किराये का पति

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“हाय अल्लाह! सही में अगर मुझे ये पहले पता होता तो मैं सोनिया मैडम का ऑफर कभी मंज़ूर नहीं करती,” सादिया ने हँसते हुए कहा।

“क्या मैं इतना बुरा इंसान हूँ?”

“ये बात नहीं है राज, पर तुम मेरे शौहर के दोस्त हो और मैंने मेरे शौहर के लिये काफी कुछ किया है, मैं नहीं चाहती कि ये बात हमारी शादी शुदा ज़िंदगी को बरबाद करे,” उसने जवाब दिया।

“देखो सादिया, मैं तुम्हें साफ़-साफ़ बताता हूँ। मैं जब तुमसे पहली बार मिला था तभी से मेरे दिल में तुम्हें चोदने की इच्छा थी। फिर जब मैंने उस एसकोर्ट एजेंसी के एलबम में तुम्हारी फोटो देखी तो मुझे लगा कि मेरी बरसों की तमन्ना अब पूरी होने वाली है। मैंने इतनी सारी लड़कियों में से सिर्फ़ तुम्हें चुना क्योंकि मुझे आज भी तुम उतनी ही पसंद हो। तुम्हें क्या लगता है कि मैं पागल हूँ जो तुम्हारे शौहर को बताऊँगा कि मैंने उसकी बीवी को चोदा है,” मैंने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

“अगर ये बात है तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है” सादिया ने मेरी आँखों में आँखें डालते हुए कहा।

“तो फिर क्या इरादा है, पहले थोड़ा सा रोमाँस हो जाये या फिर सीधे मुद्दे पर आ जायें?” मैंने उसके होंठों को चूमते हुए कहा।

“अगर रोमाँस हो तो मज़ा आ जायेगा मगर बाद में। पहले मैं ये तो जान लूँ कि मुझे क्या-क्या करना पड़ेगा” सादिया मेरे होंठों को चूमते हुए बोली।

“अगर तुम्हें किसी खास चीज़ से परहेज़ है तो बता दो?

“मुझे सिर्फ़ जानवरों वाले बर्ताव से परहेज़ या फिर उससे जिसमें दर्द हो वर्ना मैं हर चीज़ के लिये तैयार हूँ” उसने हँसते हुए कहा।

“वैसे मैं भी एक साधारण इंसान हूँ, सैक्स मुझे अच्छा लगता है, खासतौर पर लंड चुसवाने में और चूत चाटने में और मैं उसका पुरा लुत्फ़ उठाना चाहता हूँ”, मैंने कहा।

“जो कुछ मैंने सुना है उससे लगता है कि तुमने एक गलत लड़की से शादी कर ली है” सादिया ने कहा।

“अब मेरी शादी के बारे में क्या कहूँ, प्यार अंधा होता है। सोनिया ने मुझसे कहा था कि वो शादी तक कुँवारी रहना चाहती है, इसलिये शादी से पहले मैंने उसके साथ कुछ नहीं किया। शादी से पहले मुझे उसकी बिमारी के बारे में पता नहीं था और जब पता चला तो मैं क्या कर सकता था, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ। अब वो अगर चाहती है कि मैं किसी और लड़की से जिस्मानी संबंध बनाऊँ... वो भी तुम्हारी जैसी खुबसूरत लड़की से तो मैं क्या कहता।”

“अब तो आगे बढ़ो..... खड़े-खड़े क्या कर रहे हो?” सादिया ने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा।

मैंने जैसा सोचा था सादिया वैसी ही निकली। हम पूरी दोपहर मेरे बेडरूम में चुदाई करते रहे। जिस तरह से उसने मेरा लंड चूसा था, मुझे ज़िंदगी भर याद रहेगा। उसे अपनी गाँड मराने में बहुत मज़ा आया। जब मैंने एक बार और उसकी गाँड में अपना लंड घुसाना चाहा तो उसने कहा, “अब और नहीं राज, मुझे देर हो रही है। उनके घर पहुँचने से पहले मुझे घर पहुँच कर उनके लिये खाना बनाना है।”

“क्या तुम्हें नहीं लगता कि जब तुम रात को उसके साथ बिस्तर में घुसोगी और जब वो अपना लंड तुम्हारी चूत में डालेगा तो उसे पता नहीं लगेगा कि तुम क्या करके आ रही हो।”

मेरी बात सुनकर सादिया हँसने लगी, “उसे कैसे पता लगेगा राज? जब से शादी हुई है तब से उसे पता है कि वो अकेला मर्द है जिसने मुझे चोदा है। अब मैं जाऊँ और कल फिर आऊँ या फिर तुम्हारे फोन का इंतज़ार करूँ?” सादिया ने कपड़े पहनते हुए कहा।

“तुम्हें कल फिर आना है मेरी जान, आज ही के वक्त” मैंने उसे बाहों में भरा और उसके होंठ चूसने लगा। सादिया ने भी थोड़ी देर तक मेरे होंठों को चुसा और फिर विदा लेकर अपने घर चली गयी।

मैं अपने दोस्त के बारे में सोचने लगा कि उसे आज तक पता नहीं है कि उसकी बीवी को दूसरे मर्दों से चुदाने के लिये पैसे मिलते हैं और इधर मैं एक ऐसी औरत का पति हूँ जो मुझे उसे ना चोदने के पैसे देती है।

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(भाग ०३)

अगले नौ महीने तक ज़िंदगी ऐसे ही चलती रही। हफ़्ते में दो या फ़िर तीन बार सादिया मेरे घर आती और हम वो समय गुज़ारते। सोनिया भी अक्सर रात को मेरे पास आ जाती और हर बार की तरह मुझे उसकी चूत चाटनी पड़ती। जिस दिन सादिया आकर गयी होती उस रात अगर सोनिया मेरे पास आती तो मुझे बिल्कुल भी मज़ा नहीं आता पर क्या करता, वचन से जो बंधा था।

अमित हमेशा की तरह मेरे साथ वैसा ही व्यवहार करता। कभी-कभी तो मन में आता कि एक जोर का मुक्का उसके मुँह पर मारकर उसका जबड़ा तोड़ दूँ। पता नहीं सोनिया को उस गधे में ऐसा क्या दिखा था जो अपना सब कुछ उस पर न्यौछावर कर रही थी।

समाज में सोनिया की शख्सियत की वजह से हमेशा समाज में आना जाना पड़ता था। कभी किसी डिनर पर तो कभी किसी फ़ंक्शन की पार्टी में। मैं एक अच्छे पति का रोल अदा कर रहा था। पर इस दौरान मैंने देखा कि कुछ खास लोग हैं जो मुझे अक्सर दिखाई देते थे। हम जहाँ भी जाते वो वहीं पर होते थे।

एक रात एक चैरिटेबल फ़ंक्शन में मैंने फिर एक ऐसे शख्स को देखा जो मुझे पहले भी कई बार दिख चुका था। जब सोनिया वाशरूम की ओर जाने के लिये उठी तो मैं भी उठा और उसे अपनी बाँहों में भर कर उसके होंठ चुमने लगा और धीरे से उसके कान में फुसफुसाया, “देखो मेरी इस हरकत पर गुस्सा मत होना, मेरी पीठ की ओर देखो और मुझे बताओ की टेबल नंबर तीन पर जो आदमी बैठा है क्या तुम उसे जानती हो?”

मैंने जैसा कहा सोनिया ने वैसा ही किया और कहा, “हाँ, मैं जानती हूँ वो राजदीप मिश्रा है।”

“कौन है वो?” मैंने पूछा।

“वो उस ट्रस्ट का चेयरमैन है जिसके नाम मेरी वसियत है” सोनिया ने जवाब दिया।

“मुझसे ऐसे ही चिपकी रहो और ऐसे बर्ताव करो कि तुमने कुछ देखा ही नहीं” मैंने सोनिया से कहा। सोनिया मुझसे जोरों से चिपक गयी और मुझे बाँहों में भर कर मेरी पीठ सहलाने लगी। उसकी इस हरकत से मेरा लंड तन गया और उसकी कॉटन की पैंट के ऊपर से उसकी चूत छूने लगा।

शायद सोनिया को भी मेरे खड़े लंड का एहसास हो गया और उसने मेरी आँखों में देखते हुए कहा, “क्या मेरी वजह से ऐसे तन कर खड़ा है।”

“तुम्हारी यही अदा से तो ये हमेशा ही तन कर खड़ा हो जाता है, पर ये समय इन सब बातों का नहीं है, मेरे हाथ में हाथ डाले बाहर की ओर बढ़ो फिर मैं तुम्हें समझाता हूँ” मैंने उसका हाथ पकड़ा और दरवाज़े की ओर चल पड़ा।

बाहर आकर मैंने उसे समझाया कि किस तरह ये राजदीप मिश्रा हमारा हर जगह पीछा कर रहा है। मैंने सोनिया से कहा, “सोनिया शायद ये राजदीप हमारी शादी में कोई नुक्स निकालने की कोशिश कर रहा है। मैं तो अपना रोल अच्छी तरह से निभा रहा हूँ, पर शायद तुम्हारे मेरे प्रति व्यवहार से ये कुछ हासिल करने में कामयाब हो जाये। इसलिये तुम्हारे भले के लिये कह रहा हूँ कि एक आदर्श पत्नी की तरह समाज के सामने तुम भी पेश आओ जब तक की हमारे शादी को दो तीन साल नहीं हो जाते।”

मैंने अपनी पैंट के बटन खोले और अपने लंड को बाहर निकाल कर मसलने लगा। “ये तुम क्या कर रहे हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गये हो?” सोनिया लगभग चिल्लाते हुए बोली।

सोनिया मुझे देखती रही, मैंने अपने लंड को थोड़ी देर मसला और उसे फिर अपनी पैंट के अंदर डाल दिया और सोनिया से कहा, “मैं अपना पार्ट अदा कर रहा हूँ।” मैंने अपनी पैंट की ज़िप बंद नहीं की। “हम वापस अंदर जा रहे हैं। तुम भी मेरा हाथ पकड़े अपनी ब्रा के स्ट्रैप्स को दुरुस्त करने का बहाना करते हुए अंदर चलोगी। मुझे विश्वास है कि उस राजदीप की आँखें हम पर ही गड़ी होंगी, इसलिये जब वो हमें इस हाल में देखेगा तो यही समझेगा कि एक पत्नी अपने पति की इच्छा बाथरूम में पूरी करके लौट रही है।”

मेरा विश्वास सही निकला। जब हम अंदर घुसे तो वो राजदीप हमें ही घूर रहा था। सोनिया ने भी इस बात को महसूस किया और वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा दी। रात में घर लौटते वक्त उसने पूछा, “क्या इन लोगों की नज़रों में मैं आज भी शक की निगाह पर हूँ?”

“मुझे पता नहीं सोनी, हो सकता है कि ये इत्तफ़ाक भी हो पर हमें सावधान रहना होगा,” मैंने जवाब दिया।

उसने अजीब सी निगाहो से मेरी और देखा, “तुमने मुझे ऐसे क्यों बुलाया?”

“क्या?”

“तुमने मुझे सोनी कहकर क्यों पुकारा?” उसने पूछा।

“ऐसे ही कोशिश कर रहा था,” मैंने जवाब दिया।

“पर क्यों?”

“इसलिये की हम दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं और जब पति पत्नी इतना प्यार करते हैं तो उनके कुछ प्यार भरे नाम भी होते हैं। आज के बाद पब्लिक में मैं तुम्हें इसी नाम से पुकारूँगा और ये दिखावा करूँगा कि मैं तुमसे सही में बहुत प्यार करता हूँ।”

सोनिया मेरी बात सुनकर थोड़ी देर चुप रही फिर मुझसे पूछा, “तुम अंदर क्या कहना चाहते थे कि मुझे देखकर तुम्हें बरसों से.....”

“किस बात के बारे में कह रही हो?” मैंने उससे पूछा।

“वही बात जो बाथरूम के बाहर तुमने अपने खड़े लंड को मसलते हुए कही थी” सोनिया ने जवाब दिया।

“ओह..... अच्छा उसके बारे में पूछ रही हो!” मैंने थोड़ा हँसते हुए कहा।

“हाँ उसी के बारे में.... तुम्हारा मतलब क्या था?”

“यही कि तुम इतनी सुंदर हो और हर वो मर्द जो तुम्हारे लिये काम करता है तुम्हें पाने की कामना जरूर रखता है” मैंने जवाब दिया।

“कहीं मेरा मज़ाक तो नहीं उड़ा रहे हो?” सोनिया ने थोड़ा सोचते हुए कहा।

“मैं मज़ाक नहीं कर रहा.... ये तुमने देख ही लिया है, अब हकिकत को अपनाना सीखो” मैंने कहा।

बाकी का घर तक का सफ़र हमने चुप रहकर गुज़ारा।

जब हम घर पहुँचे तो अमित हमारा इंतज़ार कर रहा था। वो और सोनिया डायनिंग रूम में बने बार की तरफ़ बढ़ गये और मैं अपने कमरे की तरफ़। जब मैं चादर ओढ़कर सोने की तैयारी कर रहा था उसी वक्त अमित और सोनिया ने मेरे कमरे में कदम रखा। दोनों नशे में थे और सोनिया अर्ध-नग्न अवस्था में थी। उसने सिर्फ टॉप, पैंटी और सैंडल पहने हुए थे।

“राज थोड़ा खिसको और मेरे और तुम्हारी बीवी के लिये थोड़ी जगह बनाओ..... तुम्हारी बीवी अपनी चूत चुसवाना चाहती है और मैं तुम्हें ये करते हुए देखना चाहता हूँ। तुम्हें नियम तो याद है ना?” अमित ने हँसते हुए कहा जैसे मुझे याद दिलाना चाहता हो कि मैं तो सिर्फ़ किराये का पति या गुलाम हूँ जिसे इस काम की पूरी कीमत चुकाई जा चुकी है।

खैर मुझे शर्त के हिसाब से सारे नियम याद थे। मैंने उन दोनों के लिये थोड़ी जगह बनायी और बिस्तर के बगल में बने स्टैंड पर से अपनी किताब उठा ली जो मैं उन दोनो के आने के पहले पढ़ रहा था। सोनिया ने अपनी पैंटी और टॉप उतारे और सैंडल पहने ही बिस्तर पर लेट गयी और अमित भी अपने कपड़े उतार कर उसके ऊपर आ गया और दोनों चुदाई करने लगे। मैं जानबुझ कर उन्हें नहीं देख रहा था और अंजान बना अपनी किताब पढ़ने लगा।

बड़ी मुश्किल से मैं अपने खड़े लंड को छुपाने की कोशिश कर रहा था जो कि पहले तो सोनिया को नंगी देख कर और अब उसकी सिसकारियाँ सुन कर और तनता जा रहा था। अमित जब अपने काम से फ़ारिग हुआ तो सोनिया के पास से हट गया और लगभग मुझे चिढ़ाते हुए बोला, “अब ये तुम्हारी है।”

मैं खिसकते हुए सोनिया के पास आ गया और अपना चेहरा सोनिया की जाँघों के बीच दे दिया। शायद भाग्य आज मेरा साथ दे रहा था। मैंने सोनिया की जाँघों को फ़ैलाया और उसकी चूत को अपने मुँह में भर लिया। जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत की गहराई तक पहुँची उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैं हुचक-हुचक कर उसकी चूत को पिये जा रहा था और वो अपनी कमर उचका कर अपनी चूत को जोर-जोर से मेरे मुँह पर मारते हुए सिसक रही थी, “ओह राज मजा आ गयाऽऽऽऽ हाँ और चूसो...... खा जाओ मेरी चूत..... उफ मैं मर गयी।” जोर से सिसकते हुए उसकी चूत ने एक बार और पानी छोड़ दिया।

सोनिया ने मुझे हल्का सा धक्का देते हुए कहा, “बस राज अब और नहीं।”

मैं एक बार फिर से उससे दूर हट गया और अपनी किताब पढ़ने लगा। थोड़ी देर बाद वो दोनों मेरे कमरे से चले गये और मैं लाइट बुझा कर गहरी नींद में सो गया। वो पहली और आखिरी रात थी कि अमित ने सोनिया को मेरे सामने चोदा हो। साथ ही उसके लिये वो पहली और आखिरी रात थी कि मैंने उसके सामने सोनिया की चूत को चूसा हो। शायद उसे इस बात से दुख पहुँचा था कि जो कमाल उसका लंड नहीं दिख पाया वो कमाल मेरी जीभ ने दिखा दिया, कि सोनिया इतनी जोर से सिसकते हुए उसके सामने झड़ी थी। पर मैं उसे ये बता भी तो नहीं सकता था कि उस रात पहली बार ऐसा हुआ था कि सोनिया इतनी जोरों से झड़ी थी। शायद मेरी तकदीर मेरा साथ दे रही थी।

और छः महीने इसी तरह गुज़र गये। किसी चीज़ में कोई परिवर्तन नहीं आया। सिर्फ़ इस बात के कि अब सोनिया पहले से ज्यादा रातों को मेरे कमरे में आने लगी। पहले तो सोनिया हफ़्ते में दो या तीन दिन आती थी किंतु अब तो लगभग हर रात आने लगी। उसके स्वभाव में भी थोड़ा परिवर्तन आ गया। पहले वो मेरे लंड को झटके देकर मुझे उठाती थी और फिर मेरे चेहरे पर चढ़ कर अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती थी। पर अब मुझे उठाने के बजाय वो तब तक मेरे लंड को मसलती जब तक मेरी नींद खुद-बखुद ना खुल जाती।

अब अक्सर ऐसा होने लगा। वो रात को शराब के नशे में मेरे कमरे में आती और मेरे लंड को तब तक मसलती रहती और जब मेरा लंड पानी छोड देता तो मेरे चेहरे पर चढ़ कर अपनी चूत मेरे मुँह से लगा देती।

समय इसी तरह गुज़रता रहा। सादिया हफ़्ते में तीन और कभी चार दिन के लिये आती। सादिया खुद इतनी कामुक थी कि जब भी आती, मुझे निचोड़ कर रख देती थी। मुझसे कई बार सोनिया ने पूछा कि मुझे दूसरी लडकी चाहिये तो हर बार मैंने मना कर दिया। पता नहीं सादिया में ऐसी क्या बात थी। कभी तो मुझे लगता कि सोनिया शायद सादिया से जलने लगी है और मुझे चिढ़ाने के लिये ऐसा पूछ रही है कि उसका पति एक दूसरी लडकी के साथ इतने मज़े कर रहा है।

गुज़रते वक्त के साथ सभी को हम ये एहसास दिलाने में कामयाब होते गये कि हमारी शादी-शुदा ज़िंदगी काफी अच्छी गुज़र रही है। मैंने कई बार राजदीप मिश्रा को हमारे आस पास घूमते देखा। पर मुझे उसे देख कर एक अंजान सा भय दिमाग में आता। मैं जब भी उसे देखता तो मुझे ऐसा लगता कि वो कुछ और फ़िराक में है। उसका मकसद हम पर नज़र रखने का नहीं बल्कि वो कुछ और चाहता है।

फिर एक दिन मेरा शक यकिन में बदल गया.......
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(भाग ०४)

जैसा मैंने सोचा था ठीक वैसा ही हो रहा था। मेरा शक यकीन में बदलने लगा। इस यकीन के कई कारण थे। पहले तो मुझे लगा कि ये सब अलग-अलग घटनायें हैं पर बाद में मुझे एहसास हुआ कि ये सब एक ही ज़ंज़ीर कि कड़ियाँ हैं।

शुरुआत कुछ इस तरह हुई। जब भी मैं घर पर सोनिया और अमित के साथ होता तो मैं अमित को नज़र-अंदाज़ करने लगा था। पर एक ही छत के नीचे साथ-साथ रहते हुए ज्यादा दिन तक किसी को नज़र-अंदाज़ कर सकना मुमकिन नहीं होता। ऐसे ही एक रात की बात है, मैं स्टडी रूम में कंप्युटर पर गेम खेल रहा था। स्टडी रूम किचन और डायनिंग रूम के साथ ही सटा हुआ है। सोनिया और अमित डायनिंग टेबल पर बैठे हुए थे और ऐसा हो नहीं सकता कि उन दोनों को मेरे स्टडी रूम में होने कि खबर ना हो। दोनों किसी बात पर बहस कर रहे थे। बहस करते-करते उन दोनों की आवाज़ें इतनी बढ़ गयी कि मुझे स्टडी रूम में साफ़ सुनाई दे रहा था।

अमित चाहता था कि सोनिया के पैसे का मामला सलटाने के बाद वो मुझे तलाक देकर उससे शादी कर ले। पर सोनिया कह रही थी कि वो अमित से किसी हाल में भी शादी नहीं कर सकती चाहे वो मुझे तलाक दे या ना दे। सोनिया की बात सुनकर जितना मैं चौंका था उतना ही झटका अमित को भी लगा होगा। वो इसी उम्मीद में बैठा था कि भविष्य में सोनिया उससे शादी करेगी। उसका कहना था कि इससे समाज और उसकी सोसाईटी में इज्जत पे धब्बा लगेगा। इसके बाद क्या हुआ मुझे पता नहीं क्योंकि अमित गुस्से में पैर पटकता हुआ घर से बाहर चला गया।

दूसरी घटना करीब एक महीने बाद घटी। हमेशा की तरह एक दोपहर को मैं सादिया को चोद कर हटा था। आज मैंने उसके तीनो छेदों की जम कर चुदाई की थी।

“राज, तुम्हें पता है, मुझे तुमसे चुदवाकर बहुत मज़ा आता है। हालांकि मैं अपने शौहर से तकरीबन रोज़ ही चुदवाती हूँ पर पता नहीं तुम्हारे साथ मैं बेहद ज्यादा उत्तेजित हो जाती हूँ और मुझे मज़ा भी बहुत आता है जबकि मैं ये काम सिर्फ़ पैसों के लिये कर रही हूँ।” सादिया ने मुझसे कहा।

सादिया की बात सुनकर मेरे मन को दुख हुआ। “ये कह कर तुमने मेरा दिल दुखाया है सादिया, मैं तो यही समझ रहा था कि मेरे व्यक्तित्व को देख कर तुम मेरे साथ हो,” मैंने कहा।

मेरी बात सुनकर सादिया हँसने लगी, “तुम बेवकूफ़ हो राज। क्या तुम मुझे पागल समझते हो। मैं यहाँ सिर्फ़ पैसे के लिये हूँ ना कि प्यार या किसी और वजह से। राज तुम्हारी बीवी की ये कहानी कि वो बिमारी की वजह से तुम्हारी ज़रूरतें पूरी नहीं कर सकती किसी और को बेवकूफ बना सकती है मुझे नहीं। मैंने तुम्हारी बीवी सोनिया को उस बंदर अमित के साथ कई बार होटलों में जाते देखा है। तुम दोनो जो दुनिया को जताना चाहते हो मैं सब समझती हूँ। राज हमें इस मुद्दे पर बात करनी होगी।”

अगली घटना एक हफ़्ते बाद हुई जब मुझे राजदीप मिश्रा का फोन आया कि वो मेरे साथ खाना, खाना चाहता है। जब मैं राजदीप को खाने पर मिला तो वो सीधा मुद्दे की बात पर आ गया।

“राज मैं कई महीनों इस शक में था कि तुम्हारी और सोनिया की शादी एक दिखावा है जिससे वो ट्रस्ट से पैसा हासिल कर सके। हमेशा से मुझे यही लग रहा था कि सोनिया ने तुम्हें पैसे देकर खरीदा है और तुम उसके किराये के पति हो। आज मेरा शक यकीन में बदल गया है। मेरे पास पक्के सबूत हैं कि सोनिया ने तुम्हें उसका पति बनने के लिये पचास लाख रुपये दिये हैं ।”

मैं कुछ कहने ही जा रहा था कि उसने मेरी बात बीच में ही काट दी। “राज अब इंकार करने की कोशिश मत करना क्योंकि मैं तुम्हारा यकीन नहीं करुँगा। मेरा पक्का सबूत और गवाह है जो कोर्ट में खड़ा होकर ये गवाही दे सकता है कि तुम्हारी शादी सोनिया वर्मा के साथ नकली है और वो वर्मा फ़ाऊंडेशन के पैसे हासिल करना चाहती है। मैं तुमसे सिर्फ़ इसलिये मिल रहा हूँ कि तुम मेरे लिये गवाही दो,” राजदीप ने कहा।

“मैं कुछ समझा नहीं.... आप क्या कहना चाहते है?” मैंने कहा।

“अब इतने भी बेवकूफ़ मत बनो राज, तुम कोई दूध पीते बच्चे नहीं हो। मेरे गवाह को पचास लाख चाहिये कोर्ट में गवाही देने के लिये। मैं जानता हूँ कि उसकी गवाही से हमारा ट्रस्ट कोर्ट में केस जीत जायेगा पर मैं कोई चाँस नहीं लेना चाहता। अगर तुम कोर्ट में सोनिया के खिलाफ़ गवाही दोगे तो हमारी जीत पक्की है। उस गवाह को पचास लाख देने से अच्छा मैं एक करोड़ तुम्हें देने को तैयार हूँ,” राजदीप ने कहा।

“राजदीप तुम ये कहना चाहते हो कि एक करोड़ के बदले में कोर्ट में खड़ा होकर मैं ये गवाही दूँ कि सोनिया के साथ मेरी शादी नकली है?” मैंने कहा।

“हाँ मेरे कहने का मतलब यही है,” राजदीप ने कहा।

“फिर तो मुझे अफ़सोस के साथ कहना होगा कि तुम्हारी सोच गलत है। मैं कोर्ट में गीता पर हाथ रख कर झूठी कसम नहीं खा सकता क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं सोनिया से प्यार करता हूँ और हमारी शादी असली है।” ये कहकर मैं राजदीप को वहीं छोड़ वहाँ से चला आया।

तीन हफ़्ते बाद फाऊंडेशन और ट्रस्ट ने सोनिया पर केस कर दिया।

“हे भगवान अब मैं क्या करुँगी?” सोनिया ने उस दिन मुझसे कहा।

“इसमे डरने वाली क्या बात है। मेरी सलाह मानो तो किसी अच्छे वकील को कर लो, उनसे कोर्ट में केस लड़ो। जब तक केस की तारीख नहीं पड़ती तब तक कोशिश करो कि तुम गर्भवती हो जाओ।” मैंने सोनिया से कहा।

“तुम्हारा मतलब है कि प्रेगनेंट? तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया है, इस मुसीबत की घड़ी में तुम मुझे प्रेगनेंट होने के लिये कह रहे हो.....” सोनिया झल्लाते हुए कहा।

“इसमें दिमाग खराब होने वाली क्या बात है, वैसे भी तुम्हारे पिताजी की वसियत के अनुसार तुम्हें माँ तो बनना ही पड़ेगा।” मैंने कहा।

“पर मैंने तो सोचा था कि पाँच साल का वक्त है मेरे पास।”

“समय और परिस्थितियाँ बदल जाती हैं सोनी” मैंने कहा।

“नहीं राज ये नहीं हो सकता, मैं अभी माँ नहीं बनना चाहती।”

“मेरी बात पर गौर करना सोनी। माना तुम्हारा कानूनी मैरिज सर्टिफिकेट, हज़ारों लोग जो हमारी शादी पर थे, उनकी गवाही भी है। फिर भी तुम कोर्ट में ये साबित नहीं कर पाओगी कि हमारी शादी जायज है। कोर्ट हम दोनों की बात पर यकीन नहीं करेगा क्योंकि बैंक में मेरे नाम से जमा पैसा तुम्हारी हर बात को झुठला देगा” मैंने कहा।

सोनिया मेरी बात सुनती रही।

“सोनी ये तुम्हारा पैसा है और तुम्हें ही फ़ैसला करना है। अगर तुम प्रेगनेंट हो गयी तो कोई भी तुम्हारी शादी को झुठला नहीं सकेगा। ज्यादा से ज्यादा ट्रस्ट वाले ये दावा करेंगे कि ये मेरा बच्चा नहीं है तो मैं कह दूँगा कि वो हमारा डी-एन-ए टेस्ट कर सकते हैं” मैंने कहा, “तुम्हें सिर्फ़ इतना करना होगा कि हम इस तरह से सब कुछ प्लैन करें कि किसी को इस बात की हवा तक ना लगे, यहाँ तक कि अमित को भी नहीं। क्योंकि मैं उस इंसान पर विश्वास नहीं करता। तुम ऐसा क्यों नहीं करती, तुम्हारी माहवारी के दस दिन पहले तुम किसी बिजनेस ट्रिप के लिये शहर से बाहर चली जाओ और तीन दिन बाद मैं तुम्हें वहाँ मिल जाऊँगा।”

“पता नहीं राज, जो तुम कह रहे वो सही है कि गलत। मुझे पता है कि मुझे माँ बनना है, पर मैं हमेशा यही सोचती रही कि इस काम के लिये अभी मेरे पास वक्त है।”

“फैसला तुम्हारे हाथ में है सोनी,” मैंने कहा।

मैं भी कितना बेवकूफ था। पर क्या करता हर इंसान इस दौर से गुज़रता है और ज़िंदगी में उसे किसी न किसी से प्यार हो जाता है। और मुझे भी प्यार हो गया, वो भी अपनी उस बीवी से जो मुझे पाँच साल बाद तलाक देने वाली है।

सोनिया को मेरी बात पसंद आ गयी। उसने मेरी बात मानकर अमित को भी कुछ नहीं बताया। अमित को कुछ ना बताने का मेरा कुछ कारण था जो मैं फ़िलहाल सोनिया को नहीं बता सकता था। सोनिया ने अमित को सिर्फ़ इतना बताया कि वो बिजनेस के सिलसिले में बैंगलोर जा रही है। अगले दिन वो रवाना हो गयी और उसके दूसरे दिन उसने वहाँ से हैदराबाद की फ्लाईट पकड़ ली। मैं भी बिजनेस का बहाना बना कर हैदराबाद पहुँच गया।

अगले छः दिन हमने खूब मस्ती में गुज़ारे। दिन में साथ-साथ स्विमिंग पूल में नहाते और रात को नाइट क्लब या फ़िर किसी अच्छे रेस्तोराँ में बैठ कर खाना खाते। फिर होटल के कमरे में पहुँच कर जम कर चुदाई करते। सोनिया ने वैसे तो चुदाई के वक्त मेरा भरपूर साथ दिया लेकिन मैं ये जानता था कि वो सिर्फ़ माँ बनने के लिये और वो भी अपने बाप की वसियत की शर्त पूरी करने के लिये कर रही है। मुझे ये भी पता था कि वो अंदर ही अंदर शर्मिंदगी महसूस कर रही है कि वो ये सब अमित से छुपाकर कर रही है।

इतना सब कुछ जानने के बाद, फिर भी एक बात थी जो उसे बहुत पसंद थी। वो था मेरा उसकी चूत को चाटना और चूसना। जब भी मैं उसकी फुली-फुली चूत को अपने मुँह में भर कर अपनी जीभ अंदर तक घुसाता तो वो बहुत जोरों से सिसकती। ऐसा नहीं था कि उसे चुदाई में मज़ा नहीं आता था, कई बार तो खुद मुझ पर चढ़ कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेती और उछल- उछल कर चुदवाती। जब मैं अपने लंड का पानी उसकी चूत में छोड़ने के बाद उसकी चूत को चूसता तो वो पागल सी हो जाती। खैर मुझे इतना पता था कि वो मुझे प्यार करे या ना करे, पर उसने मेरे दिल, दिमाग और आत्मा पर कब्ज़ा कर लिया था।

छः ही दिन थे जो हम ऑफिस से बाहर रह सकते थे। पर घर पहुँच कर भी चुदाई जारी तो रखनी थी। घर पर हम कर नहीं सकते थे, कारण वहाँ अमित होता था। इसलिये हम ऑफिस में सबके चले जाने के बाद चुदाई करते। शाम को सबके चले जाने के बाद या तो उसके केबिन में उसकी टेबल पर और नहीं तो कभी मेरी टेबल पर। एक बात थी.... सोनिया को कुतिया बन कर चुदाने में बड़ा मज़ा आता। जब मैं उसकी गोल-गोल मोटी गाँड पर थप्पड़ मारते हुए ठाप मारता तो वो बहुत जोर से सिसकती। हमारी ये चुदाई तब तक चलती रही जब तक कि सोनिया ने मुझे ये ना बताया कि वो माँ बनने वाली है।

ये खबर सुनकर तो एक बार मैं सोच में पड़ गया। कहाँ तो मैंने सोनिया से शुरुआत में ये कहा था कि शायद पाँच साल खत्म होने तक मैं उससे बेइंतहा नफ़रत करने लगुँगा पर मुझे ये उमीद नहीं थी कि असल में होगा ठीक मेरी सोच के विपरीत। आज मैं उससे नफ़रत करने की बजाय उससे बेइंतहा मोहब्बत करने लगा था। मैं उसकी भलाई के लिये क्या-क्या कर रहा हूँ वो मैं उसे अभी बता नहीं सकता था, ना ही मैं उसे ये बता सकता था कि मैंने ऐसा किया तो क्यों किया।