समीर और उसकी माँ राधा - भाग 04

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समीर मन ही मन,"लगा ही था साले सीधा मुद्दे पर ही आएगा." ऐसा मन ही मन सोचते हुवे समीर खुलकर रशीद से बोला, " तो आया कर रविवार को मेरी मां से मिलने."

अपने दोस्त समीर की बात सुनते ही अपनी खुशी जाहिर करते हुवे रशीद बोला, "थैंक्स यार, हम दोनो बहुत मजे करेंगे रोज रविवार को तेरी मां के साथ." ऐसी डबल मीनिंग वाली बात कर अपनी पीली बत्तीसी समीर को वो दिखाने लगा.

ऐसा बोलकर रशीद मन ही मन बोला,"यार आंटी एकदम मस्त है यार, चूचे दबाएं थे तब भी आंटी अपने ही रंग में थी, कुछ गुस्सा नही हुवी." ऐसा सोचते हुवे उसने अपने काले लंड को टेबल के नीचे एक हाथसे मसलने लगा. ऐसे ही बाते करते करते उनका खाना खत्म हुवा और छुट्टी भी खत्म हुवि और वे दोनो अपनी क्लास में जा पहुंचे.

ऐसे ही कुछ दिन बीत गए और रविवार का दिन आगया.

रविवार के ९ बजे.

समीर के साथ रशीद हॉल में चारो ओर फैले गद्दोंपर बैठे थे और राधा उन दोनों केलिए नाश्ता बना रही थी.

जहा अभी रशीद था वहांकी हर एक चीज आलीशान और महंगी थी जिन्हें देख पहले तो रशीद की आंखे चौंधियासी गई थी. लेकिन बाद में लो क्लास रशिदने अपने आप को संभाला और इस जगह के लायक वो है ये दिखाने वो लगा जिसमे वो पूरी तरह फेल रहा क्योंकि उसके शरीर की बनावट ही लो क्लास लेवल की थी, काला भद्दासा शरीर, चेहरे पर गाल पर घाव का निशान और उसे देखते ही लग रहा था के बहुत दिनों से नहाया ही ना हो भला हो उस राधा का जिसके खुले विचारों के कारण राधा समीर और रशीद की दोस्ती में आड़े ना आई नही तो कोई दूसरी मां होती तो रशीद को अपने बेटे के नजदीक भटकने तक नही देती.

राधा चाय और बिस्किट लेकर बाहर आई और सामने बैठे अपने बेटे और उसके दोस्त रशीद के सामने जा बैठी और जैसे ही झुकी अलादीन की गुफा खुली याने राधा के दोनो स्तन रशीद के सामने काले ब्रा में झूल रहे थे जिन्हे ना देखने की कोशिश रशीद ने बहुत की और दूसरी ओर रशीद की हालत देख समीर मन ही मन बोला, "साले आज इन चुचियोंको देख तेरी ये हालत हो रही है सोच में तो ये रोज देखता हु तो सोच मेरी क्या हालत होती होगी."

चाय नाश्ता होने के बाद तीनों याने राधा,समीर, और रशीद मजाक मस्करी बातों में लगे ही थे के रशीद ने एक ऐसी बात छेड़ी के राधा भी खुश हुई.

रशीद, "क्या आंटी कितना काम करती है आप, रिलैक्स भी किया करो."

राधा रशीद की बात से खुश हवाई और अपने बेटे समीर की ओर देख बोली, "सुन रहा है ना तू, तेरे से ज्यादा तो मेरी फिकर तेरे दोस्त को है."

अपनी मां का ताना सुनते ही समीर के दिमाग में एक आइडिया आया जिसके मुताबिक वो अपनी मां से बोला, "मां मुझे भी आपकी फिकर है, तो चलिए में आपकी कितनी फिकर करता हु वो में दिखाता हु." ऐसा बोलकर वो उठ खड़ा हुआ और अपनी मां जहा बैठी थी उसके पीछे जाकर अपनी मां के कंधे की मालिश करने लगा.

उस वक्त राधा ने एक गुलाबी सफेद नकाशी वाला पतला गाउन पहना था. जिस्मेसे उसके गुलाबी कामुक अंग उभरकर दिख रहे थे. वो तो किआरा आडवाणी का एडवांस वर्जन लग रही है.

समीर के इस मूव का अंदाजा रशीद को नहीं था, समीर को अपनी मां के कंधे की मालिश करता देख उसे जलन और हवस दोनों एक साथ महेसुस होरहे थे.

समीर को अपने दोस्त के सामने अपनी मां की मालिश करने में उसे बहोत मजा आरहा था.

दूसरी ओर राधा भी समीर के इस मूव से सरप्राइज होकर अपने बेटे के मालिश से आनंदित होकर सिसकते हुवे वो बोली, "ये हुई ना बात, मेरा प्यारा बच्चा."

अपनी मां राधा का साथ पाकर अब समीर में और जोश बढ़ा और अपने प्लान मुताबिक उसने राधा को पीछे से धक्का दिया तो अपने बेटे के मन मुताबिक वो आगे की ओर अपने दोनो हाथ लेजाकर गद्दे पर सीधे रखे, जी हां वो डॉगी स्टाइल में थी उसे समझ नही आरहा था के उसका बेटा आखिर चाहता क्या है.

राधा को डॉगी स्टाइल में देख समीर और रशीद दोनो हवस से पागलसे होगये क्योंकि राधा की गद्देदार गांड की फांके डॉगी स्टाइल में गाउन से उभरकर दिख रही थी. समीर भी अब और कंट्रोल कर ना सका और उसने अपने दोस्त के सामने कुछ हद तक वो सीक्रेट जाहिर कर दिया जो वो रशीद से छुपाए हुवे था. जी हां समीर ने राधा के गद्देदार गांड की फांकोंके बीच अपने बरमूडा और अंडर वेयर से खड़ा दिख रहे लंड के उभारको जाकर राधा की गांड के बीच टकरा दिया और सिसकारी लेते हुवे बोला, "अह्ह्ह्ह मम्मी, सीने के बल लेट जाओ."

दूसरी ओर अपने बेटे की कामुक हरकत से उसकी भी सिसकारी निकली, "अह्ह्ह्ह् अह्ह्ह्ह्ह."

अपने बेटे की इस कामुक हरकत जो वो कई बार कर चुका है लेकिन उसके दोस्त के सामने ये हरकत करने के बावजूद राधा गुस्सा होने की जगह मस्त हुवे जारही थी, वो भी थोड़ी कम नही थी उसने अपने बेटे की कामुक हरकत पर सीधा अपना हाथ पीछे लेजाकर अपने बेटे की गोटीयोंको मसल दिया वैसे नही जैसे रशीद की गोटियोंको मसला था. इस मसलने में भी मां की ममता थी.

रशीद अपने सामने चल रहे इस मां बेटे के कामुक खेल से उसका लंड ट्रैक पैंट के अंदर खड़ा होकर दर्द करने लगा, उसे ये अंदाजा लग चुका था के समीर की मां के मस्ती का मजा उसने एक बार लिया है, लेकिन सामने का ये खेल देख अब उसे अंदाजा आचुका था के ये मजा तो उसका दोस्त अपनी कामुक मां से रोज उठाता होगा ये सोचकर रशीद की समीर के प्रति जलन और उसकी मां के प्रति हवस और भी ज्यादा बढ़ गई.

अपनी गोटिया जैसे ही मां ने मरोड़ी तब समीर थोड़े दर्द में बोला, "अअह्ह्ह्ह मां मैं तो बस आपको सीने के बल लेटाना चाहता हु ताकि आपकी अच्छे से मालिश कर सकू, छोरो ना मम्मी दर्द हो रहा है."

आखिरकार राधा ने समीर के गोटे छोरे और सीने के बल लेटते हुवे वो बोली, "मुझे तो लगा के तू मुझे परेशान करना चाहता है रोजकी तरह."

रोजकि तरह शब्द सुनते ही रशीद का शक सही निकला, के समीर अपनी मां के कामुक बदनको रोज छेड़ता होगा और मजा लेता होगा. ये समझते ही उसके अंदर ये प्रश्न पैदा हुआ के क्या उसका दोस्त अपनी मां को उसके साथ बाट सकता है? इस प्रश्न का उत्तर उसे जल्द ही मिलने वाला है.

राधा जैसे ही सीने के बल लेटी समीर राधा के पैरोंके नजदीक जा पहुंचा और रशीद को इशारा करते हुवे रूम में जो विंडो थी उसे लगे हुवे एक तेल की बॉटल थी उसे यहा लाने को कहा. जैसा समीर ने कहा वैसे ही रशीद ने किया और समीर के नजदीक याने राधा के पैरोंकेे पास ही बैठा. और आगे का मस्त कामुक नजारा देखने लगा सामने राधा की गांड की फल्के, मोटी जांघें,गोरे कामुक पैर, गोरी पीठ का नजारा देख रशीद के लंड में हलचल थी उतनी हीं हलचल समीर के अंदर भी थी क्योंकि जो वो करने वाला था वो सब अपने दोस्त के सामने करने वाला था और ये भी एक चीज थी के वो आज कुछ नया करने जारहा था.

पहले समीर ने तेल पैरोंकी उंगलियों पर डाला और वहा मालिश करने ही लगा था के समीर ने रशीद से कहा, "यार, जरा तुभी हात बटाले, दूसरे पैर पर तू मालिश कर." ये सुनते ही रशीद का दिल खिल उठा, हड़बड़ाहट में उसने तेल हाथमे लिया और राधा की उंगलियोंकी मालिश करने लगा. तब समीर ने अपनी मां से पूछा, "मां कैसा लग रहा है अब."

राधा, "सिसकते हुवे बोली, ahh hmmm अच्छा लग रहा है." अपनी मां से ग्रीन सिग्नल मिलते ही उसने अपने हाथ आगे बढ़ाए और राधा की पिंडिलियों तक वो मालिश करने लगा. समीर की तरह ही अब रशीद भी करने लगा उसके लिए तो ये सब एडवेंचरस था, एक हाई क्लास औरत के कामुक अंगोंको वो पहली बार छूरहा था, इस कारण उसका लंड खड़ा होकर फुफकार रहा था.

अब दोनो रशीद और समीर एक साथ जोर लगाकर तेल लगाकर एड़ी से लेकर पिंडिलियोतक दोनो हाथोंसे मालिश करने लगे, मालिश क्या वे दोनो तो राधा की पिंडिलियोंको मसलने लगे.

राधा आहे भरने लगी,"ahhhh हाई राम, बहोत अच्छा लग रहा है."

राधा की सिसकारियां सुन दोनों की हिम्मत बढ़ी और दोनो ने राधा का गाउन पिंडिलियोंके ऊपर गोरी गुलाबी जांघो तक उठाया और दोनो जाघोंपर ढेर सारा तेल डालकर हवसमे वे दोनो इतने डूब गए के अब मालिश नही बल्की जांघोंको वे दोनों मसल रहे थे. इतनी मोटी मुलायम जांघें बार बार मसलने से लाल गुलाबी होचुकी थी जिन्हें देख एक बार केलिए दोनो एक दूसरे को देखते और फिर सामने कामुक नजारे को देखते, ऐसा ही कुछ देर करते करते रशीद ने आखिर कार धीमी आवाज में समीर से कहा, "तेरी मां मूड में लग रही है, क्या अब हम आगे बढ़े." ऐसा जैसे ही वो बोला तभी राधा ने अपनेआप पर काबू किया और उसे अंदाजा आचुकाथा के ये अब सिर्फ एक मालिश नही बल्की हवस का नंगा नाच शुरू होने जारहा था. उसने सिसकारी लेते हुवे सीने के बलसे उठकर बैठ गई और दोनों के कान जोरसे पकड़कर

वो बोली, "तुम दोनो तो दिन प्रतिदिन शैतान होते जारहे हो."

राधा ने उन दोनों के कान इतने जोरोंसे पकड़े थे के समीर पहले बोला, "ahh मां दुख रहा है, मां सॉरी, हम तो सिर्फ आपकी मालिश कर रहे थे."

रशीद, "हां आंटी हम तो सिर्फ आपकी मालिश कर रहे थे."

तभी राधा ने उन दोनों के कान छोरे और वो हंसते हुवे बोली, "कितने डरपोक हो तुम लोग, तुम दोनो ने मेरी अच्छी मालिश की. तुम दोनो मर्द हो अब तो थोड़ा कुछ ऊपर नीचे हुआ तो चलता है. तुम दोनों की शक्ले देखो, १२ बजे है तुम दोनों की शक्लोंपर. चलो अब मुझे बहोत काम है." ऐसा बोलकर वो वहांसे किचन चली गई, जाते वक्त मन ही मन वो बोली, "आज कल के मर्द कितने डरपोक होते है."

राधा के जाते ही रशीद समीर से बोला, "यार मेरी तो फट के हाथ में आई थी."

समीर, "अरे डरपोक, मेरी मां ऐसी ही है, बहोत शरारती है मेरी मां."

ऐसे ही बाते करते करते वे दोनों बेडरूम में चले गए जहां वे कंप्यूटर पर गेम खेलने लगे.

कुछ आधा घंटा बीत गया वे दोनो गेम खेल रहे थे तभी जब समीर की बारी आई गेम खेलने की तो रशीद पानी पीने केलिए जानें का बहाना बनाकर वो वहांसे चला गया.

बेडरूम से बाहर आते ही रशीद सीधा किचन में जा घुसा, सामने राधा डाइनिंग टेबल ठीक कर रही थी उसे पिछेसे देख उसका लंड खड़ा हूवा, क्या मस्त नजारा था सामने का, गुलाबी सफेद नकाशी वाले गाउन में राधा के कामुक अंग उभरकर दिख रहे थे, खासकर पिछेसे उसकी गांड की फलके फैली हुवी कामुक लग रही थी.

रशीद सारे कैलकुलेशन कर चुका था तो उसी हिसाब से वो आगे बढ़ा और सीधा राधा को पिछेसे बाहोनमें उसने राधा को लेलिया. और ढेर सारे चुंबन राधा के गोरे गुलाबी गले पर देने लगा.

ऐसा कामुक हमला अपने ऊपर होते ही राधा बोली, "आया मेरा बच्चा, मेरा लाल फिरसे मुझे परेशान करने." लेकिन तभी जब उसकी नजरे कमर पर रखे काले घिनौने हात पर गिरी तब उसे समझ आया के ये उसका बेटा नहीं बल्की रशीद है. तो उसने विरोध दर्ज़ करते हुवे कहा, "अरे कालिया, कलमुहे, काले सांड छोर मुझे." राधा के शब्दोंमे अब भी कठोरता नही थी, बल्की एक मसकरापन था जिसे मेहसूस कर रशीद और आगे बढ़ा और राधा के चूचे गाउन के उपरसे पूरी ताकत्से दबाते हुवे बोला, "ये बदला है आंटी, कलका जब आपने मेरी गोटिया निचोड़ली थी, तबसे आप पर एक कर्ज चढ़ चुका है इसी लिए जबतक आप मेरे कर्ज को नहीं उतारती तबतक में आपको ऐसे ही तड़पाऊंगा." ये बोलकर उसने राधा के चूचे जोर जोर से दबाना शुरू किया.

रशीद के हाथोंको चूचे दबाते वक्त ऐसा लग रहा था मानो कोई मुलायम स्पंज हो.

उधर राधा दर्द से करहाते हुवे बोली, "ठीक है बाबा, कर्ज उतारने केलिए क्या करना होगा?"

राधा की हर बात में कामुकता थी, कई दिनोंसे उसके शरीर को किसने इस तरह मसला नहीं था, उसका पति भी आता तब ही कुछ दो दिन का सेक्स का खेल चलता था नही तो पूरे दिन सुखेंकी तरह बीत जाते थे. अंदाज पंची कहे या लक आज राधा कुछ ज्यादा ही कामुक थी इसी का लुफ्त रशीद उठाने वाला था जिसे आगे क्या होने वाला है इसकी कोई खबर नहीं थी.

रशीद राधा की बातों में कामुकता महेसूस कर सकता था इसी अंदाजे से वो बोला, "आंटी एक बार लंड हिलादे तो जन्नत मिल जाएगी." ऐसा बोलकर अपनी पीली बत्तीसी दिखाने लगा.

रशीद की बात सुनकर राधा मन ही मन बोली,"और मेरी भूख कौन मिटाएगा, हाय री दय्या, मांग मांग कर सिर्फ लंड हिलाना, आज तो में भी इसका मजा लूंगी चाहे कुछ भी हो ये मौका हाथ्से जाना नही चाहिए." ऐसा मन ही मन बोलकर उसने रशीद को पीछे की ओर धक्का देकर जरासा पीछे हटाया और फिर वो रशिदसे आंखोनमे आंखे डालकर बोली, "तुम्हे जो करना है करलो लेकिन कपड़ो के उपरसे ही." ऐसा जैसे ही राधा ने बोला रशीद सीधा राधा के रसीले गुलाबी होठों पर टूट पड़ा, उसके दोनो हाथ राधा के पीछे पीठ से लेकर गांड तक घूम रहे थे, वो राधा की गांड की फलकोंको बडीही बेरहमी से मसल रहा था. राधा की आहे रशीद ने जड़े चुंबन में ही घुट कर रहे रही थी. के तभी एक जोर दार थप्पड़ रशीद ने राधा की गांड पर जड़ दिया, ऐसे ही १० थप्पड़ उसने राधा की गांड की फलकोंपर जड़े, हर एक थप्पड़ पर राधा की गांड जेली की तरह जिगल कर रही थी.

दूसरी ओर रशीद राधा के मुहमे अपनी घिनौनी जीभ डालकर फ्रेंच किस कर रहा था, उसपर राधा भी उसके सर पर हाथ रख कर सहेला रही थी और अपनी कोमल जीभ उसे चूसने देरही थी एक लो क्लास लड़का एक हाई क्लास अपने दोस्त की मां के साथ मजे कर रहा था.

चुंबन कुछ १० मिनट तक चला, राधा और रशीद ने एक दूसरे के थूक की लेन देन की. एक बदबूदार लो क्लास लड़के को एक हाई क्लास औरत चुंबन देरही थी वो भी फ्रेंच किस्स. उस लड़के की सासों से आती बदबू राधा को पता नहीं क्यों और भी ज्यादा कामुक कर रही थी. १० मिनट बीतते ही रशीद ने खुद ही फ्रेंच किस तोड़ा और राधा की सांस में सांस आई, वो आफते हुवे कामुक अंदाज में बोली, "ahhhh hmm हे भगवान, तुमने तो मेरी जान ही लेली थी आज."

तभी रशीद भी आफ्ते हुवे बोला, " आंटी में तो आपका यार हू, जान कैसे लेसकता हु आपकी, आप तो मेरी जान है." ऐसा बोलकर उसे याद आया के राधा ने उसे खुली छूट दी है, कपडोंके उपरसे वो कुछ भी कर सकता हैं तो उसने सामने से राधा के गाल पर किस्स किया फिर गर्दनपर फिर स्तन से थोड़ा ऊपर किस्स करने लगा तब राधा सिसकारियां लेते हुवे कामुक बाते करने लगी, "ahhhh, तू तो बड़ा ही बेशर्म निकला रे, मुझे तो लगा था के अपने दोस्त की मां के नाते तो तू शर्माएगा ये सब करने केलिए."

तभी रशीद राधा के स्तन दोनो हातोंसे जोर से दबाते हुवे बोला, "अह्ह्ह्ह आंटी अगर आप बेशर्म होसकती है तो मैं क्यों नही." ऐसा बोलकर गाउन के उपरसे ही वो राधा के स्तन मुहमे लेकर चूसने लगा. स्तनों को चूसते वक्त रशीद को एहसास होरहा था के राधा के निप्पल पूरे तने हुवे है जिन्हे वो अब गाउन के उपरसे मुंहमे लेकर चूस रहा था.

रशीद की इस कामुक हरकत से राधा कामुक आहे भरने लगी, "ahhhh hmm mmm जरा धीरे ahh."

किचन का नजारा काफी अब कामुत्तेजीत हो चुका है, एक लो क्लास बदसूरत लड़का एक हाई क्लास औरत के चूचे बड़े ही कामुक अंदाज में गाउन के ऊपर से हाथोंसे दबा और चूस रहा है कांट रहा है. ऐसी मस्त आइटम बम को हाथ में पाकर रशीद पगलासा गया था. रशीद की थूक से अब गाउन की चुचियोंकी जगह अब चूस चूस कर गीली होगयी थी.

राधा दूसरी ओर अपने कामुक बदन को पूरा रशीद को समर्पित कर चुकी थी.

(राधा जो बिना डरे कर रही थी, उससे वो एक साहसी महिला है ये साबित होरहा था. क्योंकि ये कांड जब किचन में चल रहा था तब उसका बेटा भी घर में अपने बेडरूम में मौजूद था, वो कभी भी आसकता है ये बात राधा को पता थी लेकिन वो बेफिक्र अपने यार रशीद के साथ कामुक मस्ती कर रही थी.)

जब रशीद बेलगाम हुआ और उसके चूचे बेरहमी से काटने चबाने लगा तब राधा दर्द से चिल्लाते हुवे बोली, "ahhhhhhjjjhhh, हम्मम्मम दर्द होरहा है, अब बस करो."

आखिरकार २० मिनट राधा की चुचिया गाउन के उपरसे चूसने के बाद, रशीद को ठंडक मिली के उसने अपने दोस्त की मां की चुचियोंके साथ वो बहुत बेरहमी से खेला. तभी अचानक चूचियां छोड़ते हीं रशीद ने राधाके कंधे को नीचे की ओर दबाया, याने राधा को अब एहसास होचुका था के आगे क्या होने वाला है. वो एक्साइटेड थी के आगे अब क्या क्या होने वाला है सोचकर.

रशीद के निर्देशना नुसार राधा नीचे घुटने के बल बैठी और खुदसे ही आगे बढ़कर अपने एक कोमल गोरें हाथ से रशीद की ट्रैक पैंट पर जो लंड का उभार था उसे वो एक हाथसे वो मसलने लगी. तब रशीद की कामुक आहें निकली, "ahhhhh अह्ह्ह्ह्ह."

उसे यकीन नही होरहा था के साक्षात काम देवी उसके लंड को छू रहीं है. तभी बिना देर किए राशिद ने ट्रैक पैंट का नाडा खोला और उसकी ट्रैक पैंट को राशिदने घुटने तक नीचे किया लेकिन अंडरवीयर वैसी ही रखी तब जैसा चाहिए था वैसा ही रशीद को मिला, राधा ने खुद्से ही रशीद की अंडरवीयर घुटने तक नीचे सरकादी क्योंकि राधा के अंदर रशीद का काला लंड देखने और उसके साथ खेलने की वासना जाग उठी थी. जैसे ही रशीद का सांप सा फुंकारता हुआ ८.५ इंच लंबा काला लंड राधा के सामने अपने पूरे आकार में झूलने लगा तब कोई शिकार जैसे झपटता है वैसे ही राधा ने रशीद के लंड को झपट कर एक हाथ में पकड़ा और उसे जोर जोर से हिलाते हुवे रशीद की ओर कामुक नजरोंसे देखने लगी. राधा के गोरे कामुक हाथोन्मे अपना लंड पाकर रशीद हवस में पागल होगया, और सिसकारियां लेते हुवे कुछ बड़बड़ाने लगा, "ahhhhh ऐसे ही आंटी, आप बड़ी मस्त हो. पता नही था के आप इतने जल्दी पट जाओगी."

तभी राधा रशीद को जीभ निकालकर चिढ़ाते हुवे उसके लंड को जोर जोर से हिलाते हुवे वो हाफ्ते हुवे बोली, "मुझे सिर्फ मेरा पति ही पटा सकता है, कोई और में दम नहीं, ये सब तो में मजे केलिए कर रही हू मेरे यार, तू सिर्फ यार बना रहो प्यार नही."

राधा की बात सुन रशीद मन ही मन बोला, "आंटी सही तो बोल रही है, मुझेंतों बस आंटी के साथ मस्ती करनी है, आंटी पटने के बारे में ना तो बोल रही है लेकिन मेरे हिसाबसे तो ये आंटी मुझसे पट तो गई है." ऐसा वो सोच ही रहा था के किचन के दरवाजे पर उसकी नजर गई तो वहा उसे समीर दिखा जो अपनी बरमूडा नीचे सरकाए हुवे हाथ में लंड थामे हुवे हिला रहा था. तभी एक आइडिया रशीद के दिमाग में आया, उसे यकीन था के मां बेटे में कुछ तो खिचड़ी पक रही है तो वो उसमे शामिल होना चाहता था तो वो समीर की ओर इशारा करते हुवे राधा से बोला, "जरा देखो तो कौन पधारें हैं यहां"

राधा ने जैसे ही समीर की ओर देखा वो हड़बड़ाहट में उठ खड़ी हुवि और मसकरे अंदाज में बोली, "पता था ये तुम दोनो की चाल थीं मुझे फसाने की, मैं पटने नही वाली तुम दोनों से." और बेसिंग में अपने हाथ धोकर पीछे मुड़ी तो वो दोनो वैसे ही लंड हाथ में लिए खड़े उसे दिखे तो उन्हे वो जैसे तैसे गुस्से में बोली, "चले जाओ अभी के अभी."

रशीद तो टेढ़ी खीर था उसने लपक कर राधा को सामने से गले लगाया, उसका खड़ा लंड सीधा राधा की चूत पर जाकर दब रहा था. तभी समीर की ओर इशारा कर रशीद ने समीर को पीछे से राधा को गले लगने का इशारा किया. वैसा ही समीर ने भी किया अब समीर का भी लंड अब पीछे से गांड की फांकों के बीच सटकर खड़ा था.

दोनों की इस हरकत से राधा चौक उठी और सिसकते हुवे बोली, "अरे क्या कर रहे हो, ahh बेशरमो."

तभी रशीद राधा की गर्दनपर किस्स करते हुवे बोला, "नही आंटी आप हम दोनों को तड़पता हुआ नही छोर सकती." और समीर ने भी रशीद की हां में हां मिलाई.

तभी राधा ने दोनों को धक्का लगाकर साइड किया और जो लेक्चर देना शुरू किया दोनों को के दोनों के लंड मुरझांसे गए. लेकिन राधा ने लास्ट लास्ट में जो कहा वो समीर और रशीद के लिए संजीवनी बूटी की तरह काम किया क्योंकि राधा लास्ट में लेक्चर खत्म करते हुवे बोली, "देखो बच्चो इस उमर में हार्मोंस की उथल पुथल होजाती है तो इसका मतलब नही के तुम कुछ भी करजाओ."

दोनों के लटकें हुवे चेहरे और लंड देखकर राधा को दोनों पर दया आई और वो घुटने के बल बैठ गई और बोली, "चलो ऐसे मुंह मत लटकाओ, आओ नजदीक अपने लंडोंको लेकर."

(तो यहाँ ये समझना जरूरी है के राधा के अंदर हवस है लेकिन उसे कंट्रोल करना उसे आता है, अभी वह तो बस लड़कोंको खुश करना चाहती थी, उसके हिसाबसे ये लड़के याने उसका बेटा समीर और उसका दोस्त रशीद को बस प्यार की जरूरत हैं वो भी जिस्मानी प्यार की. तो वो कुछ हद तक उन्हे मदत करने वाली है. लेकिन क्या समीर और रशीद अपनी हद में रहेंगे ये तो आगे ही पता चलेगा.)

राधा की कामुक बात सुन याने सीधा लंड जैसे शब्द का इस्तेमाल करता देख दोनों बहुचके रह गए और वे दोनो बिना टाइम वेस्ट किए राधा के सामने जाकर अपने फिरसे तने लंड झुलाते हुवे कामुक अंदाज में राधा के गोरे गुलाबी चेहरे के नजदीक जा पहुंचे तभी राधा ने झपटकर दोनों के लंड एक एक हाथ में पकड़ लिए और उन्हें वो जोर जोर से आगे पीछे हिलाने लगी, राधा के मुलायम हाथों का स्पर्श पाकर रशीद और समीर जन्नत सा महेसुस कर रहे थे, उन दोनों का अब प्रीकम भी निकलने लगा था, उस्से अब राधा के लंड हिलाने से पुच पुच की कामुक आवाज आने लगी.

वो कामुक अंदाज में दोनो की ओर देख उन दोनों के लंड वो हिला रही थी के तभी समीर ये कामुक खेल झेल ना पाया और ढेर सारा पानी राधा के चेहरें और गाउन पर उड़ेला, लेकिन दूसरी ओर रशीद झड़ने का नाम ही नही लेरहा था अब जब हिला हिला कर राधा के हाथ दुखने लगे तब उसने खुदसे ही अपनी जीभ से रशीद का घिनौना काला लंड चाटने लगी. राधा की इस मूव से वे दोनों हक्के बक्के थे. ज्यादातर समीर ही बहुचक्का था के उसकी मां अपने दोस्त के लंड से किसी रंडी की तरह खेल रही थी जिससे वो और भी ज्यादा कामुक होरहा था, इस कारण सामने का कामुक नजारा देख समीर का लंड फीरसे खड़ा होगया और वो अब उसे सामने का नजारा देख लंड हिलाने लगा.

राधा रशीद के लंड से बहते प्रिकम को चाटकर साफ़ करने लगी, पूरा लंड काली झाटोंसे घिरा हुवा

उसे वो अब मुंह में लेकर किसी टॉफी की तरह चूसने लगी और कब उसमे खोगई उसे पता ही नहीं चला. किसी रंडी की तरह वो घिनौने लंड को चूस रही थी और दूसरी ओर रशीद के पाव काम उत्तेजना से कांप रहे थे, रशीद ने राधा के सर को पीछे से पकड़ा और अब रशीद राधा के मुंह को अपने लंड से चोदने लगा जिससे ",ggggggghhh ghhhhhh" की कामुक आवाजे आने लगी. तभी राधा ने एक हातसे रशीद की गोटियोंको मरोड़ना शुरू किया ताकी वो जल्दी झड़ सके फिर क्या था वैसा ही हुआ ढेर सारा पानी राधा के मुंह में रशीद ने पेल दिया तब भी वह लंड अंदर बाहर पेले जारहा था, तब तक वो शांत नही हुवा जब तक पानी की आखरी बूंद तक राधा के मुंहसे पेट में नही चली गई. रशीद ने जैसे ही लंड राधा के मुंह से बाहर निकाला तब राधा हाफते हुवे रशीद की ओर देख बोली, "जानवर हो तुम ooh ah ah,"

दूसरी ओर समीर अपना खड़ा लंड हिला हिला कर चरम पर पहुंचा और उसने अपनी मां को प्यारसे कहा, "मां मुंह खोलकर जीभ निकालोना."

राधा उस वक्त बेहदही ज्यादा कामुत्तेजित थी उसकी चूत काम रस से गीली होचूकी थी जिसे मसलते हुवे राधा ने अपनी जीभ बाहर निकाली और तभी ढेर सारा सफेद पानी समीर ने राधा के होंठो पर और जीभ पर और इर्दगिर्द मुंह में डालदीया. क्या मस्त नजारा था, एक हाई क्लास औरत दो नौजवान लड़कोंके सफेद पानी से तरबतर थी. जब दोनों के लंड मुरझाए तब जाकर वो उठ खड़ी हुवि और बाथरूम की ओर जाते हुवे वो दोनों से बोली, "हुलिया ठीक करो तुम दोनो, नंगे ही रहोगे क्या पूरा दिन, शैतान कहिंके."

जो कुछ भी कुछ देर पहले हुवा उस्सेे समीर और रशीद दोनो शॉक्ड थे, उसी कारण भूत की तरह खड़े राधा का ताना सुनने के बाद भी कुछ देर वैसे ही खड़े रहे फिर होश में आते ही वे दोनों ने अपने कपड़े पहने.

भाग १ समाप्त

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RahulbhatnagafRahulbhatnagaf3 months ago

Story complete kar de mere bhai

sriosrio4 months ago

Bro it was an awesome story but please next time only do mother and son and make it a slow burn please no other people other family u can include family women like Chachi kaaki bhabhi sister make it about innocence, massage, cfnm, medical emergency, slow seduction, exploration of mothers body while she gives her son a hand but strictly professional

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