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VOLUME II
विवाह
CHAPTER-1
PART 41
कुंवारी रीता की पहली चुदाई
मैंने चुनरी के एक पल्लू को गाउन और एक कंधे से हटाया और वो एक तरफ गिर गया।अब चुनरी एक कंधे पर थी साथ ही चुनरी का दूसरा हिस्सा जो गाउन के पिछले हिस्से में घुसा हुआ था उसे भी निकाल दिया। वह मेरे सामनेसिर्फ उस गाउन में थी। मेरा लंड संसानने लगा। मैंने रीता को एक बार फिर से अपनी बाहों में भर लिया और हम दोनों एक दुसरे की आँखों में देखने लगे।
उनके स्तन पूरी तरह फिट गाउन में से बाहर आने को आतुर थे उसकी गाउन स्लीव लेस थी मैंने उसकी गाउन के ऊपर की डोरी जो उसकी गर्दन पर बंधी थी, उसे खोल दीया। उसके कंधो और बाँहों पर किस करने लगा। उसके बाद नीचे की कमर पर बंधी डोरी खिंच कर गाउन के ऊपरी हिस्से को निचे कर कबूतर अज़्ज़ाद कर दिए। रीता एक दम से हुए इस हमले से शर्मा कर मुझसे लिपट गयी। मैंने धीरे से उसको अलग किया। मैं उसके स्तनों को देखे जा रहे था और उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था। उसने हाथो से स्तनों को छुपा लिया।
मैंने फिर धीरे से हाथ अलग कर दिए और उसके गोल स्तनों और उसके निपल्स को छुआ। फिर उसकी छातियों को हाथो से पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा। दोनों बूब्स एक दम लाल हो गए फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और मसलने लगा। दोनों बूब्स एक दम नरम मुलायम गोल सुडोल थे। रीता के पिंक गुलाबी चुचुक (निप्पल) उत्तेजना से खड़े हो चुके थे। मेरे हाथों ने उनके स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा मैंने स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। हम दोनों की साँसे तेज तेज चलने लगी। मैंने स्तनों को चुंबन किया। स्तन हमेशा मुझे सबसे प्रिय रहे हैं । मैंने पूरी भावना मैं वापस उसके स्तनों को चूसा और चूमा। मेरा लंड पहले से ही खम्भे की तरह खड़ा था।
फिर मैंने रीता को अपनी छाती से लगा लिया और अपनी बाँहों में जकड लिया ।उसके नरम मुलायम बूब्स का मेरी छाती से दबने लगे। मैं अपने आनंद को बयां नहीं कर सकता। मैंने रीता का मुँह को चूमा और लिप किस करि। फिर मैं उनके निप्पल के साथ खेलने लगा । मैंने एक निप्पल अपने मुह में रखा और उसे चूसने लगा नहीं बता सकता की उस पल क्या सुखद अनुभूति हुयी। फिर मैंने दुसरे निप्पल को किस किया और उसे भी चूसना शुरू कर दिया। उसने अपना सर उत्तेजना और आनंद के मारे पीछे की और कर लिया । मैंने चूचियों को दांतो से कुतरा तो रीता कराह उठी।
मै उनकी चुचियों को मसलने लगा, और वो मादक आवाजें निकालने लगी, आह उह आह की आवाजें पुरे कमरे में गूंज रही थी। फिर मैंने उनके मोमो को चूसना शुरू कर दिया। उनके मोमो कड़क हो गए थे और चुच्चिया कह रही थी, हमे जोर से चूसो! मैंने चूचियों को दांतो से कुतरा,तो रीता कराह उठी। आह! आह!
रीता कह रही थी धीरे दीपक मेरे राजा धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है। उसके बूब्स अब लाल हो चुके थे।
मैं बार बार बाएँ और दायें निप्पल को चूसना जारी करे रहा। जब तक की उसके पूरे शरीर में एक आग सी न लग गयी। वो पहले बार सम्भोग का आंनद ले रही थी। तभी उसके शरीर में एक उफान सा आया। मैंने सोचा अब ये बिलकुल त्यार है। इसलिए इसे अब जल्द ही इसे चोद कर इसका कुंवारापण भंग करना चाहिए।
मैंने रीता को खड़ा किया और फिर मेरे हाथ स्तनों पर से नीचे की और बढाए और गाउन में कमर के ऊपर की डोरी को मैंने खोल दिया और गाउन को ढीला कर नीचे को सरका दिया। गाउन उसके पैरो में गिरा और मैंने उसे आगे को खींचा, तो वो मेरी बगल में बैठ गयी। मेरी उँगलियों का उसकी कमर पर उसकी पैंटी से स्पर्श हुआ और फिर मेरे हाथ उसके पैरों के बीच फिसले और पेंटी के ऊपर से उसकी प्यारी सी कली को रगड़ा । वह जितनी घबराई हुई थी, उतनी ही गीली और उत्साहित भी थी। उसने मुझे पूरी भावना मैं चूमा।
वह गीली थी और मेरे बदन में सिरहन दौड़ गयी। मैं उसकी कमर पर किस करने लगा और फिर मैंने उनकी नाभि को चूमा। अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी। रीता मस्त हो गयी और मेरे सर को अपने पेट पर दबाने लगी। तरुण रीता का पेट एकदम सपाट था कमर पतली और नाजुक मैंने धीरे धीरे उसके एक एक अंग को चाट डाला और उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा उसे जैसे करंट सा लगा और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी। उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था और फिर मैंने पैंटी पर किस किया। मैंने उसके हिप्स को पकडा और अपने चेहरे को पैंटी से सटा डाला और उसे चूमने लगा। मैंने धीरे से अपनी उंगलियाँ पैंटी के इलास्टिक में डाली और धीरे धीरे उसे नीचे करना शुरू कर दिया। उसने अपने चूतड़ थोड़े से ऊपर उठा कर सहयोग किया तो मैंने एक झटके में उसकी पैंटी उतर फेंकी । उसकी चुत थोड़े गुलाबी रंग की थी और गीलेपन की कुछ बूंदे साफ़ दिख रही थी । रीता की कमसिन कमर बल खा रही थी । मेरी हालात भी ख़राब हो चली थी ।
अब रीता मेरे सामने बिलकुल नंगी थी, सिर्फ उनके नाक में नथ थी, बालो में गजरा हाथो में चुडिया और पांव में पायल एक एक अंग बहुत सुन्दर।
मेरा लंड जो पहले से ही खम्भे की तरह खड़ा था अब और कठोर हो फुफकारने लगा था ।मैंने उसका हाथ लिया और मेरे लंड पर रख दिया और कहा, "इसे महसूस करो।"
रीता ने मेरे लंड को सहलाते हुए संवेदनाओं का आनंद लिया। मेरा लिंग उसके हाथ में होना कितना रोमांचक था।
रीता उस समय सेक्स को लेकर बहुत नर्वस थी, हालांकि उसने मेरा और नीता का पूरा चुदाई का सत्र देखा था । लेकिन फिर भी वो न केवल एक तरुण कुंवारी थी; वह एक बहुत ही आश्रित, भोली-भाली कुंवारी थी।
मेरे विशाल मोटे लंड के आकर ने उसे बेशक आश्चर्यचकित और उत्तेजित कर दिया था। एक बार फिर मेरे विशाल लंड के उसके अंदर प्रवेश करने के विचार ने उसके शरीर में सदमे की लहरें भेज दीं।
जारी रहेगी
दीपक कुमार