अम्मी बनी सास 016

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लेस्बियन.
2k words
4.64
338
00

Part 16 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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ज्यों ही शाज़िया फ़ोन से फारिग हुई तो उस ने देखा कि नीलोफर कमरे में उस के सामने ही अपने गीले कपड़े उतार कर दूसरे कपड़े पहनने लगी है।

शाज़िया को यूँ अपने सामने ही नीलोफर को अपने कपड़े उतारते देख कर बहुत शरम महसूस हुई और वह बोली "यार तुम अंदर अपने बाथरूम में जा कर कपड़े पहन लो ना।"

निलफोर शाज़िया की बात सुन कर मुस्कुराइ और बोली "यार इधर तुम्हारे इलावा कौन-सा मर्द है और फिर जो कुछ मेरे पास है वह ही सब तुम्हारे पास है तो फिर तुम से शरम कैसी!"

शाज़िया ने जब देखा कि नीलोफर तो बिना किसी शरम-ओ-हया के उस के सामने ही अपने कपड़े उतारने पर तूल गई है। तो उस ने नीलोफर की तरफ़ से ध्यान हटा कर अपनी नज़रें अपने मोबाइल फ़ोन पर जमा कर उसे देखने लगी।

चाँद लम्हो बाद नीलोफर कपड़े चेंज कर के फारिग हुई. तो उस ने शाज़िया को अपनी अलमारी से अपना एक सूट निकाल कर दिया।

नीलोफर: यार तुम्हारे कपड़े भी काफ़ी भीग चुके हैं इस लिए तुम मेरा यह सूट पहन लो।

शाज़िया: नहीं यार में ठीक हूँ।

नीलोफर: ख़ाक ठीक हो। पागल मत बनो और यह कपड़े चेंज कर लो।

शाज़िया: कोई बात नहीं यार वैसे भी में तुम्हारे मुकाबले में मोटी हूँ इस लिए मुझे तुम्हारे कपड़े शायद नहीं पूरे आएँगे।

"अच्छा यूँ करो कि यह तोलिया ले कर इसे लपेट लो और अपने गीले कपड़ों को ईसतरी से सूखा लो" नीलोफर ने जब देखा कि शाज़िया उस के कपड़े पहनने पर राज़ी नहीं तो उस ने एक बड़ा-सा टॉवल शाज़िया की तरफ़ बढ़ाते हुए कहा।

शाज़िया को तोलिया दे कर नीलोफर चाय और पकौड़े बनाने किचन में चली गई।

जब कि शाज़िया ने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और अपने कपड़े उतार कर नीलोफर का दिया हुआ तोलिया अपने जिस्म के गिर्द लपेट लिया।

शाज़िया ने कमरे में इधर उधर नज़र दौड़ाई तो उसे एक कोने में ईसतरी का टेबल नज़र आया। तो वह अपने कपड़े उठा कर उधर चली गई और अपने गीले कपड़ो को गरम ईसतरी से सुखाने की कोशिश करने लगी।

अभी शाज़िया को अपने कपड़े ईसतरी करते थोड़ी ही देर गुज़री तो उसे यूँ अहसास हुआ कि कोई कमरे में उस के पीछे खड़ा उसे देख रहा है।

उस ने फॉरन पीछे मूड कर देखा तो उस ने नीलोफर को पीछे से अपने जिस्म का बगौर जायज़ा लेते हुए पाया।

शाज़िया ने जब नीलोफर को इस तरह अपने जिस्म को देखते हुए पाया तो उसे नीलोफर के सामने यूँ एक तोलिए में लिपटे नंगे बदन हालत में खड़ा होने में थोड़ी शरम महसूस होने लगी।

शाज़िया: यार तुम ज़रा बाहर जाओ में अभी कपड़े पहन लूँ फिर आना प्लीज़।

नीलोफर शाज़िया की बात सुन कर हंस पड़ी।

शाज़िया: तुम हंस क्यों रही हो।

नीलोफर: अरे यार में भी तो तुम्हारी तरह एक औरत ही हूँ इस लिए मुझ से क्या शरमाना तुम बिना झिझक मेरे सामने ही चेंज कर लो।

शाज़िया: हाँ वह तो ठीक है मगर मुझे बहुत शरम आ रही है।

नीलोफर बाहर जाने की बजाय उधर ही खड़ी शाज़िया को बहुत ग़ौर से देखती रही। शाज़िया को नीलोफर के यूँ इस तरह टक टॅकी बाँध कर देखने पर भी बहुत हैरत हुई।

"ऐसे क्या देख रही हो।" शाज़िया ने नीलोफर से सवाल किया।

"यार आज पहली बार तुम्हें इस तरह देख कर मुझे यह अंदाज़ा हुआ है कि तुम्हारा जिस्म तो बहुत खूबसूरत है। काश में लड़की की बजाय अगर लड़का होती तो सच पूछो तो तुम्हारा यह गुदाज बदन सारा खा जाती।" नीलोफर ने हँसते हुए कहा।

"यह तुम किस क़िस्म की बाते करने लगी हो नीलोफर" शाज़िया को अपनी दोस्त की बात सुन कर शरम तो आइए. मगर एक औरत के मुँह से अपनी तारीफ सुन कर ना जाने क्यों उसे अच्छा भी लगा।

"में सही कह रही हूँ शाज़िया तुम मेरी तमाम सहेलियों में सब से खोब्सूरत सहेली हो" नीलोफर ने अपने हाथ में पकड़ी चाय और पकोड़ो की ट्राइ को कमरे के टेबल पर रखते हुए कहा।

"अच्छा मुझे अब बानू मत तुम ख़ुद भी किसी से कम नही। तुम्हारा शोहर बहुत ही क़िस्मत वाला है जिसे इतनी प्यारी बीवी मिली है" शाज़िया ने बेड की साइड टेबल पर पड़ी नीलोफर और उस के शोहर की फोटो देखते हुए कहा।

"क्या फ़ायदा इस खोबसूरती और जवानी का यार जब शोहर ही पास ना हो" नीलोफर भी अपनी तारीफ सुन कर मुस्कुराइ और शाज़िया के नज़दीक होते हुए बोली।

"नीलोफर तुम फिर भी खुशकिस्मत हो कि साल बाद ही सही मगर अपने शोहर का प्यार तो फिर भी तुम को हासिल हो जाता है, जब कि अपने शोहर से तलाक़ के बाद में तो अकेली रह गई हूँ" शाज़िया ने अफ़सोस भरे लहजे में नीलोफर से कहा।

नीलोफर इतनी देर में शाज़िया के बिल्कुल करीब आन पहुँची थी।

शाज़िया के करीब होते हुए नीलोफर ने कहा "शाज़िया में और तुम अब बहुत अच्छी सहलियाँ बन चुकी हैं। इस लिए में आज तुम को अपनी एक बहुत ही राज़ की बात बताने जा रही हूँ मगर उस से पहले क्या में तुम से एक ज़ाति सवाल पूछ सकती हूँ"? ।

शाज़िया: पूछ लो यार।

नीलोफर: क्या अपनी तलाक़ के बाद तुम्हारा कभी सेक्स करने को दिल नहीं किया? क्या कभी तुम्हारे दिल ने तुम से नहीं कहा कि काश कोई होता जो तुम से प्यार करता, तुम को किस करता, तुम्हारे जिस्म को दबाता और फिर तुम को चोद देता। क्या तेरा दिल नहीं करता कि कोई तुम को चोदे? "

नीलोफर मुझे समझ नहीं आ रही कि आज तुम को क्या हो गया है। आज से पहले तुम ने ऐसी बातें कभी भी नहीं की।" नीलोफर के सवाल पर शाज़िया हक्का बक्का हो गई।

"शाज़िया बच्ची ना बनो प्लीज़ मेरे सवाल का जवाब दो। हो सकता है में तुम्हारी कुछ मदद कर सकूँ" नीलोफर ने शाज़िया की बात को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी बात पर इसरार किया।

"क्यों नहीं होता। में जवान हूँ और तुम ख़ुद ख़ूब अच्छी तरह जानती हो कि शादी के बाद सेक्स हर औरत की ज़रूरत बन जाता है, अब जब कि मेरा शोहर नहीं है तो में कई दफ़ा नहाते वक़्त अपने नंगे जिस्म से छेड़ छाड़ करती हूँ।" शाज़िया ने एक ठंडी साँस ली और अपने दिल का हाल अपनी दोस्त के सामने खोल कर रख दिया।

अपनी बात ख़तम करने के बाद शाज़िया एक लम्हे के लिए ख़ामोश हुई और फिर नीलोफर की तरफ़ देखते हुए पूछा "तुम कैसे अपने शोहर के बगैर पूरा एक साल सबर से गुज़ार लेती हो नीलोफर"?

"सबर, मेरी प्यारी बनो, तुम्हारा क्या ख़्याल है कि तुम्हारी सहेली ने इतना सबर किया हो गा" यह कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया को अपनी बाहों के घेरे में ले लिया।

"क्या" नीलोफर की बात सुन कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुल गया।

"हाँ यार तुम्हारी जानकारी के लिए अर्ज़ है कि तुम्हारी दोस्त अपने शोहर की गैर मौजूदगी में एक दफ़ा नहीं बल्कि कई बार अपनी चूत और गान्ड चुदवा चुकी है और सिर्फ़ किसी एक से नहीं बल्कि दो मुक्तिलफ मर्दों से, क्या समझी।" यह कहते हुए नीलोफर ने पास ही रखे हुए रिमोट की मदद से कमरे के दूसरे कोने में पड़े टीवी और डीवीडी को ऑन कर दिया।

नीलोफर की ज़ुबान से निकले इलफ़ाज़ ने शाज़िया के जिस्म का पसीना छुड़ा दिया।

ज्यों ही टीवी की स्क्रीन ऑन हुई तो उस पर एक होम मेड फ़िल्म ऑन स्टार्ट हो गई ।

इस मूवी में सब से पहले एक कमरे का मंज़र सामने आया जो कि किसी का बेड रूम था।

कुछ देर बाद शलवार कमीज़ में मलबूस लड़की स्क्रीन पर नामो दार हुई. उस लड़की की कमर कमरे की तरफ़ थी।

अभी वह लड़की कमरे में आ कर खड़ी हुई थी। कि पीछे से एक लड़के ने आ कर उस लड़की को अपनी बाहों में बाँधा और उस की गर्दन पर प्यार करना शुरू कर दिया।

लड़की एक दम मूडी तो उस का चेहरा सामने आया। जिस को देख कर शाज़िया की आँखे फटी की फटी रह गईं।

स्क्रीन पर नज़र आने वाली लड़की कोई और नहीं उस की दोस्त नीलोफर थी। जो वैसे तो हर वक़्त बुर्क़ा पहन कर ऐसे नाटक करती रहती थी। जैसे उस से बढ़ कर कोई शरीफ़ इस दुनिया में पेदा नहीं हुई थी। मगर अब वह ही शरीफ़ जादी मूवी में एक अजनबी लड़के के लबों से अपने लब जोड़े एक रंडी की तरह फुल किस्सिंग में मसरूफ़ थी।

मूवी को इस तरह शॉट और एडिट किया गया था। कि इस में नज़र आने वाले मर्द का चेहरा नज़र नहीं आ रहा था।

शाज़िया ने ज़रा ग़ौर से टीवी पर दिखाए जाने वाले कमरे पर ग़ौर किया। तो वह समझ गई कि यह तो वह ही कमरा है जिस में वह ख़ुद इस वक़्त खड़ी यह मूवी देख रही थी।

टीवी पर चलने वाले मंज़र में नीलोफर और उस मर्द की किस्सस इतनी ज़्यादा डीप थी ।कि शाज़िया को अपने ही होंठो पर कुछ अजीब-सा महसूस होने लगा। शायद यह शाज़िया के जिस्म की प्यास ही थी। जो उसे ऐसा फील हो रहा था।

जैसे जैसे टीवी पर नीलोफर और उस के यार के प्यार का सीन आगे बढ़ रहा था। वैसे वैसी शाज़िया को अपने जिस्म में गर्मी का अहसास बढ़ता हुआ महसूस हो रहा था।

थोड़ी देर बाद स्क्रीन पर चलती फ़िल्म में नीलोफर और वह लड़का बिल्कुल नंगे हो कर आपस में चुदाई करने लगे। तो अपनी सहेली की गरम चुदाई का मंज़र देख कर शाज़िया की बेचैनी बहुत ज़्यादा बढ़ गई और उस का जिस्म पसीने से भीगने लगा।

शाज़िया को तो पहले ही उस की सहेली नीलोफर की भेजी हुई आक्ट्रेस की नगी तस्वीरो ने पागल कर रखा था। मगर आज अपनी दोस्त नीलोफर की चुदाई की मूवी को देख कर शाजिया के जिस्म में एक ऐसी आग जल उठी थी। जिस को संभालना अब उस के लिए बहुत ही मुस्किल हो रहा था।

शाज़िया को टीवी पर चलने वाली फ़िल्म में खोया हुआ पा कर नीलोफर दिल ही दिल में बहुत खुश हुई और उस ने शाज़िया के चेहरे को अपने हाथो में थामा और शाज़िया की आँखों में अपनी आँखे डाल कर उसे देखने लगी।

नीलोफर ने शाज़िया की आँखों में हवस की आग के शोले बुलंद होते देख लिए थे।

नीलोफर के हाथ अपने चेरे से लगते ही शाज़िया के जिस्म में एक करेंट-सा दौड़ गया।

नीलोफर: शाज़िया मेरी जान तुम भी प्यासी हो और मेरी चूत भी पानी छोड़ रही है। घर खाली है तो फिर क्यों ना इस का फ़ायदा उठाएl

नीलोफर ने शाज़िया के करीब होते हुए उसे अपनी बाहों में भर लिया।

शाज़िया को कस कर अपने साथ चिपटाने से शाज़िया के बड़े-बड़े मम्मे नीलोफर के दरमियाँ साइज़ के चूचों से टकराए और दोनों के मम्मे एक दूसरे में घुसने लगे।

"नीलोफर छोड़ो मुझे, में कॉन-सा कोई लड़का हूँ ।जब तेरे यार मिलें गे तो उन से अपनी प्यास बुझवा लेना" शाज़िया ने अपने जिस्म को नीलोफर की क़ैद से आज़ाद करने की कोशिस करते हुए कहा।

लेकिन नीलोफर पर तो आज जैसे चुदाई का भूत सवार था।

"शाज़िया आज में तुम को यह बात अच्छी तरह सम्झाउन्गी कि जिस तरह एक औरत दूसरी औरत के जज़्बात और अहसासात को समझ सकती है। उस तरह मर्द कभी नहीं जान सकते।" यह कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया के जिस्म के गिर्द लिपटे तोलिये को एक दम खोल दिया। जिस की वज़ह से शाज़िया का जिस्म नीलोफर की निगाहों के सामने पूरा नंगा हो गया।

शाज़िया को नंगा करते ही नीलोफर ने अपना एक हाथ शाज़िया की टाँगों के बीच ला कर उस की गरम चूत पर रखा। जब कि अपने दूसरे हाथ से नीलोफर ने शाज़िया के बाँये मम्मे को काबू करते हुए कहा"ओह शाज़िया तुम्हारी चूत तो किसी आग की भट्टी की तरह तप रही है! और तुम्हारे मम्मे बड़े मस्त हैं, मुझे अपने साथ मस्ती करने दो और ख़ुद भी मेरे साथ मस्ती कर के ज़िंदगी के मज़े लो मेरी रानी!"

यह कहते हुए नीलोफर ने शाज़िया की चूत के ऊपर घुमाते हुए अपने हाथ की एक उंगली को शाज़िया की चूत में "घुपप्प्प" से घुसा दिया।

"हाआआआअ" अपनी चूत में नीलोफर की उंगली को जाता हुआ महसूस कर के शाज़िया के मुँह से सिसकारी निकली। तो उस का बंद मुँह एक दम से ख़ुद ब ख़ुद खुल गया।जिस की वज़ह से नीलोफर की ज़ुबान शाज़िया के मुँह के अंदर दाखिल हो कर उस की ज़ुबान से टकराने लगी।

शाज़िया को अपने मुँह से बे इख्तियार निकलने वाली इस सिसकारी पर हैरत हुई. कि बजाय इस के वह नीलोफर को इस हरकत से रोके.उस की चूत ने तो ना सिर्फ़ नीलोफर की उंगली को अपने अंदर लेना पसंद किया। बल्कि वह तो नीलोफर के पूरे हाथ को अपने अंदर समेटने की तमन्ना करने लगी थी।

कहानी जारी रहेगी

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