अम्मी बनी सास 009

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भाई बहन की चुदाई.
1.1k words
4.6
350
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Part 9 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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अल कौसेर होटेल में पोलीस का छापा पड़ने की वज़ह से ना सिर्फ़ जमशेद और नीलोफर दोनों के जिस्मो की प्यास अधूरी रह गई थी।बल्कि पोलीस के ख़ौफ़ और छापे की परेशानी की वज़ह से चुदाई का खुमार दोनों बहन भाई के ज़हन से भी उतर चुका था।

मगर जब नीलोफर ने एएसआइ ज़ाहिद को अपने भाई के साथ अपने ताल्लुक़ात और चुदाई की तस्लीफ़ बयान करना शुरू किया।तो ज़ाहिद के साथ-साथ ना सिर्फ़ जमशेद का लंड भी उस की पॅंट में उठ कर खड़ा हो चुका था।बल्कि हक़ीकत यह थी। कि ना चाहने के बावजूद ख़ुद नीलोफर की अपनी फुद्दि भी उस की शलवार में अपना पानी छोड़ने पर मजबूर हो चुकी थी।

इस लिए दोनों बहन भाई के होंठ आपस में चिस्पान होते ही उन के बदन में चुदाई की प्यास दुबारा जाग उठी।

अपनी बेहन के होंठो को अपने होंठो में काबू करते ही जमशेद का हाथ नीलोफर की गुदाज रानो के बीच में से होता हुआ, शलवार के ऊपर से उस की फूली हुई गरम चूत पर आ कर जम गया।

भाई के हाथ को अपनी फुद्दि के ऊपर महसूस करते ही नीलोफर सिसकी "अहह!"

(जिस तरह शादी के कुछ टाइम बाद एक हज़्बेंड को अपनी वाइफ के जिस्म के नसीबो फर्ज़ का अंदाज़ा हो जाता है।बिल्कुल इसी तरह अपनी बेहन को कई दफ़ा चोद कर जमशेद को भी ब खूबी अंदाज़ा हो चुका था। कि निलफोर के जिस्म के वह कौन से तार हैं जिन को छेड़ने पर उस का बदन गरम होने लगता है।)

जमशेद के हाथ उस की बेहन की चूत से खैलने में मसरूफ़ हुए. तो नीलोफर ने भी शर्मो हया को छोड़ कर पॅंट में मचलते अपने भाई के लंड को अपने हाथ में लिया और उस को प्यार करने लगी।

अब दोनों बहन भाई के होत एक दूसरे से अपनी लड़ाई लड़ रहे थे। जब कि दोनों के हाथ एक दूसरे के लंड और चूत के साथ मौज मस्ती में मसरूफ़ हो गये।

बहन की चूत के ऊपर थोड़ी देर अपने हाथ की उंगलियो को फेरने और साथ ही साथ उस के नर्मो नाज़ुक होंठो को चूसने के बाद जमशेद के हाथ अपनी बहन के बुर्क़े के बटन को खोलने लगी।

जमशेद ने एक-एक कर नीलोफर के बुर्क़े के सारे बटन खोलने के बाद अपने हाथों से अपनी बेहन के बुर्क़े को उस के जिस्म से अलहदा कर दिया।और फिर एक-एक कर के अपने और अपनी बहन के कपड़े उतारने लगा।

इधर बाथरूम में कमोड पर बैठे एएसआइ ज़ाहिद ने पिशाब करने के बाद लोटे के पानी से लंड को धोया।और फिर कमरे में माजूद बहन भाई के मुतलक सोच-सोच कर अपने मोटे ताज़े लंड के ऊपर आहिस्ता-आहिस्ता अपने हाथ को फैरने लगा।

ज़ाहिद के हाथ में उस का लौडा बुरी तरह से फॅन फनाया हुआ था।

ज़ाहिद अपने दोस्तों में एक मशहूर फुददी फाड़ था।

उस की वज़ह उस के लंड की लंबाई और मोटाई के साथ-साथ उस के लंड की मोटी टोपी भी थी।

ज़ाहिद औरत की फुददी चोदते वक़्त एक वहशी जानवर बन जाता और जब भी वह अपने लंड की टोपी को किसी औरत की चूत में डालता तो लंड की टोपी औरत की चूत की दीवारो को तार-तार कर देती थी।

आज तक ज़ाहिद ने जितनी भी औरतों को चोदा था। वह सिर्फ़ और सिर्फ़ अपनी हवस को मिटाने के लिए चोदा था।

और बे शुमार चूतो के रस को पी चूकने वाले ज़ाहिद के लंड को अभी तक वह औरत नहीं मिल पाई थी। जिस को वह अपनी हवस की खातिर एक वहसी जानवर बन कर नहीं बल्कि अपनी जान बना कर प्यार से चोद सके. मगर ज़ाहिद के दिल और लंड की यह ख्वाइश अभी तक अधूरी ही थी।

ज़ाहिद को बाथरूम में आए हुए चन्द मिनिट्स बीत चुके थे। इस लिए उसे अब यह यक़ीन हो चुका था। कि अगर जमशेद और उस की बहन नीलोफर ने उस की धमकी को सीरीयस लिया है तो अब तक वह दोनों एक दूसरे के साथ चुदाई शुरू कर चुके होंगे ।

ज़ाहिद दोनों बहन भाई की चुदाई देखने के लिए बे क़रार था।

वो कमोड से उठा और अपनी पॅंट को बाथरूम के फ़र्श पर गिरा कर आधा नंगा आहिस्ता-आहिस्ता चलता हुआ बाथरूम के दरवाज़े तक आया और दरवाज़े को हल्का से खोल कर कमरे के अंदर के मंज़र का जायज़ा लेने लगा।

कमरे के अंदर का मंज़र देख कर ज़ाहिद के जिस्म में जोश और मस्ती छाने लगी।

कमरे के बिस्तर पर नीलोफर अपने कपड़ों की क़ैद से आज़ाद बिल्कुल नंगी लेटी हुई अपनी प्यासी चूत पर अपने हाथ को आहिस्ता-आहिस्ता फेर कर प्यार कर रही थी।

उस की फूली हुई गोरी चूत के गुलाबी होंठो से रस की बूंदे टपक रही थींl

नीलोफर की गोरी-गोरी टाँगों के दरमियाँ में, किसी भी क़िस्म के बालों के बगैर, नेलोफर की सॉफ शफ़फ़ और गुलाब की पंखुड़ियों की तरह से चिपकी हुई चूत की दरार को देख कर ज़ाहिद के मुँह से राल टपकने लगी।

कमरे में जमशेद अपनी बहन के पैरों की तरफ़ बिल्कुल नंगा खड़ा था।

उस का गरम, लंबा, मोटा और चुदाई के लिए पूरा तैयार, उस का लंड कमरे की छत की तरफ़ अपना मूह उठाए एक क्षण से खड़ा था।

जमशेद की नज़रें अपनी बहन की चूत पर जमी हुई थीं। जब के वह साथ-साथ अपने मोटे सख़्त लंड को अपने हाथ में ले कर मूठ भी लगा रहा था।

कमरे का यह मंज़र देख कर ज़ाहिद के जिस्म और लंड की गर्मी ने और जोश मारना शुरू कर दिया।

जमशेद की तरह ज़ाहिद का हाथ भी फिर से उस के लंड पर आया और वह भी दोनों बहन भाई को देखते हुए अपने लंड से खैलने लगा।

उधर कमरे में आहिस्ता-आहिस्ता चलता हुआ जमशेद बिस्तर पर लेटी हुई अपनी बेहन की तरफ़ बढ़ा और फिर नीलोफर के पैरों की तरफ़ से बिस्तर पर चढ़ गया।

जमशेद अब बिस्तर पर लेटी हुई अपनी बहन के नज़दीक आया और फिर नीलोफर के एक पैर को आहिस्ता से उठा कर अपने हाथ में लिया और अपनी बेहन के पैर की उंगलियो को अपने मुँह में भर कर उन को एक-एक कर के चाटने लगा।

ज्यों ही जमशेद ने नीलोफर के पावं की उंगलियों को चाटना शुरू किया तो मज़े से बेकाबू होते हुए नीलोफर के मुँह से बे सखता एक चीख निकल गई.और उस की चूत से पानी का एक फव्वारा छूटने लगा।

बेहन के पाँव की उंगिलियो को चूस्ते-चूस्ते जमशेद ने साथ ही साथ अपने एक हाथ को अपनी बहन के कसे हुए मम्मों पर रखा ऑर दूसरे हाथ की उंगली को अपनी बेहन की बुरी तरहा से गीली हो चुकी फुददी के अंदर डाल कर बहन की चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा।

नीलोफर को उस के भाई के मुँह और हाथों ने इतना बे चैन कर दिया के वह ख़ुद को रोक नहीं पाईl

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