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Click hereशावर के बाद शाज़िया ज्यों ही बाथरूम से बाहर आई. तो उसे अपने दरवाज़े पर एक दस्तक की आवाज़ सुनाई दी।
"कौन है" शाज़िया ने कमरे के अंदर से पूछा।
"शाज़िया में हूँ दरवाज़ा खोलो" शाज़िया को बाहर से नीलोफर की आवाज़ आई।
शाज़िया ने अपने जिस्म के गिर्द तोलिया बाँध कर दरवाज़ा खोला। तो नीलोफर अपने हाथ में मेहन्दी (हिना) की कौन और एक शॉपिंग बॅग उठाए हुए कमरे के अंदर चली आई।
"ये क्या है निलो" शाज़िया ने मेहन्दी की कौन और बॅग की तरफ इशारा करते नीलोफर से पूछा।
"यार ज़ाहिद ने ये ब्रेजियर और पैंटी तुम्हारे आज रात को पहनने के लिए दी है और साथ में ये मेहन्दी दे कर मुझे कहा है कि मैं इसे तुम को लगा दूं" नीलोफर ने मुस्कुराते हुए शाज़िया को जवाब दिया।
"यार ये भाई भी ना" शाज़िया ने अपनी भाई की बढ़ती हुई फर्माहिशों पर थोड़ा नकली गुस्सा करते हुए नीलोफर से कहा।
"समझा करो यार, तुम्हारा भाई तुम्हे एक पूरी तरह सजी सँवरी हुई दुल्हन के रूप में देखना चाहता है बन्नो" नीलोफर ने शाज़िया को छेड़ते हुए कहा।
"अच्छा टाइम कम है इसीलिए जल्दी से लगा दो मेहन्दी" शाज़िया ने दीवार पर लगी घेरी पर नज़र दौड़ाते हुए कहा। जिस पर उस वक्त शाम के 7 बजने वाले थे।
नीलोफर ने एक-एक कर के शाज़िया के दोनों हाथो और पैरों पर मेहन्दी लगाई और उस के बाद शाज़िया को बिस्तर पर लेट जाने का कहा।
"मेहदी तो तुम ने लगा दी है, अब बिस्तर पर क्यों लिटा रही हो" शाज़िया ने नीलोफर की बात पर हेरान होते हुए पूछा।
"बताती हूँ पहले लेटो तो सही" नीलोफर ने ज्वाब दिया।
जब शाज़िया कमर के बल बिस्तर पर लेट गई. तो नीलोफर ने शाज़िया के पेट पर उस की "धुनि" (नेवेल) के बिल्कुल नीचे मेहन्दी के साथ "भाई की चूत" के इलफ़ाज़ लिखना शुरू कर दिए।
"ये क्या कर रही हो तुम" शाज़िया ने जब नीलोफर को अपने पेट पर मेहन्दी के साथ कुछ लिखते देखा तो हेरानी से पूछा।
"चुप चाप लेटी रहो अभी" नीलोफर ने शाज़िया को डाँटते हुए कहा और साथ ही शाज़िया की चूत की तरफ "इशारा" करने के लिए मेहन्दी के साथ "तीर" का एक निशान भी बना दिया।
कोन वाली मेहन्दी तो पहले ही थोड़ी खुशक थी। फिर मेहन्दी लगने के फॉरन बाद नीलोफर ने शाज़िया की मेहन्दी को हेर ड्रायर के साथ पूरी तरह से खुश्क कर दिया।
अपने काम से फारिग होने के बाद शाज़िया को उसी हालत में बिस्तर पर लेटा छोड़ कर नीलोफर खुद भी तैयार होने चली गई।
नीलोफर के जाने के बाद शाज़िया ने जल्दी से उठ कर अपने हाथ पाँव नीचे लिए.और फिर गीली तोलिए से अपना पेट सॉफ करने के बाद, शीशे के सामने खड़े हो कर शाज़िया ने जब अपने पेट पर अपनी सहेली की हुई "फन कारी" देखी।तो उस की पानी छोड़ती चूत और भी भड़क उठी।
रात के 8 बजने में अब टाइम काफ़ी कम रह गया था। इसीलिए शाज़िया ने जल्दी से अपने पूरे जिस्म और ख़ास तौर पर अपने गुदाज मम्मो और अपनी सॉफ्ट, चिकनी चूत पर एक खुसबूदार लोशन लगाया। तो लोशन की खुश्बू से शाज़िया की ना सिर्फ़ चूत और मम्मे बल्कि उस का पूरा जिस्म महक उठा।
फिर शाज़िया ने नीलोफर के हाथ अपने भाई का भेजा हुआ बॅग खोला और उस में से सुर्ख रंग की ब्रेज़ियर और पैंटी को निकाल कर पहन लिया।
अपने भाई की खरीदी हुई 40ड्ड साइज़ की सुर्ख ब्रेज़ियर जिस की बॅक साइड में लेस और अड्जस्टबल स्टाप पर गोल्डन चैन लगी थी।ये ब्रेज़ियर शाज़िया के भारी मम्मो पर बिल्कुल फिट आई थी।
उस के बाद शाज़िया ने अपने भाई की उस की सुहाग रात के लिए स्पेशल खरीदी हुई पैंटी पहन ली।
इस पैंटी के फ्रंट में ब्रेज़ियर के साथ की मॅचिंग रेड कलर की लेस और साइड में पतली एलास्टिक के साथ गोल्डन हुक्स बनी हुई थी।
ज़ाहिद की भेजी हुई पैंटी का साइज़ इतना छोटा था। कि आगे से वह शाज़िया की फूली हुई गरम और प्यासी चूत के सिर्फ़ लिप्स को कवर कर रही थी। जब कि पीछे से पैंटी की तनी (स्ट्रॅप्स) शाज़िया की भारी गान्ड की पहाड़ियों में घुस गई थी।
असल में अपनी बहन के लिए खरीदी हुई ज़ाहिद की ये वेड्डिंग पैंटी कम और तोंग ज़्यादा थी।
शाज़िया ने आज जिंदगी में पहली बार इस किसम का ब्रेजियर और पैंटी ज़बे तन की थी।
जिस में से उस के भारी मम्मे, फूली हुई जवान चूत और गुदाज मोटी गान्ड की बड़ी-बड़ी पहाड़ियाँ, " सॉफ छुपते भी नही, सामने आते भी नही" का दिलकश मंज़र पेश कर रही थी।
इस के बाद शाज़िया ने अपना खरीदा हुआ सुर्ख रंग का लहनगा पहना कर मेक अप किया।और आख़िर में अपनी शादी के जेवरात (ज्वेलरी) पहन कर पूरी तरह से एक दुलहन बन गई।
अच्छी तरह से तैयार होने के बाद शाज़िया ने शीशे के सामने खड़े हो कर अपने आप को देखा। तो शीशे में अपने रूप को देख कर शाज़िया को खुद पर ही प्यार आने लगा।
शाज़िया अभी मिरर के सामने ही खड़ी हो कर अपने जिस्म का जायज़ा लेने में मसरूफ़ थी। कि इतने में नीलोफर शाज़िया के कमरे में दुबारा चली आई।
नीलोफर ने जब अपनी सहेली को लहंगे में मलबूस हो कर फुल मेक अप और ज्वेलरी के साथ दुल्हन बने देखा। तो अपनी सहेली के जवान जिस्म का ये नज़ारा देख कर नीलोफर ने शाज़िया के पीछे आ कर अपनी बाहों के घेरे में भरते हुए कहा "यार आज तो तुम्हारा ये रूप तुम्हारे भाई के लिए वियाग्रा का काम करे गा यारो।"
"अच्छा अब ज़्यादा मसके मत लगाओ और तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ नीलोफर" शाज़िया ने नीलोफर की बात पर मुस्कराते हुए उसे कहा।
"यार में तैयार ना भी हुई तो क्या फरक पड़ता है, क्योंकि मेने तो आज भी वह ही लंड लेना है जो लंड एक साल पहले से में ले रही हूँ, असल शादी और सुहाग रात तो तुम्हारी है, जिसे आज एक नया लंड नसीब होना है, और वह भी अपने ही सगे भाई का मेरी जान" नीलोफर ने जाते-जाते शाज़िया को फिर छेड़ा।और शाज़िया अपनी सहेली की बात सुन कर ज़ोर से हँसने लगी।
नीलोफर के जाने के बाद शाज़िया अपने बिस्तर पर बैठी अपनी शादी के जुते (सॅंडेल्ज़) पहन रही थी।
कि इतने में शाज़िया की अम्मी उस के कमरे में दाखिल हुई।
रज़िया बीबी की नज़र ज्यों ही शाज़िया पर पड़ी। तो नीलोफर की तरह रज़िया बीबी भी दुल्हन बन कर बैठी हुई अपनी बेटी शाज़िया के चढ़ते रूप को देख कर हेरान रह गई।
रज़िया बीबी के दिल में ख्याल आया। कि उस की दुल्हन बनी बेटी शाज़िया तो आज अपनी पहली और असल शादी वाले दिन से भी ज़्यादा खूबसूरत और प्यारी लग रही है।
रज़िया बीबी ने आज अपनी बेटी के चेहरे पर खुशी की वह लहर देखी थी। जिस को देखने के लिए रज़िया बीबी दो साल से तरस रही थी।
अपनी बेटी के खुशी से देहकते चेहरे को देख कर रज़िया बीबी समझ गई. कि उस की बेटी शाज़िया एक जाली निकाह के ज़रिए अपने ही भाई की बीवी बनेगी और अपने भाई को अपने शोहार के रूप में क़बूल करने पर पूरी तरह आमादा नज़र आ रही है।
अपनी बेटी को अपने ही भाई के लिए यूँ सज संवर कर तैयार हुआ देख कर रज़िया बीबी का दिल भी अपने बच्चो के प्यार में पिघल गया और वह सोचने लगी कि उसे भी अब अपने बच्चो के लिए अपने दिल में छुपी नफ़रत को निकाल कर अपने बेटा और बेटी के इस गंदे अमल को कबूल कर लेना चाहिए।
ये ख्याल आते ही और थोड़ी देर यूँ ही अपनी बेटी को दरवाज़े पर खड़े हो कर देखने के बाद रज़िया बी आहिस्ता-आहिस्ता चलती हुई अपनी बेटी के पास आई और धीमी आवाज़ में बोली "चलो बेटी निकाह के लिए मोलवी साब इंतिज़ार कर रहे हैं।"
शाज़िया ने अपनी नज़रें उठा कर अपनी अम्मी की तरफ देखा ।तो उसे उस की अम्मी उसी सूट में मलबूस नज़र आईं। जो शलवार कमीज़ सूट रज़िया बीबी ने शाज़िया की पहली शादी पर पहना था।
अपनी अम्मी को पहली बार अपने इस सारे मामले में शरीक होता देख कर शाज़िया को बहुत अच्छा लगा।
असल में रज़िया बीबी को पता था।कि आज ज़ाहिद के कुछ करीबी दोस्त भी निकाह की रसम में ज़रूर शामिल होंगे । इसी लिए ना चाहते हुए भी रज़िया बीबी शादी वाले कपड़े पहन कर तैयार हो गई थी। ताकि निकाह में शरीक लोग बातें ना बना सकें।
रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया को साथ ले कर टीवी लाउन्ज में चली आई. जिधर नीलोफर दुल्हन बनी ज़ाहिद के साथ बैठी शाज़िया का इंतिज़ार कर रही थी।
अपनी बहन शाज़िया को यूँ उस के लिए साज धज कर अपनी अम्मी रज़िया बीबी के साथ आते देख कर ज़ाहिद का लंड अपनी बहन की फुद्दि के लिए फुल खड़ा हो कर अपनी दुल्हन बनी बहन को अपने लंड की सलामी देने लगा।
रज़िया बीबी ने शाज़िया को ला कर जमशेद के पहलू में बिठा दिया। तो मोलवी साब ने एक-एक कर के जमशेद का निकाह शाज़िया और ज़ाहिद का निकाह नीलोफर से पढ़वा दिया।
निकाह के दौरान जब मोलवी साब ने ज़ाहिद ने पूछा "ज़ाहिद क्या तुम को नीलोफर अपने निकाह में कबूल है" ।
तो उस वक्त ज़ाहिद ने नीलोफर की जगह शाज़िया का नाम ज़हन में रखते हुए दिल ही दिल में अपनी बेहन शाज़िया को अपनी बीवी कबूल कर लिया।
इसी तरह शाज़िया ने भी जमशेद की जगह ज़ाहिद का ख्याल अपने दिल में रखते हुए मोलवी साब के आगे "हां" में अपना सर हिला दिया।
निकाह के बाद सब लोगों ने ज़ाहिद और जमशेद के साथ-साथ रज़िया बीबी को भी उन के बच्चो की शादी की मुबादक दी और फिर हर रवायती शादी की तरह दुल्हो और दुल्हनो के एक साथ और फिर अलग-अलग मेहमानो के साथ फोटो सेशन शुरू हो गया।
मेहमानो के सामने जमशेद के साथ उस की दुल्हन के रूप में बैठी हुई अपनी बहन शाज़िया को देख-देख कर ज़ाहिद का लंड उस की शलवार में मचल रहा था।उस का दिल चाह रहा था कि किसी तरह वह अपनी बहन के नज़दीक हो सके।
जब सब लोगों के सामने ज़ाहिद को अपनी बहन के करीब होने का कोई और बहाना ना सूझा।तो वह शाज़िया की कुर्सी के पीछे खड़े हो कर अपनी फोटो बनवाते हुए जमशेद के पास गया और जमशेद को अपनी जगह से हटा कर खुद कुर्सी पर बैठी अपनी बहन के पीछे खड़ा हुआ और उस ने फोटो ग्राफर से कह कर दुल्हन के लिबास मलबोस में अपनी बहन शाज़िया के साथ में अपनी भी तस्वीरे खिचवा लीं।
फोटो सेशन से फारिग होने के बाद रज़िया बीबी ने पहले नीलोफर को उस के कमरे में छोड़ा और फिर अपनी बेटी शाज़िया को साथ ले कर अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे में चली आई।
ज़ाहिद के कमरे में दाखिल होते ही सुहाग के बिस्तर की सजावट देख कर शाज़िया की तरह उस की अम्मी रज़िया बीबी भी हेरान रह गई।
"हाईईईईई! मेरे बेटे ने अपनी दुल्हन बहन के लिए अपने कमरे को कितने प्यार से सजाया है" कमरे की सजावट देख कर बे-इकतियार रज़िया बीबी के दिल में ये बात आई।
रज़िया बीबी के वहमो गुमान में भी ये बात नहीं आई थी।कि उस का सगा बेटा अपनी ही सग़ी बहन के साथ अपनी सुहाग रात मनाने के लिए अपने कमरे और बिस्तर को फूलो की पत्तियों से इस तरह भर देगा । कि उस की अपनी अम्मी भी ये तैयारी देख कर अपने बेटे की चोइस की दाद दिया बगैर नहीं रह सकेगी।
जारी रहेगी