मुस्लिम भाइयों और बहन का ग्रुपसेक्स

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हमने गाँव के चौराहे से बस पकड़ी जिसमें को बैठने की जगह नहीं थी बस खड़े होकर जाना था मैं थोड़ी परेशान थी सीट ना होने से तो आयशा बोली "यही तो मैं चाहती थी कुछ देर रुको पता चलेगा"।

कुछ देर में दो कॉलेज स्टूडेंट बस में मेरे पीछे आकर खड़े हो गए मैं आयशा के पीछे खड़ी थी। उनमें से एक का हाथ मुझसे टकरा गया वह समझ गया कि मैने अन्दर कुछ नहीं पहना। उसने मेरे बूब्स पर हाथ फेरना चालू किया और धीरे-धीरे नीचे तक ले गया उसने अब एक उंगली मेरी चूत में डाल दी मैं तिलमिला उठी मानो पहली बार हो ऐसा लगा।

बस मैं भीड़ होने के कारण कोई देख नहीं रहा था और देखता भी तो क्या था ऐसा।

मैने धीरे से उस लड़के के कान में कहा "मेरे साथ वाली लडकी जो है उसकी कल ही सील टूटी है" इतना कहते ही वह मुझे धक्का देते हुए आगे चला गया और सीधा आयशा के पैरों के बीच हाथ घुसा दिया। वह तिलमिला रही थी मेरी चूत भी रिसने लग हुई थी, मेरी चूत हाथ या उंगली से खाली होने वाली नहीं थी इसे ज़ुबान या सख्त लंड चाहिए बस।

आयशा इस पल का पूरा आनंद ले रही थी वह झड़ने वाली थी इतने में उस लड़के का स्टॉप आ गया वह चला गया, मैने आयशा से पूछा तो उसने बताया "साला आग लगा गया" अब हम दोनों बाज़ार में आ गई। हम दोनों के बुर्के चूत वाली जगह से गीले हो गए थे चूंकि कोई देखने वाला नहीं था हमें अन्दर तो हम बिंदास घूम रही थी।

मैने आयशा को बुर्का बताया तो वह हसने लगी। हम अब चूत का रिसाव तो शुरू करवा ही चुके थे सो हम फिर घुस गई भीड़ में, मज़ा आ रहा था पहली बार भीड़ अच्छी लग रही थी। सब्जी वाले के यहाँ भीड़ जमा थी हम सब्जी लेने घुस गई। जिस भी दुकान पर भीड़ होती हम दोनों घूस जाती ऐसे ही शाम होने को थी पर हमारा माल खाली ना हुआ फिर हम बस स्टैंड पर आ गई बस में चढ़ गई इस बार कोई भीड़ नहीं थी। आयशा को मज़ा नहीं आ रहा था।

हम दोनों पीछे की सीट पर बैठे थे मैं आयशा कि चूत को छेड़ने लगी वह रोक रही थी बोली "आज फैजान भी घर पर नहीं आएगा इस मत छेड़ो केसे शांत होगी?" मैं उसका दर्द सहन ना कर सकी वह ऐसे बोल रही थी जैसे वह रोज़ ना चुदती हो। मैने उसे कहा "क्या तुम्हे चुदना है?" वह बोली "पर केसे?" मैने उसे कहा "पर यह तो ग़लत होगा तुम्हारे लिए की तुम अपने पति को धोका दो?"।

आयशा बोली "केसा धोका, हमारे यहाँ तो सब चलता है किसी से भी चुदवा लो कोई फ़र्क़ नहीं" तो मैने कहा "ठीक है फिर चलो मैं करती हूँ इंतजाम"।

धीरे धीरे वह गरम हो रही थी उसने सब्जी की थैली में से लंबा वाला बैंगन निकालकर मुझे दिया और एक उसने के लिए और मौका देखकर उसे अपने बुर्के के अन्दर डाल दिया धीरे-धीरे उससे हम दोनों अपनी चूत को चोदने लगी। इससे पहले कि हमारा रस निकलता हमारा स्टॉप आ गया।

हड़बड़ी में मैने बैंगन नहीं निकाला और खड़ी हो गई पर आयशा ने निकालकर वापस रख दिया था।

अब मैने देखा कि मेरी चूत वाली जगह पर बैंगन का ऊपर वाला हिस्सा ही बाहर था जो कि बुर्के को ऊपर की ओर उठा रहा था। अन्दर बिल्कुल ठंडी-ठंडी हवा घुस रही थी मुझे मादक कर रही थी वह हवाएँ।

मेरी चूत का उभार को की बैंगन के कारण था उस देखकर आयशा ने ज़ोर से बैंगन को धक्का मार दिया मैं चलते-चलते तिलमिला गई और आयशा इस बात का मज़ा ले रही थी।

अब हम पैदल ही घर आ गए बैंगन के कारण मेरी चूत का पानी निकल गया था चूत अन्दर से चिकनी हो गई थी। हम घर आए और दरवाज़ा खटखटाया रेहान ने दरवाज़ा खोला जिसे ही मैं अन्दर जाने वाली थी मेरी चूत से फिसलकर वह बैंगन नीचे गिर गया रेहान ने देख लिया था।

अब रेहान ने उस बैंगन को हाथ में उठा लिया और बोला "यह कहा से आया और उसके ऊपर यह सफेद-सफेद क्या है?" मैं बोली "चल ज़्यादा होशियार ना बन"।

और मैं समान किचन मैं रखकर आयशा मैं और रेहान मेरे कमरे में आ गए। चूंकि हम सभी एकसाथ सोते थे इसलिए अब कोई कमरा किसी का नहीं था जिसका जहा मन करता वह वहीं सो जाता।

रेहान को आते ही मैने उसे बोला "क्यों रे! बड़ा पूछ रहा था बैंगन के बारे में क्या पहली बार ऐसा देखा है, बड़ा पूछ रहा था तू तो की क्या लगा है उसपे सफेद सफेद" और में झूट मूट का घुस्सा करने लगी क्योंकि मेरा मुंह रेहान की तरफ़ था तो मेरे हाव भाव आयशा भी देख पा रही थी।

मैने अब अपना बुर्का उतार दिया और उससे ज़ोर जोर से बोलने "देख कुत्ते यहाँ से आया वा सफेद-सफेद माल" वह हसने लगा और बोला "चलो चलो आपा ज़्यादा हो गया चुपचाप घोड़ी बन जाओ" और उसने अपने कपड़े भी उतार दिए। आयशा का मुंह खुला कि खुला रह गया यह देखकर तो रेहान ने मेरी चूत में लंड डालकर आयशा के मुंह में डाल दिया। आयशा को कुछ समझ नहीं आ रहा था पर वह लंड का पूरा मज़ा ले रही थी।

आयशा बोली "रेहान तुमने तो मेरे भाई की याद दिला दी" तो मैं चौंककर बोली "क्या तुम अपने भाई से भी चुदती हो?" तो वह बोली "नहीं बल्कि पूरे परिवार से वह भी एकसाथ" अब वह मुस्कुरा रही थी।

इतने में रेहान बोला "तो इसका मतलब आप एक चुदी चुदाई रंडी हो भाई की?" आयशा ने खुलकर इसका जवाब दिया "हाँ अब ने तुम लोगों की प्राइवेट रंडी हूँ पहले सरकारी थी कोई भी बजा लेता था अब तुम है बजाना" मैने पूछा "सरकारी रंडी मतलब?" वह बोली "पहले जिसका मन करता वह ठीक बजा लेता मुझे जैसे मैने हमारे घर के सारे नौकर, ड्राइवर, दूधवाला सबके लंड चखे है और साथ ही कई अनजान लोगों के भी" यह सुनकर तो मेरी गान्ड ही फट गई। वह बोली "थ्रीसम और गैंगबैंग तो कई बार हुआ है मेरे साथ और साथ ही मुझे सबसे ज़्यादा मज़ा रेप करवाने में आता है"।

रेहान बोला "तो फिर आपके तो दोनों छेद खुले हुए होंगे?" आयशा बोली "आजतक मैने कभी गांड नहीं मरवाई है" तो रेहान बोला "तो ठीक है फिर अब तेयार रहो" मैं कमरे से बाहर आई और अम्मी को जाकर सब बात बताई और अम्मी ने सलमान को अब अम्मी और सलमान दोनों मांगे होकर आ गए वीडियो कैमरा लेकर।

अम्मी बोली "आज मेरी बच्ची की गांड खुलने वाली है"।

अब कैमरा चालू हुआ आयशा विरोध कर रही थी वीडियो का ना कि गांड का। वह बोल रही थी "भले ही दोनों भाई मेरी एक साथ मार लो पर वीडियो ना बनाओ"।

हम कहा मानने वाले थे वीडियो बनाया और जबतक आयशा कि गांड से 10ग्राम खून इकट्ठा नहीं हुआ तबतक मारी रेहान ओर सलमान ने गांड उसकी।

अब लंड मुरझा चुके थे।

रात को अब्बू ओर भाई आ गए तबतक हम नंगे ही थे भाई हमें देखकर चौंक गया और बोला "इसे भी रंडी बना दिया तुम लोगों ने?" और आकर मेरी गान्ड चूमने लगा वह जैसे मानो खुश था आयशा से।

अब हम सबने मिलकर ख़ूब चुदाई की।

अब हम सब ऐसे ही रहते है खुश ओर चुदक्कड़। मैं भी अब बहुत चुदक्कड़ हो गई हूँ मुझे रोज़ लंड चाहिए होता है अब और मैं किसी का भी अब लंड ले लेती हूँ और अगर ना मिले तो अम्मी तो है ही मेरे लिए।

समाप्त।

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1 Comments
AnonymousAnonymousover 3 years ago
Great

Great story

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