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Click hereये मेरे दोस्त दीपक कुमार की कहानी है जो आगे जा कर मेरी कहानी का एक पात्र होने वाला है।
पढ़िए उसकी कहानी उसी की जुबानी।
दोस्तों में दीपक आपने मेरी कहानिया "झट पट शादी और सुहागरात 1, 2, 3" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी एक दिन मेरे रूम में आ गयी शादी का जोड़ा लेकर। उसने अपने दिल की बात मुझसे कही और दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयी।
अभी तक आपने झट पट शादी और सुहागरात पार्ट 3 में पढ़ा।
अचानक प्रीति अकड़ने लगी और उसने एक तेज आह्ह... कम ऑन... फ़ास्ट आई एम् कमिंग...आह्ह...ऊह्ह ... सीत्कार की... और उसने मेरी पीठ पर अपने नाख़ून गड़ा कर मुझे इस बात का संकेत दे दिया कि वह तृप्त हो चुकी थी।
उसके रस से चूत में मेरे लौड़े के प्रहारों से अब फच-फच की मधुर आवाज़ गूँज रही थी।
कुछ ही पलों में मैं भी उसके ऊपर ढेर होता चला गया और मैं निचेष्ट होकर एकदम से बेसुध हो गया... मुझे सिर्फ़ इतना याद रहा कि उसने मेरे बालों में दुलार भरे अपने हाथ फिराए।
अब आगे
हम दोनों कुछ देर तक यही बेसुध होकर एक दुसरे की बाहो में लेटे रहे और कब सो गए कुछ पता नहीं चला। आँख खुली तो ज़ोर जोर से घर की घंटी बज रही थी। तो प्रीती अलसाई हुई अंगड़ाई ले कर बोली "कौन आया होगा दीपक?" तो मैंने कहा "ज़रूर रोज़ी होगी।" तो प्रीती ने मेरी और हैरानी से देखा और उसकी आँखे पूछ रही थी "कौन रोजी?"
मैंने ही कहा "मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी, तुम रुको मैं दरवाज़ा खोल कर आता हूँ।" मैंने तौलिए लपेटा और दरवाज़ा खोलने चल दिया तो प्रीती बोली "कुछ पहन कर जाओ और मेरे कपडे देते जाओ मुझेऐसे देख वह क्या सोचेगी?"
मैं बोला "तुम चिंता न करो वह कुछ नहीं सोचेगी, मेरे विश्वास की है उससे मेरे कुछ नहीं छुपा।"
मैंने दरवाज़ा खोला तो बाहर रोज़ी के साथ उसकी बहन रूबी भी थी। रोज़ी वैसे तो आप उसे घर की देखभाल करने वाली कह सकते हैं पर मेरे पूरे विश्वास की थी। रोज़ी कुछ दिन की छुट्टी लेकर अपने गाँव गयी थी और अब वापिस आयी थी। उसकी बहन रूबी भी मेरे पास आती जाती रहती थी।
रोजी अंदर आयी तो सीधी मेरे कमरे में चली आयी और अंदर प्रीती और सजा हुआ कमरा देख कर बोली "अच्छा इतनी देर से घंटिया बजा रही थी तो ये कारण है देर से दरवाज़ा खुलने का मैं कुछ दिन गाँव क्या गयी आप एक नयी दुल्हन ले आये।" तो मैंने प्रीती का परिचय रोज़ी और रूबी से करवाया और उन्हें किस तरह से मेरी शादी प्रीती से हुई संक्षेप में कह सुनाई।
प्रीती तब तक शर्मा कर एक चादर में घुस चुकी थी। रोज़ी फिर प्रीती को देख मुझे से लिपट कर मुझे चुम कर मुझे बधाई देते हुए बोली बहुत सुन्दर दुल्हन है आपकी शादी की बहुत बधाई। रूबी ने भी आकर मुझे चुम कर बधाई दी फिर रोज़ी और रूबी प्रीती से लिपट कर उसे भी बधाई दी और बोली हमारे राजा जी का ख़्याल रखना दुल्हन।
फिर रोज़ी बोली "आप दोनों तेयार होकर बहार आ जाओ तब तक मैं खाना बनाती हूँ" और दोनों बाहर चली गयी।
प्रीती बोली "ये दोनों तो आप से बहुत खुली हुई हैं, इनका क्या चक्कर है आपसे, मुझे पूरी बात बताओ।" तो मैंने प्रीती को पकड़ कर लिप किश किया और कहा "जब तक खाना बनता है पहले फटफट एक राउंड हो जाए फिर खाना फिर कहानी सुन लेना।"
फिर हम दोनों एक दूसरे पर टूट पड़े एक दूसरे के होंठ काटने और चूसने लगे करीब 15 मिनट की ख़ूब चूमा-चाटी के बाद मैंने उसके मम्मे दबाने चालू कर दिये।
वो भी थोड़ा विरोध करते हुए मज़ा लेने लगी मैंने उसके एक मम्मे को अपने मुँह में ले कर काटने और चूसने लगा और दूसरे मम्मे को अपने मर्दाना हाथ से मसलने लगा।
मैं कभी एक मम्मा चूसता और दूसरा दबाता, तो कभी दूसरा चूसता, तो पहला दबाता वह मेरे जिस्म पर बहुत प्यारे और मीठे चुम्बन से मेरे चेहरे को चूमती रही।
करीब बीस मिनट मैंने उसका स्तनपान किया और मम्मों को ख़ूब निचोड़ा, तो उसे दर्द होने लगा था।
फिर मैं उसकी सफाचट चुत से खेलने लगा मैं उसकी चूत को हाथों से खोल कर सहलाने लगा उसने मेरे लौड़े को दबाया मेरा लम्बा मोटा लंड उसके सामने था वह मेरे लौड़े को मुठ्ठी में पकड़ कर हिलाने लगी उसने नीचे बैठ कर लंड को एक किस किया और टोपे पर जीभ घुमायी।
तभी मैंने उसका मुँह पकड़ कर अपनी लंड को उसके मुँह में घुसा दिया और थोड़ी देर ऐसे ही मुँह चोदने लगा, मैंने उसे बेड पर लेटा कर उसकी टांगें खोल दीं, उसकी चूत को थोड़ा सहलाया और अपना लंड डालने लगा टोपा अन्दर डालते ही प्रीती तिलमिला उठी और "आह आह" करने लगी। उसने एक जोरदार धक्का लगा कर आधा लंड अन्दर डाल दिया।
प्रीती दर्द से चिल्ला पड़ी, उम्म्ह... और मैं धीरे-धीरे चोदने लगा।
मैं बोला "सॉरी डार्लिंग, बस कुछ देर फिर पूरे मजे लोगी यू विल एन्जॉय ऐ लोट।" ( You will enjoy a Lot)
मैं उसके बोबे मसलने लगा, तो उसे दर्द कम हो गया अब उसे मज़ा आने लगा था। उसकी गांड हिलने लगी थी ये देखते ही मैंने और ज़ोर से धक्के लगा के अपना पूरा लंड प्रीती की चुत में पेल दिया। वह बोली "प्लीज धीरे करो दर्द होता है।" मैंने कहा "आदत डाल लो इस दर्द भरे मजे की" , वह दर्द से रोने जैसी हो गयी।
यह देख कर मैं प्रीती के होंठों को चूसते हुए धकापेल चोदने लगा। थोड़ी देर में मुझे फिर से जो मज़ा आना शुरू हुआ, वह मैं कह नहीं सकता। प्रीती को भी मज़ा आने लगा और वह मेरा पूरा साथ देने लगी।
वह मस्ती में बड़बड़ाने लगी "माय बेबी, फक मी हार्ड, आई एम कमिंग।"
( My baby, fuck me hard, I am cumming)
मैं भी बड़बड़ाने लगा "यस माय लव, आई फक यू हार्ड।" ( Yes my love, I fuck you hard)
मैं काफ़ी स्पीड से बिना रुके उसे चोद रहा था, उसे जन्नत का सुख मेरे लौड़े से मिल रहा था। दस मिनट धक्कम पेल के बाद मैंने उसे ऊपर लिया और वह ऊपर से चुदने लगी।
मैं उसके मम्मों को दबाता रहा। अचानक ही मैंने पलट के प्रीती की अपने नीचे लिया और ख़ूब ज़ोर से चोदने लगा।
पांच मिनट की जोशीली चुदाई के बाद मैं उसकी चुत में झड़ने लगा और प्रीती भी मेरे साथ ही झड़ गयी और लगभग बेहोश-सी हो गयी थी, पसीने से लथपथ मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा।
आगे क्या हुआ रोज़ी और रूबी का क्या चक्कर है पढ़िए अगले भाग में।
कहानी जारी रहेगी।
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संपादक ( Beingunknown) को कहानी सम्पादित करने के लिए विशेष धन्यवाद.