अम्मी बनी सास 047

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लंड की चुसाइ.
1.9k words
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Part 47 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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ज़ाहिद ने देखा कि उस की बहन की छोटा-सा थॉंग शाज़िया की फुद्दि के मोटे और फूले हुए लिप्स को छुपाने से असमर्थ था।

जिस वजह से ज़ाहिद को थॉंग में से भी अपनी बहन की चूत के फूले हुए लब सॉफ नज़र आ रहे थे।

जब कि पीछे से थोन्ग की पट्टी शाज़िया के मोटे-मोटे चूतड़ो की दरार में घुसी जा रही थी।

थॉंग में छुपी हुई अपनी बहन की मोटी चूत को यूँ अपने सामने देख कर ज़ाहिद के सबर का पैमाना लबरेज हो गया और वह फॉरन अपने हाथ आगे बढ़ा कर अपनी बहन का थॉंग भी उतारने लगा।

शाज़िया ने भी अपना थॉंग उतरवाने में अपने भाई की मदद करते हुए अपनी मोटी गान्ड उठा दी।

तो ज़ाहिद ने बड़े आराम से अपनी बहन के जिस्म पर लिपटा हुआ आखरी कपड़ा भी उतार कर अपनी सग़ी बहन को अपने ही हाथ से मुकम्मल नंगा कर दिया।

अब शाज़िया का पूरी तरह नंगा बदन उस के भाई की आँखों से सामने बिस्तर पर का पड़ा चमक रहा था।

शाज़िया की बड़ी-बड़ी चुचियाँ उस के सीने पर फैली हुई थी। जब कि शाज़िया की सुडोल जाँघो के दरमियाँ उस की बिना बालों के फूली हुई गुलाबी चूत उस के भाई ज़ाहिद की गरम निगाहों के सामने खुली पड़ी थी।

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया की बगैर बाल वाली खूबसूरत चूत के फूले हुए लिप्स से दूधिया रंग का चूत का पानी शाज़िया की फुद्दि में से बह-बह कर बाहर निकलता सॉफ दिखाई दे रहा था।

शाज़िया की फुद्दि के बहते पानी से ना सिर्फ़ उस की चूत के लब गीले हो चुके थे। बल्कि फुद्दि का पानी बाहर निकल कर शाज़िया की मोटी जाँघो से होता हुआ उस की भारी गान्ड की तरफ भी जा रहा था।

अपनी बहन शाज़िया की मोटे होंठो वाली गरम और प्यासी चूत को इतने करीब से देखते हुए ज़ाहिद निहायत गरम और बे चैन हो चुका था और उस का लंड उस की शलवार में हिल-हिल कर पागलों की तरह टक्कर मार रहा था।

कुछ लम्हे अपनी बहन की गरम चूत से अपनी आँखें सैंकने के बाद ज़ाहिद ने बे ताबी से अपनी बहन की प्यासी चूत के फूले हुए होंठो को अपने हाथ की उंगलियों में भर लिया।

और अपनी मस्ती भरी आवाज़ में अपनी बहन से कहने लगा, "हाईईईईईई! शाज़िया में कितना ख़ुसनसीब भाई हूँ कि आज मुझे अपनी ही बहन की इतनी मोटी और मुलायम लिप्स वाली चूत नसीब हो रही है मेरी जान" ।

शाज़िया ने अपने भाई की बात का जवाब नहीं दिया। मगर उस ने अपनी टाँगें मज़ीद ढीली कर के और खोल दीं। ता कि उस के भाई ज़ाहिद के हाथ ठीक से उस की पूरी फूली हुई चूत को पकड़ सके।

ज़ाहिद फुद्दियो के खेल का एक पुराना खिलाड़ी था। इसीलिए अपनी बहन की मस्त फूली हुई चूत को देखते और फिर अपने हाथ से उसे छूते ही वह ये बात समझ गया था। कि उस की बहन शाज़िया की चूत दो साल से कोई लंड ना लेने की वजह से बहुत ही तंग हो चुकी है।

अपनी बहन की चूत की इस टाइटनेस को महसूस कर के ज़ाहिद को अंदाज़ा हो चुका था। कि आज अपनी बहन की गरम फुद्दि में अपना लंड डालते वक्त उसे थोड़ी मेहनत ज़रूर करनी पड़े गी।

ज़ाहिद अपनी हथेली से अपनी बहन की फुद्दि के होंठो को उपर से नीचे तक मसल रहा था और शाज़िया खुद भी अपनी गान्ड को हल्के-हल्के उपर नीचे हिला कर अपने ही भाई के हाथ का मज़ा ले रही थी।

अपनी गरम फुद्दि के होंठो पर अपने भाई के हाथ को महसूस करते ही शाज़िया मज़े से सिहर गई और सिसकी"हाईईईईईईईईईईईईईईईई! भाईईईईईईईईईईईईईईई! आप ने अपनी ही बहन को बे लिबास कर के तो पूरा नंगा देख लिया है। मगर आप खुद अभी तक अपने कपड़े पहने हुए हैं, क्यों?"

"हाईईईईई! मेरी जान तुम हुकम तो दो मैं अभी अपने कपड़े उतार कर तुम्हारे सामने नंगा हो जाता हूँ" ज़ाहिद अपनी बहन की बालों के बगैर सॉफ शफ़ाफ़ ब्राउन छोटी-सी चूत को देखते हुए बोला।

साथ ही साथ ज़ाहिद ने शाज़िया के पास ही बिस्तर पर अपने घुटनों के बल खड़े हो कर पहले अपनी कमीज़ को उतारा और फिर साथ ही अपनी शलवार को जल्दी से नीचे कर दिया।

ज़ाहिद की शलवार नीचे होते ही जो नज़ारा उस वक्त शाज़िया ने देखा।तो उसे देख कर बिस्तर पर लेटी हुई शाज़िया ना सिर्फ़ उठ बैठी। बल्कि हैरत के मारे शाज़िया ने अपने हाथों को अपने चेहरे पर रखा और उस का मुँह खुला का खुला रह गया।

शाज़िया को ज़ाहिद का इतना बड़ा लंड देख के यूँ महसूस हुआ कि उस की चूत में तो जैसे चींटिया रेंगने लगीं हों।

ज़ाहिद की शलवार के नीचे होते ही उस का तना हुआ मोटा और बड़ा लंड नंगा हो कर उपेर नीचे होते हुए अपनी बहन को अपनी सलामी देने लगा।

ज़ाहिद की तरह शाज़िया भी नीलोफर की देखी हुई वीडियोस के ज़रिए अपने भाई के लंड से पहले से ही वाकिफ़ हो चुकी थी।

मगर हकीकी जिंदगी में आज वह भी पहली बार अपने भाई के मोटे और जवान लंड को अपनी खुली आँखों से दीदार कर रही थी।

अपने भाई के मोटे ताज़े और सख़्त लंड को यूँ अपने सामने नंगी होता देख कर शाज़िया की आँखें खुली की खुली रह गईं।जूस के नीचे से उस की चूत पहले से भी ज़्यादा गरम हो कर अपन पानी छोड़ने लगी।

"शाज़िया तुम्हारे भाई का लंड तो बहुत ही बड़ा और मोटा है यार, और जब ये लंड तुम्हारी इस गरम फुद्दि के अंदर जाएगा, तो तुम भी मज़े से बे हाल हो जाओगी बानो" अपने भाई के लंड को हैरत से देखते हुए शाज़िया के ज़हन में अपनी सहेली की कही हुई बात दुबारा से गूंजने लगी।

ज़ाहिद इस वक्त अपनी बहन शाज़िया के बिल्कुल सामने खड़ा था।और उस का लंड और शाज़िया के चेहरे के दरमियाँ कुछ इंच का ही फासला था।

शाज़िया की साँसें अपने भाई के लंड को अपने इतना करीब देख कर बहुत ज़ोर-ज़ोर से चलने लगी थी।

"क्यों कैसा लगा मेरी बहन को अपना" असली शोहर"?" ज़ाहिद ने अपने तने हुए लंड पर अपना हाथ फेरते हुए अपनी बहन से पूछा।

"हाईईईईईईईईई! क्या बताऊ, नीलोफर से जैसा आप के लंड के बारे में सुना था, उस से तो बढ़ कर मोटा और बड़ा है आप का लंड भाई जान" शाज़िया ने अपने भाई की बात पर मुस्कुराते हुए अपने भाई के लंड की पहली बार अपने मुँह से तारीफ की।

"अच्छा क्या तुम्हारे सबका शोहार का ऐसा लंड नहीं था मेरी बहन" ज़ाहिद ने अपनी तारीफ सुन कर खुश होते हुए अपनी बहन से पूछा।

"नही इतना मोटा और बड़ा लंड तो में पहली बार देख रही हूँ भाई" शाज़िया ने बे शेरमी से अपने भाई की बात का जवाब दिया।

"तो फिर इस को अपने हाथ और मुँह में ले कर प्यार करो ना जान" ज़ाहिद ने अपना मोटा और लंबा लंड शाज़िया के मुँह के और पास ले जाते हुए कहा।

"नही भाई ये गंदा है मैं इसे कैसे मुँह में ले सकती हूँ भला" अपने भाई की बात सुन कर शाज़िया ने हेरान होते हुए कहा।

शाज़िया ने अपनी सहेली नीलोफर को उस के अपने भाई जमशेद और ज़ाहिद भाई का लंड को सक करते हुए मूवी में देखा तो हुआ था।

मगर शाज़िया ने ना तो इस से पहले अपने सबका शोहार के लंड को उस ने कभी सक किया था और ना ही अब उस का दिल अपने ही भाई के लंड को सक करने को चाह रहा था।

"शाज़िया एक दफ़ा इसे अपने मुँह में ले कर इसे प्यार तो करो मेरी जान, मुझे यकीन है कि इस का स्वाद पा कर तुम सब कुछ भूल जाओगी मेरी बहन।" ज़ाहिद ने आगे बढ़ कर अपनी बहन शाज़िया के नरम होंठो पर अपना गरम और सख़्त लंड को रगड़ते हुए कहा।

ज़ाहिद को औरतों से अपना लंड चुसवाने में बहुत मज़ा आता था। इसी लिए अपनी बहन के इनकार के बावजूद ज़ाहिद शाज़िया को भी इस काम पर मजबूर करने पर तूल आया था।

फिर ज्यों ही ज़ाहिद के लंड ने पहली बार अपनी बहन के गुदाज होंठों को अपनी मोटी टोपी से छुआ। तो ज़ाहिद का फॅन फनाता हुआ लंड पहले से ज़्यादा अकड़ गया, और साथ ही ज़ाहिद के लंड से उस का पानी (प्री कम) का एक कतरा निकल कर शाज़िया के प्यासे होंठो को भिगा गया ।

दूसरी तरफ जैसे ही शाज़िया ने अपने भाई के लंड को पहली बार अपने होंठो पर महसूस किया, तो ज़ाहिद के लंड की तपिश और सख्ती ने शाज़िया के जिस्म में एक आग सी लगा दी।

अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर होते हुए शाज़िया ने अपनी एक लम्हे पहले कही हुई बात को भुला दिया। फिर शाज़िया ने अपनी ज़ुबान निकाल कर ना सिर्फ़ अपने भाई के पानी को फॉरन अपनी ज़ुबान से चाट लिया, बल्कि उस ने जोश में आते हुए अपना मुँह खोल कर अपने भाई के बड़े लंड की मोटी टोपी को सक करना शुरू कर दिया।

"हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईई! उफफफफफ्फ़! क्या मस्त चुसाइ लगाती हो तुम मेरी बहन।" ज्यों ही ज़ाहिद के लंड की टोपी उस की बहन के मुँह में दाखिल हुई तो ज़ाहिद जोश से चिल्ला उठा।

अपने भाई ज़ाहिद के लंड की गर्मी और सख्ती को अपने होंठो पर ही महसूस कर के शाज़िया सोचने लगी, कि उस के भाई का ये मोटा और बड़ा लंड तो आज उस की फुद्दि की धज्जियाँ बखेर कर रख देगा ।

ये सोच सोच कर शाज़िया की फुद्दि का पानी उस की टाँगों से बह बह कर बाहर निकलने लगा, जिस से बिस्तर की चादर भी गीली हो गई।

अपने भाई के सामने घुटनों के बल बैठ कर अपने ही भाई के लंड की चुसाइ लगाते हुए शाज़िया अब इतनी बेचैन हुई, कि उस का दिल चाहने लगा कि किसी तरह वो अपने भाई का लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में भर ले।

मगर ज़ाहिद का लंड इतना बड़ा और मोटा था. कि कोशिश के बावजूद शाज़िया उसे अपने मुँह में नही ले पाई।

शाज़िया इस वक्त बड़े शौक,मज़े और जोश से अपने भाई के लंड को चूसने में मसरूफ़ थी।

शाज़िया अपने भाई के लंड की टोपी को चाट्ती हुई नीचे जाती और फिर चाट्ती हुई दूसरी तरफ से वापिस लंड की टोपी तक पहुँच जाती थी। फिर अपनी ज़ुबान से अपने भाई के लौडे को चारों तरफ से चाट्ती और फिर ज़ाहिद के लंड को अपने मुँह में ले कर उसे कुलफी की तरहा चूस रही थी।

बेशक किसी भी मर्द के लंड को सक करने का शाज़िया का ये पहला तजुर्बा था, मगर इस के बावजूद शाज़िया उस वक्त बहुत महारत से अपने भाई का लंड चूस रही थी।

शाज़िया अब अपने भाई के लंड का स्वाद पा कर सब कुछ भूल गई थी, और जिस से ज़ाहिद की कुछ देर पहले कही हुई बात सच साबित हो गई थी, के शाज़िया जब एक दफ़ा तुम मेरे लंड को सक कर लोगी.तो फिर तुम को लंड चूसने में मज़ा आने लगेगा।

दूसरी तरफ पिछले कुछ हफ्ते नीलोफर या किसी और की चूत ना मारने की वजह से ज़ाहिद के लंड में स्टॉक हुआ उस का वीर्य तो पहले ही बाहर निकलने को उबल रहा था, और अब अपनी बहन के मुँह से चुसाइ लगवा कर ज़ाहिद तो मज़े से बे हाल हो रहा था, जिस से उस की हालत बिगड़ने लगी थी।

इस से पहले कि शाज़िया अपने भाई के लंड को चूस चूस कर उस का सारा पानी निकाल लेती। ज़ाहिद ने शाज़िया के मुँह से अपने लंड को निकाल लिया।

"हाईईईईईईईईईईईईईईई! तुम तो कहती थी कि तुम ने कभी लंड की चुसाइ नही लगाई, मगर लंड चुसाइ में तुम तो नीलोफर को भी मात दे दी हो मेरी जान।" ज़ाहिद ने अपनी बहन की तरफ करते हुए कहा।

कहानी जारी रहेगी

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