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VOLUME II
विवाह
CHAPTER-1
PART 41C
कुंवारी रीता की पहली चुदाई
"आपको अच्छा लगा?" मैंने पूछ लिया।
"हम्म्म मुझे ऐसा लगता है?" उसने आश्चर्य से उत्तर दिया मानो पूछ रही हो क्या उसे अच्छा नहीं लगना चाहिए था ।
"क्या आप चाहती हो मैं रुक जाऊं?" मैंने फिर पुछा ।
"मुझे ऐसा नहीं लगता," उसने अपने होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान के साथ जवाब दिया।
रीता की मुस्कान ने मुझे आगे बढ़ने का इशारा दिया। मैंने उसे फिर से कोमलता से चाटा, और उसे कुछ ऐसा शक्तिशाली लगने लगा जो उसने कभी महसूस नहीं किया था।
ओह दीपक मुझे बहुत अच्छा लग रहा है-!" रीता कराहते हुए मेरे साथ सहमत हुई, जैसे ही मैंने उसे दूसरी तरफ चाटा, "ओह, अब मत रुको। प्लीज!
"क्या आपको यकीन है?" मैंने रीता को छेड़ा, उसके भगशेफ पर अपनी जीभ से खेलने के साथ मैंने उसकी योनि का एक गहरा चुंबन लिया।
"मम्म! ओह! मैं, तुम! आह!" रीता हांफते हुए मेरे स्पर्श का विरोध करने में असमर्थ हो गई, "मैं, मैंने ऐसा कभी पहले अनुभव नहीं किया है ओह! ओह! अब कुछ करो, कुछ भी करो दीपक प्लीज कुछ करो अब बस रुकना मत!"
मैं थोड़ा मुस्कुराया, जिस तरह से वह उसे फुसफुसा रही थी उसका आनंद ले रही थी। मैं समझ गया अब लंड के योनि में प्रवेश का समय आ गया है।
अब मैं भी रीता को चोदना चाहता था मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा एक दो बार हिला कर योनि पर फिराया और भगशेफ को छेड़ा और लंड उसकी चूत पर रख आगे को दबा कर चूत खोलने की कोशिश की, लेकिन वह बहुत टाइट थी। मैंने अपने उँगलियों से चूत को खोला और लंड का गुलाबी सूपड़ा बिच में रख दिया।
फिर मैं बोला क्या आप तैयार हो? देखो, हो सकता है कि तुम्हे थोडा दर्द हो...पर बाद में अच्छा लगेगा", मैंने कहा।
"मैं जानती हूँ बस आप मुझे प्यार करो", रीता बोली।
और अपने लंड को फिर से धीरे से आगे की ओर धकेला, जिससे रीता ने एक लंबी कराह निकाली। मैंने थोड़ा और अंदर धकेला। उसने फिर से दर्द में हांफते हुए मेरे कूल्हों पर अपने हाथो को दबा दिया।
"सावधान," नीता ने रीता को चिढ़ाते हुए चेतावनी दी, यह महसूस करते हुए कि उसकी योनी की मांसपेशियां मेरे मुर्गा से पीछे धकेली जा रही हैं, "रीता, मैं तो समझ रही थी, तुम्हें यह नहीं चाहिए। "
मैं बोला बेबी आप मेरी आँखों में देखो नीता ने रीता की छाती पर अपना हाथ फिराना शुरू कर दिया । फिर मैंने धीरे धीरे अन्दर डालना शुरू किया। धीरे से थोडा पीछे और फिर अन्दर की ओर बढा, लेकिन रीता की चूत बहुत टाइट थी और आराम से अंदर जा नहीं रहा था। मेरे लिए भी रुकना मुश्किल हो रहा था।
"ओह!" रीता ने कहा, मेरा हाथ पकड़कर और मुझे आगे खींचा और मेरा तक कि कठोर लंड का सिर उसकी योनी के एक इंच अंदर चला गया। हाआअ, राआआआआजा, आईसीईई, वो कराही तो मैं रुक गया और इंतजार करने लगा। जब उसकी कराह थोड़ा थम गयी, तो मैंने थोड़ा और अंदर धकेल दिया। फिर मैंने एक कस कर जोर लगाया और लैंड एक इंच और अंदर चला गया।
"ओह! रुको। कृपया," वह धीमी आवाज में चिल्लायी ।
रीता का शरीर कस गया। और उसकी योनि में मेरे लंड को बाहर दूर धकेलने का तीव्र प्रयास किया। दर्द उसे चौंका रहा था । उसकी आँखों से गर्म आँसू गिने लगे । लेकिन वह जानती थी कि जल्द ही दर्द बंद हो जाएगा; उसे बस थोड़ा सा इंतजार करना था। उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं। तो मैंने उसके होंठ चाटे। उसने एक और गहरी साँस ली, उसका सीना ऊपर उठा और हाँ में सिर हिलाया। मैंने अपना सख्त लंड आंशिक रूप से थोड़ा सा बाहर निकाला। रीता आह कर कराही
रीता की आवाज़ में घबराहट का तनाव सुनकर नीता ने जवाब दिया बस थोड़ी देर बर्दाश्त करो और उसके स्तनों को सहलाने लगी ।
वे दोनों कुछ क्षण प्रतीक्षा करते रहे, रीता ने थोड़ा कांपते हुए लंबी और धीमी गति से सांसें लीं । मैं रीता के कानो और गर्दन के ऊपर चूमता रहा और नीता उसके स्तनों को सहलाती रही और फिर काफी देर तक चुंबन करने और सहलाने के बाद रीता का दर्द कम हो गया और उसने वापिस चूमा तो रीता ने अपने दाँत पीसते हुए अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं।
"अब..." उसकी आवाज़ नरम और कमजोर लग रही थी।
मैंने सिर हिलाया और हल्का सा आगे धक्का दिया। और मैंने धीरे धीरे लंड को एक दो बार आगे पीछे किया फिर मैंने कुछ हलके धक्के लगाने से शुरू किया, और ध्यान रखा की मेरा लंड हमेशा योनि के संपर्क में रहा और कभी भी पूरी तरह से लंड को बाहर नहीं निकाला । मैंने हमेशा लंड को एक इंच की गहराई में घुसाए रखा । इसके अलावा, जब भी अंदर डाला तो धीरे-धीरे धकक दिया और अधिक तेजी से वापस खींचा पर बाहर नहीं निकलने दिया । हालॉंकि रीता दर्द में थी पर कम और तेज गति से लग रहे धक्को से उसे आनंद आने लगा था. और वो दर्द और आनद मिली कराहे भर रही थी
जारी रहेगी
दीपक कुमार