टेम्पो ड्राईवर

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टेम्पो ड्राईवर ने बड़े साहब की बीवी को फंसा लिया.
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सूबह सूबह मै अपनी बेटी का स्कूल टिफ़िन पैक करने मे लगी थी और मेरे पती रवि बैठ के चाय की चुसकिया ले रहे थे।

"रवि तुम पिंकी को तैयार भी तो कर सकते हो, उसके स्कूल जाने के बाद चाय पी लेना," मै झुंझुलते हुऐ बोली।

मेरे पती सुनी अनसुनी करते हुऐ चाय पीते रहे और मै झुंझुलते हुऐ सभी काम निबटने मे लगी रही। किसी तरह पिंकी को तैयार किया और उसको जूते पहना रही थी की तभी उसके टेम्पो का हॉर्न सुनाई दिया।

"आ रही हू," मै बाल्कनी से झाक के बोली।

"चलो पिंकी फिर लेट हो रही हो," मै उसका हाथ पकड़ मे फ्लॅट से बाहर निकाल पड़ी।

मै सपना, एक 32 साल की हाउसवाइफ़ हू और मै अपनी 5 साल की बेटी पिंकी और पती रवि के साथ नोएडा के एक फ्लॅट मे रहती हू। सूबह सूबह रोज का यही रूटीन था और रोज ही हम लेट हो जाते और टेम्पो वाला हॉर्न पे हॉर्न मारता।

मै जल्दी से पिंकी का हाथ पकड़ के सीढ़ियो से नीचे उतारने लगी, नीचे पहुँच के मुझे ध्यान आया की मै चुन्नी डालना तो भूल ही गयी थी और मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैंने देखा की मेरी चूचिया सफ़ेद कुर्ते मे तन के खड़ी थी और साफ साफ दिखाई दे रही थी। बाहर टेम्पो वाला हॉर्न मार रहा था।

"सूबह सूबह कौन देख रहा है," सोच के मै पिंकी को लेकर बाहर निकाल आई। टेम्पो मे पिंकी की उम्र के ही चार पाँच बच्चे बैठे हुऐ थे।

"मैडम आप रोज लेट कर देती है," वो तीखे स्वर मे बोला और फिर बोलते बोलते रुक गया, वो सीधा मेरी छातियो को घूर रहा था।

मै जल्दी से पिंकी को टेम्पो मे बैठने लगी। मैंने कनखियो से देखा वो कमबखत मुझे घूरे जा रहा था। चुन्नी न होने से मेरी छातिया काफी गहराई तक दिख रही थी और सफ़ेद कुर्ते मे मेरे निप्पलेस भी चमक रहे थे। मै नॉर्मल दिखने की कोशिश करने लगी और इसीलिए अपने हाथो से अपना सीना भी नहीं ढक पायी।

"मैडम, थोड़ा जल्दी आ जाया करे," इस बार वो बड़ी मिठास से बोला पर मुझे घूरना बंद नहीं किया।

"ठीक है, ठीक है," मै बोली और वो पिंकी का हाथ पकड़ के टेम्पो मे बैठा लिया। मै जल्दी से मुड़ के वापस चल दी, मुझे लग रहा था जैसे वो मुझे पीछे से भी घूर रहा हो।

फ्लॅट मे पहुँच के मै रिलैक्स हुई तो महसूस किया की मेरी साँसे तेज चल रही थी। मै शीशे के सामने जा के अपने को देखा तो बहुत शर्म आई की मेरी चूचिया कितनी देखाई दे रही थी। साले टेम्पो वाले ने खूब आंखे सेक ली।

इस छोटे से हादसे ने पूरे दिन मेरे बदन मे खलबली मचाये रखी। दिन भर टेम्पो वाले का वासना से तमतमाता हुआ चेहरा दिखता रहा और बार बार बदन मे सनसनी दौड़ जाती। मैंने महसूस किया की अपने पती के साथ कभी कभी का सेक्स एक रूटीन जैसा हो गया था और उसमे अब पहले जैसा मजा नहीं था। पर ये छोटा सा हादसा शरीर मे रोमांच भर गया।

दोपहर को जब पिंकी के आने का टाइम हुआ तो मेरे बदन के अजीब तरह को रोमच हो आया और मै अपने आप ही मेकअप कर के तयार हो गयी। मैंने एक टाइट जीन्स और टाइट टीशर्ट पहन ली। रोज जब हॉर्न बजता था तो मै पिंकी को नीचे लेने जाती थी। मै हॉर्न बजने का इंतजार करने लगी।

टाइम हो गया था पर अभी तक टेम्पो नहीं आया था। तभी दरवाजे की घंटी बजी, मै चौक पड़ी की इस वक़्त कौन आया। दरवाजा खोला तो टेम्पो वाला पिंकी का हाथ पकड़ के खड़ा था।

"अरे आज हॉर्न नहीं बजाया," मै बोल पड़ी।

"ये लास्ट बच्चे को ड्रॉप करना था तो सोच की आपको क्यो तकलीफ दू, मै खुद ही फ्लॅट तक छोड़ देता हू," वो खीसे निपोरता हुआ बोला। मै समझ गयी की सूबह के नज़ारे के कारण ये फ्लॅट तक पहुच गया है।

पिंकी स्कूल बैग फेक के टीवी के सामने जम गयी। टेम्पो वाला दरवाजे पर खड़ा था और कनखियो से मुझे घूर रहा था। मेरे को अपने पे गर्व सा हुआ की मेरी एक झलक इसे दीवाना बना दे रही थी।

"धन्यवाद, पानी लोगे," मै साधारण शिस्टाचार के नाते बोली, तो वो तुरंत हाँ कहता हुआ अंदर आ गया।

मैंने देखा की वो कोई चालीस पैंतालीस साल का आदमी था, पर था तक्ड़ा। मैंने उसे पानी दिया और वो पानी पीते पीते भी मुझे निहारता रहा। मेरा फिगर भी टाइट कपड़ो मे उभर के आ रही था।

"पिंकी बहुत ही अच्छी लड़की है, बिलकुल भी परेशान नहीं करती," वो बोलने लगा।

"अच्छा, मुझे तो बहुत परेशान करती है, अभी खाना खाने मे कितना नखरा करेगी, मुझे ही पता है।"

वो खीसे निपोरने लगा, फिर पानी पी कर गिलास मेरे हाथ मे पकड़ा दिया।

"अच्छा मै चलता हूँ," वो एसे उम्मीद से बोला जैसे मै उसको रुकने के लिए बोलुंगी।

उस दिन वो पानी पी के चला गया पर फिर रोज ही पिंकी को छोड़ने फ्लॅट तक आने लगा और हर रोज इधर उधर की बाते भी करने लगा। उसे देख के मुझे भी अच्छा लगता था, जब वो मेरे शरीर को कामुक नजरों से देखता तो मुझे रोमांच हो जाता था। मै भी रोज तयार हो के उसका इंतज़ार करती। मुझे पता ही नहीं चला की कब मै अपनी हदे पार करने लगी।

उस दिन वो फ्लॅट के अंदर आ गया और मै पिंकी को खाना देने लगी तो वो रसोई के सामने ही कुर्सी पर बैठ गया। पिंकी खाना ले के टीवी के सामने बैठ गयी और वो मेरे से बाते करने लगा। फ्लॅट का दरवाजा अंदर से बंद था, अब वो रोज ही कुछ देर बाते करने के बाद जाता था। अब उसकी बाते भी बोल्ड होती जा रही थी।

"मैडम आप जब जीन्स पहनती हो तो गज़ब लगती हो," वो बोला, "और आपके पती तो बहुत लकी है जो उनको आप जैसी बीवी मिली है।"

"अच्छा कैसे," मै मुसकुराते हुए बोली।

"क्योकि आपका आगा और पीछा दोनों उभर जाते है," वो बेशर्मी से बोला।

"धत, कैसे बात करता है," मै बोली, हालाकी मुझे भी उसकी ऐसी बातों मे मजा आता था।

"सलवार कुर्ते मै भी आप मस्त लगती हो पर जीन्स की तो बात ही क्या है, मेरे जैसे आदमी तो लाइन लगा के मरेगे," वो बेशरमों की तरह बोला, "आपके पती तो आपको रात भर छोड़ते नहीं होंगे।"

"हट," मै शर्मा गयी।

"उस दिन आप पार्टी मे जो लहंगा पहनी थी उसमे तो गज़ब लग रही थी," वो मेरे को मक्खन लगाता हुआ बोला। मै अंदर ही अंदर खुश होने लगी।

"सच, मैडम लहंगा पहन के दिखाओ न," वो बोला।

"अभी," मै अचरज से बोली।

"हाँ," वो जिद करने लगा।

मेरे शरीर मे सनसनी दौड़ने लगी, इस टेम्पो वाले के लिए मै फैशन परेड करुगी, सोच के ही अजीब सा लग रहा था।

वो जिद करने लगा, "लहंगा पहन के दिखाओ न।"

"पिंकी है,"

"तो क्या हुआ वो तो टीवी देखने मे मस्त है।"

मै अजीब तरह के जैसे नशे मे आ गयी थी और बेडरूम मे कपड़े बदलने चली गयी। मुझे उसके साथ इस तरह से फ़्लर्ट करने मे बहुत मज़ा आने लगा था। वो मेरे पती जैसा संभ्रांत व्यक्ति नहीं था बल्कि लोअर तबके का अशिक्षित व्यक्ति था। वो मेरे प्रति अपनी भावनाओ को घूमा फिरा के नहीं व्यक्त करता था बल्कि सीधे सीधे उसकी वासना उसके चेहरे पर झलकती थी। जैसे ही मैंने कपड़े बदल के दरवाजा खोला वो अंदर ही आ गया।

"वाह मैडम, क्या लग रही हो," वो अश्लील तरीके से बोला और मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा।

"कैसे नदीदों की तरह घूर रहे हो, पहले कोई लड़की नहीं देखी क्या," मै थोड़ा तेज स्वर मे बोली तो वो थोड़ा आचकचा गया, मुझे महसूस होने लगा की मै उसे कुछ ज्यादा ही भाव दे रही हूँ।

"मैडम... मैडम... आप तो बुरा मान गयी, आप जैसी सुंदर लड़की मैंने पहले कभी नहीं देखी," वो तुरंत तमीज मे आ के बात करने लगा, तो मै भी नर्म पड गयी।

"मैडम, पीछे घूम के दिखाओ न," वो मिन्नत सी करता हुआ बोला तो मुझे हंसी आ गयी।

"अब तुम्हारे लिए क्या फैशन परेड करूँ," मै नकली नाराजगी दिखते हुए बोली।

"प्लीज मैडम, प्लीज," वो फिर जिद करने लगा।

मेरे बदन मे फिर से सनसनी दौड़ने लगी और मै घूम के अपना बदन उसे दिखाने लगी।

"अहह क्या बात है," वो सिसकारी भरता हुआ बोला, "आपकी कमर का कट और पीछे का उभार बड़ा गज़ब का है," वो सावधानीपूर्वक शब्दो का चयन करता हुआ तमीज से बोला, कहीं मै नाराज़ न हो जाऊ।

मुझे उसकी निगाहे अपने पिछवाड़े मे गड़ती हुई महसूस हो रही थी, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, थोड़ी देर मे मै वापस घूमने लगी पर वो मेरे कंधे पर हाथ रख के मुझे रोक दिया,

"मैडम प्लीज थोड़ी देर और देखने दो न," वो धीरे से मेरे कान मे फुसफुसाया तो मै अपनी जगह जड़ खड़ी रह गयी। वो मेरे इतने करीब खड़ा था की उसकी साँसे मुझे अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी। उसका कंधे पर रखा हुआ हाथ एसा महसूस हो रहा था जैसे कोई भारी पत्थर रखा हो। तभी वो अपनी हथेली मेरी गांड पर रख दिया और कंधे पर रखा हुआ हाथ मेरे गले मे पिरो के मुझे अपनी बाहो मे समेट लिया।

"अहह, अह, मनोज," मुझे पता था ये सब गलत हो रहा है पर मुझ पर इतनी कामोतेजक खुमारी चढ़ गयी की मै अपना सर उसकी छाती पर टीका के आंखे बंद कर ली। जैसे कबूतर आंखे बंद करके सोचता है की बिल्ली उसे नहीं देख पाएगी वैसे ही मै आंखे बंद करके सोच रही थी की सब सही हो जाएगा। पर मै कबूतरी तो बिल्ली के पंजो मे दबी हुई थी।

वो समझ गया था की यही मौका है कबूतरी के शिकार का, उसके हाथ तेजी से चलने लगे और मेरी साँसे। वो तेजी से मेरी गांड मसलने के बाद मेरे लहंगे का हुक खोल दिया और लहंगा एक तिरस्कृत वस्तु की तरह मेरे कदमो मे जा गिरा। मुझे अपने स्तनो मे एक टीस सी महसूस हुई तो मैने अदखुली आंखो से देखा की मेरा ब्लाउज़ दरवाजे के पल्लो की तरह चौपट खुला हुआ था और मेरा एक दूधिया उरोज उसके शिकंजे मे जकड़ा हुआ था।

"आहह... अह... छोड़ो... अहह... मनोज... अम्म... छोड़ दो प्लीज... अहह।"

"मैडम, जिस दिन से मैंने इन तनी हुई चूचियो की झलक देखी थी उसी दिन से इन्हे अपने हाथो से मसलने की तमन्ना थी," वो भर्राई आवाज मे बोला, "बहुत तनी हुई और टाइट है, तुम्हारे पती ने ढंग से नहीं रगड़ा क्या, आज मल मल के नरम कर दूँगा।"

"मनोज... नहीं... प्लीज," मैने कमजोर सी आवाज मे औपचारिकतावश विरोध किया पर अंदर से उम्मीद थी की वो आज मेरे को एक असली मर्द की तरह रगड़ डाले। मैंने अपनी सहेलियों से कई बार सुना था की उनके पती उन्हे कई बार जोश मे इतनी ज़ोर से चूचियो को मसल डालते की चीखे निकल जाती है दर्द के मारे। पर मेरे पती ने कभी भी इतना ज़ोर नहीं दिखाया और मै हमेशा अपनी सहेलियों से पूछती की क्यो वो अपने पती को एसा करने देती है तो वे हंसने लगती और कहती की मज़ा भी तो आता है। आज जिस तरह से मनोज ने मेरे स्तन को जकड़ा हुआ था मुझे लग रहा था की मुझे उस दर्द या मज़े का अनुभव मिलने वाला है।

"मनोज, पिंकी बाहर वाले कमरे मे है," मै फुसफुसाई।

"तो दरवाजा बंद कर देते है," वो एक हाथ बढ़ा के दरवाजे की कुंडी लगा दिया और मुझे बिस्तर के समीप ले आया।

वो मुझे अपनी और घूमा लिया और मेरे अर्धनग्न बदन को निहारते हुए बोला, "मैडम आप तो बिलकुल अप्सरा जैसी हो, एकदम बेदाग गोरी गोरी, होंट बिना लिपस्टिक के भी गुलाबी।" वो मेरा चेहरा उठा के मेरे होंटो को चूमने लगा और मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड़ पे रख दिया। पैंट के ऊपर से ही मुझे उसके बड़े लंड़ का अहसास होने लगा।

मेरे अंदर अब कोई संशय नहीं रह गया था, मै अब तैयार थी उसे अपना शरीर सौपने को और इस अनैतिक सुख को भोगने को।

मै उसकी ज़िप खोल के अंडरवीअर के अंदर हाथ घुसा दी। मोटा गरम गरम लंड़ मेरी हथेली मे आ गया। मेरे दिल धाड़ धाड़ करके मेरे सीने मे बजने लगा। एक सेकंड से भी कम समय मे मेरे मस्तिष्क मे सैकड़ो विचार घूम गए, मै किसी गैर मर्द का लंड हाथ मे पकड़े हूँ, मेरे पती का चेहरा मेरी आंखो के सामने नाच गया, अगर पती देख ले तो गज़ब हो जाएगा। पर मै सब विचारो को झटक के उसके लंड़ को सहलाने लगी।

"अहहम," मनोज और जोश मे भर के मेरे होंटो को चूसने लगा, उसकी जीभ मेरे होंटो के ऊपर फिरने लगी तो मै अपना मुह खोल के उसे अंदर का रास्ता दे दी, दोनों एक दूसरे के होंटो और जीभ को चूमने चाटने लगे। मनोज चूमने के साथ साथ मेरी चूचियो को भी मसलता रहा और मै उसके लंड को सहलाती रही और उसकी खाल को आगे पीछे करती रही।

"चलो बिस्तर पर लेटो अब और सारे कपड़े उतार दो," वो मुझे बिस्तर की तरफ ठेलता हुआ बोला। मै बिस्तर पर चित पड़ गयी और अपनी ब्रा पैंटी भी उतार फेंकी। मैंने देखा की वो जल्दी जल्दी नंगा हो गया और अपना तना हुआ मोटा लंड एक हाथ मे पकड़ के बिस्तर पर चढ़ गया। कुछ पल वो मेरे नंगे जिस्म को घूरता रहा।

"क्या देख रहे हो।"

"यकीन नहीं हो रहा की इतने बड़े साहब की बीवी, ऐसे नंगी होके एक टेम्पो ड्राईवर का लंड लेने को लेटी है।"

"अहम्म।" मै उसकी बेबाक बात सुन के लाल हो गयी, "कुत्ते।"

वो अपनी टाँगे मेरे दोनों ओर डाल के मेरे ऊपर चढ़ गया।

"उल्टी हो जा, तेरी चूचियो से शुरू करता हूँ," वो अब मैडम मैडम करके बात नहीं कर रहा था। मेरे को बहुत शिद्दत से एहसास होने लगा की मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गयी है। मै शिकायती लहजे मे उसे देखने लगी पर ऊस पे कोई असर नहीं हुआ। वो मेरे को आसानी से उल्टा लिटा के मेरे ऊपर पसर गया। उसके दोनों हाथ मेरे स्तनो को अपने लौहपाश मे जकड़ लिए और निप्प्ल्स को अपने अंगूठे और उंगली के बीच।

"आहह... हाय मम्मी मर जाऊँगी," मै ज़ोर से छटपटाने लगी।

"क्या हुआ सपना," वो फुसफुसाया पर उसकी पकड़ ढीली नहीं हुई।

"इतने ज़ोर से नहीं," मै सिसकारी भरते हुए बोली।

"अभी ज़ोर लगाया कहाँ है," वो बोला, "पहले कभी चूचिया किसी मर्द से रगड़वाई नहीं है क्या।"

"नहीं, अहह, आई...... आई... नहीं... प्लीज... नहीं," मै उसके हाथो को पकड़ के खीचने लगी। मुझे अपनी सहेली की बात याद आने लगी की कैसे उसका पती उसकी चूचियो को दर्द से भर देता था।

"मेमसाब को दर्द हो रहा है क्या," वो मुझे चिढ़ाता हुआ बोला तो मै रुवासी हो उठी।

वो अपने तकड़े शरीर के नीचे मेरे कमसिन बदन को जकडे हुए था और मेरी चूचियो को आटे की तरह गूंथना शुरू कर दिया और निप्प्ल्स को चुटकी मे मसलने लगा।

"अहह... आई मर गई... अहह... नहीं... प्लीज..." मै लगातार कराहने लगी।

"आवाज कम कर साली, बाहर बच्ची बैठी है," वो बोला।

वो जंगलियों की तरह मेरे स्तन मसल रहा था। मेरे पती ने इतने सालो मे कभी भी मुझे इस तरह से नहीं रगड़ा था। थोड़ी देर छटपटाने के बाद एक टीस सी सीने मे रह गयी और मै उसे बरदस्त करने लगी। फिर धीरे धीरे मुझे दर्द मे अजीब तरह की उत्तेजना का अहसास होने लगा। उसके कडक हाथो के नीचे मेरी छातियो को पहली बार मर्द की रगड़ाई का पता चला।

"साली इनको बहुत छलका छलका के दिखा रही थी," वो बुदबुदाया।

मै आंखे बंद कर ली और बदन मे बढ़ती सनसनी को महसूस करने लगी, मुझे पता ही नहीं चला कब मै उसके तकड़े शरीर को अपनी बाहो मे भर के उसके होटों को चूमने लगी।

वो कभी मुझे उल्टा तो कभी सीधा लिटा के मेरे पूरे बदन का मर्दन करने लगा। जब जब वो ज़ोर से मेरे बदन को नोचता मै सिसकारी भर्ती हुई उससे चिपक जाती।

"अहह इतनी ज़ोर से मत दाबो," मै बुदबुदाई, "तुम तो मेरे को मार ही डालोगे।"

वो अपना लंड मेरी होंटो पे रगड़ने लगा। मै कभी अपने पती को इतनी आसानी से समर्पण नहीं किया जीतने आसानी से मै उसको अपना शरीर सौप रही थी।

"ये तो बहुत मोटा है," मेरे मुह से निकल गया तो वो मुस्कुराने लगा।

"चल मुह खोल," वो बोला।

मै झिझकते हुए मुह खोल दी तो वो अपना मोटा लंड मेरे मुह मे घुसाने लगा और मुझे अपना मुह पूरा फैला के खोलना पड़ा। वो एक हाथ से मेरे बालो को जकड़ लिया और मेरे सर को अपने काबू मे कर लिया और दूसरे हाथ से वो मेरे होटो और गालो को सहलाने लगा।

"चूस इसे," उसकी वासना भरी आवाज सुनाई पड़ी। मै उसके सुपाड़े पर अपनी जीभ फिरने लगी तो उसके मुह से वासना भरी सिसकरिया निकालने लगी।

"अहह," उसकी मेरे बालो पर पकड़ और कस गयी और वो अपने लंड को मेरे मुह मे और अंदर घुसाने लगा।

"अग्ग, अग्ग। आहह" मै कसमसने लगी पर वो मुझे कस के जकड़े हुए था।

"चूस," वो बोला।

मै जीभ फिराते हुए उसके लंड को लोलिपोप की तरह अपने होंटो के बीच चूसने लगी।

"अहह। अहह। साबाश," वो खुश होता हुआ बोला। "अंदर तक ले ले।"

मै आंखे बंद कर के लंड को चूसने लगी और उसकी गर्माहट को महसूस करने लगी। उसकी हाथो की पकड़ और सख्त हो गयी थी और वो मेरे मुह को आगे पीछे अपने लंड पर रगड़ने लगा।

"अग्ग, अग्ग। आहहअग्ग, अग्ग। आहहअग्ग, अग्ग। आहह," उसका लंड मेरे मुह मे अंदर बाहर चलने लगा और हर धक्के से वो और अंदर घुसने लगा। मै हाथो से उसे रोकने की कोशिश करने लगी पर वो मेरे को मजबूती से जकड़े हुए था। मेरी आंखे फैल जाती जब जब उसका लंड मेरे हलक तक पहुच जाता।

"अहह, तू एकदम मस्त माल है," वो वासना मे भर कर बोला, "शबबश एसे ही लंड लेती रह, अहह, नखरा नहीं," वो मेरे बालो को खीचता हुआ मेरे मुह को अपने लंड पे फिट किए रहा।

"जैसे पानी पीते है एसे ही लंड को पीती रह," वो मुझे समझता हुआ बोला। लंड मेरे हलक को पार करने वाला था।

मै छटपटाई पर वो मुझे दबोचे रहा। उसका चेहरा वासना मे तमतमा रहा था और वो मुझे बिलकुल भी ढील नहीं दिया।

"अहह लेटी रह, पीती रह," वो बड़बड़ाने लगा और अपना लंड मेरी हलक के अंदर बाहर करने लगा।

मै उसके नीचे बुरी तरह फस गयी थी और वो अपनी मनमानी करता रहा। मुह मे लाउडा फिट होने की वजह से मै किसी तरह नाक से सांस ले रही थी और उसे बरदास्त कर रही थी। वो मेरे बालो को पकड़ के मेरा मुह अपने लंड पर ऊपर नीचे करके मेरे मुह को चोदने लगा।

मै छटपटाती रही और वो मेरा मुह चोदता रहा। मै अब अंदर ही अंदर घबराने लगी थी और मुझे लग रहा था की वो आज मेरे मुह मे ही अपना माल झाड देगा। मैंने राहत की सास ली जब वो लंड मेरे मुह से बाहर निकाल लिया। उसका चेहरा वासना से तमतमा रहा था।

"टांगे फैला," वो बोला तो मै चुपचाप टाँगे ऊपर उठा ली। वो एक हाथ से मेरी टांग पकड़ लिया और दूसरे हाथ से अपना लंड मेरे छेद पर फिट करने लगा।

"आहह... आई," मेरे मुह से सिसकारी निकल गयी, वो दो धक्को मे ही अपना मूसल मेरे अंदर पेल दिया।

"अहहम ह... टाइट है तू तो," वो भर्राई आवाज मे बोला, "टांगे पकड़," वो मेरे को बोला और अपने दोनों हाथो से मेरी छातियो को जकड़ लिया।

मेरे रोम रोम मे आग भर गयी, उसका लंबा मोटा लंड मेरी चूत मे खलबली मचा रहा था। दो तीन दमदार धक्को मे ही मेरी आंखे मुँदने लगी और मै सातवे आसमान पे पहुँच गयी।

"आहह मनोज, आहह मम्मी आहह" मै उसको कस के जकड़ ली और उसके होंटो को चूमने लगी। वो भी पूरे जोश मे भर के मुझे हुमच हुमच के चोदने लगा और दोनों हाथो से मेरी छातियो को कस कस के मसलने भी लगा। मुझे जोश मे दर्द का पता ही नहीं चला। मै कुछ ही देर मे झड गयी और वो भी उसके थोड़ी देर बाद मेरी चूत के अंदर अपना माल निकाल दिया।

वो हाँफता हुआ मेरे बगल मे गिर गया तो मै धीरे धीरे नॉर्मल होने लगी, तब मुझे अपना रोम रोम मे दर्द महसूस होने लगा। मेरे जबड़े लंड चूस चूस मे दुखने लगे थे और मेरी छातियो मे तीखा दर्द हो रहा था।

"तुम तो बिलकुल जंगली हो, मेरी पूरी जान ही निकाल दी।" मुझे अब हकीकत का अहसास होने लगा था और पछतावा होने लगा की कैसे मै एक छिनाल की तरह इस टेम्पो वाले से चुद गयी। वो पूरी तरह से सन्तुस्ट हो के कपड़े पहनने लगा, जाने से पहले वो मेरे पास आया और मेरे होंटो को चूमने लगा तो मुझे अपने ऊपर ग्लानि होने लगी। मै किसी तरह उठ के अपने बदन पर कपड़े डाले।

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AnonymousAnonymous19 days ago

Meri beti Arti (12) ka naya school 6th se 10th tak tha Uske 6th mei admission ke liye interview dena padta hai. Arti ka man padhaimei jyada nahi lagta. Pahle din interview etc ki details school se lene, Arti, apni do purane school ki saheliyo- Naseem (14) aur Pooja (11) ke sath auto- riksha mei subah school gayi thi. ye log dopahar 2 baje lauti. Arti ne ishare se ghar mei andar chalne ko bol, andar aane ke bad mujhe dheemi awaz mei bola "Ye auto driver bahut sal se isi school ki ladkiyo ko school aane-jaane ke liye hai, Naseem isi ki beti hai; usne mujhe bola ki interview pas karane ke liye Abbu do hazar lete hain aur kabhi kabhi choot bhi lete hain. Do hazar bhi nahi dene padenge agar koi jawan aurat ki choot dilwa do. Mai gussa hui tab Naseem ne bola ki wo khud Abbu (TANVIR- 46) ne pichli rat use chod kar bata diya ki beti ko bhi yeh to manana padega; do hazar rupye bachane ke liye jab Naseem ne apni mouseri bahen Ruhana (17) ka offe diya to Abbu ne bata diya ki Ruhana to bilkul pas ke ghar mei hi rahti hai aur Abbu to usey jab uski choot par golden bal aane shuru huye tab 11 sal ki umsr se usey ghar par hi chod rahe hain, aur iski madad se hi Naseem ki bur 5 mahine pahle khoon ki pichkari ke saeh chud chuki hai. Jab tak mai saheliyo ke liye cold dring le kar ayi, tab tak Naseem ne Arti ki Maa (Sarika - 27) ko chupchap bata diya sab kuch, aur ye bhi ki TANVIR ka mota kala Katua lund 9,5 " se thoda jyada hi hai, aur ye bhi ki SARIKA ki chudai school ke chokidar ke room mei ya Arti ke ghar mei school time mei ho jayegi. Usne ye bhi bata diya ki 3-4 mahine ka andar Arti ki bur ka TANVIR ya school ke kisi sweeper, watchman, ya staff ke kisi se karwai jayegi Naseem Bano

AnonymousAnonymous8 months ago

जिस टेम्पो से मैं और मेरी बहन स्कूल जाते थे उसका ड्राइवर भी बहुत harami था. वो हर लड़के लड़की पर try मारता था. टेम्पो में भीड़ होती तो किसी न किसी लड़की को गोद में बिठा लेता. कई बार मेरी बहन को भी बैठाया और उसकी जांघों को सहलाया, मैंने साफ़ देखा की एक हाथ से टेम्पो चला रहा और दूसरा हाथ उसकी स्कर्ट के अंदर.

एक बार शाम को खेलने के बाद हम लोग जब वापस जाने लगे तो दीदी कहीं दिखी नहीं, किसी ने बताया कि इस तरफ गई है तो मैं खोजने गया. वो टेम्पो ड्राइवर के साथ एक दीवाल के पीछे थी. ड्राइवर दीदी की छाती खोल के मोमें मसल रहा था और अपना लंड उसके मुह में डाल रखा था. मैं जड़ khada देखता रह गया. वो एक हाथ से मोमें और दूसरे हाथ से उसके सर को पकड़ रखा था और दीदी आंखे बंद करके पूरी तन्मयता से एक लॉलीपॉप की तरह लंड को चूस और चाट रही थी.

ड्राइवर पूरे मजे लेता हुआ अपना वीर्य दीदी के मुह में ही निकाल दिया.

AnonymousAnonymous12 months ago

मज़ा आ गया story पढ़ के। निचले तबके के मर्दो से चुदने का मज़ा ही कुछ और है, बस मेमसाब वाला अहम उतारना पड़ता है। मै एसे बहुत मर्दो से चुद चुकी हूँ, पहली बार सोसाइटी का प्लंबर था। वो हरामि था, मुझे पता ही नहीं चला मै कब उससे फंस गयी। पूरा मेरे ऊपर हावी हो जाता था और कभी कभी तो दो दो बार झड़ जाती थी मै उसके साथ। मेरी गांड भी पहली बार उसने ही पेली थी, मै हाय हाय करती रह गयी पर साले ने घुसा ही डाला। मै उसे गालिया देती रही पर वो चोदता रहा। बाद मे मै उससे नाराज भी हुई पर फिर कुछ दिनो मे सब शुरू। पती मेरा transferable जॉब मे है तो नयी जगह जाते ही मुझे कमी महसूस हुई। फिर मैंने खुद पहल करके गार्ड, दर्जी और AC repair वाले के साथ संबंध बनाए। एक बात और मैंने महसूस करी की सभी गांड मारने के शौकीन है, तो महीने मे एक आध बार गांड भी मरवा लेती हूँ, अब तो गांड मरवाने मे भी अजीब सा मज़ा आने लगा है।

AnonymousAnonymousover 1 year ago

मेरे पती बड़ी सरकारी पोस्ट पर है और हमेशा ही बिज़ी रहते है, रात को थक जाते है, या फिर दौरे पर रहते है, मतलब सेक्स कभी कभार ही संभव हो पाता और वो भी मै पूर्ण रूप से संतुस्ट नहीं हो पाती थी।

एक प्लांबर था तो अक्सर कुछ न कुछ ठीक करने घर आता रहता था। उसके मर्दाना शरीर को देख के मुझे कामुक ख्याल आने लगे और मै अंजाने मे उसे प्रोत्साहित करती चली गयी। ये मेरी गलती थी और वो पूरा फायदा उठा लिया। मैंने सोचा नहीं था की मै कभी भी घर के नौकर जैसे व्यक्ति से चुद जाऊँगी पर मै वासना मे सब कुछ भूल गयी।

एक बार मै नंगी होके उसके नीचे आ गयी तो वो मुझ पे पूरी तरह हावी हो गया, मुझे अभी तक याद है वो बोला, “बहुत मेमसाब वाले नखरे है तेरे आज एसा चोदूँगा की सारे नखरे हमेशा के लिए बंद।“ मेरे अहम को ठेस पहुंची और मै कसमसने लगी पर साले ने मुझे इतनी कस कस के रगड़ा की मेरी आहे कराहे निकलने लगी. थोड़ी देर मे ही मेरे सारे कस बल ढीले पड़ गए और मै उसके इशारो पर नाचने लगी।

उस दिन उसने मुझे वहशियो की तरह भभोड़ डाला और मै भी इसमे एक तरह का विकृत आनंद महसूस करने लगी। उसके बाद से जब भी वो घर आता तो उसे देख कर ही मेरी साँसे भारी होने लगती। उसके साथ बिस्तर पर मैंने वो सब किया जो मै अपने पती के साथ भी कभी नहीं की थी।

AnonymousAnonymousover 1 year ago

मैंने अपनी माँ को चुदते हुए देखा था और चोदने वाला हमारा ही नौकर था। मै तब बहुत छोटा था पर समझता था की क्या हो रहा है। मेरे पापा काम के चक्कर मे हफ़्तों घर से बाहर रहते थे और जहां तक मुझे पता है वो सेक्स के मामले मे ढीले थे। मेरी माँ कोई अप्सरा नहीं थी पर छतिया गांड सब भरे भरे थे और उन्हे मजबूत मर्द की जरूरत थी। मेरी माँ उस वक़्त करीब 36-37 की होगी और वो नौकर हमारे गाव का करीब 55 साल का पर हट्टा कट्टा मर्द था। रात को घर मे मै, माँ और दादी ही होते थे और माँ रात को मेरे सोने के बाद उस नौकर के कमरे मे जाती थी।

एक रात मै सोया नहीं था और माँ मेरे को सोया समझ के चली गयी। मैंने सोचा की बाथरूम गयी होंगी पर जब देर तक नहीं आई तो मै उन्हे खोजने लगा। जब वो मुझे कहीं नहीं मिली तो मै नौकर के कमरे मे एसे ही झाँकने पहुँच गया पर दरवाजा बंद था। अंदर लाइटी जल रही थी मै दरवाजे की झिरी से अंदर देखा तो मेरे पैरो तले जमीन निकल गयी। अंदर मम्मी पूरी नंगी बिस्तर पर पड़ी थी और नौकर भी नंगा होके उनके ऊपर चढ़ा हुआ था। मैंने पहली बार कोई औरत और मर्द नंगे देखे थे, मै मंत्रमुग्ध सा देखता रह गया।

नौकर माँ के भरे पूरे शरीर का मर्दन कर रहा था और माँ की धीमी धीमी सिसकरिया निकल रही थी। कितनी ही देर तक वो माँ के बड़े बड़े उरोजों को मसलता, चूमता, चूसता रहा और माँ भी प्यार से उसके केले जैसे मोटे काले लंड को सहलाती रही। बाद मे वो माँ की टाँगे फैला के लंड उनकी चूत मे पेल दिया। जब वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा तो माँ भी उसकी पीठ को जकड़ के उसे चूमने चाटने लगी। जब वो खत्म किया तो माँ संतुस्टी से टांगे फैला के लेट गयी और मै कृत विमूढ़ सा अपने बिस्तर पे लौट आया। उस रात के बाद से मैंने जाने कितनी बार माँ को उससे चुदते हुए देखा।

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