अम्मी बनी सास 058

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दिल नही भरा.
1.9k words
4.8
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Part 58 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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आज रज़िया बीबी को अपने बेटे ज़ाहिद के जिस्म से अपने जिस्म को टच करने में शरम महसूस होने लगी।

वैसे तो बचपन से ले कर जवानी तक ज़ाहिद ने ना जाने कितनी दफ़ा अपनी अम्मी के जिस्म को अपनी बाहों में भरा था। और इस दौरान अंजाने में कितनी ही बार रज़िया बीबी के मम्मे अपने बेटे के बाज़ू या छाती से छुए होंगे ।

मगर आज से पहले रज़िया बीबी की ये काफियत नही हुई थी। जो वो इस वक्त महसूस करने लगी थी।

आज अपने मम्मे अपने बेटे की छाती से छूते ही रज़िया बीबी के जिस्म में एक "करंट" सा दौड़ गया। और उस के जिस्म में हल्की हल्की कंप कंपी सी महसूस होने लगी।

लेकिन रज़िया बीबी ने इस बात का अहसास शाज़िया या ज़ाहिद को नही होने दिया। और उसने बमुश्किल अपने आप पर काबू पाते हुए अपने आप को संभाल लिया।

ज़ाहिद के मुँह से ये बात सुन कर उस की अम्मी रज़िया बीबी के होंठो पर मुस्कराहट फैल गई और रज़िया बीबी ने जवाब दिया " मेरे बच्चो मेरा तो अब तुम दोनो से दोहरा रिश्ता बन गया है,क्यों कि जब तुम मुझे अम्मी कहो गे, तो तब शाज़िया मेरी बहू बन जाएगी, फिर उस वक्त में शाज़िया की सास कहलाउन्गी, और जब शाज़िया मुझे अम्मी कह कर बुलाएगी, तो उस वक्त तुम मेरे दामाद हो गे, तो उस वक्त में तुम्हारी सास का रूप धारण लूँगी"।

रज़िया बीबी के इस जवाब पर रज़िया बीबी,ज़ाहिद और शाज़िया तीनो एक दूसरे से गले मिल कर खिल खिला कर हँसने लगे।

"अच्छा अब तुम लोग चाय पी कर तैयार हो जाओ,क्यों कि अभी कुछ देर बाद वालिमे के मेहमान आना शुरू हो जाएँगे" ये कह कर रज़िया बीबी अपने बच्चो के कमरे से बाहर निकल गई।

अम्मी के जाते ही ज़ाहिद ने फिर अपनी बहन शाज़िया को अपनी बाहों में भर लिया।

"बस भी करो भाई पूरी रात मुझे प्यार कर कर के दिल नही भरा तुम्हारा" शाज़िया ने अपने आप को अपने भाई की गिरफ़्त से छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा।

"हाईईईईईई! तुम्हारे जिस्म में इतना स्वाद है कि एक रात क्या,मेरा तो अब पूरी ज़िंदगी दिल नही भर सकता तुम से मेरी जान"। ज़ाहिद ने प्यार से अपनी बहन के गाल पर काटते हुए कहा।

शाज़िया अपने भाई के मुँह से अपनी इतना ज़्यादा तारीफ सुन कर शर्मा गई।

ज़ाहिद सोच ही रहा था कि वो नहाने से पहले एक बार फिर और अपनी बहन की चूत का मज़ा ले ले।मगर इस से पहले कि वो कुछ कर पाता। नीलोफर कमरे का दरवाज़ा खुला देख कर अंदर आ गई।

ज्यों ही नीलोफर ने दोनो बहन भाई को एक दूसरे की बाहों में मगन देखा। तो वो उन को अपनी मौजूदगी का अहसास दिलवाने के लिए खांसने लगी।

ज़ाहिद को जैसे ही नीलोफर की कमरे में आमद का पता चला। वो एक दम से अपनी बहन शाज़िया से यूँ अलग हो गया। जैसे उस की चोरी पकड़ी गई हो।

"वाह जी वाह इधर तो लगता है किसी रोमॅंटिक फिल्म की शूटिंग चल रही है" दोनो बहन भाई को एक दूसरे की बाहों में जकड़े देख कर नीलोफर मुस्कुराते हुए बोली।

"निलो यार दरवाजा तो खट खटा कर आया करो" शाज़िया ने नीलोफर के मज़ाक पर नकली गुस्से का इज़हार करते हुए कहा।

"अच्छा कुण्डी तुम लोग खुद ना लगाओ और नाराज़गी मुझ ग़रीब पर" नीलोफर ने भी थोड़े नकली गुस्से में अपनी सहेली की बात का जवाब दिया। तो नीलोफर की बात पर तीनो को हँसी आ गई।

"नीलोफर तुम शाज़िया से बातें करो में जल्दी से नहा लूँ" ये कहते हुए ज़ाहिद बाथरूम में घुस गया।

"क्यों कैसी रही तुम्हारी सुहाग रात मेरी बानो" ज़ाहिद के बाथ रूम में जाते ही नीलोफर ने शाज़िया के बिस्तर पर बैठते हुए बहुत शरररती लहजे में पूछा।

" क्या बताऊ यार, भाई ने पूरी रात सोने नही दिया" शाज़िया ने नीलोफर के साथ ही बिस्तर पर बैठ कर अपनी सहेली को जवाब दिया।

"हाईईईईईई! बनूऊओ! जिसे तुम जैसी प्यारी और खूबसूरत जिस्म वाली दुल्हन मिल जाए, तो उस कम्बख़्त को कैसे नींद आए गी भला" नीलोफर ने शाज़िया के मोटे और बड़े मम्मो को अपने हाथ में ले कर ज़ोर से दबाते हुए खा। और उस को अपनी बाहों में ले कर अपने साथ ही बिस्तर पर लिटा दिया।

"उफफफफफफफफफफफफ्फ़! ना करो नाआअ!" शाज़िया नीलोफर की इस हरकत से सिसक उठी।

"वैसे बताओ तो सही, कैसी उतारे थे उस ने तुम्हारी कपड़े तुम्हारे बदन से और कैसी तुम्हारे भाई ने तुम्हें पहली बार तुम्हारी फुद्दि में अपने बड़ा लंड डाला "नीलोफर ने शाज़िया को दुबारा छेड़ते हुए कहा।

"तुम मुझ से पहले और ज़्यादा अच्छी तरह से जानती हो कि ज़ाहिद भाई औरत के कपड़े कैसे उतारते हैं और फुद्दि में लंड कैसा डालते है निलो" शाज़िया ने अपनी सहेली के मज़ाक का तर्की बा कर्की जवाब दिया।

"हाईईईईईईईई! तुम्हारे भैया तो अब तुम्हारे सैंया में बदल चुके है मेरी जान" नीलोफर ने अपनी सहेली के गाल पर चुटकी काटते हुए कहा।

"और मेरे भैया को सैया बनाने और मेरी रूखी ज़िंदगी में फिर से बहार लाने में जो मदद तुम ने की है, उस के लिए में तुम्हारी बहुत ही अहसानमंद और मश्कूर हूँ नीलोफर"। शाज़िया ने प्यार और जज़्बात से अपनी सहेली के जिस्म के गिर्द अपनी बाहें लपेटे हुए कहा।

"वैसे तो मेने ज़ाहिद से अपनी बे इज़्ज़ती का इंतकाम लेने के लिए,गुस्से में तुम दोनो बहन भाई को आपस में मिलाप करवाया था,मगर अब मुझे भी खुशी है कि मेरी इस ग़लती की वजह से तुम्हारी प्यासी चूत की प्यास मिटाने वाला, तुम्हें अपने ही घर में दस्तियाब हो गया मेरी जान"। नीलोफर ने अपनी सहेली की बात का जवाब देते हुए शाज़िया को भी अपने साथ भींच लिया।

कुछ देर शाज़िया से रात की डीटेल सुनने के बाद नीलोफर शाज़िया को उसी तरह बिस्तर पर लेटा छोड़ कर घर के ऊपर वाले हिस्से में वापिस चली गई।

दोपहर को घर में ही दोनो शादी शुदा जोड़े के वालिमे की दावत रखी गई।

जिस में ज़ाहिद और जमशेद के करीबी दोस्तों और मुहल्ले के कुछ लोग शामिल हुए।

अपने मेहमानो को अपने वालिमे का खाना खिलाते हुए ज़ाहिद को टाइम का पता ही ना चला। और फिर सब कामों से फारिग होते होते 4 बज गये।

सब मेहमानों के चले जाने के बाद ज़ाहिद और जमशेद ने आपस में मशवरा कर के मुर्री जाने का प्रोग्राम बना लिया।

"अम्मी अगर आप की इजाज़त हो तो हम लोग एक आध दिन के लिए मुर्री से हो आएँ"। जमशेद के साथ अपना प्रोग्राम सेट करते ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी रज़िया बीबी से मुर्री जाने की इजाज़त तलब की।

"हां बच्चो मुझे भला क्या ऐतराज हो गा, मुर्री तो वैसे भी नये शादी शुदा जोड़ो के हनीमून मनाने की एक पसंद दीदा जगह है"। रज़िया बीबी ने मुस्कराते हुए अपने बेटे को इजाज़त दे दी।

"ठीक अम्मी, में जाते हुए खाला ज़ीनत को कह देता हूँ,वो रात को आप के पास सोने आ जाएँगी" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से कहा।

"नही बेटा तुम फिकर ना करो मुझे रात अकेले घर में डर नही लगता" रज़िया बीबी ने अपने बेटे की बात का जवाब दिया।

अपनी अम्मी से इजाज़त मिलते ही ज़ाहिद ने सब को जाने की तैयारी करने का कहा।

चूँकि शाम होने को थी। इसीलिए नीलोफर और शाज़िया ने जल्दी जल्दी अपने और अपने भाइयों के चन्द कपड़े बॅग्स में रखे। और रज़िया बीबी को खुदा हाफ़िज़ कह कर कार में आन बैठे।

जमशेद और नीलोफर कार की अगली सीट पर बैठे थे।जब कि ज़ाहिद और शाज़िया गाड़ी की पिछली सीट पर जम गये।

"उफफफफफफफ्फ़! मेने अपना मोबाइल चार्जिंग पर लगा रखा था,वो तो में अपने कमरे में ही भूल आई" कार के चलते ही शाज़िया को याद आया और वो बोली।

"कोई बात नही शाज़िया,वैसे भी मेरे होते हुए तुम्हे आज मोबाइल की क्या ज़रूरत है" कार की पिछली सीट पर साथ बैठे हुए ज़ाहिद ने अपनी बहन की रेशमी शलवार के ऊपर से उस की गुदाज रान पर अपना हाथ फेरते हुए कहा।

ज़ाहिद की बात सुन कर आगे बैठे हुए जमशेद और नीलोफर के होंठो पर एक मुस्कराहट फैल गई।

जब कि शाज़िया को जमशेद और नीलोफर के सामने कही गई अपने भाई की इस बात पर शरम सी आने लगे। इसीलिए कोई जवाब देने की बजाय उस ने खामोश रहने में ही बेहतरी महसूस की।

झेलम से बाहर निकलते ही शाम का अंधेरा छाने लगा था।

इस मौके का फ़ायदा उठाते हुए झेलम से मुर्री के सफ़र के दौरान ज़ाहिद कभी अपनी बहन की शलवार के ऊपर से शाज़िया की चूत को छेड़ता रहा।और कभी शाज़िया को अपनी शलवार में खड़े हुए लंड से खेलने की सरगोशी करता रहा।

पूरे सफ़र के दौरान अपने भाई की छेड़ छाड़ से शाज़िया की फुद्दि ने गीला हो हो कर उस के नीचे से कार की सीट को भी गीला कर दिया था।

शाज़िया की फुद्दि अपने भाई की उंगलियों की महरवानी से इतनी गरम हो चुकी थी।कि शाज़िया का दिल चाह रहा था। कि वो चलती कार में ही, अपनी शलवार उतार कर अपने भाई के लंड पर बैठ जाय।

मगर जमशेद और नीलोफर की कार में मौजूदगी की वजह से शाज़िया को अपनी इस ख्वाहिश पर अमल करने की हिम्मत नही हुई।

मुर्री पहुँचने तक सब को भूक ने बे हाल कर दिया। तो जमशेद ने होटेल जाने से पहले ही अपनी कार एक रेस्टोरेंट के सामने रुक दी।

खाने से फारिग हो कर वो लोग एक होटेल में चले आए। जिधर दोनो बहन भाई की जोड़ी ने मिस्टर&मिसेज़ के नाम से होटेल में दो कमरे ले लिए।

"हाईईईई! भाईईईईईई! आप ने तो सारे रास्ते मेरी चूत को छेड़ छेड़ कर मुझे पागल बना दिया है" अपने कमरे का दरवाज़ा बंद होते ही शाज़िया अपने भाई से लिपट गई

शाज़िया की तरह ज़ाहिद भी अपनी बहन के बदन से खेलने की वजह से काफ़ी गरम हो चुका था। इसीलिए उस ने भी अपनी सुहागन बहन के जवान जिस्म को अपनी बाहों में जकड के अपने होन्ट अपनी बहन के नरम होंठो से मिला दिए।

ज़ाहिद की कार में की गई हरकतों की वजह से शाज़िया की छूट तो कब से अपने भाई के मिलाप के लिए सुलग रही थी।

इसीलिए अपने भाई के होन्ट अपने होंठो के साथ टकराते ही शाज़िया के जिस्म में उस की जिस्मानी भूक पूरी आबो-ताब से भड़क उठी।

शाज़िया ने भी जोश में आते हुए अपना मुँह खोला।और अपने भाई की ज़ुबान से अपनी ज़ुबान लड़ाने लगी।

कुछ देर कमरे के दरवाज़े के पास ही खड़े हुए दोनो बहन भाई एक दूसरे के होंठो और ज़ुबान को गरम जोशी से चुसते और चाटते रहे।

इस दौरान अपनी बहन को किस करते करते,ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया के भारी जिस्म को अपने हाथों में उठाया।

और फिर आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ कमरे के दरमियाँ में पड़े हुए बेड पर अपनी बहन के गरम जिस्म को ला कर लिटा दिया।

शाज़िया को होटेल के बेड पर लिटाते ही ज़ाहिद ने कमरे के फर्श पर बैठ कर जल्दी से अपनी बहन की शलवार का नाडा खोला। और एक ही झटके में अपनी बहन की शलवार को उस के जिस्म से अलग कर दिया।

ज्यों ही ज़ाहिद ने शाज़िया की शलवार उतार कर उस के जिस्म के निचले हिस्से को नंगा किया। तो शाज़िया ने फॉरन अपनी टाँगें हवा में उठा कर, पानी से तर अपनी गरम फुद्दि को अपने भाई ज़ाहिद की आँखों के सामने खोल दिया।

अपनी बहन की गरम और गीली चूत के मोटे होंठो को देख कर ज़ाहिद का दिल और लंड मचल उठा। और उस ने गरम जोशी से अपने हाथ की दो उंगलियाँ अपनी बहन की चूत में एक साथ डालते हुए कहा"हाईईईईईईईईईईईईईईईईईई! शाज़िया तुम्हारी चूत अपना पानी छोड़ छोड़ कर कितनी गीली हो चुकी है मेरी जान"।

"हाईईईईईईईईईई! ये सब झेलम से मुर्री के सफ़र के दौरान की जाने वाली आप की हरकतों का असर है भाई।" शाज़िया ने अपने भाई की मोटी उंगलियों को अपनी मोटी फुद्दि के अंदर पा कर मज़े से सिसकते हुए जवाब दिया।

अपनी उंगलियाँ अपनी बहन की फुद्दि में डाल कर ज़ाहिद अब आहिस्ता आहिस्ता अपनी उंगलियाँ अपनी बहन की मोटी फुद्दि के अंदर बाहर करने लगा।

जारी रहेगी

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