कुछ 10 मीटर दूर गए तब राशीदने राधा को झपटकर पिछेसे पकडलिया. ये सारा नजारा समीर दूर से देख रहा था, वही खड़ा अपने तनकर खड़े लंड को एक हाथसे मसलते हुवे मन ही मन बोलरहा था के, "साला कमीना कितना चिपक रहा है मेरी माँ से."

दूसरी तरफ राशीद अपनी गंदी बाहोंमे राधा को पिछेसे बाहोंमे पकड़कर अपना मुह राधा के कान के पास लेजाकर बोला, "आँटी कितनी जोर से आपने दबाया, अभीतक दुख रहा है. अगर मैने भी आपके साथ वैसे ही किया तो क्या होगा."

राशीद की बात सुन राधा राशीद की बाहोंसे छूटने केलिए झटपटाना बंद कर बोली, "में मर्दानी हु, तू डरपोक है. मैने जो किया वो तू मेरे साथ कर ही नही सकता डरपोक." राधा की बात सुन राशीद मन ही मन बोला, "आंटी किस मिट्टी की बनी है, अब मुझे डरपोक बोलरहि है.सच कहें तो में आंटी ने जो किया वो आंटी के साथ कर ही नही सकता लेकिन अगर आंटी खुलकर मुझे डरपोक बोलकर उकसा रही है तो मुझे क्या करना चाहिए?" तभी उसके अंदर की हवस बोली, "तुझे अगर आंटी उकसा रही है तो दबा उसके चुचे देखते है फिर आंटी क्या बोलती है.तू डरपोक नही है राशीद दबा आंटी के चुचे मजा आएगा."राशीद के दोनों हाथ जो राधा की कमर को जकड़े हुवे थे वे दोनों हाथ थर थर कापने लगे, उसने अपना एक हाथ थर थर कापते हुवे राधा की सारी की एक साइड से ब्लाउज़ से फूलकर दिखते हापुस आमोंपर याने राइट वाले स्तन पर रखा और उसे उसने जोरसे मसलते हुवे सिसकते हुवे बोला, "आंटी में डरपोक नही हु.आह!"

जैसे ही राशीद राधा का राईट वाला स्तन एक हाथके पंजे में पकड़कर मसलने लगा, तब राधा सिसकारियां लेते हुवे बोली,"हे राम,आहहहहहह, में तो मजाक कर रही थी आहहहहह छोर."

समीर दूर से अपनी माँ को काले कलूटे राशीदकी बाहोंमे झटपटाते हुवे देख रहा था, लेकिन उसे सिर्फ उस वक़्त राशीद की पीठ और राधा की कमर का हिलना ही दिख रहा था, जो कांड सामने चल रहा था वो उसे नही दिख रहा था.

एक बाहरी मर्द से अपना स्तन मसलते हुवे महसूस कर राधा जो अपने पति से अपना मादक बदन मसलवाने केलिए भुकी थी उसकी भूक अब और बढ़ गयी और वो सिस्कारिया लेने लगी, "आहहहहहह!"

राधा की सिसकारियां सुन अब राशीद में और जोश बढ़ गया और वो मन ही मन बोला, "मुझे यकीन नही होरहा के में इस मस्त हाई क्लास आंटी के चुचे दबा रहा हु, क्या मस्त नरम चुचे है आंटी के. और आंटी तो खुल्लम खुल्ला सिस्कारिया भी ले रही है. मजा आगया आह! जी तो कर रहा है इस मस्त आंटी को यही लिटाकर चोदू. लेकिन राशीद खाने को मिला है तो सब मत खा. तुझे अब आंटी के खुले स्वभाव की सीमा कहांतक है इसका अंदाजा आचुका है अब ज्यादा मत कर." ऐसा मन ही मन बोल उसने राधा को अपनी बाहोंसे आजाद किया और मजाक में बोला,"आंटी जरा बताओ तो आप डरपोक किसे बोलरहि थी?"

राधा राशीद की बात पर राशीद को जैसा रिस्पोंस चाहिए था वैसा ही रिस्पोंस देते हुवे वो बोली, "हा बाबा तू डरपोक नही है.लेकिन मैंने तेरी गोटिया इतने जोरसे दबाई नही थी."

राशीद को अब राधा के खुले स्वभाव से खेलते हुवे वासना की भूख शांत करने का अंदाजा अछि तरह आचुका है.

राधा का समंदर के पानी से भीगा हुवा बदन बाहोंमे लेकर राशीद को काफी मजा आया. जैसे ही राधा को राशीद ने बाहोंसे आजाद किया उन दोनों में जनरल बाते ऐसे शुरू हुवी के जैसे कुछ हुवा ही ना हो.राधा मस्त मौला है इसका भी अंदाजा राशीद को होचुका था. अब उसका दिमाग राधा के खुले स्वभाव से मस्ती करनेके तरीके ढूंढने लगा.

रविवार के रात के १० बजे.

खाना खाने के बाद समीर अपने बेडरूम में सीसीटीवी की कोई फिकर ना करते हुवे वो पूरा नंगा आरामसे अपना लंड हिलाते हुवे आज जो कामुक घटनाएं हुवी उसके बारे में सोच रहा था, के कैसे उसके दोस्त रशीद ने उसकी कामुक मां को अपनी बाहोंमे पकड़ लिया था. पता नही क्यों लेकिन इस घटना से समीर कामुक हो रहा था, लेकिन इस कामुक घटना का पूरा सच समीर को मालूम ही नहीं था के उसके दोस्त ने उसकी मां के चूचे भी मस्त होकर दबाए थे, ये बात अगर समीर को पता होती तो पता नही समीर का रिएक्शन कैसा होता.

इन हाई क्लास मां बेटे के जीवन में एक तूफान आने वाला था जिसको आमंत्रण खुद समीर ही देने वाला था जी हां, समीर को लग रहा था के अगर बिना डरे रशीद पहली बार में ही उसकी मां को बांहों में जकड़ सकता है तो वो कुछ भी कर सकता है, याने उसको इस्तेमाल कर वो अपनी मां की गुलाबी कामुक छेदोंतक तो पता नहीं लेकिन जो उसे आज अपनी मां से मिल रहा है उससे बढ़कर ही कुछ मिल सकता है. इसी वजह से उसने एक प्लान बनाया के वो अब अपने दोस्त रशीद को अपने घर रोज रविवार बुलाएगा. ऐसा वो सोच ही रहा था के सीसीटीवी की रेड लाइट जली जिसपर समीर की नजर पड़ी याने उसे पता लग चुका था के उसकी मां की नजर उसपर ही है फिर क्या था जोश में आकर सीसीटीवी की ओर देख चिढ़ाते हुवे वो अपना लंड हिलाने लगा.

दूसरी ओर राधा अपने बेडरूम में अपने मोबाइल से ये कामुक दृश्य देख मन ही मन बोली "कितना बेशर्म हो गया है मेरा लाल, में उसे देख रही हूं ये पता होकर भी कैसे लंड हिला रहा है." ऐसा बोलकर उसने अपने गाउन के उपरसे अपनी चूत मसलने लगी और एक तेज सिसकारी लेते हुवे बोली, "ahhh आह ये मेरा अपने बेटे की ओर आकर्षण ठीक नही ahhhhhh."

सोमवार का दिन दोपहर के २ बजे

तो इस वक्त समीर अपने कॉलेज में अपने दोस्त रशीद के साथ कैंटिंग में खाना खाते हुवे बाते कर रहा है.

रशीद, "यार रविवार के दिन तेरी मां के साथ बहुत मजा आया यार."

तभी अपने प्लान के मुताबिक समीर खुलकर बोला, "हा यार मजा तो आया".

दूसरी ओर रशीद खाना खाते हुवे मन ही मन, "यार इसे कैसे मनाउ के मुझे इसके घर आना है और ज्यादा से ज्यादा वक्त तक इसकी मां के साथ मस्ती करनी है, मेरे इस दोस्त की मां तो माल है माल." ऐसा वो सोच ही रहा था के समीर उसके मन मुताबिक बोला, "यार मेरी मां को भी तुम पसंद आए, घर लौटते ही तेरे ही गुणगान कर रही थी." ये सब समीर झूठ अपने प्लान के हिसाब्से बोल रहा था ताके रशीद का इस्तेमाल वो अपने मन मुताबिक कर सके.

समीर की बाते सुन रशीद की बांखे फुल गई और हिम्मत करके समीर को जिसका अंदाजा था वैसा ही रशीद बोला, "यार तेरी मां के साथ दोस्ती तो होली लेकिन अब मिलने का भी दिल करता है तेरी मां से अब क्या करू तू ही बता में अब क्या करू."

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