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Click hereनीलोफर को अपने भाई के इस अंदाज़ से हैरत हुई और उस ने ख़ुद अपने मुँह में घुसे हुए ज़ाहिद के लंड को निकालने की एक नाकाम कॉसिश की।मगर ज़ाहिद के मज़बूत हाथो ने उस के कमज़ोर बाज़ुओं को अपनी जकड में ले लिया और वह कुछ ना कर पाईl
ज़ाहिद ने अब अपनी गान्ड को हल्का-हल्का आगे पीछे हिलाना शुरू किया।
नीलोफर के थूक से ज़ाहिद का लंड गीला हो चुका था। इस वज़ह से अब ज़ाहिद का लंड नीलोफर के नरम होंठो से रगड़ ख़ाता उस के मुँह में आसानी से अंदर बाहर होने लगा।
ज़ाहिद का लंड बहुत मोटा था।इस लिए नीलोफर को ज़ाहिद का लंड अपने मुँह में लेने के लिए अपना पूरा मुँह खोलना पड़ रहा था।
नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में जाने से रोकने के लिए थोड़ी मुज़मत तो की।
मगर आज अपने जिस्म को दो मर्दो के हाथो में खेलता हुआ पा कर उस का अपने उपर कंट्रोल टूट गया और उस की चूत बुरी तरह गीली होने लगी।
नीलोफर का दिल और दिमाग़ तो उसे रोकने की कॉसिश में थे। मगर उस की चूत में लगी हुई आग उसे किसी और ही बात पर बहका रही थी।
उस समझ आने लगा कि मुज़हमत का कोई फ़ायदा नहीं है। इस लिए उस ने भी जज़्बात की रौ में बह कर ज़ाहिद के लंड को पकड़ लिया और उसे अपने मुँह में डालने लगी।
अपनी बेहन की इस हरकत को देख कर जमशेद को भी जोश आ गया ऑर वह भी स्पीड में आते हुए अपनी बेहन की चूत में तेज-तेज घस्से मारने लगा।
जमशेद गान्डू (गे) तो नहीं था। मगर इस के बावजूद अपनी बेहन के होंठो के दरमियाँ फिरते हुए ज़ाहिद के इतने बड़े और मोटे लंड को देख कर वह अपने ऊपर काबू ना रख पाया।
और फिर अपनी बेहन को चोदते-चोदते जमशेद को नज़ाने की सूझी। के उस ने भी अपनी बेहन के ऊपर लेटते हुए नीलोफर के मुँह में धन्से हुए ज़ाहिद के मोटे तगड़े लंड के ऊपर अपनी ज़ुबान रख दी और ज़ाहिद का लंड सक करने लगा।
जमशेद को यूँ ज़ाहिद का लंड चुसते देख कर नीलोफर और ज़ाहिद दोनों के मुँह से एक सिसकारी निकली "आआआ!"
जमशेद ने जो हरकत की उस ने ना सिर्फ़ ज़ाहिद बल्कि नीलोफर को भी हक्का बक्का कर दिया।
"भाई यह आप क्या कर रहे हैं" नीलोफर ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह से निकालते हुए ज़ोर से चिल्लाईl
"उफफफफफफफ्फ़ मेरी जान, यह हरगिज़ मत समझना कि में गान्डु हूँ। बस बात यह है कि आज तुम को अपने सामने किसी और मर्द का लंड चूस्ते देख कर में भी हवस की आग में बहक गया हूँ" जमशेद ने ज़ाहिद के लंड से अपनी ज़ुबान हटाते हुए जवाब दिया।
जमशेद अपनी इस हरकत से ख़ुद भी बहुत शर्मिंदा हुआ।उस को अब अपनी बेहन से आँखे मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी।इस लिए वह नीलोफर से नज़रें चुराते हुए थोड़ा नीचे झुका और अपनी बेहन के तने हुए निपल्स को मुँह में भर कर प्यार करने लगा।
अपने भाई को यूँ दीवाना वार किसी और मर्द के लंड की चुसाइ लगाती देख कर निलफोर की चूत में से उस का पानी एक फव्वारे की तरह बहने लगा।
उस ने भी अब और जोश में आते हुए ज़ाहिद के लंड की टोपी को अपने मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया।
जब के नीचे से उस की फुद्दि अब पहले से ज़्यादा तेज़ी से उठा और उठ कर अपने भाई के लंड को अपने अंदर समाने लगी।
एएसआइ ज़ाहिद के लिए भी उस की ज़िन्दगी का यह पहला तजुर्बा था। जब दो ज़ुबाने एक साथ उस के लंड पर चल रही थीं।
और वह दो ज़ुबाने ना सिर्फ़ एक मर्द और एक औरत की थीं। बल्कि वह दोनों मर्द औरत आपस में बेहन भाई भी थे।
ज़ाहिद ने भी जोश में आते हुए नीलोफर को उस के सर से पकड़ लिया ऑर ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड नीलोफर के मुँह में आगे पीछे करने लगा। कि जैसे वह नीलोफर के मुँह को चोद रहा है l
एएसआइ ज़ाहिद का लंड नीलोफर के मुँह में जा कर अब मज़ीद सख़्त ओर लंबा होता जा रहा था।
अपने भाई से चुदवाते हुए नीलोफर भी ज़ाहिद के लंड को मज़े-मज़े से चूसने लगी।
कमरे में बिछे बिस्तर पर उन तीनो की चुदाई कुछ देर इसी अंदाज़ में जारी रही।
फिर कुछ मिनिट्स के बाद जमशेद अपना लंड अपनी बेहन की चूत से बाहर निकल कर ख़ुद बिस्तर पर लेट गया और नीलोफर को अपने हवा में तने हुए लंड पर आन कर बैठ जाने का कहा।
अपने भाई के हुकम की तकमील करते हुए नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह से निकाला और अपने भाई के बदन के ऊपर जा कर उस के लौडे को अपने हाथ में था और आहिस्ता-आहिस्ता अपने जिस्म को नीचे लाने लगी।जिस वज़ह से जमशेद का लंड इंच बाइ इंच उस की बेहन की चूत में समाने लगा।
जब नीलोफर अपने भाई के लंड को उस की जड़ तक अपने अंदर ले चुकी। तो वह अपने भाई के लंड पर बैठ कर ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूत को अपने भाई के लंड से चुदवाने लगी।
इस पोज़िशन में नीलोफर की तंग चूत में उस के भाई जमशेद का लंड बहुत ही ज़्यादा फँस-फँस कर अंदर बाहर हो रहा था।
जिस की वज़ह से नीलोफर को बहुत मज़ा आ रहा था और पूरे कमरे में उस की लज़्ज़त भरी तेज चीखे गूँज रहीं थीं।
आ आह! फफूऊ! ईई! उफफ! भाई आप बहुत अच्छी चुदाई करते हैं।
आआआआआहह! मुझे बहुत मज़ा आ रहा है उउफ प्लीज़ और तेज झटके मारो उउफफ्फ़! और ज़ोर से मेरी चुदाई करो।
जमशेद अपनी बेहन की लज़्ज़त भरी चीखे सुन कर और तेज़ी से उस की प्यासी चूत को चोदने लगा।
जमशेद के ज़ोर दार झटकों की वज़ह से उस की बेहन उस के लंड पर बैठी लज़्ज़त से बुरी तरह मचल रही थी।
ज़ाहिद पहले तो कुछ देर यूँ ही खड़ा दोनों बेहन भाई की चुदाई का नज़ारा देख कर मूठ लगाता रहा।
फिर चन्द लम्हे बाद वह उठ कर नीलोफर के पीछे आन बैठा और जमशेद के लंड को उस की बेहन की चूत में आते जाते देखने लगा।
जमशेद के लंड के ऊपर झुक कर बैठने की वज़ह से नीलोफर की टाँगे चौड़ी हो रही थीं।
जिस की वज़ह से उस के पीछे बैठे एएसआइ ज़ाहिद को नीलोफर की गान्ड का हल्का-हल्का खुलता और बंद होता ब्राउन कलर का सुराख बिल्कुल सॉफ दिखाई देने लगा।
एएसआइ ज़ाहिद इस से पहले काफ़ी औरतो की गान्ड को चोद चुका था।इस लिए नीलोफर की गान्ड के सुराख को पहली नज़र में ही देख कर ज़ाहिद के तजुर्बे ने उसे बता दिया कि नीलोफर की गान्ड अभी तक कंवारी है।
नीलोफर की मोटी और उभरी हुई गान्ड के कंवारे ब्राउन सुराख को देख कर ज़ाहिद का लंड ख़ुशी से उछलने लगा।
कहानी जारी रहेगी