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Click here"अआइईईईई आआआरवववव प्लीज धीरेईईई कर बेताआआ" की विनंती करते हुए मैंने उसके छाती पर अपना हाथ रखके उसे रोकने की नाकाम कोशिश की, पर उस नौजवान की ताकत के सामने मेरा विरोध ना के बराबर था. मेरा हाथ अपने सीने से अलग करते हुए उसने मेरी टाँगे अपने काढ़े पर ले ली, मेरे हाथ मेरे सर के ऊपर ले गया और जोर से पकड़ कर मुझे अपनी गिरफ्त ले लिया. २५ साल का आरव का तंदुरुस्त बदन और उसकी हैवानी ताकत के सामने मैं किसी सर कटी मुर्गी की तरह फस गयी और उसे अब मेरे तरफ से कोई विरोध होने की सम्भावना ना के बराबर थी. मेरे आँखों में देख के उसने मेरे चेहरे पर फिर से थूका और वही थूक खुस चाटते हुए मेरे पुरे चेहरे पर मल दिया, मेरे ओंठों को अपने ओंठो की गिरफ्त में लेकर उसने मेरे ओंठो को काटना चालू लिया.
मेरे ओंठ काट काट कर आरव ने अपनी कमर भी आगे पीछे हिलाना चालू किया, मेरी चुत अब उसके सामने खुला मैदान थी, सटासट उसका लंड बिना किसी रोकटोक के मेरे भोसड़े में घुसकर बाहर आने लगा. मैं रोना चाहती थी, चिल्लाना चाहती थी पर मेरे ओंठ कैद हो चुके थे, मेरे अंदर की शराब ने मेरी साड़ी शक्ति नाकाम कर दी और इसका फ़ायद उठाके मेरा दामाद मुझे हचक हचक के पेल रहा था. दोनों टाँगे उसके कंधे पर होने के कारण मेरी गांड भी उभर के ऊपर उठ गीयी थी, जैसे ही उसका लंड मेरे छूट में पूरा घुस जाता वैसे ही उसके टट्टे मेरे गांड के छेद पर थप्पड़ मार देते. आरव लगभग मुझे २ घंटे से चोद रहा था, कभी उँगलियों से, कभी जबान से तो कभी लौड़े से, उसके तगड़े धक्के बता रहे थे की अब उसका समय भी नजदीक आ चूका है.
मेरे ओंठों को छोड़के अब उसका मुँह मेरे निप्पल्स पर आ गया, जंगली सांड की तरह मेरे चुत को छोड़ छोड़ के उसने अब मेरे निप्पल्स काटना चालू किया और मेरी चींखे सारे कमरे में गूंजने लगी. मुझे अब कोई चिंता नहीं थी की मेरी बेटी मेरे आवाज से जग जाए और मुझे इस हालत में देख ले, मेरी पीड़ा मुझे ही पता थी पर आरव ने चूस चूस के और काट काट कर मेरे निप्पल्स सुजा दिए. मैंने गिने तो नहीं पर सामने दिवार पर लगी घडी में मुझे समय पता चल रहा था, कमसे काम १०-१२ मिनिट तक उसने मेरे चुत को पूरा खोद डाला, मेरे चूँचे काट काट कर मेरे निप्पल से खून निकाल दिया. ओंठो को तो इतनी बुरी तरह से काटा था उसने की मेरे ओंठ सूज गए थे, चुत की दीवारें छिलने से और लौड़े के घिसने ने लहू-लुहान हो गयी थी, गांड का छेद तो ऐसे खुला था की बिच बिच में मेरी पाद निकल जाती.
मेरे बदन को नौचने के बाद अब आरव का लौड़ा अपना पानी मेरे फुद्दी में त्यागने के लिए तैयार हो चूका था, उसके बढ़ते हुए तेज धक्कों से मुझे पता चला की अब किसी भी वक़्त मेरे चुत में मेरे दामाद का वीर्य टपकने वाला है. आखिर के कुछ धक्के मारते हुए उसने मुझे पूरा अपने निचे दबे दिया, उसके लौड़े का सूपड़ा शतप्रतिशत मेरे बच्चेदानी के आरपार हो गया और मेरे दामाद का वीर्य मेरे भोसड़े के आखरी कोने में जमा होने लगा. गुर्रर्रर्रर्र ह्म्मम्म्म्म हुर्रर्रर्रर जैसी आवाजे निकालता हुवा मेरा दामाद मेरे चुत में अपना बीज बो रहा था, मेरे हाथ की पकड़ ढीली होने पर मैंने भी उसको अपनी बाँहों में भर लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगी. शराब का बढ़ता नशा और चुदाई की आग ठंडी होने पर मैं और आरव वैसे ही बेहोशी की हालत में नंगे सो गए, सोते समय मेरी आँख घडी पर चली गयी तो रात के २ बज रहे थे और मैं बिना कुछ सोचे वैसे ही नंगी होकर मेरे दामाद की बाहों में सो गयी.
सुबह सुबह मेरी आँख खुली उसकी वजह थी मेरे बेटी और आरव के चींखने की आवाज से, मेरा दामाद मेरे बेटी के कदमों में था, उससे माफ़ी मांग रहा था और मुझे ये समझते देर नहीं लगी की मेरे बेटी को कल रात के काण्ड के बारे में सब पता चल चूका है. मेरी तो जैसे दुनिया ही उजाड़ गयी, डरते डरते मैंने कपडे पेहेन लिए और मैं भी रत्ना से माफ़ी मांगने लगी पर रत्ना कोई बात मानने के लिए तैयार नहीं थी. उसने आरव को धक्के मार कर घर से निकाल दिया और खुद रोते हुए अपने कमरे में चली गयी, मैंने लाख कोशिश की समझने की पर मेरे बेटी ने मेरी एक बात नहीं सुनी.
यहाँ पर कहानी ख़तम करती हूँ आगे क्या हुवा, आरव को और मुझे हमारे गलती की क्या सजा मिली ये नयी कहानी में बताउंगी तब तक ख्याल रखें...