बानो

Story Info
Bano, The Fucking Machine
1.8k words
3.8
252
00
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

मैं अपने कॉलेज में होने वाले टेस्ट की तैयारी कर रही थी। तभी अब्दुल का फोन आया,'बानो, क्या कर रही है? जल्दी से ऊपर आजा... एक काम है!'

'अभी आती हूँ... ' मैंने मोबाईल पजामें में रखा और कमरे से बाहर निकली।

'मां की लौड़ी, कहा जा रही है? पढ़ना नहीं है क्या... ' अब्बू ने हांक लगाई।

'अब्बू, अब्दुल भैया ने बुलाया है... अभी आई!' कह कर मैं सीढ़ियों की तरफ़ भाग चली।

'चुदवाने जा रही है भेन की लौड़ी ... ।' रास्ते में मौसा जी ने टोका।

'मादरचोद, टोक दिया ना... साला रोज़ तो चोदता है और फिर भी लार टपकाता है... '

'अरे, बुला रिया है तो मर... भोसड़ी की मेरा ही लौड़ा चाटती है और मुझे ही गाली देती है!'

'मां के लौड़े, आगे और नहीं चोदना है क्या? चल रास्ता ले... गांडू साला!' मैंने उसे प्यार से दुलारा और छलांगे भरती हुई छत पर आ गई। अब्दुल अपनी छत पर खड़ा था।

उसने ऊपर आने का इशारा किया। मैं दीवार फ़ांद कर उसकी ऊपर की छत पर आ गई।

सामने वही कमरा था जहा अब्दुल या युसुफ़ मेरे साथ मस्ती करते थे।

'रात को मस्ती करनी है क्या...?'

'नहीं रे! मेरे तो कल टेस्ट है... वैसे एक ही टोपिक है... चल बता प्रोग्राम...? '

'देख तुझे पैसे भी मिलेंगे और चुदना भी नहीं है... बोल मस्ती करना है?'

'भेनचोद कोई जादू है जो बिना चोदे पैसे दे जायेगा?'

'देख एक खेल है, उसमें तुझे दो हज़ार रुपया मिलेगा, पांच सौ मेरे...!'

'यानी डेढ़ हजार मेरे... बोल बोल जल्दी बोल ... मजा आ जायेगा!'

उसने मुझे खेल के बारे में बता दिया, मैं खुश हो गई पर शंकित मन से पूछा,'मुझे चूतिया तो नहीं बना रहा है ना, मालूम पड़ा कि भोसड़ी का मजे भी कर गया और माल भी नहीं मिला?'

'बस तू आजा... रात को वही ग्यारह बजे... '

मैंने सर हिलाया और वापस लौट आई।

रात को दस बजे मैंने खाना खाया फिर अपने बिस्तर पर आराम करने लगी। साले अब्दुल के दिमाग में क्या है? उन लड़कों के नाम भी नहीं बता रहा है... और कहता भी है कि तू जानती है... मुझे वो अच्छे भी लगते हैं... पर कौन?

मोबाईल की घण्टी बजी, अब्दुल का मिस कॉल था। मैंने चुप से लाईट बन्द की और चुपके से छत पर चली गई।

उपर घना अंधेरा था, शायद, अमावस की रात थी। कुछ ही देर में मेरी आंखें अंधेरे की अभ्यस्त हो गई।

मैं दीवार फ़ांद कर ऊपर पहुंच गई। मुझे पता था चुदना तो है ही सो कम से कम कपड़े पहन रखे थे।

कमरे के दरवाजे पर ही अब्दुल ने कहा,'ये पांच सौ रुपये...! अंधेरे कमरे में घुस जा और दो लड़कों में से किसी एक का लण्ड पकड़ कर मुठ मारना है... ज्यादा समय, ज्यादा रुपया... ये पांच मिनट का पांच सौ है!'

'क्या बात है... अब्दुल, तेरे लण्ड को तो मैं प्यार से पियूँगी।'

मैंने रुपये लिये और अंधेरे कमरे में घुस गई, अब्दुल ने बाहर से दरवाजा बन्द कर दिया।

अन्दर जमीन पर ही एक मोटा बिस्तर डाल रखा था। पहले तो घुप अंधेरे में मुझे कुछ नहीं दिखा फिर धीरे धीरे दो साये नजर आये। मैं उनकी ओर बढ़ी और एक का हाथ थाम लिया।

मेरा हाथ नीचे फ़िसला तो लगा वो तो पहले से नंगे थे। मुझे पांच मिनट से अधिक लगाने थे ताकि मुझे ज्यादा पैसा मिल सके। मैंने उसका लौड़ा थाम लिया और उसे मसलने लगी।

उसकी आह निकल पड़ी। मेरे सतर्क कान उनकी आवाज पहचानने में लगे थे।

मैंने नीचे बैठ कर उसका तना हुआ लण्ड अपने मुख में ले लिया और चूसने लगी। सब कुछ धीरे धीरे कर रही थी। उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी। उसके लण्ड की स्किन कटी हुई थी, यानि था वो मेरी ही जात का...

पता नहीं कैसे मेरा प्यार उस पर उमड़ पड़ा और उसका लण्ड के छल्ले को कस कर रगड़ दिया और उसने बाल पकड़ कस कर पकड़ लिये और वीर्य छोड़ दिया।

मेरा मुख उसके यौवन रस से भर गया। जिसे मैंने प्यार से पी लिया। लेकिन उसने मेरे सर को कस कर पकड़ लिया और झटके मरते हुए मेरे मुख में पेशाब छोड़ने लगा, मैंने गाली देते हुए हटना चाहा लेकिन उसकी पकड़ काफी मजबूत थी, मुझे मजबूरी में उसका पेशाब भी पीना पड़ा।

तभी अब्दुल ने पांच मिनट का सिग्नल दिया। मैंने बाहर आ कर अब्दुल को बता दिया अब दूसरा लड़का और था।

मैंने उसे थाम कर उसका मुठ मारना शुरू कर दिया। वो साला तगड़ा निकला, मैं मुठ मारती रही, साला दस मिनट से ज्यादा हो गये झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। पर अगले पाँच मिनट में वो झड़ गया। मुझे पन्द्रह सौ और पांच सौ यानी दो हजार मिल चुके थे।

'मजा आया बानो... देख तूने तो एक ही बार में दो हज़ार कमा लिये... और अभी तो आधा ही कार्यक्रम हुआ है। चल अब बस गाण्ड मराना है। तेल लगाया है ना गाण्ड पर?'

'अरे मेरी गाण्ड तो गुफ़ा के बराबर है... कितनी ही बार घुसो... पता ही नहीं चलता है... पर हां, मस्ती खूब ही आती है।'

'तो चल... जा अन्दर... और मरा ले अपनी गाण्ड!'

मैंने अपने कपड़े उतारे और फिर से अंधेरे कमरे में घुस पड़ी।

पहले वाले ने प्यार से मुझे पीठ से चिपका लिया और मेरे बोबे पकड़ लिये।

मैं घोडी बन गई और नीचे घुटने टेक दिये और बिस्तर पर हाथ रख दिये, मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला कर अपने चूतड़ खोल दिये। उसका ठण्डा और क्रीम से पुता लण्ड मेरे गाण्ड की छेद से छू गया।

देखते ही देखते लौड़ा मेरी गाण्ड में उतर गया। मुझे अब मीठी सी गाण्ड में गुदगुदी सी हुई और मैं सी सी करने लगी। वो मेरी चूंचियां मसलने लगा और लण्ड की मार तेज करने लगा।

मुझे भी मस्ती आने लगी। मैं अपनी गाण्ड के छेद को कभी कसना और ढीला करने लगी, कभी अपनी गाण्ड को हिला कर और मस्ती करती ... पर साला का लण्ड कमजोर निकला... उसने मेरे बोबे दबा कर अपना वीर्य छोड़ दिया... मेरी गाण्ड में उसका वीर्य भर गया। फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया।

अब दूसरे की बारी थी... मेरी गाण्ड में वीर्य का फ़ायदा यह हुआ कि उसका मोटा लण्ड मेरी गाण्ड में वीर्य की वजह से सीधा ही गाण्ड में घुस गया। उसका लण्ड मोटा और लम्बा भी था।

थोड़ी ही देर में वो मेरे बोबे दबा दबा कर सटासट चोदने लगा। पर ये मेरा दाना भी सहला देता था। इससे मुझे भी तेज उत्तेजना होती जा रही थी।

कुछ देर बाद वो भी झड़ गया। उसका वीर्य भी मेरी गाण्ड में सुरक्षित था, पर सीधे खड़े होते ही वो तो मेरी टांगो से लग कर बह निकला।

'अब्दुल भोसड़ी के, अब तो लाईट जला... ' मेरी आवाज उनमें से एक पह्चान गया।

'अरे शमीम बानो... तुम...?!!'

मेरी आवाज सुनते ही उसमें एक बोल पड़ा। मैं चौंक गई।

इतने में अब्दुल ने लाईट जला दी।

मैं नंगी ही मुड़ कर उससे लिपट गई। ये मेरा आशिक रफ़ीक था। सुन्दर था, सेक्सी था, पर शर्मा-शर्मी में हम बस एक दूसरे को देखते ही थे। बात नहीं हो पाती थी, उसने मुझे लिपटा लिया।

'बानो, मेरी बानो... देखा भोसड़ी की, तू मुझे मिल ही गई, ये मेरा दोस्त खलील है!' रफ़ीक भावावेश में बह गया।

इतने में अब्दुल हिसाब करता हुआ बोला,'खेल खत्म हुआ... देखो... आपने मुझे पांच हज़ार दिये थे... इसमें से तीन हज़ार बानो के हुए... और ये दो हज़ार आपके वापस!'

रफ़ीक ने पैसे लेकर मुझे दे दिये... 'नहीं ये बानो के हैं... इसका दीदार हुआ... मेरा भाग्य जागा...!'

मैंने पांच हज़ार लिये और पजामे की जेब में डाले। रफ़ीक को चूम कर मैं अब्दुल से लिपट गई।

'अब्दुल, इस गाण्डू रफ़ीक ने मेरी चूत में खलबली मचा दी है... मुझे चोद दे यार अब... '

अब्दुल से रफ़ीक की शिकयत करने लगी। मैं उसके बिस्तर पर चित लेट गई। अब्दुल मेरे ऊपर चढ़ गया और मुझे कस लिया और एक झटके से मुझे अपने ऊपर ले लिया।

'ले बानो... चोद दे मुझे आज तू... रफ़ीक... एक बार और इसकी गाण्ड फ़ोड डाल!'

मैंने अपनी चूत निशाने में रख कर लण्ड पर दबा दिया और हाय रे ... मेरी चूत में रंगीन तड़पन होने लगी।

लगा सारी मिठास चूत में भर गई हो, इतने में गाण्ड में रफ़ीक का मोटा लण्ड घुसता हुआ प्रतीत हुआ।

मैं सुख से सरोबार हो उठी। तभी खलील ने आना लण्ड मेरे मुख में दे डाला...

'हाय रे मादरचोदो...! आज तो फ़ाड दो मेरी गाण्ड... इधर डाल दे रे मुँह में तेरा लौड़ा... '

'बानो, सह लेगी ये भारी चुदाई... ।' मेरे मुँह में तो लण्ड फ़ंसा हुआ था, क्या कहती, बस सर हिला दिया। इतना कहना था कि भोसड़ी के अब्दुल ने लण्ड दबा कर चूत में घुसा डाला।

उधर रफ़ीक ने भी गाण्ड में अपना मोटा लण्ड घुसेड़ मारा। लगा कि अन्दर ही अन्दर दोनों के लण्ड टकरा गये हों। मेरे जिस्म में दोनों लण्ड शिरकत कर रहे थे और दोनों ही मुझे उनके मोटेपन का सुहाना अहसास दिला रहे थे।

मैं दोनों के बीच दब चुकी थी। दोनों लण्डों का मजा मेरे नसीब में था।

अधिक नशा तो मुझे पांच हज़ार रुपया मिलने का था जो मुझे मस्ती के साथ फ़्री में ही मिल गया था। खलील अपने लण्ड से मेरा मुख चोद रहा था। मेरे बोबे पर रफ़ीक ने कब्जा कर रखा था।

मैंने खलील के दोनों चूतड़ों को दबा कर पकड़ रखा था। और मेरी अंगुली कभी कभी उसकी गाण्ड में भी उतर जाती थी।

पर साला मरदूद... हांफ़ते हांफ़ते उसने मेरी तो मां ही चोद दी... उसके लण्ड ने वीर्य उगल दिया और सीधे मेरी हलक में उतर गया। लण्ड को मेरे मुख में दबाये हुये वीर्य उगलता रहा और मुझे अचानक खांसी आ गई।

उसने अपना स्खलित हुआ लण्ड बाहर निकाल लिया। अब मेरी चूत और गाण्ड चुद रही थी।

मेरा जिस्म भी आग उगल रहा था। सारा जिस्म जैसे सारे लण्डों को निगलना चाह रहा था। अन्दर पूरी गहराई तक चुद रही थी... और अन्त में सारी आग चूत के रास्ते बाहर निकलने लगी।

लावा चूत के द्वार से फ़ूट पडा। मैं बल खाती हुई अपने आप को खल्लास करने लगी।

इतने में अब्दुल भी तड़पा और वो भी खल्लास होने लगा... उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मुझे चिपटा लिया... उसका लावा भी निकल पड़ा... अब सिर्फ़ रफ़ीक मेरी गाण्ड के मजे ले रहा था... कुछ ही देर में उसका माल भी छूट पड़ा और मेरी गाण्ड में भरने लगा। मैं अब्दुल के ऊपर सोई थी और रफ़ीक मेरी पीठ से चिपका हुआ था।

'मेरी बानो... आज तू मुझे मिल गई... बस रोज मिला कर!'

'तू तो है चूतिया एक नम्बर का... भोसड़ी के, मेरे तो पचास आशिक है... तू भी बस मेरा एक प्यारा आशिक है... बस चोद लिया कर... ज्यादा लार मत टपका...! ' मैंने कपड़े पहनते हुये कहा।

अब्दुल और खलील दोनों ही हंस दिये... उसके चेहरे पर भी मुस्कान तैर गई... उसने मेरी चूत पर चुम्मा लिया और चाट कर बोला... 'बानो, यार तू है मस्त... मेरी जरूरत हो तो बस अब्दुल को बोल देना... '

मेरा पाजामा थूक से गीला हो गया।

'अरे जा... तेरे जैसे गाण्ड मारने वाले तो बहुत है, पर हां... तू तो मुझे भी प्यार करता है ना...!'

'हट जाओ सब... अब बस मैं अकेला ही बानो को अभी चोदूंगा... ' वो जोश में आ गया।

मैं उछल कर बाहर की ओर दौड़ पड़ी...

'अरे रुक जा... छिनाल... रण्डी... मेरी बानो...!'

पर मैंने एक ना सुनी... मैं फ़ुर्ती से जीना उतर कर दीवार लांघ कर अपने घर में चली आई...

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

उदयपुर की सुहानी यादें A businessman meets a lady in hotel in Udaipur.in Loving Wives
Train Journey with Stranger Ladies Sex Journey with Mature Ladies.in Exhibitionist & Voyeur
सबरीना की बस की मस्ती Sabrina has sex with young goon & involves her daughter too.in Erotic Couplings
दस लाख का सवाल Personal secretary has sex with her boss's business client.in Erotic Couplings
दर्जी के साथ दर्जी ने पटा लियाin Erotic Couplings
More Stories