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ये कहानी मेरी बहन अंजलि और मेरी है। मेरी बहन अंजली और मैं, अपनी मां के साथ, एक छोटे से शहर में रहते हैं, जहां पर मेरी विधवा मां अपने दो पुत्रियों यानी हम दोनों के साथ अपने घर में रहती है। मां एक प्राइवेट कंपनी में नर्स का काम करती है और हम दोनों पढ़ाई करती हैं।
मेरी उम्र 18 साल की है और मेरी बहन की उम्र 23 साल की है। मैं हाई स्कूल बहुत मुश्किल से पास कर चुकी हूं, दो बार फेल होने के बाद। कंपार्टमेंट एग्जाम निकाला है और अभी 12वीं की छात्रा हूं ।मेरी बहन स्नातक कर रही है और एक कॉलेज में पढ़ती है।
चुकी मेरी बहन पढ़ने में तेज है, इसलिए मैं ईर्ष्या भी करती हूं।
एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की जिंदगी जिस प्रकार की होनी चाहिए, ठीक उसी प्रकार की जिंदगी हमारी है, जो आराम से कट रही है।माता जी नौकरी करती है, हम पढ़ाई करते हैं। हमारा दैनिक जीवन इसी दिनचर्या पर आधारित है और दिन गुजरते जा रहे हैं।
मेरी बहन बहुत ही खूबसूरत है यदि आप उसे देखेंगे तो उसका रूप इस प्रकार का है कि आप उसे कुछ देर तो निहारते रहेंगे ।उसका चक्कर कॉलेज में कुछ लड़कों के साथ था लेकिन कुल मिलाकर वह एक शर्मीली लड़की के रूप में ही जानी जाती हैं।एक ऐसी लड़की, जिस पर मां भरोसा कर सकती है,और समाज भी उसे इज्जत दे सकता है।
हमारी परिवार की दिनचर्या सामान्य ढंग से चल रही थी और उसमें किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं थी ।समस्या उत्पन्न होनी शुरू हुई....इसकी कथा की यात्रा अलग से...
दीदी एक पढ़ाकू लड़की थी और मोहल्ले में हमारी पहचान पढ़ने लिखने वाली और अपने काम से काम रखने वाली लड़कियों की तरह ही थी।मोहल्ले वाले हमारे परिवार को इज्जत की निगाह से देखते थे क्योंकि उनका यह मानना था कि ये लड़कियां आज के आधुनिकता वादी समाज में भी संस्कारों से बंधी हुई हैं।
मेरा School 8 से 2 बजे का था जबकि दीदी का कॉलेज सुबह में 11:00 से 3:00 बजे तक का होता था,लेकिन दीदी अपनी पढ़ाई के लिए सुबह में 9:00 से लेकर 11:00 या 12:00 बजे तक क्लास करती थी। बाकी समय वह घर पर ही अध्ययन करती थी।
तो! जब सब कुछ ठीक चल रहा था,तो फिर यह समस्या उत्पन्न कहां से हुई?
मैं विद्यालय से जब घर आती तो मैंने आसपास के माहौल माहौल में कुछ परिवर्तन को महसूस किया ।कुछ लड़कों को घर के बाहर घूमते हुए पाया और कई बार मैंने पाया कि दीदी समय से कॉलेज नहीं आ पाती है।
इस बात को आसानी से महसूस किया जा सकता था कि दीदी का मन पढ़ाई में कम लग रहा था और अन्य क्रियाओं में ज्यादा! वह ज्यादा बात भी नहीं करती थी और कमरे से कम ही निकलती थी।
उससे पहले हम परिवार के रूप में बैठकर,रात्रि का भोजन,एक साथ करते थे और अपनी दिनचर्या की बातों को एक दूसरे से शेयर किया करते थे। माताजी अभी भी अपने काम में व्यस्त रहती थी। उनके काम का ड्यूटी चार्ट क्लियर नहीं था।
एक चिड़िया जिसे पिंजड़े में में रहने की आदत हो, वह अनायास ही आसमान में उड़ने लगे हो तो उसके चरित्र पर सवाल उठने स्वाभाविक हो जाते हैं।
एक पढ़ाकू लड़की के रूप में दीदी के क्रियाकलापों से वर्तमान क्रियाकलाप बिल्कुल भिन्न थे और यह बहुत आसानी से समझी जा सकती थी ।माताजी की अनुपस्थिति में मुझे इस बात को महसूस करना और समझना थोड़ा कठिन था ।
लेकिन एक दिन......
मेरे घर की बगल की पड़ोस में दो अधेड़ दंपत्ति रहते थे जो कि नौकरी करते थे। उन्हें हम रघु और रश्मि फैमिली के नाम से जानते थे। मैं उन्हें रघु अंकल -रश्मि आंटी कह कर बुलाती थी। ये दंपत्ति हमारे परिवार के काफी क्लोज थे और मां अक्सर अपने घर पर आमंत्रित करती थी ।माताजी को जब भी कहीं बाहर जाना होता था तो वे उन दोनों को हमारी जिम्मेदारी देकर जाया करती थी ।
एक दिन विद्यालय से आने के बाद मुझे शोर --गुल सुनाई देने लगा। यह शोर उन दोनों दंपत्ति के घर से सुनाई दिया। फिर तुरंत ही मैंने अपनी दीदी को उनके घर से रोते हुए,बाहर आते हुए, पाया।
इसका कारण क्या था?
ये मुझे समझ में नहीं आया!
अपनी घर जाने पर मैंने दीदी को एक कमरे में बंद पाया, इसलिए मैंने उन्हें डिस्टर्ब किए बिना सबसे पहले कारण की तलाश जानने के लिए अंकल आंटी के घर जाने का फैसला किया और जैसे ही मैं उनके घर के अंदर गई।
मैंने देखा --
आंटी अपने पति पर तीव्र स्वर में चिल्ला रही थी और गालियां भी दे रही थी। अंकल ने मुझे देखा, उनकी नजरें झुकी और फिर वे कमरे से बाहर हो गए।
आंटी ने मुझे देखा तो मुझे उनकी आंखों में रोष बहुत साफ दिखाई दे रहा था ।मैं उनकी आंखों में जलते हुए अंगारे देख पा रही थी।लेकिन ना समझ के चलते मैं इस झगड़े का मूल कारण समझ पाने में असमर्थ थी।
"आंटी क्या बात है? "
मैंने पूछा --
"और दीदी यहां क्यों आई थी?"
"तुम इस समय अपने कमरे में चली जाओ!अच्छा होगा,तुम्हारे लिए!"
आंटी के शब्दों में अंगारे दहक रहे थे।
मैंने प्रतिरोध करने की कोशिश की --"लेकिन कुछ बताइए तो सही!"
"जाकर अपनी रंडी बहन से पूछो और यहां से चली जाओ!प्लीज!"
आंटी ने चिल्लाते हुए कहा।
और मैं तेज़ी से भाग आई....