अम्मी बनी सास 006

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पहली छुअन.
1.3k words
4.21
278
00

Part 6 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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नेलोफर ने हिचकिचाते हुए आहिस्ता-आहिस्ता अपनी बात दुबारा शुरू की।

"इंसेपकटेर साब बात यह है कि यह जवानी बड़ी ज़ालिम चीज़ है। आप को पता है कि हमारी जाति में एक लड़की को ज़्यादातर शादी के बाद ही मियाँ बीवी के" इज़दवाजी"(सेक्स) ताल्लुक़ात का पता चलता है" । इतना कह कर नेलोफर की ज़ुबान जैसे लड़ खड़ाने लगी और वह रुक गई. सॉफ पता चल रहा था कि शरम के मारे उस की ज़ुबान उस का साथ नहीं दे रही थी।

नेलोफर ने अपनी बात को रोक कर ज़ाहिद और अपने भाई जमशेद की तरफ़ देखा।तो उस ने उन दोनों को अपनी तरफ़ ही देखते पाया।

उन से नज़रें मिलते ही नेलोफर ने अपने माथे पर आते हुए पसीने को हाथ से साफ़ किया और अपने मुँह में आते हुए थूक को निगल कर अपनी बात अहिस्ता से दुबारा स्टार्ट की।

जब मेरी शादी के एक महीने बाद मेरा शोहर मुझे छोड़ कर चला गया तो मेरे लिए अपने शोहर के बगैर रहना बहुत मुस्किल हो गया।

दिन तो घर के काम काज में गुज़र जाता मगर रात को अपने बिस्तर पर अकेली लेटती तो अपना बिस्तर ही मुझे काटने को दौड़ता। मगर में जैसे तैसे कर के अपने शोहर से दूरी का सदमा बर्दाश्त करने लगी।

इस दौरान मुझे मोहल्ले के लड़कों और कुछ अपने क़जन्स ने भी दोस्ती की ऑफर्स कीं। मगर आप तो जानते है कि हमारे मज़हब में अगर किसी लड़की का चक्कर किसी लड़के से स्टार्ट हो जाय। तो इस क़िस्म की बात ज़्यादा देर तक लोगों से छुप नहीं सकती।

इसी डर से में ने किसी और तरफ़ ध्यान नहीं दिया और अपनी जवानी की प्यास को अपने अंदर ही अंदर कंट्रोल करने की कोशिश करती रही।

इस तरह मेरी शादी को तकरीबन एक साल होने को था कि ईद-उल-फितर (छोटी) ईद आ गई l

में शादी के बाद अपनी पहली ईद मनाने अपने मेके आई.तो मेरे अम्मी अब्बू और भाई जमशेद सब मेरे आने पर बहुत खुश हुएl

फिर चाँद रात को में अपने हाथों में मेहन्दी और चूड़ियाँ चढ़वाने मोटर साइकल पर भाई के साथ बाज़ार गईl

चूड़ी की दुकान पर बहुत रश था और रश की वज़ह से औरते और मर्द सब एक दूसरे में घुसे जा रहे थे।

में अपने हाथों में चूड़ियाँ चढ़वाने में मसरूफ़ थी। कि इतने में एक ज़ोर दार धक्का पड़ा और मेरे बिल्कुल पीछे खड़े मेरे भाई का बदन पीछे से मेरे जिस्म के साथ चिपकता चला गया।

ज़ोर दार धक्का लगने से मेरा हाथ सामने पड़े दुकान के शो केस से टकराया। जिस की वज़ह से मेने जो चूड़ियाँ अभी तक चढ़वाई थी वह एक दम से टूट गईं।

भाई ने गिरते हुए अपने आप को संभालने की कॉसिश की। जिस की वज़ह से उस का एक हाथ मेरे दाएँ कंधे पर पड़ा जब कि उस का बाया हाथ बे इख्तियारी में मेरी बाईं छाती पर आन पड़ा।

चूँकि गर्मी की वज़ह से मेंने लवन और भाई जमशेद ने कॉटन के पतले शलवार कमीज़ मलबूस-ए-तन (पहने हुए) किए हुए थे।

यह शायद हमारे पतले शलवार कमीज़ की मेहरबानी थी।कि भाई का यूँ मेरे साथ चिपटने से ज़िन्दगी में पहली बार मेरे भाई का मर्दाना हिस्सा (लंड) बगैर किसी रुकावट के मुझे अपने जिस्म के पिछले मकसूस हिस्से (गान्ड) में चुभता हुआ महसूस हुआ।और उस का सख़्त और गरम औज़ार (लंड) मुझे अपनी मौजूदगी का अहसास दिला गया।

(नीलोफर अपनी कहानी बयान करते वक़्त पूरी कॉसिश कर रही थी।कि जहाँ तक मुमकिन हो वह अपनी ज़ुबान से कोई गंदा लफ़्ज अदा ना करे। इसी लिए लंड और गान्ड का ज़िक्र भी वह ढके छुपे इलफ़ाज़ में कर रही थीl)

जमशेद भाई को ज्यों ही अहसास हुआ कि इस धक्के की वज़ह से अंजाने में उस के हाथ और जिस्म मेरे जिस्म के उन हिस्सो से टकरा गये हैं। जो एक भाई के लिए शजरे ममनुआ (ग़लत) हैं। तो वह शर्मिंदगी की आलम में मुझे सॉरी करता हुआ दुकान से बाहर निकल गया।

इस वाकये के वक़्त तक मेरी शादी के बाद मेरे शोहर को मुझ से दूर गये एक साल बीत चुका था।

और इस एक साल में यह पहला मोका था। जब किसी मर्द ने मेरे जिस्म के नज़ाक हिस्सो को इस तरह छुआ था और वह मर्द कोई गैर नहीं बल्कि मेरा अपना सगा भाई था।

यूँ तो मेरे भाई का मुझ से यूँ टकराने का दौरानिया बहुत ही मुक्तसर था।

लेकिन इस एक लम्हे ने भाई के जिस्म में क्या तब्दीली पेदा की मुझे उस का उस वक़्त तो अंदाज़ा ना हुआ।

मगर भाई के मुझे इस तरह छूने से मेरे तन बदन में भाई की इस हरकत का शदीद असर हुआ और मेरे जवान जिस्म के सोए हुए अरमान जाग उठे।

मुझे अपने बदन में एक सर्द-सी आग लगती हुई महसूस हुई और मुझे यूँ लगा कि मेरे जिस्म के निचले हिस्से में से कोई चीज़ निकल कर मेरी सलवार को गीला कर गई है।

जमशेद भाई के दुकान से बाहर निकल जाने के बाद में ने दुबारा अपनी तवज्जो मुझे चूड़ी पहनाने वाले सेल्स मॅन की तरफ़ की। तो में ने नोट किया कि सेल्स मॅन के होंटो पर हल्की-सी मुस्कराहट थी।

"बाजी शायद आप को अभी अंदाज़ा नहीं कि चाँद रात के इस रश में इस क़िस्म के आवारा लड़के ऐसी हरकतां करते हैं" सेल्स मॅन ने मुझे हल्की आवाज़ में बताया।

उस ने शायद मेरे भाई का हाथ और जिस्म मेरे बदन से टकराते हुए देख लिया था। मगर उस को यह अंदाज़ा नहीं हुआ कि जिस को वह एक आवारा क़िस्म का लड़का समझ रहा था। वह कोई और नहीं बल्कि मेरा अपना सगा भाई है।

जब मुझे पता चला कि सेल्स मॅन ने सब कुछ देख लिया है तो में बहुत शर्मिंदगी महसूस करने लगी और में ने मज़ीद चूड़ियाँ नहीं चढ़वाई और सिर्फ़ वह चूड़ीयाँ जो मेरे हाथ में पहनाने के बाद टूट गईं थी।में ने उन की पेमेंट की और जल्दी से दुकान से बाहर निकल आईl

दुकान के बाहर मेरा भाई अपनी मोटर साइकल पर गुमसुम बैठा हुआ था।

उसे देख कर मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई. मुझ में अपने भाई का सामना करने की हिम्मत ना थी।

में खामोशी से अपनी नज़रें झुकाए हुए आई और आ कर भाई के पीछे उस की मोटर साइकल पर बैठ गईl

ज्यों ही भाई ने मुझे अपने पीछे बैठा हुआ महसूस किया उस ने भी मुझे देखे बगैर अपनी मोटर साइकल को स्टार्ट करने के लिए किक लगाई और मुझे ले कर घर वापिस चला आया।

रास्ते भर हम दोनों में कोई बात ना हुई और थोड़ी देर में हम अपने घर के दरवाज़े पर पहुँच गये।

ज्यों ही भाई ने घर के बाहर मोटर साइकल रोकी तो में उतर कर घर का दरवाज़ा खोलने लगी। तो शायद उस वक़्त तक भाई की नज़र मेरी चूड़ियों से खाली हाथों पर पड़ चुकी थी।

"बाजी आप ने चूड़ियाँ क्यों नहीं चढ़वाई" जमशेद ने मेरे खाली हाथो की तरफ़ देखते हुए पूछा।

"वो असल में जो चूड़ियाँ में ने पहनी थीं। वह धक्के की वज़ह से मेरी कलाई में ही टूट गईं तो फिर इस ख़्याल से कि तुम को शायद देर ना हो रही हो में बिना चूड़ियाँ के ही वापिस चली आई" में ने बिना उस की तरफ़ देखे उस को जवाब दिया।

"अच्छा बाजी आप चलो में थोड़ी देर में वापिस आता हूँ" यह कहते हुए जमशेद मुझे दरवाज़े पर ही छोड़ कर अपनी मोटर साइकल पर कही चला गया।

में अंदर आई तो देखा कि रात काफ़ी होने की वज़ह से अम्मी अब्बू अपने कमरी में जा कर सो चुके थे।

में अपने शादी से पहले वाले अपने कमरे में आ कर बैठ गईl

दुकान में पेश आने वाले वाकये की वज़ह से मेरी साँसे अभी तक सम्भल नहीं पाईं थीं।

कुछ ही देर बाद मुझे मोटर साइकल की आवाज़ सुन कर अंदाज़ा हो गया कि भाई घर वापिस आ चुका है।

रात काफ़ी हो चुकी थी और इस लिए में अभी सोने के मुतलक सोच ही रही थी कि जमशेद भाई मेरे कमरे में दाखिल हुआ।

उस के हाथ में एक प्लास्टिक का शॉपिंग बॅग था। जो उस ने मेरे करीब आ कर बेड पर रख दिया और ख़ुद भी मेरे साथ मेरे बिस्तर पर आन बैठा।

अब मुझे भाई के साथ इस तरह एक ही बिस्तर पर बैठने से शरम के साथ-साथ एक उलझन भी होने लगी और इस वज़ह से में भाई के साथ आँख से आँख नहीं मिला पा रही थी।

कहानी जारी रहेगी

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