अम्मी बनी सास 019

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भाई बहन का सेक्स.
2.8k words
4.22
223
00

Part 19 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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रज़िया बीबी जानती थी कि तलाक़ के बाद जो भी रिश्ता अब तक उस की बेटी शाज़िया के लिए आया था। वह सब मर्द शाज़िया की उमर से काफ़ी बड़े थेl

वैसे एक माँ होने के नाते रज़िया बीबी की भी दिली तमन्ना थी कि उस की बेटी की शादी उसी के हम उमर बंदे से ही हो। मगर रज़िया बीबी अब वह ऐसा रिश्ता लाती तो भी कहाँ से। इस लिए वह अपनी बेटी की बात सुन कर खुश हो गईl

उधर दूसरी तरफ़ शाज़िया के जाने के बाद नीलोफर ने कमरे की अलमारी में रखे हुए वीडियो रिकॉर्डर को चेक किया। तो उसे तसल्ली हो गई कि उस की और शाज़िया की लेज़्बीयन सेक्स की पूरी मूवी बन चुकी है।

मूवी देख कर नीलोफर को तसल्ली हो गई। और फिर उस ने अपने भाई जमशेद को फ़ोन कर के उसे अपने घर बुलाया।

जमशेद तो अपने घर बस अपनी बेहन के फ़ोन के इंतिज़ार में ही बैठा हुआ था। बेहन का फ़ोन सुनते ही वह तो जैसे हवा में उड़ता हुआ अपनी बेहन के घर आन पहुँचा।

जमशेद ने घर की बेल बजाई तो नीलोफर ने अपने नंगे जिस्म के गिर्द एक चादर लपेट कर घर का दरवाज़ा ख़ूला और अपने भाई का इस्तक्बाल किया।

अपने भाई को ले कर नीलोफर ज्यों ही अपने बेड रूम में दाखिल हुई तो जमशेद ने पूछा"तो फिर कैसा गुज़रा आप का वक़्त अपनी सहेली शाज़िया के साथ बाजी" ।

"उफफफफफफफफफ्फ़ क्या बताऊ शाज़िया तो मेरी चूत को इतना गरम कर गई है। कि अब तुम्हारे लंड लिए बैगर इस की प्यास नहीं बुझ पाइए गी भाई" कमरे के अंदर आते ही नीलोफर ने अपने जिस्म के गिर्द लिपटी अपनी चादर को अपने बदन से अलग करते हुए जमशेद से कहा।

यूँ तो अपनी बेहन के बदन को जमशेद बे शुमार मर्तबा ना सिर्फ़ नंगा देख चुका था। बल्कि कितनी दफ़ा वह ख़ुद अपने हाथो से अपनी बेहन के जिस्म से उस के कपड़े उतर कर उसे नंगा कर चुका था। लेकिन इस के बावजूद जमशेद जब भी अपनी बेहन को अपनी आँखों के सामने बे लिबास होते देखता। तो उस को हमेशा ही एक नया स्वाद मिलता।

इस लिए हमेशा की तरह आज भी अपनी बेहन के जिस्म को अपनी आँखों के सामने यूँ नंगा खड़ा देख कर जमशेद की तो बाछे ही खिल गईं।

उस ने एक लम्हे में ही अपने कपड़े उतार कर फ़र्श पर गिराए और फॉरन अपनी बेहन के बदन को अपनी बाहों में भर कर उस के चूचों को हाथ से मसलते हुए नीलोफर के होंठो को चूमने लगा।

दोनो बेहन भाई के लब आपस में टकराए। तो सेक्स की एक लहर उन दोनों के जवान जिस्मो में सर से ले कर पैर तक दौड़ती चली गई।

थोड़ी देर अपनी बेहन के होंठो को चूमने के बाद जमशेद ने नीलोफर को उस के सुहाग वाले बिस्तर पर लिटा दिया! और ख़ुद बिस्तर के नीचे फ़र्श पर अपनी बेहन की खुली हुई टाँगो के दरमियाँ बैठ कर अपनी बेहन की प्यारी चूत को प्यार से देखने लगा!

बेहन की चूत को कुछ देर प्यार से देखते और अपनी ज़ुबान को अपने होंठो पर फेरते हुए जमशेद अपनी नाक को अपनी बेहन की चूत के पास लाया और अंदर की तरफ़ अपनी तेज़ साँस खींचते हुए बोला! "ओह्ह ओह्ह आहह मेरी प्यारी बहन की चूत से कितनी मस्त करने वाली ख़ुश्बू आ रही है, निलो यक़ीन मानो तुम्हारी चूत की ख़ुश्बू दुनिया के सब से महनगे पर्फ्यूम से भी बढ़ कर प्यारी है मेरी जान"।

साथ ही साथ जमशेद ने अपना मुँह खोल कर अपनी बेहन की चूत के लबों को अपने मुँह में भर कर चूमा ।

तो नीलोफर के मुँह से मज़े के मारे सिसकियाँ निकलने लगीं।

नीलोफर अपने भाई के मुँह से अपनी चूत की इतनी तारीफ सुन कर पहले ही गरम हो गई थी। जब कि भाई के होंठो ने उस की जिस्मानी आग पर पेट्रोल का काम किया और वह मज़ीद गरम हो उठी।

मस्ती में डूबते हुए नीलोफर अब अपने भाई के मुँह से अपनी और ज़्यादा तारीफ सुनने के मूड में थी। इस लिए उस ने सिसकियाँ लेते हुए अपने भाई जमशेद से पूछा"ऊऊओह क्या तुम को सिर्फ़ मेरी फुद्दि ही अच्छी लगती है, क्या मेरे मम्मे तुम्हे खूबसूरत नहीं लगते भाई?"

जमशेद: ओह्ह निलो मेरी बेहन में ने आज तक इतनी खूबसूरत चूत और मम्मे नहीं देखे, तुम तो पूरी की पूरी ही मस्त माल हो। अह्ह्ह्ह में कितना खुश क़िस्मत हूँ कि मुझे तुम जैसी खूबसूरत बेहन चोदने को मिली है मेरी जान।

यह कहते ही जमशेद ने अपनी बेहन के गुदाज चुतड़ों पर हाथ रख कर उस की गान्ड को ऊपर उठाया और दुबारा अपने मुँह के नज़दीक किया और अपने मुँह को फिर नीलोफर की चूत पर लगा दिया।

नीलोफर फिर भाई की इस हरकत से मस्ती से बे काबू हो गई। "हाईईईईईईईईईई! लोग सही कहते हैं कि भाई, बहनो की इज़्ज़त के रखवाले होते हैं। तुम वाकई ही एक साँप बन कर अपनी बेहन की चूत के खजाने की हिफ़ाज़त करते हो भाईईईईईईईईईईईईईईई"!

जमशेद ने तीन चार बार बेहन की चूत पर अपनी ज़ुबान फेरी और फिर अपनी ज़ुबान को बेहन की चूत में डाल कर उसे चाटने लगा।

तो मज़े की शिद्दत से बे काबू होते हुए नीलोफर के मुँह से बे इख्तियार यह अल्फ़ाज़ निकल पड़े।

इस मज़े को पा कर नीलोफर तो दुनिया को भूल गई। और नीलोफर मस्ती में आते हुए अपने भाई के सर को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर दबाने लगी।

जमशेद लपर-लपर अपनी बेहन की चूत को चाटने में मसरूफ़ था। कि इतने में पास रखे नीलोफर के मोबाइल फ़ोन की बेल बज उठी।

मज़े की शिद्दत में बेहाल नीलोफर को फ़ोन की बजती बेल बहुत ही नागवार गुज़री और उस ने अपने फ़ोन को नहीं उठाया।

थोड़ी देर जवाब ना मिलने पर फ़ोन करने वाले ने फ़ोन काट दिया तो नीलोफर ने सकून का सांस लिया।

जमशेद अभी तक अपनी बेहन की फुद्दि को खाने में मसरूफ़ था। वह दीवाना वार अपनी ज़ुबान को बेहन की चूत के अंदर तक पेल कर चाट रहा था। और अपनी बेहन की चूत से निकलने वाले रस को भी चाट-चाट कर ख़ाता जा रहा था।

दोनो बेहन भाई अपनी-अपनी मस्ती के जोबन पर थे। कि नीलोफर के मोबाइल फ़ोन की बेल दुबारा बज उठी।

नीलोफर ने झुंझला कर पास पड़े फ़ोन को उठा कर देखा।

"बाजी कौन है जो बार-बार फ़ोन किए जा रहा है" जमशेद ने अपनी बेहन की टाँगो के दरमियाँ फँसे अपने सर को उठाते हुए नीलोफर से पूछा।

"तुम्हारे दूल्हा भाई का फ़ोन है मसकॅट से" नीलोफर ने फ़ोन पर नज़र आते नंबर को देखते हुए थोड़े गुस्से में जमशेद को जवाब दिया।

"तो अप फ़ोन सुन ले ना" जमशेद ने कहा।

"नही अभी तुम अपना काम जारी रखो" नीलोफर ने अपने भाई के सर को पर हाथ रख कर उसे अपनी छूट चाटना जारी रखने का कहा।

"आप फ़ोन सुन लें नहीं तो भाई जान को कहीं कोई शक ना हो जाय" जमशेद ने अपनी बेहन को समझाते हुए कहा।

"अच्छा यार" कहते हुए नीलोफर ने फ़ोन ऑन कर दिया और अपने सर को बिस्तर से उठा कर नीचे अपनी फुद्दि की तरफ़ देखने लगी। तो वह अपनी जम कर चाटी हुई चूत को देख कर खुश हो गई।

"हेलो" नीलोफर ने फ़ोन ऑन करते हुए बोला।

"कहाँ हो इतनी देर से में फ़ोन किय जा रहा हूँ" नीलोफर के शोहर ने दूसरी तरफ़ से पूछा।

"घर ही हूँ, असल में अम्मी अब्बू गुजरात गये हुए हैं और में जमशेद भाई के साथ" खेल"रही हूँ, इस लिए आप के फ़ोन का पता नहीं चला" नीलोफर ने अपनी टाँगो के दरमियाँ खड़े हुए भाई को देखते हुए कहा।

जमशेद अब अपनी बेहन की टाँगों को अपने हाथ में उठा कर उस की चूत पर आहिस्ता-आहिस्ता अपना मोटा लंड रगड़ने में मसरूफ़ था। वह भी अपनी बेहन की खेल वाली ज़ू महनी (द्विअर्थि) बात पर हल्का-सा मुस्करा उठा।

"अच्छा कौन-सी गेम खेल रहे हो तुम दोनों बेहन भाई" नीलोफर के शोहर ने नीलोफर से पूछा।

"हम दोनों" लुडो"खेल रहे हैं।" नीलोफर ने अपने भाई की आँखों में आँखे डालते हुए जवाब दिया।

इतनी देर में जमशेद ने अपनी गान्ड को हल्का-सा झटका दिया तो उस का लंड अपना रास्ता बनाता उस की बेहन की गरम फुद्दि में दाखिल हो गया।

और हमेशा की तरह जमशेद का लंबा लंड उस की बेहन नीलोफर की चूत की गहराइयों में पहुँच कर नीलोफर को मज़ा देने लगा।

ज्यों ही जमशेद का लंड उस की बेहन की फुद्दि में घुसा। तो भाई के गरम, सख़्त और जवान लंड को अपने अंदर दाखिल होता हुआ महसूस कर के नीलोफर के मुँह से रोकने के बावजूद एक हल्की-सी चीख निकल गई "हाईईइ!"

"क्या हुआ" अपनी बीवी की चीख सुन कर नीलोफर के शोहर ने फॉरन पूछा।

"कुछ नहीं बस वह जमशेद भाई के" साँप"ने मेरी" लुडो "के" दाने "को" काट"लिया है। जिस से में भाई के नीचे आ गई हूँ" नीलोफर ने अपने मुँह से निकलने वाली सिसकारियो को कंट्रोल करते हुए कहा। और साथ ही उस ने जमशेद को एक आँख मार दी।

जमशेद अपनी बेहन की इस बात चीत से बहुत महज़ोज़ हो रहा था। उस ने नीलोफर की फुद्दि में अपना लंड पेलते-पेलते आगे बढ़ कर अपनी बहन के जवान सख़्त चूचों को अपने मुँह में भरा और बेहन की चूत को चोदते हुए उस के चूचों को भी चूसने लगा।

"अच्छा जल्दी के साथ जमशेद से बात करवा दो फिर में ने अम्मी अब्बू को गुजरात फ़ोन करना है" नीलोफर के शोहर ने उस कहा।

"भाई यह लो" वो "आप से बात करना चाहते हैं" नीलोफर ने अपने शोहर के अहतिराम में उस का नाम नहीं पुकारा और अपनी फुद्दि में लंड पेलते हुए अपने भाई को फ़ोन पकड़ा दिया।

(वाकई ही नीलोफर अपने शोहर की दिल से इज़्ज़त करती थी। कि वह आहतरम उस का नाम अपनी ज़ुबान पर कभी नहीं लाती थी। । मगर अपने शोहर की सब से ज़्यादा संभाल कर रखने वाली इज़्ज़त (चूत) को उस के साले (अपने सगे भाई) के हाथो ही कई दफ़ा लुटवा चुकी थी)

"हेलो" जमशेद ने फ़ोन हाथ में लेते और अपने लंड अपनी बेहन की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए कहा।

"जमशेद यार अपनी बेहन को खुश और उस का ख़्याल रखा करो, मुझे नीलोफर से तुम्हारी शिकायत नहीं मिलनी चाहिए" नीलोफर के शोहर अपने साले से कहा।

"भाई जान आप फिकर ना करें में आप के कहे बिना ही बाजी का बहुत ख़्याल रख रहा हूँ" जमशेद ने अपने झटके की स्पीड बढ़ाते हुए कहा।

"शाबाश मुझे तुम से यह ही उम्मीद थी, अच्छा अब में ज़रा अम्मी को फ़ोन कर लूँ, फिर बात हो गी" यह कह कर नीलोफर के शोहर ने फ़ोन की लाइन काट दी।

जमशेद ने फ़ोन को बिस्तर पर एक तरफ़ फेंका और पास टेबल पर पड़े टीवी रिमोट को हाथ में ले कर कमरे की दीवार पर लगे टीवी पर नीलोफर और शाज़िया की लेज़्बीयन मूवी को ऑन कर दिया।

फिर जमशेद ने अपने हाथो को अपनी बेहन के चूचों पर रखा और झुक कर नीलोफर के होंठो को चूमते हुए अपने झटकों की रफ़्तार में एक दम बढ़ाते हुए अपनी बेहन के कान में सरगोशी की, "निलो।"

नीलोफर: हूँ।

जमशेद: मेरी बहन कैसा लग रहा है?

नीलोफर: ओह्ह भाई बहुत अच्छा। आआआआआअहह उउफफफफफफफफ्फ! ऊऊओह! भाईईईईईईईईईईईईई! बोहोत मज़ा देते हो तुम!

"मेरी बेहन, अब तो तुम्हारे शोहर ने भी मुझे तुम्हे खुस और तुम्हारा ख़्याल रखने का कह दिया है! अब तो में पहले से भी ज़्यादा अपनी बेहन की फुद्दि का ख़्याल रखूं गा मेरी जान" जमशेद ने अपना लंड नीलोफर की तंग चूत से हल्का-सा बाहर निकाला और फिर एक ज़ोर दार झटके से उस के अंदर अपना लंड घुसेड दिया।

उउफफफफफफफ! आआआआआआआआआआआआ! प्लेआस्ईईईई! आहिस्ताअ! एयेए! मारो गे क्या मुझ को" नीलोफर अपने भाई के ज़ोर दार झटकों को अपनी चूत में महसूस करते हुए मज़े से कराही।

जमशेद अब नीलोफर की गान्ड पकड़ कर उसे चोद रहा था। और नीचे से नीलोफर अपनी गान्ड उठा-उठा कर अपनी फुद्दि में भाई के लंड को लेते हुए मज़े से चुदवा रही थी।

साथ ही साथ दोनों बेहन भाई टीवी पर नीलोफर और शाज़िया की बनी हुई लिसेबियन फ़िल्म को देखने लगे।

जमशेद को शाज़िया के बड़े-बड़े मम्मे और मोटा भरा हुआ बदन देख कर बहुत जोश आ रहा था। और इस जोश में उस ने अपनी बेहन नीलोफर की भी जबर्जस्त चुदाई करने में मसरूफ़ था।

नीलोफर बहुत मज़े ले-ले कर अपने भाई के लंड से अपनी फुद्दि मरवा रही थी। " ऊऊऊऊओह! आआआआआआआआआ! उफफफफ्फ़! जमशेद प्लेसीईईईईईई! और चोदो मुझे उफफफफफफफफफ्फ़ पूरा डाल दो ना मैरी चूत में अपना लंड! उूउफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़!

नीलोफर के सुहाग के बिस्तर पर दोनों जवान बेहन भाई के नंगे जिस्म जल रहे थे! और दोनों बेहन भाई जवानी की आग में जलते हुए अपनी चुदाई की गर्मी को कम करने की कोशिश में मसरूफ़ थे।

बिस्तर पर बेहन भाई की जबर्जस्त चुदाई की फ़च्चा! फ़च्चा फॅक! फका फक! फक फॅक पूरे कमरे के महॉल को मज़ीद गरमा रही थी!

पुरजोश चुदाई के हाथों नीलोफर इतनी गरम हो गई कि उस के लिए अपनी चूत के पानी को अपने अंदर रोकना ना मुमकिन हो गया।

फिर देखते ही देखते नीलोफर के जिस्म ने एक झटका खाया और उसे मंज़िल मिल गई।

अपनी बेहन के झटके खाते जिस्म को देख कर जमशेद समझ गया कि उस की बेहन छूट रही है।

इस लिए उस ने भी अपना लंड अपनी बेहन की चूत से निकाल कर अपने सारा वीर्य अपनी बेहन के पेट के ऊपर ही उडेल कर उस के पेट को भर दिया।

कुछ देर अपनी बिखरी सांसो को समेटने के बाद जमशेद ने डीवीडी से शाज़िया वाली मूवी निकाली और अपनी बेहन को उसी तरह नंगा छोड़ कर अपने घर वापिस चला आया।

जमशेद ने अपने घर में आ कर शाज़िया की डीवीडी से कुछ फोटोस इस तरह एडिट कर के निकाल कर प्रिंट कर लीं।

जिन में शाज़िया का बदन तो पूरे का पूरा नंगी हालत में नज़र आता था। मगर उस का चेहरा या तो ब्लर था। या फिर चूचों से ऊपर का हिस्सा नज़र ही नहीं आ रहा था।

अपने काम से फारिग होने के बाद जमशेद जल्दी से दुबारा अपनी बेहन नीलोफर के पास पहुँचा तो देखा कि उस की बेहन किचन में खड़ी खाना बना रही थी।

जमशेद ने चुपके से किचन में जा कर खाना बनाती हुई अपनी बेहन को पीछे से अपनी बाहों में जकड़ा और उस की गर्दन पर अपने होन्ट रख कर उस की गरदन चूमने लगा।

"आज बड़ा प्यार आ रहा है अपनी बेहन पर तुम्हें जमशेद" नीलोफर ने भाई के गरम होन्ट अपनी गर्दन पर महसूस करते हुए उस से पूछा।

"क्या करूँ बाजी आप ने मुझे अपने इश्क़ में पागल ही इतना कर दिया है" जमशेद ने पीछे से अपने तने हुए लंड को बेहन की गान्ड की वादियों में रगड़ते हुए जवाब दिया। फिर उधर खड़े-खड़े जमशेद ने अपनी बेहन को शाज़िया वाली फोटोस दिखाई।

"बहुत जबर्जस्त और बेहतरीन फ़न का मुज़ैरा किया है तुम ने भाई" नीलोफर अपने भाई के काम से बहुत खुश हुई। नीलोफर ने ख़ुशी के मारे अपना मुँह मोड़ कर पीछे किया और अपने भाई के मुँह में मुँह डाल कर उसे एक ज़ोर दार क़िस्म की चूमि दे दी।

"तो इस जबर्जस्त काम का इनाम क्या मिले गा मुझे" जमशेद ने शरारती नज़रों से अपनी बेहन को देखते हुआ पूछा।

"मेरी चूत को चोद-चोद कर फाड़ दिया है तुम ने और अभी किसी इनाम की कसर है तुम्हें" नीलोफर ने भी उसी लहजे में अपने भाई को मुस्कराते हुए जवाब दिया।

"बाजी तुम जानती हो कि मेरा दिल तुम से ना कभी भरा है और ना कभी भरेगा" कहते हुए जमशेद अपनी बहन के नज़दीक हो गया।

"अच्छा तुम्हारे लिए ख़ुशी की ख़बर यह है कि मेरे सास और सुसर आज रात गुजरात में ही रहेंगे, अब हम दोनों पूरी रात घर में अकेले हैं और तुम्हारी बेहन तुम्हारे इनाम की शकल में तुम्हारे सामने खड़ा है भाई" नीलोफर ने अपने भाई को यह बात बताते हुए कहा।

"उफफफफफफफफफ्फ़! यह तो बहुत ही जबर्जस्त बात है, चलो इसी ख़ुशी में फिर जशन मनाया जाय बाजी" जमशेद ने कहते हुए अपनी बेहन के पीछे ही खड़े-खड़े उस की कमीज़ उतार कर उसे आधा नंगा कर दिया।

अब नीलोफर अपने ब्रेजियर और शलवार में मलबूस अपने भाई की बाहों में जकड़ी खड़ी थी।

अपने जिस्म के ऊपर वाले हिस्से के नंगा होते ही नीलोफर ने अपने हाथो को अपने चूचों पर रख कर उन को अपने भाई से छुपाने का झूठा नाटक करने लगी।

जमशेद को अपनी बेहन का यूँ शरमाना अच्छा लगा। और उस ने भी जोश में आते हुए अपना एक हाथ नीलोफर के चूचों पर रखा। और दूसरा हाथ उस कर पेट पर घुमाते-घुमाते उस की शलवार के अंदर डाल कर नीलोफर की फुद्दि से खेलना शुरू कर दिया।

"हाईईईईईईईईईईईईईई! क्यों मेरी फुद्दि को तुम ने अपने हाथो और लंड का आदि बना दिया है भाई" अपन भाई के हाथ अपनी फुद्दि से लगने की देर थी कि नीलोफर हमेशा की तरह अपने भाई की बाहों में पिघल गई!

जारी रहेगी

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