एक नौजवान के कारनामे 051

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सुपर संडे-ईशा की परख.
858 words
5
197
00

Part 51 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली-मेरी पड़ोसन

PART-16

सुपर संडे-ईशा की परख

ईशा टेबल के पास गयी पर वह थोड़ी ऊँची थी। चेकअप करने की सुविधा के लिए वह टेबल ऊँची बनाई गयी थी, पर ईशा के लिए तंग और छोटी स्कर्ट में उसपर चढ़ना मुश्किल था। उसने दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा, फिर अपना दायाँ पैर टेबल पर चढ़ने के लिए ऊपर उठाया। लेकिन मैंने देखा ऐसा करने से उसकी स्कर्ट बहुत ऊपर उठ जा रही है और उसकी गोरी टाँगें नंगी हो गयी थी और उसे डर था कही ये स्कर्ट फट ही ना जाए तो ईशा ने टेबल में चढ़ने की कोशिश बंद कर दी। फिर ईशा कमरे में इधर उधर देखने लगी शायद कोई स्टूल मिल जाए पर वहाँ कुछ नहीं था।

मैंने कहा ईशा रूको पहले मुझे तुम्हारा माप लेने दो और मैंने एक मापने का फीता (इंचीटेप) उठाया और उसके पास गया और बोला अब मुझे तुम्हरा माप पता होना चाहिए मेरे अनुमान से तुम्हारे छाती का साइज 34 होना चाहिए, तो ईशा शर्माते हुए बोली जी डॉक्टर साहिब 34C हैl

मैंने कहाः ठीक है इसे पक्का कर लेते हैं मैंने नाप लेते समय उसकी गोरी रसीली चूचियों का ऊपरी हिस्सा टॉप के कट से दिखने लगा था।मेरी नजरें ईशा की रसीली चूचियों पर ही थी और मैंने अपनी अंगुलियों से उसके टॉप के बाहर से उसकी चूचियों को छुआ और टॉप की फिटिंग देखने के बहाने चूचियों को दबा भी दिया। उसकी चूचियाँ बड़ी सुदृढ़ और कसी हुई थीl मैंने नाप लेने के बहाने दायीं चूची के निप्पल और फिर बाए निप्पल को अंगूठे से दबाया।

फिर मैंने टेप लिया और झुककर ईशा क पेट की नाप लेने लगा। मैंने उसे टॉप के आधार पर नाप लीया और बोला तुम्हारी कमर 24. इंच हैl

मुझे उसके स्कर्ट में कुछ वास्तु मह्सूस हुई तो मैंने कहा ईशा अपने स्कर्ट की जेब खाली कर दो इससे तुम्हारा सही माप लेने में सुविधा होगी उसने जेब में से अपना पर्स निकाल कर मुझे दे दिया मैंने देखा उसमे उसके स्कूल का आइडेंटिटी कार्ड था जिससे मुझे ये पक्का हो गया वह 18 साल की कुछ दिन पहले ही हो गयी है फिर उसकी गोल नितम्बो पर अपने हाथ फिराते हुए उसके नितम्बो का साइज माप कर मैं बोला ये 36 है और उसके नितम्बो को दबा दीया और बोलै ईशा अब तुम टेबल पर चढ़ जाओ ;

"ईशा: डॉक्टर, ये टेबल तो बहुत ऊँची है और यहाँ पर कोई स्टूल भी नहीं है।"

मैं--ओह......तुम ऊपर चढ़ नहीं पा रही हो। असल में ये एग्जामिनेशन टेबल है इसलिए इसकी ऊँचाई थोड़ी ज़्यादा है। ।ईशा, एक मिनट रूको।

ईशा टेबल के पास खड़ी रही और कुछ पल बाद मैं उसके पास आ गया ।

मैं--ईशा तुम चढ़ने की कोशिश करो, में मदद करूँगा।

ईशा "ठीक है डॉक्टर अंकल।"

ईशा ने दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा और अपने पंजो के बल ऊपर उठने की कोशिश की। मैंने उसकी जांघों के पिछले हिस्से पर अपने हाथ रख कर वहाँ पर पकड़ा और ईशा को ऊपर को उठाया । इस समय उसकी सुंदर गांड ठीक मेरे चेहरे के सामने थी। इसके बाद मैंने ईशा को और ऊपर उठाना बंद कर दिया और ईशा उसी पोज़िशन में रह गयी। अगर ईशा अपना पैर टेबल पर रखती तो उसकी स्कर्ट बहुत ऊपर उठ जाती इसलिए वह बोली डॉक्टर अंकल मुझे थोड़ा और ऊपर उठाइए, मैं ऊपर नहीं चढ़ पा रही हूँ।"

मैंने उसके दोनों नितंबों को पकड़कर उसके सुन्दर मांसल नितंबों को दोनों हाथों में पकड़कर ज़ोर से दबा दिया।

फिर मैंने उसे पीछे से धक्का दिया और ईशा टेबल तक पहुँच गयी। जब तक ईशा पूरी तरह से टेबल पर नहीं चढ़ गयी तब तक मैं ने उसके नितंबों से अपने हाथ नहीं हटाए और मेरे हाथ स्कर्ट से ढके हुए उसके निचले बदन को महसूस करते रहे।

मैं नितंबों को धक्का देकर ईशा को ऊपर चढ़ा रहा था। शरम से उसके कान लाल हो गये और उसकी साँसें भारी हो गयी थीं।

अब ईशा टेबल में बैठ गयी और मैंने उसे लेटने को बोलाl

ईशा की चूचियाँ दो बड़े पहाड़ों की तरह, उसकी साँसों के साथ ऊपर नीचे हिल रही हैं।

मैं--ईशा तुम तैयार हो?

"हाँ जी ।"

मैं--अब तुम्हारी नाड़ी देखता हूँ।

ऐसा कहते हुए मैंने उसकी बायीं कलाई पकड़ ली। मेरे गरम हाथों का स्पर्श उसकी कलाई पर हुआ, तो ईशा का दिल जोरों से धड़कने लगा ।शायद कल जीतू ने उसे कल गरम करके अधूरा छोड़ दिया था उस वज़ह से ऐसा हुआ हो।

मैं--अरे! ईशा, तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज चल रही है, जैसे कि तुम बहुत एक्साइटेड हो । लेकिन तुम तो अभी-अभी मंदिर से पूजा करके आई हो, ऐसा होना तो नहीं चाहिए था l फिर से देखता हूँ। अब तो तुम को कोई डर नहीं लगना चाहिए l अगर तुम्हे कोई डर है तो उसे मन से निकाल दोl

मैं ने उसकी कलाई को अपनी दो अंगुलियों से दबाया।

मैं--क्या बात है ईशा? तुम शांत दिख रही हो पर तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज भाग रही है।

"मुझे नहीं मालूम मैं... ।"

ईशा झूठ बोलने की कोशिश की पर मैं सीधे उसकी आँखों में देख रहा था ।

मैं--तुम्हारी हृदयगति देखता हूँ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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