पूजा की कहानी पूजा की जुबानी Ch. 01

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एक जवान बेटी और उसके पापा की मदभरी चुदाई की पांचवी सालगिरह...
2.2k words
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2

Part 1 of the 11 part series

Updated 03/13/2024
Created 11/26/2022
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पूजा की कहानी पूजा की जुबानी - 1                             (मैं और मेरे पापा 1)

एक जवान बेटी और उसके पापा की मदभरी चुदाई की पांचवी सालगिरह की दास्ताँ..

दोस्तों! मैं हूँ पुजा, एक सूंदर और आकर्षक शरीर वाली औरत हूँ। मेरी हाइट 5 फ़ीट 7 इंच है। उम्र 42 साल और दो बच्चो की माँ हूँ। दोनों जुडवा है एक बेटी और एक बेटा। दोनों की उम्र 18 वर्ष है। मेरी फिगर देख कर कोई यह नहीं कहता की मेरी दो, दो बच्चे है और मैं 42 साल की हूँ। लोग मुझे 30, 32 साल की औरत समझते है। मेरी फिगर फिल्म हेरोइन अनुष्का शेट्टी जैसा है। वही फिगर, वही मादकता, वही त्वचा की टेक्सचर। मैं रेगुलर वर्क आउट करती हूँ। जब में बाहर निकलती हूँ तो लोग मुझे घूर घूर कर देखते है। पर्टिक्युलर्ली मेरे थिरकते उभारों को और पीछे मटकते नितम्बों को।

में एक कामुक औरत भी हूँ। मुझे सेक्स बहुत पसंद है। आज भी जैसे ही मैं लंड के बारे में सोचति हूँ तो मेरे जांघो की बीच दरारों में कामरस रिसने लगती है। रिश्तेदारों में सेक्स मुझे बहुत पसंद है। उनके साथ सेक्स का एक अनोखा ही नशा और मज़ा है। मेरे रिश्तेदारों में ऐसा कोई मर्द नहीं है जिसने अपने कड़क और फुदकते लंड से मुझे जी भर कर न चोदा हो। हाँ अपने सही सुना मेरे सभी रिश्तेदारों ने मुझे पेलें हैं। चाहे वह उम्र में बड़े हो या छोटे।

मेरी यह धारणा है दिनिया में सिर्फ दो चीजों का महत्व है और वह है चूत या बुर और लंड या लवड़ा। इन दोनों में आकर्षण होना एक आवश्यक क्रिया है। रिश्ता कुछ भी हो बस वह दोनों एक दूसरे को आकर्षित करते हैं।

में इस साइट को पिछले पांच वर्षों से देख रही हूँ और मुझ मे भी यह इच्छा हुई की क्यों न मैं भी अपने अनुभव अपने पाठकों से शेयर करूँ। नतीजा मैंने भी निर्णय किया की मेरे अनुभव लिखूंगी। यह सारे अनुभव वास्तविक घटनाओं पर आधारित है, इसी लिए इसके सारे पात्र के नाम बदल दिए गए हैं।

मेरे बहुत से अनुभव है लेकिन उसे एक के बाद एक घटित घटनावों के क्रम से नहीं लिख सकती। इसी लिए जैसा कोई घटना याद अति है वैसे ही लिखूंगी।

क्यों की मुझे इन्सेस्ट (Incest) ज्यादा पसंद है इसी लिए मेरी पहला अनुभव उसी की है। चले मैं आप को उस अनुभव की ओर ले चलती हूँ।

************

मेरे जीवन की एक मजेदार घटना के साथ आपके समक्ष।

मेरे पति राकेश 44, एक MNC कंपनी में दक्षिण (South) एरिया मैनेजर; sales है। घर में हर चीज़ की सुख सुविधा है। सुख शांति की जीवन। दो प्यारे बच्चे, कार, बंगलो, बैंक बैलेंस किसी चीज़ की कमी नहीं है। सिर्फ यही की वह एरिया मैनेजर होने के वजह से मुझे ज्यादा समय नहीं दे पाते। एरिया मैनेजर होनी की वजह से उन्हें अपनी कंपनी के हर एरिया को कवर करने पड़ता है और इसीलिए उन्हें महीने में ज्यादा दिन टूर पर रहना पड़ता है।

जिस समय यह घटना घटी थी उस समय मैं 24 वर्ष की थी और जब में 21 साल की थी तो मेरी शादी हुयी है। शादी के एक साल बाद मैंने जुडवा बच्चों को जन्म दिया। इस घटना के समय वह डेड साल के है।

उस सवेरे जब मेरी आँख खुली तो उस समय छह बजे थे। में बिस्तर से उठने वाली थी की मेरे पति मुझे अपने आगोश में लेकर मरे कानों में फसाये फुसाये... "हैप्पी मर्रिज अंनिवर्सरी (Anniversary) डियर..." कहे।

"आपको को भी शादी की तीसरी सालगिरह मुबारक हो प्रियतम" मैं उनके आगोश में बाँध कर बोली और उनके होंठों को चुबलाई। "डार्लिंग" मैं फिर से कही "डार्लिंग आज शाम को हम कहीं बाहर चलेंगे..."

"हाँ हाँ डियर जरूर चलेंगे.." मेरे पति मेरे चूची को दबाते बोले। उसके बाद मैं उठी और नहा कर रोज मर्रे की कामों में लग गयी। सुबह के 8.30 बजे थे। मैं नाश्ता बना चुकी थी और, दोपहर खाने के लिए तैयार कर रही थी की बाहर से मेरे पति की आवाज़ आयी "अरे पिताजी आईये आईये .. कैसे है...?" वह आनेवाले से पूछ रहे थे। 'इस समय कौन आया?' मैं सोच रहीथी की फिर से मेरे पति की आवाज़ आई "पूजा देखो तो कौन आये है..?"

"कौन...?" कहती मैं वरांडे में आयी तो देखि सामने मेरे पापा ठहरे थे। "हैल्लो पूजा बिटिया 'Happy Wedding Anniversary' कैसी हो..?" पापा पूछे। पापा दुसरे शहर से आये है।

"पापा.." कहके मैं दौड़ी और पापा को गले लगाई। वही सोफे पर बैठकर कुछ देर बातें करि; और पापा से बोली "पापा.. आप नहाँ लीजिये.. नास्ता तैयार है..दोनोंको परोसती हूँ.." और पापा को फर्स्ट फ्लोर पर उनका कमरा दिखाई। हमारा तीन बेडरूम वाला डुप्लेक्स घर है।

पापा अपने बैग लेकर अंदर चले आये।

हम तीनो ने मिल कर नाश्ता किये और मैं पापा से घर की हालचाल पूछ रही थी। इतने मे मेरे पति राकेश तैयार होकर ऑफिस का चक्कर लगा आने को कहे। वह एक MNC में एरिया मैनेजर; sales है। उनका हेड ऑफिस इसी शहर में है लेकिन वह अपना टारगेट पूरा करने के लिए महीने में 20, 25 दिन दौरे पे रहते है। कल शाम को ही वह दौरे से लौट आये हैं। टारगेट पूरा करने पर उनको इंसेंटिव (Incentive) मिलती है।

"राकेश बेटा रुको.." पापा कहे और उनके बैग से एक Titan की कीमती घडी निकाल कर 'शादी की सालगिरह मुबारक' कह, मेरे पति को दिए। फिर मुझे भी सोने की नेकलेस उस से match करती कान की बालियां दिए और हमें आशीर्वाद दिए।

"डियर आज आप दौरे पर नहीं जायेंगे..?" में उन्हें बोली। "ठीक है पूजा आज दौरे पर नहीं जा रहा हूँ.. शाम को पापाजी के साथ हम बहार जाएंगे और किसी अच्छे होटल में डिनर करेंगे। पर मुझे बाहर तो जाना ही है मेरे खास दोस्तों मेरी शादी की सालगिरह की पार्टी पूछ रहे है..."

"ठीक है जाओ लेकिन सवेरे जो वादा किये थे उसे याद रखना...? में बोली

"ठीक है..." कह कर वह बहार निकल गये। उनके जाने के बाद मैं बच्चों को फीड करि और उन्हें सुलाई।

मैं पापा के बगल में सोफे पर बैठ कर उनकी हाल चाल पूछ रही थी। उतने में पापा ने मुझे पकड़ कर अपने ऊपर खींच अपने गोद में बिठालिये और मेरे गालों को चूमने लगे।

"जाओ पापा मैं आप से रूठ गयी हूँ चलो छोड़ो मुझे.." मैं पापा के गोद से उतरने की नखरे करते बोली।

"अरी मेरी प्यारी गुड़िया रानी.. पापा से ऐसे भी क्या रूठना..." पापा बोले और मेरी एक चूची को टीप दिए।

"रूठूँ नहीं तो क्या करूँ पूरा एक साल बाद आप आये है; लगता है पापा ने अपनी लड़ली को भूल गए.." मैं अपने गालों को उनके मुहं से बचाते बोली। लेकिन मेरी गांड पापा की उभार को दबा रही थी।

"पूजा बिटिया... पापा को भी तो कुछ मजबूरी होगी समझा करो" अब उनके हाथ मेरी मस्तियों से खिलवाड़ करने लगे।

"मैं खूब मझती हूँ आपकी मजबूरी को...भानु चाची आने नहीं दे रही है, यही है न...?" भानु यानि की भवानी चाची मरे छोटे चाचा की पत्नी है। और मुझे मालूम है की पापा उनपे मरते है, और वह पापा पे।

तब तक पापा के हरकतों से मैं गर्म हो गयी। अब मैं अपने आप पापा के गले में हाथों का हार पहना कर उन्हें चूमते मेरे मस्तियों को उनका छाती पर दबा रही थी।

जैसे ही मैं उनके गलेमे हाथों का हार पहनाई पापा समझ गए की मेरे रूठना ख़त्म हो गया है.. और मेर होंठों को चुभलाते मुझे उठाकर सीढ़ियां चढ़ने लगे। पापा का कमरा ऊपर ही है।

जैसे पापा ने मुझे बेड पर लिटाये और मेरे ऊपर आये में अपने हाथ फैलाकर उन्हें अपने से भींच लिया; और एक हाथ हमारे बीच रख कर उनके उभर रहे मर्दानगी को लुंगी के ऊपर से जकड़ी।

पापा ने भी पहले मेरी साड़ी और फिर मेरी पेटीकोट खींच डाले। में अपनी चूतड़ उठाकर उन्हें मेरी पेटीकोट निकालने की सहायता की! अब मैं सिर्फ पैंटी में थी। पापा मेरे जांघों के बीच आकर मेरे वजनी स्तनों को अपने हथेली में जकड कर.. "पूजा.. तुम शादी के बाद बहुत सुन्दर हो गयी है...लगता है दामाद जी का पानी खूब असर कर रही है"।

मैं हौले से हंस कर मेरी कमर ऊपर उठायी। पापा भी अपनी लुंगी खींच पूरे नंगे हो गए और उनका गर्म लोहे की चढ़ मेरे जांघों के बीच ठोकर मार रहि है।

पापा मेरी चूची को टीपते और मेरे होंठों को चूमते अपने सूपाड़ा मेरी चूत की खुली फांकों पर लगा कर दबाये..."

"aaaaahhhhh...haaaa" में कुछ दर्द से करहि फिर भी कमर उठायी।

"पूजा लगता है तुम्हारी बुर कुछ तंग हो गयी है.." पापा अपने लंड कुछ बाहर खींच पिरसे अंदर ढखेल ते बोले।

"हाँ पापा... अभी मेरी रेगुलर चुदाई नहीं हो रही है ना...शायद इसी लिए...?" मैं पापा के हाथ को अपने सीने पे लेकर उन्हें चूमते बोली।

"अरे..ऐसा क्यों...?' चकित होकर बोले।

"ऐसा क्यों क्या मतलब...? मेरे पति सेल्स एग्जीक्यूटिव है और 20, 25 दिन तो दौरे पर रहते है। तो रेगुलर कैसे होगा...?"

"ओह..."

छोड़ो वह किस्सा ... आवो अब अपनी बेटी को खूब चोदो आज कल उसकी प्यास नहीं बुझ रही है... मैं आपके लंड के लिए तरस गयी" मैं कमर उछालते बोली। फिर पापा चालू होगये. धना धन...चोदने लगे। मैं उनके स्पीड के मुताबिक कमर उठा उठाकर चुदने लगी।                           

"पापा जरा इने भी देखिये.." कहते मैं पापा के सर को अपने चूचियों पर खींची। पापा भी जैसे इसी की इंतज़ार में है झट अपना मुहं खोल मेरे चूचियों को चूसे और एक हाथ से उन्हें दबाते ठोकर प्र ठोकर दे रहे थे। 'आआअह्ह्ह्ह... पापा का लंड का स्वाद चख कर इतने दिन होगये... उफ़. पापा का पूरा 9 1/2 इंच लम्बा चढ़ मेरे रिसते बर के अंदर बाहर हो रही है। मैं मस्ती में झूमते अपना चूतड़ उठा उठाकर "पापा..और. जोर से.. और जोरसे मारो पापा.. बहुत खुजली हो रही है... आह.. कितना मजा आ रहा है... मममम. ओह पापा.. आह मैं झड़ रही हूँ...mmmm..." कह कर मैंने अपना मदन रस छोड़ दिया। बहुत दिनों के बाद पापा से चुदवाने की वजह से मैं जल्दी खलास हो गयी।

"पूजा तम्हारी सच में ही बहुत तंग हो चुकी है..." पापा एक ठोकर और देते बोले।

"लेकिन पापा मुझे तो लगता है की आपकी और लम्बा और मोटा होगया है..कही यह चाची की बुर का असर तो नहीं..." में उन्हें छेढ़ते पूछी।

पापा एक बार हौले से हंस कर अपनी चुदाई चालू रखे।

"आआह.....पूजा मेरी बेटी.. उम्म्म्म.." कहते मुझे पेलने लगे। मैं भी मस्ती में झूमते अपना गांड उठा उठाकर चुदा रही थी। वैसे ही पापा का औज़ार मेरे अंदर पूरा 8, 10 मिनिट तक अंदर बहार होते रही। फिर पापा भी खलास होने को आये।

"पूजा बेटी मेरी खलास हो रही है... कहाँ छोड़ूँ.. अंदर या बाहर...?" पूछे।

"अंदर नहीं पापा..उन्हें तीन, साल तक कोई बच्छा नहीं चाहिए... आपके अंदर छोड़ने से कुछ गड़बड़ हो सकती है। आप बहार निकला लीजिये.. आपका मॉल मेरे मुहं पर पिचकारी करिये..." मैं बोली।

पापा ने चार पांच दकके और देकर अपना लंड बहार खीच मेरे मुहं पर छोड़ दिए.. उनका घाड़ा सफ़ेद वीर्य मेरे मुहं पर पिचकार होने लगी। मेरे नाक, गाल, आँखों पर और होंठो पर पापा का गर्म वीर्य का भौचार हुआ। पापा का गर्म मलाई मेरे मुहं पर से मेरे चूचियों पर फिसल रहि थी। में अपनी तर्जनी ऊँगली से उस वीर्य को स्कूप कर चाट रही थी। पापा भी मेरे मुहं को चाट कर अपना वीर्य खुद चाट गए!

फिर हम दोनों बिस्तर पर निढाल पड़े रहे।

***************

मैं और पापा फ्रेश हुए और फिर से बिस्तर पर आगये। हम अभी भी बिलकुल नंगे ही हैं। पापा ने मुझे अपने ऊपर खींचे। मैं पापा के उपर सीधे औंधे लेटी थी। मैं मेरे मस्तियों को पापा के छाती पर रगड़ते उन्हें चूम रही थी। पापा के हाथ मेरे नितम्बों पर फिर रहे थे। कभी कभी उनकी उंगलिया मेरे गांड के दरार में भी फिर रहे थे। पापा के ऐसे करने से मैं फिर से गर्म होने लगी। मैंने मह्सूस किया की पापा का भी फिर उभार लेकर मेरे जांघों के बीच में ठोकर मार रही है।

मेरे जांघों के नीचे उनकी मर्दानगी उभर रही है।

"पूजा..." पापा बुलाये।

"जी पापा,..." में उन्हें देखती पूछी।

"क्या तुम्हे आज के दिन की स्पेशलिटी याद है...?"

"हाँ पापा हमारा शादी की सालगिरह है... अपने तो बधाई भी दिए है और गिफ्ट भी..."

"उसके अलावा और क्या स्पेशलिटी है..?" मेरी चूची को टीपते पूछे।

में कुछ देर तक सोचती रहि लेकिन मुझे कुछ याद नहीं आ रहा है। "नहीं पापा मुझे कुछ याद नहीं है..क्या स्पेशलिटी है..?" मैं उन्हें पूछी।

पापा मेरे नाक को खींचते बोले.. "आरी मेरी गुड़िया... पांच साल पहले इसी दिन तो हमारा पहली चुदाई हुई थी.. भूल भी गयी? आज हमरी चुदाई का पांचवी सालगिरह है..."

'ओह मैं गॉड! सच में मैं तो भूल ही गयी'। सच में इसी दिन तो मैं पापा से पहली बार चुदी थि और दुसरे दिन पापा ने मेरी कुंवारी गांड भी मारी थी।

और जैसे ही वह याद आयी मेरे मानस पटल पर उस दिन के और उस से पहले के घटनाये उभर पड़ी।

तो दोस्तों यह थी मेरे पापा के साथ एक अनुभूति। वैसे तो पापा के साथ मेरे कुछ ज्यादा ही मधुर अनुभूतियाँ है, जिन्हे मैं समय समय पर लिखूंगी। फिलहाल यह मेरा अनुभव आपको कैसा लगा, कमेंट करके बताएं।

यह एपिसोड यहीं समाप्त होती है

पापा के साथ मेरी पहली चुदाई कब,कैसे और कहाँ हई यह मेरि अगली एपिसोड में पढ़े और मुझे आपकी राय की इंतज़ार रहेगी। ।

पाठकों को पावन दीपावली पर ढेर सारे "शुभ कामनाएं"

आपकी

पूजा मस्तानी

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3 Comments
shang40shang40about 1 year ago

Papa and Beti... Ajib rishta hota hai. Jitna pyar papa dete hai koi nhi deta.

Chafe bachpan ke khel ho ya Jawani ke rang.

Beti ko ek baar papa ke Lund ka chaska laga to vo kabhi bhulti nhi.

CoolboiyzCoolboiyzover 1 year ago

If 1st encounter was after marraige of daughter then it is more hotter.

Anyways good work

AnonymousAnonymousover 1 year ago

कामुक

बाप बेटी की चुदाई की शुरुआत केसे हुई ये बड़ा रोचा होगा

साथ ही बाप केसे बेटी की बड़े चूचे में रुचि है

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