मकान मालिक

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Gay Sex.
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मैंने उस समय किराये पर एक नये मकान में कमरा लिया था. उस कमरे में मैं और मेरा दोस्त रहते थे.

जबकि मकान मालिक नीचे वाले फ्लोर पर रहता था. उनके यहां वो और उनकी पत्नी ही थे. उनका बेटा बाहर रहता था.

उन अंकल की उम्र 40 के करीब थी और उन्होंने अपनी बॉडी को बहुत अच्छे से बनाकर रखा हुआ था. बहुत ही फिट थे वो देखने में।

मुझे उनसे मिलकर बहुत अच्छा लगा.

उस नये मकान में शिफ्ट होने के हफ्ते भर के बाद की बात है ये!

एक बार मैं अपने रूम में लाइट बंद करके लेटा हुआ गे पोर्न देख रहा था. मैं लापरवाही में दरवाजा बंद करना भूल गया था.

मैं पोर्न फिल्म में चुदाई देखकर अपने लंड को सहला रहा था. फिर देखते देखते मुझे अहसास हुआ कि पीछे कोई शायद देख रहा है.

मैंने एकदम से पीछे मुड़कर देखा तो मकान मालिक अंकल ही खड़े थे.

एकदम से मैंने अपना हाथ अपनी लॉअर में से निकाला और फोन एक तरफ फेंक दिया.

इससे पहले मैं कुछ बोलता वो अंकल मुस्कराये और फिर दरवाजा बंद करके वापस चले गये.

मैं हैरान था कि उन्होंने कुछ भी नहीं बोला.

उसके बाद से जब भी मैं उनको देखता तो वो मुझे देख कर मुस्करा देते और मैं शर्मा जाता और उनसे नज़रें नहीं मिला पाता.

काफी दिनों के बाद फिर सब कुछ नॉर्मल हुआ.

एक दिन अंकल ने कहा- आज शाम का खाना तुम दोनों मेरे साथ ही खा लेना. मैं नीचे अकेला हूं और तुम्हारी आंटी बाहर गयी हुई है. वो तीन दिन के बाद ही लौटेगी. मुझे भी तुम्हारा साथ मिल जायेगा.

मैंने भी उनको हां कर दी क्योंकि उन्होंने पहली बार मुझसे कुछ मांगा था तो मैं मना नहीं कर पाया. फिर शाम को मैं और मेरा दोस्त नीचे ही आ गये.

अंकल ने बाहर से ऑर्डर करके खाना मंगवा लिया था.

फिर अंकल ने ड्रिंक भी पेश की. हमने भी मना नहीं किया और तीनों खाना खाते हुए साथ में थोड़ी थोड़ी पीने भी लगे.

खाने के बाद हम लोग लेटकर मूवी देखने लगे.

कुछ देर के बाद मेरे दोस्त को नींद आने लगी. वो कहने लगा- मैं ऊपर जा रहा हूं, तुम्हें चलना हो तो चलो.

इससे पहले कि मैं कुछ बोलता, अंकल ने उससे कह दिया- तुम चलकर लेट जाओ, ये थोड़ी देर के बाद आ जायेगा.

ये सुनकर मैं भी खुश हो गया क्योंकि मैं जान गया था कि अंकल के मन में क्या चल रहा है.

वो बार बार अपने लंड को खुजला रहे थे और मुझे दिखाने की कोशिश कर रहे थे.

दारू के नशे में मेरा भी मन करने लगा था लंड लेने के लिए क्योंकि बहुत दिनों के बाद मुझे भी कोई आदमी मिला था.

फिर मेरा दोस्त उठकर चला गया.

हम दोनों ही रह गये.

मेरे दोस्त के जाते ही वो मेरे पास आकर बैठ गये और फिर हम दोनों टीवी देखने लगे.

थोड़ी देर बाद उन्‍होंने अपना हाथ मेरे कंधे के ऊपर रख दिया और साइड से मेरी बांह को सहलाने लगे.

मेरे मन में भी तूफान सा उठ रहा था.

मैं अब बस उनके आगे बढ़ने का इंतजार कर रहा था.

फिर उन्होंने मेरा सिर अपने कंधे पर रखवा लिया और एक साइड से पूरा अपनी बांहों में भर लिया.

अब मैंने भी अपना हाथ उनके सीने पर रख दिया, उससे उन्हें सिग्नल मिल गया कि मैं भी कुछ करना चाहता हूँ.

फिर वो धीरे से मेरे कान के पास आकर बोले- मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूं. पहले दिन से ही तुमसे मिलना चाहता था. कई दिन से इस मौके की तलाश में था. उस दिन जब मैंने तुम्हें गे पोर्न देखते हुए पाया तो फिर मैं बहुत खुश हो गया.

ये सुनकर मैं शर्मा गया और मैं उनसे चिपक गया.

फिर उन्होंने मेरा चेहरा अपने हाथों में लेकर मेरे होंठों पर किस किया और चूसने लगे.

मैं भी उनके होंठों के रस को चूसने लगा और दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड़ कर एक दूसरे के होंठों को चूसना शुरू कर दिया.

एक दूसरे के होंठों को चूसते हुए ही हम काफी गर्म हो गये थे.

अंकल को किस करने में मुझे अलग ही मजा आ रहा था.

उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ा और अपने कड़क लंड पर रखवा दिया.

अंकल का लंड एकदम अकड़ चुका था और बहुत सख्त लग रहा था.

तभी उन्होंने मुझे रूम में चलने का इशारा किया.

मैं भी उठा और सीधे रूम में जाकर लेट गया.

कुछ मिनट के बाद वो रूम में आए. उनके एक हाथ में चिकनाई वाली क्रीम थी. उनके दूसरे हाथ में एक मोटा लम्बा खीरा था.

मैं उसको देखकर डर गया और पूछने लगा कि ये किसके लिए है?

वो बोले कि ये तुम्हारे लिये नहीं, मेरे लिये है. उसके बाद वो दोनों चीज़ें उन्होंने साइड में टेबल पर रख दीं और मेरे पास बेड पर आकर लेट गये. फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक गये और किस करने लगे.

धीरे धीरे उनके हाथ मेरे कपड़ों के अंदर घुसने लगे और मुझे मज़ा देने लगे. उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी शर्ट के अंदर डाल दिये और डालकर मेरे बूब्स को मसलने लगे.

कुछ देर तक वो मेरे छोटे छोटे चूचे दबाते रहे.

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. जब कोई लड़का मेरे चूचे दबाता था तो मैं बहुत ज्यादा अच्छा फील करता था.

वो भी कसकर मेरे बूब्स को मसल रहे थे.

फिर उन्होंने मेरी शर्ट को पूरा उतार दिया और अपनी भी शर्ट उतार दी.

अब हम दोनों ऊपर से पूरे नंगे थे और एक दूसरे से चिपके हुए थे.

फिर उन्होंने मुझे गर्दन पर किस किया और मेरे बूब्स को चूसने लगे.

मैं एक आनंद में डूब गया. बहुत मज़ा आ रहा था. बहुत दिनों के बाद कोई मेरे शरीर के साथ खेल रहा था.

मेरा शरीर मानो आग में तप रहा था और मैं बस चुदाई का मजा लेना चाहता था.

वो लगातार मेरे शरीर को चूमे और चूसे जा रहे थे.

इससे मेरा लंड खड़ा हो गया था और मेरे लोवर में उभरकर साफ दिख रहा था.

फिर उन्होंने मेरे लोवर को उतार दिया और अपने शॉर्ट्स को भी उतार दिया.

उनके शॉर्ट्स उतरने के बाद उनके लंड को मैंने पहले अंडरवियर के ऊपर से देखा, उसका साइज़ बहुत बड़ा लग रहा था और मोटा भी।

उसको देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया.

फिर वो मेरे अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड से खलने लगे और बोले- बड़ा मस्त लंड है तुम्हारा तो.

मैं बोला- आपके लंड से ज़्यादा मस्त नहीं है.

उसके बाद वो बोले कि चलो देखते हैं कि किसका अच्छा है.

हम दोनों ने अपने अंडरवियर एक साथ उतार दिये.

उनका लंड देखकर मैं हैरान था. वो बहुत ही मस्त और रसीला लंड था. लंड का सुपारा एकदम से गुलाबी था. लंड लगभग 7 इंच बड़ा और 2 इंच मोटा था. उनकी गोटियां भी काफी भारी और बड़ी थीं. लंड पर और नीचे अंडकोष पर एक भी बाल नहीं था.

पूरा चिकना मैदान था अंकल का.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे का लंड पकड़ लिया और उससे खेलने लगे.

थोड़ी देर बाद वो मुझसे बोले- बस खेलते ही रहोगे या इसको प्यार भी करोगे?

मैंने कहा- हाँ करूँगा ना प्यार... बहुत प्यार करना है इसको आज!

ये बोलकर मैंने उनके लंड का टोपा अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगा.

मेरे लंड मुंह में लेते ही उनके मुंह से आह्ह... की सिसकारी निकल गयी.

धीरे धीरे मैंने उनके पूरे लंड को मुंह में लेना शुरू कर दिया. मैं ऊपर से नीचे पूरा मुंह चला रहा था और अंकल की सिसकारियां तेज होने लगी थीं.

वो मेरे सिर को दबाकर लंड चुसवाने का पूरा मजा ले रहे थे.

मैं भी उनके लंड को लॉलीपोप की तरह चूस रहा था. उनकी बॉल्स को अपने हाथ से सहला रहा था.

वो मज़े लेकर अपना लंड चुसवा रहे थे और कह रहे थे- ऐसे मेरा लंड आज तक किसी ने नहीं चूसा.

फिर मैंने एक एक करके उनकी बॉल्स को अपने मुंह में लेकर चूसा जिससे वो मदहोश से होने लगे और जोर जोर से सिसकारने लगे- आह्ह... आह्ह... आह्ह! चूसो यार... पूरा पी जाओ!

काफ़ी देर चूसने के बाद उन्होंने मुझे डॉगी बनने को कहा और वो मेरे नीचे लेटकर मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगे.

उनका हाथ मेरी गांड पर फिर रहा था. वो मेरे छेद में उंगली डाल रहे थे.

उनके ऐसा करने से मेरे शरीर में करंट सा दौड़ने लगा था. मुझे बहुत मजा आ रहा था और मेरा मन अब उंगली की जगह लंड लेने के लिए कर रहा था.

मैं अपने छोटे से लंड से उनके मुंह को चोद रहा था.

वो मेरी गांड में लगातार उंगली घुसा रहे थे.

थोड़ी देर के बाद वो उठे और मेरी गांड का छेद हाथ से खोलकर जीभ उसमें घुसा दी. वो जीभ से मेरी गांड को चाटने लगे.

मेरे मुंह से बहुत तेज़ सिसकारियां निकलने लगीं और मैं अपने हाथों से उनके मुंह को पकड़ कर अपनी गांड के अंदर घुसाने लगा और साथ ही सिसकारते हुए बोल रहा था- आह्ह... और अंदर... आह्ह... और अंदर तक डालो अंकल!

वो भी जैसे मेरी गांड को खाने ही वाले थे.

फिर वो बोले- टेबल पर जो क्रीम रखी है वो खीरे पर लगाओ और उसको मेरी गांड में डालो।

मैंने ल्यूब्रिकेंट खीरे पर लगाया और खीरे को उनकी गांड में डालने लगा.

खीरा बड़े प्यार से अंकल की गांड के अंदर घुस गया.

खीरा घुसते ही वो सिसकारने लगे. उनका लंड और ज्यादा कड़क हो गया. फिर उन्होंने मुझे उनके सामने डॉगी बनने को कहा.

मैं डॉगी बन गया और उनके लंड पर क्रीम लगा दी. वो मेरे ऊपर आ गये और अपना लंड मेरी गांड में देने लगे.

उनका टोपा धीरे से मेरी गांड में घुस गया और मेरी हल्की सी चीख निकल गयी.

बहुत दिनों के बाद मैंने गांड में लंड लिया था.

अंकल ने अपना लंड मेरी गांड में डाल दिया और मुझे मजा आने लगा.

फिर वो धीरे धीरे आगे पीछे हिलने लगे और मेरी गांड को लंड का मजा आने लगा.

धीरे धीरे अंकल ने मेरी गांड में धक्के लगाने शुरू कर दिये.

उनका लंड मेरे और अंदर तक घुसने लगा था और मेरी गांड की प्यास अब बुझने लगी थी जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था.

मुझे बहुत दिनों के बाद एक तृप्ति सी महसूस हो रही थी.

मैं सातवें आसमान पर था. वो धक्के पर धक्के मारे जा रहे थे. मैं धक्के खाए जा रहा था और उनके लंड को अपने अंदर समाए जा रहा था.

काफ़ी देर तक धक्के मारने के बाद वो बोले- कहां निकालना है?

मैंने कहा- मेरे मुंह में निकाल दो अंकल.

बहुत दिनों से मैंने रस नहीं पीया था इसलिए मैं मुंह में निकलवाना चाहता था.

तभी उन्होंने अपना लंड मेरी गांड से निकाला और झट से मेरे मुंह में दे दिया.

मैं उनका लंड चूसने लगा और चूसते चूसते उनके लंड से ज़ोर से पिचकारी निकलने लगी जो कि सीधी मेरे गले में लगी. मैं उनके माल को पी गया.

मुझे अंकल के लंड का माल पीकर बहुत अच्छा लगा. आज मेरी गांड को लंड भी मिल गया था और मुंह को माल का स्वाद भी मिल गया था.

मैंने वीर्य निकलने के बाद भी अंकल के लंड को चाटा और उनका लंड चाट चाटकर साफ कर दिया.

अंकल तो खाली हो गये थे लेकिन मेरा लंड अभी भरा हुआ था. अंकल ने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे.

मैं तो बहुत देर से माल निकलने के कगार पर था.

एक बार तो गांड चुदाई के दौरान ही मेरा निकलने वाला था लेकिन रह गया था.

फिर जैसे ही अंकल मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगे तो कुछ ही पल में मेरा माल निकलने लगा.

अंकल ने मेरे लंड को मुंह से नहीं निकाला और सारा माल पी गये.

फिर उन्होंने वो खीरा भी अपनी गांड से निकाल लिया जो वो काफी देर से अंदर लिये हुए थे.

हम दोनों को ही चरम सुख मिल गया था. उसके बाद हम दोनों एक दूसरे से नंगे ही लिपट कर सो गये.

रात को भी मैं अंकल से चिपका रहा और दोनों को बहुत मजा आया.

सुबह जल्दी उठकर मैं अपने रूम में आ गया ताकि मेरे दोस्त को मेरी गांड चुदाई के बारे में शक न हो.

उस दिन के बाद तो अंकल ने बहुत बार मुझे पकड़ा.

वो एक कोने में ले जाकर मेरे हाथ में लंड दे देते थे और मेरे होंठों को किस करते थे.

मैं उनके लंड की मुठ मारता था. वो मेरी गांड में उंगली करते थे.

फिर जगह मिलते ही हम चुदाई करते थे.

मेरे मकान मालिक ने बहुत बार मेरी गांड मारी. हमने कई बार एक दूसरे की प्यास बुझाई।

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AnonymousAnonymous8 months ago

जब मै छोटा था तब घर के पास ग्राउंड मे खेलने जाते थे वहाँ एक मकान बन रहा था और उस अधबने मकान मे 3-4 मजदूर रहते थे जो कभी कभी हमारे साथ बैट बॉल खेलने आ जाते थे। एक मेरे से बहुत घुल मिल गया और वो मेरे गले मे बांहे डाल देता था, कभी गालो को मसल देता था। एक आध बार वो अकेले मे मुझे अपनी बांहों मे जकड़ के गालो पे पप्पी कर दिया और गांड और लंड सहला दिया। मै अंदर ही अंदर गुदगुदा जाता था। वो मुझे पटाता रहता पर मै झिझक की वजह से उसे कभी आगे नहीं बढ्ने दिया।

एक बार जब मै खेलने पहुंचा तो बारिश आ गयी और वो मुझे अधबने मकान मे ले गया। वहाँ उस वक़्त उसके अलावा दो और बूढ़े से मजदूर बैठे हुए थे जो सिगरेट पी रहे थे। वो भी एक सिगरेट सुलगा के कश लगाने लगा और मुझे भी बोला लगाने को। मै पहले तो मना किया पर फिर कौहुतूलवश मै भी दो तीन कश लगा लिया। सिगरेट मे कुछ मिला हुआ था शायद चरस, नशे मे मुझे बहुत अच्छा सा लगने लगा और बदन बिलकुल निढाल सा हो गया। वो मुझे अंदर एक कमरे मे ले गया और मेरे कपड़े उतारने लगा। नशा इतना था की मै कुछ समझ नहीं पा रहा था, जब वो मुझे बिस्तर पर लिटाया तो मन किया एसे ही पड़ा रहूँ पर वो मे मेरे ऊपर चढ़ गया।

थोड़ी देर मे ही मुझे एहसास हुआ की वो मेरी गांड मे उंगली घुसा रहा है और फिर उसका मोटा लंड मेरी गांड मे अड़ गया। मै दर्द के मारे बिलबिला गया पर वो पूरा अंदर घुसा दिया। मै दर्द से कराहता रहा और वो मेरी गांड मारने लगा।

मेरी गांड मार के वो बाहर निकल गया तो दूसरा बूढ़ा आ गया, वो मेरे ऊपर चढ़ के मेरे साथ खूब चुम्मा चाटी करने लगा, मेरे होंटो को मस्ती से चूसने लगा और मेरी छाती और निपलस को मसलने चूसने लगा। थोड़ी देर मे ही मेरे मुह से सिसकरिया निकालने लगे। फिर मुझे उल्टा लिटा के वो भी मेरी गांड मे लंड पेल दिया। उसके जाने की बाद तीसरा बूढ़ा आया और वो भी मेरे को खूब मसला चूसा और मेरी गांड मारा।

तीनों का हो जाने के बाद मै बिस्तर पर पड़ा रहा और कब नींद आ गयी पता नहीं चला। जब आँख खुली तो शाम हो चुकी थी और अंधेरा होने वाला था, मेरे पूरे बदन मे दर्द हो रहा था और गांड तो जैसे फटी जा रही थी। वो जवान मजदूर मेरे को समझा बुझा के घर भेज दिया। नशा होने की वजह से दर्द का उतना पता नहीं चला पर इसके बावजूद सब याद था की क्या हुआ। तीन तीन आदमी मेरी गांड मार लिए थे और मुझे बूढ़े की चुम्मा चाटी याद आती तो अंदर ही अंदर गुदगुदी होने लगती। मै शर्म के मारे अगले कई दिनो तक मै खेलने नहीं गया।

कई दिनो बाद जब मै खेलने गया तो तीनों मिले पर तीनों बिलकुल नॉर्मल तरीके से मिले तो मेरी शर्म दूर हो गयी। शाम को जब हम खेल खतम करके जा रहे थे तो बूढ़े ने मुझे अपने पास बुलाया, पहले तो मै झिझकता रहा पर फिर चला गया। वो मेरे को फुसलाने लगा की मै उसके साथ मकान के अंदर चलू पर मै न नुकुर करता रहा। मै उसको बताया की घर जाने का समय हो गया अगर घर नहीं पहुंचा तो मम्मी खोजने आ जाएंगी पर फिर भी वो मुझे फुसला के अंदर ले ही गया। अंदर वो मेरे को अपनी बांहों मे जकड़ के मेरे होंटो को चूसने लगा और कहने लगा के वो मुझे प्यार करना चाहता है, मेरी गांड मे अपना लंड डाल के प्यार करना चाहता है। उसकी बातों से मेरे अंदर गर्मी चढ़ गयी। फिर वो मेरे को अगले दिन सुबह आने की प्रोमिस ले कर ही छोड़ा।

अगले दिन सुबह मुझे स्कूल जाना था पर मै घर से तयार हो के स्कूल के बजाय सीधे मजदूरो के पास पहुँच गया। सुबह सिर्फ एक बूढ़ा वाला था बाकी शायद काम पर गए थे। वो मेरे को देख खुश हो गया और मुझे कमरे मे ले गया। वहाँ वो पहले मुझे नशा करवाया फिर जम कर मेरी गांड मारी। वो मेरे को लंड चूसना भी सीखा दिया। उस दिन के बाद से मै रेगुलरली उन मजदूरो से गांड मरवाने लगा।

AnonymousAnonymous10 months ago

मज़ा आया स्टोरी पढ़ के। बचपन की बाते याद आ गयी। थोड़ा झुकाव मेरा gay की तरफ रहा है तभी तो अंकल लोग ताड़ लेते थे। मुझे बचपन मे कई अंकल मिले जिन लोगे ने मेरा फाइदा उठाया। एक ने तो चलती ट्रेन मे मेरा काम लगा दिया था। मै पूरे परिवार के साथ सफर कर रहा था पर रिज़र्वेशन नहीं था, बस कुछ सीटे ही मिल पायी थी। एक अंकल हम लोगो से घुल मिल गए और मेरे को अपने साथ ही बैठा लिया। बाद मे मम्मी को कही सीट मिली पापा को कही और मै अकेला उन अंकल के साथ। रात तक मुझे सेट कर लिया और फिर आधी रात जब सब सो रहे थे तो मुझे ले कर टॉइलेट मे घुस गए। पहले अपना लाउडा चूसा चूसा मे मेरा मुह दर्द कर दिया फिर टॉइलेट पर झुका के गांड मे अपना डंडा अड़ा दिया। बहुत प्यार से आराम आराम से पेला।

princeoo5432princeoo543210 months ago

Interesting❤️😍

AnonymousAnonymousabout 1 year ago

मैं खुद को समलैंगिक नहीं मानता लेकिन जब मैं छोटा था तब मुझे समलैंगिक सेक्स का अनुभव हुआ था। मेरे पड़ोसी चाचा मुझे बहका लिए थे। मैं जवान था और सेक्स के बारे में जानने के लिए उत्सुक था और जब उसने मुझे बहलाया और गोदी मे बैठा के मेरे लिंग को सहलाया तो मैं उत्तेजित हो गया।

वह मुझे अपने बेडरूम में ले जाता था जहां वो मुझे बिस्तर पर लिटा देता था और मेरे नग्न शरीर पर चढ़ जाता था। वो मुझे एक लड़की की तरह ही मसलता, चूमता और मेरे नितंबों को दबाता था। मै इतना उत्तेजित हो जाता की उत्तेजना मे कराह भरता रहता और वो मेरे शरीर को नोचते मसलते रहते। उन्होने मुझे लंड चूसना सिखाया और वो अपना वीर्य मेरे मुह मे ही गिराने लगे। पर उन्होने मेरे साथ कभी गुदा मैथुन नहीं की।

momcommomcomover 1 year ago

Meri gaand mere padosi ke naukar ne maar lee thi jab mai chota tha. Mai dosto ke saath shaam ko khelne jaata vaha vo bhi aa jata aur vo hum logo se umr me bahut bada tha, vo hamare ko sex, Lund, choot ke baare me sikhata rahta tha.

Ek doosre ko apna lund bhi dekhate the.

Ek din vo mujhe fusla ke aam ke baag me le gaya, vaha akela me dono nange ho gaye aur fir mai uska Lund hilya aur vo mera, dheere dheere vo mere ko neeche lita ke upar chadh gaya. Thodi dher lund meri gaand pe ghisne ke baad vo ungli se ghusa ghusa ke meri gaand me tel lagane laga. Ungli gusne pe mere ko ajeeb laga aur mai na na karne laga par vo apna lund meri gaand pe tika diya aur mujhe Kas Kar pkad liya. Jab vo dhakka maar ke ander ghusane laga to mai chillane laga par vo choda nahi. Chup Kar, chup Kar bol ke vo mujhe daatne laga. Mai chillata raha aur vo pelne laga.

Vo mere se bada aur lamba choda tha aur mujhe aasani se daboch ke meri gaand maarne laga. Mai haai haai karta raha aur vo maze se pelta raha.

Meri gaand maar lene ke baad vo mere ko dara diya ki agar kisi se bola to saare mohalle me badnaam kar dega ki mai gaandu hoon.

Iske baad bhi usne kain baar meri maari, jab mauka milta vo mere ko dara dhamka ke lita lita tha.

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