किराये का पति

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जिस रात उसने मुझे ये बताया कि वो माँ बनने वाली है उसके दूसरे दिन शाम को मैं एक बड़ा सा फ़ूलों का गुलदस्ता और एक शैंपेन की बोतल लेकर उसके ऑफिस में पहुँच गया। पहले तो उसके गालों को चूम कर उसे बधाई दी और फिर शैंपेन की बोतल खोल कर दो ग्लास में डाल दी। एक दूसरे को चीयर्स करके हम पीने लगे।

हम लोग बातें करते हुए तब तक पीते रहे जब तक कि बोतल खत्म ना हो गयी। मैंने देखा कि सोनिया को नशा होने लगा है तो मैं उसे सहारा देते हुए बाहर ले आया। जब तक कि मैं उसे गाड़ी में बिठाता वो नशे में तकरीबन बेहोश सी हो गयी थी। खैर ये कोई नयी बात नहीं थी। पहले भी कितनी ही बार नशे में धुत्त सोनिया को सहारा देकर मैंने पार्टियों और होटलों से घर पहुँचाया था।

मैंने अपने ड्राइवर संजय से हमें होटल ताज महल पे छोड़ने को कहा और उसे फ़िर रात के लिये छुट्टी दे दी। मैं सोनिया को सहारा देते हुए लिफ़्ट से उपर आठवीं मंज़िल के सूईट में ले आया। मैंने सूईट का दरवाज़ा खटखटाया तो उसे मेरे चचेरे भाई रमेश ने खोला। रमेश एक लंबा-चौड़ा कसरती बदन का मालिक था। आज मैंने उसे एक स्पेशल काम के लिये बुलाया था।

अगले पाँच घंटे तक मैं कमरे में घूम-घूम कर तसवीरें लेता रहा और रमेश और उसके तीन दोस्त मिलकर सोनिया की जम कर चुदाई करते रहे। चार मर्द मिलकर एक औरत की जितनी बुरी तरह से चुदाई कर सकते थे, करते रहे। मैंने करीब एक दर्जन तसवीरें खींची। एक तसवीर तो ऐसी थी जिसमें तीन मर्द एक साथ सोनिया के तीनो छेदों की चुदाई कर रहे थे। नशे की हालत में सोनिया भी मज़े लेकर उन सभी से चुदवा रही थी।

जब भी उनके लंड ढीले पड़ते सोनिया उस लंड को चूस कर खड़ा करने की कोशिश करती। करीब पाँच घंटे के बाद जब रमेश और उसके दोस्त जाने लगे तो रमेश ने मुझसे कहा, “राज, मुझे उम्मीद है कि तुम्हारा काम हो गया। वैसे तुमने बताया था कि तुम ये सब क्यों कर रहे हो, और ये पहली और आखिरी बार है। लेकिन अगर फिर भी मैडम को मज़ा आया हो तो मुझे याद कर लेना।”

सोनिया अभी भी उत्तेजना में सिसक रही थी, शायद उसकी प्यास बुझी नहीं थी। वो नशे में ऊँची हील के सैंडलों में लड़खड़ाती मेरी तरफ बढ़ी पर चार-पाँच कदम लेते ही वो ज़मीन पर गिर पड़ी और फिर वो ज़मीन पर घिसटती हुई मेरे पास आयी और मेरी पैंट की ज़िप खोलने की कोशिश की। पर मैंने उसे परे धकेल दिया। ऐसा नहीं था कि मैं उत्तेजित नहीं था। पर मैं सोनिया को प्यार करना चाहता था जैसे एक प्रेमी करता है, पर उसे इस हालात में छोडना नहीं चाहता था। अगर मैं ऐसा करता तो ये उसके साथ गलत होता।

मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और ले जाकर उसे बिस्तर पर लिटा दिया। फिर उसे अपनी बाँहों में भर कर उसे अपने से जोर से चिपका लिया। थोड़ी ही देर में सोनिया गहरी नींद में सो गयी।

नींद में किसी ने मुझे जोर से मारा तो दर्द के मारे नींद खुल गयी। मैंने आँख खोली तो देखा कि सोनिया साइड के टेबल लैंप से मुझे फिर एक बार मारने जा रही है। मैं जल्दी से बिस्तर के नीचे लुढ़क गया। जैसे ही उठ कर खड़ा होने लगा, सोनिया एक बार फिर मुझे मारने दौड़ी, पर मैंने उसके हाथों को पकड़कर टेबल लैंप छिन कर फ़ेंक दिया।

मैंने सोनिया से ये नहीं पूछा कि वो ऐसा क्यों कर रही है, क्योंकि मैं उसके गुस्से का कारण जानता था। और जो मैंने उसके साथ किया उसके लिये उसका गुस्सा होना लाज़मी था। मैंने उसे कंधों से पकड़ना चाहा तो उसने अपने घुटनों को जोर से मेरे लंड पर दे मारा। मैं दर्द से बिलखता हुआ बिस्तर पर जा गिरा।

मैंने देखा कि सोनिया ने अपने पर्स से कुछ निकाला और मुझपर चढ़ गयी। उसने अपने आपको ६९ की अवस्था में करते हुए अपनी चूत मेरे मुँह से लगा दी।

“साले कुत्ते! हरामी की औलाद! आज मेरी चूत की जो ये दुर्गती हुई है तुम्हारी वजह से है। अब तुम ही इसे चूस-चूस कर इसका दर्द दूर करोगे वर्ना आज मैं तुम्हारे लंड के टुकड़े-टुकड़े कर दूँगी।” इतना कहकर उसने जोर से मेरे लंड को पकड़ा और एक चाकू उससे लगा दिया।

उसका गुस्सा देख मेरे पास भी कोई चारा या उपाय नहीं था। वो नशे में भी थी और उसका जुनून देख कर यही लग रहा था कि अगर मैंने उसकी बात नहीं मानी तो सचमुच मेरे लंड को काट देगी। अपने लंड की दुर्गती से बचने के लिये मैं उसकी चूत को मुँह में ले चूसने लगा। अपनी घबराहट में मुझे ये भी पता नहीं लगा कि कब सोनिया ने अपना हाथ और चाकू मेरे लंड से हटाया और उत्तेजना में सिसकने लगी। मुझे एहसास तब हुआ जब उसकी चूत पानी पर पानी छोड़ने लगी।

मैंने भी सोचा कि जो कुछ मैंने उसके साथ किया है, उसके एवज में चूत चूसना तो सबसे कम सज़ा है। मैं और जोरों से उसकी चूत चूसता रहा। आखिर सोनिया थक गयी और निढाल होकर बिस्तर पर गिर पड़ी।

मैं बिस्तर से उठा और कपड़े पहन कर तुरंत कमरे से बाहर निकल गया। आज शनिवार था और दो दिन की छुट्टी थी इसलिये मैंने होटल के बाहर एक टैक्सी पकड़ी और पास ही के होटल में दो दिन के लिये कमरा बुक कर लिया। दो दिन तक मुझे सोनिया का सामना नहीं करना था इसलिये मैं कमरे में आ गया। मेरे पास दो दिन का समय था सोचने के लिये कि जो कुछ भी हुआ उसके बाद मैं सोनिया का सामना कैसे करूँ। हकीकत मैं उसे बता नहीं सकता था कि मैंने ये सब उसकी भलाई के लिये किया है, और अगर बताता भी तो शायद उसे मेरी बात पर यकीन नहीं आता। इसलिये मुझे कोई उपाय सोचना था कि बिना हकीकत बताये मैं उसका सामना कैसे करूँ।

सोमवार की सुबह मैं सोनिया का सामना करने से बच गया। सोनिया अभी तक ऑफिस में आयी नहीं थी। और जब वो आयी तो उसने मुझसे बात करने की जरूरत महसूस नहीं की। मैंने भी यही सोचा कि फिलहाल मैं उससे जितना दूर रहूँ अच्छा है, इसलिये मैं अपने होटल में आ गया और दो दिन अपने कमरे की बुकिंग बढ़ा दी।

अगले दिन सुबह सोनिया ने मुझे फोन किया, “कहाँ हो तुम?”

“एक होटल में ठहरा हुआ हूँ,” मैंने जवाब दिया।

“नहीं, ऐसे चलने वाला नहीं है। कोर्ट की तारीख पड़ने वाली है, हम इस तरह अलग-अलग नहीं रह सकते। मैंने दूसरी पार्टी वालों को बात बनाने का कोई मौका देना नहीं चाहती। वैसे तो जो तुमने किया उसके बाद मैं तुम्हारी शक्ल भी देखना नहीं चाहती, पर आज मुझे तुम्हारी जरूरत है। जब तक केस खत्म नहीं हो जाता हमें समाज के सामने एक प्यार में डूबे पति-पत्नी की तरह रहना होगा। हाँ, एक बात याद रखना। जब भी हम अकेले हों तो मेरे पास भी मत फ़टकना और अपनी मनहूस सूरत मुझे मत दिखाना” कहकर उसने जोर से फोन पटक दिया।

हालातों को देखते हुए मेरे पास और कोई चारा नहीं था। मैंने सोनिया की बात मान ली पर मैं ज्यादा से ज्यादा वक्त घर के बाहर बिताता। सिर्फ़ उस दिन खाने के वक्त दोपहर को घर जाता जिस दिन सादिया आने वाली होती थी। हम शाम तक जम कर चुदाई करते। मैं अपने आपको दूसरे कामों में व्यस्त रखने लगा। मैं क्लब और जिम में जाने लगा ताकि मेरा ज्यादातर समय घर से बाहर गुज़रे।

एक दिन ऑफिस में सुबह सोनिया ने मुझे अपने चेंबर में बुलाया, “राज, तुम अपने एग्रीमेंट का वादा पुरा नहीं कर रहे हो। समाज के फ़ंक्शन में तुम्हें मेरे साथ होना चाहिये, मैं वहाँ अकेले नहीं जा सकती सिर्फ़ इसलिये कि तुम दूसरे कामों में व्यस्त हो।”

“हमारे एग्रीमेंट मे ये नहीं लिखा सोनिया कि मैं अपनी ज़िंदगी अपनी मर्ज़ी से नहीं जी सकता” मैंने कहा।

“सवाल इस बात का नहीं कि क्या लिखा है और क्या नहीं, बस मुझे तुम्हारा साथ चाहिये जिससे लोगों के दिमाग में किसी तरह का प्रश्न ही ना उठे।”

“जब हम समाज के सामने अकेले या साथ-साथ होते हैं, तुम्हारा उभरता पेट ही काफी है ये जताने के लिये कि हम एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं” मैंने कहा।

सोनिया थोड़ी देर तक मुझे घूरती रही, फिर थोड़ा सा उदास होकर बोली, “राज क्या बात है, हमारे बीच कहाँ गलत हुआ। वो कौन है जिसने तुम्हारे दिमाग में मेरे खिलाफ़ जहर भरा है। ऐसी कौन सी बात है जिसके बदले में तुमने मेरे साथ ऐसा कुछ किया।”

“तुम्हें सब कुछ जल्दी ही पता चल जायेगा। पता चलने के बाद तुम्हें अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन तुम्हें पता चल जायेगा,” मैंने कहा।

वही हुआ जिसकी मुझे पहले से ही उम्मीद थी। कोर्ट की तारीख के दिन जब अमित सोनिया के खिलाफ़ गवाही देने के लिये कटघरे में खड़ा हुआ तो सोनिया के चेहरे का रंग ही उड़ गया।

“हरामी साला! कल रात मेरे साथ मेरे ही बिस्तर में सोया था, और आज मेरे ही खिलाफ़ खड़ा हो कर गवाही दे रहा है, कुत्ता साला!” सोनिया गुस्से में उसकी तरफ़ देखते हुए बोली।

“ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है, तुम मुझसे तलाक लेने के बाद उससे शादी नहीं करोगी ये तुम्हें उसे नहीं कहना चाहिये था,” मैंने सोनिया से कहा।

“तुम कहना क्या चाहते हो?”

“यही कि अगर तुम उससे शादी नहीं करोगी तो वो तुम्हारे से मज़ा कैसे कर पाता। इसलिये उसने राजदीप से पचास लाख में सौदा कर लिया तुम्हारे खिलाफ़ गवाही देने का।”

“मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा कि तुम क्या कह रहे हो?” सोनिया ने झल्लाते हुए कहा।

“सोनी, तुम कोई बच्ची नहीं हो कि इतनी छोटी सी बात भी तुम्हारी समझ में नहीं आयी। तुम जिससे प्यार करती थी उसने तुम्हारे प्यार का सौदा कर लिया। राजदीप ने उसे पचास लाख का ऑफर दिया तुम्हारे खिलाफ़ गवाही देने का, ठीक उसी तरह जिस तरह उसने मुझे दिया था, लेकिन वो बेवकूफ़ ये नहीं जानता कि अगर ट्रस्ट केस नहीं जीत पायेगा तो उसे एक फुटी कौड़ी भी नहीं मिलने वाली है,” मैंने सोनिया को समझाया।

“कैसा सौदा राज? जरा मुझे खुल कर समझाओ!” सोनिया ने कहा।

“थोड़ा सब्र करो, अभी थोड़ी देर में सब कुछ तुम्हारी समझ में आ जायेगा,” मैंने कहा।

सोनिया का वकील अमित के पास जा कर उससे सवाल करने लगा।

“अमित, क्या आज आपको सोनिया के खिलाफ़ गवाही देने के लिये पैसे दिये जा रहे हैं।”

“नहीं बिल्कुल भी नहीं।”

“आप झूठ बोल रहे हैं। मेरे पास सबूत है कि आपको इस गवाही के पचास लाख दिये जा रहे हैं। ठीक से और ठंडे दिमाग से जवाब देना। अगर आपका झूठ पकड़ा गया तो झूठी गवाही के एवज में आपको सज़ा भी हो सकती है” वकील ने कहा।

अमित के पसीने छूट गये। इस वकील को इतनी सही रकम का पता कैसे चला वो सोचने लगा। उसने अपना सिर उठाकर राजदीप और उसके वकील की ओर देखा।

“ये क्या है अमित, उस तरफ़ देख रहे हैं जैसे वो आपको बतायेंगे कि क्या जवाब देना है, आप मेरी बात का जवाब दीजिये। आपको पचास लाख मिले हैं या नहीं?” वकील ने थोड़ी ऊँची आवाज़ में कहा।

राजदीप के वकील ने कई बार ऑब्जेक्शन उठाने की कोशिश की पर जज ने अमित को जवाब देने के लिये कहा और जैसे वो था, उसने दिया, “नहीं, मुझे पैसे नहीं मिले।”

उसके बाद कई लोगों की गवाही हुई। आखिर लंच के लिये कोर्ट बरखास्त हो गया। खाने की मेज पर सोनिया बिफ़र रही थी, “राज, ऐसे वक्त में तुम खाना कैसे खा सकते हो। जो तुमने मेरे साथ किया उतना ही बहुत था और आज ये हरामी मेरे ही खिलाफ़ गवाही दे रहा है।”

“अभी केस खत्म नहीं हुआ सोनी, आगे-आगे देखो क्या होता है,” मैंने थोड़ा मज़ाक में कहा।

“अब मज़ाक मत करो राज, मुझे मेरी दुनिया डूबती नज़र आ रही है और तुम मेरी हँसी उड़ा रहे हो।” सोनिया ने कहा।

“सोनी, अभी ज़िंदगी खत्म नहीं हुई है। अगर खत्म भी हुई तो तुम्हारा पैसा तुम्हारे पास ही रहेगा” मैंने कहा।

“तुम्हारे कहने का क्या मतलब है?”

“यही सोनिया कि अमित सिर्फ़ इतना कह सकता है कि वो तुम्हारा प्रेमी था। और इसके लिये वो गवाह भी इकट्ठे कर सकता है। वो यह साबित कर सकता है कि तुम एक बेवफ़ा पत्नी हो। वो तुम्हें बदनाम कर सकता है कि तुमने अपने पति से बेवफ़ाई की है। लेकिन सही बात यह है कि इन सब बातों की चिंता किये बिना तुम अपना सर ऊँचा रखो और हालातों का सामना करो” मैंने कहा।

लंच के बाद केस फिर शुरु हुआ। अब हमारे वकील की बारी थी गवाह पेश करने की। उसने कई गवाह पेश किये जो हमारी शादी में शरिक हुए थे। अब उनके वकील ने मुझे कटहरे में बुलाया सवालात के लिये।

“राज, मैं आपसे कुछ ज्यादा सवाल नहीं पूछुँगा, सिर्फ़ दो-तीन। क्या आपकी श्रीमती सोनिया से शादी एक सौदा है, या फ़िर नकली है?”

“नहीं, बिल्कुल भी नहीं।”

“इसका मतलब है कि तुम सिर्फ़ नाम के पति नहीं हो? बल्कि एक पति की सभी जिम्मेदारियाँ तुम निभाते हो?”

“हाँ, मैं निभाता हूँ, और इसका सबूत मेरी पत्नी का फूला पेट है जो सात महीने के गर्भ से है।”

“हाँ, यह तो मैं भी देख रहा हूँ। लेकिन क्या आपको पूरा यकीन है कि ये बच्चा आपका ही है।”

“हाँ, मुझे पुरा यकीन है, फिर भी आप चाहें तो हम दोनों का डी-एन-ए टेस्ट करा सकते हैं।”

“एक आखिरी सवाल राज, क्या आप अपनी पत्नी को प्यार करते हैं?”

“हाँ!”

फिर राजदीप का वकील मुझसे सवाल करने लगा।

“राज, जैसे कि आपने इस अदालत को बताया कि आप अपनी पत्नी से प्यार करते हैं। श्री अमित ने इस अदालत में कहा कि आपकी पत्नी के इनके साथ संबंध थे इसके बावजूद आप ये कहना चाहते है कि आप अपनी पत्नी को प्यार करते हैं?”

“हाँ, इसके बावजूद मैं यही कहुँगा कि मैं अपनी पत्नी से प्यार करता हूँ।”

“अगर सच कहूँ राज तो मैं क्या ये अदालत भी आपकी बात पर यकीन नहीं करेगी। एक पति जिसकी पत्नी का दूसरे मर्द से संबंध हो वो कैसे कह सकता है कि वो उससे प्यार करता है।”

“आपको या इस अदालत को असलियत का पता नहीं है वकील साहब कि अमित मेरी पत्नी को ब्लैकमेल कर रहा है। और मेरा यकीन है कि राजदीप और उनका ट्रस्ट इसके साथ मिले हुए हैं। मैं यह तो नहीं कहुँगा कि इस वक्त हमारे संबंध अच्छे हैं लेकिन फिर भी मैं सोनिया से प्यार करता हूँ।”

अदालत में मौजूद लोगों ने मेरी इस बात पर ताली बजाकर मेरी सराहना की। थोड़ी देर की खामोशी के बाद राजदीप के वकील ने फिर मुझसे सवाल किया।

“राज जी, आप यह तो अच्छी तरह जानते होंगे कि गीता पर सौगंध खाकर झूठ बोलने की सज़ा क्या है?”

“हाँ, मैं जानता हूँ।”

“आपने अभी राजदीप और उनके ट्रस्ट पर अमित के साथ शामिल होने का इल्ज़ाम लगाया है, यह जानते हुए भी किसी पर इल्जाम लगाना और उसे साबित ना कर पाने की सज़ा क्या है। क्या आप अपना बयान बदलना चाहेंगे?”

“नहीं बिल्कुल भी नहीं। क्योंकि यह इत्तेफ़ाक नहीं हो सकता कि ट्रस्ट की डिनर पार्टी में ये सोनिया के साथ था और आज ये इसके खिलाफ़ गवाही दे रहा है। जरूर वहाँ कुछ हुआ जिससे वह आज ट्रस्ट का साथ दे रहा है।”

“क्या आप अदालत को बतायेंगे कि आप क्यों इतने यकीन से कह रहे है कि ट्रस्ट अमित के साथ मिला हुआ है?”

“मरी पत्नी ने ट्रस्ट के एक फ़ंक्शन को अटैंड किया था। और किसी ने उसकी ड्रिंक्स में कोई तेज़ नशिली दवा मिला दी थी। और उस रात किसी ने उसकी अश्लील तसवीरें खींच ली थी। और ठीक दो हफ़्ते बाद अमित वो लेकर आये और मेरी पत्नी को धमकाने और ब्लैकमेल करने लगे। मेरी पत्नी समाज में अपनी पोज़ीशन और इज्जत की वजह से डर गयी। सोनिया अमित की हर बात मानने को तैयार हो गयी जिसमें से एक शर्त अमित की ये थी कि सोनिया को उसके साथ हमबिस्तर होना पड़ेगा। दुर्भाग्य से मुझे भी इन बातों का पहले से पता नहीं था, लेकिन जब आज सुबह अमित ने इनके खिलाफ़ गवाही दी तो लंच के समय मुझे सोनिया ने बताया कि उस रात उसके साथ क्या हुआ था।”

“पर आपके पास इस बात का क्या सबूत है?”

“हाँ, मेरे पास इस बात का सबूत नहीं है कि ट्रस्ट भी मिला हुआ, है, लेकिन मेरे पास वो तसवीरें हैं जिनकी बिना पर अमित मेरी पत्नी को ब्लैकमेल कर रहे हैं।”

“ठीक है अब दूसरे मुद्दे पर आते हैं। क्या आपको सोनिया का पति बनने की कीमत दी गयी है।”

“कीमत का सही मायने बताइये।”

“ठीक है, क्या आपको सोनिया का पति बनने की एवज में कुछ मिल रहा है।”

“हाँ, मिल रहा है।”

“राज मुझे उम्मीद नहीं थी कि आप कबूल करेंगे। वैसे क्या आप बतायेंगे कि सोनिया का पति बनने के बदले में आपको क्या मिल रहा है?”

“एक अच्छा जीवन साथी, प्यार मोहब्बत और एक अपनापन, सच कहूँ तो तो इसकी इस आदत ने मुझे बिगाड़ कर रख दिया है” मैंने जवाब दिया।

“बहुत खूब राज! क्या आपको पचास लाख रुपये नहीं मिले इनका पाँच साल का पति बनने के लिये?”

“नहीं मुझे नहीं मिले हैं।”

“अगर मैं यह कहूँ कि मेरे पास इस बात का पक्का सबूत है तो आप क्या कहेंगे।”

“सबूत तो बनाये भी जा सकते हैं उसी तरह जिस तरह आपने अमित को पचास लाख रुपये देकर यहाँ गवाही के लिये तैयार कर लिया। बल्कि मैं तो यह कहुँगा कि मेरे पास सबूत है कि मुझे कुछ नहीं मिला।”

“किस तरह के सबूत की बात कर रहे हैं आप?”

“वकील साहब, आप मेरी एक बात का जवाब दीजिये। अगर किसी इंसान के एक हाथ में पचास लाख रुपये और दूसरे हाथ में एक करोड़ रुपये हों और उससे कहा जाये कि उसे इसमें से एक को चुनना है, तो वो किसे चुनेगा।”

“लाज़मी है कि एक करोड़ को ही चुनेगा।”

“तो आपके कहने के अनुसार अगर मुझे सोनिया का नकली पति बनने के लिये पचास लाख मिले हैं तो मुझसे बड़ा गधा और बेवकूफ़ इंसान कोई नहीं होगा जो राजदीप की एक करोड़ की ऑफर को मैंने ठुकरा दिया जो वो मुझे सोनिया के खिलाफ़ गवाही देने के लिये दे रहा था” मैंने कहा।

फिर मैंने अदालत में वो टेप प्रस्तुत की जिसमें खाने पर राजदीप ने मुझे एक करोड़ की ऑफर दी थी। टेप सुनने के बाद जज ने फ़ैसला सोनिया के हक में सुना दिया। जज ने राजदीप और उसके ट्रस्ट पर मुकदमा चलाने का भी हुक्म दिया।

कोर्ट से घर जाते वक्त रास्ते भर सोनिया चुप रही और सिर्फ़ मुझे देखती रही। आखिर में उसने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा, “राज वो तसवीरें उसी रात की हैं ना जिस दिन तुमने मेरे साथ वो कुछ किया था?”

“हाँ”

“इसका मतलब तुम्हें पहले से पता था कि अमित मेरे साथ ऐसा कर सकता है?”

“हाँ, मुझे अमित पर यकीन नहीं था और मुझे पहले से अमित के इस मुद्दे को अदालत में झूठलाना था कि तुम्हारा उसके साथ जिस्मानी संबंध है।”

“पर तुम्हें इस बात का पता कैसे चला?” सोनिया ने पूछा।

“इसके लिये तुम्हें सादिया को धन्यवाद और इनाम देना होगा,” मैंने कहा।

फिर मैंने सोनिया को बताया कि किस तरह सादिया को हम दोनो की कहानी का पता चला और एक दिन उसने अमित को किसी से फोन पर बात करते सुन लिया कि वो गवाही देने के लिये तैयार है।

“वैसे तो ये सब अलग-अलग कड़ियाँ थी लेकिन जब राजदीप ने मुझे खाने पर मिलने के लिये बुलाया तो मेरा शक यकीन में बदल गया। इसलिये उससे मिलने जाते समय मैं अपने साथ टेपरिकॉर्डर ले गया था और सब बातों को टेप कर लिया।”

“क्यों राज...... क्यों? तुमने मुझे यह सब पहले क्यों नहीं बताया। क्यों मुझे इतनी परेशानियों से गुज़रने दिया?????”

“मुझे तुम पर भरोसा नहीं था सोनी।”

“तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं था??? मुझ पर??? तुम्हारे कहने का मतलब क्या है?” सोनिया थोड़ा गुस्से में बोली।

“शायद मुझे कहना नहीं आया, मेरे कहने का मतलब यह है कि प्यार में अंधी औरत पर मैं भरोसा नहीं कर सकता था।”

“राज पहेलियाँ मत बुझाओ, साफ़-साफ़ कहो कि क्या कहना चाहते हो।”

“तुम्हें याद है सोनी, जब हम पहली बार मिले थे और तुमने मुझे यह ऑफर दी थी और कहा था कि राज प्यार अंधा होता है। मैं अमित से प्यार करती हूँ और उसके लिये कुछ भी कर सकती हूँ। अगर मैं तुम्हें बताता कि तुम्हारी पीठ पीछे अमित तुम्हारे प्यार का सौदा कर रहा है तो तुम सबसे पहले दौड़ कर अमित के पास जाती और वो यह बात राजदीप को बताता तो उन्हें सब पता चल जाता” मैंने कहा।

“तुम कम से कम हमारे वकील को तो बता सकते थे।”

“सोनी वो तुम्हारा वकील है, मेरा नहीं। जैसे ही मैं उसे ये बात बताता वो तुम्हें कहता और तुम सबसे पहले दौड़ कर अमित के पास जाती।”

सोनिया थोड़ी देर मुझे घूरती रही फिर धीरे से बोली, “तुमने ऐसा क्यों किया राज, तुमने पचास लाख के लिये एक करोड़ रुपये छोड़ दिये?”

“मुझे अफ़सोस है सोनी, तुम अभी भी नहीं समझ पायी। मुझे तो लगा था कि तुम्हें समझदारी अपने पिताजी से विरासत में मिली होगी। सोचना सोनी और सोचना कि मैंने ऐसा क्यों किया। अब मैं सोने जा रहा हूँ। तुम भी सो जाओ, सुबह जल्दी उठना है। इस केस के चक्कर में ऑफिस में काफी काम पेंडींग पड़ा है.... गुड नाइट”

जैसे ही मैं अपने कमरे में जाने के लिये मुड़ा तो उसने पीछे से आवाज़ लगाई, “राज!” मैंने घूम कर उसकी ओर देखा तो उसने कहा, “बहुत-बहुत थैंक्स राज, तुमने मेरे लिये इतना कुछ किया, धन्यवाद।”

मैं मुस्कुरा कर अपने कमरे में चला गया।

करीब दो घंटे बाद जब सोनिया मेरे कमरे में आयी तो मैं चौंक पड़ा। वो काफी नशे में थी। शायद केस की जीत सेलीब्रेट कर रही थी। मैं चौंका इसलिये था कि सोनिया ने इस बार मुझे हमेशा की तरह मेरे लंड को मसलते हुए नहीं जगाया बल्कि मेरे लंड को पूरा का पूरा अपने मुँह में ले कर चूसने लगी। जब मेरी आँख खुली तो उसने कहा, “राज मुझे आज तुम्हारी जरूरत है, मैं अपने दिमाग पर पड़े बोझ से उभरना चाहती हूँ, क्या तुम मेरी चूत चूसोगे?” ये कहकर उसने अपनी नाईटी उतार दी। उसने नीचे कुछ नहीं पहना था। सिर्फ हाई-हील सैंडलों में उसका नग्न बदन आज कुछ ज्यादा हे उत्तेजक लग रहा था।

मैं तुरंत उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया और धीरे-धीरे चूसने लगा। सोनिया ने अपने हाथों को मेरे सिर पर रखा और उसे अपनी चूत पर दबाते हुए सिसक पड़ी, “ओह राज, कितना अच्छा लग रहा है, ऐसे ही चूसो ओहऽऽऽऽऽ, आहऽऽऽऽऽऽऽऽऽ, हाँ ऐसे ही जोर जोर से चूसोऽऽऽऽऽऽ।”

बड़ी अजीब परिस्थिती थी। जब से सोनिया ने बताया था कि वो गर्भवती है हमने चुदाई करना बंद कर दिया था। अब उसके फूले पेट के साथ चुदाई करना बडा मुश्किल काम था। मैंने उसे घोड़ी बनाया और अपना लंड उसकी चूत में अंदर तक घुसा दिया।

मैं उसकी गोरी और चिकनी गाँड को सहलाते हुए धक्के मार रहा था। सोनिया भी अपनी गाँड पीछे की ओर करते हुए मेरा साथ दे रही थी और सिसक रही थी, “हाँ राज, जोर-जोर से चोदो, ओह हाँ, और जोर से।”

मैंने जोर के धक्के मारते हुए अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। सोनिया ने एक बार फिर मुझे चौंका दिया। वो हर बार की तरह मेरे कमरे से गयी नहीं बल्कि मेरी बगल में लेट गयी और मुझसे चिपक कर सो गयी।

सुबह मेरी आँख खुली तो देखा कि सोनिया मुझे ही देख रही थी और साथ-साथ मेरे लंड को सहला रही थी।

“क्या बात है, कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो रही हो?”

“क्या मतलब है तुम्हारा?”

“अब देखो ना, पिछली रात तुमने मेरा लंड चुसा, फ़िर मुझसे चुदवाया और एक पत्नी की तरह मुझसे चिपक कर सो गयी। और अब ऐसा लगता है कि तुम्हारी फ़िर इच्छा हो रही है।”

“मैं भी क्या करूँ, तुम्हें पता है राज, औरत जब माँ बनने वाली होती है, तो वो ज्यादा चुदासी हो जाती है। अब तुम ही तो हो जो मेरी सहायता कर सकते हो।”

मैं क्या कहता फिर भी मैंने कहा, “लगता है बड़ी जल्दी तुम अमित को भूल गयी। मैंने तो सोचा था कि उसने जो किया उसके बाद तुम कमरे में बंद होकर घंटों आँसू बहाओगी।”

“शायद मैं ऐसा ही करती अगर वो किसी दूसरी औरत के लिये मुझे छोड़ के जाता या अगर मैं उसे अपने ही घर में सादिया को चोदते पकड़ लेती। लेकिन वो कुत्ता साला पूरी रात मेरे साथ मेरे ही बिस्तर में सोने के बाद सुबह मेरे ही खिलाफ़ अदालत में गवाही दे रहा था। राज देखो तुम्हारा लंड फिर से खड़ा होकर तैयार हो गया। क्या तुम्हारा दिल नहीं कर रहा?” सोनिया ने मेरे लंड को भींचते हुए कहा।

गर्मा तो मैं भी गया था। मैंने फ़िर एक बार उसकी जम कर चुदाई की। फिर हम तैयार हो कर ऑफिस के लिये रवाना हो गये। जब हम गाड़ी में थे तो सोनिया ने कहा, “राज मैंने सोच लिया और मुझे यही लगा कि जो कुछ तुमने किया वो करके तुमने मेरे प्रति वफ़ादारी निभायी है। “

मैंने कुछ नहीं कहा।

“अगर तुम्हारी जगह कोई दूसरा होता तो कब का एक करोड़ लेकर रफ़ा दफ़ा हो चुका होता। पर एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही कि कोर्ट में तुमने कसम खा कर झूठ कैसे बोला।”

“मैंने कोई झूठ नहीं बोला सोनी।”

“तुमने झूठ कहा राज, उस वकील ने तुमसे साफ़ साफ़ पूछा था कि क्या तुम्हें मेरा पति बनने के लिये पचास लाख रुपये मिले हैं, और तुमने कहा नहीं मिले।”

“यह झूठ नहीं है सोनी।”

“झूठ ही तो है राज।”

“नहीं सोनी, यह झूठ नहीं है। हम कानून की अदालत में थे। और कोर्ट में शब्दों की गहराई को मापा जाता है। वकील ने पूछा था कि क्या मुझे पैसे मिले तो पैसे तो मुझे आज तक मिले ही नहीं हैं। वो तो मुझे पाँच साल बाद मिलने वाले है। हाँ अगर वो पूछता कि क्या मुझे मिलने वाले हैं तो मैं हाँ कह देता।”