अम्मी बनी सास 070

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बहू के नहाने धोने की आशिया
2.5k words
3.14
200
00

Part 70 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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जिस हॉस्पिटल के बाहर रज़िया बीबी खड़ी अपने बेटे ज़ाहिद का इंतजार कर रही थी। वो हॉस्पिटल बिल्कुल एक मेन रोड के किनारे पर था।

ज्यों ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के पास आ कर अपनी मोटर साइकल को रोका।तो उस की नज़र हॉस्पिटल के साथ बने हुए एक शॉपिंग स्टोर पर पड़ी।

शॉपिंग स्टोर को देखते ही ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया की सुबह दी हुई लिस्ट ज़हन में आ गई।

जो शाज़िया ने उसे घर से निकलते हुए दी थी कि वो शाम को घर वापिस आते वक्त शाज़िया के लिए शॉपिंग करता आए।

"अम्मी आप इधर की रुकिये में ज़रा स्टोर से शाज़िया के लिए कुछ चीज़े खदीद लूँ" ज़ाहिद ने अपने मोटर साइकल को स्टॅंड पर खड़ा करते हुए रज़िया बीबी से कहा।

"चलो में भी तुम्हारे साथ ही चली चलती हूँ बेटा" रज़िया बीबी ने जवाब दिया और अपने बेटे के साथ साथ चलती स्टोर में आ गई।

स्टोर में आ कर रज़िया बीबी तो औरतों की आदत के मुताबिक इधर इधर की चीज़ो को देखने लगी। जब कि ज़ाहिद ने स्टोर के सेल्स मॅन के पास जा कर अपनी पॉकेट से अपनी बहन का दिया हुआ पेपर निकाला और सेल्स मॅन से कहा कि इस पेपर पर लिखी हुई चीज़े दे दो।

सेल्स मॅन ने ज़ाहिद से पेपर लिया और एक एक कर के शम्पू,कंडीशनर,बॉडी सोप और हेर रिमूविंग क्रीम निकाल कर ज़ाहिद के सामने काउंटर पर रखना शुरू कर दीं।

ज्यों ही सेल्स मॅन ने ये सब चीज़े ज़ाहिद के सामने रखीं तो एक और कस्टमर ने सेल्स मॅन को अपनी तरफ बुलाया।

जिस पर वो सेल्स मॅन ज़ाहिद से एक मिनट में वापिस आने का कह कर दूसरे कस्टमर की तरफ चला गया।

"उफफफफफफफफ्फ़! शाज़िया ने भी ये हेर रिमूविंग क्रीम मुझ से आज इसी वक्त मंगवानी थी,जबकि अम्मी मेरे साथ हैं। " आज अपनी अम्मी की मौजूदगी में अपनी बहन की चूत सफाई की क्रीम खरीदते वक्त ना जाने क्यों ज़ाहिद को शरम सी महसूस होने लगी थी। वो दिल ही दिल में ये दुवा माँगने लगा कि कहीं सेल्स मॅन के वापिस आने तक उस की अम्मी उस की तरफ ना आ जाएँ।

मगर आज शायद ज़ाहिद की दुआ की कबोलियत का दिन नही था।इसीलिए ज्यों ही ज़ाहिद दुआ माँग कर फारिग हुआ तो उसे अपने पीछे से अपनी अम्मी की आवाज़ सुनाई दी "में भी तो ज़ेरा देखूं मेरा बेटा अपनी बहन के लिए क्या शॉपिंग कर रहा है भला"।

"उफफफफफफफफफ्फ़! लो जी अम्मी भी आ ही गई हैं" अपनी अम्मी की आवाज़ सुन कर ज़ाहिद ने अपने दिल में सोचा और उस का दिल शरम के मारे तेज़ी से धक धक करने लगा।

हालाकी ज़ाहिद अपनी अम्मी की रज़ा मंदी से अपनी ही बहन को अपनी बीवी बना कर ना सिर्फ़ अपनी सुहाग रात मना चुका था।

बल्कि उस की अम्मी ने ही तो उसे अपनी ही बहन के बच्चे का बाप बनने की खुस खबरी भी सुनाई थी।

मगर इस के बावजूद अब अपनी अम्मी के सामने अपनी बहन की मोटी फुद्दि का समान लेते वक्त ज़ाहिद को शरम से पसीना आने लगा था।

फिर ज़ाहिद के ना चाहते हुए भी उस की अम्मी की नज़र काउंटर पर रखी हुई शाज़िया की चीज़ो पर पड़ी।

"अच्छा तो मेरा बेटा मेरी बहू के नहाने धोने की आशिया (थिंग्स) खरीद रहा है" रज़िया बीबी ने एक एक कर के सारी चीज़ो को अपने हाथ में उठा कर अपनी आँखो के सामने लाते हुआ कहा।

रज़िया बीबी के ज़हन में ख्याल आया।कि उस के मेरहूम शोहर ने तो कभी अपनी जिंदगी में उस के लिए इस किस्म की चीज़े नही खरीदी थी।

जब कि आज उस का अपन सगा बेटा उस की नज़रों के सामने अपनी ही सग़ी बहन की चूत की शेव के लिए हेर रिमूविंग क्रीम खरीद कर ले जा रहा है। ये सोचते ही रज़िया बीबी की फुद्दि पानी पानी हो गई और उस की चूत में पानी आने लगा।

"जीिइई अम्मी वो शाज़िया ने आज सुबह ये लिस्ट मुझे दी थी कि वापसी पर में उस के लिए ये चीज़े लेता आऊँ" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से हिचकिचाते हुए कहा।

इस से पहले कि रज़िया बीबी और कुछ पूछ पाती।सेल्स मॅन वापिस आ गया और ज़ाहिद से मज़रत करता हुआ सब चीज़े पॅक करने लगा।

ज्यों ही सेल्स मॅन ने क्रीम को हाथ लगाया।तो रज़िया बीबी ने सेल्स मॅन से कहा "बेटा इस क्रीम की जगह वीट क्रीम दे दो"

इस पर सेल्स मॅन ने रज़िया बीबी की हिदायत पर यू क्रीम की जगह वीट हेर रिमूविंग क्रीम पॅक कर दी।

ज़ाहिद को अपनी अम्मी का यूँ शाज़िया की कही हुई क्रीम को चेंज करवाने पर हैरत हुई ।

इसी लिए ज्यों ही वो पैसे दे कर स्टोर से बाहर निकलने लगा। तो ज़ाहिद से छुपा ना रह सका और अपनी अम्मी से अचानक ही पूछ बैठा "अम्मी शाज़िया ने तो यू क्रीम लेने का कहा था तो फिर आप ने वीट क्यों ले ली"।

अपनी बेटे के मुँह से निकलता हुआ ये अचानक सवाल सुन कर रज़िया बीबी की पहले से गरम फुददी और बहक उठी।और उस के मुँह से भी एक दम अचानक ही निकल गया "वो इसीलिए कि इस क्रीम से सफाई अच्छी होती है बेटा"।

रज़िया बीबी के मुँह से निकालने वाले ये इलफ़ाज़ इतने खुल्लम खुल्ला और अचानक थे। कि जिन को सुन कर ज़ाहिद एक दम हैरत से अपनी अम्मी का मुँह देखने लगा।

जब कि अपने मुँह से ये इलफ़ाज़ यूँ एक दम अदा करते ही रज़िया बीबी खुद भी शरम से पानी पानी होने लगी।

ज़ाहिद अपनी अम्मी के साथ चलता हुआ स्टोर के बाहर खड़ी हुई अपनी मोटर साइकल तक आया। और मोटर साइकल पर बैठ कर उसे स्टार्ट कर दिया।

अपनी अम्मी के साथ स्टोर में होने वाले इस मोकलमे (डायलॉग) पर ना जाने क्यों ज़ाहिद को आज मज़ा आया था।

जिस वजह से उस के अंडरवेार में सोया हुआ उस का लंड एक भर पूर अंगड़ाई ले कर अपनी नींद से जाग उठा।

ज़ाहिद ने ज्यों ही अपना मोटर साइकल को स्टार्ट किया। तो उस की अम्मी रज़िया बीबी खामोशी से अपने बेटे के पीछे उस की मोटर साइकल पर आन बैठी।

रज़ाई बीबी को वैसे तो मोटर साइकल की सवारी से डर लगता था। इसीलिए वो ज़्यादा तर मोटर साइकल की सवारी से पेरहेज करती थी।

लेकिन आज सुबह से वो अपनी एक पुरानी सहेली की तबीयत की खबर लेने हॉस्पिटल आने की वजह से काफ़ी थक गई थी।

इस वजह से किसी वॅन या रिक्शा में सफ़र करने की बजाय उस ने ज़ाहिद को बुलाना मुनासिब समझा। और अब ना चाहते हुए भी वो अपने बेटे के पीछे मोटर पर बैठ कर अपने घर पहुँचना चाहती थी।

मोटर साइकल पर बैठ कर रज़िया बीबी ने हल्के से अपना एक हाथ अपने बेटे के कंधे पर रख लिया।ताकि उसे अपने बेटे ज़ाहिद के जिस्म का सहारा रहे और वो मोटर साइकल से गिरने से बच जाए।

रज़िया बीबी की गान्ड इतनी मोटी,भारी और चौड़ी थी। कि उस की भारी गान्ड ज़ाहिद की मोटर साइकल की सीट पर नही समा पा रही थी।

जिस वजह से रज़िया बीबी की भारी गान्ड अब आधी मोटर की सीट पर जमी हुई थी। जब कि रज़िया बीबी की आधी चौड़ी गान्ड मोटर साइकल की सीट के पिछले डंडे पर अटकी हुई थी।

रज़िया बीबी ज्यों ही मोटर साइकल पर बैठी। तो उस का एक पावं तो मोटर साइकल के पायदान (फुट रेस्ट) पर पड़ गया। मगर रज़िया बीबी का दूसरा पावं हवा में झूलने लगा।

जिस का हल रज़िया बीबी ने यूँ निकाला कि उस ने बैठते ही अपनी एक टाँग को दूसरी टाँग के ऊपर रख लिया। जिस की वजह से रज़िया बीबी की गान्ड एक तरफ से ऊपर को उठ गई।

रज़िया बीबी ने आज अपनी शलवार के नीचे जो पैंटी पहनी हुई थी। वो पहले से ही काफ़ी तंग थी।

रज़िया बीबी ने आज अपनी शलवार के नीचे जो पैंटी पहनी हुई थी। वो पहले से ही काफ़ी तंग थी।

इसीलिए जब रज़िया बीबी अपनी टाँग पे टाँग रख कर मोटर साइकल पर बैठी तो रज़िया बीबी की पैंटी उस की चूत और गान्ड पर मज़ीद कस्ति चली गई।

ज़ाहिद और उस की अम्मी मोटर साइकल पर बैठ कर अभी कुछ दूर ही गये थे। कि मोटर साइकल का टाइयर रोड पर माजूद एक खड़े (होल) में से हो कर गुज़रा।

जिस वजह से मोटर को जम्प लगा। तो रज़िया बीबी की मोटी जांघे आपस में रगड़ खा गईं।

इस जम्प और रज़िया बीबी की गोश्त से भरपूर जाँघो के आपस में रगड़ने की वजह से रज़िया बीबी की टाइट पैंटी में एक खिचाव आया।

जिस की बदोलत रज़िया बीबी की पैंटी की छोटी पट्टी रज़िया बीबी की चूत के मोटे लबो में घुस कर उस की चूत के फूले हुए दाने पर रगड़ खाने लगी ।

अपनी पैंटी के कपड़े की इस रगड़ से रज़िया बीबी को अपनी चूत के होंठो में एक अजीब सी सनसनाहट और मज़े दार खिचाव महसूस हुआ। और ना चाहते हुए भी रज़िया बीबी के मुँह से एक "अहह" सी निकल गई।

"अम्मी क्या हुआ" अपनी अम्मी के मुँह के निकलेने वाली आवाज़ सुन कर ज़ाहिद ने एक दम से पूछा।

"वो खड़े रहने की वजह से में थक गई थी बेटा" रज़िया बीबी ने अपने बेटे को जवाब दिया और शरम के मारे अपना दुपट्टा अपने मुँह में रख लिया। ता कि उस के मुँह से बेइख्तियारी में दुबारा ऐसी आवाज़ ना निकल पाए।

अपनी पैंटी के इस खिचाव ने चन्द ही लम्हों में रज़िया बीबी की चूत को पानी पानी कर के रख दिया।

रज़िया बीबी को आज का ये सफ़र बहुत मज़े दार तो लग रहा था। मगर इस के साथ साथ वो अभी तक मोटर साइकल की सवारी से ख़ौफ़जदा भी थी।

इसीलिए अपने घर की तरफ जाते हुए रज़िया बीबी बार बार अपने बेटे ज़ाहिद से कहती जा रही थी "ज़रा अहतियात से बेटा,ज़रा आहिस्ता चलो बेटा"।

अम्मी के बार बार इस तरह की बातें करने पर ज़ाहिद ने महसूस किया कि उस की अम्मी मोटर साइकल पर सफ़र करने से डर रही हैं।

इसीलिए उस ने मोटर साइकल आहिस्ता करते हुए अपनी अम्मी से कहा "अम्मी आप अपने बाज़ू को मेरे कंधे पर रखने की बजाए,अपने हाथ को मेरी कमर के गिर्द लपेट लो,इस तरह आप को नीचे गिरने का डर नही रहे गा"।

"नही बेटा ऐसे ही ठीक है,वैसे भी हम थोड़ी देर में घर पहुँच ही जाएँगे" रज़िया बीबी ने अपने बेटे की ऑफर के जवाब में कहा।

ज़ाहिद और रज़िया बीबी जब अपने घर के आधे रास्ते में पहुँचे। तो एक दम से एक कार ने ज़ाहिद के सामने ब्रेक लगाई। जिस की वजह से ज़ाहिद को भी अचानक ब्रेक लगानी पड़ गई।

इस तरह अचानक ब्रेक लगने से ज़ाहिद के पीछे बैठी रज़िया बीबी घबरा गई।

उस ने एक दम से ज़ाहिद के कंधे पर रखा हुआ हाथ हटाया। और अपने हाथ को ज़ाहिद की कमर के गिर्द ला कर अपने बेटे की कमर के गिर्द लपेट दिया।

रज़िया बीबी के इस तरह अपना हाथ ज़ाहिद के जिस्म के गिर्द लपेटने से रज़िया बीबी का जिस्म पीछे से अपने बेटे की कमर के साथ चिपकता चला गया।

जिस की वजह से रज़िया बीबी के तरबूज़ की मानद बड़े बड़े मम्मे उस के बेटे ज़ाहिद की कमर से लग कर चिपक गये।

"उफफफफफफफफफफ्फ़ मेरी अम्मी का बदन कितना नरम है और उन के जिस्म में कितनी गर्मी भरी हुई है" ज्यों ही रज़िया बीबी पीछे से अपने जवान बेटे की कमर से टकराई। तो ज़ाहिद के दिल में पहली बार अपनी अम्मी के मुतलक इस तरह की बात आई।

"ज़ाहिद कुछ तो शरम कर ये तुम्हारी सग़ी अम्मी हैं बेगैरत" दूसरे ही लम्हेज़हिद की इस गंदी सोच पर उस के ज़मीर ने उसे मलंत किया।

आम हालत में ज़ाहिद अपनी अम्मी के मुतलक इस तरह की बात अपने ज़हन में लेने का तसव्वुर भी नही कर सकता था।

मगर अपनी बहन की चूत से महरूमी की वजह से ज़ाहिद के जिस्म में तो जिन्सी भूक पहले ही काफ़ी भारी हुई थी। और फिर कुछ देर पहले स्टोर में कही हुई अपनी अम्मी की बात ने उस के लंड को उस की पॅंट में खड़ा कर दिया था।

इसीलिए अब जैसे ही ज़ाहिद ने अपनी अम्मी के बड़े और गुदाज मम्मो को पीछे से अपने जिस्म के साथ छूते और रगड़ खाते हुए महसूस किया।

तो अपनी अम्मी के मोटे जिस्म और उस के भारी मम्मो के असर से ज़ाहिद के जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया। और ज़ाहिद के ना चाहने के बावजूद उस का लंड पहली बार अपनी अम्मी के भारी वजूद के लिए तड़प कर पूरा सख़्त हो गया था।

उधर रज़िया बीबी भी ज्यों ही अपने जवान बेटे की कमर में अपना हाथ डाल उस के साथ पीछे से चिपकी।

तो उसे भी अपने बेटे के जिस्म की मज़बूती और उस के जिस्म में मौजूद जवानी की गर्मी का फॉरन ही अहसास हो गया।

जिस की वजह से रज़िया बीबी की चूत में अपने बेटे के लंड की लगी हुई आग फिर से सुलगने लगी।

अभी दोनो माँ बेटा एक दूसरे के जज़्बात से बे खबर हो कर अपने अपने जिस्मो की आग को संभालने की ना काम कोशिश कर रहे थे। कि इतनी देर वो बहरिया टाउन के अंदर दाखिल हो गये।

बहरिया टाउन की सेक्यूरिटी गेट से ज़ाहिद के घर का फासला कुछ ज़्यादा तो नही था। मगर सोसाइटी की रोड्स पर जगह जगह बने हुए स्पीड ब्रेकर्स की वजह से ज़ाहिद को अपनी मोटर साइकल बहुत ही आहिस्ता स्पीड में चलानी पड़ रही थी।

ज़ाहिद अभी अपनी गली से कुछ दूर ही था। कि उस ज़हन में पोलीस स्टेशन की कोई बात आ गई। जिस की वजह से वो रोड पर माजूद आख़िरी स्पीड ब्रेक पर ध्यान नही दे पाया।

बे शक ज़ाहिद की मोटर साइकल की स्पीड बहुत कम थी।लेकिन इस के बावजूद मोटरो साइकल को एक झटका लगा।

इस अचानक झटके की वजह से अपने बेटे के पीछे सीट पर बैठी रज़िया बीबी एक दम से अनबॅलेन्स हुई।

तो ज़ाहिद की कमर के गिर्द लिपटा हुआ रज़िया बीबी का हाथ एक दम से स्लिप हो हर ज़ाहिद की पॅंट के अंदर उस की टाँगों के दरमियाँ, ज़ाहिद के अभी तक सख़्त और खड़े हुए लंड पर आ पहुँचा।

यूँ अचानक अपने बेटे के लंड से अपना हाथ टच करते ही रज़िया बीबी के होश उड़ गये ।और उस ने एक दम से अपने हाथ को पीछे खैंच लिया।

हालाकी रज़िया बीबी के हाथ ने अपने बेटे के जवान लंड को एक ही सेकेंड के लिए यूँ पहली बार छुआ था।

मगर रज़िया बीबी के तजुर्बेकार हाथों ने इस एक ही लम्हे में अपने बेटे के लंड की सख्ती और गर्मी का ब खूबी अंदाज़ा लगा लिया था।

उधर दूसरी तरफ अपनी अम्मी के हाथ का लामास अपने मोटे और बड़े लंड पर महसूस करते ही ज़ाहिद की तो सेती (बेल) ही जैसे एक दम से गुम हो गई। और उस ने भी घबरा कर एक दम से मोटर साइकल का आक्सेलरेटर दबा दिया।

ज़ाहिद का घर चूँकि अगली ही गली में था। इसीलिए दूसरे ही लम्हे दोनो माँ बेटा अपने घर के गेट तक पहुँच गये।

रज़िया बीबी अपने बेटे के लंड से अपने हाथ के यूँ अचानक छू जाने से इतनी शर्मिंदा हुई।कि उस में अपने बेटे से आँख मिलाने की हिम्मत ना रही। और ज्यों ही ज़ाहिद ने घर के बाहर मोटर साइकल को रोका। तो रज़िया बीबी जल्दी से सीट से उतर कर घर के गेट की तरफ चल पड़ी।

जारी रहेगी

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