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Click hereजमशेद: सर आप को पता है कि हमारे पास इस वक़्त निकाह नामा नही।
ज़ाहिद: तो फिर यह कैसे साबित हो गा कि तुम लोग मियाँ बीवी हो? ।
"अच्छा आप बताएँ कि आप को कैसे मुत्मीन किया जा सकता है" जमशेद ने इंड्र्सेट्ली ज़ाहिद से पूछा कि वह कितने पैसे ले कर उन की जान बक्शी करेगा।
एएसआइ ज़ाहिद जमशेद की बात सुन कर दिल ही दिल में मुस्करया क्योंकि वह अब जान गया कि जमशेद अब सही लाइन पर आ गया है और अब उस के लिए उस से सीधे तरह रिश्वत का मुतालबा किया जा सकता है।
" वैसे तो तुम लोग जानते हो कि ज़ना करी का केस हदोद ऑर्डिन्स के ज़ुमरे में आता है और इस लिए मुझे तुम लोगों के खिलाफ केस रिजिस्टर ना करने का 50000.00 रुपये चाहिएl
ज़ाहिद ने जान बूझ कर पैसे थोड़े ज़्यादा बताए. उस का इरादा था कि 10 से 15 हज़ार रुपये और नीलोफर की चूत ले कर वह उन को जाने दे गा।
जमशेद: सर यह तो बहुत ज़्यादा रक़म है, हम इतने पैसे नहीं दे सकते।
"अच्छा तो कोई बात नहीं में अभी मीडीया वालों को ख़बर कर देता हूँ। कि हम ने छापा मार कर एक जोड़े को चुदाई करते हुए रंगे हाथों पकड़ा है और फिर थाने ले जा कर तुम्हारे खिलाफ केस रिजिस्टर कर लेता हूँ" ज़ाहिद ने यह कहते हुए अपनी पॉकेट से अपना मोबाइल फ़ोन निकाला और नंबर मिलाने लगा।
"प्लीज़ ऐसा ना करें मीडीया पर ख़बर आने से ना सिर्फ़ मेरा घर उजड़ जाए गा बल्कि मेरी और भाई की ज़िन्दगी भी बर्बाद हो जाय गी" जब नीलोफर ने ज़ाहिद को फ़ोन मिलाते देखा तो वह एक दम अपनी जगह से उठी और ज़ाहिद के कदमो में गिर कर उस के पाँव पकड़ लिएl
"भाईईईईईईईईईई क्या तुम दोनों बहन भाई हो" नेलोफर की बात सुन कर ज़ाहिद का मुँह हैरत और गुस्से से खुला का खुला रह गया...और उस के फ़ोन उस के हाथ से फिसल कर फ़र्श पर जा गिरा और गिरते ही टूट गया।
नीलोफर को फॉरन ही अपनी ग़लती का अहसास हो गया। मगर अब किया हो सकता था।क्योंकि "तीर तो कमान" से निकल चुका था।
कमरे में बिल्कुल एक सन्नाटा-सा छा गया।
ज़ाहिद हैरत जदा और गुस्से की हालत में कभी जमशेद को देखता और कभी अपने कदमो में बैठी नेलोफर पर अपनी नज़रें जमा लेता।
जब कि जमशेद और नीलोफर दोनों "गुम सुम" एक बुत की तरह बे जान हो कर बैठे हुए थे और उन को समझ में नहीं आ रहा था कि बोलें भी तो क्या बोलें।
थोड़ी देर बाद ज़ाहिद ने थोड़ा झुक कर नेलोफर को उस के कंधो से पकड़ कर उठाया और उस को अपने साथ पलंग पर बैठा लिया।
यूँ ख़ुद अपने मुँह से ही अपना इतना बड़ा राज़ अफ्शान हो जाने पर नेलोफर पर एक कप कपि-सी तरी हो गई थी और घबराहट के मारे उस का बदन काँपने लगा था।
ज़ाहिद के साथ वह एक पलंग पर बैठ तो गई मगर शरम के मारे उस का जिस्म पसीने-पसीने होने लगा था।
दूसरी तरफ़ ज़ाहिद अपनी ही सोचों में गुम था। उस ने अपनी अब तक की पोलीस सर्विस में ज़ना और चुदाई के काफ़ी केस देखे और सुने थे। मगर एक बेहन भाई की चुदाई का यह पहला केस था जो उस के सामने आया था।
इस बारे में सोचते हुए ज़ाहिद की आँखों के सामने वह मंज़र दौड़ने लगा । जब उस ने होटेल के कमरे का दरवाज़ा खोल कर अपनी आँखों के सामने एक बहन को अपने भाई के लंड कर उपर बैठ कर मज़े से चुदवाते देखा था।यह मंज़र याद आते ही ज़ाहिद के बदन में एक अजीब-सी मस्ती छाने लगाईl
ज़ाहिद ने इस से पहले भी कई दफ़ा लोगों को गश्तियो को चोदते रंगे हाथों पकड़ा था।
मगर अब यह पता चलने के बाद कि आज जिस लड़के, लड़की को उस ने चुदाई करते हुए पकड़ा है ।वो एक आम कपल नहीं बल्कि सगे बहन भाई हैं।
तो यह बात जानते हुए भी कि बहन भाई का इस तरह आपस में जिस्मानी ताल्लुक़ात क़ायम करना एक बहुत बड़ा गुनाह है।
ना जाने क्यों ज़ाहिद के दिमाग़ में सेक्स का नशा चढ़ने लगा। जिस की वज़ह से उस का लंड उस की पॅंट में हिलने लगा।
और गुस्से का जो आलम एक लम्हा पहले उस पर तरी हुआ था। अब उस में भी कमी आने लगी थी।
"तुम लोगों को पता है ना कि यह जो कुछ तुम दोनों ने आपस में किया है वह काम निहायत ही ग़लत है" ज़ाहिद ने जमशेद और नेलोफर की तरफ़ देखते हुए उन से सवाल किया।
"जी हम जानते हैं कि ना सिर्फ़ यह काम ग़लत है बल्कि गुनाह भी है" जमशेद ने आशिता से जवाब दिया।
"जब सब जानते हो तो फिर क्यों और कब से कर रहे हो यह सब कुछ" ज़ाहिद ने फिर पूछा।
दोनो बहन भाई ने इस बार कोई जवाब ना दिया और ख़ामोश सिर झुका बैठे रहे।
"जवाब दो में तुम लोगों की इस हरकत की वज़ह जानना चाहता हूँ" ज़ाहिद ने दुबारा थोड़े सख़्त लहजे में पूछा।
जमशेद और निलफोर दोनों ने इस बार भी ज़ाहिद के सवाल का जवाब नहीं दिया और अपना-अपना मुँह बंद ही रखा।
ज़ाहिद के दिल में उत्सुकता थी कि वह यह जान सके कि आख़िर वह कौन-सी वज़ह थी। जिस की खातिर दोनों बहन भाई आपस में चुदाई करने पर मजबूर हुए थे।
इस लिए जब उस ने देखा कि वह उस के सवालो का जवाब नहीं दे रहे तो उस ने उन को एक ऑफर देने का सोचा।
ज़ाहिद: अच्छा अगर तुम लोग मुझे अपने बारे में सब कुछ सच-सच बता दो गे तो में वादा करता हूँ कि में तुम लोगों से बहुत ही मामूली ही रिश्वत ले कर तुम दोनों को जाने दूं गा।
ज़ाहिद की ऑफर सुन कर दोनों बहन भाई ने सर उठा कर एक दूसरे की आँखों में आँखे डाल कर देखा।
जैसे वह आँखों ही आँखों में एक दूसरे से पूछ रहे हों कि ज़ाहिद को अपनी कहानी सुना दी जाय या नही।
जमशेद ने थोड़ी देर बाद अपनी बहन की आँखों में देखने के बाद हाँ में अपना सर हिलाया तो फिर नीलोफर ने आहिस्ता आवाज़ में अपनी कहानी ज़ाहिद को सुनानी शुरू कर दी।
नेलोफर ने बताया कि उन का ताल्लुक झेलम से ही है। उस की शादी 2 साल पहले हुई. शादी के वक़्त उस की उमर 24 साल थी।
उस का शोहर मसकॅट ओमान में जॉब करता है। शादी के बाद उस का शोहर एक महीना उस के साथ रहा और फिर अपनी जॉब के सिलसिले में वह वापिस मसकॅट चला गया।
उस का शोहर साल में एक दफ़ा एक महीने के लिए पाकिस्तान आता है और छुट्टी गुज़ार कर फिर वापिस चला जाता है।
जब कि वह अपने बूढ़े सास और सुसर के साथ प्रोफेसर कॉलोनी झेलम में रहती है।इतना बता कर नेलोफर ख़ामोश हो गईl
"में ने तुम से कहा था कि पूरी बात बताओ, तुम ने आधी बात तो बता दी मगर अपना और अपने भाई के अफेर की बात गुल कर गई हो क्यों" ज़ाहिद ने नेलोफर को उस की बात ख़तम होने के बाद कहा।
"आप से इल्तिजा है कि आप इस बात को मज़ीद मत कुरेदिये और हमे जाने दो आप की बड़ी मेहरबानी हो गी" नेलोफर ने ज़ाहिद की मिन्नत करते हुए कहा।
"में ने वादा तो किया है कि तुम दोनों को जाने दूं गा मगर पूरी कहानी सुनने के बाद, अब बताओ कि अपने ही भाई के साथ क्यों और कैसे चक्कर चलाया तुम ने" ज़ाहिद अब एक बेहन की ज़ुबानी अपने ही भाई के साथ उस के इश्क़ की दास्तान सुन कर चस्का लेने के मूड में था।
जब नेलोफर ने महसूस किया कि यह बे गैरत पोलीस वाला इस तरह उन की जान नहीं छोड़े गा तो उस को "चारो ना चार" अपनी कहानी मज़ीद सुनानी ही पड़ी।
कहानी जारी रहेगी