अम्मी बनी सास 040

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मियाँ बीवी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी.
2.2k words
3.9
244
00

Part 40 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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रज़िया बीबी ने अपने शोहर की जिंदगी में बहुत ग़ुरबत देखी थी। इसीलिए जब उस के बेटे ने पोलीस ऑफीसर बन कर रिश्वत का माल घर लाना शुरू कर दिया। तो रज़िया बीबी इतना सारा रुपया पैसा देख कर बहुत लालची हो गई और उस ने अपना रंग, रूप और रहन सहन फॉरन ही बदल लिया था।

अब कल जब ज़ाहिद ने अपनी अम्मी रज़िया बीबी को उस की बात ना मानने की शर्त में हर चीज़ से महरूम कर देने की धमकी दी। तो ज़ाहिद के लहजे में मौजूद सख्ती को सोच कर रज़िया बीबी को यकीन हो गया। कि अगर उस ने ज़ाहिद की बात मानने से अब इनकार किया। तो उस का बेटा ज़ाहिद अपनी कही हुई बात पर हर सूरत में अमल करेगा।

इसीलिए अपनी ग़रीबी से अमीरी और दुबारा फिर ग़रीब हो जाने का तस्व्वुर कर के ही रज़िया बीबी के जिस्म में एक झुर्झुरी से दौड़ गई।

असल में हराम के पैसे की अपनी ही एक लज़्ज़त है और अपने बेटे के हराम के पैसे से रज़िया बीबी ने अपनी ज़िंदगी में इतनी सारी सहूलियतें हासिल कर लीं थी। कि अब इन तमाम सहूलियतो से एक ही लम्हे में महरूम का तस्व्वुर ही रज़िया बीबी की जान लेवा हो गया था।

रज़िया बीबी सोच रही थी।कि अगर उस ने ज़ाहिद की बात ना मानते हुए अपने बेटे के सामने डट भी गई. तो फिर भी उस का बेटा ज़ाहिद और बेटी शाज़िया अब आपस में अपने जिन्सी ताल्लुक़ात कायम कर के ही रहेंगे।

इसीलिए उस के लिए अब बेहतर ये है कि, "मियाँ बीवी राज़ी, तो क्या करे गा काज़ी" वाली मिस्साल पर अमल करते हुए उसे ब अमरे मजबूरी अपने बेटे की बात पर राज़ी होना ही पड़े गा।

अपनी इस सोच को जस्टिफाइ करने की खातिर रज़िया बीबी सोचने लगी। कि अपनी शादी के बाद अपने ससुराल में रहते हुए भी अगर नीलोफर और जमशेद के नाजायज़ ताल्लुक़ात के बारे में किसी को कानो कान खबर नहीं हुई।

तो फिर जमशेद और नीलोफर के साथ शादी के बाद अपने ही घर में दोनों बहन भाई का मियाँ बीवी की तरह से एक साथ रहने का ईलम बाहर की दुनिया को कैसे हो सकता है।

इन सब बातों पर सोचते-सोचते रज़िया बीबी ने अपने दिल को अपने बेटा ज़ाहिद और बेटी शाज़िया के बहन भाई से मियाँ बीवी में बदलते रिश्ते पर राज़ी किया और फिर उस की आँख लग गई।

अगले दिन सुबह जब रज़िया बीबी की आँख खुली। तो उस वक्त तक हुस्बे मामूल ज़ाहिद अपनी नोकरी पर जा चुका था।

नाश्ते से फारिग होने के बाद रज़िया बीबी ने रात वाले अपने फ़ैसले पर एक भर फिर गौर किया और उस के बाद उस ने अपनी बेटी शाज़िया का नंबर डायल कर दिया।

कराची में माजूद शाज़िया ने जब अपनी अम्मी के नंबर से आती कॉल को अपने फोन पर देखा।तो ख़ौफ़ के मारे उस का रंग उड़ गया।

शाज़िया ने डरते-डरते अपना मोबाइल उठा कर फोन को ऑन किया और बोली, हेलो!

"हेलो! बेटी तुम्हारी अम्मी बात कर रही हूँ, केसी हो तुम" रज़िया बीबी ने ना चाहते हुए भी थोड़ा प्यार से अपनी बेटी से पूछा।

शाज़िया तो अपनी अम्मी से गालियाँ और कड़वाहट सुनने को तैयार बैठी थी। मगर अम्मी का ये धीमा लहज़ा सुन कर शाज़िया को बहुत हेरानी हुई।

"में ठीक हूँ अम्मी, आप केसी हैं?" शाज़िया ने आहिस्ता से जवाब दिया।

"बेटी तुम्हे पता तो चल गया हो गा, कि जैसा तुम चाहती थी वैसा ही एक जवान रिश्ता तुम्हारे लिए आया है, तो अब शादी के बारे में क्या ख्याल है तुम्हारा?" रज़िया बीबी ने बहुत पुरसकून अंदाज़ में अपनी बेटी शाजिया से पूछा।

अपनी अम्मी के मुँह से गुस्से भरी गलीज़ गालियों की बजाय अपने ही बेटे के रिश्ते की बात सुन कर शाज़िया समझ गई कि ज़ाहिद भाई ने वाकई ही अपना कोई जादू दिखाया है।जो उन की अम्मी दो दिन में ही इतना बदल गई हैं।

शाज़िया तो अपने तलाक़ के बाद गोजश्ता दो साल से किसी भी जवान लंड के इंतज़ार में अपनी चूत का पानी ज़ाया कर रही थी।

और फिर अपनी सहेली नीलोफर के ज़रिए अपने ही सगे भाई के मोटे सख़्त और बड़े लंड से रोष नास होने के बाद। तो उस की फुद्दि अपने भाई के लंड को अपने अंदर काबू करने के लिए बे चैन होने लगी थी।

इन हालत में जब उस की अपनी अम्मी ही उसे अपने सगे भाई से चुदने की इजाज़त देने पर आमादा हो गई थी। तो "अंधे को क्या चाहिए दो आँखे" वाली मिसाल को ज़हन में रखते हुए शाज़िया को "हां" करने में भला क्या ऐतराज हो सकता था।

इसीलिए खुशी के आलम में उस ने फॉरन कहा "जैसे आप की मर्ज़ी अम्मी मुझे कोई ऐतराज नही"।

रज़िया बीबी को भी अपनी गरम और प्यासी चूत वाली बेटी से इसी जवाब की उम्मीद थी। इसीलिए शाज़िया की रज़ा मंदी को सुन कर रज़िया बीबी बोली "अच्छा तुम अपने उस बे गैरत भाई को ये बात खुद बता देना, अब में तैयारी शुरू करती हूँ और तुम कल की फ्लाइट से वापिस आ जाओ, तो में कल ही तुम्हारी और तुम्हारे भाई की शादी करवा दूं फिर"।

"नही अम्मी कल नहीं बल्कि ये काम अब आप तीन चार दिन बाद रोक लो तो बेहतर है" अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया ने फ़ौरन कहा।

"एक तो मुझे तुम लोगों की समझ नहीं आती, एक तरफ तुम्हारे भाई को शादी की" अखर" आई हुई है, अब जब मेने हाँ कर दी तो तुम कह रही हो तीन दिन रुक जाए, मगर क्यों?" रज़िया बीबी ने गुस्से से अपनी बेटी शाज़िया से पूछा।

"वह असल में कराची आते साथ ही मेरे पीरियड्स स्टार्ट हो गये हैं और अब में तीन दिन बाद ही नहा कर पाक हो सकूँ गी अम्मी" शाज़िया ने शरम से झिझकते हुए कहा और जल्दी से फोन बंद कर दिया।

अपनी अम्मी का फोन बंद होते ही शाज़िया ने फॉरन नीलोफर को फोन मिलाया।

"आज बड़ी खुश महसूस हो रही हो तुम शाज़िया, क्या कारुन का ख़ज़ाना मिल गया है तुम्हें?" नीलोफर ने फोन पर ही शाज़िया की आवाज़ में खुशी को महसूस करते हुए अपनी सहेली से पूछा।

"हाँ यार ये ही समझो और कारुन के इस ख़ज़ाने का पता भी तो मुझे तुम ने ही बताया था ना, निलो" शाज़िया ने फोन पर खिल खिलाते हुए कहा।और फिर शाज़िया ने नीलोफर को अम्मी से होने वाली सारी बात सुना दी।

"हाईईईईईई! यार ये तो बहुत ही जबरदस्त खबर दी है तुम ने, अब में भी तुम को एक अच्छी खबर सुनाती हूँ शाज़िया" नीलोफर ने शाज़िया की बात पर खुश होते हुए कहा।

"वो क्या, जल्दी से बताओ ना" शाज़िया से बेसबरी के साथ नीलोफर से पूछा।

"वो ये कि आज मेरे शोहार ने भी मुझे मेरा तलाक़ नामा भेज दिया है। मज़े की बात ये है कि उस बहन चोद गान्डु ने पिछले 5 महीनो से ये तलाक़ नामा लिख कर अपने पास रखा हुआ तो था।मगर इसे मैल अब मेरे मुतलबे पर किया है। यानी असल में मेरा शोहर मुझे तलाक़ तो काफ़ी टाइम पहले ही दे चुका है।इस सूरते हाल में मुझे अब अपनी इदत गुज़रने का इंतिज़ार भी नहीं करना पड़ेगा और अगर में चाहूँ तो में तुम्हारे भाई से आज ही निकाह भी कर सकती हूँ" नीलोफर ने शाज़िया को सारी बात बता दी।

अपनी सहेली नीलोफर से ये बात सुन कर शाज़िया मज़ीद खुश हो गई।

"हाईईईईईईई! तुम ने भी तो बहुत अच्छी खबर दी है मुझे, अब बताओ आगे का क्या प्लान है" शाज़िया ने नीलोफर से पूछा।

"यार अपने शोहर से तलाक़ का मोतलबा करने की वजह से मेरे अम्मी अब्बू मुझ से नाराज़ हो गये हैं। उन का कहना है कि अपने शोहर से तलाक़ माँग कर मेने खानदान में उन की नाक कटवा दी है और इस मामले में मेरा साथ देने पर अब्बू ने मेरे साथ-साथ जमशेद भाई को भी घर से निकल जाने का हुकम दे दिया है। इसीलिए अब हम दोनों बहन भाई सब तुम्हारे घर के ऊपर वाले हिस्से में शिफ्ट हो जाएँगे" नीलोफर ने तफ़सील से सारी बात शाज़िया को बता दी।

"नीलोफर ये तो अच्छा है अब तुम बिना ख़ौफ़ के दिन रात अपने भाई से मज़े कर सकोगी" शाज़िया ने नीलोफर को छेड़ते हुए कहा।

"हाँ यार अब मज़ा आएगा जब में और तुम दोनों अपने-अपने भाइयों की बीवियाँ बन कर अपने ही भैया का बिस्तर गरम करेंगी।" नीलोफर ने भी शाज़िया की बात सुन कर खुशी से जवाब दिया।

"अच्छा निलो तुम ज़ाहिद भाई को फोन कर के उन्हे मेरी अम्मी के फ़ैसले से आगाह कर दो" शाज़िया ने नीलोफर से कहा।

"ना बाबा, अब तुम्हारा टांका अपने भाई से फिट हो गया है, इसीलिए मुझे दरमियाँ में से निकाल कर तुम खूद ज़ाहिद को ये बात बताओ" नीलोफर ने शाज़िया की बात सुन कर उसे जवाब दिया।

"बहुत बे फ़ैज़ सहेली हो तुम" शाज़िया ने नीलोफर के इनकार पर उस से नकली गुस्सा करते हुए कहा।

"वाह जी वाह, एक तो तुम्हारी प्यासी गरम फुद्दि के लिए तुम्हारे ही भाई के इतने बड़े और मोटे ताज़े लंड का बंदोबस्त किया है में ने और अब में ही बे फ़ैज़ हो गई हूँ" नीलोफर ने हँसते हुए शाज़िया की बात का जवाब दिया।

दोनो सहेलियाँ इस बात पर खुल कर हस पड़ी ।

"अच्छा बताओ तुम कब वापिस आ रही हो शाज़िया" नीलोफर ने थोड़ी देर बाद अपनी हँसी रोकते हुए शाज़िया से पूछा।

"ये तो अब फ्लाइट मिलने पर है कि कब वापसी होती है, वैसे अम्मी तो कह रही थी कि में कल ही घर वापिस आ जाऊँ" शाज़िया ने जवाब दिया।

"एक काम करना जब भी तुम्हारी सीट बुक हो, तुम ज़ाहिद को इस के बारे में ना बताना, तुम सिर्फ़ मुझे इत्तला करना, फिर में और जमशेद तुम को एरपोर्ट से पिक कर के ज़ाहिद को सर्प्राइज़ देंगे" नीलोफर ने शाज़िया को समझाते हुए कहा।

"ठीक है में ऐसा ही करूँगी" शाज़िया ने जवाब दिया।

फिर थोड़ी देर अपने-अपने वाले कल के बारे में गप शप लगा कर शाज़िया ने फोन बंद किया और उस के बाद अपने भाई ज़ाहिद को फोन मिला दिया।

उस वक्त ज़ाहिद अपने किसी सरकारी काम से लाहोर आया हुआ था। इसीलिए अपनी कार ड्राइवर करते वक्त ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन का नंबर अपने मोबाइल पर देखा।तो उस ने अपने कान में लगे हुए फोन के ब्लूटूथ को फॉरन ऑन कर दिया।

एक दूसरे की ख़ैरियत पूछने के बाद शाज़िया ने ज़ाहिद को अम्मी के फ़ैसले से मुतला किया।तो खुशी का मारे ज़ाहिद अपनी सीट से उछल पड़ा।

वैसे तो ज़ाहिद को पहले से ही यकीन था। कि उस की अम्मी भी आख़िर अपने बेटे की ज़िद के आगे हर मान जाएँगी।

मगर ज़ाहिद को ये यकीन हरगिज़ नहीं था। कि दो दिनो में ही उस की लालची अम्मी अपने सारे हितीयार फैंक कर अपनी शिकस्त कबूल कर लेंगी।

बहरहाल अपनी अम्मी की "हां" के फ़ैसले को अपनी बहन के मुँह से सुन कर ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में फुल खड़ा हो गया और उस ने एक हाथ से कार के स्टियरिंग को पकड़ा और अपने दूसरे फारिग हाथ से अपने लंड को मसल्ते हुए शाज़िया से कहा "तो अब जल्दी ही वापिस आ जाओ ना जान।अब तुम्हारे इस आशिक़ से तुम्हारी चूत की दूरी मज़ीद बर्दाश्त नहीं होती" ।

"में जल्द ही वापिस आऊँगी मगर इस के लिए मेरी दो शर्ते होंगी जनाब" शाज़िया ने इठलाते हुए अपने आशिक़ भाई की बात का जवाब दिया।

"शर्तें, केसी शर्तें मेरी जान?" ज़ाहिद ने भी उसी अंदाज़ में अपनी बहन से पूछा।

"पहली शर्त ये कि मेरी घर वापसी के बावजूद आप मुझे शादी वाले दिन तक हाथ नहीं लगाएँगे और दूसरी शर्त ये कि मुझे अपनी बीवी बनाने के बाद आप नीलोफर को दुबारा कभी नहीं चोदेन्गे" शाज़िया ने अपने भाई को अपनी दोनों शर्ते बता दीं।

"हाईयययययययी! कुर्बान जाऊँ में अपनी शहज़ादी के, तुम अभी बहन से बीवी बनी भी नहीं और बीवियों वाले हुकम पहले ही चलाने शुरू कर दिए हैं मेरी जान!" अपनी बहन की दूसरी शर्त सुन कर ज़ाहिद की हँसी निकल गई और वह बोला।

"में मज़ाक नहीं कर रही भाई, अगर आप को मेरी ये शर्ते मंजूर हैं तो बताओ वरना में घर वापिस नहीं आ रही" अपने भाई की तंज़िया हँसी सुन कर शाज़िया को तुप चढ़ गई।

"अच्छा जैसे मेरे दिल की रानी कहेगी में वैसे ही करूँगा बाबा, वैसी भी जिस भाई को तुम जैसी भरी हुए मस्त बदन और जनम-जनम की प्यासी चूत वाली बहन चोदने को मिल जाय, तो उस का लंड किसी और की चूत में कैसे जाएगा जानू"? ज़ाहिद ने अपनी बहन को मक्खन लगाते हुए जवाब दिया।

"ठीक है में एक दो दिन में वापिस झेलम आने का प्रोग्राम बनाती हूँ" शाज़िया ने अपने भाई ज़ाहिद को कहा और फोन बंद कर दिया।

ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया से बात कर के बहुत खुश था।वो उस वक्त लाहोर की लिबर्टी मार्केट के पास से गुज़र रहा था।

इसी दौरान कार ड्राइवर करते हुए ज़ाहिद की नज़र लॅडीस अंडर गारमेंट्स वाली एक दुकान पर पड़ी।

ज़ाहिद ने सोचा कि क्यों ना अपनी बहन के लिए अपनी पसंद का खास ब्रेज़ियर और पैंटी खरीद के ले जाए, जिस को शादी के दिन पहन कर उस की बहन शाज़िया उस के साथ अपनी सुहाग रात मनाएगी । ये ही सोच कर ज़ाहिद ने अपनी कार पार्क की और फिर उस दुकान में चला आया।

सेल्स मॅन ने ज़ाहिद को मुक्तिलफ स्टाइल और कलर्स में काफ़ी सारी इंपोर्टेड ब्रेज़ियर और पॅंटीस दिखाई. जिन को देखने के बाद आख़िर ज़ाहिद को रेड कलर में मेटल हुक्स और स्ट्रॅप्स वाला स्पेशल ब्रिडाल ब्रेज़ियर और उस के साथ मॅचिंग थॉंग जिस के साइड में गोल्डन हुक्स थे, पसंद आ गया।

जारी रहेगी

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