होनेवाले दामाद से सास चुद गयी

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आरव ने गाड़ी बंद करके, दूसरे तरफ का दरवाजा खोला और रत्ना को घसीटते हुए कार से बाहर निकाला, रत्ना को अपनी बाँहों में उठाते हुए उसने मुझे लिफ्ट की तरफ बढ़ने का इशारा किया. रत्ना को लेके अब मैं और आरव हमारे घर में दाखिल हुए, आरव ने आज रत्ना को मेरे बेडरूम में लाया और उसे मेरे बिस्तर पर पटक दिया, रत्ना बेहोश थी, पर मेरे और आरव को ये सही मौका हाथ लगा था. आरव मेरी तरफ ही देख रहा था, हमारी आँखे मिलते ही वो मेरी तरह और मैं उसके तरफ बढ़ने लगे और कुछ ही पलों में मैं मेरे दामाद के और मेरा दामाद मेरे ओंठ चूसने लगा. एक दूसरे को चूमते हुए हमने हमारे कपडे अपने बदन से अलग करना भी चालू किया, आरव ने मेरे कंधे पर पिन से बंधा हुवा मेरा पल्लू निकाला और मेरे मम्मे मसलने लगा.

आरव का हाथ जैसे जैसे मेरे मम्मों को मसल रहा था वैसे वैसे मेरे चुत का पानी मेरे गदराई मांसल जांघों से बहने लगा, मेरी चड्डी तो कब की गीली हो चुकी थी और मेरे चुत का पानी सोकने की उसकी क्षमता ख़तम हो चुकी थी. मेरे ओंठो को बुरी तरह से चूस रहा था मेरा दामाद, ब्लाउज के ऊपर से कभी मेरे चूँचे तो कभी मेरे निप्पल्स बुरी तरह से मसल रहा था और मैं मदहोश होक उसके बाल सहलाते हुए उसको चुम रही थी. अचानक आरव का हाथ मेरे ब्लाउज की हुक की तरफ गया, उसे मेरे यानी उसकी होनेवाली सास की चूँचियाँ पनि थी और आगे पीछे की बिना सोचे समझे उसने मेरे ब्लॉक के हुक्स को खींचते हुए मेरा ब्लाउज फाड़ डाला. एक बार तो इस हमले से मेरी चींख निकल गयी पर अगले ही पल मुझे आरव का चेहरा मेरे मम्मों के बिच में महसूस हुवा, उसकी गरम साँसे मेरे फुले हुए ३८ इंच के चुंचो पर बिजली की तरह गिर रही थी. साँसों का वेग बढ़ने के कारण मेरी चूँचियाँ भी जोर जोर से ऊपर निचे हो रही थी, और अगले ही पल आरव ने मेरे ब्रा को खोले बिना मेरा एक बोबा बाहर निकाल लिया.

मेरे गोर बदन का गोरा बोबा देख उसने मेरे निप्पल्स को चूमा और झट से पूरा बोबा मुँह में लेके चूसना चालू किया, आआह्ह्ह्हह्ह आराववववव की एक किलकारी मेरे मुँह से निकली। उसका सर मेरे चुचे पर दबाते हुए मैं भी मेरा पूरा बोबा उसके मुँह में देने लगी, मेरा दूसरा बोबा अपने हाथ से मसलते हुए उसने उसे भी ब्रा से बाहर निकाल लिया और दोनों चूँचे बारी बारी चूसने लगा. किसी बच्चे की तरह मेरे निप्पल्स अपने ओठों में लेके चूस रहा था मेरा दामाद और मैं उसके इस खेल में उसका पूरा साथ दे रही थी. मेरे हाथ भी अब मैंने आरव के जींस के ऊपर ले आयी और उसकी बेल्ट निकालते हुए जींस का बटन खोलने लगी. कुछ ही पल में आरव की जींस खुल गयी, उसका खड़ा लंड उसकी अंडरवेर में कैद था पर मैं तो जैसे भुकी कुत्तिया बन चुकी थी तो आईने भी अपना हाथ उसके अंडरवेर में डालके उसके लंड को पकड़ लिया.

एक हाथ से आरव का लंड सहलाते हुए मैंने दूसरे हाथ से उसकी जींस और अंडरवेर निचे खींचनी चालू की, मेरी मनीषा देख आरव मुझसे अलग हुवा और खुद ही अपने बाकी के कपडे निकालते हुए पूरा नंगा मेरे सामने खड़ा हो गया. मेरे पास आके सबसे पहले उसने मेरी साड़ी उतार दी, मेरा फटा हुवा ब्लाउज और ब्रा तो उसने खिंच कर पूरी फाड़ दी, मैं एक जवान बच्ची की माँ मेरे दामाद के सामने सिर्फ चड्डी में खड़ी थी. ४५ की उम्र में बदन और गदराया होता है, पेट, जाँघे, कमर पर चरबी चढ़ जाती है और ऐसे बदन को नोचने का मजा कुछ और ही होता है. आरव भी मेरे इस अधेड़ उम्र वाले बदन को नोचने के लिए तड़प रहा था और मैं उसके जैसे नौजवान लंड के लिए, मुझे अपनी बाँहों में भरके उसने अपने हाथ मेरी गांड पर घूमना चालू किया था.

हमारे यह फिरसे मिले और जल्दी ही मैं उससे अलग होके उसके सामने घुटनों पर बैठ गयी, हलके काला रंग का लंड देख के मेरे अंदर की रंडी ने आवाज लगाई, "चूस इसे बहनचोद, खाजा इस जवान लौड़े को ममता रांड". बिना कुछ सोचे अगले ही पल मैंने मेरे दामाद का लौड़ा अपने मुँह में भर लिया, मेरी जबान उसके सुपडे पर घुमाते हुए मैंने उसके लंड से निकलते पानी का स्वाद लेना चालू किया. मेरा एक हाथ उसके लौड़े पर तो दूसरे उसको टट्टों पर रखके मैं मेरे दामाद को मुखमैथुन का मजा दे रही थी, आरव ने भी मेरे सर पर हाथ रखके अपनी कमर आगे पीछे हिलाना चालू की.

मुझे तकलीफ ना हो इसका ध्यान रखते हुए उसने धीरे धीरे मेरा मुँह चोदना चालू किया, उसके गरम गरम टट्टे दबाते हुए मैंने भी आरव के लंड का पानी पीना चालू किआ. पहले २-३ इंच तक घुसने वाला लंड अब ४-५ इंच तक मेरे मुँह में घुस के बाहर आने लगा, जैस जैसे मेरी जबान उसके सुपडे पर घुमाती वैसे वैसे उसके लौड़े से पानी रिसना चालू हो चूका था. "आअह्ह्ह्हह उम्मम्मम ममताआ चूस साली रांड, देख कैसे गांड फैलाके सो रही है तेरी रांड बेटी बहनचोद चूस ले बेहेन की लौड़ी" बोलते हुए उसने अब जोर जोर से मेरा मुँह चोदना चालू किया, मेरे हाथ ने उसके टट्टे और भी फूलने लगे थे. अचानक से पहा नहीं कैसे पैट मेरा हाथ जो उसके टट्टे सेहला रहा था और थोड़ा आगे खिसक गया और आरव की गांड के छेद पर मेरी उंगलिया रगड़ने लगी. इस हमलसे आरव और भी ज्यादा खूंखार हो गया, मेरे बाल खींचते हुए उसने मुझे ऊपर उठाया और मेरी बेटी रत्ना की बगल में मुझे लिटाया, खुद पलंग के निचे खड़ा होके उसने फिरसे लौड़ा मेरे मुँह में भर दिया.

मेरा मुँह अब आरव के लौड़े की तरफ था और मेरी टाँगे मेरे बेटी की तरफ, खड़े खड़े आरव ने अब मेरे सीने के दोनों गुब्बारे अपनी मुट्ठी में कैसे और मेरे मुँह को चुत समझके चोदने लगा. मैं ना तो कुछ बोल पा रही थी और उसके ताकत के सामने उसको रोक पा रही थी, कुछ देर उसने जमके मेरे मुँह का भोसड़ा बनाया पर मेरी आँखों से बहते आसुंओं को देख के शायद उसका दिल पिघला. मेरे मुँह से पैन लौड़ा बाहर खींचते हुए अब तो मेरे पास आ गया, मुझे किस करते हुए उसने अब मेरे मम्मों को अपना निशाना बनाया, कभी दाया तो कभी बाया चूंचा चूसते हुए उसने मेरे गुब्बारों को पुरे ताकत से मसलना और चूसना चालू किया. मैं अब मेरे ही घर में, मेरे ही बेटी के सामने नंगी होके बिलकुल उसकी बगल में किसी रंडी की तरह अपने दामाद से वासना का खेल खेल रही थी.

धीरे धीरे मेरे चुन्चों से आगे बढ़ते हुए अब आरव मेरे पेट, कमर से होते हुए मेरी जांघों को चूमने लगा, मेरे बदन पर बस अब मेरी गीली चड्डी बची थी जो मेरे बेटी की माँ की इज्जत की रक्षा कर रही थी. मेरी जांघों को चूमते हुए अब उसने धीरे से मेरे चड्डी को निचे सरकना चालू किया और मेरे बेटी रत्ना के सामने उसकी माँ नंगी हो गयी, मेरे दामाद ने मेरी चड्डी मेरे पैरों से निकाली और मेरी तरफ देख के उसे सूंघने लगा. मेरे चुतरस की खुशबु से शायद उसका लौड़ा लौड़ा और आग फेंकने लगा तो उसने पलटी मारते हुए फिरसे उसका लंड मेरे सामने कर दिया. मतलब 69 की हालत में आके आरव अब मेरे फुद्दी को किस करने लगा और उसका लौड़ा मेरे ओंठो पर दस्तक देने लगा, जैसे ही उसकी जबान मेरे दाने पर गयी तो मैंने भी गांड ऊपर उठा दी. दोनों एक दूसरे के बगल में लेटने के कारण मुझे चुत चुसवाने का मजा ठीक से नहीं निल रहा था, यहाँ पहले से इतनी गरम थी.

आरव को लगभग मेरे बेटी के ऊपर ढकेलते हुए मैं किसी मंझि हुई रांड की तरह उसके ऊपर आ गयी, मेरी गांड उसके मुँह पर दबा दी और बोली, "ले कुत्ते अब चूस तेरे माँ का भोसड़ा भोसड़ीके, खाजा मेरी फुद्दी दरिंदे." मेरे हवस की आग और मुँह से निकलती गलियां सुनके आरव थोड़ा हड़बड़ाया पर अगले ही पल उसकी खुरदरी जीभ मेरे चुत से आरपार कर दी उसने, मेरे गांड के गदराये हुए नगाड़े अपने मुट्ठी से मसलते हुए उसने मेरे गांड को अपने हाथ से चिर दिया. अब मेरी चुत और गांड दोनों का छेद आरव की जबान से रगड़ने लगा, शराब की मदहोशी से कई ज्यादा मुझे मेरे चुत की आग ने बेशरम बदचलन बना दिया और मैं मेरे होनेवाले दामाद के मुँह पर मेरी गांड और चुत रख के उससे चटवाने लगी.

आह्ह्ह्ह क्या एहसास होता है जब मर्द उसकी जबान चुत के अंदरूनी दीवारों पर रगड़ता है, नाजुक मखमली दीवारें हिल जाती है और फुद्दी इस ख़ुशी के मौके पर अपने आप खुल जाती है. मेरे फुद्दी का द्वार भी खुल रहा था, मेरे दामाद की जीभ कमसे काम ४-५ इंच तक मेरे भोसड़े में घुसी जा रही थी और मैं खुद अपनी गांड हिलाके मेरी चुत उसकी जबान पर घिस रही थी. आरव के मुँह पर बैठ के मैं अब उस मजे से मदहोश होके खुद की चूँचिया दबाने लगी, मेरे निप्पल्स १ इंच तक फुक गए थे जिन्हे में मेरे उँगलियों से पीस रही थी. "आअह्ह्ह्ह उम्मम्मम्मम मेरे शेर खाजा मेरी फुद्दी बेहेंछोड़ड़ड़ड़ आज चोद चोद के रंडी बना दे तेरी सास को भोस्डीकेएई माआआ इस्सशःह्ह्ह्हह्ह" की आवाजे निकालते हुए मैं मेरे ही बेटी के सामने उसके पति से अपने चुत चटवा रही थी.

बगल में बेहोश होके सोती हुई रत्ना का वन-पीस ड्रेस लगभग उसके जांघों पर चढ़ चुका था, उसकी चुत ढ़कनेवाली उसकी लाल रंग की चड्डी मुझे दिखाई दे रही थी और इधर मेरा दामाद मेरे जवान बेटी को छोड़के उसकी माँ की इज्जत पर डाका डाल रहा था. तभी मेरी नजर उसके लंड पर पड़ी, आरव का लौड़ा गुस्से से मेरी तरह देख रहा था मानों मुझे गाली देके बोल रहा हो, "साली रंडी की औलाद, देख क्या रही है, चूस मुझे मुँह में लेके छिनाल". मैंने भी उसके लौड़े को हाथ में ले लिया और उसे मुठ मारने लगी, तभी आरव ने निचेसे मेरी चुत चूसना बंद करते हुए बोलै, "तेरे माँ का भोसड़ा साली रांड, मुँह में ले छिनाल, तेरे बेटी की चुत का मालिक है मेरा लौड़ा भोस्डीकी". मुझे तो जैसे खुला मैदान मिल गया था, मुझे ना अब रत्ना की चिंता थी और ना मानस जी की, मैं एक रंडी बनके आज मेरे दामाद से चुदवाने जा रही थी.

आरव का ६-६. इंच का लंड मैंने झट से मुँह में ले लिया, उसके ऊपर झुकने से मेरी चूँचियाँ भी उसके पेट पर पिचक गयी और मैं किसी रखैल की तरह मेरे दामाद का लौड़ा चूसने लगी. अभी अभी कुछ देर पहले मेरे मुँह को चोदने से उस लंड पर मेरी थूक जमा हुई थी, उस थूक से आरव का लंड चमक रहा था और मैंने मेरे ही थूक से भरे उस लंड को अपने मुँह में भरके चूसना चालू किया. मेरे चूसने से अब आरव भी निचे से सिसकने लगा, जोर जोर से मेरे भोसड़े में जबान घुसते हुए उसने मेरे गांड पर थप्पड़ मरना चालू किया और कभी मेरी चुत तो कभी मेरी गांड को चाट चाट के उसने मुझे फिरसे झड़ने पर मजबूर कर दिया. आरव का लौड़ा मुँह में दबाते हुए मैंने पुरे जोर से मेरी गांड मेरे दामाद के मुँह पर दबा दी और एक के बाद एक मेरे चुतरस की पिचकारियां मेरे दामाद के मुँह पर ख़ाली कर दी.

मेरे झड़ते हुए भी आरव अपनी जबान से मेरे दाने को और चुत को चूस रहा था, मेरे चुत का सारा पानी बिना किसी शिकायत के उसने पि लिया और मैं पिछले १ घंटे में २ बार झड़ी थी. लेकिन अब मुझे मेरे भोसड़े को ठंडा करना था, मुझे लंड चाहिए था जो मेरे भोसड़े में घुसे और मुझे किसी आवारा सड़कछाप कुतीया की तरह चोदे, मुझे रंडी बना दे, मेरी इज्ज़त को लूट ले और मुझे बेहोश कर दे. मेरे चुत को पूरा निचोड़ कर आरव ने मुझे अपने ऊपर से उतारा और मेरे बाल पकड़ कर मेरे मुँह पर थूकते हुए बोलै, "ले बहनचोद, तू भी चख ले तेरे इस रंडी चुत का माल". मेरे थूक से सने मुँह पर अपना लौड़ा घुमाते हुए उसने पूरा थूक अपने लौड़े पर लगाया और फिर से उस लंड को मेरे मुँह में ठूस दिया, इस बार तो पूरा लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दिया मेरे दामाद ने.

में मेरे ही घर में, मेरे ही बिस्तर पर मेरे बेटी के सामने किसी रंडी की तरह कुत्तिया बनके बैठी थी, आरव का लौड़ा मेरे गले से उतर रहा था, ना कोई दया न कोई रेहम. मेरे मुँह की लार से मेरे दामाद का लंड फिरसे भीगने लगा, मेरे बालों को मुट्ठी में पकड़ कर वो जोर जोर से मेरा मुँह चोद रहा था. कुछ देर मेरा मुँह चोदने के बाद वो मेरे पीछे आ गया, मेरे चुत्तड़ फैलाके बोला, "झुक जा माँ की लौड़ी, खोल तेरे भोसड़े को कुत्तिया", मेरे पीठ पर हाथ से दबाके उसने मुझे आगे की ओर झुकाया. अब में उसके सामने अपनी गांड खोले झुकी थी, मेरे खुली चुत का दरवाजा अब आरव के लंड की लिए खुल चुका था, और इसका फायदा उठाके आरव ने अपना लौड़ा मेरे फुद्दी के दार पर रखा. मेरे बालों को खींचते हुए मुझे बोला, "बोल भोसड़ीवाली, घुसा दू मेरा लंड रंडी? आज तुझे तेरे बेटी के सामने चोदुँगा बहनचोद" और अगले ही पल उसका एक तगड़ा झटका मुझे महसूस हुवा.

आआह्ह्ह्हह्ह माआआआ बेहेंछोड़ड़ड़ड़ड़ड़ की एक तेज चींख मेरे मुँह से निकली, अब देर हो चुकी थी की मैं उसको रोक सकू, आरव के लौड़े ने मेरे फुद्दी को चीरते हुए पूरा लंड मेरे भोसड़े में आरपार कर दिया. बिस्तर के किनारे झुकी हुई मेरी बड़ी गांड पकड़ते हुए आरव ने मेरे चुत को एक के बाद एक धक्के देकर खोलना चालू किया, मेरे मुँह से लगातार सिसकियाँ निकल रही थी. आरव जवान था, उसके झटके मुझे आगे की ओर धकेल रहे थे, मेरी बेटी बेसुध होकर सो रही थी और उसके ठीक सामने मेरा दामाद उसके माँ को चोद रहा था. रत्ना की चुत उसके लाल रंग की चड्डी में चुप थी पर उसका ड्रेस ऊपर खिसकने से मुझे मेरे बेटी की चुत उसके डिज़ायनर चड्डी के ऊपर से भी साफ़ दिखाई दे रही थी. मेरे बाल अब भी आरव के हाथ में थे, उसको पता था की रत्ना की चुत मेरे सर के बिलकुल नजदीक थी, बड़ी बेशरमी से उसने मेरा मुँह अब मेरे बेटी की चुत की तरफ लेके जाने लगा और देखते देखते मेरा मुँह मेरे बेटी रत्ना की चड्डी पर दबा दिया.

रत्ना की चड्डी में ने मुझे उसके मूत की सुगंध आ रही थी, पिछेसे आरव का लंड मेरे चुत को ऐसे चोद रहा था जैसे की मैं उसकी एक रात को बुलाई हुई रंडी हूँ, कभी मेरे गांड पर थप्पड़ मार कर तो कभी मुझे गलियां देते हुए उसने मुझे चोदना चालू रखा. मेरे बेटी की चुत से निकलती उस भीनी सी खुशबु से मेरे अंदर एक अजीब सी वासना भड़कने लगी, चुदाई का मजा लेते हुए कब मेरी जबान रत्ना के चुत पर घूमने लगी इसका मुझे भी पता ना चला. पर मेरे बैडरूम में लगे आईने से आरव मेरी हरकत देख रहा था, एक ४५ साल की माँ अपनी २४ साल की बेटी की जवान चुत पर जबान घुमा रही है ये देख उसके लौड़े में और जोश भर गया. आरव ने मुझे ऐसे देखते हुए बोला, "हां मादरचोद ममता, चूस ले रंडी, साली २ कौड़ी की बाजारू रांड अपने बेटी का चुदा-चुदाया भोसड़ा ले मुँह में कुत्तिया..."

मेरा सर मेरे चुत पर दबाते हुए उसने मुझे चोदना रोका और एक हाथ आगे करके उसने रत्ना की चड्डी निचे की तरह सरका दी, मेरे बेटी को वैसे मैंने कई बार नंगी देखा था पर वो तब बहोत छोटी थी, शायद १०-१२ साल की. पर आज मेरे सामने एक ऐसी लड़की की चुत थी जो मेरी सगी बेटी थी और आरव की होने वाली बीवी, आरव खुद अपनी बीवी को मेरे सामने नंगा कर रहा था और उसकी फुद्दी पर मेरा मुँह दबा रहा था. रत्ना की चुत नंगी करके उस पर मेरा मुँह दबाते हुए आरव ने मुझे फिर से चोदना चालू किया, रत्ना की फुद्दी पर मेरा मुँह पूरा चिपक गया था, मेरी जबान बाहर निकली थी पर मैं उसे चाट नहीं रही थी. आरव ने जब मुझे देखा की मैं रत्ना की चुत नहीं चूस रही तो उसने मेरे बालो को पकड़ कर मेरा मुँह रत्ना के मुँह पर रगड़ने लगा...

क्या हुवा बेहेन की चुत तेरे ममता? शरमा क्यों रही है छिनाल, चूस मेरे बीवी की फुद्दी हरामज़ादी, बोलके उसने मेरा मुँह रत्ना के मुँह पर घिसना चालू किया और अब मेरी जबान खुद बी खुद मेरे बेटी के फुद्दी पर रगड़ने लगी. शराब के नशे में बेसुध होकर सोती मेरी बेटी को ये अंदाजा भी नहीं था की उसका होनेवाला पति उसकी माँ को नंगी करके चोद रहा है और उसकी माँ उसकी गीली फुद्दी चूस रही है. जैसे जैसे मुझे रत्ना की चुत के पानी का स्वाद आने लगा वैसे वैसे मुझे भी उसकी चुत को चूसने में मजा आने लगा, कुछ ही पल में अब मैं ख़ुद मेरे बेटी की चुत पिने लगी. ये देख आरव ने मेरे बाल छोड़े और मेरे पीठ पर अपनी छाती लगाके मुझसे पिछेसे चिपक गया, मेरे दोनों मम्मे हाथों में भर के उनको जोर जोर से गूँथने लगा.

आरव जैसे २५ साल के नौजवान लड़के से चुदवाने में मुझे भी अब अजीब सा मजा आ रहा था, मेरी मुँह से निकलती हर एक सिसकी मेरे अंदर छुपी रंडी को दिखा रही थी. आह्ह्ह्हह्ह ुह्ह्हम्म्म्म जोर जोर से आरववववव और जोर से चोदो मुझे बेटा कहते हुए अब मैंने भी मेरी गांड उसके लौड़े पर दबाना चालू किया, उसका मुँह अब मेरे कानों को चूस रहा था, ये तो औरत का सबसे संवेदनशील हिस्सा होता है और हर मर्द औरत को वश में करने के लिए ये करता ही है. चुत में रगड़ खाता आरव का लंड, चूँचियों की और निप्पलों की हो रही मालिश और अब मेरे कान को चूसना ये सब मुझे पागल कर रहा था और इसका असर मेरी जबान मेरे बेटी की चुत पर दिखा रही थी. मेरी सिसकियाँ अब बहोत बढ़ चुकी थी, करीब करीब मैं झड़ने ही वाली थी की तभी मेरे दामाद ने उसका लौड़ा मेरे छूट से बाहर निकाला और कमरे की बत्ती बुझा दी.

मेरे बेड के पास लगा हुवा नाइट लैंप जलाके वो मेरे बेटी के पास गया, रत्ना के मुँह पर अपना लौड़ा रखते हुए वो उसे जगाने लगा, एक बार तो मेरी गांड ही फट गयी की ये लड़का क्या कर रहा है. "नहीं आरव उसे मत जगाओ, मैं प्यासी हूँ अभी, प्लीज मुझे चोदो" कहते हुए मैं उसे रोकने लगी पर मुझे चुप रहने का इशारा करते हुए वो बोला, "चुप हो जा ममता डर मत नहीं उठेगी ये अब". मैं आरव के सामने बैठ के उसको देखने लगी, बिस्तर पर लेटी मेरी बेटी के मुँह में वो अपना लौड़ा घुसाने लगा, मेरे चुत से निकला उसका लौड़ा मेरे कामरस से भीगा था और वो मेरे चुत का पानी मेरे बेटी को पीला रहा था. मेरी तरफ देख के बोला, "ले ममता अब तो तेरे बेटी ने भी तेरे भोसड़े का पानी चख लिया." और उसने दूसरे हाथ से रत्ना का ड्रेस ऊपर उठाना चालू किया.

मेरे सामने बड़े बेटी के मुँह में लौड़ा देके उसे नंगी करने में शायद उसको कुछ ज्यादा मजा आ रहा था, बेहोश सोती रत्ना को अंदाजा नहीं था की उसका होनेवाला पति उसको मेरे सामने नंगी करके अपना लौड़ा चुसवा रहा है. जैसे ही रत्ना की ड्रेस उसने पूरी ऊपर कर ली तो मेरे सामने मेरे बच्ची का भरा हुवा बदन नंगा हो गया, क्या गोल गोल चूँचियाँ थी मेरे बेटी की, बिलकुल मेरे जैसा गोरा रंग और निचे चड्डी से बाहर आने को तरसती उसकी फुद्दी. अपना लंड मेरे बेटी के मुँह में देकर वो अब धीरे धीरे रत्ना का मुँह चोदने लगा और मेरे तरफ देख के बोला, "देख क्या रही है छिनाल, निकाल इसकी चड्डी और चूस तेरे बेटी का भोसड़ा, देख तो ले कैसे मैंने तेरे बेटी की नन्ही सी चुत का अब कैसे भोसड़ा बना दिया है." कुछ देर पहले मैं रत्ना की चुत चाटी थी पर उसके पैंटी के ऊपर से पर अब मुझे भी मेरे बेटी की फुद्दी को नंगी करके उसे चूसने का मन हो रहा था.

मैंने बड़े प्यार से रत्ना की चड्डी निकाल कर उसको पूरी नंगी कर दिया और धीरे से मेरी जबान उस चुत में घुसाने लगी, जैसे ही मेरी जबान रत्ना के चुत में घुसी वैसे उसका बदन थोड़ा झटका खाया. एक बार तो मुझे लगा की कही ये जाग ना जाए पर वैसे नहीं हुवा, शराब का नशा आज हम माँ बेटी को कैसे मुकाम पर ले आ गया की मैं खुद मेरे बेटी की फुद्दी चूस रही थी. मेरा होनेवाला दामाद मेरे बेटी के मुँह से अपने लौड़े की मालिश करवा रहा था, उसके मम्मे हाथ से मसल रहा था और मैं मादरजात नंगी होकर रत्ना की फुद्दी चूस रही थी. कुछ देर बाद उसने अपना लौड़ा रत्ना के मुँह से बाहर निकाला और फिरसे मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया, इस बार उसका लक्ष था मेरे गांड का छेद.

इससे पहले सिर्फ मानस जी ने ही मेरे गांड मारी थी क्यूंकि मेरे पति ने कभी उस छेद पर अपना ध्यान नहीं दिया था, और आज दूसरी बार मेरी गांड किसी और लौड़े का स्वाद लेने के लिए तैयार थी. चोद-चोद कर मानसजी में मेरे गांड का भोसड़ा बना दिया था, फटे हुए गांड के छेद पर आरव का लौड़ा आकर रुका और उसने मेरे कंधे पकड़ते हुए और ही झटके मे पूरा लौड़ा गांड में घुसा दिया. एक हल्कीसी चींख मेरे मुँह से निकली पर मैं फिरसे रत्ना की फुद्दी चूसने लगी, सच कहूं तो आज नशे में मुझे भी कुछ अलग करने को मिल रहा था तो मैंने भी पुरे शिद्दत से मेरे बेटी की चुत का पानी चखना चालू किया.

आरव के तेज धक्के मेरे गांड को फाड़ कर रख देते, मैं XXL साइज़ की पैंटी पहनती हूँ क्यूंकि मेरी ४४ इंच की गदरायी गांड को संभलना आसान काम नहीं था. जैसे जैसे आरव का बदन मेरे गांड पर धड़क रहा था वैसे वैसे मेरे चूतड़ों पर जमा हुई चरबी से मेरे गांड पर लहर उमड़ जाती, उसके टट्टे निचे से मेरे भोसड़े का चुम्मा लेकर उनपर अपनी छाप छोड़ रहे थे. चुत को चूसने से मेरे मुँह से चुपपपपप सलुपरररर सप्लररर्र जैसी आवाजे निकलती तो कभी मेरी चींख क्यूंकि आरव किसी खुले हुए सांड की तरह मेरे गांड को चोद रहा था. मेरे गांड पर थप्पड़ मार मार के उसने मेरी गांड लाल कर दी थी, उसका एक हाथ मेरे पेट की तरफ से निचे खिसक के मेरे भोसड़े को सेहला रहा था और मैं किसी २ कौड़ी की बाजारू रांड की तरह मेरे बेटी के पति से अपनी गांड मरवा रही थी.

धीरे धीरे मेरे फुद्दी पर रेंगने वाली आरव की उंगलिया अब उसने एक ही झटके में मेरे फुद्दी में गुसा दी वो भी एक साथ ४, गांड में लंड और चुत में चार उंगलिया घुसने के बाद जो होना था वही हुवा. रत्ना की चुत चूसना बंद करके मैं खुद अब मेरी गांड मेरे दामाद के लौड़े पर पटकने लगी, "आअह्ह्ह्हह बहनचोद, चोद मुझे रंडी के पिल्लै, फाआयडडड दे मेरी गांड मादरचोदददददद आआअह्ह्ह्ह माँआआआआआआआ". आरव ने भी दनादन धक्के देते हुए उसका पूरा लौड़ा मेरे गांड में घुसाके बाहर निकलने लगा, उसकी ४ उंगलिया मेरे फुद्दी के अंदर ऐसा माहौल बना रही थी की मैं हवस की आग में अंधी हो गयी. मेरे ३८ इंच के ग़ुब्बारे बुरी तरह से हिल रहे थे, मैं झड़ने के बिलकुल करीब थी और आरव के आखिर के कुछ धक्कों ने मेरा काम तमाम कर डाला.

"आआआह्ह्ह्हह्ह उह्ह्हम्म्म्म माँ मैं झाड़ड़ड़ड़डीई" बस इतनी ही आवाज मेरे हलक़ से निकली और मैं मेरे बेटी की जाँघों में अपना मुँह दबाकर निढ़ाल होकर गिर गयी, मेरे फुद्दी का क़तरा-क़तरा मेरे दामाद के लौड़े को भिगोने लगा. रत्ना की माँ, एक ४५ साल की अधेड़ उम्रवाली औरत ममता आज अपने दामाद के लौड़े से चुद गयी, मेरा थरथर कांपता हुवा बदन इस बात की गवाही था की मेरे तन-मन की प्यास ठंडी हो चुकी थी. पर आरव के लौडे में अब भी कड़ापन था, उसके टट्टों में उबलता वीर्य अभी ख़ाली होना बाकी था पर अब मुझमे इतनी जान नहीं बची थी की मैं उसका साथ दे सकू. उसके लौड़े की गिरफ्त से मेरी गांड को रिहा करते हुए मैं आगे की तरह सरक गयी, पीठ के बल लेटते हुए मैं आँखे बंद करके मेरे सास को काबू करने की कोशिश में थी.

पर आरव फिर से मेरे ऊपर आ गया, मेरी दोनों टाँगे उठाके उसने अपना लौड़ा मेरे चुत के द्वार पर लगाया और वो बस धक्का मारने ही वाला था की मैं उसे अपने आप से दूर करते हुए कहा, "नहीं आरव, मैं थक गयी हूँ अब नहीं प्लीज". मेरी बात ने शायद उसको गुस्सा आ गया, बिस्तर से निचे उतरते हुए वो कमरे के बाहर चला गया, मुझे लगा शायद मुझसे नाराज होकर चला गया. शराब का नशा और चुदाई की थकान से मेरा बदन टूट रहा था पर फिर भी मैंने हिम्मत करके अपने आप को बिस्तर से खड़ा किया और उसे मनाने के लिए बाहर जाने लगी की तभी आरव कमरे में वापिस आ गया. उसके हाथ में मेरे व्हिस्की की बोतल थी, मेरे सामने ही उसने वो बोतल अपने मुँह को लगायी और कच्ची दारू आने पेट में ले ली.

मेरे पास आकर उसने मुझे बिस्तर पर धक्का दिया तो मैं किसी कटे हुए पत्ते की तरफ बिस्तर पर जा गिरी, मेरे सीने पर अपना एक पैर रखते हुए उसने क़हा, "मुँह खोल बहनचोद, आज तो तेरे चुत की माँ चोद दूंगा छिनाल, मुझे मना करेगी तो देख क्या हाल होता है रंडी". इतना बोलके उसने शराब की बोतल मेरे मुँह में दबा दी, उसके गुस्से से डरकर मैं भी ४-५ घूंट मेरे हलक से निचे उतारे, कच्ची शराब ने फिर से मेरे सीने में और पेट में आग लगा दी. सारा बदन जलने लगा, माथे पर पसीना छूटने लगा और आँखों के सामने सब गोल गोल घूमने लगा, मेरे मुँह से शराब की बोतल हटाके आरव ने वो बोतल टेबल पर रख दी. उसका तना हुवा लौड़ा लेकर वो मेरे पास आ गया और फिरसे उसने उस लौड़े को मेरे मुँह में घुसा दिया, कुछ ही देर पहले यही लौड़ा मेरे गांड के छेद में घुसा था. गांड चोदके बाहर आया आरव का लंड मेरे मुँह को चोदने लगा, मेरे छाती पर बैठकर आरव ने उसकी गांड मेरे मम्मों पर रख दी तो मेरे चूँचे उसके गांड के निचे पिचक गए.

कुछ देर मेरा मुँह चोद के मेरे मुँह की लार से उसने फिरसे अपना लौड़ा गिला किया, मेरे मुँह पर थूक कर उसने मुहे गाली देके थप्पड़ मारना चालू किया, "सुन मादरचोद रंडी की औलाद ममता, आज के बाद अगर मुझे मना किया तो सड़क पर नंगी घुमाऊंगा तुझे और तेरे बेटी को भोस्दीक़ी, चूस मेरा लौड़ा हरामजादी... ". मेरे बिखरे हुए बाल, उजड़ा हुवा चेहरा देख के ऐसे लग रहा था की एक साथ १० लोग मुझे चोद के गए है पर मेरी ऐसी हालत सिर्फ एक मर्द ने की है और मर्द था मेरे बेटी का होने वाला पति, मेरा दामाद... आरव. मेरे गले तक लौड़ा घुस्साके मेरा मुँह किसी बाजारू रंडी की तरह चोदने के बाद आरव मेरे ऊपर से उतर गया, मेरी दोनों टाँगे उठाके उसने अपना लौड़ा मेरे फुद्दी के द्वार पर लगाया. मेरी आँखों में देखते हुए बोला, "अब आयी ना औकात में बेहेन की लौड़ी? अब ऐसे ही टाँगे खोल के पड़ी रहना", इतना बोलते ही उसने अपना पूरा ६-६. इंच का लंड मेरे चुत के आरपार कर दिया.