मेरे शशांक भैय्या

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Daughter witnessing mom's fuck by cousin who fucked her.
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मेरे शशांक भैय्या

हेमा नन्दिनी

हेलो दोस्तों! कैसे हैं आप सब, मैं हूँ हेमा जिस से आप ने मेरी पहली कहानी "मैं और शशांक भय्या'" मे मिले है! वह मेरी पहली चुदाई थी! उस दिन मैं शशांक भैय्या से दो बार करवाकर मज़ा लेचुकी हूँ! जैसा की मैंने कहा था की उस रात क्या हुआ था उसे सुनाने के लिए अब फिर से आई हूँ! उस दिन जब तक मम्मी और मेरे दोनों छोटी बहनें सिनेमा से आये तब तक शाम 6.30 बज चुका था, और मैंने तब तक शाम का खाना बनालिया!

जब तक मम्मी और बहनें घर नहीं आ जाते मैं शशांक भैय्या गोद में बैठकर उनके चुम्बनों का और दुद्दू मींजवाने का मज़ा ले रही थी! वैसे मैं भी उनसे खिलवाड़ कर रही थी और उन्हें छूमने लगी! ड़ोर की घंटी की आवाज़ सुनकर मैं भैय्या के गोद से उठी और दरवाजा खोली! भैय्या हॉल में TV देख रहेथे! जबतक मम्मी और बहनें फ्रेश हुए मैंने चाय बनाई और सबको पिलाई! चाय पीनेके बाद मम्मी उठी और रसोई की तरफ चली!

"मम्मी.. मैंने खाना बनालिए है, तुम आराम कारो" मैं बोली! माँ ने थैंक्स कहकर फिर से सोफे पर बैठ गयी और से भैय्या से बातें करने लगी! इतने में प्रेमा, मेरी दूसरी बहन भैय्या को देखते बोली 'भैय्या carom खेलेंगे"!.

और हम सब नीचे कार्पेट पर कैरम रखे और खेलने लगे! मेरे सामने प्रेमा थी और मेरी दयाँ (Right me) तरफ भैय्या और बायां (left me) तरफ मम्मी बैठकर खेलरहे थे! खेल में ज्यादा मज़ा आने लगा! "मौसी देखो मेरी कॉइन को तुम्हारी होल में डाल रहा हूँ'"!

"एक ही शॉट में डालना यह शर्त है" मम्मी बोली।

"ठीक है डाल रहा हूँ" कह कर भैया स्ट्राइकर को मारे। कॉइन सीधा जाकर मम्मी के राइट हैंड की होल में गिरी! प्रेमा और रीमा खिल खिला कर हँसे! मम्मी मुहँ बनाकर बोली "अच्छा शशांक फिर से डालना देखती हूँ कैसे डालते हो"! भैय्या ने फिर एक शॉट मारे अबकी बार भी कॉइन माँ के होल में गिरी!

इतने में प्रेमा बोली..."भैय्या मम्मी की तरफ होल्स चटक कर बड़े होगये है. इधर मेरी तरफ की होल में डालो"

"नहीं.. तुम्हारी होल बहुत छोटी है.. नहीं जाएगी, मैं हार मानता हूँ" बोले! मैं जब भैय्या की ओर देखी तो वह मम्मी की ओर ही एकटक देख रहे थे। मैं मम्मी की तरफ देखी तो ढंग रह गयी! मम्मी कि कंधे पर से उनकी साड़ी उनके गोद में गिरी है और मम्मि जरा सा आगे झुक कर स्ट्राइकर मरने को थी! मम्मी का ब्लाउज लौ कट होने की वजह से उनके सफेद बड़े, वजनी चूचियां आधे से जयादा बहार को झलक रहे थे।

और भैय्या उसे ही घूर रहे थे! मुझे यह नहीं मालूम की मम्मी की पल्लू अनजाने में गिरी या मम्मी ने ही गिराया, लकिन नजारा दिलकश था! तब कहीं जाकर मुझे भैय्या और मम्मी के बातों का मतलब समझ गयी! तुम्हारे होल में डाल रहा हूँ, एक ही शॉट में डालना... यह बातें; फिर भैय्या का प्रेमा से कहना की उनका होल छोटा है... मुझे डबल मीनिंग के लगे! इतने में भैय्या ने मम्मी को कुछ इशारा किये जिसे मैं नहीं देखी पर यह देखा की मम्मी की गाल एकदम गुलाबी हो गये है और उनके होंठों पर हल्कीसी मुस्कराहट थी! मुझे कुछ अजीब सा लगा!

सिनेमा जाते समय मम्मी का पूछना की क्या शशांक भैय्या शाम को रुक रहे है तो भैय्या का जवाब 'हां मौसी रात यही रुकूंगा..' क्या इसका भी कोई मतलब था.. सोच रहीथी! इस बीच मैंने चोरी चुपे भैय्या को और मम्मी को देखने लगी! उन दोनों के बीच कुछ इशारे चल रहे थे और मम्मी मुस्कुरा रही थी! दाल में कुच काला है मैं समझी और वह क्या है मालूम करने को टानी!

रात का खाने जे बाद रात लगभग 9.30 बजे हम लोग सोने चले गए! हम अपने कमरों में भैय्या का कमरा ऊपर पहली मंजिल पर थी, वह ऊपर चेले गए! रीमा मेरी छोटी बहन मेरे साथ ही सो गयी! मुझे नींद नहीं आ रही थी! कोई आधा घंटे बाद मैंने देखा की मम्मी चोरी छुपे सीढ़ियां चढ़ रही थी! चढ़ते चढ़ते वह इधर उधर भी देख रहि थी! मम्मी ने सीधा भैय्या के कमरे में गयी!

मैं ख़ामोशी से उठी और धीरेसे सीढ़ियां चढ़ी! कॉरिडोर में एक खिड़की थी जो उस समय खुली थी! मैंने अंदर झाँखा थो मम्मी को भैय्या के गोद में बैठे देखि! इतनेमे मेरे पीछे कुछ आहट सा हुआ...पलट के देखी तो मेरी छोटी बहन रीमा मेरे साथ में पास खड़े अन्दर देख रही थी! जो वह नहिं देखना था वही देख चुकी! मैंने अपने होंठों पर ऊँगली रख कर उसे खामोश रहने का ईशर किया! अंदर मम्मी भैय्या के गोद में बैठ कर "तुम कितने दिनों के बाद अपने मौसी से मिलने आए हो शशांक" माँ ने पूछी!

"सॉरी मौसी..एक्साम्स चल रहे थे और मम्मी ने घर आने को कहा था इसी लीये ..." बात अधूरा छोड़ दिए!

"ठीक है... जो होगया हो गया... अब जो होना वह देखो" कहती मम्मी ने भैय्या की गले में अपने बाहें डालकर उनके गालों को चूम रही थी!

"क्या करना है मौसी..." भैय्या की आँखों में शरारत थी! "शैतान कहीं के" कहते माँ ने शशांक भैय्या के गालों को जोर से काटे तो "ससस..सीए..ससस..." भैय्या के मुहं से सीत्कार निकली!

"अब मालूम हुआ की नहीं क्या करने का.." माँ भी शरारत पर उतरी! माँ में इतनी शरारत होगी मैने सोची नहीं! तब तक भैय्या, माँ के साड़ी खींच डाले और उनकी ब्लौस भी खोल डाले! माँ के वजनी चूचियां बंधन मुक्त होगये और भैया को दर्शाने लगे!

"आअह्ह।...मौसी..कितने प्यारे है तुम्हारे यह दुद्दू.." और उन पर अपने हाथों को फेरने लगे! "ममममम... शशांक..ममम.. कुछ करो" माँ तिल मिलाई! भैय्या ने माँ को अपने गोद से उतरे और उनकी 'पेटीकोट भी खोल दिए! अब मम्मी सिर्फ पैंटी में थी! 'कितनी प्यारी है मम्मी...' मैं सोची! मम्मी का गोरा शरीर लाइट की रोशनी में चमक रही है! बड़ी बड़ी चूचियां, भारी नितम्ब, कमर पतली, बहुत ही मोहक लग रही है मम्मी! भैय्या ने मम्मी के पैंटी भी खींच डाले, अब मम्मी एक दम नंगी भैय्या के सामने खड़ी थी!

मम्मी भी कुछ कम नहीं थी! उसने भी भैय्या के कपडे एक एक करके उतर दी! अब दोनों भी नंगे एक दुसरे के सामने खड़े थे! भैया का लंबा लंड एक दम तन कर खड़ा था! उसे देख कर मेरी मुहं में पानी आगयी तो मेरी बहन उस लम्बाई और मोटापा लंड देख कर गभरायी और मेरे हाथ को जोर से पकड़ी! सांत्वना के तौर पर मैंने उसके हाथ थप थपायी!

कुछ देर तक वह दोनों एक दूसरे को चूमते चाटते रहे! मम्मी हूँ...हु...यह..मम.." कर भैय्या से लिपट रहीथी! भैय्या भी वैसे ही कुन मुना रहेथे! "शशांक जल्दी कुछ कर, मैं तड़प रही हूँ" मम्मी बोली!

भैय्या ने पलंग पर से उतरे और मम्मी को उसके किनारे पर बिठाए! मम्मी वह बैठते ही अपने टंगे चौड़ा की तो हमें मम्मी की चूत दिखाई दी! मम्मी की चूत पर एक भी बल नहीं थे! वह बिकुल साफ़ छिकनि और उभरी हुयी थी! जैसे ही माँ ने अपने टंगे पैलाई भैया उनके टांगो के बीच अपने घुटनों पर बैठे और मम्मी की खूब चुदी चूत पर अपना मुहं रख दिये!

"छी...छी। .." मेरी बहन रीमा वह देख कर बोली! झट मैंने उसके मुहं पर अपना हथेली रख कर ढाँप दी!

"रीमा.. खामोश रह.." मैं उसके कानों में फूस फुसाई!

फिर लगे भैय्या मम्मी की चूत को चाटने! माँ ने भैय्या सर को वहां दबा रहीथी मम्मी की जांघो के बीच भैय्या का सर ऊपर नीचे हो रहाथा! और माँ भी अपने कमर को आगे पीछे करते अपनी बूर चुसवाने का मज़ा लेरहीथी!

वैसे ही कोई आठ दुस मिनिट तक भैय्या माँ की चूत को चाटने, चूसने लगे! "आहा। . मम... शशांक। ..ममम वैसे ही.. और अंदर कर अपनी जीभ को.. हम.. और अंदर शाबाश अहहह.. मई जड़ रही हूँ..." कह भैय्या के सर को अपने जांघों के बीच दबाली! माँ का गर्म पानी छूट गया और भैया उसे अमृत समझ कर पीडाले!

माँ ढीला पड़गयी! वह लोग वैसे ही कुछ देर सुस्ता ते रहे और फिर शशांक भैया मम्मी की टैंगो के बीच से उठे! भैय्या का मुहं पूरा माँ के मदन रस से चिपुड़ा था! मम्मी ने भैय्या को खींच कर अपने गोद में बिठाई और लगी भैय्या मुहं से अपना रस चाट कर साफ़ करदी!

भैय्या के जांघो के बीच उनका मर्दानगी पुदक रही थी! "मौसी देखो यह सांप को कैसा फन मार रही है" अपने हिलते लंड की ओर इशारा करते बोले! मम्मी ने उस खूब तनी लुंड को अपने मुट्टी में जकड़ी और तीन चार बार ऊपर नीचे कर बोली "...तो तू अपने इस सांप को मौसी के बिल घुसेड़! उसका घमंड अपने आप उतर जाएगी!' कहती मम्मी बेड पर चित लेट गयी और अपनी टंगे चौड़ा की!

बिना देर किये भैय्या उनके जांघो के बीच आगये और अपना मुश्तण्ड को मम्मी के चूत के होंटो पर रख रगड़ने लगे! "ओह.. बेटे.. अब देर मत कर.. मैं बहुत दिनों से अछि चुदाई के लिए तरस रही हूँ! तुम्हरे मौसा को भी घर आकर एक महीने से ऊपर हो गया...अब आजा मेरे लाल" कहती भैया को चूम रही थी!

"मैं और मेरा छोटे भाई कब से की तैयार है मौसी, बस उसे रास्ता दिखादो" बोले!

"शशांक तू बहुत शरारती बनगया है रे" कहते माँ ने उनके औजार को अपने स्वर्ग द्वार पर रखी और कमर उछाली! यही मौका देख कर भैया ने भी एक जोर का शाट मारे!

"उई मा... मरी... जरा धीरे मेरे लाल... अपनी मौसी का चीर देगा क्या? फिर तो मैं तुम्हारे मौसा जी को क्या जवाब दूंगी" कही और अपनी कमर फिरसे उछाली!

जब भैय्या का अंदर घुसी तो डऱ के मारे रीमा ने मेरी हाथ को दबाई! अंदर भैय्या अपनी चुदाई शुरू कर दिए! भैय्या का रेल इंजन पिस्टन की तरह मम्मी के अंदर बहार होने लगा! उस देखते देखते मेरी नयी चूदी बुर में भी खुजली होने लगी! अंदर भैय्या और मम्मी का घमासान बेड फाइट चल रहा था! जितनी तेजी से भैय्या अंदर कर रहे थे उतनी ही जोर से मॉ अपनी गांड उछाल रहीथी! मम्मी उहं..उम्म्म.. णम्म..स.. अम्मा..." और क्या काया बक़ रहीथी और भैया के हाथों को अपने चूची पर लेकर दबती चुद्वा रही थी! भैय्या भी मम्मी को चूमते, चाटते, और मम्मी के मस्तियोंस खिलवाड करते खूब मजा ले रहे थे और माँ को भी मजा दे रहे थे!

उनका यह सिल सिला कोई दस मिनिट चला और मम्मी "शशांक.उफ्फ्फ्फ़ .. म्मन्नन्न" कहकर ढीला पड़गयी! माँ खलास होगई यह मैं समझ गयी! भैय्या भी पांच, छह धक्के और मारे और निढाल हो कर मम्मी के ऊपर गिर पड़े!

कुछ देर बाद मम्मी उठी और साड़ी पहन ने लगी! शो ख़तम हो गया! खामोशी से मई और रीमा नीचे कमरे में आगये! हम दोनो बिस्तर पर गिरे और चादर ओढ़ लिए!

*******

रीमा 13 साल की जवान होती लड़की है, और कुछ माहिनों पहले उसकी माहंवारी (periods) शुरू होगई! उसे औरत मर्द की सम्बन्धो के बारे में जनकरी है! आजकल तो उस उम्र के हर कड़की को होती है! "दी... मम्मी ने ऐसा क्यों किया?" वह पूछी!

"यह सब बड़ों की बाते है! तुम खामोश रहो और किसी को यह बात बोलना नहीं, प्रेमा से भी नहीं ठीक...?" मई बोली!

"दीदी.. इतना मोटा और लंबा मम्मी के अंदर कैसे गया..? मेरी में तो ऊँगली भी नहीं जाती" "तुमने ऐसा किया...?" "हाँ.. एक दिन पिशाब करते समय ऊँगली दाल ने की कोशिश की मगर..." वह रुक गयी!"अभी तुम छोटी हो.. बड़ी होगी थो जान जावोगी; सो जाओ"'क्या सब मर्दों का इतना लाम्बा होता है?" "मैंने तो देखा नहीं, लेकिन सुना है सबका लगभग इतना ही...।""क्या पापा का भी..?""हो सकता है"वह कुछ देर खामोश रही और पूछी "दीदी.. क्या तुमने..?""चुप.. बड़ों जैसी बाते मत कर अब सोजा देरी हो गई"

मैं चित थी, वह मेरे साइड में थी और मुझे ही देख रही थी! फिर उसने मरे कमर पर हाथ रख मुझे ही देख रही थी! "क्या है?" मैंने अपने आँखे उछली!

वह झट आगे को आई और मेरे गाल को चूमी! फिर रीमा अपना हाथ मेरे कमर पर से ऊपर चलाकर मेरी चूचि के ऊपर रखी और धीरे से दबाई! उसके दिल मे इस सम्बन्ध के बारे में उत्सुकता जाग गयी है! अब उसे कुछ करने के लिए रोकना मुश्किल होगा! इसलिए मैं खामोश रही और अपनी आँखे मूंदली! कुछ देर बाद रीमा मेरी चूची को फिर दो तीन बार दबाकर सोगयी!

*****

सुबह के ग्यारह बजे थे! मेरी दोनों बहनें स्कूल चली गयी, और माँ कुछ नान-वेज लेने बाजार गयी है! नॉन-वेज के लिये माँ हम लडकियों को कभी नहीं बेजती! मम्मी खुद ले आती है या पापा है थो पापा! मैं रसोई में थी और दोपहर खाने का तय्यारी कर रहे थी! इतने में शशांक भैय्या आये और मेरे पीछे ठहरकर कर मेरे कमर गिर्द हाथ लपेटकर मुझे चूमने लगे!

"भैय्या यह क्या छोड़ो, माँ आजायेगी" मैं घभराकर बोली!

"वह अभी गई है, मैं बाहार का दरवाजा बंद कर दिया है" कह कर भैया अपना चुम्बन जारी रखे और लगे मेरी चूचियों को दबाने!

"नहीं भैय्या अब नहीं माँ आजायेगी" मेरे में घभराहट कम नहीं हुआ!

"हेमा तुम ढरना नहीं.. मौसी अभि नहीं आएगी... तबतक वो आएगी अपना काम हो जाएगा! कह कर अबकी बार अपना होंठ मेरे होंठों रखकर चुबलाने लगे! भैय्या के गर्म होंठों में मेरे होंठ मक्कन की तरह पिगल रहे हे और मैंने अपना होंठ भैया के खोलदी! वह मेंरी होंठों को चूमते और मेरी उरोजों से मींजने लगे तो मई भी गरमागयी और भैया से लिपटने लगी! भैया मेरी कपडे उतारने लगे तो मैं बोली "नहीं भैय्या मम्मी कभी भइआ सकती है... कपडे मत उतरो.. वैसे ही..." मैं बोली!

भइया ने मुझे किचन प्लॅटफॉरम बिठाकर मेरी कपडे कमरे के ऊपर उठा दिए! मई अपने टाँगे खोलदी तो भैया मेरे जांघो के बीच आए और मेरी नयी चुदी बुर के होंटो पर अपने होंठ रख कर चूसने लगे! मुझे मज़ा आने लगा और मई.. भैया के सर को मेरी बुर पर दबाने लगी तो मुझे रात वाले बात यद् आई मम्मी भी ऐसे हि भैया को अपने पर दबाई थी!

मम्मी आ सकती है मुझे ढर लग रहा था 'भैय्या जल्दी करो.. मुझे ढर लग रहा है" मई बोली! भैय्या फिर मझे नीचे उतरे और आगे को झुका कर मेरी लहंगा मेरे अमर के ऊपर उठा दिए!

"भैय्या यह तुम क्या कर रहे हो?" मैं पूछी!

"आज तुम्हे नयी दंगा से करूंगा" कहकर पीचे मेरी जांघों लो फैलादिये और अपना कड़क लंड को पीछे से मेर बुर पर लगाए और दबाये!

"ममम...सससस..." मैं धीरेसे बोली!

भैय्या का वहां से फिसल गया! एकबार और कोशिश करे लेकिन फिर वही हुआ! भैया कुछ सोच मुझसे पूछे "हेमा घर में मक्कन है? "हाँ फ्रिज में है" मैं बोली!

भैय्या ने फ्रिज में से मक्कन निकाले और ढेर सारा मक्कन अपने ऊँगली पर ली और मेरे चूत के ऊपर और अंदर चुपड़े और अब अपना औजार वहां रख कर अंदर को दबाये! सुपाड़ा अंदर चला आया! मुझे कुछ दर्द हुआ! लेकिन मैं रात की चुदाई देख कर गर्म भी थी! मैंने दर्द को सहा! भैय्या का शॉट एक बार फिर से और अब की बार मेरे अंदर आधे से जयादा चला गया!

फिर भैय्या मेरे ऊपर झुक कर अपने लेफ्ट हैंड से मेरी लटकती चूची को दबाते और अपनी राइट हैंड की ऊँगली जिसमे मक्कन चिपुड़ी थी मेरे मुहं में घुसेड़े! ऊँगली में मक्कन मान की स्वाद के साथ मेरी चूत की गंध भी आ रहीथी! उस गंध ने मुझे नशीला बना दिया! मैं अपने गांड को पीछे ढकेलने लगी!

मेरी हरकत देखकर भैय्या को जोश आगया और मुझे धना धन चोदने लगे! भैय्या के शॉट के बराबर मैं अपने चूतड़ों को पीछे धकेलने लगी! पीछेसे करवाने में मुझे खूब आनंद आ रहा था! में "ह्ह्ह।। ममनन। ..हहहआ,,," कहते बोली "भैय्या जल्दी करो"

भैय्या भी अबजोशमे आकर आठ दुस मिनित तक मुझे चोदे और अपना गर्म मदनरस मेरे बुर में भर दिए! फिर हम दोनों बहार आए और सोफे पर बैठ गए!

"देखो तुम ढर रही थी, मौसी तो अभी आई ही नहीं" भैय्या बोले!

"...अगर आजाती तो?" भैय्या कुछ बोले नहीं!

"भैय्या मैं एक बात पूछू?"

"हाँ.. पूछो.."

तुम कुछ मत समझना..और गुस्सा नहीं होना.." मैं बोली

"बोलो ऐसी क्या बात है..."

मैं कुछ देर हीच किचाई और धीरे से बोली.. "तुमने मम्मी से..." और रुक गयी!

भैया के आंखोमे कुछ पल के लिए ढर दिखी फिर सीधा मेरे आंखोमें देखने लगे! मैं भी उनकी आँखोंमें सीधा देखने लगी!

"तुमने देखा?"

"हाँ..."

वह खामोश रहे. क्या बोलना उनकी समझ में नहीं आ रहा था! 'खैर छोड़ो" मैं बोली "वह किस्सा तो तुम्हारी मम्मी का डिसिशन है! मैं किसीसे कहने वाली नहीं हूँ! ' सिर्फ इतना बोलो की कब से.."

"कोई आठ नौ महिने से.. जब मैं फर्स्ट ईयर में था..."

"ऐसे नहीं। . मुझे पूरा डिटेल से बताओ.. मैं जान ना चाहती हूँ..." मैं बोली!

इतने में दरवाजे की की घंटी बजी! मौसी आगयी.. फिर कभी डिटेल से बोलूंगा.."

"ठीक है, जाकर दरवाजा खोलो, मई बाथरूम में जा रही हूँ.. पूरा चिप चिपा है" कहते मई बाथरूम भागी!

तो दोस्तों.. यह थी उस रत की घटना... सोचती हूँ की आप को अच्छी लगी होगी! जब भैय्या अपना किस्सा सुनायेंगे तो मैं उसे आप सबसे शेयर करूंगी.. तब तक के लिए गुड बाई ..

आप का कमेंट भेजे! आप की प्यारी हेमा

समाप्त

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