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Click hereअपने भाई के बड़े और मोटे लंड को यूँ अपनी आँखे फाड़ फाड़ कर देखते हुए शाज़िया को वो दिन याद आ गया। जब नीलोफर ने शाज़िया को धोके से उस के अपने ही सगे भाई के लंड का पहली बार दीदार करवाया था।
तो उस वक्त अपनी सहेली नीलोफर की चूत में इतना बड़ा लंड जाता देख कर शाज़िया को नीलोफर से वाकई ही जलन महसूस हुई थी।
इसी लिए शाज़िया ने उस दिन नीलोफर से कहा था कि "निलो तुम खुश किस्मत हो जो इतने बड़े लंड अपनी चूत में ले रही हो यार।"
फिर अपनी इस बात के जवाब में शाज़िया को नीलोफर की कही हुई बात भी याद आई कि "फिकर ना करो, जल्द ही इस बड़े और मोटे लंड से चुदवा कर,मेरी तरह तुम भी खुस किस्मत बन जाओगी बानो "।
और आज अपने भाई के इस बड़े और मोटे लंड को अपने हाथ में थाम कर ये बात सोचते हुए शाज़िया वाकई ही अपने आप को खुश किस्मत महसूस कर रही थी।
क्यों कि अब उस के अपने सगे भाई का ये बड़ा लंड हमेशा हमेशा के लिए उस की चूत को दस्तियाब हो गया था।
इधर शाज़िया अपनी इन सोचो में मगन थी।
जब कि दूसरी तरह ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया का अपना बड़ा लंड चूमने में मज़ा तो आ रहा था।
मगर आज दिन भर की भाग दौड़ और फिर मुर्री के सफ़र ने ज़ाहिद को थका दिया था।
इसीलिए वो चाहता था कि क्यों ना वो बाथरूम में जा कर शवर के नीचे नहाते हुए अपनी बहन की चूत का मज़ा ले।
"शाज़िया चलो बाथरूम में जा कर आज इकट्ठे नहाते हैं मेरी जान" ये सोच कर ज़ाहिद ने अपनी बहन शाज़िया बहन से कहा।
"चलो भाई जिस तरह आप की मर्ज़ी" शाज़िया ने अपने भाई की बात का जवाब दिया। और अपने भाई के साथ उठ कर कमरे के अटेच बाथरूम में चली आई।
बाथ रूम में आते ही दोनो बहन भाई ने दुबारा एक दूसरे को अपनी बाहों में भर लिया।
अब ज़ाहिद के हाथ अपनी बहन की गुदाज गान्ड की पहाड़ियों पर घूम रहे थे।
जब कि उस का लंड शाज़िया की गरम चूत के मुँह पर ठोकरे मार मार कर अंदर जाने की इजाज़त माँग रहा था।
दूसरी तरफ आज ना जाने क्यों अपने भाई के लंड को कई बार चूस कर भी शाज़िया का दिल अपने भाई के लंड से नही भर रहा था।
इसीलिए शाज़िया अपने मुँह को अपने के मुँह से अलहदा करते हुए बाथरूम में खड़े हुए अपने भाई के कदमों में बैठ गई।
शाज़िया ने नीचे बैठ कर अपने भाई के लंड की मोटी टोपी को मुँह में ले कर अपने भाई के लंड को फिर से सक करना शुरू कर दिया।
ज़ाहिद का लंड शाज़िया की चुसाइ की वजह से बिल्कुल किसी लोहे की रोड की तरह सख़्त हो गया था।
अपने लंड को अपनी बहन के मुँह में फिर से जाते हुए पा कर ज़ाहिद ने मज़े से पागल होते हुए नीचे से झटका मारा। तो ज़ाहिद का मोटा और बड़ा लंड उस की बहन शाज़िया के हलक तक आ गया।
अपने भाई का इतना बड़ा लंड अपने हलाक में लेते ही शाज़िया की तो साँस भी उस के गले में ही अटक गई।
ज़ाहिद समझहह गया कि शाज़िया उस का पूरा लंड अपने मुँह में नही ले पाएगी।
इसीलिए उस ने अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और आहिस्ता आहिस्ता ऐसे नीचे होने लगा जैसे वो शाज़िया के मुँह को चोद रहा हो।
ज़ाहिद सोचने लगा कि इस से पहले कि वो जोश में आ कर शाज़िया के मुँह में फारिग हो जाय। उसे अब अपना लंड अपनी बहन की चूत में डाल देना चाहिए।
उधर दूसरी तरफ थोड़ी देर अपने भाई के लंड को सक करने के बाद अब शाज़िया का दिल भी चाह रहा था। कि वो भी जल्दी से ज़ाहिद के लंड को अपनी चूत में डलवा ले।
ये ही सोच कर शाज़िया उपेर उठी और उस ने बाथरूम का शोवर् खोल दिया। और दोनो बहन भाई भाई बाथरूम के शवर के साथ एक दूसरे के नंगे जिस्मो को भिगोने लगे।
दोनो बहन भाई बारी बारी एक दूसरे के जिस्मो पर साबुन लगाने लगे।
जिस्मो पर साबुन लगाने के अमल के दौरान भी ज़ाहिद और शाज़िया के हाथ एक दूसरे के जिस्म के सारे नाज़ुक हिस्सो पर पूरी आज़ादी के साथ घूमते रहे।
ज़ाहिद और शाज़िया बाथरूम के खुले शवर के नीचे खड़े हो कर एक दूसरे के बदन को पानी से अच्छी तरह भिगोते रहे।
शाज़िया ने अपनी गुज़शता जिंदगी में अपने सबका शोहर के साथ कभी भी इस तरह की बाथरूम में मस्ती नही की थी।
इसीलिए आज अपने भाई के साथ बाथरूम में ये खेल खेलने में उसे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था।
मगर शाज़िया अब अपनी उम्र के उस हिस्से में थी। जिधर सिर्फ़ हाथ और मुँह की छेड़ छाड़ से जवानी के जज़्बात ठंडे नही होते थे।
इसी लिए शाज़िया अब अपने आप को अपने भाई की बाहों से अलग करते हुए पलट गई।
शाज़िया ने मूड कर अपना मुँह बाथरूम की दीवार की तरफ करते हुए अपना एक पैर बाथरूम में बनी हुई एक छोटी सी स्टेप पर रख दिया।
शाज़िया के इस तरह करने से वो आगे से थोड़ी सी झुकी। तो पीछे उस की भारी गान्ड ऊपर की तरफ उठी जिस से शाज़िया की चूत का मुँह भी पीछे से खुल गया।
अपनी बहन की चूत के मुँह को अपने लंड के लिए खुलता देख कर ज़ाहिद अपने लंड को हाथ से मसलता हुआ शाज़िया के पीछे आया।
ज़ाहिद ने शाज़िया की टाँगों को पीछे से मज़ीद चौड़ा किया। और उस ने शाज़िया की गान्ड को अपने हाथों से पकड़ कर अपने घुटनो को थोड़ा सा नीचे मोडते हुए अपने जिस्म को एक दम ऊपर की तरफ किया।
"उउईइ!, अम्मिईिइ!" शाज़िया के मुँह से एक चीख निकली। और ज़ाहिद का मोटा ताज़ा लंड फन फनाता हुआ पीछे से उस की बहन की चूत में घुसता चला गया।
"उफफ! तुम वाकई ही बहूत टाइट हो, शाज़िया" ज़ाहिद अपनी बहन की चूत में लंड डालते हुए सिसकार उठा।
साथ ही साथ ज़ाहिद ने अपनी बहन के बड़े बड़े मम्मो को पीछे से अपने हाथ में पकड़ते हुए शाज़िया के निपल को मसल्ने लगा।
ज़ाहिद ने शाज़िया की चूत में अब अपना पूरा लंड डाल कर अपनी बहन शाज़िया को बेदर्दी से चोदने लगा।
अपनी बहन शाज़िया को चोदते चोदते ज़ाहिद ने शाज़िया की एक टाँग को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया।
जिस की वजह से ज़ाहिद का लंड पीछे से बहुत ही आसानी के साथ पूरे का पूरा उस की बहन की फुद्दि में घुसाने लगा।
चुदाई का ये अंदाज़ शाज़िया के लिए बिल्कुल नया और मज़ेदार था।
अपने भाई की मज़ेदार और ज़ोर दार चुदाई की वजह से शाज़िया भी मस्त हो गई।
उस ने अपने जिस्म को पीछे की तरह हल्का सा मोड़ कर अपना एक बाज़ू ज़ाहिद की गर्दन के गिर्द डाल लिया। और अपने मुँह को भाई के मुँह से लगा कर ज़ाहिद के होंठो और ज़ुबान को चूसने लगी।
जारी रहेगी