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Click hereजमशेद ने अपनी बेहन की चूत में उंगली करते हुए कहा " जब हमारे पास पूरी रात है तो क्यों ना आज इकट्ठे एक साथ नहाया जाय बाजीl"
"भाई पहले खाना ना खा लें" नीलोफर ने भाई से कहा।
"तुम्हारी फुददी से दिल भरे तो कुछ और खाने का होश आए ना बाजी" कहते हुए जमशेद ने अपनी बेहन की शलवार का नाडा खोला तो शलवार नीचे ज़मीन पर गिर गई।
"अच्छा तुम्हारी यह ही ख्वाहिश है तो चलो बाथरूम में चलते हैं" कहते हुए नीलोफर ने अपने भाई को अपनी ब्रेज़ियर की हुक खोलने को कहा। जिस पर जमशेद ने जल्दी से अपनी बेहन के ब्रेज़ियर को खोल कर उसे पूरा नंगा कर दिया।
नीलोफर की देखा देखी जमशेद भी फॉरन ही अपने कपड़े उतार कर अपनी बेहन की तरह नंगा हो गया और फिर दोनो बेहन भाई ही बाथ रूम ही तरफ चल पड़े ।
बाथरूम में पहुँच कर दोनो बेहन भाई बिना किसी खोफ़-ओ-खतर के एक दूसरे के मुँह में मुँह डाले एक दूसरे के लबों का रस पीने लगे।
बाथ रूम में इकट्ठा नहाने के बाद दोनो बेहन भाई ने इकट्ठे खाना खाया।
कहने से फारिग होते ही जमशेद ने किचन से अपनी बेहन को अपनी बाहों में उठाया और नीलोफर के बेड रूम आ गया।
फिर पूरी रात जमशेद ने अपनी बेहन की चूत में अपना लंड इस तरह डाले गुज़री जैसे वो अपनी बेहन का शोहर हो और उस की बेहन उस की बीवी।
अगली सुबह जब नीलोफर स्कूल जाने के लिए अपनी वॅन में बैठी तो उसे शाज़िया उस का बेताबी से इंतजार कर रही थी।
दोनो सहेलियाँ एक दूसरे को महनी खेज़ नज़रों से देख और मुस्कराने लगीं।
उस दिन के बाद दोनो मज़ीद पक्की सहेलियाँ बन गई। अब वो अक्सर रात को काफ़ी देर तक एक दूसरे से अपने अपने दिल की बात खुल कर करने लगीं।
क्यूंकी अब इन दोनो में शरम और झिझक का पड़ा परदा हट चुका था। इस लिए वो दोनो अब एक दूसरी को मज़ाक मज़ाक में गंदी बातों से छेड़ने भी लगीं थीं।
शाज़िया से अपने लेज़्बीयन तलोकात कायम करने और उस की नंगी फोटोस को अपने भाई से प्रिंट करवाने के बाद अब ज़ाहिद से मिलने को बेचैन थी।
उस ने ज़ाहिद को एक दो दफ़ा फोन भी किया मगर ज़ाहिद अपनी नोकरी की मूसरूफ़ियत की बिना पर नीलोफर से फॉरी तौर पर मिल ना पाया।
फिर कुछ दिन के बाद ज़ाहिद ने वक्त निकाल कर खुद नीलोफर को फोन किया।
जब अगले हफ्ते ज़ाहिद वापिस आया तो नीलोफर ने उसे फोन कर के मिलने का कहा। तो ज़ाहिद ने नीलोफर से अगले दिन मिलने की हामी भर ली।
नीलोफर ने जब अपने फोन पर ज़ाहिद का नंबर देखा तो उस ने फॉरन ही अपने फोन को ऑन किया।
ज़ाहिद: मेरी जान क्या हाल है।
नीलोफर: अभी तुम को ही याद कर रही थी।
ज़ाहिद: क्यों खरियत?।
नीलोफर: बस वैसे ही तुम्हारी याद आ रही थी।
ज़ाहिद ने हँसते हुए कहा: क्यों आज कल तुम्हारा "चोदू" भाई तुम को "सर्विस" नही कर रहा क्या?।
नीलोफर बी हस पड़ी, "कौन जमशेद वो तो अभी अभी मुझे चोद कर वापिस अपने घर गया है। में तो वैसे ही अभी तुम को फोन करने का सोच रही थी,"
ज़ाहिद: तो आ जाओ मेरे पास मेरी जान।
"क्यों" अब नीलोफर ज़ाहिद को छेड़ने के मूड में थी।
"क्योंकि बड़ा दिल कर रहा तुम्हारी चूत चोदने को। देखो मेरा लंड भी खड़ा हो गया है तुम्हारी प्यारी आवाज़ सुन कर" ज़ाहिद ने अपने लंड को हाथ से मसलते हुए कहा।
नीलोफर: दिल तो मेरा भी चाह रहा है में कल दोपहर को तुम्हारे मकान पर आउन्गी ।
"ठीक है फिर कल मिलते हैं" कहते हुए ज़ाहिद ने फोन काट दिया।
दूसरे दिन जमशेद ने अपनी बेहन नीलोफर को ज़ाहिद के मकान पर उतारा और दो घेंटे बाद वापिस आने का कह कर चला गया।
ज़ाहिद को नीलोफर की फुद्दि मारे एक महीने से ज़्यादा का टाइम हो चुका था। इस लिए वो बे सबरी से नीलोफर का इंतिज़ार कर रहा था।
ज्यों ही नीलोफर कमरे में दाखिल हुई ज़ाहिद उस को अपनी बाहों में ले कर उस के गालों और होंठो को चूमने लगा।
नीलोफर: बड़े बे सबरे हो रहे हो मुझे साँस तो लेने दो ज़रा।
"यार में तो इंतजार कर लूँ मगर इस पागल लंड को कॉन समझाए जो तुम्हारी फुद्दि के लिए एक महीने से तरस रहा है। " ज़ाहिद ने अपनी शलवार में तने हुए अपने मोटे और बड़े लंड को नीलोफर के हाथ में पकड़ाते हुए कहा।
साथ ही साथ ज़ाहिद अपना हाथ नीलोफर की फुद्दि पर लाया और शलवार के ऊपर से उस की फुद्दि को रगड़ने लगा।
ज़ाहिद का हाथ उस की चूत से टच होते ही नीलोफर पर एक मस्ती सी छाने लगी। सच्ची बात यह थी कि नीलोफर खुद भी अब ज़ाहिद के मोटे लंड से चुदवा चुदवा कर उस के लंड की दीवानी हो गई थी। इस लिए उस ने भी ज़ाहिद के लंड को अपने हाथ में ले कर उस की मूठ लगाना शुरू कर दिया।
दोनो के मुँह आपस में मिल गये और दोनो के हाथ एक दूसरे के कपड़ों को एक दूसरे के जिस्म से अलग करने लगे।
इस के बाद ज़ाहिद ने नीलोफर को तेज तेज चोद के उसे के अंग अंग को हिला कर नीलोफर को बहाल कर दिया।
नीलोफर की चुदाई के बाद ज़ाहिद थक कर सोफे पे गिर गया।
वो दोनो अब साथ साथ लेटे ज़ोर ज़ोर से साँसे ले रहे थे।
जब उन दोनो की साँसे बहाल हुईं तो नीलोफर उठी और अपने बिखरे कपड़ों को समेट कर पहनने लगी।
अपने कपड़े पहन कर नीलोफर ज़ाहिद के पास सोफे पर दुबारा बैठ गई। ज़ाहिद अभी तक नंगी हालत में ही सोफे पर लेटा हुआ था। और उस का बड़ा लंड अब थोड़ा मुरझाई हुई हालत में उस की एक टाँग पर ऐसे पड़ा था। जैसे कोई मरीज़ हॉस्पिटल के बिस्तर पर पड़ा अपनी ज़िंदगी की आखरी साँसे ले रहा हो।
ज्यों ही नीलोफर ज़ाहिद के पास बैठी तो ज़ाहिद ने उसे दुबारा अपने बाहों में जकड कर उस के गालों को चूमा।
ज़ाहिद: यार तुम वाकई ही बहुत गरम और मज़ेदार चीज़ हो। मुझे समझ नही आती तुम्हारा शोहर कैसे तुम जैसे पोपट माल को छोड़ कर बाहर चला जाता है।
" अच्छा अब ज़्यादा मकान ना लगो,यह देखू में तुम्हारे लंड के लिए एक नये माल का बन्दोबस्त कर रही हूँ। यकीन जानो इस की फुद्दि में मेरी चूत से ज़्यादा आग भरी हुई है। और मुझे यकीन है कि अगर तुम को यह चोदने को मिले तो इस फुद्दि की आग तुम्हारे लंड को जला कर रख कर दे गी" नीलोफर ने शाज़िया की चन्द फोटोस अपने पर्स से निकाल कर ज़ाहिद को देते हुए कहा।
ज़ाहिद ने एक एक कर के नीलोफर की दी हुई शाज़िया की सारी फोटोस देखीं।
फोटोस देखते देखते ज़ाहिद के ढीले लंड में आहिस्ता आहिस्ता दुबारा जान पड़ने लगी।
ज्यों ही ज़ाहिद की नज़र नीलोफर की दी हुई फोटोस पर पड़ी। जिस में शाज़िया पूरी नगी हालत में इस तरह खड़ी थी कि उस की कमर ही नज़र आ रही थी।
यह फोटो देख कर ज़ाहिद का लौडा इस तरह एक दम फुल तन कर खड़ा हो गया। जैसे किसी ने उस को वियाग्रा खिला दी हो।
"उफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! नीलोफर यार क्या ग़ज़ब की चीज़ है यह,देखो तो सही इस को देख का मेरा लंड किस तरह उठा कर खड़ा हो गया है, क्या नाम है इस कयामत का और कब मिलवा रही हो इस ज़ालिम हसीना से" शाजिया की फोटो देख कर अपने लंड को हाथ मे ले कर मूठ मारते हुए ज़ाहिद ने नीलोफर से कहा।
" इस का नाम साजिदा है और अगर इस का सिर्फ़ जिस्म देख कर तुम्हारे लंड यह हाल है तो सोचो इस की फुद्दि में अपना लंड डाल कर तुम्हारा क्या हाल हो गा" नीलोफर ने ज़ाहिद के हाथ को उस के लंड से परे किया और खुद उस की मूठ लगाते हुए कहा।
बे शक शाज़िया एक कॉमन नाम है और इस नाम की कितनी ही लड़कियाँ झेलम में रहती होंगी। मगर इस के बावजूद नीलोफर ने जान बूझ कर ज़ाहिद को शाज़िया का नाम ग़लत बताया था। ता कि ज़ाहिद को किसी किस्म का ज़रा सा भी शक ना पड़े ।
"हाईईईईईई! ज़ालिम इस जवानी ने तो मेरे लंड को पागल कर दिया है। जल्दी से मुझे इस से मिलवाओ में तो उस की गान्ड को चाट चाट कर ही खा जाऊं गा" ज़ाहिद शाज़िया की गान्ड वाली फोटो को अपने मुँह के पास लिया और अपनी ज़ुबान को शाज़िया की गान्ड पर रख कर चाटते हुए मस्ती में बोला।
नीलोफर ने महसूस किया कि ज़ाहिद का लंड अपनी बेहन के नंगे बदन को देख कर पहले से बी ज़ेयादा अकड़ कर सख़्त हो गया है।
"फिकर ना करो में जल्द ही तुम्हारा मिलाप करवा दूं गी इससे। में ने इसे तुम्हारे लंड के बारे में ना सिर्फ़ बताया है बल्कि इसे तुम्हारा लंड दिखाया भी है। यकीन मानो तुम्हारे लंड को देख कर इस की चूत भी बिल्कुल इसी तरह पानी छोड़ गई थी। जिस तरह तुम्हारा लंड इस को देख कर पानी छोड़ रहा है" नीलोफर ने ज़ाहिद के लंड की टोपी पर से निकलते हुए पानी को सॉफ करते हुए कहा।
"क्या मेरी नंगी फोटो तो तुम ने कभी खींची ही नही तो उसे कैसे देखा दीं" ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर हैरत से उस की तरफ देखने लगा।
नीलोफर ज़ाहिद की बात सुन कर मुस्कुराइ और फिर ज़ाहिद को सच सच बता दिया। कि किस तरह जमशेद ने उस के मकान में ख़ुफ़िया कॅमरा फिट कर के नीलोफर, ज़ाहिद और जमशेद की अपनी चुदाई रेकॉर्ड की और फिर उस में से स्टिल फोटोस निकाली हैं।
ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर हॅका बक्का रह गया। उसे नीलोफर की बात का अभी तक यकीन नही हो रहा था।
"मगर तुम ने यह सब क्यूँ किया,क्या तुम दोनो बेहन भाई मिल कर मुझे ब्लॅक मेल करना चाहते हो" ज़ाहिद नीलोफर की बात सुन कर परेशान हो गया।
नीलोफर: नही यार तुम को ब्लॅक मेल करना होता तो तुम को यह बात कभी ना बताती। असल में मेरी यह सहेली गरम तो बहुत है मगर साथ में बहुत शेर्मीली भी है,अगर में सीधी तरह से इस से बात करती तो यह कभी राज़ी नही होती।
फिर नीलोफर ने शाज़िया और अपने दरमियाँ होने वाला लेज़्बीयन किस्सा पूरी तफ़सील से ज़ाहिद को सुना दिया। मगर उस ने ज़ाहिद को इस बात का शक भी ना होने दिया कि वो या उस की सहेली "साजिदा" किसी स्कूल में टीचर्स हैं।
सारी बात सुनने के बाद नीलोफर ने ज़ाहिद से कहा" मेरी सहेली साजिदा की फुद्दि बहुत ही गरम और प्यासी है और इस की गर्मी सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम जैसे बड़े और मोटे लंड वाला आदमी ही निकल सकता है,बोला निकालोगे मेरी दोस्ती की चूत की गर्मी,भरोगे इस की फुद्दि को अपने लंड के पानी से"
"हन्ंननननणणन्, फाड़ दूऊऊऊऊऊऊन, गाआआआआआअ, इस की गान्ड और फुद्दिईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई. एक बार लऊऊऊऊ, तो सहियिइ, मेरे पस्सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स!" कहता हुआ ज़ाहिद ने अपने लंड का पानी नीलोफर के हाथ में ही छोड़ दिया।
नीलोफर ने पास पड़े तोलिये से ज़ाहिद के लंड को सॉफ किया और फिर उठ कर बाथ रूम में अपना हाथ धोने चली गई।
हाथ धो कर नीलोफर बाहर आई तो ज़ाहिद को शाज़िया की फोटोस को देखते हुआ पाया तो वो दिल ही दिल में मुस्करा दी।
वो सोचने लगी कि अगर ज़ाहिद को यह पता चल गया कि जिस फुद्दि को देख कर उस ने अभी अभी अपने लंड के पानी का फव्वारा छोड़ा है। वो कोई और नही बल्कि उस की अपनी सग़ी बेहन है तो उस का क्या हाल हो गा।
नीलोफर को अपने दिल में इस बात की ख़ुसी होने लगी कि अंजाने में ही सही। उस ने ज़ाहिद और शाज़िया दोनो बेहन भाई ने एक दूसरे का नंगा जिस्म देखा कर दोनो के तन बदन में एक दूसरे के लिए ऐसी आग भड़का दी थी। जिस को ठंडा किए बगैर अब दोनो का गुज़ारा बड़ा मुश्किल हो गा।
नीलोफर सोचने लगी कि अब जल्द आज़ जल्द वो इन दोनो का आपस में मिलाप करवा ही दे तो अच्छा है।
यह सोचते हुए उस ने ज़ाहिद के पास आ कर अपना पर्स उठाया और जमशेद को कॉल मिला दी।
जमशेद तो पहले ही ज़ाहिद के मकान से थोड़ी दूर बैठा अपनी बेहन के फोन का इंतिज़ार कर रहा था। इस लिए ज्यों ही नीलोफर का फोन आया और अपनी कार ले कर ज़ाहिद के मकान के बाहर चला आया।
नीलोफर ज़ाहिद से जल्द दुबारा मिलने का वादा कर के जमशेद के साथ अपने घर वापिस चली आई।
उस शाम जब ज़ाहिद अपने घर आया तो दरवाज़ा खोलते ही उसे अपनी बेहन शाज़िया घर के सहन में कपड़े धोती हुई मिली।
शाज़िया उस वक्त बगैर दुपट्टे के कपड़े धोने में मसरूफ़ थी। और नल के गिरते पानी में कपड़े ढोते वक्त शाज़िया की शलवार कमीज़ पानी से भीग कर गीली हो चुकी थी।
ज़ाहिद ने अपनी बेहन शाज़िया को सलाम किया और किचन से अपना खाना ले कर बाहर टीवी लाउन्ज में बैठ गया। और खाना खाने के साथ साथ टीवी पर न्यूज़ का चॅनेल लगा कर देखने लगा।
बाहर कपड़े ढोते वक्त कई दफ़ा बे इख्तियारी में शाज़िया झुक कर किसी कपड़े को बाल्टी में रखती या उठाती। तो ऐसा करने से उस की कमीज़ के खुले गले में से उस की भारी छातियाँ अपनी पूरी आबो ताब से नंगी हो जातीं।
मीज़ के भीग जाने की वजह से शाज़िया का ब्रेज़ियर उस के जिस्म के साथ चिपक सा गया था। और उस ने शाज़िया के मोटे और बड़े मम्मों को और भी नुमाया कर दिया था।
टीवी देखने के साथ साथ ज़ाहिद थोड़ी थोड़ी देर बाद अपनी बेहन को भी ताड़ रहा था। इस लिए ज्यों ही ज़ाहिद की नज़र कुछ देर बाद सीधी अपनी बहन शाज़िया की कमीज़ से बाहर निकलते हुए उस के बड़े बड़े चूचों पर पड़ी। तो वो तो बस अपनी बेहन के मम्मे देखता ही रह गया।
अपनी आँखों से अपनी बेहन के जिस्म को"सैंकते" और अपनी बेहन की उभरी हुई जवान छातियो के दरमियाँ नाज़ुक सी लकीर की गहराइयों को नापते हुए ज़ाहिद को साफ अंदाज़ा हो रहा था। कि उस की बेहन शाज़िया ने आज अपनी कमीज़ के नीचे रेड कलर का ब्रेज़र पहना हुआ है।
शाज़िया के मम्मे मोटे और बड़े होने के बावजूद निहायत ही खूबसूरत शेप में थे। जिस वजह से गीली कमीज़ में से बाहर दिखते शाज़िया के भारी मम्मे ज़ाहिद के जलते जज़्बात पर पेट्रोल का काम कर रहे थे।
कपड़े धोने के बाद शाज़िया इन कपड़ों को सहन में लटकी हुई रस्सी पर डालने के लिए ज्यों ही उठी। तो गीला होने की वजह से उस की कमीज़ उस के बदन से चिपक गई। इस वजह से शाज़िया की शलवार के सामने वाला हिस्सा ज़ाहिद की नज़रों के सामने पूरा का पूरा नंगा हो गया।
अपनी बेहन की गीली शलवार में से उस की नंगी होती मोटी और फूली हुई फुद्दि का वाइज़ा नज़ारा देख कर ज़ाहिद की आँखे फटी की फटी रह गईं।
अपनी बेहन के बंदन को यूँ दिन की रोशनी में अपने सामने यूँ नीम नंगी होता देख कर ज़ाहिद का मुँह ना सिर्फ़ खुशक हो गया। बल्कि उस के मुँह में डाला हुआ रोटी का नीवाला ज़ाहिद के खलक में ही अटक गया।
ज़ाहिद के अपनी बेहन की जवानी को देख कर पसीने छूट गये और उस का लंड उस की पॅंट में फुल तन गया।
अभी ज़ाहिद अपनी बेहन के जवान और गुदाज बदन का जायज़ा लेने में मसगूल था। कि इतने में ज़ाहिद की अम्मी रज़िया बीबी बाहर की तरफ से घर में दाखिल हुआ। तो शाज़िया को आँखे फाड़ पहर कर देखते हुए ज़ाहिद ने फॉरन अपनी नज़रे बेहन के बदन से हटा कर टीवी पर जमा लीं।
रज़िया बीबी ने जब अपने बेटे को टीवी लाउन्ज में बैठे देखा तो वो भी उस के पास आन बैठीं और ज़ाहिद से बातें करने लगीं।
खाने से फारिग होने के बाद ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को खुदा हाफ़िज़ कहा और उठ कर अपने कमरे में गया और अपने कुछ काग़ज़ात लाने के बाद दुबारा अपनी ड्यूटी पर वापिस पोलीस स्टेशन चला आया।
ज़ाहिद के जाने के बाद शाज़िया भी अपने काम से फारिग हो कर नहाने चली गई।
रात को जब देर गये ज़ाहिद दुबारा घर लोटा तो उस वक्त तक उस की अम्मी सोने के लिए अपने कमरे में जा चुकी थीं।
जब कि शाज़िया अभी तक टीवी लाउन्ज में बैठी एक ड्रामा देखने में मसरूफ़ थी।
ज़ाहिद भी चलता हुआ टीवी लाउन्ज में आ कर टीवी के सामने रखे एक सोफे पर आन बैठा और टीवी देखने लगा।
ज़ाहिद का टीवी देखना तो आज एक बहाना था। असल में शाम को अपनी बेहन के भीगे बदन ने उस पर ऐसा असर डाला था। कि उस का दिल चाहने लगा कि सोने से पहले वो एक दफ़ा फिर अपनी बेहन के भरे हुए भरपूर जिस्म को देख कर अपनी प्यासी आँखों को ठंडक पहुँचा सके।
इस बार भी ज़ाहिद टीवी देखते देखते ज़ाहिद तिरछी आँखो से अपनी बेहन के बदन का जायज़ा लेने लगा तो उस की किस्मत ने उस का भरपूर साथ दिया।
टीवी लाउन्ज में उस वक्त शाज़िया अपने भाई की प्यासी नज़रों से बे खबर यूँ बैठ कर टीवी देखने में मसरूफ़ थी। कि इस तरह बैठने से दुपट्टा ओढ़े होने के बावजूद ना सिर्फ़ उस के भाई ज़ाहिद को उस के बाईं तरफ के मम्मे का नज़ारा सॉफ देखने को मिल रहा था।
बल्कि साथ ही साथ शलवार में कसी हुई शाज़िया की मोटी गुदाज और चौड़ी गान्ड भी ज़ाहिद के मनोरंजन के लिए खुली किताब की तरह पूरी की पूरी ज़ाहिद की भूकि निगाहों से सामने पड़ी थी।
ज़ाहिद अपनी बेहन शाज़िया के बदन को खोजता रहा जिस से उस की बेक़ारारी बढ़ती रही।
थोड़ी देर तक ज़ाहिद टीवी देखने के बहाने अपनी बेहन के जवान जिस्म को अपनी गरम नज़रों से देख देख कर अपने दिल और लंड को गरम करता रहा।
आज ज़ाहिद का दिल उधर से उठने को नही चाह रहा था। मगर नोकरी की मजबूरी की वजह से सुबह सुबह उठना भी था।
इस लिए ज़ाहिद अपने लंड को काबू करता हुआ उठ कर बोझिल कदमो के साथ चलता अपने कमरे में आ गया।
ज़ाहिद के अपने कमरे में जाने के थोड़ी देर बाद शाज़िया भी अपने काम ख़तम कर के अपने कमरे में सोने के लिए चली आई।
अब घर में हालत यह थी कि रात के अंधेरे में अपने कमरे में लेटे हुए ज़ाहिद को नींद नही आ रही थी।
उस को पहले नीलोफर की दिखाई हुई उस की सहेली साजिदा की फोटोस ने बे हाल कर रखा था।
जब कि अब घर आ कर उस पर उस की अपनी सग़ी बेहन के चूचों ने कयामत ढा दी थी।
वो जब जब सोने के लिए अपनी आँखे बंद करता । उस की जवान बेहन के गीले जिस्म का सेरपा उस की आँखों के सामने आ कर उस की नींद उड़ा देता।
उस ने अपने दिल और दिमाग़ को समझाने की लाख कोशिश की । कि उस के अपनी बेहन के बारे में इस तरह सही नही।
मगर वो कहते हैं ना कि,
"लंड है कि मानता नही"
इसी लिए उस का लंड भी आज उस के काबू में नही रहा था।
नीलोफर की सहेली साजिदा का नंगा जिस्म और अपनी बेहन शाज़िया नीम उघड़ा होता बदन बार बार याद कर ज़ाहिद के लंड में ऐसा जोश आ गया था। कि जो कम होने का नाम ही नही ले रहा था।
खास तौर पर अपनी बेहन के उभरे हुए बड़े बड़े मम्मे को सोच सोच कर उस का लंड फनफना उठा था।
ज़ाहिद अंधेरे में अपने बिस्तर पर लेटा बेचैनी से करवटें बदल रहा था।
वो बिस्तर पर लेटा कभी अपने हाथ से अपने लौडे को मसलता तो कभी उल्टा लेट कर अपना लंड अपने बिस्तर से रगड़ने लगता।
वो जितनी भी उल्टी सीधी हरकतें करता। उस का लंड आज उतना ही उस के काबू से बाहर होता जा रहा था।
आख़िर कार ज़ाहिद ने अपने दिल और दिमाग़ की बात को रुड करते हुए अपने लंड की बात मानी। और अपनी बेहन के बदन को याद कर के अपनी शलवार का नाडा खोला और अपनी शलवार को नीचे कर के अपने लंड से खेलने लगा।
ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बेहन के मुतलक सोचना शुरू किया तो जोश के मारे उस का सारा जिस्म अकड़ने लगा। और ज़ाहिद का लंड लोहे की राड की तरह सख़्त हो गया।
ज़ाहिद की आँखे बंद थीं और उस की आँखों के सामने उस की बेहन का नंगा जिस्म पूरी आबो ताब से घूमने लगा।
अपनी बेहन के मोटे मोटे मम्मे और उभरी हुई गान्ड को याद कर के ज़ाहिद के हाथ तेज़ी से उस के लंड पर फिसलने लगे।
मूठ मारते मारते ज़ाहिद के लंड ने एक झटका लिया और फिर दूसरे ही लम्हे वो "शाज़ियास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स!" कहते हुए फारिग हो गया।
ज़ाहिद के लंड ने इतना पानी छोड़ा कि वो खुद हेरान हो गया। आज से पहले ज़ाहिद कभी इतनी जल्दी ना तो फारिग हुआ और ना ही उस के लंड से इतना ज़्यादा वीर्य निकला था।
आज पहली बार ज़ाहिद ने अपनी ही बेहन के बारे में सोच कर मूठ लगाई और फिर बेहन का नाम लेते ही अपने लंड का पानी छोड़ा था।
आम हालत में तो ज़ाहिद अपनी इस हरकत के बाद शायद डूब ही मरता। मगर आज हैरत अंगैज़ तौर पर उसे ज़रा भी शर्मिंदगी नही हुई थी।
इस की वजह शायद यह रही थी। कि नीलोफर और जमशेद से मिलने के बाद उस के दिल-ओ-दिमाग़ ने शायद सगे बेहन भाई के आपस में जिस्मानी ताल्लुक़ात को कबूल कर लिया था।
फारिग होने के बाद भी ज़ाहिद का जिस्म और लंड पुर्सकून ना हुए।
इस की वजह शायद यह थी। कि उस के लंड को अब अपनी बेहन की चूत की प्यास शिद्दत से लग चुकी थी।
मगर ज़ाहिद को अब भी यह समझ नही आ रही थी। कि वो भी जमशेद की तरह अपनी बेहन को काबू करे तो कैसे करे।
यही सोचते सोचती ज़ाहिद नंगा ही नींद में डूब गया।
उधर दूसरे कमरे में अपने बिस्तर पर लेटी शाज़िया का हाल भी अपने भाई से मुक्तिलफ नही था।
उस के तन बदन में भी अपनी सहेली नीलोफर की बातों ने आग लगाई हुई थी।
अभी शाज़िया नीलोफर के साथ अपनी लेज़्बीयन चुदाई के बारे में सोचने में मगन थी। कि उस के फोन की घेंटी बज उठी।
शाज़िया ने अपने तकिये के नीचे रखते हुए फोन को उठा कर देखा तो पता चला कि नीलोफर की कॉल है।
"केसी हो" शाज़िया के फोन आन्सर करते ही नीलोफर ने पूछा।
शाज़िया: ठीक हूँ,तुम सूनाओ।
नीलोफर: में तो ठीक हूँ मगर तुम्हारा यार बड़ा तड़प रहा है तुम्हारे लिए।
"क्या बकवास करती हो,मेरा कौन सा यार है" शाज़िया ने नीलोफर की बात पर थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा।
नीलोफर: वो ही बड़े लंड वाला,जिस के साथ अपनी चुदाई की वीडियो में ने तुम को दिखाई थी।
"पहली बात कि वो मेरा यार नही,दूसरी बात कि वो तो मुझे जानता नही फिर वो मेरा कैसे पूछ सकता है" शाज़िया ने नीलोफर से कहा।
नीलोफर: यार अगर बुरा ना मानो तो एक बात बताऊ।
शाज़िया: कहो।
शाज़िया: अच्छा अब बको भी।
नीलोफर: शाज़िया मुझे ग़लत मत समझना क्योंकि तुम को पता है में जो भी कर रही हूँ तुम्हारे भले के लिए कर रही हूँ।
"अच्छा अब ज़्यादा पहेलियाँ मत बुझाओ मतलब की बात करो" शाज़िया अब चाहती थी कि नीलोफर के दिल में जो भी बात है वो जल्दी से उस की ज़ुबान पर आ जाय।
फिर झिझकते झिझकते नीलोफर ने शाज़िया को बता दिया। कि किस तरह उस ने शाज़िया की इजाज़त के बैगर उस की नगी फोटोस एक गैर मर्द को दिखा दी हैं।
जारी रहेगी