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Click hereनये घर में मूव होने के कुछ दिन बाद एक दिन ज़ाहिद दोपहर को जब अपने घर आया तो उस वक़्त उस की बेहन शाज़िया टीवी लाउन्ज में बैठी "आम" (मॅंगो) चूस रही थी।
शाज़िया दुपट्टे के बैगर झुक कर इस तरह बैठी हुई थी। कि उस की कमीज़ के गले में से शाज़िया के मोटी और भारी चूचों की हल्की ही लकीर वाइज़ा हो रही थी।
आम चूस्ती शाज़िया की नज़र ज्यों ही टीवी लाउन्ज में दाखिल होते अपने भाई ज़ाहिद पर पड़ी तो उस ने फॉरन भाई को आम खाने की दावत देते हुए पूछा"भाई आओ आम खा लो" ।
पिछले चन्द महीनो में काम की मसरूफ़ियत और नीलोफर से भरपूर चुदाई की वज़ह से ज़ाहिद के दिमाग़ से अपनी बेहन शाज़िया के बारे में पेदा होने वाली सोच कुछ कम तो ज़रूर हुई मगर मुकमल ख़तम नहीं हो पाई थी।
इस लिए आज अपनी बेहन को यूँ आम खाता देख कर ज़ाहिद के ज़हन में अपनी बेहन से थोड़ी मस्ती करने का ख़्याल आने लगा।
"हाँ में ज़रूर आम खाउन्गा, अपने घर के आमो का जो मज़ा है वह बाहर कहाँ मिलता है" ज़ाहिद की नज़र बे इख्तियार अपनी बेहन के चूचों की दरमियानी लकीर पर पड़ी और उस ने अपनी बेहन शाज़िया के चूचों पर नज़रें जमाते हुए कहा।
"अच्छा आप बैठो में अभी उन को काट कर आप के लिए लाती हूँ" शाज़िया अपने भाई की "ज़ू महनी" (द्विअर्थी बात) बात को ना समझते हुए बोली।
"मुझे ऐसे ही दे दो, क्योंकि वैसे भी मुझे काट कर खाने की बजाय" आम चूसना"ज़्यादा पसंद है" ज़ाहिद ने फिर अपनी बेहन को एक ज़ू महनी जुमला (द्विअर्थी बात) बोला और अपने दिल में ही मुस्कुराने लगा।
शाज़िया ने अपने सामने पड़ी प्लेट में रखा हुआ एक आम अपने भाई को दिया और ख़ुद मज़े ले-ले कर दुबारा अपने हाथ में पकड़े हुए आम को चूसने लगी।
अपनी बेहन को आम का छिलका चूस्ते देख कर ज़ाहिद के दिल में ख़्याल आया कि काश उस की बेहन एक दिन उस का लंड भी इतने ही प्यार से चूसे तो ज़ाहिद को स्वाद ही आ जाय।
यह सोच कर ज़ाहिद का लंड अपनी बेहन के लिए गरम हो कर उस की पॅंट में उछल कूद करने लगा।
ज़ाहिद नहीं चाहता था कि उस की पॅंट में खड़े होते उस के लंड पर उस की अम्मी या बेहन की नज़र पड़े । इस लिए वह प्लेट अपनी हाथ में थामे हुए आम को अपनी बेहन के मोटे मम्मे समझ कर चूस्ता हुआ अपने कमरे में चला आया।
शाज़िया के इस नये घर में मूव होने की वज़ह से अब यह हुआ कि अब नीलोफर भी उसी स्कूल वॅन में स्कूल आने जाने लगी। जिस वॅन में शाज़िया सफ़र करती थी।
इस की वज़ह यह थी। कि नीलोफर का घर झेलम सिटी की नई आबादी प्रोफ़ेसेर कॉलोनी में वाकीया था। जो कि बिलाल टाउन के रास्ते में पड़ती है।
इस लिए नीलोफर ने जान बूझ कर शाज़िया की वॅन में आना शुरू कर दिया । जिस वज़ह से अब नीलोफर और शाज़िया का हर रोज़ काफ़ी टाइम एक साथ गुज़रने लगा।
शुरू शुरू में तो नीलोफर शाज़िया से फ्री ना हुई. मगर फिर उन में बात चीत स्टार्ट हो ही गईl
बात चीत को आगे बढ़ाते हुए नीलोफर ने आहिस्ता-आहिस्ता शाज़िया को उस के मोबाइल फ़ोन पर फनी पिक्चर्स और लतीफ़े सेंड कर शुरू कर दिएl
जिस के जवाब में शाज़िया भी नीलोफर को उसी तरह के जोक्स देने लगी और फिर आहिस्ता-आहिस्ता वह दोनों अच्छी दोस्त बन गईl
उसी दौरान एएसआइ ज़ाहिद ने एक हेरोइन स्मगलिंग का एक ऐसा केस पकड़ा जिस से उस को काफ़ी पैसे रिश्वत में हाँसिल हुएl
इन रिश्वत के पैसो से ज़ाहिद ने आहिस्ता-आहिस्ता कर के अपने और अपने घर के हालात बदलना शुरू कर दिएl
ज़ाहिद ने अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर रुपए पैसे की रेल पेल कर दी।
रज़िया को जब ग़ुरबत के बाद इतना पैसा एक दम देखने को मिला तो वह भी लालची हो गईl
और अपने बेटे से यह पूछने की बजाय कि बेटा यह पैसे किधर से आ रहा है।
रज़िया बीबी तो इस बात पर ही खुश थी कि उन के दिन भी फिर गए हैं।
उस ने भी अपने बेटे की रिश्वत के पैसे से अपनी ख्वाहिशे पूरी करना शुरू कर दीं और फिर देखते ही देखते रज़िया बीबी की हालत यह हो गई कि उसे याद ही ना रहा कि वह कभी ग़रीब भी होती थी।
ज़िंदगी अपनी डगर पर चल रही थी। नीलोफर एक तरफ़ तो ज़ाहिद से अपनी चुदाई करवा रही थी। जब कि दूसरी तरफ़ शाज़िया को फन्नी पिक्चर और लतीफ़े सेंड करने के साथ-साथ अब नीलोफर ने कुछ ज़ू महनी (द्विअर्थी) और थोड़ा गंदे लतीफ़े भी सेंड करना शुरू कर दिए.
पहले तो शाज़िया को यह बात कुछ अजीब लगी मगर उस ने नीलोफर से कोई ऐतराज भी ना किया।
बल्कि कुछ टाइम बाद उसे नीलोफर के भेजे हुए गंदे और डबल मीनिंग वाले जोक्स अच्छे लगने लगे और फिर उस ने भी नीलोफर को उसी तरह के एसएमएस भेजना शुरू कर दिएl
जब नीलोफर को अंदाज़ा हुआ कि शाज़िया उस की डगर पर चलने लगी है तो उस ने एसएमएस की डोज बढ़ाने का सोचा।
एक दिन स्कूल से वापसी पर नीलोफर ने वॅन में साथ बैठी शाज़िया से सेरगोशी में कहा"आज रात अपना मोबाइल पास रखना में तुम को कुछ ख़ास पिक्स सेंड करूँगी l"
शाज़िया को ताजूसोस हुआ और उस ने नीलोफर से डीटेल पूछना चाही मगर नीलोफर ने मज़ीद कुछ कहने से इनकार कर दिया।
शाज़िया रात के 11 बजे अपने घर के तमाम काम काज ख़तम कर के अपने कमरे में आई और दरवाज़े को कुण्डी लगा कर अपने बिस्तर पर लेट गईl
उसे अभी लेटे हुए 5 मिनट्स ही गुज़रे कि उस के मोबाइल पर नीलोफर का एसएमएस आया"अभी जाग रही हो ना?"
"हां" शाज़िया ने रिप्लाइ किया।
"अकेली हो ना" नीलोफर ने पूछा।
"हाँ बाबा" शाज़िया ने जवाब सेंड किया।
"अच्छा तो दिल थाम कर बैठो क्योंकि अब में जो तुम को चीज़ सेंड कर रही हूँ वह तुम्हारे होश उड़ा दे गी" नीलोफर ने लिखा।
"ऐसी किया चीज़ है यार" शाज़िया ने ताजूसोस से सवाल किया।
"कभी इंडियन और पाकिस्तानी आक्ट्रेस की तस्वीरे देखी हैं" नीलोफर ने शाज़िया से पूछा।
"यार एक बार नहीं कई बार, और उन में कॉन-सी होश उड़ा देने वाली बात है" शाज़िया ने कहा।
"बेवक़ूफ़ वह वाले नॉर्मल फोटो नही, बल्कि नंगे फोटोस" । नीलोफर ने रिप्लाइ किया।
नीलोफर का मेसेज पढ़ते ही शाज़िया के जिस्म में एक करेंट-सी दौड़ गई.
उस की समझ में नहीं आ रहा था कि नीलोफर आज किस किसम की बातें करने लगी थी।
शाज़िया ने इरादा किया कि वह नीलोफर से इस मोज़ू पर मज़ीद बात ना करे और खुदा हाफ़िज़ कह कर सो जाय।
मगर हक़ीकत यह थी कि नीलोफर की लास्ट मेसेज ने उस के दिल में एक इश्तियाक पेदा कर दिया और ना चाहते हुए भी उस ने हैरानी के आलम में नीलोफर को रिप्लाइ किया "नीलोफर तुम पागल तो नहीं हो इंडियन और पाकिस्तानी आक्ट्रेस की भला नंगी तस्वीरे कैसे हो सकती हैं?"
नीलोफर ने जब शाज़िया का यह एसएमएस पढ़ा तो उस को अपने प्लान की पहली मंज़ल सामने नज़र आने लगी और उस के लबों पर एक मुस्कराहट फैल गईl
"कसम से इंडियन और पाकिस्तानी आक्ट्रेस की नंगे फोटो हैं, यकीन ना आए तो ख़ुद देख लो" नीलोफर ने पहले रेग्युलर रिप्लाइ किया।
फिर साथ ही उस ने शाज़िया को "व्हाट्सअप" के ज़रिए चन्द पिक्स सेंड कर दी।
(दोस्तो मुझे यक़ीन है कि आप में से अक्सर "व्हाट्सअप और वाइबर" जैसी स्मार्ट फ़ोन अप्स के बारे में जानते हैं।
लेकिन जो चन्द दोस्त नहीं जानते उन के लिए अर्ज़ है कि इन अप्लिकेशन्स के ज़रिए लोग स्मार्ट फोन्स पर एक दूसरे के साथ ना सिर्फ़ फ्री बात कर सकते हैं बल्कि टेक्स्ट, वीडियोस और फोटो शेयर कर सकते हैं।)
ज्यों ही शाज़िया ने व्हाट्सअप पर नीलोफर की भेजी हुई पिक्स डाउनलोड कर के देखीं तो उस के जिस्म का जैसे खून ही खुशक हो गया।
नीलोफर की सेंड की हुई फोटोस वाकई ही इंडियन आक्ट्रेस ही की थीं। मगर शाज़िया को यह अंदाज़ा नहीं था कि यह सब फेक फोटोस हैं।
इन फोटोस में काजोल, करीना कपूर, कटरीना कैफ़, रवीना टॅंडन और पाकिस्तान आक्ट्रेस रीमा, सबा केयैमर और सहिस्ता वहदी और काफ़ी सारी दूसरी आक्ट्रेस शामिल थीं।
जिन में वह सारी आक्ट्रेस मुक्तिलफ स्टाइल्स में बिल्कुल नंगी थीं।
कुछ के अकेले में फोटो शूट थे। जब के कुछ फोटोस में वह मुक्तिलफ मर्दों से चुदवाने में मसरूफ़ थीं।
यह सारी तस्वीरे देख कर शाज़िया तो हैरान रह गई और वह गरम भी होने लगी।
शाज़िया अभी इन फोटोस को देखने में मसगूल थी कि नीलोफर का दुबारा मेसेज आया। "क्यों अब यक़ीन आया मेरी बानू को"
"तोबा हाइ नीलोफर में तो इन सब को बहुत शरीफ़ समझती थी" शाज़िया ने अपने माथे पर आए हुए पसीने को पोंछते हुए, काँपते हाथो से नीलोफर को रिप्लाइ किया।
"मेरी जान यहाँ शरीफ़ सिर्फ़ वह है जिसे मोका ना मिले" नीलोफर का जवाब आया।
"हाँ यह तो है" शाज़िया ने नीलोफर की बात से अग्री करते हुए उसे जवाब दिया।
रात काफ़ी हो चुकी थी इस लिए शाज़िया ने नीलोफर से कल सुबह मिलने का कह कर फ़ोन बंद कर दिया।
आज इस क़िस्म के नंगे फोटो देख कर शाज़िया के बदन में गर्मी के मारे एक मस्ती-सी चढ़ने लगी।
इस मस्ती में आते हुए शाज़िया अपने बाथरूम में गई और पेशाब करने के बाद अपनी शलवार कमीज़ उतार कर बिल्कुल नंगी हालत में अपने कमरे में चली आईl
कमरे में दाखिल होते ही शाज़िया की नज़र कमरे में लगे आईने पर पड़ी तो अपनी भारी छातियो और मोटी और भारी गान्ड को देख कर ख़ुद शरमा गईl
शाज़िया को पहली नज़र में देखने वाले का ध्यान हमेशा सब से पहले उस की छातियों और उस के चुतड़ों पर ही जाता था।
शाज़िया अपने जिस्म को देख कर फख्र महसूस कर रही थी।कि 30 साल तलाक़ याफ़्ता होते हुए उस की फिगर बहुत मस्त और कसी हुई थी।
अपनी मिड्ल एज में आ कर भी वह बिल्कुल नहीं बदली बल्कि अब तो उस का बदन पहले से भी ज़्यादा निखर कर और पूर्कश हो गया था।
शाज़िया ने आईने के सामने खड़े-खड़े अपने चूचों के गुलाबी दानो पर नज़र दौड़ाईl
फिर वह अपने हाथों से अपने दोनों चूचों को पकड़ कर अपने हाथ से सहलाने लगी।
अपने हाथ अपने चूचों पर लगते ही शाज़िया की चूत और ज़्यादा गरम होने लगी।
शाज़िया ने अपने हाथों से चूचों को सहलाते हुए अपनी उंगलियों से अपने दोनों चूचों के गुलाबी दाने पकड़ लिए और उन्हे अपनी उंगलियों के दरमियाँ में ले कर दबाने लगी, "आहह अपने चूचों के निपल्स पर दबाव पड़ते ही शाज़िया के मुँह से सिसकी निकल गईl"
कुछ देर तक मज़े से अपनी आँखें बंद कर के अपने चूचों को सहलाने के बाद अपनी शाज़िया ने अपनी आँखें खोलते हुए अपनी छातियों से अपने हाथ हटा दिएl
शाज़िया अब शीशे में अपनी चूत को देखने लगी। क्योंकि शाज़िया ने कुछ दिन पहले अपनी चूत के बाल हेर रिमूव लगा कर सॉफ किए थे। इस लिए अब उस की चूत पर हल्के-हल्के बाल उग आए थे।
जब खड़े-खड़े शाज़िया की टाँगों में दर्द होने लगा तो वह शीशे के सामने पड़े एक स्टूल पर बैठ गई.
शाज़िया ने स्टूल पर बैठे हुए अपनी टाँगें फेला दीं और सामने लगे शीशे में अपने आप को देखने लगी।
उस ने देखा कि उस के बाक़ी जिस्म की तरह उस की चूत भी साँवली है ।
उस की चूत के उपर एक दाना है जब कि उस की चूत के मोटे-मोटे होंठ आपस में एक दूसरे से बिल्कुल जुड़े हुए हैं।
शाज़िया ने अपनी चूत को इस से पहले भी कई दफ़ा देखा था। मगर इतनी ग़ौर से आज पहली दफ़ा अपनी फुद्दि का जायज़ा ले रही थी।
शाज़िया अपना हाथ अपनी चूत के दाने पर रख कर उसे सहलाने लगी, "आहह ष्ह्ह्ह" चूत के दाने को छूते ही शाज़िया का पूरा जिस्म काँप उठा और उस की चूत में से ज़ियादा पानी निकलने लगा।
शाज़िया अब अपना हाथ नीचे करते हुए अपनी चूत के होंठो पर फिराने लगी ... और अपने दोनों हाथों से अपनी चूत के होंठो को अलग करते हुए आईने में देखने लगी, उसे अपनी चूत के होंठो के बीच में सिर्फ़ लाल रंग नज़र आने लगा ...!
शाज़िया ने अपनी चूत के होंठो को छोड़ते हुए अपने एक हाथ से अपनी चूत के दाने को सहलाते हुए दूसरे हाथ की उंगली से अपनी चूत के छेड़ को कुरेदने लगी, ऐसा करते हुए शाज़िया को बहुत मज़ा आ रहा था ...!
जिस वक़्त शाज़िया अपने कमरे में लेट कर अपनी चूत में उंगली कर रही थी। उसी वक़्त कमरे से बाहर उस की अम्मी रज़िया बीबी अपने कमरे से निकल कर बाथरूम की तरफ़ गईl
बाथरूम से वापसी के वक़्त जब रज़िया बीबी अपनी बेटी के कमरे के पास से गुज़री तो उस के कानों में शाज़िया की सिसकारी पड़ी जिन को सुन कर रज़िया बीबी के क़दम अंदर ही थम गये।
अपनी बेटी की लज़्ज़त भरी सिसकारियाँ सुन कर रज़िया बीबी को यक़ीन हो गया कि आज फिर उस की बेटी अपनी उंगली से अपनी गरम चूत को ठंडा करने की कॉसिश में है।
रज़िया बीबी थोड़ी देर अपनी बेटी की आवाज़े सुनती रही और फिर जब कमरे से आवाज़ आनी बंद हुई तो उसे पता चल गया कि शाज़िया उंगली मार कर फारिग हो चुकी है।
इस लिए अब रज़िया बीबी भी अपने कमरे में चली आई और आ कर सो गई. आज सोने से पहले रज़िया बीबी ने अपने दिल में यह फ़ैसला कर लिया था कि वह सुबह अपनी बेटी से बात करे गी। कि वह कब तक ऐसे घुट-घुट कर अपनी जवानी को ज़ाया करती रहेगी।इस लिए बेहतर हो गा कि वह दुबारा शादी कर ले।
रात बार की थकि मांदी शाज़िया अगली सुबह हस्बे मामूल देर से उठी।
तो उस के पास इतना भी टाइम नहीं था कि वह सकून से नाश्ता भी कर सकेl
शाज़िया ने जल्दी से हाथ मुँह धो कर अपने स्कूल जाने की तैयारी की और चाइ के एक दो घूँट जल्दी से भर कर बाहर खड़ी अपनी स्कूल वॅन में जा बैठी।
ज्यों ही वॅन जब नीलोफर के घर पहुँची तो नीलोफर की रात वाली फोटोस को याद कर के शाज़िया की हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह अपनी दोस्त का सामना कर पाए. मगर जब नीलोफर वॅन में आ कर शाज़िया के साथ बैठी तो उस ने ऐसे ज़ाहिर किया कि जैसे कोई बात हुई ही ना हो।
नीलोफर का रवईया देख कर शाज़िया की हालत संभली।
फिर स्कूल में सारा दिन दोनों के दरमियाँ रात वाले वकीये पर कोई बात ना हुई. जिस की वज़ह से शाज़िया पुरसकून हो गईl
स्कूल से वापसी पर घर जाते वक़्त बारिश स्टार्ट हो गई. तो नीलोफर और शाज़िया के कपड़े वॅन में बैठे-बैठे भीग गये।
आज नीलोफर के सास और सुसर अपनी एक बेटी को मिलने उस के घर गुजरात गये हुए थे । जिस की वज़ह से नीलोफर अपने घर में शाम तक अकेली थी।
वॅन में बैठ कर नीलोफर ने शाज़िया को कहा"यार आज मेरे सास सुसर घर नहीं क्यों ना तुम आज सीधा घर जाने की बजाय थोड़ी देर मेरे पास ही रुक जाओ, हम मिल कर गरमा गरम चाइ पिएँगे और साथ पकौड़े खाएँगे"
शाज़िया: यार आज नहीं फिर कभी।
" यह बात तो तुम हर दफ़ा कहती हो, लगता है तुम्हें हम ग़रीबों के घर आना पसंद नही।नीलोफर ने थोड़ा हल्के गुस्से के अंदाज़ में जवाब दिया।
शाज़िया: यार यह बात नहीं असल में अम्मी को नहीं बताया ना।इस लिए वह फ़िकरमंद हों गीं।
नीलोफर: तो इस में क्या मसला है मेरे घर पहुँच कर अम्मी को फ़ोन पर बता देना कि तुम मेरे घर हो और फिर एक दो घंटे बाद रिक्शे से घर चली जाना।
शाज़िया का दिल तो नहीं चाह रहा था। मगर नीलोफर की ज़िद के आगे हर मानते हुए वह रज़ामंद हो गईl
नीलोफर के घर की गली तंग होने की वज़ह से वॅन वाले ने उन को सड़क पर ही उतारा । जिस की वज़ह से उन दोनों को सड़क से घर तक पैदल चल कर जाना पड़ा।
उस वक़्त चूँकि मुसला धार बारिस हो रही थी। इस लिए नीलोफर के घर तक आते-आते नीलोफर और शाज़िया दोनों बारिश में अच्छी ख़ासी भीग गईं।
घर पहुँच कर शाज़िया ने सब से पहले अपनी अम्मी को फ़ोन पर बता दिया कि वह अपनी दोस्त नीलोफर के घर रुक गई है और शाम तक वापिस अपने घर पहुँच जायगी।
कहानी जारी रहेगी