तीसरा कौन

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तीसरा कौन
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नमस्कार दोस्तों, मैं मानस फिरसे आपके लिए एक नयी कहानी लेके आया हूँ, पर ये कहानी कुछ अलग की किस्म की है तो शायद आप में से बहोत पाठकों को पसंद ना भी आये. इस कहानी का मूल सूत्रधार या किरदार में नहीं हूँ पर ये एक ऐसे कपल की कहानी है जो भारत देश में रहते हुए भी कामक्रीड़ा को ख़ुलेपन से जीते आ रहे है, उनका मानना है की इस खेल की हर एक तरीक़े से लुफ्त उठाना चाहिए। तो चलिए आज मैं आपको सुनाता हूँ सोहा, इरफ़ान और उस तीसरे की कहानी...

रात के लगभग ११ बज चुके थे, बच्चे कबके पढाई करके और खाना खाके सो चुके थे पर सोहा अब भी किचन में काम निबटा रही थी और यहाँ इरफ़ान अपना लौड़ा हिलाते हुए नंगा पलंग पर लेटा हुवा था. रोज रात को इरफ़ान अपने लौड़े को सरसों का तेल लगाके मालिश जरूर करता था, उसका मानना था की सरसों की तेल की वजह से लौड़े की नसे खुल जाती है और खून का प्रवाह तेजी से लौड़े होने के कारण लंड ज्यादा देर तक चुदाई कर सकता है. पर खुदका मानना और असलियत में बड़ा फरक होता है, इतने दिनों की मालिश के बावजूद इरफ़ान के लौड़े में वो ताकत नहीं आयी थी जिससे वो सोहा की चुदाई कर सके. ज्यादा से ज्यादा ५-६ मिनिट तक तो वो सोहा की चुत जोर जोर से रगड़ता पर बाद में उसका लौड़ा सोहा की गरमा गरम फुद्दी के सामने हार मान लेता....

सोहा को पता था की आज भी इरफान उसको नंगी करेगा, उसकी फुद्दी रगड़ेगा, अपना लौड़ा चुत में देगा पर फिर आधे में ही ढ़ेर होके सोहा को तड़पती छोड़ देगा. ना तो वो उसको ठंडी कर पायेगा और ना ही कुछ चुदाई का अलग तरीका, बस बुरखा उठाया, चुत रगड़ी और कुछ देर में खेल खल्लास. रोज रोज की इस तड़प से सोहा बिलकुल परेशां हो चुकी थी, अब उम्र की क्या थी उसकी बस ३६ साल? और इरफ़ान कुछ ३८ के करीब.

नयी नयी दुल्हन बनी थी तब तो बहोत चुदी थी इरफ़ान से, एक के बाद एक दो बच्चे भी पैदा कर दिए सोहा ने पर आजकल न जाने क्यों इरफ़ान का लंड उसकी प्यास बुझाने में नाकाम हो रहा था. इरफ़ान जब दुकान पे जाता और बच्चे जब स्कुल में होते थे तब सोहा को अपनी फुद्दी की मरमत्त करने का मौका मिलता था, दोपहर को खाना खाने के बाद सोहा हर रोज नंगी होके अपनी चुत में कभी गाजर तो कभी बैंगन घुसाके खूब चोदति। बैगन-गाजर उसकी फुद्दी का पानी से और नमकीन हो जाता था और हवस में पागल सोहा अपने ही फुद्दी का पानी उस बैंगन गाजर से चाट चाट के पी जाती।

"सोहा, कहा रह गयी मेरी जान?" इरफ़ान ने अपने मुरझाये हुवे लुल्ली पर हाथ फेरते हुए सोहा को आवाज लगायी, आज उसको फिरसे अपनी लुल्ली शाबान की फुद्दी में घुसाके चुदाई का मजा लेना था. "ओफ़्फ़्फ़्फ़ ओह्ह धीरे चिल्लाओ, बच्चे सो रहे है, रोज रोज का नाटक है आपका, कुछ होता तो है नहीं बस गरम करके छोड़ देते हो आप" सोहा चिल्लाते हुए इरफ़ान पे टूट पड़ी.

सोहा का गुस्सा देख के इरफ़ान थोड़ा नाराज हो गया पर फिरसे उसने शब्बो को अपनी और खिंच के कहा, "अरे जानेमन नाराज क्यों होती हो? चलो आज आपका पानी निकलूंगा ये वादा रहा. देखो तो कैसे गरमा रहा है मेरा लौड़ा मेरी बेगम साहिबा..."

सोहा ने इरफ़ान के लुल्ली पे नजर डाली और उसका दिल ही बैठ गया, बुझे मन से उसने अपना हाथ उस लुल्ली पर घुमाया तो ना जाने क्या जादू हुवा और इरफ़ान की लुल्ली कड़ी होना चालू हुई. सोहा का बुरखा उठाते हुए इरफ़ान ने उस बुरखे को सोहा की गदरायी हुई गांड पर जमा किया और सोहा को चूमते हुए अपना हाथ उस मांसल गांड पर घूमने लगा. सोहा घर में रहती तो कभी चड्डी या ब्रा नहीं पहनती, बस बुरखे के निचे नंगी ही रहती खास करके जब रात का समय हो या फिर वो घर में अकेली हो, आज भी सोहा की गांड बुरखे के निचे नंगी ही थी और उसका शोहर उसकी गदरायी हुई गांड को मसल रहा था.

इरफ़ान का हाथ अब धीरे धीरे सोहा की गांड से होता हुवा उसकी फुद्दी की तरफ जाने लगा, शोहर की बाँहों में आधी नंगी सोहा उस हाथ की छुवन से गरमाने लगी, फुद्दी में पानी जमा होना चालू हो चूका था. दोनों मिया बीवी अपने ही धुन में एक दूसरे को चूमते जा रहे थे, इरफ़ान की लुल्ली भी अब कड़कने लगी थी और अचानक से इरफ़ान ने सोहा का बुरखा निकालके उसको पूरा नंगी कर दिया. फिरसे सोहा को चूमता हुवा उसने सोहा को बिस्तर पर नंगी लिटाया और खुद उसके चूँचे दबाते हुवे अपनी लुल्ली सोहा की चुत पर घिसने लगा.

इरफ़ान का यूँ चूचियां मसलना और उसके खड़े लुल्ली का चुत पर रगड़ना सोहा की आग और भड़का रहा था, उसने भी अपने शोहर के सर पर हाथ घुमाया और उसका सर अपनी चूँचियों पर दबाते हुए बोली, "आआह्ह्ह्हह्ह मेरी जान चूस इनको आज, जोर जोर से चुसो मेरे सरताज़ काटो मेरे निप्पल इरफ़ान आआह्ह्ह्हह अम्म्मीईई". सोहा की चूँचियाँ पूरी जोर जोर से चूसते हुए इरफ़ान ने अपना हाथ सोहा के फुद्दी तरफ बढ़ाया, सोहा की फुद्दी बुरी तरह से गरम हो चुकी थी, चुत का पानी बाहर आके उसकी जांघों को गीली कर रहा था. इरफ़ान की उँगलियाँ अब सोहा की चुत में घुसी और जोर जोर से वो अपने बीवी की भोसड़ी रगड़ने लगा, मुँह से चूँचियाँ चूस चूस के उसने उनको लाल कर डाला और अपनी उंगलिसे सोहा की फुद्दी को भी लाल कर डाला.

"आअह्ह्ह्हह ह्म्मम्म्म्म औरर जोर से मेरी जानननननन उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ मर गयी अम्मीईई" सिसकते हुए सोहा अपने शोहर को और उकसा रही थी, इरफ़ान ने अब अपना अगला दाव खेला और सोहा की चुत की तरफ अपना मुँह ले गया. सोहा की फुद्दी पानी से पूरी गीली हो चुकी थी, चुत का दाना रगड़न की वजह से फूल चूका था और उसी गरमाई फुद्दी पर इरफ़ान ने अपनी जबान रखी. किसी पालतू कुत्ते की तरह वो अपने बीवी सोहा की चुत चाटने लगा, जबान फुद्दी के अंदर घुसाके उसका नमकीन पानी जोर जोर से पिने लगा, सोहा भी इस हमले से तड़पने लगी थी.

उसकी सिसकियाँ पुरे कमरे में गूंज रही थी, पलंग पर नंगी पड़ी सोहा आज बड़े दिनों के बाद कामसुख का मजा ले रही थी, बड़े दिनों बाद शोहर से इस कदर मिलता प्यार देख के सोहा ज्यादा देर टिक नहीं पायी। "याहहहहहह अल्लाहहहहहहह" का नारा लगाते हुए सोहा ने अपने चुत का पानी अपने शोहर इरफ़ान के मुँह पर फेंक दिया, झड़ते हुए उसने इरफ़ान का सर जोर से अपनी फुद्दी पर दबाके रखा था, गांड ऊपर करके सोहा आज बड़े दिनों बाद किसी आदमी के हाथ से झड़ी थी. सोहा की साँसे जोर से चलने के कारन उसकी ३८ इंच की चूचियाँ ऊपर निचे हो रही थी, उसकी फुद्दी का दाना पूरा लाल होक चुतरस से चमक रहा था और उसका शोहर उसकी फुद्दी पर अभी तक जबान से चाट रहा था.

जब तक सोहा पूरी तरह से शांत नहीं हुई उसने इरफ़ान का मुँह अपने भोसड़ी पर दबाये रखा, उसका थरथर कांपता हुवा बदन अब धीरे धीरे शांत होने लगा और उसने अपनी आँखे खोलके इरफ़ान की तरफ देख के कहा, "वाह्ह्ह मेरे सरताज आज तो आपने सच में आपका वादा पूरा कर दिया, अब देखिये मेरा कमाल". सोहा ने झट से इरफ़ान को अपनी ओर खिंचा और उसके पैरों की तरफ अपना मुँह ले गयी, खुद अपनी गांड इरफ़ान के मुँह में देके बोली, "आज हम दोनों एक दूसरे का पानी ऐसे ही निकालेंगे मेरी जान, चलो घुसा दो आपकी जबान मेरे भोसड़े में"

अपनी गांड शोहर इरफ़ान के मुँह में दबती हुई सोहा ने उसकी लुल्ली अपना हाथ में ले ली, जोर जोर हिलाते हुए उसने झट से उसकी लुल्ली अपने मुँह में ले ली और इरफ़ान की सिसकी से कमरा गूंज उठा. किसी बाजारू धन्देवाली रांड की तरह सोहा अपने शौहर की लुल्ली चूसने लगी, इरफ़ान की लुल्ली लगभग ४-५ इंच की थी पर आज उसने जैसे नयी जान फंक दी हो किसीने। अपने शौहर की लुल्ली में जान आते देख सोहा फिरसे ख़ुशी से झूम उठी और पूरी लुल्ली मुँह में लेके चूसने लगी, इरफ़ान के टट्टे हाथ से सहलाते हुए उसने अपनी गांड भी इरफ़ान के मुँह पर घिसनी चालू की.

दोनों मियां-बीवी मिलके आज खुलके चुदाई का लुफ्त उठा रहे थे, सोहा की फुद्दी फिरसे गरम होने लगी थी और उसके चुतरस से इरफ़ान का मुँह फिरसे गिला होने लगा था. अपने बीवी की गदरायी हुई ४४ इंच की गांड फैलते हुए मियांजी ने अपनी जबान उस गीली गलियारों में फिरसे घुसा दी, सोहा के चुत्तड़ अपने हाथ से फैलते हुए उसने अपनी एक ऊँगली अपने बीवी की गांड के छेद पर लगा दी. सोहा उस हमले से खुद को रोक ना सकीय और भलभलाते हुए फिरसे इरफ़ान के मुँह पर झाड़ गयी, अब तो ऐसे झड़ी मानो उसकी फुद्दी से वो मूत रही है और इरफ़ान ने भी आज पहेली बार अपने बीवी को मूतते हुए देखा था.

इस नज़ारे को देख के इरफ़ान के लौड़े में जैसे आग ही लग गयी, उसने झट से सोहा को अपने आप से दूर किया और सोहा के ऊपर चढ़के उसकी दोनों टाँगे अपने कंधे पर राखी. अपने लुल्ली का सूपड़ा सोहा की भोस पे रख के उसने पूरी ताकत से शॉट मारा, सोहा की फुद्दी को फैलाती हुई उसकी लुल्ली अब उस चुत में अंदर बाहर होने लगी, सोहा ने भी अपने शौहर को जोर से गले लगाते हुए अपनी गांड ऊपर उठाने लगी. लगभग १० मिनिट तक इरफ़ान ने अपनी बेगम सोहा को जमके पेला पर अब उसकी लुल्ली जवाब दे गयी, आआअह्ह्ह्हह अह्ह्ह्हह्हह सोहहाआ चिल्लाते हुए इरफ़ान की लुल्ली से कुछ बुँदे सोहा की फुद्दी में छलक पड़ी.

सोहा आज बहोत खुश थी, उसके शोहर आज उसकी चुत का पानी दो बार ख़ाली करवा डाला था, खुद के हाथ से फुद्दी रगड़ते रगड़ते वो थक चुकी थी पर आज के श्याम ने उस गुजरे दिनों की सारि कमी भर दी थी. झड़ने के बाद इरफ़ान झट से खर्राटे मरने लगा की तभी इरफ़ान का मोबाईल चमका, इतनी रात को किसने मैसेज किया देखने के लिए सोहा ने उसका मोबाईल लिया और उसकी फटी चुत के साथ उसकी गांड भी फट गयी... इरफ़ान के मोबाईल पर उसके दुकान में काम करनेवाली आबिदा का मेसेज था वो...

आबिदा (मैसेज में) - सलाम मेरे पालतू कुत्ते, कैसे गुजर रही है रात? मेरी दवाई काम कर गयी ना?

मैसेज के साथ साथ और एक चौकाने वाली बात ये थी की आबिदा ने अपनी पुरे नंगे बदन की तस्वीर भेजी थी और उसके नीचे लिखा था, "अब कल तुझे मैं दिखाउंगी चुदाई कैसे करते है, देख इसको हिजड़े, कल इसी लौड़े से तेरी गांड मार मार के मेरा माल तेरे मुँह में निकालूँगी"

जो समझदार है उनको पता चल ही गया होगा की आबिदा मतलब एक लंडधारी महिला है और इरफ़ान के गांड की मालकिन। सोहा को भी सारी बात समझते देर नहीं लगी की आखिर क्या हो रहा है. आबिदा का लटकता हुवा लौड़ा, सीने पे फूली हुई बड़ी बड़ी चूँचिया और सर से लेके पाँव तक औरत का रूप देख देख के सोहा समझ गयी की उसका शौहर अब क्या गुल खिला रहा है. कुछ देर तो उसके हाथ पाँव कांपने लगे, पूरा बदन पसीने से लथपथ हो चूका था पर धीरे धीरे उसने खुदको संभाला और उसने ठान ली की चाहे जो भी हो जाए वो इरफ़ान को सही रस्ते पर लेके आएगी और आबिदा जैसी बला से छुटकारा करेगी.

सोहा अभी भी नंगी ही लेती थी, उसकी हालत समझनेवाला वहाँ कोई नहीं था, पर अपने दिल को तस्सली देते हुए उसने अपना गाउन पहना और वो बाथरूम की तरफ जाने लगी की तभी फिरसे एक मैसेज इरफ़ान की मोबाईल पर आ धमका. स्क्रीन पर वही नाम था, "आबिदा", डरते हुए सोहा ने उस मैसेज को खोला और वो वही धड़ाम से निचे बैठ गयी, "हाय अल्लाह ये क्या हो रहा है मेरे साथ" सोचते हुए सोहा की आँखे नम हो गयी. मैसेज में आबिदा ने एक वीडियो भेजा था जिसने इरफ़ान उस लण्डधारी आबिदा का लौड़ा चूस रहा था, आबिदा भी जोर जोर इरफ़ान के बाल पकड़ के उसका मुँह चोद रही थी. कुछ सेकण्ड की उस विडिओ ने सोहा की जिंदगी बदल दी, गुस्से से लाल होके उसने इरफ़ान का मोबाईल लिया और छत पर चली गयी.

आज तो इस आबिदा को सबक सीखा के रहूंगी ये सोचते हुए उसने आबिदा का नंबर लगाया, अबीदाने भी झट से फ़ोन उठाते हुए कहा, "बोल मेरे कुत्ते, कैसे रही तेरे बीवी की चुदाई? मजा आया न भोसड़ीके?"

आबिदा के मुँह से ऐसी गन्दी जबान की उसको शायद कल्पना नहीं थी पर उसने अपने गुस्से को जताते हुए कहा, "क्या बद्तमीज़ी है ये आबिदा, और ये सब क्या भेज रही हो इरफ़ान के मोबाईल पर? देखो अगर ज्यादा नाटक किया तो कल पुलिस बुलाके अंदर कर दूंगी तुझे और हां कल से दुकान पर आने की कोई जरुरत नहीं है समझी?"

सोहा ने खरी-खोटी सुनाई तो आबिदा कुछ पल के लिए चौंक गयी पर आबिदा डरनेवालों मेसे नहीं थी, उसने झट से पलट के जवाब दिया, "सुन सोहा तू मुझे क्या खाक पुलिस में भेजेगी रंडी? साली तेरा शौहर खुद मेरे पास आता है और सुन अब देख में इरफ़ान की इज्जत कैसे मिटटी में मिलती हूँ साली मुझे पुलिस में भेजेगी? अब तो देख में क्या हाल करती हूँ तेरे इरफ़ान का."

सोहा ने जैसे ही सुना की आबिदा इरफ़ान को बर्बाद करने पर तुली है तो उसका सारा गुस्सा डर में बदल गया, उसने कांपते हुए आबिदा को बोलै, "देखो आबिदा, हम एक शादीशुदा जोड़ी है, तुमको क्या मिलेगा ऐसे करके? पैसे चाहिए तो बोलो में दे दूंगी पर हमारी जिंदगी से दूर चली जाओ, मैं गुजारिश कर रही हूँ तुमसे."

आबिदा को पता चल चूका था की अब सोहा भी उसके धमकी से डर गयी है तो उसने अपना अगला फांसा फेका और बोली, "ठीक है सोहा, पर मेरी एक शर्त है. मुझे पैसे नहीं चाहिए और ना ही तेरा शौहर पर एक बार तुमसे मिलते हुए जाना है, उसके बाद तुमको मेरी शकल फिर कभी नहीं दिखेगी"

सोहा को आबिदा की बातों पर विश्वास हो गया और वो झट से उससे मिलने के लिए राजी हो गयी, ये सोहा की भूल उसको कितनी मेहेंगी साबित होनेवाली थी इसका अंदाजा उसको नहीं था. पर शायद अपना घर और अपना सुहाग बचाने के लिए उसने आबिदा से मिलने का मन बना लिया, अबिदाने उसको अपना पता भेजा और बोली, "कल ठीक १० बजे आ जाना, मुझे भी कुछ काम है वो करके मैं हमेशा के लिए दूर चली जाउंगी"

सोहा ने इरफ़ान के मोबाईल से कॉल्स और चैटिंग के सबूत मिटाये और ख़ुशी ख़ुशी वो सोने चली गईं, इरफ़ान नंगा ही खर्राटे भर रहा था. सोहा ने उसको देखा और कल के बारे में सोचने लगी, ऐसे कैसे इरफ़ान बदल गया, ऐसा क्या हुवा की इरफ़ान को ये सब करने की आदत लग गयी और इसी दौरान उसको कब नींद आयी उसको पता ही नहीं चला...

सुबह ७ बजे...

इरफ़ान ने चिल्लाते हुए सोहा को जगाया, "और कब तक सोयेगी? नाश्ता तो तैयार कर दे दुकान पर जाना है मुझे आज ८ बजे, माल की डेलिवरी गांड फैलाके सो रही है?". सोहा ने बिना कुछ बोले किचन में कदम रखा, इरफ़ान का और बच्चों का नाश्ता बनाते हुए वो आबिदा से मिलने के बारे में सोचने लगी, वो मन में तो खुश थी की अब आबिदा और इरफ़ान दोनों एक साथ नहीं रहेंगे और उसका इरफ़ान अब सिर्फ उसका ही रहेगा. नाश्ता करके आज इरफ़ान जल्दी ही अपनी दुकान पर चला गया पर ये तो सिर्फ सोहा को बताने के लिए, उसकी असली मंजिल थी आबिदा का घर जहा आबिदा का लंड उसके गांड का इंतजार कर रहा था.

इरफ़ान के जाते ही सोहा ने बच्चों को जगाया, उनको तैयार करके दोनों को स्कुल भेज दिया और खुद भी नहा धोके तैयार होने लगी, आबिदा के बारे में सोच सोच के उसका दिमाख भारी हो रहा था. सच तो ये था की अब भी उसके दिमाख में आबिदा का मुसल लौड़ा घूम रहा था, वैसे तो कभी कभी पोर्न देख के उसने अपनी फुद्दी को शांति दिलाई थी तब वह उसने बड़े बड़े लौड़े भी देखे थे पर असल जिंदगी में कभी नहीं. काम ख़तम करते करते साढ़े नौ बज गए और सोहा ने अपना घर छोड़ा, उसके कदम अब तेल तेल चलने लगे, आबिदा के घर के पास आके उसने आबिदा को कॉल किया तो आबिदा ने भी उसको सही रास्ता दिखते हुए अपने बुलाया.

वैसे तो आबिदा का घर बड़ा था, भाड़े का था पर अच्छा था, घर में एक अजीब किस्म की सुगंध आ रही थी और उसके चलते पता नहीं कैसे सोहा का बदन तपने लगा. सोहा को गले लगते हुए आबिदा ने उसको सोफे पर बिठाया और उसके लिए शरबत लाने चली गयी, सोहा घर की दीवारों पर लगी पेंटिंग्स देख ही रही थी तभी आबिदा ने उसको शरबत पेश किया. दोनों शरबत का स्वाद लेते हुए बाते करने लगी, आबिदा ने इरफ़ान और उसके रिश्ते के बारे में सब कुछ सच सच बता दिया की कैसे इरफ़ान के शौक़ की वजह से उन दोनों की पहचान हुई और कैसे इरफ़ान उसके सामने किसी औरत की तरह पेश आता है.

सोहा को भी पता चला की अपना ही सिक्का खोटा है और आबिदा को गलत समझने का कोई मतलब नहीं, इरफ़ान की इस गन्दी हरकत से सोहा परेशां थी और ऊपर से उसकी लुल्ली भी आजकल उसके तन की प्यास बुझाने में नाकाम हो रही थी. शरबत पीते हुए अचानक से सोहा का सर चकराने लगा, पहले तो उसको लगा की कल रात से उसका दिमाख कुछ ज्यादा ही सोच सोच के भारी हो गया है और इसलिए उसको चक्कर आ रहे है. आबिदा से बात करते हुए उसका बदन तपने लगा और इस बात की भनक आबिदा को भी होने लगी, सोहा के सामने बैठ बैठे अब वो उसके बदन को ताड़ रही थी. बुरखे में छुपा हुवा मदमस्त बदन देखने के लिए आबिदा मरी जा रही थी और उसने भी सोहा को बोला, "अरे इतनी गरमी में ये बुरखा क्यों पेहेन रखा है, अब तो घर में ही हो, चलो निकालो इसको आराम से बैठके बाते करते है."

सोहा को आबिदा की बात सही लगी और उसने भी अपना बुरखा निकाल के सोफ़े पर रख दिया, बुरखे के अंदर छुपी हुई जवानी आबिदा के सामने थी. सोहा के फुले हुए चूँचे, उसका गदराया हुवा मांसल बदन और ४४ की चरबी से भरी गांड देख के आबिदा के लौड़े ने गर्दन उठाना चालू किया. सोहा का सर अब भारी होने लगा था, उसके आँखों के सामने एक अजीब सा नशा महसूस हो रहा था, उसकी निप्पल्स अचानक से कठोर होना चालू हो चुके थे और जांघों के बिच एक जानी पहचानी खुजली हो रही थी. आबिदा अब बात करने के बहाने से सोहा की बगल में जा बैठी और उसने मजाक मजाक में सोहा की पीठ सहलाना चालू किया, सोहा को पता था की आबिदा एक किन्नऱ है और उसके ऐसे स्पर्श से सोहा भी पिघलने लगी.

दरअसल आबिदा ने जो शरबत सोहा को दिया था उसमे अबिदाने भारी मात्रा में कम्मोतेजक दवाई मिला दी थी, पहेली बार ऐसी दवाई लेनेवालों को अच्छी पता है की पूरा बदन धीरे धीरे तपने लगता है, पसीना निकलने लगता है और लिंग या योनि में कामवासना भभकने लगती है. सोहा ने आज एक मदहोश कर देने वाला इत्तर लगाया था, उस इत्तर की खुशबु से आबिदा से रहा नहीं जा रहा था पर आबिदा को तब तक खुद को क़ाबू में रखना था जब तक सोहा खुद चुदने के लिए राजी ना हो जाए. दवाई ने अपना काम बखूबी निभाया, सोहा की फुद्दी गरम हो चुकी थी, आबिदा के हाथ से उसके अंदर भी चुदवाने की इच्छा बढ़ने लगी.

सोहा की गर्दन पर अपनी नाक लेते हुए आबिदा बोली, "क्या बात है सोहा, बड़ा ख़ुशबूदार इत्तर है तुम्हारे पास तो?". सोहा की गर्दन पर अपनी गरम साँसे छोड़ते हुए उसने सोहा को तड़पना चालू किया, सोहा की तड़प देख के आबिदा ने अपने ओंठ सोहा की गर्दन पर टिकाये और उसको हल्केसे चुम लिया. आआह्ह्हह्ह्ह्ह की एक लम्बी सिसकी सोहा के मुँह से निकली और उसने गर्दन घुमाके आबिदा को देखा, दोनों के चेहरे एकदूसरे के बिलकुल आमने सामने आ गए और कुछ पता चले उससे पहले आबिदा ने अपने ओंठ सोहा की और बढ़ा दिए. सोहा तो कबसे गरम हो चुकी थी, उसको अब बस चुदाई नजर आ रही थी फिर चाहें औरत हो, मर्द हो या कोई किन्नऱ, सोहा ने झट से बिना कुछ सोचे अपने ओंठ आबिदा के ओंठोंपर चिपका दिए.

आबिदा को पता था की मछली जरूर ज़ाल में फसेंगी पर उसको इंतजार था की कब मछली ख़ुद जाल में फसे, जैसे ही सोहा ने आबिदा को चूमना चालू किया तो उसने भी पूरी शिद्दत से सोहा को चूमना चालू किया। सोहा को सोफे पे लटके उसने अपने हाथ सोहा के बदन पर घमाना चालू किया, सोहा की चूँचिया मसलते हुए उसने अपनी जबान सोहा के मुँह में दे दी और खुद शो की ज़बान चूसना चालू किया. सोहा आँखे बंद करके उस कामक्रीड़ा का आनंद लेने लगी, आबिदा ने अपने वश में आयी उस सोहा नामक मुर्गी के कपडे अब धीरे धीरे अलग करना चालू किया. खुदके कपडे उतरते देख, सोहाने भी आबिदा का कुड़ता उतार दिया, एक ही झटके में आबिदा की सलवार का नाड़ा तोड़ दिया और उसकी सलवार जमीं चूमने लगी.

जैसे ही आबिदा की सलवार निचे गिरी उसका काला लंड सोहा के सामने लहराने लगा, सोहा के बाल पकड़ के आबिदा ने उसका मुँह अपने लौड़े पर दबाया और बिना कुछ कहे सोहा का लौड़ा चूसने का फरमान जारी किया. फुद्दी में जैसे आग लग चुकी थी सोहा के, इरफ़ान के लुल्ली से दुगना बड़ा लंड देख के सोहा ख़ुशी से पागल हो गयी और किसी बाजारू २ कौड़ी की रंडी की तरह उसने आबिदा का लंड अपने हाथ में ले लिया. आबिदा किन्नऱ जरूर थी पर फिर भी उसका लौड़ा ७ इंच से कम नहीं था, शायद उसने लौड़े पर उसने किसी तेल से मालिश की थी, जिसके चलते आबिदा का लंड महक रहा था, चमक रहा था.

एक हाथ से सोहा के बाल और दूसरे हाथ से अपना लौड़ा पकड़ के आबिदा ने अपना लौड़ा उसके मुँह पर रगड़ना चालू किया, सोहा भी वासना की आग में पागल होके उस लौड़े को सूंघने लगी, अपनी जबान बहार निकाल के उसने आबिदा का लौड़ा चाटना चालू किया. अगले ही पल सोहा ने अपनी आँखे बंद कर ली और आबिदा का लौड़ा मुँह में भर लिया, सोहा के बदन पर जमी हुई ब्रा का हुक निकालते हुए आबिदा ने उसके गोरे गोरे चूँचे नंगे कर दिए. आबिदा के अब दोनों हाथ सोहा के चूँचोंको मसलने लगे थे, अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए उसने अपने लौड़े से सोहा का मुँह चोदना चालू किया. कामोत्तेजक दवाई सोहा के बदन में ऐसे घूम चुकी थी की अब उसको खुदकी कोई भी थी, चुदाई के आस में पागल सोहा अपनी इज्ज़त आबिदा के चरणों पर समर्पित कर चुकी थी और उसका लौड़ा चूस चूस के मजे ले रही थी.

कुछ देर लौड़ा चुसवाने के बाद अबिदाने सोहा के बाल खींचे और उसके मुँह पर जोर से थप्पड़ मारते हुए बोली, "क्यों मादरचोद रंडी? पुलिस बुलाएगी? मुझे जेल में भेजेगी अब देख छिनाल कैसे तेरे इज्जत की माँ चोद दूंगी आज". सोहा के बाल खींचते हुए आबिदा ने उसको सोफे पर पटक दिया और सोहा की सलवार फाड़ते हुए उसकी निक्कर भी खिंच के बदन से अलग कर दी. वासना और नशे की हालत में झूमती सोहा को उसके साथ हो रहे इस बर्ताव का जरा भी बुरा नहीं लगा, उसको तो पता ही नहीं था की उसके साथ क्या चल रहा है. जैसे ही सोहा मादरजात नंगी हो गयी वैसे ही आबिदा ने शीशे के पास रखा कैमेरा चालू कर दिया और फिरसे अपना लौड़ा सोहा के मुँह में देके उसका मुँह चोदने लगी.

सोहा के मुँह से निकलती लार से आबिदा का लंड पूरा गिला हो चूका था, काला लंड पानी में जाके जैसे चमकने लगता है वैसे ही आबिदा का लंड भी सोहा की लार से चमक रहा था. सोहा के मुँह को चोदते हुए आबिदा उसके मम्मे किसी आटे की तरह गूँथ रही थी, निप्पल्स को उंगलियों के बिच में पकड़ के मरोड़ रही थी, खिंच रही थी. इस सबसे दर्द होने की बजाय सोहा को ये सब अच्छा लग रहा था, साली दवाई भी क्या खूब काम कर रही थी अपना की एक घरेलु पाक दामन औरत भी किसी लावारिस कुटिया की तरह चुदवा ने को तैयार हो चुकी थी. सोहा का मुँह सोफे पर रख के आबिदा उसके सर के पीछे खड़ी थी, सोहा का मुँह वो किसी चुत की तरह चोद रही थी, कभी सोहा के चूँचे तो कभी उसकी फुद्दी को मसलते हुए उसने सोहा का मुँह जमके चोदा।

१०-१२ मिनिट तक सोहा के मुँह की चुदाई करके आबिदा ने सोहा को सोफे के निचे खिंचा और उसके बालों को पकड़ के उसको घसीटने लगी, अपने बेडरूम में ले जाके उसने सोहा को पलंग पर धकेल दिया और किसी को फ़ोन लगाने लगी. शायद सोहा का अंदाजा नहीं थी की उसके साथ क्या हो रहा है पर कैमेरा अपना काम कर रहा था, सोहा अपनी इज्जत खुद ही कैसे लुटवा रही है ये साफ़ दिखाई दे रहा था. सोहा को अब अपने चुत की चुदाई करवाने की जल्दी थी तो उसने फिरसे आबिदा को अपने पास खिंच और उसका लौड़ा हाथ में लेके सहलाने लगी. नशे के कारण उसको खुद को पता नहीं था की वो क्या बोल रही है, आबिदा के सामने बैठ के और उसका लौड़ा सहलाते हुए लगभग भिक मांगते हुए उसने कहा, "चोदो मुझे आबिदा, फाड़ दो मेरी चुत प्लीज आबिदा तरसाओ मत बहोत तरसी हूँ मैं चुदाई के लिए."

सोहा की हालत पर एक बार तो आबिदा को तरस आया पर उसको कोई फरक नहीं पड़ा, सोहा के मुँह पर तमाचा मारते हुए आबिदा बोली, "सुन रंडी की औलाद, मालिकन हूँ मैं तेरी और तेरे शौहर की बहनचोद, चल मेरे तलवे चाट और मजे दे मुझे". वासना और नशे की हालत में सोहा ने झट से आबिदा के पैरों पर अपना सर रखा और अपनी जबान बहार निकाल के उसके तलवे चाटने लगी. आबिदा ने भी दो तीन बार पैरों से उसके मुँह पर लाथ मारी पर फिर से उठके सोहा उसके कदमों में जा के तलवे चाटने लगी, किसी गुलाम की तरह वो आबिदा के तलवे चाट ही रही थी की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई.

सोहा को वैसे ही नंगी छोड़के आबिदा ने अपना बदन शाल से ढक लिया और दरवाजा खोलने चली गयी, दरवाजे पर खड़ी नेहा और इरफ़ान को देख के वो ख़ुशी उनके गले लगी और उन दोनों को अंदर लेते हुए उसने दरवाजा बंद कर दिया. अंदर आते ही आबिदा और नेहा ने एक दूसरे को चूमा और इरफ़ान को कपडे निकालके नंगा होने का इशारा किया. इरफ़ान ने अपनी दोनों मालकिन नेहा और आबिदा का हुकुम मानते हुए अपने कपडे निकाले, नेहा ने अपनी पर्समे से एक बेल्ट निकला और इरफ़ान के हाथ में दे दिया. इरफ़ान को पता था की उसे क्या करना है, उसके अपने हाथ से वो बेल्ट अपने गले में बांध लिया और घुटनों पर बैठ के अपनी जबान बाहर निकाली। आबिदा और नेहा दोनों इरफ़ान को इस हालत में देख के उसको चांटे मरने लगी, नेहा ने तो उसके मुँह पर थूक दिया और इरफ़ान किसी वफादार कुत्ते की तरह नेहा की थूक चाटने लगा.