Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereशाज़िया के कपड़े पहनने तक ज़ाहिद ने भी फॉरन उठ कर अपनी शलवार और बनियान पहनी और फिर आहिस्ता से अपने कमरे का दरवाज़ा खोल दिया।
"लो बच्चो चाय ले लो" दरवाज़ा खुलते ही रज़ाई बीबी धड़कते दिल के साथ मुस्कराते हुए चाय की ट्रे ले कर कमरे में दाखिल हुई।
कमरे में दाखिल होते ही,कमरे की फ़िज़ा में भिखरी हुई चुदाई की माक्सोस सी बू (स्मेल) रज़िया बीबी के नथुनो (नाक) से टकराई।
ये वो बू थी। जो जिन्सी ताल्लुक़ात के बाद इंसानी जिस्मो से निकलने वाले पसीने की वजह से पैदा होती है।
अपने शोहर के ज़िंदा होते हुए तो रज़िया बीबी इस बू की आदि थी। मगर अपनी बेवगी के बाद से अब तक उस ने कभी इस किस्म की बू नही सूँघी थी।
इसीलिए आज इतने अरसे बाद जब उस ने अपने ही बच्चो के कमरे में आ कर ये बू महसूस की।
तो इस रज़िया बीबी को यूँ लगा जैसे उस के बच्चो के मिलन से पेदा होने वाली इस जिन्सी महक का उस असर उस पर भी होने लगा है।
क्यों कि अपने बच्चो के कमरे में पैर रखाते ही रज़िया बीबी के जिस्म में रात को सुलगने वाली उस की जिस्म की आग फिर से अपना सर उठा ने लगी।
जिस की वजह से रज़िया बीबी को अपनी फुद्दि में हल्का सा गीला पन फिर से महसूस होने लगा था।
कमरे में दाखिल होते ही रज़िया बीबी ने एक भरपूर नज़र कमरे के अंदर वाले माहौल पर दौड़ाई।
तो रज़िया बीबी को कमरे के फर्श पर बिखरे हुए अपने सगे बेटे की शेरवानी,अपनी सग़ी बेटी का लहनगा,ब्रेज़ियर और पैंटी। और उस के साथ साथ बिस्तर पर पड़ी चादर की खराब हालत देख कर ब खूबी अंदाज़ा हो गया। कि उस के दोनो बच्चो की सुहाग की इस सेज पर कल रात क्या खेल खेला जा चुका है।
"अम्मी आप ने क्यों तकलीफ़ की, शाज़िया थोड़ी देर में खुद उठ कर चाय बना लेती" ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी को खड़े खड़े यूँ कमरे का जायज़ा लेते देखा। तो उसे ना जाने क्यों अपनी अम्मी से शरम महसूस होने लगी। और उस ने अपनी अम्मी को बातों में उलझा कर उन का ध्यान किसी दूसरी तरफ लगाने की कोशिश करते हुए कहा।
"नही बेटा इस में तकलीफ़ की कौन सी बात है,वैसे भी शाज़िया तो अभी नई नवेली दुल्हन है,इस को अभी से काम काज पर लगा दूं,ये कैसे हो सकता है भला" रज़िया बीबी ने चाय की ट्रे कमरे के टेबल पर रखते हुए जवाब दिया।और फिर साथ ही साथ रज़िया बीबी ने ज़ाहिद की अलमारी के पास चुप चाप खड़ी अपनी जवान बेटी पर अपनी नज़रें जमा दीं।
रज़िया बीबी ने बिना किसी झिझक के ये बात अपनी बेटे से कह दी। इस बात पर पर रज़िया बीबी को खुद भी हैरानी महसूस हुई। क्यों कि आम हालत में तो वो कभी भी अपने बच्चो से इस किस्म की बात ना कह पाती।
मगर लगता था कि अपनी चूत के हल्के हल्के गीले पन ने रज़िया बीबी की सारी समझ बूझ को ख़तम कर दिया था।
शाज़िया का दुपट्टा उस के गले से गिर जाने की वजह से उस की कमीज़ के खुले गले में से, रात भर काटे गये ज़ाहिद के दाँतों के निशान शाज़िया की जवान और भारी छातियों पर वज़िया नज़र आ रहे थे।
इसीलिए अपनी बेटी की जवान और रस भरी छातियों पर अपने ही बेटे के काटने के सुर्ख निशान देख कर रज़िया बीबी ये बात ब खूबी जान चुकी थी। कि उस की सग़ी बेटी की नथ, उस का अपना सगा बेटा ना सिर्फ़ गुज़शता रात उतार चुका है।
बल्कि ज़ाहिद अपनी अम्मी के कहने के मुताबिक रात भर अपनी बहन के गरम और प्यासे जिस्म की प्यास बुझा कर अपने होने आज वाले वैलमा को सही मायनो में जायज़ भी कर चुका है।
(वैसे तो किसी कंवारी चूत की सील पहली दफ़ा टूटने को नथ उतराई कहा जाता है। शाज़िया की असल नथ तो उस के असली सबका शोहर के लंड से ही उतरी थी। मगर ज़ाहिद ने भी चूँकि पहली ही दफ़ा अपनी बहन की फुद्दि का मज़ा लिया था। इसीलिए रज़िया बीबी के ख्याल में ये भी नथ उतराई ही थी।)
अपनी बेटी के सेरपे (जिस्म) और चेहरे का ब गौर जायज़ा लेते हुए रज़िया बीबी की आँखों ने अपनी बेटी के तन बदन और चेहरे में आज एक बिल्कुल नई तब्दीली नोट की।
वो तब्दीली ये थी कि आज दो साल बाद रज़िया बीबी को अपनी बेटी शाज़िया के चेहरे पर खुशी की चमक और इतमीनान के आसार नज़र आए।
जब कि अपने तलाक़ के बाद मुरझा सी जाने वाली अपनी बेटी शाज़िया के अंग अंग से उठती हुई जवानी की झलक और महक रज़िया बीबी के लिए एक नया और ख़ुशगवार तजुर्बा था।
एक माँ के साथ साथ एक औरत होने के नाते रज़िया बीबी ये बात अच्छी तरह जानती थी। कि किसी औरत के चेहरे पर इस किस्म की चमक और उस के जिस्म में इतनी मस्ती सिर्फ़ उस वक्त ही आती है जब वो जिन्सी तौर पर पूरी तरह असोदा हो चुकी हो।
अपनी बच्चो के बिस्तर और अपनी बेटी के जिस्म की हालत देख कर रज़िया बीबी के दिल में ना सिर्फ़ खुशी की एक लहर दौड़ गई। बल्कि उस के अपने जिस्म की गर्मी भी बढ़ने लगी थी।
उधर दूसरी तरफ ज्यों ही शाज़िया ने अपनी अम्मी को उसे इतने गौर से देखते हुए महसूस किया। तो उसे अब अपनी अम्मी से शरम महसूस हुई। और वो एक दम अपना मुँह मोड़ कर बाथरूम की तरफ जाने लगी।
रज़िया बीबी ने जब शाज़िया को बाथरूम की तरफ जाते देखा। तो वो समझ गई कि उस की बेटी शाज़िया को अब अपनी अम्मी के सामने खड़े होने में शरम महसूस हो रही है।
इसीलिए रज़िया बीबी फॉरन अपनी बेटी के पीछे लपकी और शाज़िया को पीछे से पकड़ कर अपनी बेटी के सर पर प्यार से एक बोसा (किस) दे दिया।
अपनी अम्मी के कमरे में आने से पहले तक शाज़िया तो ये सोच रही थी। कि उन की अम्मी रज़िया बीबी ने अभी तक अपने बच्चो ज़ाहिद और शाज़िया की शादी का जो फ़ैसला किया था। वो उन्होने सिर्फ़ और सिर्फ़ मजबूरी की हालत में किया था।
इसीलिए शाज़िया को पक्का यकीन था। कि ज्यों ही उस का सामना उस की अम्मी से हो गा। तो उन की अम्मी रज़िया बीबी नफ़रत के मारे अपने बच्चो से बात तक नही करे गीं।
मगर अब अपनी इस सोच के बिपरीत अपनी अम्मी का ये प्यार भरा रवईया देख कर शाज़िया हेरान रह गई।
क्यों कि शाज़िया को अपनी अम्मी से इस किसम के रवैये की हरगिज़ तवक्को नही थी।
इसीलिए अब अपनी अम्मी का प्यार का ये अंदाज़ देख कर शाज़िया का अंग अंग मुस्कराने लगा था।
"अम्मी आप हम दोनो बहन भाई से खुश तो हैं ना" शाज़िया ने धड़कते दिल के साथ मूड कर अपनी अम्मी का सामना करते हुए सवाल पूछा।
"शाज़िया सच पूछो तो मेने तुम दोनो बहन भाई की शादी और अपना अपना घर बसाने के बहुत से ख्वाब देखे थे, लेकिन जब तुम दोनो ने मेरे सब सपनो के बदकास, एक अलग ही किसम का फ़ैसला कर लिया है, तो अब तुम दोनो की खुशी में ही मेरी खुशी है बच्चो"।ये कहते हुए रज़िया बीबी की आँखो में आँसू आ गये।
अपनी अम्मी को यूँ रोता देख कर शाज़िया और ज़ाहिद भी जज़्बाती हो गये।
दोनो बहन भाई एक साथ अपनी अम्मी के कदमों में गिर पड़े तो ज़ाहिद बोला "अम्मी आप हमें माफ़ कर दो हम जानते हैं कि हम ने ये गुनाह भरा काम कर के आप का दिल दुखाया है"
" मैं तुम से पहले नाराज़ थी मगर अब नही, इसीलिए मेरे पावं मत पडो बच्चो,वैसे तुम दोनो भाईबहन ने ये बात आज साबित कर दी है। कि अपने जवानी के जज़्बात के हाथो मजबूर हो कर, एक ही कोख से जनम लेने वाले दो सगे बहन भाई भी,आपस में मियाँ और बीवी का रिश्ता कायम कर सकते हैं" रज़िया बीबी ने मुस्कुराते हुए अपने दोनो बच्चो को अपने कदमों से उठा कर एक साथ अपने गले लगाते हुए कहा।
"हाईईईईईईईई! अम्मी कितनी अच्छी है आप" ये कहते हुए दोनो बहन भाई अपनी अम्मी से लिपट गये।
"मेरी तुम दोनो के लिए अब ये ही दुआ है कि दुधो नहाओ और पूतो फलो" रज़िया बीबी ने अपने दोनो बच्चो के सरों पर हाथ फेरते हुए कहा।
अपनी अम्मी के मुँह से ये इलफ़ाज़ सुन कर ज़ाहिद मुस्कुराने लगा। जब कि शाज़िया का मुँह शरम से लाल हो गया।
"शाज़िया अब क्यों शर्मा रही हो मेरी बच्ची,अब तो ज़ाहिद तुम्हारा भाई भी है और शोहर भी" रज़िया बीबी ने जब अपनी बेटी को शरम से लाल पीला होते देखा। तो वो मुस्कराते हुए उसे कहने लगी।
अपनी अम्मी की बात सुन कर ज़ाहिद का लंड उस की शलवार में से फिर हिलने लगा। और उस ने अपनी बाहें अम्मी के गले में डालते हुए प्यार से कहा "अम्मी जब आप ने हम दोनो बहन भाई को मियाँ बीवी के इस नये रिश्ते में कबूल कर ही लिए है, तो अब आप बताएँ कि आप अब मेरी अम्मी बनेगीं या फिर सास?।"
ज़ाहिद ने ज्यों ही अपनी आमी के गले में बाहें डाल कर उसे अपने जिस्म के करीब किया।
तो रज़िया बीबी के भारी मम्मे अपने बेटे की सख़्त और जवान छाती के साथ लग कर प्रेस हो गये।
जारी रहेगी