अम्मी बनी सास 062

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अंदर की गर्मी
1.1k words
4.25
152
00

Part 62 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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दिन भर की थकि हारी रज़िया बीबी को बिस्तर पर लेटते ही नींद ने अपनी घेरे में ले लिया।

रात के तकरीबन 2 बजे थे कि रज़िया बीबी को सोते में बहुत घबराहट महसूस होने लगी।

ये इसी घबराहट का असर था। कि रज़िया बीबी की नींद से अचानक ही आँख खुल गई।

रज़िया बीबी ने नींद से बेदार होते ही महसूस किया कि उस का एक हाथ,उस की शलवार और अंडरवेअर के ऊपर से उस की गीली फुद्दि के फूले हुए होंठो पर पड़ा हुआ है।

ऐसे लग रहा था कि जैसे नींद के दौरान रज़िया बीबी का हाथ खुद ब खुद ही उस की फुद्दि पर फिसलता रहा हो।

जब कि पसीने से उस का पूरा जिस्म भीगा हुआ था।

रज़िया बीबी को पहले तो यूँ अच्चानक नींद से जागने की वजह समझ नही आई।

मगर फिर ज्यों ही रज़िया बीबी के ज़हन ने काम करना शुरू किया। तो रज़िया बीबी को अहसास हुआ कि लोड शेडिंग की वजह से घर की बिजली गई हुई है।

वैसे तो ज़ाहिद ने अपने घर में इनवेर्टर लगवा रखा था। मगर हर घंटे बिजली की बंदिश की वजह से इनवेर्टर भी सही सही चार्ज नही हो रहा था।

इसी लिए बिजली जाने के बाद इनवेर्टर भी अब ऑन नही हो पाया था। जिस की वजह से कमरे में गर्मी हो गई और रज़िया बीबी सोते सोते जाग उठी।

कमरे में पंखा (फॅन) बंद होने की वजह से रज़िया बीबी को सख़्त पसीना आने लगा था।

रज़िया बीबी को इस पसीने की वजह से ही घबराहट हो रही थी। इसीलिए उस ने गर्मी से निजात हासिल करने का हल ये ढूँढा। कि बिस्तर पर लेटे लेटे ही एक एक कर के अपनी शलवार और कमीज़ दोनो उतार दीं।

अपने शलवार कमीज़ को उतारने के बाद रज़िया बीबी को चन्द मिनट तो सकून मिला।

मगर कमरे में गर्मी इतनी भर गई थी। कि कुछ देर बाद रज़िया बीबी को अपना दम (सांस) फिर से घुटता हुआ महसूस होने लगा।

जब कमरे की गर्मी ने रज़िया बीबी को मज़ीद तंग किया। तो सिर्फ़ ब्रेज़ियर और चड्धि में मलबोस रज़िया बीबी ने अपने जिस्म को सकून देने के लिए बिस्तर पर इधर उधर करवटें बदलना शुरू कर दीं।

रज़िया बीबी बेचैनी से अपने बिस्तर पर इधर उधर करवटें तो बदल रही थी। मगर गर्मी थी कि किसी तौर कम होने में नही आ रही थी।

इस की वजह ये थी कि आज सिर्फ़ "बाहर" की गर्मी ही नही थी। जो रज़िया बीबी को इस वक्त यूँ सता रही थी।

बल्कि आज तो रज़िया बीबी के जिस्म की "अंदर की गर्मी" ने भी उस को इतना बे हाल कर दिया था। कि अब उसे किसी पल चैन नही मिल रहा था।

जब ये सूरते हाल रज़िया बीबी के लिए ना क़ाबिले बर्दाश्त हो गए। तो उस ने सोचा कि क्यों ना वो उठ कर बाहर सहन में पड़े हुए जेनरेटर को ऑन कर दे।

ये सोच कर रज़िया अपने बिस्तर से उठी और बाहर जाने के लिए अपनी शलवार और कमीज़ पहनने की तैयारी करने लगी।

"घर में मेरे सिवा है ही कौन, जिस से मेने परदा करना है" ये ख्याल ज़हन में आते ही रज़िया बीबी ने अपने कपड़े दुबारा कमरे के फरश पर फैंके और खुद नीम नंगी हालत में बाहर सहन में चली आई।

चूँकि बिजली का जेनरेटर बटन वाला था। इसीलिए रज़िया बीबी को उसे स्टार्ट करने में कोई मुश्किल पेश नही आई।

जेनरेटर को ऑन कर के रज़िया बीबी ज्यों ही अपने कमरे में वापिस जाने के लिए मूडी। तो उसे अपनी पिंडली पर ज़ोर की खारिश महसूस हुई।

रज़िया बीबी ने अपने पावं उठा कर सहन में रखे हुए बाँस (बंबू) के छोटे से सोफे पर रखा। और अपनी पिंडली को हाथ से खुजाने लगी।

रज़िया बीबी के इस से आगे की तरफ झुकने से उस की पतली चड्धि की बारीक सी पट्टी उस की भारी और उभरी हुई गान्ड की मोटी मोटी पहाड़ियों में धँस गई।

जिस वजह से रज़िया बीबी की गान्ड के दोनो मोटे और गोल गोल चूतड़ अपनी पूरी आबो-ताब से ऊपर की तरफ उठ गये।

अपनी पिंडली पर अच्छी तरह खारिश करने से रज़िया बीबी को सकून मिला। तो वो फिर सोने के लिए अपने कमरे की तरफ चल पड़ी।

अपने कमरे की तरफ जाते हुए रज़िया बीबी ज्यों ही ज़ाहिद और शाज़िया के कमरे के पास से गुज़री। तो उस के कानों में किसी के फोन की घंटी की आवाज़ सुनाई दी।

"इतनी रात गये ये फोन किस का बज रहा है" रज़िया बीबी ने सोचा और अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे में दाखिल हो गई।

तो उस की नज़र सब से पहले अपनी बेटी शाज़िया के काले रंग के ब्रेज़ियर पर पड़ी। जो कि कमरे में रखे हुए ड्रॉयर में से बाहर निकल कर झूल रहा था।

शाज़िया ने मुरी जाने की तैयारी के दौरान अपने चन्द नये ब्रेजियर और पॅंटीस अपने साथ ले जाने के लिए निकली थी। मगर तेज़ी में शायद वो ड्रॉयर को बंद करना भूल गई थी।

"हाई लगता है मेरे बेटे ने अपनी बहन के इस्तेमाल के लिए बहुत प्यारे प्यारी और सेक्सी अंदर गारमेंट्स खरीदे हैं" अपनी सग़ी बेटी के सेक्सी ब्रेजियर को यूँ अपने सामने लटकते देख कर रज़िया बीबी के ज़हन में सोच आई। और उस की चूत हल्की हल्की सुलगने लगी।

रज़िया बीबी ने अपनी आप को संभाल और आगे बढ़ कर शाज़िया के ब्रेजियर को ड्रॉयर में वापिस रख दिया।

इसी दौरान रज़िया बीबी की नज़र टेबल पर रखे हुए अपनी बेटी शाज़िया के फोन पर पड़ी। जो शाज़िया मुर्री जाते वक्त जल्दी में साथ लेना भूल गई थी।

रज़िया बीबी के आने तक फोन की बेल बंद हो गई थी। शायद फोन करने वाले ने जवाब ना पा कर फोन की लाइन काट दी थी।

रज़िया बीबी ने फोन उठा कर स्क्रीन पर कॉल करने वाले का नंबर चेक किया।मगर उसे अंदाज़ा ना हो सका कि किस ने इतनी रात गये उस की बेटी को कॉल की थी।

शाज़िया के फोन को हाथ में पकड़े हुए रज़िया बीबी को ना जाने की सूझी। कि उस ने फोन की चार्जिंग केबल को अलग किया और अपनी बेटी का फोन ले कर अपने बिस्तर पर चली आई।

रज़िया बीबी अपने कमरे में वापिस आ कर अपने बेड पर लेट गई और अपनी बेटी शाज़िया के फोन को चेक करने लगी।

चूँकि शाज़िया ने कभी अपने फोन पर पासवर्ड नही लगाया हुआ था। इसीलिए कोई भी शक्स शाज़िया के फोन में माजूद कोई भी इन्फर्मेशन बहुत ही आसानी के साथ देख सकता था।

शाज़िया का फोन रज़िया बीबी के अपने फोन से काफ़ी मिलता जुलता था। इसीलिए रज़िया बीबी को अपनी बेटी के फोन की सेट्टिंग और सिस्टम समझने में कोई दिक्कत ना हुई।

रज़िया बीबी जानती थी कि उस का यूँ अपनी बेटी के फोन को चेक करना अच्छी बात नही।

मगर उस के बावजूद उस ने सब से पहले शाज़िया के फोन में मेसेज सेक्षन में जा कर अपनी बेटी के टेक्स्ट मसेज्स पढ़ना शुरू कर दिया।

कहानी जारी रहेगी

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