अम्मी बनी सास 048

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फुद्दि बेकरार है लंड भी तैयार है.
1.9k words
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Part 48 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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शाज़िया अपने भाई से अपनी तारीफ सुन कर शर्मा-सी गई और अपने हाथों में अपने मुँह को ढांप लिया।

"अच्छा जान अब शरमाना छोड़ो और मुझे भी इसी तरह अपनी फुद्दि का स्वाद चखने दो जिस तरह तुम ने मेरे लंड का चखा है" ज़ाहिद ने सिसकते हुए अपनी बहन को कहा।

ये कहते हुए और अपने लंड को सहलाते हुए ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ आया।तो शाज़िया ने भी बे शरमी से अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं।

ज़ाहिद शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ आ कर नीचे को झुका और अपनी बहन की गुलाबी नंगी चूत को अपनी हथेली से हलके से छुआ।

अपनी बहन की चूत को अपने हाथ से हल्का-हल्का रगड़ते हुए ज़ाहिद ने अपना मुँह नीचे झुका कर अपनी बहन की फूली हुई फुद्दि को अपने नाक से सूँघा।

शाज़िया की चूत पर लगे हुए परफ्यूम और उस की चूत से बहते हुए फुद्दि के पानी ने आपस में मिक्स हो कर शाज़िया की फुद्दि को कुछ इस तरह महका दिया था। कि ज़ाहिद अपनी बहन शाज़िया की छूट के बहते पानी की खुसबू को सूंघ कर दिवाना हो गया।

ये शायद शाज़िया की चूत से निकलती हुई महक का ही असर था। कि ज़ाहिद ने दिवाना वॉर अपने होंठो के आगे बढ़ा कर उन्हे अपनी बहन की फुद्दि पर रखा और शाज़िया की पानी से तर गरम चूत को चूम लिया।

ज़ाहिद की गरम नुकीली ज़ुबान ज्यों ही उस की बहन की फुद्दि से पहली दफ़ा टकराई.तो शाज़िया मज़े की शिद्दत से उछल पड़ी "हाऐईयईईईईईईईईई! भाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई!"

"भाई नहीं करूऊ, ये गंदी जगहह है" शाज़िया ने अपने भाई के मुँह को अपनी चूत से हटाने की कोशिश की।

"इतनी प्यारी गुलाबी और मज़े दार चूत को गंदी कहती हो तुम, जब मुझे तुम अच्छी लगती हो, तो फिर तुम्हारी चूत कैसे गंदी लग सकती है मेरी जान" ज़ाहिद ने शाज़िया की बात का जवाब देते हुए अपनी बहन की चूत पर अपना मुँह रख दिया।और किसी भूके जानवर की तरह अपनी बहन की चूत को चाटने लगा।

ज़ाहिद अब पागलों की तरह दीवाना वार अपनी बहन की चूत में अपनी ज़ुबान फेरने लगा था।

ज़ाहिद के इस जोश, मस्ती और इन्मिहाक से अपनी बहन की फुद्दि में अपनी ज़ुबान फेरने की वजह से शाज़िया की चूत का गहरा और लेस दार रस उस की फुद्दि से निकल-निकल कर ज़ाहिद के मुँह को तर करने लगा।

अपनी बहन के नमकीन और लेस दार पानी को अपने मुँह में महसूस करते ही ज़ाहिद को अपनी बहन के पानी का ज़ायक़ा इतना मज़े दार लगा। कि उस ने शाज़िया की चूत से बैठे पानी को रूह-अफज़ा समझ कर पीना शुरू कर दिया।

शाज़िया के सबका शोहर ने तो कभी शाज़िया की चूत को नहीं चूसा था। मगर शाज़िया नीलोफर के हाथों फुद्दि चुस्वाई के इस स्वाद से ज़रूर आगाह हो चुकी थी।

लेकिन नीलोफर ने भी आज तक शाज़िया की फुद्दि को इस तरह नहीं चाटा था। जिस प्यार और दीवानगी से उस का भाई ज़ाहिद उस की फुद्दि में अपनी ज़ुबान डाल कर उसे चाट रहा था।

अपने भाई ज़ाहिद की ज़ुबान के हाथों बे हाल होते हुए शाज़िया तो मज़े से पागल हो कर गुलाब की पत्तियॉं से सजी अपनी सुहाग की सेज कर मदहोश लेटी हुई अपने हलक में से मस्ती भरी सिसकियाँ और आवाज़ें निकल रही थी...

" आआआअहह! ज़ाहिद भाई! में मरी! उफफफफफफफ्फ़! ये क्या कर रहो हो आप?आह ओइइ! ज़ाहिद भाई मुझ हाई लगता है आज में मर जाउन्गी अहह! उफफफफफ्फ़! मेरे शोहर ने तो मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं दिया था। अह्ह्ह्ह। हाईईईईईई! भाई ये मुझ है क्या हो रहा है। उफफफ्फ़! मेरी जान निकल रही है। अहह!ये कहते हुए शाज़िया के जिस्म को झटके लगे और शाज़िया की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया!

ज्यों ही शाज़िया के जिस्म ने झटके खाने शुरू किए.तो ज़ाहिद ने अपना मुँह अपनी बहन की चूत से अलग कर लिया और वह अपनी बहन के जिस्म को झटके लगते और उस की फुद्दी से चूत (ऑर्गॅज़म) का पानी निकलते हुए देखने लगा।

" फुद्दि बेकरार है, लंड भी तैयार है। आजा मेरे भाई, तेरी बहन की चूत अब तैयार है।।

अपनी बहन के जिस्म को यूँ झटके खाते देख कर और इस शायर को अपने ज़हन में लाते हुए ज़ाहिद अब ये बात अच्छी तरह समझ गया था। कि इस वक्त उस की बहन की चूत उस का मोटा और लंबा लंड निगलने के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी है।

इसीलिए ज़ाहिद ने अपनी बहन के चेहरे की तरफ देखते हुए शाज़िया से पूछा " शाज़िया, मेरी रानी, किया ख्याल है कि अब हम चुदाई कर के सुबह होने वाला अपना वालिमा जायज़ कर लो, मेरी जान?

"उफफफफ्फ़! हााअँ! अब अम्मी के हुकम की तामील करते हुए मुझे अपने सख़्त और जवान लंड से चोद कर हमारा वलिमा हलाल कर ही दो भाईईईईईईईई!"

शाज़िया के मुँह से वालिमे वाली बात को सुन कर ज़ाहिद का लंड तन कर उस की अपनी ही नाभि से आ लगा था।

अपनी बहन के मुँह से ये इलफ़ाज़ सुन कर ज़ाहिद शाज़िया की टाँगों के दरमियाँ से उठ कर दुबारा अपने घुटनों पर बैठा।

ज्यों ही ज़ाहिद शाज़िया की चूत से अपना मुँह उठा कर सीधा बैठा।तो शाज़िया ने अपने मेहन्दी भरे पावं उठा कर अपने भाई की छाती पर रख दिए.

ज़ाहिद और शाज़िया दोनों के लिए अब मज़ीद सबर करना मुश्किल हो रहा था।इसीलिए ज़ाहिद ने जोश में आते हुए अपनी बहन शाज़िया के मेहन्दी लगे पाँव को अपनी छाती से हटा कर अपनी बहन की टाँगों को अपने हाथो से उठाया और शाज़िया के घुटनो को मोडते हुए उस की टाँगों को उस की भारी छाती से लगा कर शाज़िया की टांगे खोल दीं।

साथ ही ज़ाहिद ने शाज़िया की गान्ड के नीचे एक तकिया रखा। जिस की वजह से शाज़िया की गुलाबी चूत का मुँह ज़ाहिद की आँखों के सामने खुल गया।

थोड़ी देर तक ज़ाहिद अपनी बहन की टाँग और गीली चूत को देखता रहा और फिर ज़ाहिद ने अपनी बहन की फूली हुई चूत के छोटे से सुराख पर अपने अपना लोहै की रोड की तरहा सख़्त लंड की टॉप लगा कर उसे शाज़िया की पानी छोड़ती फुद्दि के ऊपर नीचे रगड़ा।

तो ज़ाहिद के लंड की टोपी उस की बहन के चूत के पानी से पूरी तर हो गई.

"ओह भाईईईईईई!" शाज़िया अपने भाई की मोटी टोपी अपनी गरम फुद्दि पर रगड़ते हुए पा कर सिसक उठी।

शाज़िया को अब अपने भाई के लंड की गर्माहट बेचैन कर रही थी।

इतने दिनो से अपने भाई के जिस मोटे और बड़े लंड के सपने वह देख रखी थी।

आज उस के भाई का वह हो ही सख़्त और जवान लंड बड़े मज़े से उस की गरम फुद्दि के होंठो के ऊपर नीचे हो रहा था।

अपने भाई के लंड की तपिश को अपनी फुद्दि के लिप्स पर महसूस करते ही शाज़िया भी अपनी गान्ड को हिला-हिला कर अपनी चूत उस के लंड की टोपी से रगड़ने लगी।

जिस की वजह से शाज़िया की गुदाज और भारी छातियाँ उस के जवान सीने पर आगे पीछे हिलने लगीं।

शाज़िया की छाती पर उस के हिलती हुई बाहरी छातियों का ये नज़ारा ज़ाहिद के लिए बहुत ही दिल कश था।

फिर ज़ाहिद अपनी बहन की चूत पर अपने लंड इसी तरह रगड़ते हुए थोड़ा से झुका और शाज़िया की कमर में अपने हाथ डालते हुए ज़ाहिद ने एक हल्का-सी धक्का मारा।

तो ज़ाहिद के लंड की मोटी टोपी उस की बहन के पानी से तर, गरम और जनम-जनम से प्यासी चूत के मोटे लिप्स को खोलती हुई शाज़िया की फुद्दि में दाखिल हो गई.

"अहह! भाईईईईईईईई!" अपने भाई के मोटी टोपी को अपनी चूत में एंटर होते हुए महसूस कर के मज़े और थोड़ी तकलीफ़ की वजह से शाज़िया के मुँह से एक हल्की-सी चीख निकल गई.

ज़ाहिद ने अपने लंड को अपनी बहन की फुद्दि में और आगे बढ़ाने के लिए थोड़ा-सा ज़ोर लगाया।मगर उस के लंड की टोपी शाज़िया की चूत के तंग सुराख में फँस कर रह गई.

असल में दो साल से तलाक़ याफ़्ता होने की वजह से शाज़िया की चूत को अभी तक किसी मर्द का लंड तो नसीब नहीं हुआ था।

इसीलिए दो साल में लंड से महरूमी की वजह से शाज़िया की फुद्दि तो सिकुड कर फिर से किसी कंवारी कली की शकल इख्तियार कर चुकी थी।

इसी लिए ज्यों ही ज़ाहिद के लंड का फूला हुआ मोटा टोपा उस की बहन की तंग फुद्दि में दाखिल हुआ।तो ज़ाहिद अपनी बहन की चूत की तंगी और गरमाइश को महसूस करते हुआ चिल्ला उठा "" उफफफफफफफफफफफफ्फ़! शाजिया मेरी जान क्या मज़ा आ रहा है, तुम्हारी चूत तो बहुत ही टाइट है, लगता है तुम्हारे सबका शोहर ने तुम्हारी चूत को जैसे कभी चोदा ही नहीं, तभी तो आज तक मेरी बहन की चूत इतनी तंग है"

ज़ाहिद ने आज तक कितनी ही औरतों की चुतो में अपना लंड डाला था। मगर जितनी गरम और तंग उसे अपनी बहन शाज़िया की फुद्दि लगी थी। इस तरह की फुद्दि उसे आज तक नसीब नहीं हुई थी।

इस बात के बावजूद कि शाज़िया की चूत ज़ाहिद की सकिंग और फिर अपना ही पानी छोड़-छोड़ कर बे इंतहा स्लिपरी हो चुकी थी।मगर फिर भी ज़ाहिद को अपनी बहन की चूत में अपना लंड डालते वक्त यूँ महसूस हो रहा था। कि जैसे आज वह अपना लंड पहली बार किसी कंवारी फुद्दि में डाल रहा हो।

अपनी ही बहन की फुद्दि में अपना लंड डाल कर जो मज़ा ज़ाहिद को उस वक्त मिला था। उस मज़े और स्वाद का ज़ाहिद ने आज तक तवस्सुर भी नहीं किया था।

जब कि दूसरी तरफ शाज़िया को भी जब अपने भाई का सख़्त, मोटा और बड़ा लंड अपनी तंग फुद्दि में दाखिल होता हुआ महसूस हुआ।तो शाज़िया को यूँ लगा कि जैसे आज उस की दूसरी सुहाग रात में उस की फुद्दि फिर से कुँवारी चूत का रूप धर चुकी है।और अब उस का भाई ज़ाहिद उस की कुँवारी चूत की सील तोड़ रहा है।

शाज़िया को तो इस लम्हे का पिछले दो साल से शिद्दत से इंतिज़ार था। आज शाज़िया के दिल की मुराद पूरी हो चुकी थी। क्योंकि उस के भाई का जवान, सख़्त और तना हुआ लंड किसी शेष नाग की तरह अपने फन को उठाए उस की चूत के बिल में गुस्से से जा रहा था।

अपने भाई के लंड को अपनी चूत के आगोश में आते हुए पा कर ज़ाहिद की तरह शाज़िया को भी ऐसा मज़ा मिला। ये मज़ा उस ने अपनी असली कंवारी चूत की सील तुड़वाते हुए भी अपने असली शोहर से हासिल नहीं किया था।

इसीलिए फूलों की पत्तियॉं से सजी अपनी सुहाग की सेज पर लेटी हुई शाज़िया ने अपने भाई के लंड को अपनी चूत में लेते ही शाज़िया के मुँह से ज़ोर से चीख निकल गई "" उउउइईईईई! मर गेिईई.।"आआआ!.भाईईईईईईई! निकाल लो, में नहीं ले पाउन्गी आप का इतना मोटा लंड।"

बेशक शाज़िया को अपने भाई का लंड अपनी चूत में ले कर मज़ा तो बहुत आ रहा था।

लेकिन ज़ाहिद का लंड ही इतना बड़ा और मोटा था। कि उस की सख्ती को अपनी पानी-पानी होती चूत की दीवारो के ज़रिए महसूस कर के शाज़िया को यूँ लग रहा था।कि जैसे उस की चूत अंदर से फॅट कर फैल रही है।

इसीलिए अपने सगे भाई के लंड का स्वाद पहली दफ़ा पाने के बावजूद शाज़िया का जिस्म और चूत अकड़ से गये तो वह अपने भाई को थोड़ी देर रुकने का कहने लगी थी।

मगर दूसरी तरफ ज़ाहिद तो औरतों के मामले में एक मंझा हुआ खिलाड़ी था और वह हर किस्म की औरतों को चोद-चोद कर अब ये बात अच्छी तरह जान चुका था। कि औरतों को किस तरह हॅंडेल किया जाता है।

कहानी जारी रहेगी

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