औलाद की चाह 061

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लेडीज टेलर-नाप​.
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Part 62 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
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औलाद की चाह

CHAPTER 6-पांचवा दिन

तैयारी-

'परिधान'

Update-8

लेडीज टेलर-नाप​

अचानक मुझे याद आया की एक बार मेरी एक सहेली ने इसके लिए मुझे चेताया भी था। उसका नाम सुनीता था और मेरी शादी के बाद हमारी कॉलोनी में उससे मेरा परिचय हुआ था। तब उसकी शादी को 5 साल हो गये थे और उसके दो बच्चे थे। मेरी उससे अच्छी दोस्ती हो गयी थी। वह ही मुझे लोकल टेलर के पास ले गयी थी जिससे अब मैं अपने कपड़े सिलवाती हूँ। हम दोनों खुल के बातें किया करती थीं, यहाँ तक की अपनी सेक्स लाइफ और पति के बारे में अंतरंग बातें भी हम शेयर करते थे। एक दिन मैं दोपहर को उसके घर गयी तो उसके पति काम पर गये हुए थे और बच्चे स्कूल गये हुए थे। हम गप्पें मारने लगे और मैंने भीड़ भरी बसों में अपने साथ हुए वाक़ये उसे सुनाए की किस तरह मर्दों ने मेरे नितंबों और चूचियों को दबाया था और कभी-कभी तो वह लोग हद भी पार कर जाते थे पर शर्मीली होने से मैं विरोध नहीं कर पाती थी और सच कहूँ तो हल्की फुल्की छेड़छाड़ के मैंने भी मज़े लिए थे।

तब सुनीता ने भी एक टेलर के साथ अपना किस्सा सुनाया। मेरी तरह वह भी नाप देते समय टेलर के छूने से उत्तेजित हो जाया करती थी। एक दिन टेलर उसकी नाप ले रहा था और उसके छूने से वह उत्तेजित हो गयी। उसने मुझे ये भी बताया की रात में उसके पति ने चुदाई करके उसे संतुष्ट किया था पर टेलर के बार-बार चूचियों पर हाथ फेरने से वह उत्तेजित हो गयी। शुक्र था कि जल्दी ही उसने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया और चूचियों को दबाने और सहलाने पर ही बात ख़त्म हो गयी। लेकिन उसने मुझसे कहा की ऐसी सिचुयेशन से बाहर निकलना बहुत मुश्किल हो जाता है।

"...रश्मि, तुम विश्वास नहीं करोगी, ऐसी सिचुयेशन से बाहर निकलना बहुत मुश्किल है। तब तक टेलर को पता चल चुका था कि उसके छूने से मैं कमज़ोर पड़ रही हूँ और मैं उसका आसान शिकार हूँ। मैं भी उत्तेजना में बह गयी और ये भूल गयी की मैं किसी और की पत्नी हूँ और दो बच्चों की माँ हूँ। मैंने बेशर्मी से उसे ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाने दिया। उसको कोई रोक टोक नहीं थी और वह मेरी हालत का फायदा उठाते गया। कैसे बताऊँ, उफ! कितना बेशरमपना दिखाया उस दिन मैंने।

उस टेलर ने पीछे से मेरे पेटीकोट के अंदर भी हाथ डाल दिया। तभी मुझे लगा की मैं ग़लत कर रही हूँ और मैं ही जानती हूँ कैसे मैंने अपनी काम भावनाओं पर काबू पाया और उसे रोक दिया। मैं बहाना बनाकर किसी तरह उसके चंगुल से छूटी. वरना उस दिन वहीं फ़र्श पर वह मुझे चोद देता। ज़रा सोचो। थोड़े मज़े के लिए एक छोटी-सी लापरवाही से मैं ज़िन्दगी भर अपने को माफ़ नहीं कर पाती। रश्मि, मैं तुम्हें अनुभव से बता रही हूँ, अगर कभी ज़िन्दगी में राजेश के अलावा किसी दूसरे मर्द के साथ तुम बहकने लगो तो ध्यान रखना, अपनी भावनाएँ उस पर जाहिर ना होने देना। अगर तुमने ऐसा किया तो ये सिर्फ़ मुसीबत को आमंत्रण देने जैसा होगा।"

गोपालजी--दीपू, 33.2 टाइट। मैडम बहुत टाइट तो नहीं हो रहा?

गोपालजी की आवाज़ सुनकर मैं जैसे होश में आई।

"ठीक है!"

असल में कुछ भी ठीक नहीं था क्यूंकी अब टेप मेरी चूचियों में कसने लगा था। अब गोपालजी ने मेरी दायीं चूची के निप्पल पर टेप को और टाइट कर दिया।

गोपालजी--ये ठीक है मैडम? या टाइट हो गया?

"उहह! टाइट हो गया"

मैं भर्रायी हुई आवाज़ में बोली। गोपालजी की अंगुलियों का दबाव मेरे निपल्स पर बढ़ रहा था और मुझसे बोला भी नहीं जा रहा था। मैंने जैसे तैसे अपने को काबू में किया और उसके कंधों को पकड़े हुए खड़ी रही।

गोपालजी--ठीक है मैडम, 33.2 रखता हूँ। दीपू नोट करो।

दीपू--जी।

गोपालजी--मैडम, अब एक आख़िरी बार चेक कर लेता हूँ फिर फाइनल करता हूँ।

एक शादीशुदा औरत की चूचियों को छूने से गोपालजी भी एक्साइटेड लग रहा था। उसका उत्साह ये देखकर ज़रूर बढ़ा होगा की उसकी हरकतों से उत्तेजित होकर मैंने उसके कंधों पर अपने नाख़ून गड़ा दिए थे और मेरा लाल चेहरा भी मेरी उत्तेजित अवस्था को दिखा रहा था।

वैसे तो वह नाप ले रहा था और दीपू को नाप नोट करा रहा था पर मुझे साफ़ अंदाज़ आ रहा था कि वह मेरे ब्लाउज के बाहर से मेरी चूचियों को पकड़ रहा है। एक मर्द के हाथों की मेरी चूचियों पर पकड़ से मैं कांप रही थी।

मैं मन ही मन हंस भी रही थी की ये बुड्ढा इतना चालाक है और इस उमर में भी इतना ठरकी है। मैं उसकी बेटी की उमर की थी लेकिन फिर भी वह मेरे प्रेमी की तरह मेरी जवानी का रस पी रहा था। वह टेप के दोनों सिरों को ठीक मेरी दायीं या बायीं चूची में दबाकर नाप रहा था। वह हर तरह से मुझसे मज़े ले रहा था, कभी अपनी अंगुलियों से मेरी चूची को दबाता, कभी निप्पल को अंगूठे से दबाता, कभी मेरी पूरी चूची पर अँगुलियाँ फिराकर उनकी कोमलता का एहसास करता और कभी नीचे से चूचियों को ऊपर को धक्का देता।

मैंने तिरछी नज़रों से दीपू को देखा पर शुक्र था कि वह इस बात से अंजान था कि ये बुड्ढा मेरे साथ क्या कर रहा है। अब पहली बार मैंने अपनी तरफ़ से कुछ किया, मैंने टेलर के हाथों में अपनी चूचियों से धक्का दिया। मुझे यक़ीन है कि उसे इस बात का ज़रूर पता चला होगा क्यूंकी जब हमारी नज़रें मिली तो उसने आँख मार दी। उसकी कामुक हरकतें मुझे उत्तेजित कर तडपा रही थी और अब मेरा मन हो रहा था कि कोई मर्द मुझे अपने आलिंगन में कस ले और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूचियों को मसल दे। मेरी साँसें भारी हो गयी थीं, मेरे होंठ खुल गये थे, मेरी टाँगें काँपने लगी थीं और मेरी चूत से रस निकलता जा रहा था। उत्तेजना बढ़ने से अंजाने में मैं अपने नितंबों को भी हिलाने लगी थी लेकिन जब मुझे इसका एहसास हुआ तो मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई।

गोपालजी--मैडम, ठीक है फिर, मैं आपकी चोली को इतनी ही टाइट रखता हूँ।

ऐसा कहते हुए उसने मेरे लाल चेहरे को देखा। मैं कोई जवाब देने की हालत में नहीं थी। इस चतुर बुड्ढे ने बड़ी चतुराई से मेरे बदन की आग को भड़का दिया था। मुझे डर था कि मेरी गीली पैंटी से कहीं मेरे पेटीकोट में भी गीला धब्बा ना लग गया हो क्यूंकी मुझे आशंका थी की अभी तो घाघरे की भी नाप लेनी है और ये बुड्ढा ज़रूर मेरी साड़ी उतरवा कर पेटीकोट में ही नाप लेगा।

कहानी जारी रहेगी

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