अम्मी बनी सास 055

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सिसकियों का असर.
2.1k words
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Part 55 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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रज़िया बीबी की आँखों से नींद आज मीलों दूर थी। इसीलिए रज़िया बीबी ने कमरे का टीवी ऑन कर के कोई ड्रामा देखने के इरादे से टीवी ऑन कर दिया।

टीवी पर कोई नया ड्रामा चल रहा था। जिस को देखते देखते ना जाने कब रज़िया बीबी को नींद ने आ घेरा।इस का उसे खुद भी पता ना चला।

रज़िया बीबी आज कहने को सो तो गई थी। मगर आज उस को लग ऐसे रहा था। कि अपनी आँखे बंद करने के बावजूद आज उस का ज़हन जैसे जाग रहा है।

इसी लिए आधी रात को जब ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया की भारी और कंवारी गान्ड की सील को अपने मोटे लंड की फूली हुई टोपी से तार तार किया।

तो घर के दूसरे कोने में होने के बावजूद अपनी बेटी की स्वाद भरी चीख ने रज़िया बीबी को उस की नींद से उठा दिया।

घर के दूसरे हिस्से से आती अपनी बेटी की ये चीख सुन कर नींद के खुमार में मुब्तला रज़िया बीबी को पहले ये समझ नही आई कि ये चीख किस की और क्यों थी।

मगर कुछ देर बाद जब रज़िया बीबी थोड़ी होश में आई। तो उसे समझ आने लगी कि उस के कान में पड़ने वाली आवाज़ किस की और नही बल्कि उस की अपनी बेटी शाज़िया की है।

रज़िया बीबी ने आज से पहले भी रात की खामोशी में अपनी बेटी शाज़िया के कमरे में से आती आवाज़ और सिसकियाँ सुनी हुई थी।

लेकिन अपनी बेटी शाज़िया की पहले वाली सिसकियों और आज की सिसकियों में जो फरक था।

वो रज़िया बीबी ने एक माँ के साथ साथ एक औरत होने के नाते फॉरन महसूस कर लिया था।

रज़िया बीबी एक जहनितौर समझ दार औरत थी। जो कि अच्छी तरह से जानती थी। कि रात की तर्कि में एक प्यासी औरत अपने जिस्म की गर्मी पूरी ना होने की वजह से जब तड़पती है।तो उस के मुँह से निकलने वाली सिसकियाँ केसी होती हैं।

जब कि कोई जवान मर्द किसी औरत की जवानी के जज़्बात को अच्छी तरह से ठंडा करता है, तो उस वक्त उस औरत के होंठो से निकलने वाली सिसकियों की आवाज़ कैसी होती है। इस बात का भी अंदाज़ा रज़िया बीबी को बहुत अच्छी तरह से था।

इसीलिए अपने बच्चो के कमरे से आती हुई इन आवाज़ों को सुन कर रज़िया बीबी ने कुछ ना देखने के बावजूद भी अपनी तसवरती आँख से सब कुछ देख लिया।

इसी दौरान बिस्तर पर लेटे लेटे और अपनी बेटी की गरम सिसकियों को सुनते हुए रज़िया बीबी को अपनी चूत पर खारिस महसूस हुई।

अपनी फुद्दि पर खारिस करने के लिए रज़िया बीबी ने ज्यों ही अपने हाथ से दुबारा अपनी फुद्दि को छुआ।तो ना सिर्फ़ रज़िया बीबी की शलवार उसी की चूत के पानी से गीली हो गई।बल्कि रज़िया बीबी का अपना हाथ भी उस की अपनी फुद्दि के बहते पानी से भीग सा गया।

अपनी फुद्दि की इस काफियत पर रज़िया बीबी सन्न रह गई। क्यों कि उस ने तो कभी खवाब में भी नही सोचा था। कि बेवगी के इतने सालों बाद और उम्र के इस हिस्से में भी उस की बरसों से खुश्क फुद्दि अपना पानी इस तरह छोड़ने लगे गी। कि उस की फुद्दि से निकलता हुआ पानी उस की चूत से निकल निकल कर उस की मोटी और चौड़ी गान्ड की तरफ बहने लगेगा।

रज़िया बीबी को अपनी आज की इस केफियत पर बहुत हैरत हुई।

इस दौरान ही अपनी चूत की मजूदा हालत के बारे में हेरान होते और सोचते हुए रज़िया बीबी थोड़ी देर के लिए अपने माज़ी की यादों में गुम हो गई।

अपनी ज़िंदगी की पुरानी यादों में खोते हुए रज़िया बीबी को वो दिन याद आया।जब उस के प्यारे शोहर की लाश उस के घर में आई थी।

अपने शोहर की लाश देख कर उस दिन रज़िया बीबी को यूँ लगा था। कि जैसे आज शोहर के साथ साथ उस की अपनी मौत भी वाकीया हो गई हो।

और फिर जब उस के घर से उस के शोहर जनाज़ा उठाया गया। तो उस लम्हे रज़िया बीबी को यूँ महसूस हुआ था। कि जैसे उस के शोहर की मौत के साथ साथ रज़िया बीबी का अपना जनाज़ा भी उठ गया हो।

क्यों कि अपने शोहर के मरने के बाद रज़िया बीबी ने अपने जिस्मानी जज़्बात को मार कर अपना मुकम्मल ध्यान अपने बच्चो की परवरिश में लगा दिया था।

अपने शोहर की वफात के बाद जब कभी रात की तेन्हाई में रज़िया बीबी का जिस्म अपने शोहर के प्यार के लिए अगर मचला भी।

तो रज़िया बीबी ने अपनी बेटी शाज़िया की तरह अपने ही हाथ से अपनी फुद्दि से कभी खेलना कभी पसंद नही किया था।

उस की एक वजह तो बिरादरी का खोफ़,फिर ज़ेहनी तौर पर कुछ महज़बी होना और सब से बढ़ कर अपने बच्चो को संभालने के ख्याल ने रज़िया बीबी को सब जिन्सी मामलात से जैसे बे ज़ार सा कर दिया था।

इसी दौरान अपनी यादों में खोते हुए रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद और बेटी शाज़िया के प्यार और आपस में ही शादी करने की अनोखी ख्वाहिश का किस्सा याद आया।

तो रज़िया बीबी को वो वक्त भी याद आया जब उस ने शाज़िया को कराची फोन कर के अपनी रज़ा मंदी ज़ाहिर की थी।

ये बात सोचते सोचते रज़िया बीबी के ज़हन में अपनी बेटी शाज़िया के ये इलफ़ाज़ गूँजे कि "आप शादी को एक हफ़्ता रोक दो, क्यों कि मेरे पीरियड अभी अभी शुरू हुए हैं अम्मी"।

उस वक्त तो रज़िया बीबी ने अपनी बेटी की इस बात पर ना तो ज़्यादा सोचा था। और ना ही उस बात को कोई अहमियत दी थी।

लेकिन आज अपनी बेटी की कही हुई बात को याद करते हुए रज़िया बीबी को अपने जिस्म में एक अजीब किस्म की गरमी महसूस होने लगी थी।

अपनी बेटी की ये बात ज़हन में लाते वक्त रज़िया बीबी का अपनी चूत के ऊपर पड़ा हाथ खुद ब खुद हल्का सा सरक गया।

जो कि बे इख्तियारि में उस की चूत के दाने से टच हुआ। तो अपने ही हाथ की रगड़ से रज़िया बीबी की चूत में एक हल चल सी मच गई। और आज कई सालों बाद रज़िया बीबी के मुँह से भी एक सिसकारी फूटी "हाईईईईईईईईईई!"

साथ ही साथ रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद से कही हुई अपनी वालिमे वाली बात भी याद आई।

"उफफफफफफफफफफफ्फ़! अपने ही बेटे से ये बात करते हुए मुझे ज़रा भी शरम नही आइ " ये सोचते हुए रज़िया बीबी और भी मस्ती में आ गई।

रज़िया बीबी को अब समझ आ गई कि सोने से पहले उस ने जो वेटनेस अपनी चूत पर महसूस की थी। वो वेटनेस चूत पर पानी लगने की वजह से नही आई थी।

बल्कि उस की चूत का गीले पन की असल वजह उस का अपने ही बेटे को अपनी ही बेटी से हम बिस्तरी करने का मशवरा था।

रज़िया बीबी ने इस से पहले कभी अपनी जवानी में भी यूँ अपनी चूत को नही छुआ था। लेकिन आज जब उस की उम्र तक़रीबन 57 साल की होने लगी थी। तो वो रात के अंधेरे में अपने बिस्तर पर पड़ी पड़ी अपने ही सगे बेटा और बेटी की गरम सिसकियों को सुनते सुनते गरम हो कर अपनी प्यासी चूत से इस किसम का खिलवाड़ पहली दफ़ा करने पर ना जाने क्यों मजबूर हो गई थी।

बेवा होने के इतने अरसे बाद तो आम औरतों की फुद्दियां मुरझा जाती हैं।मगर आज उन आम औरतों के मुक़ाबले रज़िया बीबी की फुद्दि में दबी हुई उस की सदियों पुरानी आग फिर से हल्की हल्की सुलगने लगी थी।

रज़िया बीबी की गरम होती चूत से निकलती हुई गर्मी से उस का जिस्म को भी पसीना आने लगा।

ये शायद इस गर्मी का ही असर था। कि रज़िया बीबी ने सोचे समझे बिना अपने कपड़े उतार कर अपने बिस्तर पर फैंके।और खुद सिर्फ़ ब्रेज़ियर और चड्डी में मलबोस हो कर कमरे के शीशे के सामने आन खड़ी हुई।

महमान खाने में लगे हुए आईने में अपने जिस्म का जायज़ा लेते हुए रज़िया बीबी ने अपने 42D मम्मे और पीछे से मोटी और उठी हुई गान्ड का बगौर जायज़ा लिया।

रज़िया बीबी के बड़े बड़े मम्मे उस के काले ब्रेज़ियर में से छलक छलक कर बाहर आने की कॉसिश कर रहे थे।

उस का पेट 5 बच्चे पेदा करने और ऊपर से उम्र ज़्यादा होने की वजह से थोड़ा ढीला ज़रूर पड़ चुका था।

मगर इस के बावजूद उस के पेट पर ना तो चर्बी चढ़ि हुई थी और ना ही रज़िया बीबी का पेट लटका हुआ था।

अपनी बेटी शाज़िया की तरह रज़िया बीबी की गान्ड भी पीछे से काफ़ी भारी और चौड़ी थी। और चलते वक्त रज़िया बीबी की गान्ड की पहाड़ियाँ भी उस की शलवार में से उछल उछल कर देखने वालों को अपनी तरफ मतवज्जो करती थी।

रज़िया बीबी और उस की बेटी शाज़िया दोनो माँ बेटी के जिस्म का साइज़ और शेप तकरीबन बिल्कुल एक ही जेसी थी। फरक सिर्फ़ इतना था कि शाज़िया अपनी अम्मी की मुक़ाबले थोड़ी साँवली थी।

जब कि रज़िया बीबी के चेहरे और जिस्म की रंगत काफ़ी फेयर और सॉफ थी। जो उस के हुष्ण को बुढ़ापे में भी मज़ीद दिल कश बना देती थी।

रज़िया बीबी जिस्मानी तौर पर मोटी ज़रूर थी। मगर इस के बावजूद उस के मोटापे में भी मर्दो के लिए एक अजीब ही ख्वाहिश का समान पोषीदा था।

रज़िया बीबी की जवानी का ज़्यादा तर हिस्सा चूँकि ग़ुरबत में गुज़रा था।

इसीलिए उस ने अपनी जवानी में ना तो कभी अपने आप पर को तवज्जो दी थी। और ना ही उस के मेरहूम शोहर की कमी इतनी होती थी। कि वो अपने लिए कुछ मेक अप या अच्छे कपड़े खरीद सके।

अब जब से रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद की हराम की कमाई का चस्का लगा था। तब से उस ने अच्छे कपड़े और चीज़े खरीद कर इस्तेमाल करना शुरू की थी।

इसीलिए आज इतने सालो बाद अपने जिस्म को शीशे में से यूँ देखते हुए रज़िया बीबी को अहसास हुआ। कि ये उस का अपने आप का ख्याल रखने का असर है।जिस की बदोलत इस उम्र में भी उस का जिस्म किसी मर्द को अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है।

"उफफफफफफफफफफ्फ़! में ये क्या सोचने लगी हूँ" रज़िया बीबी अपने इस ख्याल पर खुद ही शर्मा गई।

रज़िया बीबी अब शीशे के सामने से हाथ कर बिस्तर पर दुबारा लेट गई।

बे शक आज रज़िया बीबी के सगे बेटा और बेटी की गरम सिसकियों ने उस की अरसे से पूर सॅकून फुद्दि में एक नई गरमाइश तो पेदा कर दी थी।

मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी की हिम्मत नही पड़ रही थी। कि अपनी बेटी शाज़िया की तरह वो भी अपनी फुद्दि को रगड़ रगड़ कर अपनी चूत को थोड़ा ठंडा कर ले।

फिर कुछ देर बाद अपने दिल और जज़्बात को काबू में करते हुए रज़िया बीबी नींद की आगोश में चली गई।

दूसरी सुबह शाज़िया की आँख पेशाब आने की वजह से अपने भाई ज़ाहिद से पहले ही खुल गई।

अपनी नींद से उठते ही शाज़िया की नज़र सब से पहले बिस्तर पर अपने साथ लेटे हुए अपनी भाई ज़ाहिद पर पड़ी। जो उस वक्त कंबल ओढ़े अपनी नींद में मगन सो रहा था।

अपने भाई को देखते हुए शाज़िया के जहन में ख्याल आया कि "वाह रे शाज़िया तेरी किस्मत, तुम तो बचपन से ले कर कल रात तक ज़ाहिद की छोटी बहन के रिश्ते से इस घर में रह रही थी,और आज अपने ही बड़े भाई की बीवी की हैसियत से अपने भाई की सुहाग की सेज पर आँख खोल रही हो"।

ये ख्याल ज़हन में आते ही शाज़िया के तन बदन मे गर्मी और हवस की एक नई लहर दौड़ गई।

रात भर में ज़ाहिद की चुदाई ने शाज़िया की दो साल से प्यासी चूत को चोद चोद कर ना सिर्फ़ अपनी बहन की बंजर चूत को अपने लंड के ट्यूब वेल से पानी दे दे कर इतना भर दिया था। जो कि अब शाज़िया की चूत और गान्ड से बह बह कर उस की टाँगों पर घूम कर खुशक भी हो चुका था।

ज़ाहिद की ज़ोर दार चुदाई ने तो शाज़िया के जिस्म के अंग अंग को अपने ताकतवार धक्कों से हिला कर रख दिया था।

शाज़िया को सब से ज़्यादा दर्द इस वक्त अपनी भारी गान्ड में हो रहा था।

जो कि रात को अपने भाई के मोटे और बड़े लंड से पहली दफ़ा फाडवाने के बाद एक नेचुरल सी बात थी।

मगर उस की गान्ड के साथ साथ शाज़िया की चूत भी बुरी तरह सूज गई थी। जिस की वजह से शाज़िया को अपनी चूत में भी ऐसा दर्द महसूस हो रहा था। जैसा दर्द अपनी पहली सुहाग रात के बाद की अगली सुबह किसी कुँवारी चूत वाली दुल्हन को अपनी पहली चुदाई के बाद महसूस होता है।

शाज़िया का पूरा बदन अपने भाई की रात भर की चुदाई की वजह से टूट रहा था।

इसी लिए ज्यों ही शाज़िया नंगी हालत में, बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से उठी। तो उसे अपने पावं ज़मीन पर रखने में दिक्कत महसूस होने लगी।

शाज़िया को बाथरूम तक जाते हुए भी काफ़ी तकलीफ़ महसूस हो रही थी।

वो बोझल कदमों के साथ लड़ खड़ाती हुई बहुत मुश्किल से बाथरूम में जा कर कमोड पर बैठी।

जारी रहेगी

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