अम्मी बनी सास 046

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प्यार जोश और मज़े के साथ चूमा चाटी.
2.1k words
4.62
231
00

Part 46 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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अपनी बहन के मम्मो पर फूलो की पत्तिया फैंकने के बाद ज़ाहिद फिर से अपनी बहन के भारी मम्मों का जायज़ा लेने लगा।

"उफफफफफफफफफफ्फ! तुम को इस सुर्ख रंग के ब्रेजियर में देख कर मेरा लंड बहुत बे चैन हो रहा है" ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया को अपनी बाहों में भरते हुए कहा।

"भाई मेने आप ही की फरमाइश पर, आप ही का दिया हुआ ये ब्रेज़ियर पहना है आज" शाज़िया ने भी उसे जोश में अपने भाई को जवाब दिया।

"हाईईईईईईईईई! अच्छा तो फिर जल्दी से उतारो अपनी इस ब्रेज़ियर को, में कब से तरस रहा हूँ तुम्हारे बड़े-बड़े जवान मम्मो को देखने और चूमने के लिए मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन के ब्रेज़ियर में कसे हुए मम्मे को हाथ से दबाते हुए कहा।

साथ ही ज़ाहिद ने शाज़िया के बड़े ब्रेजियर को सामने से खैंच कर उस के दाए (राइट) मम्मे से नीचे किया। तो शाज़िया का दाया भारी मम्मा झट से उछल कर उस के ब्रेज़ियर से बाहर निकल आया।

वैसे तो नीलोफर की मेहेर बानी की बदोलत ज़ाहिद इस से पहले भी वीडियोस के ज़रिए काफ़ी दफ़ा अपनी बहन के मम्मो का दीदार तो कर चुका था।

मगर आज ये पहला मोका था। जब वह असली जिंदगी में अपनी खुली आँखों से अपनी बहन के जवान और बड़े मम्मो को देख रहा था।

इसीलिए ज्यों ही शाज़िया का मम्मा ज़ाहिद के सामने नंगा हुआ, तो ज़ाहिद बड़े शौक और लालची नज़रों के साथ अपनी बहन के नंगी मम्मे का जायज़ा लेने लगा।

उफ़फ्फ़ क्या नज़ारा था। कि शाज़िया की खूबसूरत भारी छाती पर, उस के हल्के साँवले रंग के तने हुए गोल-गोल निपल्स, शाज़िया की 40ड्ड छाती पर बड़े फख्र से तन कर खड़े हुए अपने भाई ज़ाहिद की आँखों को दावत-ते-गुनाह दे रहे थे।

शाज़िया के लंबे निपल्स को यूँ अकड़ कर शाज़िया की छाती पर खड़ा देख कर ज़ाहिद को यूँ लगा। जैसे उस कि बहन के निपल्स इंतिज़ार कर रहे हैं कि कब ज़ाहिद आगे बढ़े और उन को अपने मुँह में ले कर उन की अकड़ को ख़तम कर दे।

इसीलिए ज़ाहिद ने अब अपनी बहन के मम्मे और निपल्स को मज़ीद इंतजार करवाना मुनासिब ना समझा।और उस ने बेताबी से अपना मुँह आगे बढ़ा कर शाज़िया के दाए मम्मे के निपल को अपने गरम होंठो में दबा लिया।

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी बहन के मम्मे को अपने मुँह में भरा। तो मज़े की शिद्दत से शाज़िया के मुँह से एक शहद भरी सिसकारी "कककककककक!" निकल कर पूरे कमरे में गूंजने लगी।

अपनी बहन की लज़्जत भरी सिसकारी सुन कर ज़ाहिद को और जोश आया।और उस ने शाज़िया के ब्रेज़ियर को सामने से नीचे करते हुए अपनी बहन के दूसरे मम्मे को भी पूरा नंगा कर दिया।

अब शाज़िया के बड़े-बड़े मम्मे उस के भाई की भूकि आँखों से सामने पूरी आबो ताब से नुमाया हो गये।

ज़ाहिद ने फिर से अपनी बहन की नंगी छातियों का बगौर जायज़ा लिया। तो उसे महसूस हुआ कि शाज़िया की चुचियाँ उस के सामने पूरी तरह नंगी होते ही जैसे फूल-सी गई थी।

कुछ देर तो ज़ाहिद यूँ ही अपनी बहन शाज़िया की खूबसूरत भरी हुई छातियों को देखता रहा। फिर अगले ही लम्हे ज़ाहिद ने शाज़िया की भारी-भारी छातियों को अपने हाथों में पकड़ कर उन्हे पागलों की तरह दबाने और फिर उन्हे हिला कर छोड़ने लगा।

ज़ाहिद की इस छेड़ छाड से शाज़िया के जवान बड़े मम्मे किसी जमी हुई जेल्ली की तरह उस की छाती पर हिलने लगे।

शाज़िया अपने भाई के इस खेल से इतनी लुफ्त अंदोज़ हो रही थी। कि उस के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारी निकल कर ज़ाहिद के जोश को मज़ीद दो आतिशा बना रही थी।

अपनी बहन की भारी छातियों से खेलते-खेलते ज़ाहिद ने अपने गरम होन्ट दुबारा से अपनी बहन के निपल्स कर रख दिए।

अब ज़ाहिद का एक हाथ शाजिया के मम्मे पर था। जब कि शाज़िया का दूसरा मम्मे का निपल ज़ाहिद के मुँह में था।

ज़ाहिद अपनी बहन के मोटे तने हुए निपल को कभी सक करता और कभी पूरे ब्रेस्ट पर अपनी गर्म ज़बान को मूव कर देता।

अपने भाई के इस प्यार भरे अंदाज़ से शाज़िया तो बॅस तड़प कर रह जाती।

शाज़िया की दो सला शादी शुदा जिंदगी में उस के सबका शोहर ने कभी उस की छातियों को इतने प्यार, जोश और मज़े से नहीं चाटा था। जितने शौक से आज उस का अपना सगा भाई उस के बड़े मम्मो को चूस और चाट रहा था।

ज़ाहिद किसी छोटे बच्चे की तरह ऐसे जोश और तेज़ी से अपनी बहन के मम्मो को सक कर रहा था। जैसेज़ाहिद को ये उम्मीद थी।कि उस की बहन के मम्मो से अगले ही लम्हे उस का दूध निकल आएगा ।और अपनी बहन का ये दूध पी कर एक बच्चे की तरह ज़ाहिद की भूक भी मिट जाएगी।

आआआआअहह मेरे भाई, मेरे शोहर, दबाओ, इन को चूसूऊओ, बहुत अच्छा लग रहा है, उफफफफफफफफफ्फ़! में तो इस दिन का कब से इंतेज़ार कर रही थी मेरे भाईईईईईईईई!, आज के बाद मेरे ये मम्मे और मेरा ये जिस्म सिर्फ़ और सिर्फ़ आप का ही तो है, अब इन को चूमिए, या चाटिये ये आप की मेर्ज़ी है। " अपने भाई को यूँ पागलों की तरह अपने मम्मे चूस्ते हुए देख कर शाज़िया भी मज़े से पागल हुए जा रही थी।

कुछ देर अपनी बहन के निपल्स को चूसने के बाद ज़ाहिद ने शाज़िया की कमर के पीछे हाथ ले जा कर अपनी बहन के ब्रेज़ियर का हुक खोल कर शाज़िया के जिस्म से अलग कर दिया।

अपनी बहन का ब्रेज़ियर उतारने के दौरान भी ज़ाहिद मसलसल अपनी बहन शाज़िया के मम्मो को बड़े शौक से चूमने में मसरूफ़ रहा।

अपने भाई की गर्म जोशी देख-देख कर कर शाज़िया भी जोश में सिसकते हुए बोल रही थी: "उूउऊफ़, भाई, चूसूऊओ, दबाओ मेरी इन बड़ी-बड़ी छातियों को, बड़ा मज़ा आ रहा है मुझे।"

ज़ाहिद इतने जोश और बेचैनि से अपनी बहन के मम्मो को सक कर रहा था। कि सकिंग के दौरान उस ने एक दो दफ़ा अपने दाँत (टीत) से भी अपनी बहन के मम्मे और निपल्स को काट भी लिया।

अपने भाई के दाँत अपने निपल्स पर लगते ही शाज़िया सिसकी: "अहह, उफफफफफफफफफ्फ़!मेरे निपल्स को तो ना काटो ना भाइईईईईईईई! निशान पड़ जाएँगे।"

शाज़िया के मुँह से "आआआआहीन!" निकल रहीं थी।और अपनी आवाज़ को कंट्रोल करते और अपने दोनों हाथ अपने भाई ज़ाहिद के सिर पर ला कर शाज़िया बहुत प्यार से अपने भाई के बालों में अपनी उंगलियाँ फैरने लगी।

अपनी बहन के मोटे मम्मो को चुसते वक्त ज़ाहिद के हाथ शाज़िया के भरे हुए बदन के हर हिस्से पर फिर रहे थे।

शाज़िया के जिस्म पर अपने हाथ को घुमाते हुए ज़ाहिद अपने हाथ को शाज़िया की जाँघ पर ले आया और अपनी बहन के लहंगे के उपर से ही अपनी बहन की गुदाज जाँघ को अपने हाथ में ले कर मसल्ने लगा।

शाज़िया की रान पर हाथ फेरते-फेरते ज़ाहिद का हाथ रेंगता हुआ उस की गरम और दो साल से प्यासी चूत पर पहुँचा और फिर एक दम से ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया की मोटी फुद्दि को अपने हाथ में ले के उसे अपने काबू में कर लिया।

ज्यों ही शाज़िया की चूत पर उस के भाई ज़ाहिद का हाथ पहली बार फिरा।तो शाज़िया की चूत अपने भाई के हाथ की सख्ती और गर्मी को महसूस कर के पानी-पानी हो गई।

आज दो साल के बाद किसी मर्द का हाथ शाज़िया की बे इंतिहा गरम चूत पर आ कर उस की चूत को सहला रहा था।

अपनी पानी छोड़ती फुद्दि पर अपने ही सगे भाई के हाथों की गर्मी पा कर शाज़िया के जिस्म की आग और भी भड़क उठी और शाज़िया के मुँह से बे इख्तियार ये इलफ़ाज़ निकल गये। "हाईईईईईईईईईईई! भाईईईईईईईईईईईई! जानंनननननननननणणन्!"

ज़ाहिद ने नीलोफर की ज़ुबानी सुना हुआ तो था। कि उस की बहन शाज़िया की चूत निहायत गरम और प्यासी है।

और अब अपनी बहन की चूत को यूँ छूते ही ज़ाहिद को नीलोफर की कही हुई बात बिल्कुल सच महसूस होने लगी। इसीलिए शाज़िया की चूत पर अपने हाथ का दबाव बढ़ाते हुए ज़ाहिद बोला: "शाज़िया, तुम्हारी चूत कितनी गरम और नरम है! उफफफफफफफफफ्फ़! तुम्हारी फुद्दि से निकलती हुई गरमाइश तो मेरे हाथ को जला कर रख देगी मेरी जान।"

अपने भाई की बात सुन कर शाज़िया मुँह से तो कुछ ना बोली। मगर उस ने अपनी टाँगें ढीली कर के और चौड़ी कर दीं। ता कि उस की चूत पूरी की पूरी उस के भाई ज़ाहिद की मुट्ठी में आराम से समा सके।

ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया की मोटी फुद्दि को उपर से ले कर नीचे तक मसलना शुरू कर दिया।

जब कि अपने भाई के हाथों के स्वाद अपनी चूत पर महसूस कर के शाज़िया खुद भी अपनी गान्ड को हल्के-हल्के उपर नीचे हिला-हिला कर अपने भाई के हाथ का मज़ा लेने लगी।

फिर कुछ देर मज़ीद अपनी बहन की चूत के साथ इस तरह खेलने के बाद ज़ाहिद ने अपनी बहन के लहंगे को उतार कर उसे अपने ही हाथो से पूरा नंगा करने का इरादा लकर लिया।

ये सोच के ज़ाहिद ने अपनी बहन की फुद्दि से खेलते हुए हाथ को ऊपर ला कर अपनी बहन के लहंगे का नाडा खोल दिया।

अपने भाई को अपने लहंगे का नाडा खौलते देख कर शाज़िया का दिल उछल कर उस के हलक में आ गया।

शाज़िया समझ गई कि अपने तलाक़ के बाद जिस लम्हे के इंतिज़ार में आज तक वह घुट-घुट कर अपनी जिंदगी जी रही है वह लम्हा अब आन ही पहुँचा है। कि जब उस की गरम चूत की प्यास अब बस उस के अपने ही भाई के हाथों मिटने ही वाली है।

अपनी बहन के नाडे को खोल कर ज़ाहिद ने जब अपनी बहन के लहंगे को उस की गान्ड से खैंच कर नीचे उतारने की कोशिश की। तो शाज़िया के लहंगा की फिटिंग काफ़ी तंग होने की वजह से लहनगा शाज़िया के चौड़े हिप्स पर अटक गया।

"हाईईईईई! क्या बड़े भारी चूतड़ और बड़ी गान्ड है मेरी बहन की" ज़ाहिद ने अपनी बहन के चूतड़ पर अटके हुए लहँगे को उतारते वक्त अपनी बहन की उभरी हुई गान्ड और भारी कुल्हो को अपने हाथ से सहलाते हुए कहा।

"हीईीईईईईईईईई! भाई नाआआआअ! करूओ" अपनी भाई के हाथ अपनी भारी गान्ड पर चलता हुआ महसूस कर के शाज़िया की चूत और मचलने लगी।

जब कोशिश के बावजूद ज़ाहिद शाज़िया के लहंगे को उस के जिस्म से ना उतार सका। तो ज़ाहिद ने बिस्तर पर लेटी हुई शाज़िया को अपनी भारी गान्ड और कूल्हे थोड़ा ऊपर की तरफ उठाने को कहा और फिर बड़ी मुश्किल से खैंच कर ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे कुल्हों पर फँसा हुआ अपनी बहन का लहंगा उतार कर कमरे के फर्श पर फैंक दिया।

अपनी चोली, ब्रेज़ियर और लहंगे से महरूम होने के बाद अब शाज़िया अपने भाई की प्यासी निगाहों के सामने सिर्फ़ और सिर्फ़ एक थॉंग में मलबोस बिस्तर पर लेटी हुई थी।

अपनी बहन का लहंगा उतरते ही ज़ाहिद की नज़र ज्यों ही शाज़िया के पेट पर मेहन्दी से लिखे हुए इलफ़ाज़ "भाई की चूत" और नीचे शाज़िया की चूत की तरफ इशारा करने वाले तीर पर पड़ी। तो ज़ाहिद का लंड जोश से उस की शलवार में उछल-उछल कर खलल डालने लगा।

"ये अल्फ़ाज़ किस ने लिखे हैं तुम्हारे पेट पर शाज़िया" ज़ाहिद ने अपनी बहन के पेट पर नज़रें जमाई, सिसकी भरे लहजे में अपनी बहन शाज़िया से पूछा?

"भाई ये कारनामा आप की चहेती नीलोफर के अलावा और कौन सर अंजाम दे सकता है भला" शाज़िया ने मुस्कुराते और हल्का-सा शरमाते हुए अपने भाई को जवाब दिया।

"वैसे सही तो लिखा है नीलोफर ने, क्योंकि आज के बाद तुम्हारी ये चूत सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी ही तो है मेरी जान" ये कहते हुए ज़ाहिद ने अपने गरम होंठो को अपनी बहन के पेट पर रख कर अपनी बहन की धुनि के नीचे लिखे हुए अल्फ़ाज़ को अपनी ज़ुबान से चूमना शुरू कर दिया।

"उफफफफफफ्फ़, हाा भाई नहीं कर नाआआआआ" शाज़िया को अपने भाई की गरम ज़ुबान अपने पेट पर फिरती हुई अच्छी तो लगी। मगर साथ ही साथ उसे गुदगुदी भी होने लगी। इसीलिए उस ने फॉरन अपने हाथ नीचे ले जा कर अपने भाई के मुँह को अपने पेट से हटा दिया।

"क्यों क्या हुआ" ज़ाहिद ने हेरान होते हुआ शाज़िया से पूछा?

"वह असल में मुझे आप की ज़ुबान से गुदगुदी हो रही है भाई" शाज़िया ने सिसकते हुए जवाब दिया।

इस पर ज़ाहिद ने अपनी बहन की बात मानते हुए उस के पेट से अपना मुँह अलग किया और दुबारा से अपनी बहन के भरे हुए गरम बदन का जायज़ा लेने लगा।

अपनी बहन के आधे से नंगे वजूद पर नज़रें दौड़ाते हुए ज़ाहिद की नज़र तेज़ी से जा कर शाज़िया की मोटी और गुदाज रानो के दरमियाँ छुपी हुई उस की गरम और प्यासी फुद्दि पर टिक गई।

ये वह ही जगह थी। जहाँ उस की बहन ने अपनी जवानी का अनमोल खजाना अपने भाई की नज़रों से छुपा कर रखा था और अपनी बहन के इस शाही ख़ज़ाने को हासिल करने के लिए ज़ाहिद आज अपनी बहन की चूत के समुंदर में डूब जाने को भी तैयार हो चुका था।

जारी रहेगी

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