अम्मी बनी सास 069

Story Info
कुछ टाइम अहतियात
2.7k words
4.75
236
00

Part 69 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

रज़िया बीबी की तरह शाज़िया भी लेडी डॉक्टर के मुँह से माँ बनने की खूसखबरी सुन कर बहुत खुस थी।

इसीलिए घर वापिस आते ही जब उस की अम्मी ने भी उसे अपने साथ लिपटा कर उसे माँ बनने की मुबारक दी।

तो अपनी अम्मी रज़िया बीबी की तरह शाज़िया को भी ये बात सोच कर अपनी चूत में हल्का हल्का गीला पन महसूस होने लगा। कि उस के पेट में जनम लेने वाले इस बच्चे का बाप कोई और नही बल्कि उस का अपना सगा बड़ा भाई है।

दोनो माँ बेटी एक दूसरे से इसी तरह लिपटी काफ़ी देर घर के टीवी लाउन्ज में खड़ी रहीं। कि इतनी देर में ज़ाहिद अपने घर में दाखिल हुआ।

"खैर तो है, दोनो माँ बेटी के दरमियाँ बड़ा प्यार उमड़ रहा है आज" ज़ाहिद ने जब अपनी अम्मी और बहन को एक दूसरे से लिपटे देखा।तो वो हेरान होता हुआ उन से पूछने लगा।

शाज़िया ने ज्यों ही अपने शोहर भाई की आवाज़ सुनी। तो ना जाने उसे क्यों शरम महसूस हुई और वो अपनी अम्मी से अलहदा हो कर अपने कमरे की तरफ भाग गई।

"एक तो तुम ने खुद ही अपनी ही सग़ी बहन को अपने हाथों से खराब किया है,और ऊपर से मासूम बन कर पूछते हो कि ख़ैरियत तो है" रज़िया बीबी ने जब अपने बेटे की आवाज़ सुनी। तो उस ने मुस्कुराते हुए टीवी लाउन्ज में अपने पीछे खड़े हुए अपने बेटे को देखते हुए कहा।

"अम्मी बताएँ तो सही कि क्या बात है आख़िर" अपनी अम्मी और बहन को यूँ गले लगे देखने और फिर उस की आमद पर शाज़िया का इस तरह शर्मा का कमरे में भाग जाने की वजह से ज़ाहिद से अब सबर नही हो रहा था।

"बात ये है कि तुम्हारी मेहरबानी की बदोलत मैं एक ही वक्त में नानी और दादी दोनो बनने जा रही हूँ बेटा" रज़िया बीबी ने अपने बेटे के करीब होते हुए ज़ाहिद को खींच कर अपने गले से लगा कर ज़ोर से अपनी बाहों में कस लिया।

"किययययययययययययययया!" अपनी अम्मी के मुँह से खुशी की ये खबर सुन कर ऊपर से ज़ाहिद का मुँह खुला का खुला रह गया।और नीचे से ज़ाहिद का लंड उस की पॅंट में सख़्त कर खड़ा होने लगा।

रज़िया बीबी की तरह ज़ाहिद ने भी खुशी के मारे अपनी अम्मी के जिस्म के गिर्द अपनी बाहें जकड कर अपनी अम्मी के मोटे जिस्म को अपनी साथ चिमटा लिया।

ज़ाहिद के अपनी अम्मी को यूँ अपने साथ चिपटाने से रज़िया बीबी के बड़े बड़े मम्मे उस के बेटे की सख़्त छाती से लग कर दब्ते चले गये।

जब कि नीचे से पॅंट में कसा हुआ ज़ाहिद का लंड भी उस की अम्मी की शलवार के ऊपर से रज़िया बीबी की चूत को छूने की नाकाम कोशिश करने लगा।

रज़िया बीबी ने आज एक लूज़ किस्म का ब्रेज़ियर पहना हुआ था। जिस की वजह से अपने बेटे की बाहों में यूँ जकड़े होने की वजह से रज़िया बीबी के मोटे मम्मो के निपल्स ज़ाहिद की सख़्त और जवान छाती से रगड़ खा कर उस के ब्रेज़ियर में सख़्त होने लगे थे।

जब कि नीचे से रज़िया बीबी की चूत अपने बेटे के मोटे और तगड़े लंड के इतने करीब हो कर ज़ाहिद के लंड की गरमाइश को अपनी चूत की दीवारों के ऊपर महसूस कर के पानी पानी होने लगी थी।

इस से पहले कि अपने बेटे की मज़बूत बाहों में जकड़ी हुई रज़िया बीबी अपनी बेटी शाज़िया की तरह अपने जिस्म की गर्मी के हाथों मजबूर हो कर अपने बेटे ज़ाहिद के साथ कुछ और करती।

इधर दूसरी तरफ आज अपनी अम्मी के भारी वजूद को अपनी जवान बाहों में कस कर जकड़ने पर ना जाने क्यों पहली बार ज़ाहिद को अपने दिल में एक अजीब सी हल चल महसूस हुई। मगर उसे अपने दिल के यूँ बेचैन होने की फॉरी समझ नही आई।

इसीलिए ज़ाहिद ने अपनी अम्मी को अपने आप से अलग किया और बोला "में ज़रा शाजिया से मिल कर आता हूँ अम्मी"।

इस के साथ ही ज़ाहिद तेज़ी के साथ चलता हुआ अपने कमरे की तरफ चल पड़ा।

"हाईईईईईईईईईईईईईईईई! अपनी बहन की चूत में अपने लंड का बीज तो डाल ही दिया है,अब मेरी इस प्यासी चूत पर अपने मोटे लंड का पानी कब बरसाओगे मेरे बच्चेययययययययययी!" ज़ाहिद को अपनी बहन के पास जाता देख कर रज़िया बीबी ने अपने ज़हन में सोचा। और अपने हाथ को नीचे ले जा कर अपनी पानी छोड़ती हुई फुद्दि को शलवार के ऊपर से ही अपने हाथ से आहिस्ता आहिस्ता रगड़ कर सिसकियाँ लेने लगी। और उस की चूत से पानी रिस रिस कर उस की गुदाज और बाहरी सुडोल रानों के उपर बहने लगा।

इस के साथ ही रज़िया बीबी को यूँ लगा जैसे उस की शलवार में छुपी हुई उस की चूत अपने बेटे के मोटे लंड के लिए इंडियन मूवी "हीना" का ये गाना गुनगुना रही हो"

"कब पाओ गे कब पाओ चूत से पानी सूख जाएगा तब पाओ गे देर ना हो जाए कहीं देर ना हो जाए"

उधर ज़ाहिद जब अपने कमरे में दाखिल हुआ। तो शाज़िया उस वक्त बिस्तर पर बैठ कर अपनी बिखरी सांसो को संभालने में मसरूफ़ थी।

ज्यों ही शाज़िया ने अपने पीछे पीछे अपने भाई ज़ाहिद को कमरे में दाखिल होते देखा। तो वो समझ गई कि उस की अम्मी ने उस के भाई को शाज़िया के प्रेगनेंट होने की खबर सुना दी है।

फिर जिस तरह हर आम लड़की को प्रेग्नेंट होने के बाद पहली बार अपने शोहर का सामना करने में शरम महसूस होती है।

बिल्कुल इसी तरह अब शाज़िया भी अपने कमरे में बैठी अपने भाई का सामना करने में एक शरम सी महसूस कर रही थी।

इसीलिए अपने भाई की कमरे में आमद पर उस का दिल तेज़ी से धड़कने लगा।और वो शरम के मारे करवट बदल कर बिस्तर पर लेट गई।

ज़ाहिद को अपनी बहन का उस से यूँ शरमाना अच्छा लगा। और उस की पॅंट में खड़े हुए उस के लंड को मज़ीद जोश आ गया।

ज़ाहिद आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ बिस्तर पर लेटी हुई अपनी बहन के पीछे बैठा। और उस ने अपनी बहन के "कान" को अपने दाँतों से काटते हुए सेरगोशी की "हाईईईईईईईईई! में कितना खुसनसीब भाई हूँ जो अपनी ही सग़ी बहन के बच्चे का बाप बनने वाला हाईईईईईईईईई!"

शाज़िया अपने भाई की बात सुन कर गरम हो गई। उस ने गरम होते हुए करवट बदली और अपने भाई के होंठो से अपने लब मिलाते हुए सिसकरीी"हाईईईईईई! भाईईईईईई! आप नही जानते कि में आप की कितनी अहसान मंद हूँ, कि आप ने मेरी सुखी कोख में अपना बच्चा डाल कर मुझे एक मुकम्मल औरत में बदल दिया है"

ज़ाहिद भी अपनी बहन का जवाब सुन कर मस्त हो गया। और अपनी बहन की कमीज़ और उस के ब्रेजियर को ऊपर उठा कर अपनी बहन के मोटे और भारी मम्मो को अपनी नज़रों के सामने नगा करते हुए बोला।

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! शाज़िया मेरे प्यासे होंठो को तो बस उस दिन का इंतिज़ार है, जब मेरी बहन के इन मोटे मम्मो में दूध भरे गा, और में अपनी बहन के इन लंबे निपल्स को सक कर के अपनी ही बहन का ताज़ा और ख़ालस दूध पीऊँगा"

साथ ही ज़ाहिद ने अपने मुँह आगे बढ़ाया और अपनी बहन के मोटे मम्मो कर लंबे निपल्स को अपने मुँह में भर कर मज़े और मस्ती से चूसने लगा।

शाज़िया भी अपने भाई के इस वलिहाना प्यार को देख कर गरम होती गई। और वो अपने भाई के सर पर अपना हाथ रख कर अपने भाई के बालों में अपने हाथ की उंगलियाँ फैरने लगी।

"शाज़िया जल्दी से अपनी शलवार उतारो, मैं अपने लंड का मज़ीद पानी तुम्हारी चूत में डालना चाहता हूँ,ताकि हमारा होने वाला बच्चा सेहत मंद हो मेरी जान" ज़ाहिद ने अपनी बहन के मोटे मम्मो को चुसते हुए शाज़िया की शलवार के नाडे को पकड़ कर खोलने की कॉसिश करते हुए कहा।

"आप कहते हैं तो में अपने कपड़े उतार देती हूँ,मगर साथ ही साथ आप की इतला के लिए अर्ज़ है कि आज ही नही बल्कि तकरीबन एक महीने तक आप मेरी चूत में अपना लंड नही डाल सकेंगे भाईईईईईईईई!"शाज़िया ने अपने जिस्म से खेलते हुए भाई पर हैरत का प्रहार गिराते हुए उस से कहा।

"ये क्या बतत्तटटटटटतत्त! हुई भलाआआआआआ!" ज़ाहिद ने एक दम चोंक कर शाज़िया के मम्मे से अपना मुँह हटाया और हेरान होते हुए उस से पूछा?

"वो असल में डॉक्टर बता रही थी, कि 30 साल की उम्र से उपर की औरतों को हमाल ठहराने के बाद कुछ टाइम अहतियात करना पड़ती है,और आप जानते हैं कि मेरी उम्र अब तकरीबन 32 साल है, इसी लिए डॉक्टर ने कहा है कि में अपने शोहर से एक महीना परहेज करूँ" शाज़िया ने अपने भाई ज़ाहिद के दिल और लंड पर बिजली गिराते हुए बताया।

अपनी बहन शाज़िया के साथ मनाई जाने वाली अपनी सुहाग रात की चुदाई के बाद तो ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया की चूत की इतनी आदत हो गई थी। कि वो रात दिन अपनी बहन की चूत में अपना लंड डाल कर ही पड़ा रहता था।

अब ज़ाहिद जैसे गरम और अपनी बहन की चूत के आशिक़ भाई के लिए एक महीना तो क्या एक दिन भी अब अपनी बहन की चूत से दूर रहना मोहाल था।

इसीलिए अपनी बहन को अपने ही लंड से हमला (प्रेनग्नेंट) करने वाली खबर सुन कर ज़ाहिद को जितना जोश चढ़ा था।

अब अपनी बहन से डॉक्टर की कही हुई हिदायत का सुन कर ज़ाहिद की तबीयत उतनी ही परेशान हो गई थी।

"तु तुम ही बताओ,तुम्हारी चूत के बिना एक महीना में कैसे गुज़ारुँगा मेरी जान" ज़ाहिद ने शाज़िया की शलवार के नाडे को खोलते हुए मासूम अंदाज़ में अपनी बहन से पूछा।

"सबर्र्र्र्र्र्र्र्ररर! मेअरयययययययययययी! भाईईईईईईईईई! सबर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर,! इस के अलावा आप कर भी क्या सकते हो अब"शाज़िया ने अपने भाई को तसल्ली दी और अपनी शलवार और कमीज़ उतार कर बिल्कुल नंगी हो गई।

शाज़िया को अपने कपड़े उतारते देख कर ज़ाहिद भी फॉरन नंगा हो गया। और फिर ज़ाहिद ने अपनी बहन के पैरो से ले कर उस के सर के बालों तक शाज़िया के जिस्म के हर हिस्से को चूम चूम कर अपनी बहन से अपनी वलिहाना मोहब्बत का इज़हार किया।

अपनी बहन के नंगे बदन के एक एक हिस्से को चूमने के बाद ज़ाहिद बिस्तर पर नंगी लेटी अपनी बहन शाज़िया की टाँगों के दरमिया आया।

और अपनी बहन की फूली हुई चूत के होंठो पर अपनी गरम ज़ुबान रखते हुए बोला" चलो अगर में अपनी बहन की चूत में अपना लंड नही डाल सकता तो कोई बात नही,में एक महीना यूँ ही अपनी बहन की चूत के पानी को चाट चाट कर ही अपने मुँह और लंड की प्यास बुझाने की कोशिश करूँगा "

ज्यों ही ज़ाहिद की गरम ज़ुबान उस की बहन की प्यासी चूत से टच हुई। तो शाज़िया अपने भाई की ज़ुबान और होंठो की गर्मी से मस्त होते हुए एक मछली की तरह अपने बिस्तर पर तड़प तड़प कर अपनी चूत का पानी छोड़ने लगी।।

जिसे उस की टाँगों के दरमियाँ लेटा हुआ उस का भाई ज़ाहिद लेमन का पानी समझ कर पी पी कर अपने जवान जिस्म की गर्मी को कम करने की कोशिस में मसरूफ़ हो गया।

शाज़िया डॉक्टर से अपने प्रेगनेंट होने की खबर सुन कर तो पहले ही बहुत गरम हो चुकी थी।

और अब उस के भाई ज़ाहिद की उस की चूत पर फिसलती हुई ज़ुबान ने उस की फुद्दि की गरमाइश को अपनी इंतिहा पर पहुँचा दिया था।

इसीलिए ज़ाहिद की सकिंग के चन्द लम्हो बाद ही शाज़िया ने अपनी फुद्दि का गरम और नमकीन पानी अपने भाई के खुले मुँह में उडेल दिया।

"भाई मेने सोचा है कि में एक महीना अम्मी के साथ उन के कमरे में रह लूँ" जब शाज़िया अपने भाई के मुँह में अपनी फुद्दि का पानी छोड़ चुकी। तो उस ने झटके ख़ाते हुए अपने जींस को संभालने की कोशिश करते हुए ज़ाहिद से कहा।

"अम्मी के कमरे में मगर क्यों" ज़ाहिद ने शाज़िया की चूत के लिप्स से अपना मुँह अलग कर के पास रखे तोलिये से अपना मुँह पोन्छा और शाज़िया से पूछा।

"वो इसीलिए कि अगर मैं पहले की तरह आप के साथ ही सोती रही,तो मुझे डर है कि आप ने मेरे मना करने के बावजूद एक ना एक दिन अपना लंड मेरी फुद्दि में ज़रूर डाल देना है,इसीलिए अहतियात के तौर पर में अगला एक महीना अम्मी के साथ उन के कमरे में रहना चाहती हूँ" शाज़िया ने खुल कर अपने दिल की बात अपने भाई से कर दी।

"मेरा दिल तो नही मानता लेकिन तुम ये ही चाहती हो तो ठीक है" अपनी बहन की बात ज़ाहिद के ज़हन में असर कर गई।और इसीलिए ना चाहते हुए भी उस ने शाज़िया की बात मान ली।

फिर उसी रात शाज़िया अपने कुछ कपड़े और समान ले कर अपनी अम्मी के कमरे में शिफ्ट हो गई।

वैसे तो कहते हैं अपने शोहर की जुदाई में रात के वक्त एक औरत को उस का अपना बिस्तर काटने को दौड़ता है।

और अपने शोहार के बैगेर एक औरत किस तरह करवट बदल बदल कर अपनी रात बसर करती है। ये बात सिर्फ़ एक औरत ही जान सकती है।

मगर अपनी बहन शाज़िया के बगैर आज ज़ाहिद को अपना बिस्तर सूना सूना लाग रहा था। और अपनी बहन शाज़िया के गुदाज बदन की गैर मौजूदगी में ज़ाहिद का लंड परेशान हो हो कर उस की शलवार में पागलों की तरह इधर उधर गिरता रहता था।

ज़ाहिद ये बात बखूबी जानता था। कि अपनी बहन की चूत में अपना लंड डाले बिना एक महीना गुज़ारना उस के लिए एक मुश्किल ही नही बल्कि एक ना मुमकिन बात थी।

मगर उसे अपनी बहन की कोख में जनम लेने वाले अपने बच्चे की खातिर डॉक्टर की बात मानते हुए ज़हर का ये घूँट भरना ही था।

इस दौरान तीन दिन गुज़र गये और इन तीन दिनो के दौरान ज़ाहिद और शाज़िया अलग अलग कमरों में ही सोते रहे।

इन तीन दिनो के दौरान ज़ाहिद ने एक आध दफ़ा शाज़िया से उस की मूठ लगाने या फिर उस के लंड की चुसाइ लगाने का भी कहा। मगर शाज़िया ने अपने भाई की बात नही मानी।

क्यों कि शाज़िया को डर था कि अगर एक दफ़ा उस ने अपने भाई के लंड को हाथ लगा लिया।तो फिर ज़ाहिद तो ज़ाहिद खुद उस के लिए अपने आप को रोकना मुश्किल हो जाएगा।इसीलिए शाज़िया ने हर बार अपने भाई ज़ाहिद को ना कर दी।

इस दौरान ज़ाहिद ने एक आध बार सोचा कि काश अगर नीलोफर पाकिस्तान में होती। तो शायद वो शाज़िया से किए हुए अपने वादे को तोड़ कर नीलोफर की फुद्दि से अपने लंड की प्यास बुझा ही लेता।

मगर अब नीलोफर की गैर मौजूदगी में उस के पास एक ही हल रह गया था। कि वो अपने एरिया की किसी गश्ती के पास जा कर अपने गरम जिन्सी जज़्बात की आग को ठंडा कर ले।

लेकिन नीलोफर और फिर अपनी ही बहन की चूत के मज़े ले ले कर ज़ाहिद को अब रंडी औरतों में कोई दिल चस्पी नही रही थी। इसीलिए अब उस के भूके लंड के पास सबर करने के सिवाय कोई चारा नही रहा था।

अपनी बहन की चूत से किनारा करने के चोथे दिन जब ज़ाहिद अपने कमरे में खड़ा पोलीस स्टेशन जाने के लिए तैयार हो रहा था। तो इतने मेंशाज़िया उस के कमरे में दाखिल हुई और बोली "आप आज वापसी पर मेरे लिए बाज़ार से कुछ चीज़े तो लेते आना भाई"।

"अच्छा मुझे फोन पर बता देना क्या लेना है, में वापसी पर लेता आऊँगा" ज़ाहिद जल्दी में था इसीलिए उस ने शाज़िया को फॉरन जवाब दिया।

"मेने चीज़े पेपर पर लिख दीं है,आप लेते आना प्लीज़" शाज़िया ने जब देखा कि ज़ाहिद उस की बात पर गौर नही कर रहा। तो उस ने एक पेपर जल्दी से अपने भाई की शर्ट की पॉकेट में रखते हुए कहा।

साथ ही दोनो बहन भाई एक सही मियाँ बीवी की तरह एक दूसरे को गले मिले।और एक दूसरे के होंठो में लब डाल कर खुदा हाफ़िज़ कहते हुए एक दूसरे को अलविदा किया।

उसी शाम जब ज़ाहिद पोलीस स्टेशन से घर जाने के लिए निकला तो उस के फोन की बेल बजी।

"हेलो" ज़ाहिद ने अपने मोटर साइकल पर बैठ कर फोन को ऑन किया।

"बेटा तुम किधर हो इस वक्त" दूसरी तरफ से ज़ाहिद की अम्मी रज़िया बीबी की आवाज़ आई।

"अम्मी में थाने से निकल कर घर आ रहा हूँ" ज़ाहिद ने अपने मोटर साइकल को स्टार्ट करते हुए जवाब दिया।

"ज़ाहिद बेटा में अपनी किसी पुरानी जानने वाली औरत की तबीयत का हाल जानने एक हॉस्पिटल में आई हुई हूँ,अगर हो सके तो रास्ते से मुझे भी पिक कर लो" रज़िया बीबी ने अपने बेटे ज़ाहिद से कहा।

"ठीक है में आता हूँ" ज़ाहिद ने अपनी अम्मी से हॉस्पिटल का नाम पूछा और फिर अपनी अम्मी को लेने उस तरफ चल पड़ा।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

Daddy's XXX Casting Call She discovers family secret when her mom dies.in Incest/Taboo
Mother's Day, Father's Day Son gives mom the ultimate Mother's Day gift.in Incest/Taboo
Our Natural Selection Ch. 01 A sibling relationship continues to evolve.in Incest/Taboo
Reformation Ch. 01 The continuation of "Big Changes at Home".in Incest/Taboo
পূজনীয়া মা 01 Relationship grows between mom and son.in Incest/Taboo
More Stories