छाया - भाग 04

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"मानस का अच्छे से ख्याल रखना" कह कर उन्होंने छाया के हाथ में चिकोटी काटी और मुस्कुराते हुयीं वापस चली गयीं.

छाया ने शयन कक्ष का दरवाजा बंद किया और मेरे पास आ गई. मुझे माया आंटी का छाया को इस तरह मुझे सौपना अत्यधिक उत्तेजक लगा. छाया के लिए आज का दिन बहुत विशेष था उसने यह

नाइटी शायद इसी दिन के लिए खरीदी थी. बिस्तर पर आने के बाद वह मुझे बेतहाशा चूमने लगी. हम दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगे. कुछ ही देर में हमारे वस्त्र हमारा साथ छोड़ते गए. हमने अपना प्यार अपने पुराने अंदाज में हीं शुरू किया.

वयस्क पुरुषों और स्त्रियों का प्यार हर बार एक जैसा ही होता है परंतु उसमें नयापन और ताज़गी छोटे-छोटे परिवर्तनों से लाई जा सकती पर आज तो बहुत बड़ा दिन था.

छाया मेरे राजकुमार को दोनों हाथों में लेकर बहुत प्यार से उसे

सहला रही थी. उसने मेरी तरफ देखते हुए कहा

"माँ ने इसे मेरी राजकुमारी को रानी बनाने की अनुमति दे दी है. बस उस दिन का इंतजार है"

इतना कहकर छाया ने राजकुमार को चूम लिया. अचानक छाया ने पास पड़ी हुई अपनी नई नाइटी को उठाया और मेरे चेहरे पर डाल दिया. उसने मुझे हिदायत दी "जब तक मैं ना कहूं अपनी आंखें मत खोलिएगा"

मुंह पर उसकी नाइटी पड़े होने की वजह से मुझे कुछ दिखाई नहीं पड़ रहा था मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और नाइटी से उसके बदन की खुसबू लेने लगा. उसकी उंगलियां मेरे राजकुमार के ऊपर अपना करतब दिखा रहीं थीं. मैंने छाया को छूना चाहा पर वह पास नहीं थी मेरे लहराते हाथों को देखकर समझ गई कि मैं उसे छूना चाहता हूं. उसने उठकर अपने आपको व्यवस्थित किया. अब उसकी कमर मेरे दाहिने कंधे के पास थी. मैं उसके नितंबों को अपने दाहिने हाथ से आसानी से छु पा रहा था. मेरी उंगलियां खुद ब खुद उसकी राजकुमारी के होंठों के बीच में घूमने लगी. उसकी राजकुमारी गीली हो रही थी. गीले और चिपचिपे होंठों में उंगली फिराने का सुख अप्रतिम होता है. छाया की उंगलियां मेरे राजकुमार को तरह-तरह से छेड़ रहीं थीं और वह पूरे मन से फुदक रहा था.

अचानक मुझे अपने लिंग पर किसी गर्म चीज का एहसास हुआ. मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह क्या है? राजकुमार के मुख पर गर्मी धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी. ऐसा लग रहा था जैसे उसका संपर्क राजकुमारी से हो रहा है. परंतु राजकुमारी तो मेरी उंगलियों के साथ खेल रही थी. अचानक मुझे अपने लिंग पर कोई चीज रेंगती हुई महसूस हुई. यह एक अद्भुत अनुभव था. मेरा राजकुमार एक अनजाने गुफा की दहलीज पर खड़ा था. अचानक ऐसा प्रतीत हुआ जैसे लिंग

गुफा की तरफ जा रहा और वह अनजानी चीज उससे रगड़ खा रही हैं. मुझे छाया के दातों की रगड़ अपने लिंग पर महसूस हुयी . मैं समझ गया कि छाया ने आज मेरा मुखमैथुन करने का मन बना लिया है. मैं इस आनंद से अभिभूत हो गया. छाया ने आज तक राजकुमार को अपने मुह में नहीं लिया था सिर्फ चूमा था. पर आज मेरी प्यारी छाया ने मुझे नया सुख देनी की ठान ली थी.

छाया अपने मुख से मेरे लिंग के चारों तरफ घेरा बना ली थी और होंठों को गोल करके वह उसे एक सुरंग का आकार दे रही थी. वह अपना मुंह बार-बार आगे पीछे करती और मेरा लिंग पूरी तरह मचलने लगता.

उसकी राजकुमारी भी लगातार प्रेम रस बहाए जा रही थी. मुझे अपनी ब्लू फिल्मों की शिक्षा याद आ गई. और मैंने छाया के नितंबों को पकड़कर अपनी ओर खींचा. मैंने उसका एक पैर अपने सीने के दूसरी तरफ ले आया. अब छाया के

नितम्ब मेरी गर्दन के दोनों ओर थे. मेरी आंखें बंद होने के कारण मैं कुछ देख नहीं पा रहा था पर महसूस कर सकता था.

मैंने छाया की अनुमति से कपड़ा हटा दिया . छाया के गोरे-गोरे नितम्ब मेरे सामने थे. अद्भुत दृश्य था. इतने कोमल और बेदाग नितम्ब ... एसा लग रहा था जैसे दो छोटे चन्द्रमा मेरे सामने जुड़े हुए हों. नितंबो के बीच से उसकी दासी स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. दासी से कुछ ही नीचे छाया

की राजकुमारी के होंठ दिखाई पड़ रहे थे. रस में भीगे होने के कारण ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे किसी फल को दो टुकड़ों में काट दिया गया हो और उससे फल का रस रिस रिस कर बाहर आ रहा हो.

मैंने छाया को अपनी तरफ खींचा अब मेरी जीभ आसानी से राजकुमारी के होंठों को छू सकती थी. मैंने राजकुमारी के होंठों में अपनी जीभ फेरनी शुरू कर दी. छाया उछलने लगी. छाया ने अपना मुख वापस मेरे राजकुमार पर रख दिया था. अब हम दोनों इस अप्रतिम सुख को महसूस कर पा रहे थे. मेरे राजकुमार स्खलित होने के लिए पूरी तरह तैयार था.

इधर छाया की राजकुमारी भी व्याकुल थी. लग रहा था कि वह कभी भी अप्रत्याशित तरीके से अपने कंपन चालू कर देगी. हम दोनों का चरमसुख लगभग साथ ही आने वाला था.

अंततः राजकुमारी ने कांपना शुरू कर दिया. पर मैंने अपना मुख वहां से हटाया नहीं अपितु उसकी कमर पकड़ कर अपने ऊपर और तेजी से खींच लिया. मेरी नाक भी सीमा के दरारों के बीच आ गइ. जब तक छाया के कंपन होते रहे उसकी राजकुमारी मेरे मुह के अन्दर ही रही. कंपन होते समय ही छाया ने अपनी जीभ और मुख का घर्षण राज्कुम्मार पर पर तेज कर दिया और राजकुमार से यह बर्दाश्त ना हुआ

और उसमें अपना लावा उड़ेल दिया. छाया इस अप्रत्याशित हमले के लिए तैयार नहीं थी. वीर्य की पहली धार उसके मुंह में ही गिरी. वो अपना मुंह हटा पाती तब तक वीर्य की कई धार उसके गालों स्तनों पर आ गयी. वीर्य का स्वाद छाया ने पहले भी चखा था पर एक साथ इतना सारा वीर्य ये उसके लिए पहली बार था. वह इसे संभाल नहीं पायी. उसने अपना मुंह खोल दिया. मुह में एकत्रित लावा उसके होठों से गिरता हुआ उसके गर्दन तक पहुंच गया. उसने मेरी तरफ चेहरा किया. यह दृश्य देखकर मैं मुझे ब्लू फिल्मों की याद आ गई. इतना कामुक कर देने वाला दृश्य था. मेरी कोमल और मासूम छाया वीर्य से भीगी हुई अपने होंठों से वीर्य बहाती मेरे पास थी. मैंने उसे अपनी बाहों में खींच लिया. उसके स्तन अब मेरे स्तनों से टकराने लगे. उसकी राजकुमारी मेरे राजकुमार के पास आ चुकी थी. थका हुआ राजकुमार राजकुमारी के संसर्ग में आकर एक दूसरे को चूम रहे थे. छाया ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए. अपने वीर्य को उसके होठों से चूसते हुए मैं उसे प्यार करने लगा.

छाया ने आज जो मुझे सुख दिया था यह किसी प्रेयसी का उसके प्रियतम को दिया गया अप्रतिम उपहार था.

हम दोनों इसी अवस्था में सो गए.

छाया मेरी मंगेतर..

[मैं छाया]

नए घर में मेरा पहला दिन भी बहुत यादगार था मैंने आज मानस को वह दिया था जिसका शायद वह हमेशा से इंतजार करते थे. पहले मुझे मुखमैथुन के बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं थी. मेरे लिए यह कल्पना से परे था कि कोई किसी के गुप्तांगों को किस तरह अपने मुंह से छू सकता है. मेरे लिए राजकुमार और राजकुमारी का आपस में मिलन ही पर्याप्त था पर कामुकता की सीमा किस हद तक जा सकती

हैं यह मुझे समय के साथ-साथ मालूम चल रहा था. मेरी सहेलियों ने मुझे इस बारे में बताया तो मुझे इसका पता चला. वैसे तो राजकुमारी दर्शन के दिन मानस ने मेरी राजकुमारी को अपने होठों से छुआ था और मुझे इस स्खलित भी किया था तथा मेरे प्रेम रस को उन्होंने अपने होठों से छुआ था और मुझे भी चुंबन दिया था पर वह दिन मेरे लिए एक ही दिन में कई सारी नई चीजें लेकर आया था. मैं यह नहीं समझ पा रही थी कि मानस ने कैसे उस दिन मेरी राजकुमारी को छुआ और भी अपने मुख से चूमा.

उसके बाद भी मानस ने कई बार मेरी राजकुमारी को चुमने की कोशिश की पर मैंने उन्हें रोक लिया था. जिस कार्य को मैं नहीं कर सकती थी उन्हें उसके लिए प्रेरित करना मेरे लिए उचित नहीं था. पर अब अपनी सहेलियों से इस बारे में इतनी सारी बातें सुनकर मैंने अपना मन बना लिया था. और नए घर में मानस के साथ पहली बार मैंने मुखमैथुन कर लिया था.

मानस ने जब मेरे नितम्बों को अपनी तरफ खींचा तो मैं समझ गई कि उन्हें मेरा मुखमैथुन करने में भी आनंद आता है. शुरू में तो यह कार्य थोड़ा अजीब लगा पर धीरे-धीरे मुझे अच्छा लगाने लगा. राजकुमार के वीर्य का स्वाद मैं पहले भी ले चुकी थी पर सीधा उसे मुंह में लेने का यह पहला अनुभव था. मेरी इस कार्य से घृणा तो लगभग समाप्त हो चुकी थी. अगले कुछ दिनों में मानस को मैंने इसका भरपूर सुख दिया.

पहले दिन जब माँ ने मानस के हाथ में मेरा हाथ देते हुए कहा था कि मानस का ख्याल रखना तभी से मैंने तय कर लिया था कि मानस को हर स्थिति में खुश रखूंगी और उन्हें उनकी सारी इच्छाएं पूरी करुँगी. मेरे लिए वो सब कुछ थे.

अगली सुबह जब मैं अपनी मां से मिली तो मुझे उनके चेहरे पर एक अलग सी चमक दिखाई पड़ी मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास हो गया की आज शर्मा जी के साथ उनकी रात्रि अच्छी बीती है. मुझे उनके लिए अच्छा लग रहा था. आज 10 वर्षों बाद यदि उन्हें यह सुख मिला था तो वह इसकी हकदार थीं. उन्होंने मेरे लिए बहुत त्याग किया था.

अगले कुछ दिनों में मैंने अपनी और मानस की कई इच्छाएं पूरी की. हम दोनों पति पत्नी के जैसे अपने कमरे में रहने लगे थे. मां की पूर्ण सहमति मिलने के बाद मैं भी थोड़ी उच्छृंखल हो गई थी. बगल में शर्मा जी की उपस्थिति जरूर थी पर वह अक्सर अपने कमरे में ही बंद रहते हैं मां रात को उनके कमरे में सोने जाया करती थी बाकी समय वह किचन और घरेलू कार्यों में लगाती.

मैं मानस का इंतजार करती जैसे ही मानस घर में आते मां मुझे उनके पास जाने के लिए बोलती ठीक उसी प्रकार जिस तरह घर की नई बहू को लोग अपने पति के साथ छोड़ देते हैं.

एक अजीब किस्म का रिश्ता बन गया था. विवाह ना होने की वजह से हम दोनों संभोग सुख से वंचित रहे बाकी हमारे बीच में कोई दूरियां नहीं बची थी. मेरे साथ नग्न रहने की उनकी इच्छा भी पूर्ण हो रही थी . रात में हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नग्न ही सोया करते. राजकुमार भी मेरा भक्त हो चला था. वह मेरे हाथों में आते ही मचलने लगता. मेरा मुंह उसे चूमने की लिए आगे बढ़ता और वह मेरे मुह में अपनी जगह बना लेता. मानस मेरे बालों को सहलाते रहते और कुछ ही डेरे में मेरा मुह भर जाता. जब मैं नग्न होती मैं अपना मुह खोल देती और सारा वीर्य मेरे होंठो से बहता हुआ मेरे गर्दन और स्तनों पर आ जाता मानस मुझे उठाते और मेरे स्तनों पर लगे वीर्य की अच्छी तरह मल देते.

मानस मेरे लिए कई प्रकार की ब्रा, पैंटी तथा नाइटी लाया करते. कई बार मेरी मां भी मेरे लिए ऐसे आकर्षक वस्त्र लाया करती जो मानस को रिझाने में मुझे काम आते थे. मैंने और मानस ने इस बीच कई बार नग्न होकर एक दुसरे की मालिश भी की. हमने जितना कुछ सीखा था सब कुछ एक दूसरे पर प्रयोग किया और एक दूसरे को खुश करते रहे.

समय तेजी से बीत रहा था हमारी खुशियाँ परवान चढ़ रही थीं.

ब्लू फ़िल्म और छाया

छाया को फिल्में देखना बहुत पसंद था. वह अपने कॉलेज की पढ़ाई में से कुछ समय निकालकर फिल्में जरूर देखती. शायद इससे उसकी कल्पना को उड़ान मिलती थी. एक दिन बातों ही बातों में उसने मुझसे बताया कि कॉलेज की लड़कियां किसी ब्लू फिल्म के बारे में बात करती है.

"वह क्या होता है" मैं हंस पड़ा मैंने उसे बताया..

"यह फिल्म नायक और नायिका के संभोग के विषय में होती हैं और इसमें बहुत सारी अश्लीलता होती है". वह इसके लिए अति उत्सुक हो गई वह बार-बार कहती...

"मुझे कम से कम एक बार देखना है" मैंने उसे समझाया यह ठीक नहीं होगा. परंतु वह मेरी बात नहीं मान रही थी...

"मेरी सारी सहेलियां इन सब चीजों के बारे में बात करती हैं परंतु मैं कुछ नही बोल पाती और सिर झुका कर वहां से हट जाती हूँ."

मुझे लगा हॉस्टल में रहने वाली उसकी सहेलियां ये सब फिल्में देखती होंगी. मैंने उससे कहा अच्छा ठीक है..

"मैं तुम्हें ऐसी फिल्म दिखाऊंगा."

वह मुझसे जिद करने लगी . मुझे नहीं पता था की छाया को ऐसी फिल्में दिखाना उचित होगा या नहीं. वह एक मासूम लड़की थी उसमें कामुकता जरूर थी परंतु अभी भी उसमें नवयौवना सी लज्जा और चेहरे पर मासूमियत वैसे ही कायम थी. कोई दूसरा आदमी उसको देखता तो वह कभी नहीं सोच सकता था कि यह सीधी साधी लड़की इतनी कामुक हो सकती है. एसा प्रतीत होता था जैसे मुझे देखकर उसमे कामुकता भर जाती थी. मैंने इस बात को कुछ दिनों के लिए टालना ही उचित समझा.

परंतु एक दिन वह नग्न अवस्था में मेरे साथ प्रेमालाप कर रही थी. उसने मुझसे फिर पूछा "यह डॉगी स्टाइल क्या होता है" मैं निरूत्तर था. उसने

मुझसे कहा...

"अब आपको मुझे ब्लू फिल्म दिखा ही देनी चाहिए मैं अपनी सहेलियों के सामने शर्मिंदा नहीं होना चाहती मैं अभी २२ वर्ष की होने वाली हूं मुझे भी यह सब जानने का हक है. आप मुझे नहीं दिखाओगे तो मैं अपनी सहेलीयों के साथ हॉस्टल में देखूँगी"

मैं मजबूर हो गया था अंततः मैं एक दिन छाया के लिए एक ब्लू फिल्म की सीडी ले आया. वह बहुत उत्साहित थी. उसने शाम को जल्दी-जल्दी माया आंटी के साथ मिलकर खाना पकाया और खाना खाने के बाद माया आंटी को कहा...

"मुझे बहुत तेजी से नींद आ रही है" कहकर फटाफट मेरे कमरे में चली आई अंदर आते ही कहने लगी...

"जल्दी से लगाइए ना"

उसकी बेचैनी देखते ही बनती थी. मैंने कहा...

"कुछ देर और रुक जाओ उन लोगों को सो जाने दो .वरना यदि कहीं पता चल गया तो हम लोग मुसीबत में पड़ जाएंगे."

ब्लू फिल्म का इस तरह घर में देखना एक अलग अनुभव था. वह मेरी बात मान गई. कुछ समय बाद हुम बिस्तर पर आ चुके थे. मैंने सीडी लगाकर फिल्म चालू कर दी.

छाया बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी मैं भी सीडी प्लेयर पर सीडी लगाकर कूदते हुए बिस्तर पर आ गया. मैंने भी अपने कपड़े पहले ही उतार दिए थे. मैं छाया को बाहों में लिए हुए फिल्म के शुरू होने का इंतजार करने लगा. कुछ ही समय में टीवी में नायक और नायिका

अवतरित हो चुके थे. छाया की मानसिक स्थिति के अनुरूप वह दोनों नग्न ही अवतरित हुए थे. कुछ ही देर में उनकी रासलीला शुरू हो गयी. छाया टकटकी लगाकर उन दोनों को देख रही थी. इस बीच मैंने छाया

को छूने की कोशिश की पर उसने मेरा हाथ हटा दिया. वह पूरी तन्मयता के साथ देख रही थी. नायक और नायिका का संपर्क बढ़ता ही जा रहा था कुछ ही देर में नायक और नायिका मुखमैथुन करने लगे. ब्लू फिल्म की हीरोइन द्वारा नायक का लिंग अपने मुंह में लेने को अति उत्साहित होकर ध्यान से देख रही थी. कुछ ही देर में नायक ने अपना लिंग नायिका की योनी के बजाय उसके गुदाद्वार में प्रविष्ट करा दिया. संभोग के बारे में वह जानती थी परंतु राजकुमार का दासी से मिलन उसने नहीं सोचा था, उसने मुझसे पूछा...

"ऐसा भी होता है क्या?"

मैंने उससे कहा...

"वह देखो सामने हो तो रहा है"

वह हंसने लगी.

दुर्भाग्य से हमारे हाथ गलत सीडी लग गई थी.

उस समय इस प्रकार की फिल्मों की उपलब्धता तो थी परंतु आप अपने पसंद की सीडी नहीं प्राप्त कर सकते थे. यह विक्रेता पर ही निर्भर था कि वह आपके हिस्से में क्या लगता है.

फिल्म का दूसरा दृश्य प्रारंभ हो चुका था. विदेशी मूल के दो नव युवक और युवती रासलीला शुरू कर रहे थे फिल्म के शुरुआती दृश्य में ही नायक और नायिका नग्न थे सर्वप्रथम दोनों नायकों ने नायिका के यौन अंगों को चूसना शुरू कर दिया. एक नायक स्तन तो दूसरा योनि को चूस रहा था. नायिका तरह-तरह की उत्तेजक आवाजें निकाल रही थी. कुछ समय पश्चात नायिका ने दोनों नायकों के लिंग को अपने मुंह में ले लिया और बरी बारी से चूसने लगी जैसे हम लोग कुल्फी चूसते हैं. छाया यह दृश्य अपनी आखें बड़ी करके देख रही थी. वह सोच रही थी क्या ऐसा भी होता है. कुछ ही देर में नायक और नायिका संभोग करने लगे. नायक का लिंग नायिका में प्रवेश करते हैं छाया की आंखें लाल हो गयीं .

छाया पूरी तरह उत्तेजित हो चुकी थी. वह मुझसे लिपट चुकी थी पर उसकी आंखें टीवी पर अटकी थी. कुछ ही देर में नायक और नायिका ने तरह-तरह के करतब दिखाने शुरू कर दिए. वह तरह-तरह के आसन बनाते हुए नायिका की योनि में अपने लिंग को प्रवेश कराता नायिका

उत्तेजित होकर आवाजें निकालती. नायिका दुसरे नायक के लिंग को अपने मुख में लेकर उसे भी उत्तेजित रख रही थी. उन्होंने एसी विभिन्न अवस्थाओं में संभोग किया जो आम इंसानों के बस की बात नहीं थी. मैं यह दृश्य पहले भी देख चुका था इसलिए मेरी उत्सुकता कम थी. मैं यह भली-भांति जानता था कि आम जीवन में ऐसा कर पाना असंभव था.

कुछ ही देर में नायक में अपना लिंग योनि से बाहर निकाल दिया और नायिका की दासी पर अपने लिंग का प्रहार करने लगा. कुछ ही देर में

नायक का लिंग नायिका की दासी के अंदर प्रवेश कर चुका था. तभी दूसरा नायक आया और उसने भी अपना लिंग नायिका को योनी में प्रवेश करा दिया.

छाया की आंखें फटी रह गई. दोनों अपने लिंग को तेजी से आगे पीछे कर रहे थे. नायिका उत्तेजना के साथ साथ दर्द में भी प्रतीत हो रही थी. कुछ देर बाद दोनों ने अपना लिंग बाहर निकाल लिया और नायिका ने उसे अपने दोनों हाथों में ले लिया और तेजी से हिलाने लगी. लगी वीर्य स्खलन प्रारंभ हो गया और दोनों नायकों का सारा वीर्य नायिका के शरीर पर लगा हुआ था. वीर्य का कुछ भाग मुंह में जा चुका था. छाया का शरीर काँप रहा था. वो मुझसे लिपटी हुई थी. मैं उसकी पीठ सहला रहा था.

उसने मेरी और देखा मैंने उसे समझाया यह सब कल्पना लोक है. सब इसकी सिर्फ कल्पना करते है हकीकत में यह सब नहीं होता. इन्हें इस काम के लिए बहुत पैसे दिए जाते हैं. वह मेरी बात सुनी पर समझी या नहीं मैं नहीं जानता लेकिन उसका ध्यान टीवी पर अभी भी लगा हुआ था. कुछ ही देर में हम लोगों ने टीवी बंद कर दी.

उसने मुझे चुम्बन लिया और बोली...

"आपने जरूर पहले ये सब फिल्म देखी थी तभी आपको मुझे अपने वीर्य से भिगोना पसंद है."

उसने एक बार फिर मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच लिया और उन्हें काटते हुए मादक आवाज में कहा

"आपने मेरे सपने पूरे किये हैं मैं आपके करूंगी"

मैंने उसके गाल पर प्यार से चपत लगाई और कहा..

"हट पगली" और उसे नग्न अवस्था में ही अपने आलिंगन में लेकर सो गया.

छाया और जिम

एक दिन छाया मेरे पास आई और बोली मैंने कई लड़कियों को एक्सरसाइज करते हुए देखा है मैं हमेशा नाजुक कली जैसी रहती हूं वह लोग एक्सरसाइज भी करते हैं और उनके शरीर में एक अलग सा कसाव है. मैं भी चाहती हूं कि मैं भी एक्सरसाइज करूं. मैंने उससे कहा तुम बहुत नाजुक हो और मुझे ऐसे ही बहुत पसंद हो. तुम क्यों इन सब चक्करों में पड़ती हो. तुम्हारी मासूमियत थी तुम्हारा सबसे बड़ा गहना है.

वह शुरू से ही कोमल थी परंतु जैसे जैसे वह जवान हो रही थी उसकी कोमलता में दिन पर दिन वृद्धि हो रही थी.

मैंने उसे समझाया की कोमलता लड़कियों का सबसे बड़ा गहना है फिर भी उसने जिद की मुझे थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करनी और मेरे पेट पर चिकोटि काटती हुई बोली देखिए आपका भी पेट निकल रहा है आप भी एक्सरसाइज किया करें. और फिर मुस्कुराते हुए इशारा किया कि आप चाहेंगे तो हम लोग बिना कपड़े के भी एक्सरसाइज कर सकते हैं यह कह कर मुस्कुरा दी. मुझे हंसी आ गई. वह पत्नी की तरह मुझे मना रही थी.

मैंने अपने वाले शयनकक्ष के बगल में सटे कमरे को एक छोटा सा जिम बनाने की सोची.

जब आपके पास पैसे होते हैं तो आपकी इच्छा और हकीकत में ज्यादा अंतर नहीं रहता.

अगले ६-७ दिनों में ही मैं जिम से संबंधित कई सारे छोटे-मोटे सामान ले आया. छाया ने जिम करना प्रारम्भ कर दिया. हम दोनों अपने समय पर जिम करते पर छाया के साथ नग्न होकर जिम करने का जो स्वप्न उसने दिखाया था वो पूरा होना बाकी था.

एक दिन हमें मौका मिल ही गया ऑफिस से आने के बाद मैंने देखा छाया मेरे लिए लेमन टी लेकर खड़ी थी मैंने पूछा आज सिर्फ लेमन टी उसने कहा अभी आपको जिम करना है. उसके बाद ही अच्छा नाश्ता करेंगे.

थोड़ी ही देर में हम दोनों जिम में थे मैं शाम को जिम जरूर करता था पर कुछ देर से. आज सीमा के कहने पर मैं जल्दी ही जिम में आ चुका था मैंने पूछा माया आंटी कहां है उसने बताया कि वह दोनों किसी काम से बाहर गए हुए हैं. मैं समझ गई छाया क्या चाहती है. मेरे बिना कहे वह एकदम नंगी हो गई और मुझे भी अपनी अवस्था में ला दिया.

पिछले 10 15 दिनों की जिम की एक्सरसाइज में उसके शरीर में अवश्य थोड़ा कसाव आया पर फूल तो फूल ही होता है मेरे लिए वह अभी भी उतनी ही कोमल थी . मेरे सामने ही उसने जिम मैं कई तरह के आसन करना शुरू कर दिए उसके हर आसन में उसकी राजकुमारी और दासी की एक अलग झलक मिलती जो मुझे अत्यंत उत्तेजित कर रही थी.

जब वह सामने की तरफ झुकती और अपने पैर छूती मुझे पीछे से उसकी राजकुमारी के दर्शन हो जाते. कभी वह अपनी पीठ पीछे

करती तो उसके स्तन भर कर सामने आ जाते और राजकुमारी का स्पष्ट दृश्य सामने से दिखाई पड़ता. उसने यह बात जान ली और बोला कि..

"खाली मुझे देखते ही रहेंगे या एक्सरसाइज भी करेंगे" मैंने इस तरह नग्न अवस्था में एक्सरसाइज करने का सोचा भी नहीं था मेरा लिंग पूरी तरह खड़ा था. तने हुए राजकुमार के साथ एक्सरसाइज करना मुश्किल था. अचानक वह पास आई और बोली...

"आपको याद है फ़िल्म में नायक और नायिका किस तरह के आसन कर रहे थे"

मैंने कहा..

"हां"

वह बोली .. " हम वही करते हैं ध्यान रहे कि आसन करते समय मेरा

कौमार्य भंग ना हो जाए" मुझे उसकी बात सुनकर हंसी आ गई.

और सच में उसने नायिका द्वारा किए गए लगभग हर हर अवस्था को अपने ऊपर आजमाने की कोशिश की वह मुझे कभी इस तरह झुकाती कभी उस तरह. आधे घंटे में उसने मुझे पूरी तरह थका दिया. हर अवस्था में उसकी राजकुमारी मेरे राजकुमार को अपने आगोश में लेती और फिर छोड़ देती. कभी कभी वह अपनी कमर को आगे पीछे करती जैसे प्रयोग कर रही हो की कि जरूरत पड़ने पर वह यह सब कर पाएगी या नहीं. कुछ ही देर में मैं पूरी तरह थक चुका था मैंने उससे कहा

" तुम तो उस नायिका के जैसी ट्रेंड हो गई हो"

वह हंसी बोली अरे कुछ ही महीनों में हमारा विवाह हो जाएगा तब आपको खुश करने के लिए इस तरह के आसन करना जरूरी होगा मैं उसी की तैयारी कर रही हूं"

यह सुनकर मैं भी बहुत खुश हो गया और उसे बाहों में भर लिया. वह मेरी तरफ चेहरा करके मेरी गोद में बैठ गयी. मेरा राजकुमार उसकी राजकुमारी से सटा था. हम दोनों ने उनके बीच घर्षण बढ़ा दिया और थोड़ी ही देर में मुझे एक बहुत दिनों बाद "मानस भैया..." की कापती आवाज सुनाई दी और हमारे पेट मेरे वीर्य से नहा चुके थे. छाया ने पूझे प्रूरी तरह पकड़ रखा था. छाया के शरीर पर पसीने की बूंदे पहले से थी उसमें मेरा प्रेम रस मिलकर समाहित हो गया था. हम

दोनों पसीने और प्रेम रस से लथपथ बाथरूम की तरफ चल पड़े. भविष्य में हम दोनों के बीच होने वाली संभावित संभोग परिस्थितियों ने मेरी कल्पनाओं को नयी उचाइयां दे दी थीं.

सीमा और छाया.

[मैं छाया]

कॉलेज का वार्षिक फंक्शन चल रहा था. इसमे कालेज के पुराने विद्यार्थी भी आये थे. मैं इस कार्यक्रम में एक नृत्य प्रस्तुत करने वाली थी. जैसे ही मेरा नृत्य खत्म हुआ एक नवयुवती ने स्टेज के बाहर मुझे रोका...

"मैं सीमा पहचाना मुझे"

"अरे सीमा दीदी आप तो इतनी सुंदर हो गई है मैं तो यकीन

भी नहीं कर पा रही"

"चल झूठी कितनी देर में खाली हो रही हो"

"बस कोई 20 मिनट."

" ठीक है"

"मैं तुम्हारा इंतजार करती हूं"

कुछ ही देर में मैं सीमा दीदी के साथ कॉलेज की कैंटीन में बैठी थी. सीमा दीदी गजब की सुंदर हो गई थी. उनके नाक नक्श फिल्मी हीरोइनों की तरह हो गए थे. उनका शरीर ऐसा लगता था सांचे में ढाला गया हो उन्होंने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया और बोली..

"अरे मैंने बहुत मेहनत की है इस शरीर को बनाने के लिए तुम तो जानती ही हो पहले में कितनी मोटी और थुलथुली थी"

ऐसा कहकर वह हंस पड़ी फिर हम लोगों ने ढेर सारी बातें की.

उन्होंने मानस भैया के बारे में पूछा . मैंने कहा ..

"ठीक हैं"

"कभी मुझे याद करते हैं"

"हाँ कभी - कभी"

"क्या मानस ने शादी कर ली"

"नहीं अभी तो वह अपनी प्रेयसी के साथ मजे कर रहे हैं "

सीमा ने तुरंत पूछा

"कौन है उनकी प्रेयसी"

"खुद ही मिल लेना एक दिन" कहकर मैंने बात टाल दी. मैंने अपने और मानस के बीच चल रहे संबंधों की उन्हें भनक नहीं लगने दी. आज उनसे मिलकर काफी अच्छा लग रहा था.