खाला की चुदाई के बाद आपा का हलाला 03

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निकाह-ऐ-हलाला सारा आपा के बाद ज़रीना के साथ सुहागरात.
1.7k words
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Part 3 of the 6 part series

Updated 06/10/2023
Created 07/12/2020
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आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने पहले नूरी ख़ाला को चोदा। और फिर कैसे उसके बाद मेरा निकाह-ऐ-हलाला कुंवारी सारा आपा के साथ हुआ और कैसे मैंने कश्मीर में सुहागरात के दौरान उसे चोदा।

उस रात मैंने सारा आपा या सारा बेगम, जो भी कह लो, को लगातार 4 बार चोदा। आख़री बार में जब मैं उसकी गांड में अपने लंड को डाल कर उसे अपना बना रहा था, तब मामू ने दरवाज़ा खटखटा कर हमें आवाज़ दी। फजर का टाइम हो गया था लेकिन नई बेग़म की गांड खोलने में मैं इतना मशगूल हो गया था कि ध्यान नहीं गया। मामू की आवाज़ सुनकर मैं और ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा ताकि वह समझ जाएँ कि हम जाग रहे हैं।

ख़ैर फिर मैं फ़ारिग हुआ। हमने एक और लम्बी जफी लगाई और फिर चुम्बन किया, जिसके बाद हम सफ़ाई कने के लिए चल दिए। दर्पण में मेरे सीने पर उसके नाखूनों के और उसके पूरे जिस्म पर मेरे दांतों के निशान साफ़ दिख रहे थे।

मैंने सारा से पूछा,

"क्या तुम अब भी इमरान (उसका पहला शौहर) के पास जाना चाहती हो?"

"क्या आप चाहते हो कि मैं इमरान के पास चली जाऊँ?"

"नहीं!"

सुबह मौलवी साहब को बुलाया गया और उन्होंने रवायत बताई, जिसके मुताबिक़ मैं सारा को तीन तलाक देकर उसकी इमरान से शादी का रास्ता साफ़ कर सकता था।

मैंने कहा, "इमरान को बुलवाइए, मैं उससे बात करूँगा, फिर कोई फ़ैसला करूंगा।"

इमरान आया और उसके साथ उसकी छोटी बहन, दिलिया, भी आयी। लगभग अठारह साल की होगी वो। बहुत ही हसीन और कमसिन लग रही थी: बड़े-बड़े चूचे और भरी हुई गांड।

इमरान गिड़गिड़ाने लगा और उसने अपनी गलती मान ली। मैंने उसको अलग ले जा कर पूछा तो उसने बताया कि वह इलाज़ कराने को तैयार है।

मैंने कहा, "अगर तुम ठीक हो जाओगे तब ही मैं सारा को तलाक़ देकर उसकी तुमसे शादी करवाऊंगा।"

वो राज़ी हो गया।

"शरीयत के हिसाब से सारा को तलाक़ देने के लिए तुम्हें सजा भी मिलेगी।"

"आप जो सजा दोगे, मैं मानूंगा!"

"पर अगर तब तक सारा को मेरा बच्चा हो गया तो फिर तलाक़ नहीं दूंगा।"

वह फिर गिड़गिड़ाने लगा। मैं सारा कि जवानी को याद करते हुए इमरान के मजे ले रहा था।

दिलिया को देख मेरा मन फिर बेईमान हो रहा था।

मैंने कहा, "ठीक है, दिलिया कि शादी मुझसे कर दो।"

इमरान झट से मान गया और मैंने उसी दिन दिलिया से निकाह कर लिया।

मैंने वापिस हैदराबाद जाने की बात की तो ख़ाला बोली, "कुछ दिन रुक जाओ, लोग तो हनीमून मनाने कश्मीर आते हैं। तीनों बीवियों से मिल कर सुहागरात मना लो, फिर चले जाना।"

पर फिर मेरे ज़िद करने पर उन्होंने हामी भर दी और मैं उसी दिन अपनी तीनों कमसिन दुल्हनों के साथ हैदराबाद की फ्लाइट से चला गया।

बाकी दोनों बीवियों के साथ होने के बावजूद सारा फ्लाइट तक में भी मुझे छोड़ने को तैयार नहीं थी। वह ज़िद करके मेरे साथ हो चिपक कर बैठी और पूरी फ्लाइट में मेरे लंड को दबाती-सहलाती रही। मैं भी पीछे नहीं रहने वाला था। मुझे जब मौका मिलता, मैं उसकी गांड और मम्मों से खेल लेता।

हैदराबाद पहुँचने पर हमारा जोरदार स्वागत हुआ। नयी बहुओं को ढेरों तोहफे और मुझे बधाई मिली। सभी बहुत खुश थे। उस रात मेरा ज़रीना के साथ सुहागरात मनाने का तय हुआ। मेरे मन में आने वाली रात के ख़्याल आने लगे। मेरी ज़रीना, हाय! उसका चेहरा मोहरा एक्ट्रेस ज़रीन खान जैसा है। हाइट भी पांच फिट सात इंच है, गहरी काली आंखें और काले बाल। ग़ज़ब की मादक सुंदर है वो। जब भी मुस्कुराती है, गालों के डिंपल बस दीवाना-सा कर देते हैं। लाल रंग के साड़ी में फूलों-गहनों से लदी ज़रीना, महकती हुई सुहाग की सेज़ पर, मेरे इंतज़ार में सो गयी। दिन भर की भागदौड़ के बाद रात में जब सब लोग अपने कमरों में चले गए, तो सभी सालियाँ और बहनें मिल कर मुझे मेरे कमरे में ले गयी।

वहाँ मेरे ख़्याल से कुछ अलग ही नज़ारा था। ज़रीना और सारा एक ही बिस्तर पर सो रही थीं। मैंने सारा को जगा कर उसे दूसरे कमरे में जाने के लिए कहा लेकिन उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था, ज़रीना भी तब तक जग चुकी थी। मेरा मन खराब-सा रहा था। मैंने सारा से कहा, "यार, आज मेरी और ज़रीना कि सुहागरात है। । । क्यों बेकार में कवाब में हड्डी बन रही हो?"

"क्यों? क्या मैं एक दिन में ही बेकार हो गयी हूँ? कल तो रात भर छोड़ नहीं रहे थे, अब मैं यहाँ रुक भी नहीं सकती?"

"मुझे कोई ऐतराज़ नहीं है, लेकिन तुम्हारे रहते, तुम्हारी बहन के साथ मैं कैसे कुछ कर पाऊंगा?"

इस पर सारा ने कहा, "क्यों? मेरे रहते तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होगा क्या? दो-दो को देख़ कर गांड फ़ट गई, या दोनों को एक साथ झेलने की हिम्मत नहीं है?"

उसने मुझे ललकारा, तो मैं भी चुप नहीं रहा। पलट कर बोला, "लंड तो मेरा कमरे में घुसने से पहले ही खड़ा हो गया था, लेकिन क्या तुम्हारे सामने तुम्हारी बहन का मन कुछ करने को करेगा? और रही बात दोनों को झेलने की, तो रात भर दोनों को इतना चोदूँगा कि दोनों की दोनों सुबह उठने लायक नहीं रहोगी।"

इस पर ज़रीना बोली, "क्यों? इसमें क्या बुराई है? हम दोनों को एक दूसरे की सब बात मालूम हैं, हम आपस में कुछ भी नहीं छुपाती। मुझे तो तुम्हारी और सारा कि भी सब बातें मालूम हैं।"

अब चौंकने की बारी मेरी थी। थोड़ी देर शान्ति से सोचा और फिर मैं वहीं बिस्तर पर बैठ कर बोला, "ठीक है। । । जैसी तुम दोनों की मर्जी, मुझे तो फ़ायदा ही फ़ायदा है।"

सारा बोली, "तुम अब जिसको मर्जी चोदो, मुझे कोई फ़र्क़ नहीं, लेकिन हर बार तुम्हें अपना पानी मुझमें ही छोड़ना पड़ेगा। मुझे जल्दी से जल्दी तुम से एक बच्चा चाहिए।"

ज़रीना ने भी इसके लिए हामी भर दी।

अब तक मेरा लंड भड़क कर पूरा तैयार था। मैंने ज़रीना को तोहफा दिया और उसका घूँघट हटाया और उसके होंठ चूमने लगा। शुरू में तो वह हिचक रही थी, लेकिन धीरे-धीरे अपने आपको ढीला छोड़ दिया। जैसे-जैसे मैं उसके होंठों को चूसता रहा, उसे मज़ा आने लगा।

उसकी चूचियाँ चकित कर देने वाली थी। छोटे-छोटे सन्तरे के आकार की चूचियाँ और उसकी निप्पलों को नज़र ना लगे, बिल्कुल मटर के दाने से भी छोटे। मैंने हल्के हाथों से उनको ख़ूब दबाया।

मेरा लंड एकदम से खड़ा और कड़क हो गया था और पजामे का तम्बू बना रहा था। मैं फिर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ कर उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी पैन्टी में हाथ डाल कर थोड़ी देर उसे देखने लगा। वाह क्या कुंवारी और चिकनी बुर थी, एक भी बाल का नामोनिशान नहीं, बिल्कुल छोटा-सा गुलाबी छेद।

मैंने उसकी बुर में अपनी उंगली डाल दी तो वह ज़ोर से चीख पड़ी 'आआआह हहहह। ।' वह उठ कर बिस्तर से नीचे उतर गई और बोली-दर्द होता है, मार डालोगे क्या?

इस पर सारा बोली-मियाँ जी, ज़रीना अभी कुंवारी है, इसकी चूत बहुत टाइट है। थोड़ा प्यार से और आराम से काम लो।

मैंने कहा-यार, अभी तो दोनों बड़ी-बड़ी हांक रही थीं कि तुम्हें दोनों मिलकर निचोड़ देंगी, अब क्या हुआ?

सारा ने कहा-निचोड़ेंगी तो ज़रूर, पर अपने हिसाब से। ज़रीना और मैं आज रात तुमको छोड़ने वाली नहीं हैं, पर उसका पहली बार है, इसलिए थोड़ा घबरा रही है। एक काम करो पहले मुझे चोद लो ताकि वह चुदाई देख कर अच्छे से गर्म हो जाए और फिर वह अपने आप करने को कहेगी।

बात मेरे को भी जमी। सारा ने मेरा और ज़रीना का हाथ पकड़ कर हमें सोफे पर बिठा दिया और बोली-शैल वी स्टार्ट?

सारा ने सिर्फ़ आसमानी नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी, न ब्रा न पैंटी सिर्फ़ साड़ी को छातियों पर साड़ी को बाँधा हुआ था। सारा के कंधे नंगे थे, वह बड़ी ग़ज़ब लग रही थी। वह बेड पर खड़ी हो गयी और अपने मम्मों पर हाथ फेरने लगी और कंधे हिलाने लगी। कभी आगे, तो कभी पीछे करने लगी। अपने होंठों पर जीभ फेरने लगी। उसने साड़ी को नीचे से उठा कर अपनी एक नंगी टांग बाहर निकाली और अपने बदन को लहराया, गांड को मटकाया और साड़ी को जांघों से भी ऊपर उठा दी।

वाह क्या नज़ारा था, मेरा लंड बेकाबू होने लगा।

मैंने ज़रीना का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी। ज़रीना भी ये सीन देख कर स्तब्ध थी। फिर सारा ने साड़ी गिरा कर दूसरी टांग नंगी करके अपनी गांड लहराई और जीभ अपने होंठों पर फेर कर मुझे ललचाने लगी। अब उसने धीरे-धीरे नीचे झुक कर साड़ी को कमर तक ऊंची करके अपनी चूत की दर्शन करवाए। फिर पलट कर अपने चूतड़ दिखाए और उनको मटकाया। चूतड़ों को आगे पीछे किया।

उफ्फफ्फ्फ़ क्या नज़ारा था, क्या लचीली गांड थी, एकदम चिकनी नरम मुलायम और गद्देदार, फिर वह कभी साड़ी गिरा देती, कभी उठा देती। फिर घोड़ी बन अपनी गांड दिखाने लगी और अपने हाथ गांड पर फेरने लगी। कभी इस साइड से घूम कर, कभी उस साइड से घूम कर गांड दिखाने लगी। साड़ी उसकी चिकने बदन से बार-बार नीचे गिर जाती। वह कभी आधी कभी पूरी उठा कर अपनी गांड पर हाथ फेरती और जीभ निकाल कर होंठों पर फेरने लगती।

मैं लगातार ललचा रहा था और ज़रीना के हाथ के ऊपर से अपने लंड को दबाने लगता था। सामने सारा कभी लेट जाती, कभी घोड़ी बन कर अपने बदन की लचक का नज़ारा दे रही थी। कभी अपने दाएँ चूतड़ को दिखाती, कभी बांए चूतड़ को दिखाने लगी। फिर उसने साड़ी पेट तक उठा कर अपनी नाभि और सपाट पेट को दिखाया और कमर को लचकाते हुए मटकाया।

फिर थोड़ा और ऊपर उठा कर अपनी चूची की गोलियों का नज़ारा करवाया। फिर लेट कर अपनी पूरी गांड का नज़ारा करवाया। इसके बाद वह घुटनों पर बैठ कर अपने सर और बालों पर अपने हाथ-हाथ ले जाती।

वो अपनी साड़ी को एक साइड से उठा कर उस तरफ़ के मम्मे को सहलाते हुए दूसरे मम्मे को सहलाने लगी। उसने कानों में झुमका, मांग में टीका और नथ पहन रखी थी और गले में एक बड़ा-सा हार पहन रखा था। सच में बड़ी मादक लग रही थी। फिर उसने साड़ी की गांठ को खोला और पल्लू से चेहरा और बदन छुपा लिया। फिर धीरे-धीरे नीचे करते हुए, उसने थोड़ा-सा पल्लू गिरा कर मुझे अपने एक मम्मे का नजारा कराया। एकदम गोल-गोल बड़े बड़े मम्मे, मैं उसकी तरफ़ लपका, उसने मुझे रोक दिया। वह बोली-राजा थोड़ा रुको, सब तुम्हारा ही है।

कहानी जारी है।

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यह कहानी मुसलमानों पर या उनकी परम्पराओं पर हमला करने के लिए नहीं है। यह सिर्फ़ मस्ती और आनंद के लिए है।

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संपादन के लिए Beingunknown का धन्यवाद।

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