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Click hereकरीब आधे घंटे तक दोनो गद्दे भर में लेटे हुए चुदायी करते रहे । तभी चौधराईन ने अपनी टांग उपक उठा ली और बल्लू के टांग पक चढा लुया । जिससे उनकी चौडी चुतड और फैल गई और अब चौधराईन आराम से नितम्ब उछा- उछाल कर अपनी लण्ड बल्लू के गांड में अंदर-बाहर कर चोदने लगी ।
तभी बल्लू ने दाऐं हाथ में चौधराईन की उभरी चूतड़ों को दबोचकर अपने गांड को चौधराईन की लण्ड पर दबाने लगा ।और चौधराईन भी बल्लू की पीठ पर उभारों को दबाते हुए उसे कस के बाहों में भर लिया और उसके गांड में जड तक लंड पेल कर झड़ने लगी और जोर से कराहने लगी-
"उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्ह आहह।"
और फिर बल्लू ने भी लंड को मुठियाते हुए झड़ने लगा । चौधराईन बल्लू को दबोच कर हांफ रही थी । और फिर दोनों एक दूसरे की बाहों में लिपटे-लिपटे वैसे नंगे ही सो गये।
दूसरे दिन जब सब सोकर उठे तो नन्दू धीरा और बल्लू जल्दी जल्दी कपडे पहनकर जाने लगे तभी चौधराईन बोली-
"हवेली के सब लोगों को बता देना कि जिस किसी आदमी की औरत को ठाकुर साहब चुदायी के मजे लेने के लिए रात में बुलायेंगे । वो आदमी अगर चाहे तो उसी रात चौधराईन से इंसाफ़ मांगने आ सकता है। चौधराईन ऐसेही सबको इंसाफ़ देगी ।
यह सुनकर वे बोले-
"कोई बेवकूफ़ ही होगा जो आपका इंसाफ़ नही पसन्द करेगा ।" और फिर हॅंसते हुए चले गये।
Bahut achha kahani that aisa kahani Maine Kabhi Nahi thha ye kahani mujhe bahut achha laga hai Jo bhi kahani banaya hai unko bahut bahut thanyanad English me thank you