अम्मी बनी सास 004

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रिश्वत लेने का मंसूबा.
1.2k words
4.62
276
00

Part 4 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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ज़ाहिद अपने दिल में इस जोड़े से रिश्वत लेने का मंसूबा तो बना ही रहा था।

साथ ही साथ उस ने कपड़े पहनती लड़की के जिस्म पर भी अपनी नज़रें जमाए रखी। जो कपड़े पहनते हुए अभी तक आहिस्ता आवाज़ में रोए जा रही थी।

उस लड़की का रंग बहुत गोरा और जिस्म शीशे की तरह सॉफ था। उस के कसे हुए गोल-गोल मम्मे और उन के उपर हल्के ब्राउन रंग के छोटे-छोटे निपल्स थे।

ज़ाहिद ने उस के मम्मों को देखते हुए अपने दिल में अंदाज़ा लगाया कि उस के मम्मों का साइज़ 36सी होगा।

उस की टाँगे लंबी और गुदाज थीं और उस की फुद्दि से हल्का-हल्का पानी निकल कर उस की गुदाज टाँगों के ऊपर बैठा हुआ सॉफ नज़र आ रहा था।

यह मंज़र देख कर ज़ाहिद को अंदाज़ा हो गया कि यह लड़की बहुत ही गरम और प्यासी चीज़ है और उस (ज़ाहिद) के अचानक छापा मारने की वज़ह से लड़की के जिस्म की प्यास पूरी तरह नहीं बुझ पाई.

लड़की का हुश्न और जवानी देख कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट से बाहर निकल कर उस लड़की की चूत में जाने को मचलने लगा।

तो ज़ाहिद अपने दिल में प्लान बनाने लगा कि वह इन दोनों को थाने लेजा कर पहले लड़के से रिश्वत वसूल कर के उसे छोड़ देगा। उस के बाद वह इस लड़की की चूत का मज़ा ले कर उसे भी जाने देगा।

इतनी देर में लड़का और लड़की दोनों अपने-अपने कपड़े पहन कर तैयार हुए तो ज़ाहिद ने उन को अपने साथ बाहर चलने को कहा।

"क्या में एक मिनिट के लिए बाथरूम से हो कर आ सकती हूँ" लड़की ने अपनी रोती हुई आवाज़ में ज़ाहिद से पूछा।

ज़ाहिद: क्यों?

लड़की: में ने बाथरूम से कुछ लेना है।

ज़ाहिद: अच्छा मगर जल्दी करो।

लड़की ज़ाहिद की इजाज़त मिलते ही तेज-तेज चलती हुई बाथरूम में घुसी और चन्द मिनट के बाद बाहर आ गई.

ज़ाहिद ने देखा कि बाथरूम से वापसी पर लड़की ने अब बुर्क़ा ओढ़ा हुआ है। जिस के नकाब से उस का मुँह छुप गया था।

उस लड़की को बुर्क़े में देख कर नज़ाने ज़ाहिद को क्यों यह अहसास हुआ। कि उस ने इस लड़की को पहले भी कहीं देखा है। कब और कहाँ इस बात की ज़ाहिद को समझ ना आई.

फिर ज़ाहिद के दिमाग़ में यह ख़्याल आया कि बंदे जैसा बंदा होता है और शायद मुझे कोई ग़लत फहमी हो रही है।

इस लिए वह अपने ख़्याल को नज़र अंदाज़ करता हुआ उन दोनों को साथ ले कर बाहर खड़ी पोलीस वैन की तरफ़ चल पड़ा।

होटेल से बाहर निकल कर जब ज़ाहिद उन दोनों लड़का और लड़की को पोलीस वैन की तरफ़ ले जाने लगा। तो उस लड़के ने आगे बढ़ कर ज़ाहिद से एक गाड़ी की तरफ़ इशारा करते हुए कहा"सर आप ने हमे पोलीस स्टेशन ले कर जाना ही है तो चलिए में आप को अपनी गाड़ी में ले चलता हूँ" ।

ज़ाहिद ने गाड़ी की तरफ़ देखा तो वह एक नये मॉडेल में ब्लॅक कलर की टोयटा कोरोला थी।

गाड़ी को देख कर ज़ाहिद का शक यक़ीन में बदल गया कि यह एक मालदार असामी है।

ज़ाहिद ने अपने साथी पोलीस वालों को ग्रिफ्तार इस्तियारी मुलज़िम थाने ले जाने को कहा और ख़ुद उस लड़के के साथ गाड़ी की फ्रंट सीट पर आन बैठा।

जब के लेडकी खामोशी से आ कर गाड़ी की पिछली सीट पर बैठ गई.

ज़ाहिद ने लड़के को पोलीस चोकी काला गुजरं झेलम जाने को कहा तो उस लड़के ने गाड़ी को दीना सिटी से निकाल कर झेलम की तरफ़ मोड़ दिया।

दीना से झेलम के पूरे रास्ते वह लड़का अपनी तरफ़ से इस बात की पूरी कॉसिश करता रहा कि ज़ाहिद उन दोनों को मियाँ बीवी तसल्ली कर ले।

और साथ ही साथ वह ज़ाहिद की मिन्नत करता रहा। कि वह पैसे ले कर उन दोनों को पोलीस स्टेशन ले जाने की बजाय रास्ते में ही छोड़ दे।

ज़ाहिद ने अपने दिल में पक्का प्लान पहले ही बनाया हुआ था कि वह इन दोनों से रिश्वत ले कर छोड़ तो ज़रूर दे गा। मगर उन को छोड़ने से पहले वह एक बार इस लड़की की गरम फुददी का मज़ा ज़रूर लेना चाहता था।

गाड़ी अभी जीटी रोड पर वाकीया पोलीस चोकी से थोड़ी दूर ही थी। कि ज़ाहिद ने लड़के को गाड़ी एक सड़क पर मोड़ने को कहा और फिर उसी सड़क के किनारे पर बने हुए एक छोटे से मकान के बाहर ज़ाहिद ने गाड़ी को रुकवा दिया।

जब से ज़ाहिद चोकी इंचार्ज बना था। तब से उस ने यह मकान किराए पर ले रखा था।

क्योंकि वह इस मकान में उन मूल्ज़मो को ले कर बंद करता था। जिन की ग्रिफ्तारी उस ने अभी पोलीस रिपोर्ट में नहीं डालनी होती।

वो लोगों के साथ रिश्वत की लेन दैन भी इधर करता और कभी-कभी किसी गश्ती को इधर ला कर उस को चोद भी लेता था।

जब गाड़ी मकान के बाहर रुकी तो लड़के ने हैरत से ज़ाहिद की तरफ़ देखा और कहा"यह पोलीस स्टेशन तो नही" ।

ज़ाहिद: हाँ तुम ख़ुद ही कह रहे थे कि तुम लोगों को पोलीस स्टेशन ना ले जाऊँ तो में तुम को इधर ले आया। कि इधर बैठ कर बात करते हैं चलो अब अंदर चलो" ।

ज़ाहिद ने दरवाज़े का ताला खोला और वह दोनों उस के साथ मकान के अंदर चले आए.

वो मकान एक किचन, बाथरूम और एक बेड रूम पर मुश्तिमल था।

वो तीनो मकान के सहेन से गुज़र कर बेड रूम में चले आएl

उस कमरे के एक तरफ़ एक सोफा पड़ा हुआ था और दूसरी तरफ़ एक बड़े साइज़ का पलंग बिछा हुआ था।

जब कि कमरे की तीसरी दीवार के सामने एक छोटा-सा टीवी पड़ा हुआ था।

ज़ाहिद ने उन दोनों को सोफे पर बिठाया और ख़ुद उन के सामने पलंग पर जा बैठा।

लड़की को शायद कमरे में गर्मी ज़्यादा महसूस हो रही थी। इस लिए उस ने सोफे पर बैठते साथ ही अपने मुँह से बुर्क़े का नकाब उठा दिया। जिस से उस का चेहरा ज़ाहिद के सामने आ गया।

ज़ाहिद ने पलंग पर बैठ कर दोनों की तरफ़ देखा।वो दोनों अपनी नज़रें झुकाए बिल्कुल खामोशी से सोफे पर बैठे थे।

ज़ाहिद लड़की के चेहरे की खूबसूरती को देख कर लड़के की क़िस्मत पर रशक करने लगा। कि बरा क़िस्मत वाला है जो इस जबर्जस्त गरम जवानी की फुददी का मज़ा ले रहा है।

साथ ही साथ उन दोनों को इस तरह मजबूर अपने सामने बैठा देख कर एक पोलीस वाला होने के बावजूद ज़ाहिद को उन पर तरस आया और उस ने-ने पहली बार बड़े नर्म लहजे में उन से पूछा"तुम दोनों के नाम क्या हैं, और सच-सच बताना कहाँ से और कितने का लाए हो यह माल l"

लड़के ने जब ज़ाहिद को इस तरह अपने साथ नर्म लहजे में बात करते देखा तो शायद उस ने भी थोड़ा सकून की सांस ली और उस ने आहिस्ता से जवाब दिया "मेरा नाम जमशेद है और मेरी बीवी का नाम नेलोफर है" ।

"यार तुम क्यों बार-बार इस बात पर इसरार कर रहे हो कि तुम दोनों मियाँ बीवी हो।अच्छा अगर वाकई ही तुम मियाँ बीवी तो दिखाओ मुझे अपना निकाह नामा" ज़ाहिद ने जमशेद से पोलीस वालों का रवायती सवाल पूछा।

(हर पोलीस वाला जब भी किसी लड़की और लड़के को चुदाई करते या आवारा फिरते पकड़ लेते है तो उन का हमेशा यह ही मुतलबा होता है कि देखाओ निकाह नामा। हाला कि सब लोग जानते हैं कि कोई शादी शुदा जोड़ा कभी अपना निकाह नामा साथ ले कर नहीं घूमताl)

कहानी जारी रहेगी

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