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Click hereएक दिन कार से गोवा में घूमते हुए हमें दो 18-19 साल के लडके दिखे जो एक तालाब में नंगे नहा रहे थे, तैर रहे थे, पानी में छलांगें लगा रहे थे। रीना ने कहा देखो इन लडकों को, नंगे ही घूम रहे हैं। मैंने पूछा देखोगी..बोली हां चलो देखते हैं। हम रुक गए, छिप कर उन्हें देखने लगे।
दोनों सांवले पर अच्छे थे। सुन्दर, कसरती लड़कों वाले चिकने बदन। तभी देखा वो मौका देख कर एक दूसरे के झूलते लंड छू देते थे। लंड पानी में सिकुड़े हुए थे पर फिर भी अच्छी लंबाई के लग रहे थे।
मैंने कहा, देखो कितने ताजे, प्यारे लंड है। नुन्नियां हैं। इनसे खेलोगी? मजा आएगा। वह बोली क्या कहते हो, ये बच्चे हैं। मैंने कहा बच्चे नहीं हैं, जवान हैं। इनसे खेलने में नया मजा आएगा। चलो बुलाते हैं। तुम भी बुलाओगी तो आएंगे सिर्फ मैं गया तो भाग जाएंगे। थोड़ी ना नुकुर करके रीना मान गई। हम दोनों चुपके से तालाब के पास जाकर बाहर निकले और कहा- ऐ लड़कों, जरा इधर आओ। हमें देखते ही लड़के पानी में घुस गए ।
बोले क्या बात है...हमें कपड़े पहनने दो फिर आते हैं...मैंने रीना से कहा तुम प्यार से बुलाओ तो आएंगे।
रीना ने बड़े प्यार से इठला कर, झुकते हुए अपनी लटकती चूचियों की अच्छी झलक दिखाते हुए कहा- ऐसे ही आओ, ऐसे ही तुमसे काम है, तुम्हें मज़ा आएगा। साथ वाला तो झिझका पर जो थोडा बड़ा था वह बोला, चल यार, देख न ठीक से। जब इन अंकल आंटी को कोई दिक्कत नहीं तो हमें क्या...चल...
और वो दोनों निकल कर पानी टपकते, चमकते नंगे बदन हमारे सामने आ कर खड़े हो गए। छोटा अब भी घबराया सा था। बड़ा हिम्मत दिखा तो रहा था पर सशंकित वह भी था। वही बोला- कहो आंटी...
जवाब मैंने दिया- मजे करोगे?
कैसे मजे...मैंने कहा- हमारे साथ...उसने कहा- हम वो लौंडेबाजी नहीं करते...मैंने कहा- तालाब में तो तुम लोग खूब छू रहे थे इनको
तब तक उनके मुरझाए लंड़ों में तनाव आने लगा था। रीना कभी उनके चेहरे कभी नीचे देख रही थी, जानबूझकर।
अरे वह तो ऐसे ही...मैंने कहा- हम भी ऐसे ही मजे की बात कर रहे हैं। आंटी को तुम लोग पसंद आ गए हो। उनके साथ खेलोगे? आंटी कैसी लगीं तुम्हें...
तब तक रीना मूड में आ चुकी थी और उसने सोच लिया था क्या करना है। वह आगे बढ़ी और दोनों लड़कों के हाथ पकड़ कर बोली- हां बताओ आंटी कैसी लगी तुम लोगों को...अपने ब्लाउज़ से साड़ी वह पहले ही ढलका चुकी थी। लोकट ब्लाऊज में उसकी भरी भरी भारी चूचियां बाहर निकली आ रही थीं। वह उनसे सट कर खड़ी हो गई। आंखों में झांकते हुए उसने यह फिर पूछा- आंटी कैसी लगीं तुम्हें...इस बीच उसकी सांसे उनकी सांसों से टकराने लगी थीं। किसी ऐसी सुन्दर, मस्त औरत के साथ यह जाहिरन पहला मौका था। लड़के हकलाने लगे।
बडा बोला- वो वो आंटी तुम बहुत अच्छी लगी। अच्छा...और तुम्हें...उसने छोटे से पूछा...म म मुझे भी
आंटी को और पास से देखोगे...आंटी से दोस्ती करोगे...यह पूछते पूछते रीना के हाथ उनके नंगे बदन पर चलने लगे थे- बांहों से शुरु करके कंधे, सीने, पेट। फिर रीना ने एक एक हाथ दोनों के गालों पर लगा कर , उन्हें सहलाते हुए कहा..आंटी को भी तुम दोनों बहुत अच्छे लग रहे हो। अब उसके हाथ उनकी पीठ, कमर पर चल रहे थे, उनके पतले पतले चूतड़ो के पास जाते हुए धीरे धीरे।
दोनों लड़कों के लंड पूरी तरह तन्ना चुके थे। अच्छी ठीक ठाक लंबाई के थे। मोटे ज्यादा नहीं। पर काम भर के हो चुके थे। रीना और सटी तो उसके निकले हुए मम्मे लड़कों के पेट और जांघों से टकराने लगे। वह घबरा कर पीछे हटने लगे तो रीना ने रोक लिया- अरे हट क्यों रहे हो...आंटी को अच्छा लग रहा है...और अब रीना ने लंड पकड लिए...ओह क्या यह आंटी की वजह से हो गए इतने कड़े...आह कितना प्यारे हैं...चेहरा सटाए-सटाए नीचे देख कर यह कहती रीना ने उनके लंडों को धीरे धीरे सहलाना, आगे पीछे करना शुरु कर दिया...फिर बोली...तुम लोग भी आंटी को छू सकते हो...छूने का मन है?
दोनों ने लपक कर रीना की बांहों को सहलाना शुरु कर दिया। बड़े ने रीना के गालों को सहला कर गाल को अचानक चूम लिया। रीना बोली...अहा..यह अच्छा है। छोटे से कहा तुम नहीं चूमोगे आंटी को...छोटे ने भी होंठ सटा दिए रीना के दूसरे गाल पर और कस कस के चूमने लगा। मैं भी साथ सट कर खड़ा कभी लड़कों, कभी रीना को सहला रहा था। अब मैंने रीना के बुब्बू छूने शुरु कर दिए। उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा लड़कों की आंखों में देखते हुए। फिर मैंने उसकी चूचियों के नंगे, उभरे हुए हिस्से को चूम लिया, बार बार चूमने लगा। उसके गाल चूमने लगा।
अब तक रीना भी उन दोनों के गालों को चूमने लगी थी। दोनों हाथ उनके किशोर लंडों से खेल रहे थे। इस पहले अनुभव से पगलाए लड़के भलभला कर झडने लगे रीना के हाथों पर ही। रीना तेजी से बोली अरे यह क्या, इतने एक्साइटेड हो गए तुम लोग, यह क्या किया...देखो मेरे दोनों हाथ लिसड गए हैं तुम्हारी मलाई से। लड़के बेहद झेंपे हुए थे। वो वो आंटी सॉरी ...हमको पता नहीं क्या हो गया...रोक नहीं पाए...आप नाराज तो नहीं...लड़के इस नई दुनिया के नए नए मजे को छोडना नहीं चाहते थे। औरत का स्वाद पा चुके थे थोड़ा सा। रीना ने पूछा तुम्हारा यह पहले भी निकला था...हां आंटी कुछ दिन पहले ही निकलने लगा। अच्छा? कैसे निकलने लगा...क्या कर रहे थे तुम...बोलो बोलो, अब आंटी से क्या शर्माना। खुल के बताओ, शरमाओगे तो घाटे में रहोगे...
वो आंटी हम एक दूसरे से खेलते थे बड़ा मजा आता था। फिर एक दिन पहले मेरे यह निकला और उसके कुछ दिन बाद इसके...
अरे तुम लोगों ने अपने नाम तो बताए ही नहीं...आंटी मैं राजा हूं, यह रवि है। और आप...हम कमल और रीना है। मैं तुम्हारी रीना आंटी हूं। पसंद आई आंटी...हाय आंटी आपने तो हमें नई दुनिया दिखा दी। हूंऊं...रीना ने अब अपने हाथ उठा कर बारी बारी से उनके फेदे से सनी अपनी अंगुलियां चखीं, फिर पूरी पूरी अंगुली मुंह में डाल कर कहा, हूंऊं स्वाद तो अच्छा है। डार्लिंग बच्चों की मलाई जायकेदार है।
लड़के आंखें फाड कर रीना को देख रहे थे। यह तो उन्होने कभी सोचा भी न था कि ऐसा भी हो सकता है, कि कोई औरत उनका माल भी चाट सकती है। चाटती तो रीना मेरा भी बहुत मुश्किल से थी पर आज इस नए मजे में वह भी किसी दूसरी ही दुनिया मे पहुंच गई थी। बोली- अब क्या होगा, मुझे कितना अच्छा लग रहा था इनसे खेल कर। इनको क्या कहते हो तुम बच्चों...आंटी लंड, बड़ा बोला. छोटा बोला लौड़ा भी। और बंबू। डंडा। अच्छा नाम तो बड़ों वाले ले रहे हो पर ये तो नुन्नी हैं अभी। नुन्नी को लंड औरत बनाती है. अब इनको खड़ा करो न...मैं कैसे खेलूंगी...बोलो खेलूं कि नहीं...
हां हां आंटी खेलो न ...इतना अच्छा लग रहा था। पर आगे क्या कहना है यह लड़के नहीं जानते थे। मैंने मदद की, ...डार्लिंग इनको तो तुम अपने मुंह में डालकर ही खड़ा कर सकती हो. चूस दो न बच्चों को, इन्हें भी जन्नत की सैर करा दो। रीना चहक कर उनसे बोली...लंड चुसवाओगे आंटी से...लड़के सनाका खा गए। अकल्पनीय संभावना सामने थी...हकलाते हुए जल्दी जल्दी दोनों बोले...हां हां हां आंटी प्लीज चूस दो प्लीज...
और यूं रीना को अपना मनचाहा मजा मिला। वह घुटनों के बल बैठी और लपक कर दोनों के लंड़ों को बारी बारी से मुंह में ले लिया। फिर बड़े के लंड को खूब प्यार से मुंह में भर कर चूसने लगी, दूसरे हाथ से छोटे के लंड से खेलते हुए। मुलायम, टीनेजर लड़कों के लंड धीरे धीरे उसके मुंह में कड़े और बड़े होने लगे..ताजे, कुंवारे लंड़ों का यह अहसास उसको चुदास और मजे से भर गया। हूंऊं करते हुए एक को चूसने, दूसरे को सहलाते हुए अपने चेहरे गालों पर फिराते हुए मस्त हो गई मेरी रीना।
मैंने तब रीना के ब्लाउज को खोल कर अलग कर दिया, उसकी खूबसूरत, भारी चूचियां लटक के जो बाहर आई तो लड़कों की आह निकल गई। मैंने कहा ये लो आंटी की चूचियां तुम्हारी हैं. इनसे खेलो, मसलो, मस्ती करो।
लड़के तो मस्त हो गए। ऐसी मस्त, आधी नंगी औरत उन्हें खेलने के लिए मिल गई और उसका पति खुद ही उन्हें उससे खेलने को कह रहा था। दोनों रीना से चिपक कर पागलों की तरह उसकी नंगी चूचियों, निप्पलों को दबाने, मसलने लगे...पेट, कमर, पीठ, चूतड़ सहलाने लगे...रीना ने कहा- आंटी की चूचियां चूसोगे नहीं? चूचियां तो चूसने के लिए होती हैं न...दोनों लपक कर उसकी भारी लटकती चूचियों से मुंह चिपका कर चूसने, चुभलाने लगे। कस के चूसा तो रीना चीखी- अरे धीरे धीरे, चबा डालोगे क्या...अपनी अम्मां की भी ऐसे चूसते हो क्या...
अरे कहां आंटी...क्यों, लगता है मौका मिले तो चूसोगे...है न...दोनों ने एक दूसरे को देखा, फिर मुस्कुरा कर बोले..हां आंटी, चूसेंगे
रीना को मस्ती का नया रास्ता मिला...पूछा...अच्छा अम्मां की चूची पसंद हैं...देखते हो...
हां आंटी, छुप कर देखते हैं...तुम दोनों देखते हो...हां कभी साथ साथ कभी अकेले..
ऐ ऐ, कुछ गडबड है...साफ साफ बताओ क्या करते हो वरना अपनी चूची चूसने नहीं दूंगी
आंटी, बड़ा बोला...हम लोग छुप कर अपनी और एक दूसरे की अम्मां को देखते हैं जब वो नहाती हैं, कपड़े बदलती है या बापू के साथ...
साथ क्या...
चुदाती हैं...
ओह, तुम दोनों साले बड़े हरामी हो..हम तो तुम्हें बच्चा ही समझ रहे थे...दोनों की अम्मां खुले आम चुदाती है क्या...
नहीं आंटी पर कमरा एक ही है न...जब वो लोग समझते हैं हम सो गये हैं तो करते हैं।
तब तो तुम्हारा मन भी करता होगा न
हां आंटी करता है...
मां को चोदने का
हां मां को चोदने का...या मां जैसी बड़ी औरतों को चोदने का...आंटी ये साला राजा मुझसे मेरी अम्मां को चोदने की बात करता रहता है...साले तू भी तो करता है मेरी अम्मां के लिए...
ओह तो यह बात है...तुम साले अपनी और एक दूसरे की मां को चोदना चाहते हो..सच्ची बताओ...
हां आंटी...आप को देख कर अम्मां की याद आ रही है...पर आप बहुत ज्यादा सुन्दर हो...