अंतरंग हमसफ़र भाग 030

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चुदाई के नज़ारे.
2.4k words
3.67
1.1k
00

Part 30 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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अंतरंग हमसफ़र भाग 29 में पढ़ा:-

कमरे में बिलकुल शान्ति थी सिर्फ़ हम्मरे तेज चुम्बनों की आवाज़ गूंज रही थी l कमरा रजनी गंधा के फूलो की खुशबु से महक रहा था। तो अलका बोली "रजनी गंधा की ख़ुशबू कितनी प्यारी मीठी और रसभरी है!" मैंने उन्हें बिस्तर पर अपने पास एक कोने मेरी तरफ़ आकर्षित किया और दोनों मेरे पास चुम्बक की तरह खींचती चली आयी और फिर एक सबसे स्वादिष्ट चुंबन शुरू हुआl मैंने उन दोनों के बदन को टटोलना शुरू कर दिया और अलका की कपड़ो के अंदर हाथ डाल कर उसकी भगनासा तक पहुँच गया।

"ये सुगंध तुम्हारी प्यारी छोटी-सी योनि ये ज़्यादा रसभरी और मीठी नहीं है ये, अलका" मैंने कहा और शरारत भरी चंचलता से अपनी दाए हाथ की उंगलियों को कोमलता से प्यार के उस छोटे से गोश्त के चारों ओर घुमाते हुए, उसकी रस की खान (भगनासा) को मैंने अपने कब्जे में ले लिया। दूसरा हाथ जेन की वक्ष स्थल पर से होता हुआ उसके बाए चुचक को मसलने लगा। "

अब तक की कहानी का सार;

मैं दीपक आपने मेरी कहानिया "झट शादी पट सुहागरात-1-4" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयी और उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोज़ी और रूबी मिली और मेरी सभी प्रेमिकाओ और उनकी चुदाई के बारे में पूछने लगी तो मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोज़ी की पहली चुदाई हुई और फिर उसके बाद रूबी को चोदा और फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और मेरे फूफेरे भाइयो बॉब और टॉम के साथ प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनाया और वहाँ रोज़ी की सहेली टीना की पहली चुदाई की। फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा। रोज़ी मेरे साथ शहर आ गयी। उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आये।

मेरा दोनों बहनो रोज़ी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम हुआ वहाँ मेरी बुआ भी अपनी तीनो बेटिया जेन लूसी और सिंडी के साथ छुट्टिया बिताने आयी थी। अगले दिन सुबह मेरी सबसे बड़ी फूफेरी बहन जेन ने जंगल में पेड़ो के नीचे हरी घास के मैदान पर अपना कुंवारापन मुझे समर्पित कर दियाl दूसरी बुआ के बेटी अलका और जेन का रात को मेरे साथ सोने का कार्यक्रम बन गया और फिर मैंने बॉब और जेन के साथ मिल कर अपनी बाक़ी फूफेरी बहनो को भी प्यार मुहब्बत और मजो की हसीं दुनिया में ले जाने का प्लान बनायाl उसी रात में अलका मेरे पास आयी और मैं उसका कौमर्य भंग कर दिया lअगले दिन अलका की सहेलिया रुखसाना और हुमा एक हफ्ते के लिए रहने आयी और तालाब पर नहाने गयीl हम तीनो वहाँ पेड़ पर छुपे हुए थे और लड़किया नग्न हो कर मस्तिया करने लगी और फिर हम वहाँ कूद पड़े और उनके सेक्स ने नए-नए खेल रचायेl

उसके बाद में बॉब रुखसाना के लिए बहुत बेकरार था तो उसको रुखसाना का नंबर दिलवाया और फिर मैंने रुखसाना को बॉब के साथ संसर्ग करने के लिए जेन की मदद से मना लिया और फिर रुखसाना और हुमा को सेक्स सिखाने के लिए जेन और अलका को चूमने और सहलाने लगा (अंतरंग हमसफ़र भाग-1-28) ।

गतांक से आगे:-

तो प्रीती ने उत्सुकता से पुछा तो बताइये फिर आपने जेन और अलका से साथ क्या-क्या किया? और आपको ये सेक्स का ज्ञान कहाँ से मिला?

फिर मैं बोला प्रीती पहले तुम्हारे दुसरे सवाल का जवाब दूंगा। वैसे तो आदमी हर समय हर किसी से कुछ न कुछ सीख सकता है और मैंने भी अपने सभी सेक्स के साथियो से हमेशा कुछ न कुछ सीखा है, क्योंकि हरेक दुसरे से थोड़ा भिन्न होता है। हरेक की पसंद नापसंद थोड़ी बहुत अलग होती है। अपने साथी की पसंद और नापसंद को अगर समझ और जान कर अगर सेक्स किया जाए तो मजे कई गुना बढ़ जाते हैं। इसके इलावा भी मेरा मानना है हरेक को थोड़ा बहुत आधारभूत ज्ञान होना ही चाहिए।

पहले सवाल का जवाब ये सेक्स का थोड़ा बहुत ज्ञान सबसे पहले स्कूल में विज्ञानं और बायोलॉजी में मिला था। पर वह बहुत कम था। उस कमी की पूर्ती काफ़ी हद तक कुछ तो मुझे मेरे फूफेरे भाई बॉब ने पहली चुदाई के समय पर दिया हुए ज्ञान से हो गयी थी। फिर उसके बाद कुछ ज्ञान रूबी से मिला था जिसके पिताजी वैद्य थे, उनकी बनायीं हुई देसी दवा का मैंने कई बार इस्तेमाल किया है। जब मैं दादा जी की कमरे में शिफ्ट हो गया तो वहाँ अन्य किताबो के साथ सेक्स ज्ञान की कुछ किताबे पड़ी हुई थी जैसे काम सूत्र जिन्हे मैंने पढ़ा था। फिर इंटरनेट और मोबाइल तो है ही, ज्ञान प्राप्त करने का सबसे आसान और सुलभ साधन। मैंने जो थोड़ा बहुत ज्ञान अर्जित किया था उसमे से कुछ बहुत ज़रूरी बाते को ही संक्षेप में बताया था।

वैसे इसके बाद मेरी मुलाकात एक लव गुरु से भी हुई थी जिसने मेरे सेक्स ज्ञान के चक्षु खोल दिए थे जोकि आगे बताऊंगा।

अब कहानी में आगे सुनो उसके बाद अलका ने मेरी गर्दन पर हाथ फेरा और धीरे से आह भरते हुए बोली "ओह! ओह! प्रिय दीपक!"

"जैसे आज सुबह आपने लूसी और सिंडी को चुंबन किया था वैसे ही मुझे भी किश करेंगे?" अलका बोली, मैं अलका को किश करने के लिए आगे बढ़ा और बोला मेरी प्रिय लाड़ली प्रेमिका, यह किश आपको उनसे भी ज़्यादा मजे देगी; अब संकोच और शर्म छोड़ो और खुल कर मजे लो हम सब यहाँ मजे लेने के लिए या उनके बारे में जानने के लिए या हम और ज़्यादा आनंद कैसे ले सकते हैं इसी मकसद से एकत्रित हुए हैं। क्या ये सच नहीं है, चाहो तो अपनी बहन या दोस्त से पूछ सकती हो। " हम सबके बीच गोपनीयता बनाये रखने का समझौता हो चूका है और सब एक दुसरे के भरोसेमंद राजदार हैं, इसलिए शर्माओ मत और मेरे साथ चुम्बन करो। पर अलका अभी भी हिचक रही थी।

जेन बोली। -"ओह! उसे किश करने दो, प्रिय अलका, तुम सबसे अनूठी और सर्वाधिक मजे वाली आलोकिक संवेदनाओं का अनुभव करोगी जिससे तुम्हे लगेगा तुम स्वर्ग में हो।" जेन फिर बोली मुझे लूसी और सिंडी ने ऐसा ही बताया था। दीपक बहुत अच्छी किश करते हैं। मैं समझ गया दोनों ऐसे रुखसाना और हुमा के सामने अभिनय कर रही हैं। ताकि हमारे सम्बन्धो का उनको पता नहीं चले हैं तो मैंने भी उनके साथ वैसा ही नाटक खेलने का निश्चय किया।

मैंने कहा आप दोनों मुझ पर भरोसा करे आपको बहुत ज़्यादा मजे आने वाले हैं जो आपने आज तक अनुभव नहीं किये होंगे।

फिर मैंने धीरे-धीरे चूमते हुए अलका के कपडे उतारे और फिर मेरे कहने पर अलका ने भी मेरे कपडे उतार दिए और मुझे उसने मुझे एक कोने में अपनी बाजुओं के सहारे पीछे की और झुकते हुए बिठाया और फिर मेरी टाँगे सीधी करदी। इस तरह मैं अधलेटा हो गया। मैं और अलका इसके बाद काफ़ी देर तक एक दुसरे को चुम्बन करते रहे और हमारे हाथ एक दुसरे के बदन पर चल रहे थे। मेरे हाथ अलका के सुन्दर स्तनों से खेल रहे थे और उसके हाथ मेरी छाती और मेरी पीठ पर चल रहे थे।

लेकिन अभी तक हमारे खेल में जेन शामिल नहीं हुई थी। जब हम उसके बाद सांस लेने के लिए रुके तो मैंने देखा जेन भी अब उत्साहित और उत्तेजित हो रही थी l मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसे अपनी और आकर्षित किया तो वह मेरी और ऐसे खींची चली आयी जैसे मरे निमंत्रण का बेताबी से इंतज़ार कर रही हो। मैंने पहले उसे भी एक प्यार भरा चुम्बन किया और फिर धीरे-धीरे उसके सारे कपडे हटा कर उसे बेपर्दा कर दिया और उसने मुझे प्यार से पीठ के बल लिटा दिया और अधलेटी हो कर मेरे चहरे के ऊपर झुक गयी।

जेन के प्यारे नरम मुलायम हाथों ने एक बार में ही मेरे कठोर हो चुके हथियार को पतलून की जकड़न और सीमित स्थिति से बाहर निकाल दिया और दूसरी तरफ़ मैंने अलका की योनि को चूसना और चाटना शुरु कर दिया। जेन ने मेरे लंड को सहलाया जकड़ कर उसकी चमड़ी को ऊपर नीचे किया और फिर किस करने के बाद अपना मुँह खोला, चूसा और धीरे-धीरे पूरा लंड अपने कब्जे में ले लिया और मेरा एक-एक हाथ उनको स्तनों और नीपल्लो से खेल रहा था। मैंने अलका को खींच कर अपने मुँह के अपर बिठा लिया और उसकी चूत को घपा गप जीभ से चोदने लगा। अलका का चेहरा मेरे लंड की और था और वह लें को मेरा लंड चूसते हुए देख रही थी।

"ओह प्रिय जेन मुझे चूमो," अलका ने कहा और उसके मुँह ने अलका ने अपनी झीभ डाल दी। तब तक जेन मेरे लंड को चूसना छोड़, घुड़सवारी वाले अंदाज़ में मेरे ऊपर आ गयी थीl उसकी एक टांग मेरे कूल्हों की एक तरफ़ और एक टांग दूसरी तरफ़ और उसका मुँह मेरी या अलका की तरफ़ था। फिर उसने मेरा लंड पकड़ा और उसे अपनी योनि के द्वार पर लगा कर धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी। वैसे तो उसकी चूत का उद्गाटन मैं कर चूका था फिर भी अभी नयी-नयी होने के कारण चूत टाइट थी। इसलिए, लंड बमुश्किल चूत की दीवारों और भगनासा को रगड़ता हुआ आधा अंदर गया तो उसकी चीख निकल गयी। आह। पर अभी तो मंज़िल दूर थी और रुकने का कोई कारण नहीं था तो एक धक्का मैंने भी नीचे से अपने चूतड़ उठा कर ऊपर की और लगा दिया और उसके कमर पर हाथ लेजाकर उसको नीचे की और दबा दियाl लंड फच की आवाज़ के साथ जड़ तक समा गया तो उसका सर पीछे चला गया चुम्बन टूट गया और आह ओह करती धीरे से बोली धीरे से करो दर्द होता है उसके बाद दोनों रुक गए।

जब लंड अंदर प्रवेश करता है तो लड़कियों की योनि के अंदर मौजूद मांसपेशिया ख़ुद को एडजस्ट करने के लिए जगह बनाती है। इसलिए प्रवेश के बाद कुछ देर ज़रूर रुकना चाहिए ताकि लड़की की योनि में ये एडजस्टमेंट हो जाए। सामान्य अवस्था में योनि की भित्तियाँ या मांसपेशिया आपस में चिपकी रहती है संभोग क्रिया के दौरान लिंग के योनि में प्रविष्ट होने पर वे अलग-अलग हो जाती है। जिससे योनि लैंड को अपने अंदर समागरहित कर लेती है। इसीलिए छोटी-सी दिखने वाली योनि में बड़ा या छोटा, मोटा या पतला सब लंड सेट हो जाते हैं और बच्चे को भी जन्म के समय भी इनके कारण ही सुविधा रहती है।

जेन की योनि की मांसपेशिया संकुचन करते हुए लंड को जकड़ने लगी और साथ-साथ योनि को चिकना बनाये रखने के लिए स्राव भी शुरू हो गया। एक शानदार शुरुआत हो चुकी थी और दोनों बहने रुखसाना और हुमा सांस रोके हमारी चुदाई देख रही थी। उनकी साँसों की आवाज़ नहीं हमारी साँसों के आवाज़ ही सुनाई दे रही थी।

मैंने दोनों बहनो में से छोटी अलका के नितम्बो को एक हाथ से मजबूती से जकड़ लिया, जबकि मेरे दाहिने हाथ से मैंने उसके सख्त हो चुके चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया और अपनी जीभ को अंदर बाहर करते हुए से उसकी चूत की चोदने लगा। जिससे वह उत्तेजना के चर्मं की और बढ़ गयी।

उधर जेन सम्भोग के स्वैच्छिक उन्माद में थी, वह मेरे कठोर खड़े लंड पर उछलने लगी,। बीच में रूकती थोड़ा बहुत अपनी गांड को आगे पीछे करती। जिससे लंड कुछ अनछुई परतो को रगड़ता और फिर दुबारा उछलने लगती और साथ ही साथ इस दौरान वह अलका को किश करती रही और दोनों एक दुसरे की स्तनों को दबाती सहलाती और निप्पलों को छेड़ती रही।

उसकी योनी सिकुड़ती और फैलती रही और मेरे लंड सूजन पर धड़कते हुए सबसे स्वादिष्ट तरीके से चूसने लगी और लंड के ऊपर आगे पीछे होती रही। चूत के अंदर चूसै के साथ चुदाई के अनुभव का कोई सानी नहीं है।

फिर उन दोनों ने अपनी जगह बदल ली अलका मेरे लंड पर आ गयी और जेन मेरे मुँह पर आ गयी और मैंने वही क्रिया जारी राखी। मैंने जाने की योनि को सहलाया फिर चूमा और ऊँगली से उसकी भगनासा को छेड़ा और जीभ से चोदने लगा। उसकी चूत पहले से गीली थीl उधर अलका ने भी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया, किस किया, फिर अपने मुँह में ले कर चूसा, फिर घुड़सवारी वाले अंदाज़ में ऊपर बैठी। लंड को पकड़ा और उसे अपनी योनि के छोटे से द्वार पर लगा कर धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी। चूत का द्वार अत्यंत संकरा था उसलिए आसानी से अंदर नहीं जा रहा था तो उसने उंगलियों की सहायता से योनि को थोड़ा खोला और थोड़ा नीचे ज़ोर लगाया तो लंड लगभग 1 इंच अंदर गया। फिर वह ज़ोर लगाती रही और लंड एक-एक इंच अंदर जाता रहा। अब आधे के आसपास अंदर चला गया तो-तो एक जोरदार धक्का मैंने भी नीचे से अपने चूतड़ उठा कर ऊपर की और लगा दिया और उसके साथ अलका ने भी नीचे अपना पूरा ज़ोर लगा दिया। नतीजा ये हुआ की लंड पूरा का पूरा अलका की योनि में समा गया। योनि तो मेरे चूसने और जीभ द्वारा किते गए छेड़छाड़ के कारण गीली थी ही l

उसके बाद जब अलका ऊपर नीचे हो रही थी तो थोड़ी सुगमता से अंदर बाहर आ और जा रहा था। , अलका की योनि संकरी होने के कारण मुझे आनंद जेन की योनि के मुकाबले निश्चित तौर पर ज़्यादा आ रहा था।

"ओह ओह ओह!" अलका ने गहरी साँसे ली और जेन को एक जबरदस्त चुंबन किया उह मैं तो गयी। प्रिय दीपक मुझे कुछ हो रहा है मुझ से कुछ जा रहा है मेरी जान तो नहीं निकल रही है कहीं? फिर बोली ओह, यह बहुत अच्छा है। ओह! अब मैं क्या करूं? " ये कहकर उसका बदन ज़ोर से थर्रायाl फिर अलका कांपने लगी और उसकी टाँगे और बदन अकड़ा, वह अपने काम सुख के उत्कर्ष पर पहुँच चुकी थी। मैंने भी नीचे से चूतड़ उठाते हुए उसके साथ उसी लय से लय मिलाते हुए धक्के लगाए और इसी तरह मेरी ऊँगली और जीभ जो जेन की योनि को छेड़ रही थी के दोहरे मिले जुले आक्रमण से जेन उसी तरह से कांपती हुई झड़ गयी। मेरे मुँह के ऊपर तड़पते और फटफटाते हुए उसने मेरा मुँह पर एक मोटी मलाईदार उत्सर्जन किया जिसे मैं मजे से चाट गया।

अलका जेन और मैं तीनो एक साथ इस पल में एक संयुक्त रूप से झड़े जिसने हम तीनो को प्यार की एक अस्थिर सुस्ती में छोड़ दिया और दोनों बहनें मेरे शरीर के ऊपर आननद के अतिरेक में लगभग बेहोश हो गईं।

जब हम थोड़ा ठीक हो गए, तो मैं दोनों बहनों के बीच बैठ गया।

आगे क्या हुआ ये अगले भाग में पढ़िए।

ये कहानी जारी रहेगीl

आपका दीपकl

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